यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
अब तक इस एडल्ट सेक्स स्टोरी में आपने पढ़ा कि मेरे बाप ने मेरी गांड भी मार दी थी. आज चुदाई की छुट्टी के कह कर मैं उनके साथ बस नंगी लेटी थी. मेरे बाबू ने मेरे चूचे को मुँह में लेकर चुभलाना शुरू कर दिया था. साथ ही उनका घुटना मेरी चुत को गरम कर रहा था.
अब आगे:
बाबू घड़ी की सुई की तरह 180 डिग्री पर घूम गए और उनका सर मेरी चूत के पास आ गया. उनका लंड मेरे नाक के सामने था.
मैंने खुद ही चूतड़ आगे करके बाबू के बाल पकड़ कर अपनी चूत के ऊपर रखवा लिया और चूत को उनकी नाक पर रगड़ने लगी.
फिर मैंने उनके लंड के आगे के चमड़े को पीछे किया, तो लंड की सौंधी सी महक मेरी नाक के अन्दर चली गई. मैंने यंत्रवत उनके लंड पर पहले चुम्मी ली फिर अनायास ही लंड को मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी. मुझमें जितना दम था, अपना पूरा दम लगा कर मैं अपने बाप का लंड चूस रही थी.
उधर बाबू नीचे मेरी चूत की ऐसी की तैसी किए हुए थे. वो पूरी दम लगा कर चुत चूसे जा रहे थे.
मैंने कहा- बाबू, वो जगह कोमल होती है … कुछ तो रहम करो … नहीं तो तुम्हीं को कल डॉक्टर के पास ले जाना पड़ेगा और कल से लंड हाथ में थाम घूमते रहना.
इसका असर यह हुआ बाबू ने प्यार से मेरी चूत को चूसना शुरू कर दिया. मेरी चूत से निकला अमृत रस चाट पौंछ कर उदरस्थ कर लिया. ऊपर बाबू के लंड देव की फुहार को मैं उदरस्थ कर गयी.
फिर हम दोनों चिपक कर सो गए.
माई के आने तक हम दोनों ने चुदाई के खूब मजे लिए.
जिस दिन माई आयी, तो घर के बाहर ठिठक कर रुक गयी. घर का नक्शा ही पूरा बदल चुका था. घर के अन्दर आयी, तो और हतप्रभ रह गयी. चौकी की जगह पलंग नए नए बेड, पर्दा सब कुछ नया. वो अन्दर आकर बाहर निकल गयी, उसे लग रहा था कि गलत घर में आ गयी.
मैं बाहर आकर उसे अन्दर ले गयी. उसकी आंखें फटी की फटी रह गयी थी. इन पंद्रह दिनों में ही इतना परिवर्तन!
मैंने बाबू को फोन करके माई के आने की खबर दे दी. मेरा दिल धड़क रहा था कि कहीं बाबू दारू पीकर न आ जाए. पर हुआ उल्टा. वो अपने होटल का खाना लेकर आए. हम सब लोगों ने साथ मिलकर खाना खाया. रात को बाबू अलग सोये. यह घटना अब हर दिन की बात हो गयी थी.
माई उदास रहने लगी थी. अब मुझे ही कुछ करना था. बहुत दिन गायब रहने के कारण सभी ने माई को काम से निकाल दिया था … तो वह घर ही रहती थी.
एक दिन माई से सीधे मौसिया को लेकर पूछ लिया कि माई तुम दोनों के बीच क्या चल रहा था?
वो कुछ नहीं बोली.
फिर मैंने कहा- ये कब तक चलेगा?
वो अपनी सफाई देने लगी.
तो मैं बोली- माई, बाबू अभी भी तुमको चाहते हैं. देखो तुम्हारे लिए बाजार से अपनी पसंद से कपड़े खरीद कर लाये हैं. अपनी पुरानी गलती के लिए माफी मांग लो.
पर वो बोली- मैंने क्या गलती की है … दारू पी कर तेरा बाबू आता है, मार पीट वो करता है … और माफी मैं मांगू … क्यों?
माई अपने पक्ष में बहुत कुछ बोली.
मैं- माई बाबू ने कबसे दारू पीना शुरू किया … किस घटना के बाद? मैं भी लड़की हूँ, सब समझती हूँ. मैंने कई बार तुमको इशारा किया था कि माई तुम गलत कर रही हो, पर तुम चाहती थी कि दोनों नाव पर सवार होकर दोनों को साध लूँ … पर ऐसा होता कहां है.
माई एकटक मेरे तरफ देख रही थी. उसने नजर झुकाते हुए कहा- तुम सब जानती हो … पर कब से?
मैंने कहा- बहुत दिनों से … पर यह जरूरी नहीं है कि मैं क्या जानती हूँ, क्या नहीं … जरूरी ये है कि क्या तुम अपने जीवन की शुरूआत फिर से करना चाहती हो?
