अकेली भाभी की चूत की प्यास

नमस्कार दोस्तों! क्या हालचाल हैं आपके? आज मैं आपको मेरे साथ हुए एक हसीन किस्से को शेयर करूंगा जो अभी हाल ही में मेरे साथ हुआ है. उससे पहले आपको मेरा परिचय करवा देता हूं. मेरा नाम हितेश है और मैं मुम्बई का रहने वाला हूँ.

मैं अक्सर चैट साइट पे लोगों से बातें करता रहता हूं. कई बार वहां कोई लड़की मिल जाती है, लेकिन ज्यादातर लड़कियों के नाम पे वहां सब लड़के ही होते हैं.

ऐसे ही एक दिन मैं चैट कर रहा था कि एक नया नाम सामने आया. मैंने तुरंत उस को हाय भेजा. थोड़ी देर बाद उसका रिप्लाई आया और हमारी बातें शुरू हो गईं.
उसका नाम आहना था और वो भी मुम्बई से ही थी. हम बहुत देर तक बतियाते रहे.
फिर वो बोली कि अब उसे जाना है.
तो मैंने पूछा कि दोबारा कब मिलोगी?
उसने कहा कि किस्मत रही, तो जल्द ही मिलूंगी.

मैंने फिर भी जाते जाते उसे ये सोच कर अपना ईमेल एड्रेस दे दिया कि कभी तो बात होगी. लेकिन ऐसे ही दो महीने निकल गए और मुझे लगा कि कोई फेक लड़का होगा, जो मेरे मजे ले गया.

एक दिन में अपने मेल चैक कर रहा था कि मुझे अपने मेल बॉक्स में एक मेल दिखा, जो आहना नाम से दिखा रहा था.
मैंने तुरंत उसपे रिप्लाई किया. करीब दो दिन बाद उसका रिप्लाई आया.
उसने कहा कि इतना लेट रिप्लाई क्यों किया?
मैंने उसे सब बताया कि मैंने उसका मेल देखा ही नहीं था.

फिर हमारी बातें शुरू हुईं, लेकिन वो अपने बारे में ज्यादा बताती नहीं थी. बस इतना कहती कि वक़्त आने पे सब बता दूंगी. ऐसे ही उससे बातचीत करते हुए दिन बीतते गए और हम करीब आने लगे. हमारी करीबी इतनी अधिक हो गई थी कि अब हम मोबाइल पे भी बातें करने लगे थे.

मैं उसे अक्सर थोड़े नॉटी जोक्स भेजता था, जो भाभियों पे होते थे. उसे भी शायद इस तरह के जोक्स पसंद थे. इसलिए वो हमेशा मेरे जोक्स पे हंसती थी.
एक दिन उसने कहा- लगता है आपको भाभियों से बहुत प्यार है.
मैंने लिखा- प्यार तो बहुत है, लेकिन कोई मौका नहीं देती.
मैंने ये न जाने किस झोंक में उससे कह दिया.

तो पहले तो उसका कोई जवाब नहीं आया. फिर कुछ पल एक नॉटी स्माइली आया. मुझे लगा इसे मेरा जबाव पसंद आया.
वो बोली- ऐसा है, तो क्या पता कोई भाभी किसी दिन मौका दे दे.
मैं बोला- मैं तो कब से इंतजार कर रहा हूँ … लेकिन मौका मिल ही नहीं रहा है.
वो बोली- सब्र करो, सब्र का फल मीठा होता है.
मैंने कहा- तब से सब्र ही कर रहा हूँ. अब तक तो फल को देखा भी नहीं है. चखने की बात तो दूर है.

फिर अचानक से वो चली गई और तीन दिनों तक उसका कोई रिप्लाई नहीं आया. मुझे लगा ये लड़की अब बात नहीं करेगी. लेकिन एक रात उसका मुझे कॉल आया. उसकी आवाज में एक खनक थी, जो मुझे उसका दीवाना बना गयी.
उसने बोला कि मैं आपसे मिलना चाहती हूँ.
मैंने भी झट से हां कर दी.

