नमस्ते दोस्तों, कैसे हैं आप सब? मेरा नाम रवि है और मैं मुंबई में रहता हूँ. एक लड़की की गांड चुदाई की कहानी एकदम काल्पनिक है. इसमें लेशमात्र भी सच्चाई नहीं है. लेकिन आप इसे सच्ची माँ कर पढ़ेंगे तो आपको लगेगा कि जिए आप उस लड़की की गांड मार रहे हों.
तो मजा लें:
वैसे हमारा परिवार मुंबई से 70 किलोमीटर दूर एक गाँव का रहने वाला था लेकिन पापा की जॉब के कारण हम मुंबई में ही बस गए थे. मेरे चाचा ताऊ अभी भी गाँव में रहते हैं और खेती करते हैं. हम साल में 2-3 बार गाँव जाते रहते हैं.
गाँव में मेरे पापा के एक ख़ास दोस्त हैं डाल चंद अंकल. हमारे घर जैसे सम्बन्ध हैं. उनकी एक बेटी अशी मेरे से 3 साल छोटी है. वो मेरी अच्छी दोस्त है. अशी एक कॉलेज गर्ल है वह छोटी सी कद काठी की है। उसके बदन का साईज 28-26-28 था. यानि वह एकदम छोटी सी गुड़िया की तरह दिखती थी।
वो पास के कस्बे के कॉलेज में पढ़ती थी तब.
हम सब गाँव गए हुए थे लेकिन मुझे जॉब के कारण जल्दी लौटना था मेरे मम्मी पापा कुछ दिन बाद लौटने वाले थे.
अशी की कॉलेज की छुट्टियों में वह मुंबई घूमने आना चाह रही थी। इसलिये उसके घर वालों ने उसे मेरे साथ भेजने का फैसला किया। इससे मेरे खाने पीने की दिक्कत भी ना रहती.
यानि हमारे घर पर सिर्फ मैं और अशी ही रहने वाले थे। उसके पापा एक हफ्ते बाद उसे लेने आने वाले थे।
हम जल्दबाजी में निकले हुए थे इसलिए ट्रेन में दोनों की सीट्स कन्फर्म नहीं हुई थी। एक ही सीट मिली थी इसलिये हम दोनों को एक ही सीट पर सोना पड़ने वाला था।
रात का खाना खाकर हम दोनों एक ही बर्थ पर सोने का प्रयास करने लगे। चूंकि ठंड बहुत थी हम दोनों ने कम्बल ओढ़ लिया था। हम दोनों एक दूसरे से काफी सट गए थे जिसके कारण मेरा लंड खड़ा हो गया था जो अशी की गांड में चुभ रहा था।
उसे भी शायद वह अच्छा लग रहा था उसने आगे होने की कोशिश नहीं की।
जब उसकी तरफ से कोई ऐतराज नजर नहीं आया तो मैंने उसकी कमर में हाथ रखा और धीरे धीरे अपना लंड उसकी गांड पे रगड़ने लगा। हमारी सीट ऊपर की थी इसलिए हमारी तरफ किसी का ध्यान नहीं था।
आधी रात हो चुकी थी हमारे अगल बगल के यात्री सो चुके थे।
अशी ने जब पलट कर मेरी तरफ मुँह किया तो उसके होंठ मेरे होंठों को टच किये। उसने पीछे हटने की कोशिश नहीं की, उल्टा सोने का नाटक करती रही। मैं उसके होंठों को चूमते हुए उसकी चूची दबा रहा था और कमर को हिलाकर लंड को उसकी चूत पर रगड़ रहा था।
अशी ने अब अपनी आँखें खोल दी थी और मुझे किस करना शुरू किया था। वहाँ बर्थ पर पूरा सेक्स तो नहीं होने वाला था पर हम जितना फोरप्ले कर सकते थे कर रहे थे।
मैंने कमर हिलानी बंद की तो अशी फुसफुसाई- करो ना!