कुछ देर शांत रहने के बाद वो मेरे से चिपक कर फूट फूट कर रोने लगी. केवल इतना ही कह सकी कि मेरी बेबकूफी ने तो मेरे हंसते खेलते परिवार में जहर घोल दिया. तुम्हारे बाबू मुझे आज तक माफ नहीं कर पाए, वो जुल्म अपने ऊपर ढाते हैं … वो दारू अपने जिंदगी बर्बाद करने के लिए पीते हैं, ये मैं जानती हूँ.
मैं कहा- तो माई तैयार हो जाओ नयी जिंदगी के लिए.
दूसरे दिन बाबू के होटल जाने के बाद मैंने माई को ब्यूटी पार्लर भेज दिया. एक रूम को अच्छे तरह से सजाने में जुट गई. अब सुहागसेज तो बना नहीं सकती थी, पर जो भी संभव था, सजा दिया.
शाम में मैंने माई को उनकी दुल्हन के रूप में तैयार कर दिया. ब्लाउज वगैरह तो सब छोटे हो गए थे, पर जैसा बन पड़ा, माई को सजा कर मैंने रूम में भेज दिया.
रात हुई, तो बाबू आज भी खाना पैक करवा के ले आए थे. माई की तबियत खराब होने का बहाना बनाया गया. खाना खाने के बाद मैंने बाबू को उसी रूम में भेज दिया. रूम में अंधेरा था, पर उसमें तैरती हल्की हल्की खुशबू ने बाबू का मूड अच्छा कर दिया था.
थोड़ा रोमांटिक होते हुए कहने लगे- क्या जी … तबियत कैसी है.
ये कहते हुए बाबू ने लाइट ऑन कर दी. रूम में हल्की लाल रोशनी तैर गयी. मैंने अपने लिए भी लाइव सीन देखने का इंतजाम कर रखा था. लाइट ऑन करते समय बाबू की आंख मेरी आंख से टकरा गई.
मैं हाथ जोड़ कर देखने के लिए अनुरोध किया, तो बाबू ने फ्लायिंग किस भेजा.
उधर माई सुहागन साड़ी में सकुचाई सी बैठी थी. शादी के इतने साल बाद और एक बच्चा पैदा करने के बाद भी दुल्हन बनते ही वही शर्माती औरत, शायद सुहाग की साड़ी में ही औरत भी दुल्हन बन जाती है.
बाबू माई के सामने में बैठते हुए बोले- तुम आज भी उतनी ही सुंदर हो, पहले कहती, तो कुछ तोहफा भी ले आता.
वो बोली- ये सब आपकी बेटी की कमाल है.
बाबू ने माई का घूंघट हटाते हुए कहा- जो भी हो, बोलो तुम्हें आज क्या चाहिये.
माई बस इतना ही बोल सकी- मुझे अपना लीजिये, बस यही चाहिये.
दोनों में प्यार की नजरें मिलने लगीं. फिर बाबू ने माई के एक एक कपड़े को हटा दिया. बाबू का प्यार करने का तरीका बहुत ही नायाब था. ललाट से चूमना शुरू किया, गर्दन तक चूमते चले गए.
बाबू ने उनकी दोनों चूचियों को जम कर चूसा. मम्मों के ऊपर नीला नीला दाग बना दिया. पेट पर नाभि को चुम्मी लेते समय माई सांप की तरह तड़प रही थी. बाबू ने टांगों के फैलाते हुए चूत को चूस डाला. चुत चूसने की चप चप की आवाज रूम के बाहर तक आ रही थी.
थोड़ी ही देर में वहां से हट कर बाबू ने जांघों को चूमते हुए पैर की उंगलियों को काट लिया.
माई चिहुंक गयी.
इसके बाद बाबू ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए. अब वे दूसरे पैर से शुरू होकर चूत तक पहुंच कर रुक गए. माई तड़प कर रह गयी.
बाबू के बाल पकड़ कर उन्होंने अपनी चूत पर रखा और चूतड़ उठा उठा कर चुत रगड़ने लगी.
बाबू ने अपने आपको छुड़ाते हुए माई को उठा कर बैठा दिया. उनके सामने बैठते हुए अपने लंड को चूत पर सैट करते हुए हुम्म किया और बाबू का लंड अन्दर घुस गया.
लंड घुसते ही माई चिंहुक कर थोड़ा उचक गई. उसने बाबू को अंकपाश में जकड़ते हुए उनके कंधे पर अपना सर रख दिया. आसन बन गया, तो बाबू ने दनादन चूत पर प्रहार करना चालू कर दिया.
चूतरस के निकलने के कारण चप चप छप छप की आवाज आने लगी. मैं देखते देखते बुरी तरीके से पिघलती जा रही थी.
माई को चोदते चोदते बाबू की नजर फिर मुझसे जा टकरायी, वो इशारे में एक दिखा रहे थे. कुछ कुछ समझ में आया कि बाबू मुझे धीरज रखने का इशारा कर रहे थे कि तुम्हारा नम्बर भी आएगा. पर अभी मैं पूरा सीन देखना चाह रही थी. मैंने भी इशारा किया कि कोई बात नहीं, अभी आप सही चल रहे हैं.
दोनों की तूफानी पारी बदस्तूर जारी थी. चप चप छप छप हंय हंय और जोर से हं और जोर से, दम लगा कर हं हं …
माई अब जोर जोर से बोल रही थी- आंह … निकल रहा है … निकल रहा है बस!