वक़्त और जगह फिक्स करके उसने कॉल कट कर दिया. मैं भी अगले दिन तयशुदा वक़्त पर वहां पहुँच गया. उसने मुझे फोटो में देखा था, लेकिन मैंने उसको नहीं देखा था. हर आती जाती लड़की मुझे आहना ही लग रही थी. मुझे वहां खड़े खड़े एक घंटा हो गया था. लेकिन वो नहीं आई, ना ही उसका फ़ोन लग रहा था.

मुझे लगा कि कोई मुझे मूर्ख बना गया. थकहार कर मैंने जाने के लिए ऑटो को आवाज दी, तो मुझे एक अनजान नंबर से कॉल आयी.
मैंने जैसे ही उठाया, तो उस आवाज को पहचान गया. मैंने पूछा- कहां हो? कब से वेट कर रहा हूँ.
वो बोली- थोड़ा काम आ गया था, मैं बस दस मिनट में आ रही हूँ.

फिर थोड़ी देर बाद एक लड़की मेरे सामने आई. वो बहुत ज्यादा खूबसूरत तो नहीं थी, लेकिन फिर भी कमाल थी. सांवला रंग, काली आंखें, लंबी गर्दन, तने हुए स्तन, पतली कमर, बाहर निकले हुए नितम्ब. सच में वो बहुत कमाल लग रही थी.
उसने आते ही मुझसे माफी मांगी और कहा- मेरा मोबाइल बन्द हो गया था इसलिए बता नहीं पायी.

फिर हम वहां से कॉफी पीने गए. मैं अब भी उसको निहार रहा था. वो थोड़ा शर्मा रही थी. ऐसे ही हम बहुत देर तक बात करते रहे.
कुछ देर बाद उसने कहा- अब मुझे जाना होगा, फिर कभी मिलेंगे.
मैंने भरे मन से उससे विदा ली. लेकिन मुझे ख़ुशी थी कि वो मुझसे मिलने आई थी.

इसके बाद से हम दोनों की बिंदास बात होने लगी. हमारी बातों में सेक्स का मसाला भी आने लगा.

एक दिन उसने मुझे अपने घर बुलाया. मुझे लगा कि आज तो शायद मुझे उसे प्यार करने का मौका मिल जाएगा. मैं अच्छे से तैयार होकर उसके यह पहुंचा. वो पिंक साड़ी में थी और क्या कमाल लग रही थी. मैं उसको देखता ही रह गया.
उसने मुझे कंधे से हिलाया, तब मुझे होश आया और मैंने उसे फूल दिए. मैंने कहा कि फूल को फूल दे रहा हूँ … समझ नहीं आता, कौन ज्यादा खूबसूरत है.
वो मेरी इस सड़ी सी शायरी पर हंस दी.

मुझे लगा कि आज तो लाइन क्लियर है. फिर हम दोनों अन्दर आए और सोफे पर बैठ गए. मैं अभी उसकी खूबसूरती को देख रहा था. सच में आज बहुत कमाल लग रही थी.
उसने मुझसे पूछा- क्या लोगे?
मैंने कहा- जो भी प्यार से दे दो.
इस पर वह मुस्कुरा दी और किचन की तरफ चल दी. आज उसकी हंसी में अलग ही नशा था, जो मुझे दीवाना बना रहा था.

थोड़ी देर बाद वो चाय लेकर आई. चाय के साथ हमारी बातें भी चल रही थीं. वो थोड़ा घबरा रही थी और मैं उसकी यही घबराहट मिटाना चाह रहा था.

हम बात कर ही रहे थे कि अचानक किसी बच्चे के रोने की आवाज आई. वो सुनकर मैं चौंक गया कि ये क्या हो रहा है.
आहना ने पहले तो मुझे कभी बच्चे के बारे में नहीं बताया. मुझे लगा मैं फंस गया हूँ. आहना उठ कर जल्दी से कमरे में गयी. मैं सोच में था कि क्या करूँ … इधर रुकूं या चला जाऊं.
तभी मैंने सोचा कि रुकता हूँ, पता तो चले कि माजरा क्या है. मैं इस वक्त काफी बैचैन था और आहना का इंतजार कर रहा था. थोड़ी देर में वो आयी और उसके चेहरे पे थोड़ी उदासी थी.

