अधूरे सपनों की दास्तान-7

वह नीचे बैठ कर अब मेरी योनि भी चाटने लगा और मैं समझ न सकी कि जो मुझे थोड़ी देर पहले “छी” कहने लायक गन्दा लग रहा था, आखिर उसमे इतना मज़ा क्यों आता है। साथ ही उसने एक उंगली मेरे छेद में उतार दी।

अधूरे सपनों की दास्तान-6

मेरी बहन मेरी चूत की झिल्ली अपनी उंगली से तोड़ चुकी थी. उसके बाद उसने मेरी योनि को साफ़ किया और अब उसके हाथ में एक लम्बा बैंगन था जो वो मेरी बेचारी चूत में घुसाने वाली थी. क्या होगा मेरा?

अधूरे सपनों की दास्तान-5

मेरी बहन मेरी फैली टांगों के बीच औंधी लेट कर हाथ से मेरी योनि के ऊपरी सिरे को सहलाने लगी। मेरे दिमाग में चिंगारियां छूटने लगीं। मैंने कभी सोचा नहीं था कि पेशाब करने वाली जगह में इतना अकूत आनंद हो सकता है।

अधूरे सपनों की दास्तान-4

मैंने अपनी बहन और भी को सेक्स करते देखा तो वे दोनों मुझे समझाने लगे कि वे क्या कर रहे थे. उन्होंने मुझे बताया कि वे दोनों एक दूसरे के यौन अंगों की खुजली मिटा रहे थे. फिर वे मुझे करके दिखाने लगे.

बेटी की कमसिन जवानी-6

पद्मिनी बापू के लंड पर झुक गयी. पहले बापू के कहने पर अपनी जीभ को लंड के ऊपर वाले हिस्से पर फेरा, फिर और एक बार फिर से.. और एक बार.. धीरे धीरे वो अपने बाप का लंड चाटती गयी.

अधूरे सपनों की दास्तान-3

मेरे दोस्त की बीवी मुझे अपने सेक्स जीवन के बारे में बता रही थी. एक बारिश वाली रात में उसने अपनी बहन और भाई को एक अकेले कमरे में नंगे देखा, भाई नंगी बहन के ऊपर लेटा हुआ था और उसके चूतड़ ऊपर नीचे हो रहे थे.

बेटी की कमसिन जवानी-5

बापू आहिस्ते आहिस्ते अपनी बेटी पद्मिनी की जवान कुंवारी चुत की पंखुड़ियों को अपनी उंगलियों से आराम से खोलते हुए अपनी जीभ को चूत के उन मुलायम हिस्सों पर फेर रहा था.. जो ज़्यादा लाल और नाज़ुक होते हैं.

बेटी की कमसिन जवानी-4

मैं टीचर के साथ क्लास में बिल्कुल अकेली थी, तो उसने मुझको किस किया, मेरे जिस्म पर हाथ फेरा. पता नहीं क्यों वह मुझे अच्छा लगा. उसके बाद जब भी मौका मिलता वह मेरा ब्लाउज खोल मेरी चूचियों को चूसता!

अधूरे सपनों की दास्तान-2

हमारे समाज ने सेक्स को टैबू बनाया हुआ है, सौ में से नब्बे लोग इन समाजों में यौनकुंठित और दुखी ही हैं। जबकि पश्चिमी सभ्यता में यह रोजमर्रा का आम व्यवहार है और वे सेक्स को खुल कर जीते हैं और हमारे मुकाबले वे ज्यादा खुश और खुशहाल हैं।

बेटी की कमसिन जवानी-3

पद्मिनी पीठ पर स्कूल बैग लिए हुए बापू के कंधों को पकड़ कर मीठी आवाज़ में बोली- आज क्या हो गया आपको, मुझे स्कूल नहीं जाने दोगे? छोड़िये मुझे, बस करो प्यार करना.. कितना दुलार करेंगे आज आप मेरे साथ?