लल्लू बना पड़ोसन के पति का लंड लिया
पति से कुछ होता नहीं था तो मैं एक पड़ोसी से चुदाई का मजा लेती थी. एक बार वो भी बाहर चला गया तो मेरी चूत में लंड की कमी पड़ गयी. मैएँ अपनी गर्म चूत के लिए लंड का जुगाड़ कैसे किया?
अन्तर्वासना सेक्स कहानी with thousands of hindi sex stories in hindi.
पति से कुछ होता नहीं था तो मैं एक पड़ोसी से चुदाई का मजा लेती थी. एक बार वो भी बाहर चला गया तो मेरी चूत में लंड की कमी पड़ गयी. मैएँ अपनी गर्म चूत के लिए लंड का जुगाड़ कैसे किया?
मैंने देखा कि मेरी सहेली और उसकी बड़ी बहन अपनी जवानी की आग अपने बाप से चटवा या उंगली करवा के शांत करती थीं. मेरे जिस्म की गर्मी भी उफान पर थी तो
मेरी उंगली योनि की दरार के ऊपर चने के दाने के साइज़ के भगनासा पर ठहर गयी लेकिन वसुन्धरा के मुंह से जोर-जोर से कराहें … कराहें क्या एक तरह से चीखें निकलने लगी.
हमारे मकान में दो लड़कियाँ अपने बाप के साथ किराये पर रहती थी. एक दिन मैंने उन दोनों को अपने बाप के साथ कमरे में नंगी देखा. मैंने क्या क्या देखा और फिर क्या किया?
किसी काम से मैं बैंक गयी तो मेरी क्लीवेज देख मेनेजर खुश हो गया, उससे मेरी दोस्ती हो गयी, मैं सभी काम के लिए सीधे मैनेजर के पास जाने लगी. एक बार बैंक में वेकेंसी निकली तो
वसुन्धरा के नंगे, गर्म जवान जिस्म को पीछे से रगड़ कर मेरा नंगा जिस्म आग पैदा कर रहा था. मेरा गर्म लिंग उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसके नितम्बों की दरार पर रगड़ खा रहा था.
मेरी मंगेतर पहले मेरी असिस्टेंट थी. मैंने उसे पटाया. विवाह से पहले हम चोरी छुपे खूब मिला कर मस्तियाँ मारा करते थे. इनमें से एक किस्सा कुछ ऐसा हुआ जो बताने लायक है.
मैंने आगे झुक कर वसुन्धरा के दाएं निप्पल को मुंह में लिया और उसे होंठों और जीभ से चुमलाने लगा. वो तत्काल मेरा सर अपने हाथों में ले अपने उरोजों पर दबाने लगी.
मैं मेरे पति से खुश हूँ मगर मेरी सेक्स की भूख घटने की जगह बहुत ज्यादा बढ़ गई. एक बार वे बाहर गए तो तीसरे दिन मैं वासना से पागल होने लगी. मेरी वासना कैसे ठण्डी हुई?
“ओ राज! मुद्दतों तड़पी … बरसों सुलगी, मैं इस पल के लिए.” कह कर वसुन्धरा ने अपने दोनों हाथों से मेरा सर नीचे कर के मेरा चेहरा चुंबनों से भर दिया.