मैंने उसको अपने पास बैठाया और उससे पूछा- क्या हुआ तुम उदास क्यों हो?
तो वो बोली- मैंने तुमसे झूठ बोला और बताया नहीं कि मेरा एक बच्चा भी है.
मैंने कहा- कोई बात नहीं, कभी कभी भरोसा होने में समय लगता है.
मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे भरोसा दिखाया कि मैं अब भी तुम्हारे ही साथ हूँ.

वो बताने लगी कि उसकी शादी घरवालों की मर्जी से हुई थी. उस वक़्त वो शादी नहीं करना चाहती थी, लेकिन घरवालों के दवाब में शादी करना पड़ी. उसका पति भी अच्छा था, उसे बहुत प्यार करता था. लेकिन जबसे वो प्रेग्नेंट हुई, उसके पति ने उसके साथ प्यार करना बंद कर दिया क्योंकि वो अभी बच्चा नहीं चाहता था. हम डॉक्टर की सलाह के कारण पहले बच्चे को गिरा नहीं पाए. इस बात से मेरे पति को बहुत धक्का लगा. मैंने अपने पति को बहुत समझाया, लेकिन वो नहीं माने और उसने शराब पीना शुरू कर दी. साथ ही किसी रुचि नाम की लड़की से संबंध बना लिए.
ये कहते कहते आहना रोने लगी.

मैंने उसे चुप कराने की कोशिश की.

आहना कहने लगी- मैंने उन्हें बहुत समझाया, लेकिन वो मेरी कोई बात नहीं सुनते हैं. घर भी कभी कभी ही आते हैं. मैं बहुत अकेली हो गयी थी, इसलिए अपना दिल लगाने के लिए चैट करती थी. वहां भी सब सिर्फ सेक्स के लिए बात करते हैं, लेकिन तुमने मुझे अच्छे से बात की, मेरा ध्यान रखा.
वो लगातार रोये जा रही थी और बोले जा रही थी.

मैंने उसका हाथ पकड़ा हुआ था और उससे बोला- अब तुम्हें रोने को जरूरत नहीं है. मैं एक दोस्त की तरह तुम्हारे साथ हूँ … और मुझे कुछ नहीं चाहिए. तुम ये ना सोचना कि मैं तुम्हारा फायदा उठाऊंगा.
मैंने इतना बोला और वो मेरे गले से लग गयी. वो बोली- मैं चाहती हूँ, तुम मुझसे प्यार करो. मुझे अपना बना लो.

मैंने उसको दूर किया और पूछा- क्या सच में तुम ऐसा चाहती हो या सिर्फ पति से गुस्से के कारण ऐसा कह रही हो?
वो बोली- नहीं … ये एक औरत की चाहत बोल रही है. मैं जानती हूं मेरा पति अब मुझे प्यार नहीं करेगा, ना ही मेरे पास आएगा. मैं भी प्यासी हूँ, मुझे भी चाहिए कि कोई मुझे प्यार करे.
इतना बोल के उसने मुझे फिर गले से लगा लिया.

मैं समझ गया कि आज आहना की वासना उसपे हावी है और उसे किसी की जरूरत है. मैंने उसका साथ देना शुरू किया. वो मेरे गले से लगी हुई थी और मेरा हाथ उसकी पीठ पे घूम रहा था.

मैंने उसकी गर्दन पे चूमना शुरू किया. जैसे ही मैंने अपने होंठ उसकी गर्दन पे लगाए, उसने एक आह भरी और मुझे और जोर से पकड़ लिया. जैसे मुझमें समाना चाहती हो.
मैं बहुत देर तक उसकी गर्दन पे किस करता रहा. शायद ये उसका हॉट स्पॉट था.

फिर कुछ पल बाद हम दोनों अलग हुए. मैंने उसकी आंखों में देखा कि उसमें एक अलग ही नशा था. लेकिन वो हवस नहीं थी … वो प्यार था, जिसकी उसे जरूरत थी. जो आज उसे मिल रहा था.

