सेक्सी जवानी की कहानी में पढ़ें कि पति से सेक्स में नाखुश एक जवान लड़की ने एक युवा लड़के से अपने जिस्म को खुश करने की कोशिश की. लंड तो मिला … अधूरी चुदाई की कसक-2
मैं आपकी कोमल आपके सामने अपनी एक और सेक्सी जवानी की कहानी लेकर हाज़िर हूँ।
मैं हमेशा सत्य घटनाओं पर ही कहानी लिखती हूँ क्योंकि बनावटी कहानियां लिखना और पढ़ना मुझे पसंद नहीं।
मेरी सहेलियों दोस्तों से मुझे जो बात पता चलती है उसे ही आप लोगों तक पहुँचा देती हूँ।
तो दोस्तो, चलते है आज की सेक्सी जवानी की कहानी की तरफ।
आज की कहानी है रंजीता की जो मेरी एक सहेली की कॉलेज फ्रेंड है।
रंजीता एक शादीशुदा औरत है. मगर अपने पति के द्वारा खुश न होने और अपने जिस्म की आग को शांत न कर पाने के कारण उसने कुछ बाहरी लोगों से रिश्ता बना लिया।
तो आगे की कहानी आप रंजीता की जुबान से पढ़िये।
दोस्तो, मेरा नाम रंजीता है और मेरी उम्र 25 साल है। मेरा फिगर 36-30-36 का है। रंग गोरा और कद 5 फिट 5 इंच।
मैं अपने कॉलेज के समय से ही सेक्स करने लगी थी. मेरे 2 बॉयफ्रेंड हुए, उनसे मुझे सेक्स का काफी सुख मिला।
सेक्स मेरी जिंदगी का अहम हिस्सा ही है क्योंकि मैं सेक्स में काफी रुचि लेती हूँ।
मगर शादी के बाद मेरी सेक्स लाइफ काफी बोर हो गई, जैसा मैंने सोचा था मेरे पति सेक्स में उतने मजेदार नहीं निकले।
न तो उनका लंड और न ही चुदाई करने का टाइम दोनों ही बहुत कम थे।
मैं कभी भी उनसे सेक्स में संतुष्ट नहीं हो पाई। वो मुश्किल से 2 मिनट भी नहीं टिक पाते थे और मैं वैसी ही प्यासी रह जाती थी।
मेरे पति एक कंपनी के काम करते हैं और हम लोग अपने परिवार से अलग शहर में रहते हैं।
घर में मैं और मेरे पति ही रहते हैं।
उनके काम में जाने के बाद मैं घर पर ही रहती; और घर का ही काम में अपना समय काटती।
मेरे मन में तो बहुत बार आया कि कोई दोस्त बना लूं; मगर कभी कोई ऐसा मिला नहीं।
शादी को 3 साल हो गए; अभी तक बच्चे भी नहीं हुए. जब भी घर जाती तो सास पूछती. मगर मेरे पास उसका कोई जवाब नहीं होता।
फिर अचानक से मेरी जिंदगी ने करवट ली और मेरी सेक्स की जरूरत पूरी होने लगी।
हुआ ऐसा कि मेरे घर के समाने एक अध्यापक रहते थे. वो अपने घर पर काफी सारे लड़को को कोचिंग देते थे।
कॉलेज के बहुत सारे लड़के उनके यहाँ पढ़ने आया करते थे।
मैं हमेशा किसी न किसी काम से या ऐसे ही अपने घर की छत पर जाया करती थी।
शुरू में तो मैंने गौर नहीं किया.