उन्होंने बाबू के कंधे पर दांत ऐसे लगा दिए, माने काट कर खा जाएगी.
बाबू भी धकाधक पेले जा रहे थे. कुछ पल बाद दोनों चिपक कर निढाल होकर बिस्तर पर लुढ़क गए.
मैंने भी वहां से हटकर अपने सारे कपड़े उतार दिए और नाइटी पहन ली. मैं सोचने लगी कि बाबू इशारा करके क्या कहना चाह रहे थे. पर आज माई बाबू के पुनर्मिलन की खुशी तथा उनकी चुदायी के सीन याद करते करते मैं सो गयी.
रात गहराने के बाद मेरे ललाट पर चुम्मी का अहसास महसूस हुआ. उनींदी होने पर भी एक हल्की मुस्कान चेहरे पर तैर गई. मैं समझ गयी कि बाबू क्या इशारा कर रहे थे.
मैंने तो खुद इसी क्षण के लिए नाइटी पहन के रखी थी. मैंने कान में फुसफुसा कर कहा- बाबू सीधे गोल कर दो, बहुत देर से तड़प रही हूँ.
बाबू ने जल्दी से अपना लंड मेरी चूत घुसा कर मुझे फटाफट चोदना शुरू कर दिया … पर वो बहुत धीरे धीरे चोद रहे थे ताकि कोई आवाज न हो.
मैंने टोका, तो बाबू बोले- यह सॉफ्ट सेक्स है … बहुत धीरे पर बिना आवाज के किया जाता है.
मैं बहुत देर से पिघल रही थी. … लंड अन्दर जाते ही कुछ ही देर में मैं पूरा झड़ कर सुस्त पड़ गई.
बाबू ने अपना खड़ा लंड निकाला और गुड बाय बोल कर चले गए.
कुछ दिन यूँ ही चला. फिर एक दिन बाबू एक ऑफर लेकर आए कि एक बूढ़े दंपति को दिन भर के लिए केयर टेकर चाहिए. अगर तुम दोनों में से किसी को चाहिए, तो कर सकती हो. दिन भर की बोरियत कम हो जाएगी.
माई ने इस काम के लिए तुरंत हां कर दी.
अब हम तीनों को मौका मिलने लगा. जिसे जब मौका मिलता, चुदायी हो जाती. मैं दिन में चुद लेती, तो माई रात में चुत की खाज मिटवा लेती.
कुछ दिन बाद बाबू ने चुदायी से संन्यास ले लिया और मुझे बुलाकर अपने और माई के बीच में सुलाने लगे. बाबू के दिमाग में क्या चल रहा था, ये न तो मेरे … और न माई को पल्ले पड़ रहा था.
एक दिन मुझे प्यार से सहलाते हुए माई से बोले- सीमा की माई, अपनी गुड़िया बड़ी हो गयी है, इसकी शादी के बारे में क्या सोची हो?
वो बोली- हां कह तो सही रहे हैं.
अब मेरी समझ में आया और मैंने कह दिया कि अच्छा तो बाबू इसके लिए ही अपनी राजकुमारी को अपने बगल में सुला कर प्यार उड़ेल रहे हैं.
बाबू मुस्कुरा कर रह गए. बोले कि अब ये दूसरे घर में चली जाएगी, इसलिए जी भर कर देख लूँ.
वो मुझे छेड़ते हुए कहे तुम्हें कोई लड़का पसंद हो तो कहो.
मैं शर्माते हुए कह दिया- हटो बाबू … तुम जिससे कहोगे, मैं उससे शादी कर लूंगी.
बाबू मेरे दिल की बात जानते थे. कई बार उन्होंने अपने होटल वाले लड़के के साथ मुझको हंसते बात करते देखा था.
वो बोले- मेरे होटल में भोला काम करता है … अगर माई की बेटी को पसंद हो, तो बात आगे बढ़ाऊं. बेटी दूसरे घर तो जाएगी, पर रहेगी पड़ोस में ही.
मैं ये सुनते ही माई के आंचल में छिप गयी.
आखिर मेरी शादी उससे हो गयी. कभी ससुराल, कभी घर, दोनों आमने सामने थे. होटल भी घर में रह गया. कुछ वर्षों में बच्चे हुए और बड़े हो गए. मैं प्रौढ़ हो गई और माई बाबू अधेड़ावस्था में आ गए.
कुछ माह पहले इन साहब की पोस्टिंग हुयी और होटल में खाते तबियत खराब होने लगी. उन्होंने एक केयरटेकर के लिए होटल में कहा. बाबू ने पूछा, तो माई मना कर दिया कि अब उम्र हो गई है. पर मैं तैयार हो गयी. आखिर घर में बैठे बैठे बोर हो जाती थी.
आपको मेरे माँ बाप की सुहागरात की एडल्ट सेक्स स्टोरी पढ़ कर मजा आया? पूरा मजा लेने के लिए अन्तर्वासना से जुड़े रहिए. अपने विचार मुझे मेल करें.
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एडल्ट सेक्स स्टोरी जारी है.