हमने एक दूसरे की आंखों में देखा. फिर मैंने अपना एक हाथ से आहना के बालों को पकड़ कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए. हम एक दूसरे के लबों को चूमने लगे. उस दिन इस चुम्बन में वो आग थी कि समझो मैं झुलस ही गया था. मैंने वैसा किस आज तक नहीं किया था. न जाने उस वक्त के चुम्बन में कितनी आग थी, मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता. मुझे बस लग रहा था कि आज वो मुझे खा जाएगी.

तभी मेरा हाथ आहना के स्तन पे आ गया और मैं उसके स्तन उसके ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लग गया. आहना ने ब्रा नहीं पहनी थी. शायद उससे बच्चे को दूध पिलाने में आसान रहता है.

लेकिन मेरे स्तन दबाने से उसका दूध निकलने लगा था. उसका ब्लाउज चूचुक वाली जगह से गीला हो गया था. हम दोनों न जाने कितनी देर तक एक दूसरे को चूमते रहे, नहीं मालूम. लेकिन जब सांस लेनी बंद हो जाती, तब हम रूकते और एक दूसरे की आंखों में देखते.

उसकी नजरों से लगता, जैसे कह रही हो कि आज रुको मत … बस ऐसे ही प्यार करते रहो. बस हम फिर से किस करने में लग जाते.

फिर मैंने आहना से कहा- मैंने आज तक तुम्हारे जैसा प्रेम नहीं देखा.
तो वो हंसती हुई बोली- देखोगे भी नहीं.
मैं भी उस पर फ़िदा था. वो मेरे कान में सरगोशी से बोली- कमरे में चलते हैं.
लेकिन वहां उसका बच्चा सोया था. मैंने उसे बताया, तो वो बोली- कोई बात नहीं, वो अपने पालने में सो रहा है.

मैं उसे अपनी बांहों में उठा कर उसके कमरे में ले गया. वहां पलंग के साथ ही एक पालना रखा था, जिसमें उसका बच्चा सोया हुआ था.
मैंने आहना को पलंग पे लिटाया और उसके पास आकर लेट गया. हम दोनों एक दूसरे को ऐसे देख रहे थे, जैसे दो प्रेमी बहुत दिनों बाद मिले हों.

हमने फिर से एक दूसरे को हग कर लिया और चूमने लगे. अबकी बार मेरा हाथ उसके ब्लाउज पर और तेजी से घूम रहा था. मैंने उसका ब्लाउज उतार दिया. और अब उसके स्तन मेरे हाथों में थे. कितने मुलायम थे और एकदम तने हुए मम्मे थे. उसके स्तन दूध से पूरे भीगे हुए थे. मैं उन्हें दबा रहा था और आहना को चूम रहा था. तभी उसने एक आह ली, जैसे उसने काम रस छोड़ दिया हो.

मैं उसे चूमते हुए नीचे को आया और उसके स्तन को चूमने लगा. उन पर लगा दूध चाटने लगा. आहना सिर्फ आहें भर रही थी. फिर मैं अपनी जीभ आहना के चूचुक पे ले गया. और उन्हें चूमने लगा. जितना उन्हें चूम रहा था, उतना ही उनमें से दूध निकल रहा था. मुझे यकीन नहीं हुआ कि मैं अब किसी के स्तन से सीधा दूध पी रहा हूँ.
मैं आहना के चूचुकों को तब तक चूमता चूसता रहा, जब तक उसमें से दूध आना बंद नहीं हो गया. आहना सिर्फ मादक आहें भर रही थी और मुझे अपने स्तन में ऐसे दबा रही थी, जैसे मेरा चेहरा अपने स्तन में समा लेना चाहती हो.

जब उसका दूध आना बंद ही गया, तो मैंने आहना की आंखों में देखा और उसने कहा- घबराओ नहीं, मेरे बेटे और तुम्हारे लिए अभी भी बहुत दूध बाकी है.
उसने मुझे ऊपर खींच के मेरे होंठों को चूमने लगी और अपने दूध का स्वाद खुद चखने लगी.
सच में दोस्तो, मैं उसका वो चुम्बन कभी नहीं भूल सकता.

