खड़े लंडों और गीली चूतों को मेरे लंड का प्रणाम. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद कि आपने मेरी पिछली कहानी
डॉक्टर की बीवी के हुस्न का रसपान
को सराहा और उसके बारे में अपनी प्रतिक्रियाएं भी दीं। आप सभी के प्यार ने मुझे एक और घटना लिखने के लिए प्रेरित किया।
अब ज्यादा देर न करते हुए आज की कहानी की शुरूआत करते हैं. बात उसी जगह की है जहां मैं पढ़ाता था। उस समय मैं स्कूल के हॉस्टल में ही रहता था लेकिन कई महीने बाद मैं अपनी बीवी को वहीं लेते आया और एक मकान किराए पर लिया।
जिस मकान में हमें रूम मिला उस मकान का मालिक उम्रदराज था और उसकी दो शादियां हो चुकी थी. उसके पीछे की वजह थी कि उसकी पहली पत्नी से उसको पांच लड़कियां हुईं. उसे घर के वारिस की चिंता सताने लगी और इसलिए उसने दूसरी शादी कर ली.
उसकी दूसरी बीवी बहुत ही गोरी थी. उसको देख कर ऐसा लगता था कि उसका बदन केसर से धुला हुआ है. आप सोच सकते हैं कि उसका रंग कैसा होगा. उसकी बीवी के हर एक अंग में से जैसे रस टपकने को आमादा रहता था.
स्तनों का आकार ऐसा था कि ऐसा लगता था कि चूची नहीं फुटबॉल हों. स्तनों का आकार एकदम से चुस्त और टाइट था. वह तीन बच्चों की मां बन चुकी थी मगर उसको देख कर बिल्कुल भी नहीं लगता था कि वह तीन बच्चों की मां है.
उस मकान मालिक को उसकी दूसरी बीवी से दो लड़कियां और एक लड़का हुआ था. जब उसको लड़का हो गया तो उसकी इच्छा भी पूरी हो गयी थी. जब उसकी बीवी ने एक लड़के को जन्म दिया था तब से ही उसने अपनी उस अप्सरा बीवी की चुदाई करना भी बंद कर दिया था.
इसी कारण से उसकी दूसरी बीवी चुदाई की आग में जैसे हर पल जलती थी. उसकी जवानी उसको चैन से बैठने नहीं देती थी. उसकी चाल और हाव भाव हर वक्त किसी मर्द के स्पर्श को अपनी ओर न्यौता देते रहते थे.
यहां पर संयोग वाली बात ये थी कि उसके बच्चे उसी स्कूल में पढ़ते थे जिस स्कूल में मैं भी पढ़ाता था. यह संयोग मेरे लिये काफी फायदेमंद साबित हुआ जिसके कारण हम मेरा उस मकान मालिक की दूसरी बीवी बसंती से मिलना हो पाया.
बसंती के स्तनों का साइज़ 40 के लगभग था. उसकी कमर 28 की और उम्र केवल 26 वर्ष थी. उसको देख कर ऐसा लगता था कि स्वर्ग की कोई अप्सरा हो. उसकी चुदाई होने से पहले ही मेरा लंड उसकी चूत के सपने देखने लगा था.
उसके बारे में सोच कर मैं कई बार मुठ मार चुका था. कई बार उसको अपने ख्यालों में नंगी करके चोद चुका था. मगर कल्पना तो कल्पना ही होती है. मैं वास्तिवकता में उसकी चुदाई का आनंद लेना चाहता था.
मेरी बीवी भी उसके हुस्न की तारीफ किया करती थी. कई बार मेरी बीवी ने खुद अपने मुंह से कहा था- बसंती को देख कर लगता ही नहीं है कि ये तीन बच्चों की मां है.
मैं अपनी बीवी की बात से पूर्ण रूप से सहमत था. सच में ऐसा ही था. उसको देख कर कोई उसके बारे में अंदाजा नहीं लगा सकता था.
स्कूल से वापस आने के बाद मुझे अक्सर कपड़े फैलाने के लिए छत पर जाना होता था. मेरी दिनचर्या में ये मेरा ये सबसे पसंदीदा काम था. इस बहाने मैं बसंती को देख लिया करता था. उसकी एक झलक पाने के लिए मन बेताब रहता था.
जब उसका पति घर पर नहीं होता था तो वो भी मुझे मुस्करा कर जवाब देती थी. ऐसा होते होते उसके प्रति मेरा आकर्षण प्रतिदिन बढ़ता जा रहा था. उसकी चूत को अपने लंड से रगड़ने के लिए मैं व्याकुल सा रहता था. उसके स्तनों का रस निचोड़ने के लिए मेरे हाथ फड़फड़ाते रहते थे.
