मेरा नाम राहुल है, मैं अहमदाबाद के बोडकदेव का रहने वाला हूँ.
मेरा एक टोटल होम सोल्यूशन का बिजनेस है.. तो उसके सिलसिले में अक्सर मुझे ग्राहकों के घर पर जाना पड़ता था.
यह कहानी उन्हीं घटनाओं में से एक कस्टमर की है.
छह महीने पहले की बात है.
मेरे यहाँ एक मैडम अपने घर का रेनोवेशन करवाने के लिए एस्टिमेट लेने के वास्ते आई थी.
मैंने उसको एस्टिमेट रेडी करके दे दिया.
फिर वो सोच कर बताने का कह कर चली गई.
मैंने अपनी पूछताछ कॉपी में उसकी डिटेल लिख लिया.
दो दिन के बाद उसका कॉल आया. उसने बताया कि उसे मेरा एस्टिमेट ठीक लगा है.. और वो जरूरी मैटीरियल लेना चाहती है.
मैंने उससे बात करके अग्रिम भुगतान ले लिया और काम करवाना तय कर लिया.
यहाँ मैं आप सभी को उसके बारे में बता देना चाहता हूँ.
उसका नाम हेतल है.. उसके मम्मों की साइज़ 30.. कमर 28 और पिछले हिस्से की उठी हुई तोप का का साइज़ 36 है.
काम हो जाने के बाद.. मैं बाकी का पैसा लेने और काम देखने के लिए उसके घर गया. मैंने काम देखा.. चाय-पानी लिया और पैसे लेकर चला आया.
थोड़े दिनों के बाद उसका फिर से कॉल आया.
उसने बताया कि उसके फ्रीज का बटन खराब हो गया है.
मैं उसके फ्रिज का बटन देखने चला गया.. जरा सी दिक्कत थी सो मैंने खुद ही उसे ठीक कर दिया. फिर मैंने देखा कि जब से मैं उसके घर पर काम करने जाने लगा था.. तब से अब तक उसके घर में एक छोटी बच्ची के सिवाए किसी और को नहीं देखा था.
मैंने उससे पूछ ही लिया- आपके घर में कौन-कौन रहता है?
उसने बताया- मैं और मेरी बेटी..
बातचीत आगे होने पर उसने बताया कि उसके पति अक्सर काम के सिलसिले में ज़्यादातर बाहर ही रहते हैं.
फिर मैंने जाने की तैयारी करते हुए कहा- मैडम किसी भी काम की ज़रूर पड़े.. तो मुझे याद कर लेना.
फिर मैं वहाँ से चला आया.
थोड़े टाइम बाद जन्माष्टमी का त्यौहार आया.. तो उसी दिन उस मैडम ने मुझे जन्माष्टमी के लिए मुझे शुभकामना का मैसेज किया.
मैंने भी उसको जबाव दिया.
मैंने फोन लगा कर पूछा- घर पर सब लोग कैसे हैं?
उसने मुस्कुरा कर बोला- मैं और बेटी ठीक हैं.. पति का पता नहीं.
मुझे उसके इस जबाव से थोड़ा अजीब लगा..
मैंने कहा- कोई बात नहीं वो अपने काम में बिज़ी होंगे.. इसी लिए नहीं आ पाए होंगे.
वो कुछ नहीं बोली.
तो मैंने कहा- आपको कोई भी ज़रूरत पड़े.. तो मुझे अपना दोस्त समझ कर बता देना.
उस दिन के बाद उसने मैसेज और कॉल पर बातें करना चालू कर दिया. थोड़े दिन में हम दोनों काफ़ी अच्छे दोस्त बन गए.
अब तो मैं उसके साथ थोड़ा फ्लर्ट भी करने लगा.
धीरे-धीरे ये बातें कब सेक्स चैट में बदल गईं.. पता ही चला. इसके बाद तो हम दोनों कई बार लम्बी ड्राइव पर भी गए.. तो कभी मूवी देखने जाने लगे.
वो टाइम पास करने के लिए जॉब किया करती थी.
वो जॉब के टाइम और मुझसे मिलते वक्त अपनी बेटी को अपनी माँ के घर पर छोड़ आती थी.
एक दिन उसने मुझे अपने घर बुलाया.. मैं लंच के लिए गया.. लेकिन वहाँ उसकी बेटी नहीं थी.
मैंने पूछा.. तो उसने हल्के से आँख दबा कर बताया- उसको मैं आज अपनी माँ के घर छोड़ आई हूँ.