फिर मैं चूमते हुए आहना के पेट पे पहुंचा और उसके पेट पे अपनी जीभ घुमाने लगा. आहना के पेट पे हमारी प्रेमलीला के कारण पसीने में थी और मैं उसका पसीने से भीगा पेट चूम रहा था या कहिये कि मैं उसका पसीना चाट रहा था. वो मादक सिसकारियां ले रही थी, जो मुझे और भी उत्तेजित कर रही थीं. फिर मैं अपनी जीभ आहना की नाभि में ले गया और उसे चाटने लगा. आहना की तड़प बढ़ती जा रही थी.

लेकिन दोस्तो, इस प्रेमलीला में जितना वक़्त फोरप्ले में बिताओगे, उतना ही मजा आपको और आपकी साथी दोनों को मिलेगा.

आहना की नाभि का मर्दन करने के बाद मैंने उसकी साड़ी और पेटीकोट दोनों को निकाल दिया. अब वो मेरे सामने सिर्फ पेंटी में थी, जो उसके योनि रस से भीगी थी. उसकी पेंटी की मादक महक पूरे कमरे में महक रही थी.

मैंने आहना को थोड़ा और मदहोश करना चाहा, तो मैं उसके पैरों को चूमने लगा और अपने हाथों से उसकी योनि को पैंटी के ऊपर से छूने लगा. लेकिन सिर्फ हल्के हल्के से सहला रहा था, जिससे वो मचल रही थी. वो कामवासना में कह रही थी- आह … मेरी योनि को मसलो … उसे प्यार करो …

लेकिन मैं उसे और तड़पाना चाहता था. मैं ऐसे ही बहुत देर तक उसकी टांगों को चूमता रहा. फिर उसकी जांघों को चूमने लगा. हर बार मैं अपना मुँह उसकी योनि के पास ले जाता, लेकिन उसे छूता तक नहीं … और वो बस अपनी योनि रस छोड़े जा रही थी.

उसकी पूरी पैंटी और चादर दोनों भीग चुके थे. मैंने उसे और तड़पाना ठीक नहीं समझा और उसकी पेंटी उसके योनि से अलग कर दी.

आह क्या कामुक दृश्य था वो … दोस्तों गुलाब की पंखुड़ियों की गुलाबी योनि अपने ही कामरस में भीगी हुई मानो रो रही थी. उसकी महक मुझे दीवाना बना रही थी. मैंने पहले तो उस योनि को छुआ और जैसे ही मैंने उसे हाथ लगाया, तो आहना ने एक जोर से आह भरी और अपना कामरस एकदम से निकाल दिया.

आज तक मैंने इतनी उत्तेजना कभी नहीं देखी थी. उसके चेहरे के भाव में सुकून था … साथ ही ना रुकने के लिए निवेदन भी था. मैं भी अपने कार्य में लग गया और उसकी योनि को हाथों से मसलने लगा.

अब मैं उसकी चूत के भगनासा को अपनी उंगलियों की बीच में रखकर दबाने लगा. आहना सिर्फ गरम आहें ले रही थी. उसने अपने हाथों की मुठ्ठियों से चादर को पकड़ रखा था और अपना काम रस छोड़े जा रही थी. तभी मैंने उसकी योनि पे अपनी जीभ लगा दी और उसके रस को पीने लगा.

उसका स्वाद दोस्तो, आज भी मेरी जीभ पे है और वो महक … आह क्या बताऊँ.

मैं अपनी जीभ उसकी योनि पे चला रहा था और उसके काम रस को चाट रहा था. लेकिन मैं जितना चाटता, उतना ही काम रस बढ़ता जा रहा था. अब तो जैसे मैं अपनी जीभ से उसकी योनि का मर्दन करने लगा. थोड़ी देर बाद ही आहना ने एक लंबी आह ली और मेरे सर को अपने पैरों में जकड़ लिया और अपना पूरा योनि रस निकाल दिया. मैंने भी उसका पूरा रस पी लिया और उसके बगल में लेट गया.