मगर मैं कुछ नहीं कर पा रहा था. बस मन मसोस कर रह जाता था.
एक दिन की बात है कि मैं दोपहर में कपड़े फैलाने के लिए छत पर गया हुआ था. उस दिन बसंती का पति शायद बाहर गया हुआ था. वो शाम तक ही वापस आता था. मैं कपड़े सुखाने में व्यस्त था.
तभी मुझे अहसास हुआ कि छत पर कोई और भी है. मैंने उत्सुकतावश पलट कर देखा तो पीछे सीढ़ियों में बसंती खड़ी हुई थी. वो मेरी ओर ही देख रही थी. उसकी नजर में एक अजीब सी कशिश थी.
दोस्तो, आप समझ सकते हो कि जवानी की आग कितनी तेज होती है. इसको रोक कर रख पाना मुश्किल होता है. कुछ ऐसा ही हाल बसंती का भी था. वो भी अपनी जवानी को किसी के हाथों में सौंपने के लिए जैसे तरस रही थी.
जब मेरी नजर उस पड़ी तो मेरी आंखों की पुतलियां बड़ी हो गयीं. मैंने देखा कि वो केवल नाइटी में खड़ी थी. इस पर भी उसने नीचे से ब्रा नहीं पहनी हुई थी. उसके स्तन एकदम से उठे हुए दिख रहे थे. उनको देख कर लग रहा था कि वो मुझे अपनी ओर बुला रहे हैं.
शायद बसंती वहां पर खड़ी होकर मेरे बारे में ही सोच रही थी, जिस कारण उसकी आंखों में वासना के लाल डोरे पड़ गए थे।
मैंने उसे आवाज दी। उसने मेरी आवाज को जैसे सुना ही नहीं. शायद वो किसी और दुनिया में खोई हुई थी जिस कारण बसंती मेरी आवाज़ नहीं सुन पाई।
जब मैं उसके नजदीक पहुंचा तो मेरा माथा ही ठनक गया। उसकी सांसें गर्म थीं और उसके निप्पल्स तन कर खड़े हो गए थे जो नजदीक आने पर मुझे साफ़ दिखाई पड़ रहे थे।
मैंने उसके कंधे पर हाथ रख कर हिलाया तो वो मुझे अपने सामने देख कर पहले तो हड़बड़ा गई लेकिन फिर अपने आप को संभालते हुए बोली- क्या?
मैंने बोला- भाभी आपकी तबीयत ठीक है ना? कुछ परेशानी तो नहीं है ना? अगर कोई परेशानी है तो बताइए मुझे.
मैं ये सब बोलते हुए बसंती के चूचों को अपनी आंखों से ही जैसे चूस रहा था। मेरा लन्ड भी कड़कड़ा कर टनक गया था जो मेरी पैंट के अंदर से साफ झलक रहा था।
बसंती बोली- नहीं तो, ऐसी कोई बात नहीं है।
मैं बोला- भाभी, आपकी आंखें बहुत कुछ बोल रही हैं। आप जो कुछ भी सोचते हैं वो सब आपकी आंखों में दिख जाता है। ये सिर्फ आप पर ही नहीं बल्कि सब पर लागू होता है।
भाभी मुझसे पूछ बैठी- तो आप बताओ मैं क्या सोच रही थी?
मैंने कहा- भाभी मैं अगर सच बोल दूं तो हो सकता है आप बुरा मान जाओ।
भाभी फिर बोली- नहीं मैं बिल्कुल भी बुरा नहीं मानूंगी आपकी बात का, आप बताओ तो सही कि मैं क्या सोच रही हूं?
तब मैं बसंती के एकदम नजदीक (इतना नजदीक कि उसके गोरे पहाड़ जैसे स्तन मेरे सीने से छू रहे थे और मेरा लंड टनटना रहा था उसकी चूत की चटनी बनाने के लिए) आकर बोला- भाभी आप ना एकदम से अप्सरा हो, जिसे देखकर ही कोई भी मचल जाएगा, आपके हुस्न की गर्मी में कोई भी पिघल जाएगा, इतना बवाल हुस्न है आपका।
भाभी मुस्कराते हुए बोली- सर जी, कहीं आप तो नहीं पिघल रहे हैं मेरे हुस्न की गर्मी में? मुझे तो ऐसा लग रहा है जैसे आपको अगर मैं थोड़ी सी भी इजाज़त दे दूं तो आप मेरे ऊपर बौछार कर देंगे अपने प्यार की.