“लोगों को पता चल जायेगा। घर पहुँचने तक कंट्रोल करना घर पहुँचते ही पूरा खेल खेलेंगे।” कहकर मैंने अपनी उंगली उसकी चूत पे फेरी।
अशी ने जीन्स पहनी थी। उसने अपनी ज़िप खोली और मेरी उंगली अपनी गीली चूत पर रखी। मैंने उंगली उसकी चूत में अंदर बाहर करना शुरू किया। वह हल्के हल्के आहे भरने लगी और मुझे जोर से किस करने लगी।
जब उसे ऐसा लगा कि वह झड़ने वाली हैं, वह नीचे उतर गई और टॉइलेट जाकर पेशाब कर आयी। सारी रात हमारा यह खेल चलता रहा।
उसके बाद हम सोने का प्रयास करने लगे।
दूसरे दिन सुबह हम लोग मेरे घर पहुँच गये। घर वाले गाँव गए हुए थे इसलिए घर पर हम दोनों ही थे। हमने ट्रेन से उतरते ही स्टेशन के बाहर दूकान पर भर पेट नाश्ता कर लिया था। अब बस नहा धोकर आराम ही करना था।
“जाओ! आप जाके नहा लो। नहा लोगी ना? या नहलाना पड़ेगा?” मैंने मजाक किया।
“नहला दीजिये, आप मुझे नहला दीजिये मैं आपको नहला देती हूँ।” अशी ने कहा।
“आइडिया अच्छा है।” मैं हँसकर बोला।
“तो चले इम्पलीमेंट करें?” कहकर अशी ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बाथरूम की तरफ ले गयी।
“रुको! कपड़े तो उतारने दो।” मैं बोला।
“ये लो उतर गये!” कहकर वह मेरे कपड़े उतारने लगी।
मैंने भी उसके कपड़े उतारने शुरू किये। जब हम दोनों नंगे हो गये तो बाथरूम में चले गये।
“आपके मुंबई में तो ठंड में भी पसीने छूट रहे हैं?” वह बोली।
“यह मौसम की गर्मी नहीं हैं आपके बदन की गर्मी है जो पसीना निकाल रही है।” कहकर मैं उसे किस करने लगा।
साथ ही मैंने गर्म पानी का शॉवर ऑन कर दिया।
हम शॉवर के नीचे एक दूसरे को बाहों में लेकर किसिंग कर रहे थे।
जब हम अच्छी तरह से भीग गये तब मैंने शॉवर बंद किया और साबुन लेकर उसके बदन पर रगड़ने लगा। उसकी पीठ पर उसके सीने पर उसकी कमर और पेट पर, जाँघों, पैरों पर सब जगह मैंने साबुन लगा दिया।
उसने भी मेरे हाथ से साबुन लेकर मेरे पूरे बदन पर उसे रगड़ना शुरू किया। मेरे लंड पर उसने ज्यादा बार साबुन लगाया। मैं भी उसकी साबुन लगी चूत को रगड़ रहा था।
“ओह आह ओह यस फक मी” कहकर उसने मेरा लंड अपने हाथ से अपनी चूत पर रखा।
मैंने उसे दीवार से सटा दिया और उसकी एक टांग ऊपर उठायी। ऐसा करने से उसकी चूत सामने की तरफ आ गयी। जिससे मेरा लंड उसकी चूत में दाखिल करना आसान हो गया।
“ओ….ह यस” जैसे मैंने आहिस्ते से उसकी चूत में अपना लंड दाखिल किया वैसे ही उसकी सीत्कार निकलने लगी।
मैं धीरे धीरे कमर हिलाकर अपना लंड उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा।
कुछ धक्कों बाद वो बोली- जोर से करो … मजा आ रहा है। जरा स्पीड बढ़ाओ।
उसकी बात सुनकर मैं जोर से धक्के लगाने लगा।
कुछ देर ऎसे ही धक्के लगाने के बाद मैंने उसे नीचे फर्श पर लिटा दिया। उसकी दोनों टांगें फैला दी और उसकी जांघों के बीच बैठकर उसकी चूत में अपना लंड दाखिल किया।