आहना बोली- मैं आज तक कभी इतनी संतुष्ट नहीं हुई हूँ. आज से मैं तुम्हारी हुई, जो तुम बोलोगे, वो ही मैं करूंगी.
मैंने कहा- मुझे भी वही करने में खुशी होगी, जो तुम्हें संतुष्टि दे.
ऐसा कहके हम दोनों गले लग गए.

उसने कहा- अब तुम्हें खुश करने की मेरी बारी है.
वो मेरे ऊपर आ गयी और उसने मेरे सारे कपड़े निकाल दिए. मेरे लिंग को देखकर उसकी आंखों में एक चमक सी आ गयी थी. वह मेरे लिंग को अपने हाथों से मसलने लगी और साथ ही मेरे होंठों को भी चूम रही थी. उसकी आंखों में एक अलग ही नशा था, वह मुझे चूमे जा रही थी और मेरे लिंग को मसल रही थी. उसके हाथों में जादू था.

फिर वह ऐसे ही चूमते चूमते मेरे सीने को चूमने लगी. उधर नीचे उसका हाथ मेरे लिंग पर अपना कमाल दिखा रहा था. मेरा लिंग अपने पूरे रूप में आ चुका था और वह ऐसे ही चूमते चूमते मेरे लिंग तक पहुंच गई और मेरे लिंग के ऊपर एक हल्का सा चुंबन ले लिया. एस लगा कि मेरे शरीर में न जाने जैसे किसी ने करंट छोड़ दिया हो.

मेरे मुँह से ‘आहहह हहह..’ निकल गई. वह मुझे देखकर थोड़ी सी मुस्कुराई फिर उसने मेरे लिंग को अपने मुँह में ले लिया और मुझे मुख मैथुन का सुख देने लगी. उसके हाथ मेरे अंडकोष सहला रहे थे. वह मेरे पूरे लिंग को अपने मुँह में लेना चाह रही थी और उसे चूम रही थी बीच-बीच में अपनी जीभ से मेरे पूरे लिंग को चाट रही थी. मैं भी उसका सर अपने लिंग पर दबा रहा था. वह ऐसे ही चूमती जा रही थी और मैं सिर्फ सिसकारियां ले रहा था.

उसकी जीभ में गजब का जादू था और उस जादू के आगे मैं देर तक नहीं टिक पाया. मैंने अपना वीर्य उसके मुँह में छोड़ दिया और उसने भी मेरा पूरा वीर्य पी लिया. साथ ही उसने मेरे लिंग को पूरा चाटते हुए साफ कर दिया. फिर वो मेरे बगल में आकर लेट गई.

हम दोनों पूरे पसीने में भीगे हुए थे लेकिन हमारी वासना अभी पूरी नहीं हुई थी. आहना ने मुझसे कहा- अब अपना लिंग मेरी योनि में डालो … मैं कब से तड़प रही हूँ … मुझे और मत तड़पाओ.
मैंने भी उसे और तड़पाना ठीक नहीं समझा और उसकी योनि को चूमने लगा. वह फिर से उत्तेजित होने लगी. फिर उसने मुझे 69 में आने को कहा और वह मेरे ऊपर आ गई. अब उसकी योनि मेरे मुख पर थी. वह मेरा लिंग उसके मुँह में था और हम एक दूसरे को चूमने लगे.

उसकी योनि जल्दी ही एक बार फिर काम रस से भर गई, तो उसने कहा- अब और मत तड़पाओ, अब अपना लिंग मेरी योनि में डालो.
मैंने भी उसे नीचे लिटाया और अपने लिंग को उसकी योनि पर रगड़ने लगा. वह मचल रही थी और बार बार अपनी कमर उठा कर मेरे लिंग को अपनी योनि में प्रवेश करवाना चाह रही थी. मैंने भी अपने लिंग को की योनि पर रखा और एक धक्का दे दिया. उसकी योनि बहुत टाइट थी, लेकिन मेरे धक्के के कारण मेरा लिंग का टोपा अन्दर प्रवेश कर गया.