उस दिन उसने पिंक कलर की लैगी और ब्लैक कलर का स्लीवलैस टॉप हुआ पहना था. क्या मस्त माल लग रही थी एकदम सेक्सी फिगर था उसका.
जैसा कि मैंने ऊपर भी बताया था कि उसके मम्मों का साइज़ 30 इंच का था.. बलखाती कमर और गांड का इलाका उठा हुआ था. आज तो लैगी में उसकी तोप सी उठी गांड मेरा कत्ल करने की फिराक में दिख रही थी.
मैं तो उसको देखता ही रह गया.. तो उसने मुझे नोटिस किया और मुस्कुरा दी. उसने आँख मारते हुए कटीले अंदाज में कहा- सब खाने को मिलेगा.. धीरज रखो.
मैंने भी उसको पलट कर आँख मारी और हम दोनों लंच लेने बैठ गए.
खाने के बाद हम दोनों टीवी देखने लगे.
मैं उसकी गोद में सिर रखकर लेटा था, वो मेरे बालों को सहला रही थी, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.
मैंने भी उसकी पीठ को सहलाना शुरू कर दिया.. उसे भी मज़ा आने लगा था.
फिर मैंने उसके मम्मों पर हाथ रखा.. तो वो चिहुँक उठी और गहरी साँसें लेने लगी.
उसने भी मेरे लंड के आस-पास सहलाना शुरू कर दिया.
ऐसा थोड़ी देर चला.. फिर उसने मुझे होंठों पर किस करना शुरू कर दिया.
मैंने भी उसका साथ दिया..
उसके बाद मैं उसको गोद में उठा कर बेडरूम में लेकर गया और उसको बिस्तर पर लिटा कर उसके साथ मस्ती करने लगा.
फिर मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए.
अब मैं उसके ऊपर टूट पड़ा.
पहले तो मैं उसके बाल को सहलाता रहा.. फिर मूड बनाते हुए उसके होंठों को किस किया. होंठों से नीचे उतरने के बाद उसके मम्मों को चूसा.
जब मैंने उसके एक चूचे के निप्पल को दाँत से काटा.. तो उसके मुँह से सिसकारियां निकल गईं ‘ऊइइ सी.. सी.. ओह.. आहह.. चूसो राहुल.. और ज़ोर से चूसो इनको..’
वो चुदास से भर उठी थी.. इसके बाद में धीरे-धीरे मैंने उसके पेट को चूसते हुए उसकी झांट रहित और एकदम साफ सुथरी पिंक-पिंक सी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा.
चूत पर मेरी जुबान का अहसास पाते ही वो बिन पानी के मछली के जैसे तड़पने लगी.
वो ज़ोर-ज़ोर से मादक सिसकारियां लेने लगी ‘ओ..ह.. राहुल आ..सइस्सस..’
वो कामुकता से भर कर मेरे बालों को खींचने लगी ‘आअह.. इसस्स उम्म.. बहुत मज़ा आ रहा है..’
थोड़ी देर अपनी चूत चटवाने के बाद वो मेरे सर को जोर से पकड़ कर चूत में दबाने लगी.. क्योंकि वो झड़ने वाली थी.
थोड़ी देर बाद वो झड़ने लगी, मैंने उसका सारा नमकीन पानी ‘सिपुड़-सिपुड़’ कर मस्ती से पी लिया.
चूत से रस छूटने के बाद वो निढाल होकर पड़ी रही.
बाद में वो मेरे लंड को सहलाने लगी और उसको मुँह में लेने लगी.
जब वो मेरे लौड़े को अपने मुँह में ले रही थी तो उसके मुँह से बिल्कुल ऐसी आवाज आ रही थी जैसे बरफ को चूसते वक्त आवाज़ आती है.
उसकी लौड़ा चूसने की तेज आवाज़ पूरे बेडरूम में आने लगी.
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.
वो मेरे लंड को पूरा मुँह में लेने की कोशिश कर रही थी.. लेकिन नहीं ले पा रही थी.
थोड़ी देर बाद में मैंने भी उसके मुँह में झड़ने का मूड बना लिया.
मैंने उसको बताया- माल निकलने वाला है, किधर लेना है?
वो किसी रण्डी के जैसे मुँह खुला करके मेरे सामने घुटनों के बल बैठ गई.
मैंने ज़ोर की पिचकारी मारी.. तो उसकी आँख में जाकर गिरी.. तो उसकी चीख निकल गई और उस समय आँखें बंद हो गईं.
