हरियाणा सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि मेरे घर के बगल में एक सांवली लड़की रहती थी. वो मुझ पर लाइन मारने लगी तो मैंने उसको अपना लंड दिखा दिया. उसके बाद क्या हुआ?
नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम राज है और मैं रोहतक (हरियाणा) से हूं.
मैं फिर से आपके सम्मुख हाजिर हूं. ये मेरी अंतिम कहानी है. अंतिम इसलिए कह रहा हूं क्योंकि मुझे कहानी लिखने का समय बहुत कम मिलता है.
दूसरा कारण है कि जिस भी भाभी के बारे में मैं लिखता हूं तो भाई लोग मेरी ईमेल में मैसेज की भरमार कर देते हैं और भाभी का नम्बर मांगने लगते हैं. उसकी चूत दिलाने की बात करने लगते हैं. इसलिए मैं अब कहानियां लिखना बंद करने की सोच रहा हूं.
अपने बारे में मैं आपको पहले भी बता चुका हूं लेकिन जो पाठक नये हैं उनके लिये बता दूं कि मैं रोहतक के पास ही एक गांव से हूं. मैं खूब मस्तीखोर इन्सान हूं. मेरी हाइट 6 फीट है. मेरा रंग गोरा है. घर में मैं और मेरे मां-बाप हैं. मेरी एक बहन भी है जिसकी शादी हो चुकी है.
ये हरियाणा सेक्स कहानी सितम्बर 2018 की है. हमारे घर के पास में ही एक परिवार रहता था. उसमें एक अंकल, आंटी और उनकी बेटी मौनी!
मौनी के दो भाई थे.
मौनी का नाम मैंने काल्पनिक रखा है. मौनी मंझली औलाद थी. उसका एक भाई उससे बड़ा था और एक छोटा.
उनके घर की दीवार हमारे घर की दीवार से सटी हुई थी. मौनी 23 साल की थी. तब वो कुंवारी थी लेकिन अब तो उसकी शादी होकर वो अपने ससुराल जा चुकी है.
उसके बड़े भाई की शादी चुकी है. उसका बडा़ भाई और भाभी नीचे सोते थे. मौनी और उसकी मां ऊपर सोते थे. उसके पिताजी नीचे बैठक वाले कमरे में ही सो जाया करते थे.
मौनी का छोटा भाई सोनीपत में एक अकेडमी में था और वो वहीं पर रहता था.
उसके पापा और भाई खेती का काम करते थे. उसके भाई और पापा से मेरी एक दो बार बात हो जाती थी. मगर केवल काम से ही बात होती थी उसके अलावा कुछ नहीं.
उनके घर में बाकी सब काम ऊपर ही होता था. उनकी रसोई और बाथरूम वगैरह सब ऊपर ही बना हुआ था. उसका भाई और उसके पापा नीचे केवल सोने के लिए आते थे.
अब मैं अपने घर की बात बता दूं.
हमारे घर में एक तरफ भैसों का कमरा बना हुआ है. उस कमरे की छत मौनी के घर की छत से मिली हुई थी. दो साल से वो कमरा खाली था क्योंकि अब हम भैंस वगैरह नहीं रखते थे.
मौनी के घर में जो छत पर जाने की सीढ़ियां वो हमारे घर की दीवार के साथ ही लगी हुई थीं. जब भी वो लोग ऊपर नीचे जाते थे तो हमें दिख जाया करते थे.
पहले मैं मौनी पर ध्यान नहीं देता था क्योंकि मेरी कई गर्लफ्रेंड थीं और मेरे यार दोस्त भी बहुत थे.
सारा टाइम ऐसे ही घूमने फिरने में निकल जाता था.
सप्ताह में दो बार तो मैं अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने दिल्ली जाता था.
अब आपको मौनी के बारे में बता दूं. वो सांवले रंग की लड़की थी. उसकी चूची छोटी थी और शरीर भी दुबला पतला था. उसने 12वीं के बाद पढ़ाई बंद कर दी थी और अब वह घर का काम ही संभाल रही थी.
कई बार छत पर जाते हुए वो मुझे देखा करती थी और देखती ही रहती थी.
मैं उसको हाथ से इशारा करके पूछता कि क्या हुआ तो वो मुस्करा कर अंदर चली जाती थी.
कभी कभी सुबह उठता था तो मुझे हाथ जोड़कर राम राम कर देती थी.
मैं भी मुस्करा देता था.
ऐसे ही करते करते दो महीने निकल गये.
मैं उससे बात करने की सोचता भी तो ये समझकर पीछे हट जाता था कि पड़ोस की ही बात है. अगर किसी को कुछ पता लग गया तो बदनामी हो जायेगी.