“मस्त लग रहा है … फक मी, ओह यस प्लीज फक मी हार्ड!” उसके मुँह से निकल गया।
मैं कमर हिलाकर धक्के मारने लगा। हर धक्के पर वह ‘ओह आह यस’ करने लगी।
साबुन की चिकनाहट की वजह से मेरा लंड सटासट अंदर बाहर हो रहा था। जांघों पर झांघें टकराने से फट फट की आवाजें निकल रही थी।
“ओह ! लगता है मैं झड़ने वाली हूँ।” वह नीचे से कमर उचकाती हुई बोली।
“मैं भी झड़ने ही वाला हूँ।” कहकर मैं और जोर से धक्के मारने लगा।
आखिरकार उसने और मैंने एक ही साथ अपना पानी छोड़ा। गर्म वीर्य जैसा ही हमारा बदन भी गर्म हो गया था।
सेक्स होने के बाद मैंने शॉवर ऑन किया। हम दोनों नहा लिए। मैंने अशी का बदन पौंछा और कशी ने मेरा बदन पौंछा।
फिर बाहर आकर हमने कपड़े पहन लिये।
नहा धोकर हम दोनों सो गये। सारी रात ट्रेन का सफर किया था, नींद पूरी नहीं हो पायी थी इसलिये हमें गहरी नींद आ गयी थी।
दोपहर के करीब दो बजे अशी की नींद खुल गयी और वह मेरे सीने पर अपना सिर रखकर अपने एक हाथ से मेरा सीना सहलाने लगी।
मैं गहरी नींद में था इसलिये जाग ना सका।
अशी सीना सहलाते सहलाते मेरे पेट को सहलाने लगी फिर ऐसे ही हाथ फेरते हुए वह जांघों तक पहुँच गयी। अब मुझे थोड़ी हलचल होती हुई सी महसूस हुई पर मैं जाग न सका।
उसने मेरे अंडरवियर में हाथ डाला और हल्के हाथों से मेरे लंड को सहलाने लगी। कुछ देर यों ही सहलाते रहने के बाद उसने मेरी अंडरवियर नीचे की। मेरे लंड के सुपारे की स्किन को पीछे किया और सुपारे पर अपनी जीभ फेरने लगी, मुझे नींद में ही गुदगुदी होने लगी।
कुछ देर वो खुले सुपारे को चाटती रही फिर आहिस्ते से उसे अपने मुँह में भर लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
धीरे धीरे वह मेरे पूरे लंड पर अपनी जुबान फेरने लगी फिर पूरे लंड को जड़ तक मुँह में लेने का प्रयास कर रही थी। जैसे कुल्फी चूसते हैं वैसे वह मेरे लंड को चूसने लगी।
“कैसा लग रहा है?” मेरी नींद खुलते ही मैंने पूछा।
“अच्छा लग रहा है?” उसने कहा।
“आप तो मुख मैथुन से नफरत करती थी ना?” मैंने पूछा।
“इतनी कहानियों में मुख मैथुन का जिक्र आया है तो मैंने सोचा ट्राय करके देख लेती हूँ।”
“चलो आज एक और एक्सपीरियंस मिला आपको!” मैं बोला।
“पर आपका वीर्य मुँह में मत छोड़ना।” वह बोली।
“अरे छी! वह सब तो मुझे भी पसंद नहीं है।” मैंने कहा।
जैसे जैसे वह सक कर रही थी मैं भी अपनी कमर उचका कर उसके मुँह में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था।
कुछ देर वह लंड चूसती रही. उसके बाद वह मुझे बोली- अब आप मेरी बुर चाटो।
“अभी लो!” कहकर मैंने उसे लिटा दिया और 69 की पोजीशन में आ गया. अब उसकी चूत मेरे मुँह में थी और मेरा लंड उसके मुँह में था।
मैं उसकी चूत में अपनी जुबान अंदर तक डालता था और हिलाता था, जिससे उसे बड़ा मजा आने लगा था। वह और जोर से मेरा लंड चूस रही थी। मैं कभी जुबान बाहर निकाल कर उसकी पूरी चूत अपने मुँह में भर लेता था कभी जीभ अंदर घुसेड़ देता था।