मैंने बाकी का पानी उसके मुँह में लंड देकर चुसवा लिया.
फिर मैंने उसको बाथरूम में ले जाकर आँखें साफ करवाईं. कुछ देर बाद उसकी आँखें ठीक हो गईं.
अब हम दोनों बादाम शेक पीकर नंगे ही लेट गए हम दोनों काफी शिथिल से हो चुके थे. इसलिए कब सो गए पता ही नहीं चला.
करीब दो घन्टे के बाद मैं जाग गया और उसकी चूत में उंगली करने लगा.. तो कुछ पल बाद वो भी कामुक सिसकारियां लेने लगी.
वो अपनी गांड उठा कर चूत की तड़प को दिखाने लगी ‘आह.. राहुल.. ओईई माँआ.. अब रहा नहीं जा रहा है..’
आख़िरकार उसने कह ही दिया- राहुल जल्दी से मुझे अपना बना लो.
मैंने उसको लंड मुँह में दिया और उसकी चूत पर ढेर सारा थूक लगाया. उसने भी मेरे लंड को चूस कर थूक से गीला और चिकना कर दिया.
फिर मैंने उसको डॉगी स्टाइल में आने को कहा.. वो तुरन आ गई.
मैं उसकी चूत पर लंड को रगड़ने लगा.. तो वो बहुत तड़पने लगी. मैंने एक झटका मारा तो मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया ओर वो चिल्ला उठी ‘उम्म्म्म… माँआ.. आह. आ..सी राहुउऊउल…’
वो मेरी चोट से एकदम से चिहुंक उठी थी और अपने थूक को गले से अन्दर उतारने लगी.. जैसे प्यास लगी हो.
मैं उसको मम्मों को दबाता रहा और चोदता रहा.
थोड़ी देर ऐसे ही चोदने के बाद वो अपनी गांड को मेरी तरफ ठेलने लगी और कहने लगी- आह्ह.. मजा आ गया.. और डालो.. पूरा घुसेड़ दो.. अपने लौड़े को.. और अन्दर.. आह.. ओह्ह.. जल्दी से जड़ तक पेलो.. मैं मरी जा रही हूँ.. उम्म.. अह्..’
मैंने झटका लगा कर पूरा लण्ड अन्दर घुसेड़ दिया.
इस बार उसने अपनी चीख को मुँह में ही दबा कर रखा, वो अपने मुँह को ऐसा करने लगी.. जैसे उसको बेहद मजा मिला हो.
थोड़ी देर बाद वो अपनी गांड को हिलाने लगी.. तो मैंने भी अपना काम शुरू कर दिया.
अब मैं उसको झटके पे झटके लगाता जा रहा था.
वो ‘आह.. आहह.. आआह उह.. उम्म.. इसस्स..’ कर रही थी.
उसकी चूत से ‘पचक.. पचक..’ की आवाज़ आ रही थीं.. उसकी ये आवाज मुझे बेहद अच्छी लग रही थी.
थोड़ी देर बाद वो झड़ गई और उसकी चूत ने मेरे लंड को पूरा अन्दर से दबोच लिया. मेरे मुँह से ‘आह..’ निकल गई और मेरी आँखें थोड़ी देर के लिए बंद हो गईं.
फिर मैंने झटके लगाने शुरू कर दिए.. वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी.
इस बार ‘पचक.. फचक..’ की आवाजें और भी तेज आने लगीं.
पूरे कमरे में चुदास भरी मादक आवाजें ही आ रही थीं.
थोड़े टाइम बाद मैं भी झड़ने को तैयार हो गया.. तो उसने कहा- मेरे अन्दर ही डाल दो पानी को.. मैं कितने दिनों से प्यासी हूँ.
मैंने वैसा ही किया. झटके मारते-मारते मैंने उसकी कमर को अपनी ओर खींचा और उसको कसके पकड़ लिया. मैंने अपना सारा पानी उसकी चूत में छोड़ दिया. उसने भी लंड को अन्दर से अपनी चूत में दबा कर पूरा निचोड़ लिया.
मैंने उसकी चूत में पाँच-बार पिचकारी मारी.. तब जाकर मैं खाली हो पाया.
फिर उसको पीठ के बल गिरा कर लंड को चूत में ही रखकर सो गया.
दोस्तो, यह थी मेरी और हेतल भाभी की चुदाई की कहानी.