बसंती ये बोल भी नहीं पाई थी पूरी तरह से और मैंने बिना कुछ सोचे समझे उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा जिसके कारण उसके स्तन मेरे सीने से आकर चिपक गए और बसंती ने अपने हाथ मेरी कमर पर रखकर उसे जकड़ लिया।
मैंने कहा- भाभी, मैं कौन सा ब्रह्मचारी हूं जो आपके मदभरे हुस्न के सामने ना पिघलूं। हालत तो मेरी भी ऐसी ही है कि आपके सामने आते ही बदन में जैसे आग जलने लगती है.
चूंकि बसंती भाभी एक जवान मर्द से चुदवाने की सोच रही थी, उसका पति बूढ़ा था और उसकी चूत प्यासी थी और उसका जिस्म एक मर्द के स्पर्श के लिए तड़प रहा था.
वो नखरे दिखाते हुए बोली- क्या कर रहे हैं? छोड़िए हमें। कोई देख लेगा तो क्या बोलेगा। छोड़िए सर जी हमें, नहीं तो आपकी बीवी को बता देंगे।
मैं जानता था कि बसंती ये सब नाटक करते हुए बोल रही थी. इसका अंदाजा मुझे उसकी हरकत से हो रहा था. वो एक तरफ तो अपने हाथ को मुझसे छुड़वाने की कोशिश कर रही थी और दूसरी ओर नीचे ही नीचे अपनी चूत को मेरी पैंट में तने हुए लंड से टच करवा रही थी.
अब मेरे अंदर भी हवस का भूत सवार हो चुका था.
मैंने कहा- भाभी, अब आप बुरा मानो या अच्छा, आप के हुस्न का मैं दीवाना हो गया हूं। अब तो लगता है कि अभी के अभी इसी जगह सीढ़ी पर खड़े खड़े आपके इस मदमस्त हुस्न के सागर में डुबकी लगा दूं। कसम से आप भी कहोगे कि किस मर्द से पाला पड़ गया!
मेरी बातों से अब तक बसंती भाभी को ये अहसास हो गया था कि मेरे अंदर उसके हुस्न की आग भभक रही है. अगर वो थोड़ा लिफ्ट दे देगी तो मैं उसे यहीं पर खड़े खड़े ही चोद डालूंगा.
मगर वह दोपहर का वक़्त था और मेरी बीवी मुझे नीचे से आवाज भी देने लगी थी.
इस कारण बसंती मुझे धक्का देते हुए बोली- रुकिए आपकी बीवी से ये सारी बातें बताते हैं कि आप मेरे साथ छत पर क्या कर रहे थे।
इतना बोलकर वो दौड़ते हुए अपने रूम में घुस गई और दरवाजे को बंद कर लिया। मैं वहीं पर अपना सिर पकड़ कर बैठ गया और दिमाग में तरह तरह की बातें आने लगीं जिस कारण मेरे सिर में दर्द होने लगा।
मैं कपड़े फैला कर नीचे जाने लगा और जैसे ही बसंती के दरवाजे के पास पहुंचा वो थोड़ा सा दरवाजा खोल कर बनावटी गुस्सा करते हुए धीरे से बोली- मैं आ रही हूं थोड़ी देर में नीचे आपकी बीवी को बताने।
इतना बोल कर भड़ाक से उसने दोबारा से अपने रूम का दरवाजा बंद कर लिया। मेरी हालत ‘काटो तो खून नहीं’ वाली हो गई। सीढ़ी से मैं उतरा ही था कि वो फिर आई और ऊपर से अपना गला खखारते हुए मेरी तरफ उंगली दिखाते हुए मुंह बनाने लगी।
मैं चुपचाप अपने रूम में चला गया और खाना खाकर बिस्तर पर लेट गया। मेरी बीवी भी आकर मेरे बगल में लेट गई। कुछ दिन तक मैं चुपचाप छत पर जाता था और कपड़े फैला कर वापस आ जाता था.
बसंती भाभी मुझे छत से देखती थी लेकिन मैं बिना कुछ बोले ही आ जाता था. वो रोज मुझे स्कूल आते जाते भी देखती थी लेकिन मेरे में हिम्मत नहीं होती थी कि उससे आंखें मिला पाऊं.
कहानी अगले भाग में जारी रहेगी. कहानी पर अपनी राय देने के लिए आप नीचे दी गयी ईमेल आईडी पर मैसेज करें. अपनी प्रतिक्रयाएं आप कमेंट बॉक्स में भी दे सकते हैं.
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