हरियाणा में लड़कों की बदनामी भी उतनी ही मानी जाती है. लड़कियों की तो बहुत ज्यादा होती है. इसलिए मैं मौनी के इशारों को अनदेखा कर देता था.
मैं नहीं चाहता था कि इसको चोदने के चक्कर में कुछ पंगा हो जाये.
एक दिन मौनी ने कुछ ऐसा कहा कि मैं दंग रह गया.
सुबह 10 बजे की बात है कि मैं अपने भैंसों वाले कमरे की साइड में ही था. उस वक्त मौनी छत से कपड़ों का टब लिये नीचे उतर रही थी.
वो मुझे देखकर मुस्कराई तो मैंने उसको आगे देखने का इशारा किया.
मौनी बोली- बहनचोद! इतने भाव क्यों खा रहा है? हिम्मत कोन्या? (हिम्मत नहीं है क्या?)
उसके मुंह से ये शब्द सुनकर मुझे तो यकीन ही नहीं हुआ.
मैं तो उसको सीधी सादी शरीफ समझता था लेकिन ये तो पूरी तेज निकली.
मैं उसकी बात पर हंसने लगा और वो झल्लाकर नीचे चली गयी.
उसके बाद दो मिनट के बाद फिर से ऊपर आई और खड़ी होकर देखने लगी.
फिर वो अंदर चली गयी.
उसके दो मिनट के बाद फिर वो नीचे आने लगी.
मैं अपने फोन में लगा हुआ था.
एकदम से उसने एक कागज का टुकड़ा मेरी ओर फेंका.
उसने कागज को एक कंकड़ पर लपेटा हुआ था.
वो तुरंत नीचे भाग गयी.
मैंने कागज उठाया तो उस पर एक फोन नम्बर लिखा था. एक बार तो सोचा कि कागज फाड़ दूं. मगर फिर कामदेव ने असर दिखाना शुरू कर दिया.
फिर ख्याल आया कि प्यासा कुएं के पास जाता है. मगर यहां तो कुआं खुद आ रहा है पानी पिलाने … तो पी लेना चाहिए।
तभी मैंने वो नम्बर फोन में डायल कर लिया और कागज फाड़ दिया.
उसके दो मिनट बाद ही वो फिर से ऊपर आती हुई दिखी.
मौनी के हाथ में की-पैड वाला मोबाइल था. वो उसको लेकर छत पर यहां वहां घूमने लगी.
मैं जान गया कि इसकी चूत में पूरी खुजली मची हुई है.
मैंने फोन मिलाया तो उसने पहली ही रिंग में उठा लिया.
उसने कहा- हैलो?
मैंने भी हैलो किया.
तो वो बोली- इतना भाव क्यों खा रहा है?
मजाक के अंदाज में मैं बोला- भाव क्या होता है, मैं तो रोटी खाता हूं.
वो हंसने लगी.
मौनी बोली- कितनी सेट कर रखी हैं?
मैं बोला- क्या?
वो बोली- लड़की, और क्या?
मैंने कहा- एक भी नहीं.
वो बोली- झूठ! एक भी नहीं है तो काम कैसे चलाता है तू अपना?
मैं बोला- मुठ मार लेता हूं. और अब तो तू भी आ गयी है.
वो बोली- हप्प … मुठ कैसे मारता है?
मैं बोला- दिखाऊं?
वो बोली- हां.
मैंने कहा- मैं भैसों वाले कमरे में जा रहा हूं. तुम दो-तीन सीढ़ी उतर कर नीचे आ जाओ.
वो बोली- ठीक है.
कान पर फोन लगाए हुए मैं कमरे में घुस गया और मौनी थोडी़ नीचे आ गयी.
उसके सामने आते ही मैंने पैंट की चेन खोल ली और लंड को बाहर निकाल लिया. वो फोन लाइन पर ही थी और मेरा लंड उससे बात करते करते खड़ा हो गया था.
मैंने लंड को निकाला और हाथ की मुट्ठी ऐसे बनायी कि वो गोल छेद लगे. मैंने उससे बोला कि ये छेद तुम्हारी चूत है और ये मेरा लंड अब तुम्हारी चूत में जायेगा.
वो बोली- तुम तो बड़े बेशर्म हो.
मैं बोला- तुम नहीं हो क्या?
फिर वो हंसने लगी.
मैं बोला- देख, अब ये लंड तेरी चूत में घुसकर इसको फाड़ देगा.
वो मेरे लंड की ओर देख रही थी और उसके कान से फोन लगा हुआ था जिस पर मेरी बात उस तक पहुंच रही थी.
उसके सामने ही मैं लंड की मुठ मारने लगा. दोस्तो, मुठ मारने में तब और ज्यादा उत्तेजना होती है जब कोई लड़की सामने से देख भी रही हो.