मगर एक दिन जब मैं शाम को छत पर टहल रही थी तो मैंने गौर किया कि एक लड़का अध्यापक जी के घर के सामने अपनी बाइक पर बैठा मुझे ही देख रहा था।
पहले तो मैंने ध्यान नहीं दिया मगर वो बस मुझे ही देखे जा रहा था। कई बार वो मुझे देख कर मुस्कुरा भी रहा था।
फिर कुछ देर बाद मैं अंदर चली आई।
इसके बाद तो मैं रोज ही उसे वही देखती. कई बार तो कोचिंग बंद रहती मगर वो जरूर आता।
मैं समझ गई कि ये मुझे लाइन मारता है। उसकी निगाहें बस मेरी छत पर ही टिकी रहती थी।
अपने जिस्म की आग से मजबूर मेरे अंदर भी उसके प्रति सुगबुगाहट होने लगी. वो भी एक हट्टा कट्टा लड़का था; दिखने में भी हैंडसम।
अब तो मैंने मन बना लिया कि इसको ही अपना दोस्त बनाऊँगी।
मैं भी अब उसे देख कभी कभी मुस्कान देने लगी।
उसे तो जैसे इसी बात का इंतजार था।
बात और आगे बढ़ी और एक दिन उसने अपना फोन नम्बर एक कागज पर लिख कर मेरी छत पर फेंक दिया।
उसके जाने के बाद मैंने उस नम्बर पर फ़ोन लगाया और फिर हमारी रोज ही बात होने लगी।
उसका नाम सचिन था और वो 19 साल का था।
धीरे धीरे हमारे बीच चुदाई की बात भी होने लगी।
अब तो हम दोनों ही बेताब रहने लगे कि किस तरह से मिले।
फिर एक दिन मैंने अपने पति के काम पर जाने के बाद उसे अपने घर आने को कहा और वो तैयार भी हो गया।
मेरे पति के जाने के बाद सुबह 10 बजे वो पीछे के दरवाजे से आ गया।
उस वक्त मैं नहा कर बाहर निकली थी और केवल गाउन ही पहने थी. अंदर न चड्डी और न ब्रा, अंदर से पूरी तरह नंगी ही थी।
कुछ समय तक हम दोनों ने बात करते हुए चाय पी।
फिर उसने मुझे अपनी आगोश में ले लिया वो काफी मजबूत शरीर का लड़का था. उम्र में भले ही मुझसे छोटा था मगर एक मस्त जवान लड़का था।
उसने मुझे बेडरूम ले जाकर तुरंत ही मुझे नंगी कर दिया वो बहुत ही ज्यादा उतावला लग रहा था।
मुझे बिस्तर पर लेटा कर मुझे हर जगह चूमने लगा उसके बर्ताव से ही लग रहा था कि वो इस खेल में अभी अनाड़ी था।
उसने भी जल्दी से अपने कपड़े उतार दिए.
उसके कपड़े उतारते ही मेरी निगाहें सीधे उसके लंड पर गई और मैं उसके लंड को देख कर शांत सी हो गई।
दोस्तो, उसके शरीर के हिसाब से उसका लंड बिलकुल भी नहीं था।
मुश्किल से 4 इंच और पतला सा लंड देख मैं थोड़ी उदास सी हो गई। उसके और मेरे पति के लंड में ज्यादा फर्क नहीं था।
कपड़े उतार कर तुरंत ही वो मेरे ऊपर आ गया और मेरी चूत में लंड लगा कर धक्का दे दिया।
एक बार में ही पूरा लंड मेरी चूत में समा गया।
वो जल्दी जल्दी मुझे चोदने लगा। उसके चोदने से मुझे कुछ खास मजा नहीं आ रहा था।
मुश्किल से एक मिनट में वो मेरे अंदर ही झड़ गया। संतुष्ट होना तो दूर … मुझे पता भी नहीं चला कि उसने मुझे चोदा है।
मैं काफी निराश हो गई।
इस बात को वह भी समझ गया और बिना कुछ बोले उसने अपने कपड़े पहने और चला गया।
उसके बाद हम लोग फ़ोन पर तो बात करते थे मगर न उसने मुझसे मिलने को कहा और न मैंने ही उसे बुलाया।
हम दोनों में ऐसे ही दोस्तों वाली बात होती थी।
ऐसे ही एक दिन हम दोनों बात कर रहे थे कि उसने उस दिन की चुदाई वाली बात उठा दी।
और मैंने उससे सब कुछ साफ बता दिया- मैं शुरू से ही लंबे और मोटे लंड पसंद करती हूं. मगर तुम अभी बहुत छोटे हो इस मामले में तुम मुझे संतुष्ट नहीं कर पाओगे।
मेरी इन बातों को सुन कर उसने मुझसे कहा- मैं इस मामले में तुम्हारी एक मदद कर सकता हूँ. अगर तुम चाहो तो!
मैंने पूछा तो उसने कहा- मेरे एक दोस्त हैं. उनके घर मैं हमेशा बीयर पीने जाया करता हूँ. उनकी उम्र 45 साल है और वो अपने घर पर अकेले ही रहते हैं। उन्होंने भी कई बार कहा था कि मेरी किसी से दोस्ती करवा दो।
उसकी ये बात सुनकर मेरी समझ में नहीं आया कि मैं क्या जवाब दूँ।
फिर मैंने सोच कर बताने को बोल दिया।
कई दिन ऐसे ही निकल गए और मैं वैसी ही सेक्स की भूखी रही। कई बार उसकी कही बात याद करती.