उसका इस तरह का पहला एक्सपीरियंस था तो वह बेकाबू होने लगी।
लड़की की गांड मारने की तैयारी
कुछ देर बाद हमने सकिंग बंद कर दी। मैं उठा और तेल की बोतल ले आया।
“तेल किस लिये?” अशी ने पूछा।
“आपकी गांड के लिये!” मैंने कहा।
“अरे नहीं! फट जायेगी मेरी गांड।” वह घबरायी।
“नहीं फटेगी, बड़े प्यार से तेरी गांड मारूंगा।”
“मेरी चूत में डालो ना अपना!” वह बोली।
“नहीं … अभी तो लड़की की गांड ही मारी जायेगी। इत्मिनान रख … बड़ा मजा आयेगा।” कहकर मैंने उसे पेट के बल लिटा दिया।
लड़की की गांड के छेद में ढेर सारा तेल डाल के मैंने उस में अपनी उंगली डाल दी। जब उंगली लड़की की गांड में अंदर बाहर होने लगी तो उसकी गांड सिकुड़ने और फैलने लगी। उसे अब गांड में उंगली करना अच्छा लग रहा था।
“अब लंड डालता हूँ!” कहकर मैंने ढेर सारा तेल अपने लंड पर मल दिया।
मैं कुछ देर लंड लड़की की गांड की दरार के बीच में फेर रहा था।
“आह….. गर्म लग रहा है।” उसने आंखें मूंद कर कहा।
“अब और अच्छा लगेगा!” कहकर मैंने अपना सुपारा लड़की की गांड में धंसा दिया।
“ओह माय … दर्द हो रहा है … निकालो इसे।” वह आँखें खोलकर बोली।
“थोड़ा सहो, बड़ा मजा आयेगा!” कहकर मैं उसके ऊपर लेट गया।
मेरे बदन के नीचे वह दबकर रह गयी। मैं धीरे धीरे अपना लंड उसकी गांड में डालता गया। जब पूरा लंड लड़की की गांड में चला गया तब मैंने उसे पूछा- कैसा लग रहा है अब?
‘गर्म चीज गांड में महसूस हो रही है. ऐसे लग रहा है जैसे गांड की सिकाई हो रही है।” उसने कहा।
मैं उसके ऊपर था उसका मुँह एक तरफ था मैं पीछे से ही उसे किस करने लगा। उसे अब मजा आ रहा था वह अपनी कमर को हिला रही थी।
मैं लड़की की गांड से बिना लंड को बाहर निकाले धीरे से कमर हिलाने लगा। मेरा लंड लड़की की गांड में आगे पीछे होने लगा। उसे और अच्छा लगने लगा।
कुछ देर तक मैं वैसे ही धक्के लगाते रहा। उसके बाद उसके बदन पर से उठ गया और उसके कूल्हों पर बैठ गया। अब मैं अपना पूरा लंड बाहर खिंचने लगा और पूरा लंड फिर से लड़की की गांड के अंदर डालने लगा।
“ओह! बड़ा मजा आ रहा है! मारो … और जोर से मेरी गांड मारो। फटती है तो फटने दो! आप ऐसे ही चोदना जारी रखो।” अशी नीचे से बड़बड़ाने लगी।
मुझे भी जोश आने लगा. मैं जोर जोर से लड़की की गांड में धक्के मारने लगा।
कुछ देर बाद मैं झड़ गया, मेरा सारा वीर्य मैंने लड़की की गांड में ही उड़ेल दिया।
‘हाय ! कितना गर्म वीर्य है यह … मजा आ गया। वाह! क्या बात है।” अशी मजे के मारे बोले जा रही थी।
थोड़ी देर बाद हम उठे फ्रेश हुए और खाना खाने बैठ गए। खाना हमने बाहर से ही ऑर्डर किया था।
लड़की की गांड चुदाई की यह एक काल्पनिक कहानी है। मेल सिर्फ कहानी से रिलेटेड हो तो अच्छा रहेगा। फालतू मेल में अपना और मेरा वक्त बर्बाद ना करें।
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