तभी वो बोली- तुम्हारी मां!
वो एकदम से नीचे चली गयी.
मैंने भी बिजली की गति से चेन बंद की और लंड को अंदर करके घूम गया और फोन पर नकली बात करते हुए बोला- हां … हां … ठीक है, मैं बात करके बताता हूं.
मां आई और बोली- रोटी खा ले.
मैंने कहा- आता हूं मां.
इतना बोलकर मां चली गयी.
तब मैंने मौनी को फोन करके कहा कि मैं कुछ देर के बाद बात करूंगा.
फिर अंदर जाकर मैं खाना खाने लगा.
उस दिन के बाद से अब मौनी से रोज ही मेरी सेक्सी बातें होने लगीं. वो अपनी सहेलियों के बारे में बताती थी कि किसकी सेटिंग किसके साथ है. मैं रोज उसको लंड दिखा देता था. उसको शर्ट ऊपर उठाने का इशारा करता था.
वो भी शर्ट ऊपर उठाने को मना नहीं करती थी और अपनी चूचियां दिखाकर मेरी मुठ मरवा देती थी.
इस तरह से रोज ही उसकी चूची देखकर मेरा पानी निकल जाता था.
मैं उससे मिलने की कहने लगा.
वो डरती थी क्योंकि उसके घर में हर वक्त कोई न कोई इन्सान रहता ही था.
वो महीने दो महीने में अपनी मां के साथ रोहतक जाती थी.
रोहतक में खरीददारी करने जाती थी और कई बार अपनी मां का चेक-अप करवाने जाती थी क्योंकि उसकी मां को ब्लड प्रेशर की दिक्कत रहती थी.
बस इसके अलावा वो और कहीं बाहर नहीं जाती थी.
एक दिन जब उसका फोन आया तो मैंने कहा कि जब मैं इशारा करूं तो मेरे घर आ जाये.
वो बोली- मैं नहीं आऊंगी. मुझे तेरी नियत ठीक नहीं लग रही है. मुझे वो काम नहीं करना है जो तू सोच रहा है.
मैं गुस्से में बोला- ठीक है, अगर तुझे भरोसा नहीं है तो आज के बाद मत करना मुझे फोन.
ये कहकर मैंने फोन काट दिया.
फिर उसके बाद एक दो दिन बाद तक तो उसका फोन नहीं आया लेकिन दो दिन के बाद वो फिर से कॉल करने लगी.
मैंने उसका फोन नहीं उठाया.
वो मैसेज में लिखकर भेजती कि फोन उठा लो, मगर मैं जवाब नहीं देता था.
एक दिन फिर वो लगातार फोन करती रही.
मैंने सोचा कि फोन उठाकर कह देता हूं कि मुझे फोन ना करे.
जब मैंने कॉल उठाया तो वो सॉरी कहने लगी.
मैं बोला- जब तुम्हें मैं गलत लगता हूं तो किसलिए मेरे से बात कर रही हो? हमारा बात करना ठीक नहीं है. तुम मेरे पास फोन मत करना आगे से. पड़ोस का काम है. बदनामी हो जायेगी.
इतनी बात पर वो रोने लगी और बोली- मैंने तो वैसे ही बोल दिया था. बस दोस्त बन जाओ मेरे. मैं आगे से कुछ नहीं कहूंगी मगर ऐसे नाराज मत हो।
मैं बोला- ठीक है, मैं तुम्हें किस करने की भी नहीं कहूंगा. तुम्हारा कोई काम हो तो बताना. अब हम दोस्त रहेंगे.
फिर वो खुश होकर बोली- किस तो तुम्हारी बनती है.
वो फोन पर ही मुझे किस करने लगी.
फिर मैं बोला- ठीक है, अगर तुम करना ही चाहती हो तो आज ही करो फिर.
वो बोली- आज कैसे?
मैंने कहा- वो मैं तुम्हें बता दूंगा कि कैसे क्या करना है!
उसके बाद मैंने फोन रख दिया. मगर उस दिन हमारी किस नहीं हो पाई. फिर उसके बाद से रोज मौनी मुझे ऊपर आते जाते फ्लाइंग किस करने लगी. फिर मैंने भी सोच लिया कि इसको किसी दिन अच्छे से चूसूंगा.
फिर एक रात को 9 बजे के करीब मौनी का भाई और उसकी भाभी नीचे चले गये. मेरा ध्यान वहीं था कि मौनी की मां नीचे जाये और मैं उनके ऊपर जाऊं.
थोड़ी देर के बाद फिर मौनी की मां भी नीचे चली गयी. अब मौनी अकेली ऊपर थी. अब मेरे अंदर हवस पहले से ही जागी हुई थी. मेरे लंड में आधा तनाव तो पहले से ही आ चुका था.