आहना ने जोर से उम्म्ह… अहह… हय… याह… किया और मुझे जोरों से जकड़ लिया. मैं धीरे धीरे अपने लिंग को आगे पीछे करने लगा और आहना भी मेरा साथ देने लगी. जब वो तैयार हो गयी, तो मैंने एक और जोर से धक्का दिया और मेरा लिंग पूरा अन्दर हो गया. आहना आहें ले रही थी और अपने नाखूनों को मेरी पीठ पे कुरेद रही थी. लेकिन इस वक्त मुझे वो दर्द भी बहुत अच्छा लग रहा था.

अब मैंने भी आहना की योनि का मर्दन शुरू कर दिया और साथ ही कभी उसके लबों को चूमना चालू कर दिया. मैं कभी उसके स्तनों को चूमता चूसता जाता. तभी आहना ने एक बार फिर अपना काम रस छोड़ दिया और निढाल हो गयी. मैं भी रुक गया और उसको चूमना शुरू कर दिया. साथ ही धीरे धीरे अपने लिंग को उसकी योनि में चलाता रहा.

मैं उसके चूचुकों को चूमता रहा. मेरे चूचुक चूमने और योनि में लगातार लिंग के कारण वो और भी ज्यादा उत्तेजित हो रही थी. अब की बार मैंने उसे डॉगी स्टाइल के लिए बोला, तो वो तुरंत तैयार हो गयी. फिर मैंने उसे बहुत देर तक वैसे ही आनन्द दिया.

तभी अचानक आहना का बच्चा रोने लगा, तो आहना ने कहा- लगता है, उसे भूख लग आयी.
मैंने आहना को कहा- आज अपने बच्चे को ऐसे ही दूध पिलाओ.
वो झट से मान गयी. मैं लेट गया और आहना मेरे लिंग पे बैठ गयी. मेरा लिंग उसकी योनि में अन्दर तक घुस गया. फिर उसने अपने बच्चे को लिया और उसे दूध पिलाने लगी.

सच में दोस्तो, वो नजारा अद्भुत था. वो अपनी कमर भी हिला रही थी, साथ ही अपने बच्चे को दूध भी पिला रही थी. मैंने भी उसका दूसरा स्तन पकड़ा और उसमें से दूध निकालने लग गया.
वो बोली- अभी ये दूध मेरे बच्चे के लिए है, तुम बाद में पीना.
आहना बच्चे को स्तनपान करती रही और अपनी योनि को मेरे लिंग पे चलाती रही. फिर जब बच्चा सो गया, तो उसे वापस पालने में सुला दिया.

मैंने आहना को नीचे लेटा कर फिर से उसकी योनि में लिंग डालकर उसका मर्दन शुरू कर दिया. थोड़ी देर की इस यौन क्रिया के बाद में चरम सीमा पे पहुंच गया, तो मैंने कहा- मेरा वीर्य निकलने वाला है.
उसने कहा- मेरी योनि में ही निकाल दो.
मैंने अपना वीर्य उसकी योनि में छोड़ दिया. साथ ही आहना ने भी अपना काम रस निकाल दिया.

हम दोनों कुछ देर ऐसे ही एक दूसरे से चिपके पड़े रहे और मेरा लिंग उसकी योनि से बाहर आ गया. साथ ही हम दोनों का प्रेम रस भी बह निकला. उसके चेहरे पे संतुष्टि देखकर मुझे बहुत खुशी हुई.

उसके बाद हम अक्सर मिलते और खूब प्रेम क्रीड़ा करते. लेकिन अब वो अपने पति के साथ दूसरे शहर चली गई. हम अब भी फ़ोन पे और वीडियो पे बात करते हैं, लेकिन आप तो जानते ही हो कि जो आनन्द साथ में है, वो फ़ोन पे कहां आता है.

वैसे यह कहानी मैंने आहना को बता कर ही लिखी है … और उसे बहुत पसंद भी आई है. साथ ही उसने कहा कि वो मुझसे मिलने जरूर आएगी.
आहना के आने का और आपके विचारों और प्रतिक्रिया का मुझे इंतजार है. उसके बाद मैं बताऊंगा. अगर आहना आयी तो हमने क्या क्या किया.
आप अपनी प्रतिक्रिया मुझे [email protected] पे दे सकते हैं.
धन्यवाद.