मगर मैं किसी ऐसे आदमी के साथ ये सब नहीं करना चाहती थी जो मेरी उम्र से दुगना हो। मगर हमेशा मैं उस बात को सोचा करती थी।
फिर अचानक से जनवरी 2014 को मेरे पति को कंपनी के काम से बाहर जाना पड़ गया।
5 दिन मुझे घर पर अकेली ही रहना था।
मैंने सोचा कि क्यों न सचिन को ही बुला लिया जाए. मगर फिर सोचा कि उसको बुलाने का फायदा भी क्या है।
पति के जाने के बाद पहली रात मैं अकेली ही थी रात में फ़ोन पर नंगी फिल्म देख रही थी।
काफी देर तक फ़िल्म देखते हुए मैंने एक फ़िल्म में देखा कि एक अधेड़ उम्र का आदमी एक कमसिन जवान लड़की को बहुत बुरी तरह चोद रहा था और वो लड़की भी पूरा मजा ले रही थी।
उस फिल्म को देखते ही मुझे सचिन की बात याद आ गई। उस फ़िल्म ने उस दिन मेरी सोच ही बदल कर रख दी।
मैंने सोचा कि जो सुख मुझे चाहिए वो एक नया लड़का शायद ही दे पाए। अगर किसी अनुभवी आदमी से दोस्ती हो गई तो वो मुझे बहुत मजा दे सकता था।
उसी समय मैंने फैसला ले लिया कि अब मैं ऐसे ही आदमी से दोस्ती करूंगी.
और सचिन जिस व्यक्ति के बारे में बता रहा था, मैं उसे ही आजमाना चाहती थी।
मैंने तुरंत ही सचिन को फोन लगाया. कुछ देर अपनी बात करने के बाद मैंने सचिन से उसके बारे में पूछा.
तो उसने कहा- मैंने तो पहले ही बता दिया था. जवाब आपको ही देना है।
मैंने तुरंत सचिन को हाँ कह दिया और कहा कि उन्हें मेरा नम्बर दे देना।
सचिन को पता नहीं क्या हुआ उसने तुरंत ही मेरा नंबर उन्हें दे भी दिया।
उसने कहा कि कुछ समय बाद वो आपको फ़ोन करेंगे।
रात 11 बजे तक मैं इतंजार करती रही।
11 बजे मेरे फोन पर अंजान नम्बर से फोन आया।
मैं समझ गई कि उन्ही का फोन होगा।
मैंने फ़ोन उठाया सामने से एक मोटी सी आवाज आई.
हम दोनों में पहले सामन्य बात होती रही. उनका नाम विक्रम सिंह था।
रात 2 बज गए और दोनों बात करते रहे।
धीरे धीरे बात का रुख सेक्स की तरफ हुआ और सेक्स की आग दोनों तरफ लगनी शुरू हो गई।
पहले हम दोनों ही सभल सम्भल कर बात कर रहे थे; फिर खुलते चले गए। और खुल कर चुदाई तक बात पहुँच गई।
वो बात से ही काफी सेक्सी लग रहे थे। मैं भी अपनी शर्म छोड़ खुल कर उनके सवाल का जवाब दे रही थी।
उस रात उन्होंने मुझे फ़ोन में ही चोद डाला था।
मैं अपनी चूत में उंगली करती रही और कब सुबह के 4 बज गए पता नहीं चला।
अब वो मुझसे मिलने के लिए व्याकुल हो गए थे और हमारे बीच अगली रात मिलने का प्रोग्राम फिक्स हो गया।
अगली सुबह मैं 10 बजे सोकर उठी नहा धोकर फुर्सत ही हुई कि सचिन का फ़ोन आया और उसने बताया कि वो उन्हें लेकर 8 बजे मेरे घर आएगा।
दिन भर मैं रात होने का इंतजार करती रही।
मेरे दिल में एक डर भी था क्योंकि पहली बार किसी इतने बड़े उम्र के मर्द से मेरा सामना होने वाला था।
पता नहीं क्या होगा आज वो क्या क्या करेंगे मेरे साथ!
यही मैं दिन भर सोचती रही।
दोस्तो, मेरी प्यास कैसे बुझी और मेरे साथ क्या क्या हुआ उस रात?
यह जानने के लिए कहानी का अगला भाग जरूर पढ़ें।
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सेक्सी जवानी की कहानी का अगला भाग: अधूरी चुदाई की कसक-2