मैंने अपने भैंसों वाले कमरे पर सीढ़ी लगाई और कमरे के ऊपर छत पर बैठ गया. मौनी और हमारी छत के बीच में केवल एक ढाई फीट की दीवार ही थी.
उसके बाद मैं सरक कर पास गया और झांक कर देखा तो मौनी अंदर कमरे में लेटी हुई थी.
मैंने फोन किया तो उसने उठाया.
मैंने कहा- हमारी छत की तरफ आओ।
ये बोलकर मैंने फोन काट दिया.
वो दो मिनट बाद दीवार के पास आयी और बोली- मरवावगा कती! (मरवाएगा तू तो बिल्कुल)
धीरे से मैंने कहा- नहीं, तू मर गई तो मेरा क्या होगा … बस एक किस दे दे और फिर मैं चला जाऊंगा.
तो वो बोली- मेरी माँ कभी भी ऊपर आ सकै है और तुम दिख गए तो फिर देखना क्या शामत आ जायेगी!
मैं बोला- इतनी देर में तो किस हो भी जाती यार … जल्दी कर … इधर आ जा हमारी छत पर और किस दे दे फटाफट.
वो बोली- रुक, एक बार देखकर आती हूं मां को.
फिर वो नीचे चली गयी.
थोड़ी देर के बाद वो ऊपर आयी और सीधी मेरे पास आ गयी. वो मेरे पास आकर बैठ गयी.
वो बोली- जो करना है जल्दी कर ले, मेरी मां कभी भी ऊपर आ सकती है. अगर पकड़े गये तो बहुत मार पड़ेगी.
मैं कुछ नहीं बोला और अपने चेहरे को उसके चेहरे के पास ले गया.
फिर उसके निचले होंठ को अपने होंठों में कैद कर लिया.
अब मौनी ने आंखें बंद कर लीं और हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे.
मौनी फिर एकदम से उठ गयी और बोली- ठीक है अब जाओ.
उठकर वो दीवार के ऊपर से अपने घर चली गई और मैं भी नीचे उतर कर अपने घर में घुस गया।
किस के बाद तो मौनी जैसे मेरी दीवानी सी हो गयी थी.
वो मुझे फोन करके किस देने लगी.
अगली शाम को कुछ नहीं हुआ फिर.
फिर अगले दिन फोन पर वो बोली- कल भाई ने मेरा फोन ले लिया था और मैं उस वजह से डर गयी थी कि कहीं तुम कॉल न कर दो!
मैं बोला- पागल, मैंने कभी बिना तुम्हारे पूछे फोन किया है क्या तुम्हें?
वो बोली- तो ठीक है, आज जब मैं तुम्हें फोन करके ऊपर बुलाऊंगी तो तब तुम उसी टाइम पर आ जाना.
फिर मैंने कहा- ठीक है, मगर तुम ज्यादा जल्दी में मत करना कुछ. आराम से करेंगे.
वो बोली- तभी तो कह रही हूं कि जब मैं फोन करूं तभी तुम आना.
इतनी बात होने के बाद हमने कॉल खत्म की.
उसके बाद मैं रात होने का इंतजार करने लगा.
मेरा लंड बार बार मौनी की चूत के बारे में सोच सोच कर मुंह उठा रहा था.
मैं बस उसकी चुदाई कर देना चाह रहा था अब मगर उसकी मर्जी से।
किसी तरह से रात के 10 बजे.
फिर थोड़ी देर के बाद मौनी का फोन आया और वो कहने लगी- ऊपर आ जाओ, मां सो चुकी है.
जवाब में मैं बोला- ठीक है, मैं तो बस आ गया समझो.
उसके बाद मैंने फोन को ऊपर कमरे में ही रख दिया.
मैं आपको बताना भूल गया कि हमारे घर में पांच कमरे हैं. चार नीचे हैं और एक ऊपर है.
रात को मैं ऊपर ही सोता था. मैं रात के समय अंडरवियर और बनियान में ही होता था. तो ऐसे ही मैं अंडरवियर और बनियान पहने हुए चल दिया.
मैं घर की पिछली साइड से नीचे उतरा और भैसों के कमरे के पास सीढ़ी लगाई और मौनी के घर की छत के पास चढ़ गया.
मौनी भी जल्दी से आई और हमारी छत की दीवार के पास आकर बैठ गयी.
मेरी हरियाणा सेक्स कहानी पर अपनी राय जरूर दें कि आपको कैसी लग रही है. मुझे मेरे ईमेल पर मैसेज करें. आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार करूंगा.
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हरियाणा सेक्स कहानी का अगला भाग: आख़िरकार चुद ही गयी हरियाणवी छोकरी-2