यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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अब तक आपने जाना कि पायल ने मुझसे ऊपरी तौर पर सब कुछ करने की इजाजत दे दी थी पर अब भी वो चुदाई से डर रही थी।
अब आगे..
मैं- डरने की क्या बात है.. तुमको अच्छा लगेगा।
पायल- हाँ जो कुछ तुमने किया और जो मैंने महसूस किया.. वैसा मैंने कभी महसूस नहीं किया है, ऐसा लग रहा था कि मैं सातवें आसमान में उड़ रही थी।
जब पायल अपनी बात बता रही थी.. तो मैंने अपनी पैंट के बटन खोल दिए और उसका हाथ मैंने पकड़ कर पैंट में डाल दिया।
पायल ने फिर भी कुछ नहीं किया, शायद वो झिझक रही थी.. पर उसने हाथ भी नहीं हटाया।
मेरा लण्ड पूरी तरह से खड़ा था.. मैं उसे अभी चोदना चाहता था.. पर सुबह से अब तक जो भी बात हम दोनों के बीच हुई थी.. उससे मेरे दिल में उसके प्रति प्यार पनप गया था।
अब मैं उसे प्यार करता था और बगैर उसकी मर्ज़ी के कुछ नहीं करना चाहता था।
मैं धीरे से उसके ऊपर आकर उसे होंठों पर चुम्बन करने लगा।
पायल का हाथ अभी भी मेरी जॉकी के अन्दर था।
मैं- पायल क्या हुआ.. सहलाओ ना..
पायल- राहुल तुम क्या चाहते हो मेरे से?
मैं- कुछ नहीं.. बस तुमको चाहता हूँ और तुमको महसूस करना चाहता हूँ। तेरे हाथों का स्पर्श महसूस करना चाहता हूँ।
पायल- पर ये गलत है.. एक-दूसरे को ऐसा छूना क्या सही है? क्या हम दोनों को आगे बढ़ना चाहिए?
मैं- देखो तुमको जो आनन्द मिला वो कैसा था.. कैसा लगा तुमको?
पायल- बहुत अच्छा लगा.. अजीब सी फीलिंग थी.. पर ऐसा मैंने कभी नहीं महसूस किया.. मेरे बदन में करंट सा दौड़ रहा था.. बहुत अच्छा लग रहा था।
मैं- देखो हम दोनों के लिए पहली बार है। तुमको तो सुख मिल गया.. क्या मेरी गर्लफ्रेंड अपने बॉयफ्रेंड को वैसा आनन्द नहीं देना चाहेगी?
पायल से हल्की स्माइल के साथ बोली- तुम से बातों में कोई जीत नहीं सकता।
यह कह कर वो मेरे होंठों को चूमने लगी, मैं भी अपने शरीर का पूरा भार उस पर डाल कर उसके चुम्बन का जवाब देने लगा।
मेरे हाथ उसकी टी-शर्ट के अन्दर जाकर उसकी ब्रा के ऊपर से उसके उभारों को सहलाने लगे। पायल फिर से अपना होश खोकर मेरे रंग में रंगने लगी।
मुझे इंतज़ार था उसके हाथों की हरकत का.. जो अभी भी मेरी जॉकी के अन्दर था। मेरे लण्ड पर उसके मुलायम हाथों की गर्मी आ रही थी.. लण्ड अकड़ सा गया था.. दर्द भी हो रहा था, लण्ड बाहर आना चाहता था।
मैंने धीरे से उसकी टी-शर्ट को ऊपर उठाना शुरू किया था, पायल ने मेरा हाथ पकड़ लिया- नहीं राहुल!
मैं- पायल मुझे तुमको देखना है.. पूरा देखना है.. और मैं कुछ भी तुम्हारी मर्ज़ी के बगैर नहीं करूँगा.. जहाँ तुम चाहोगी वहीं तक मैं आगे बढूंगा और जहाँ न करोगी.. वहीं रुक जाऊंगा.. मुझे मत रोको।
यह कह कर मैंने उसके बैक में हाथ डाल कर उसे थोड़ा उठाया, फिर उसकी टी-शर्ट को पूरा निकाल दिया।
अहह.. क्या खूबसूरती थी.. गोरा बदन.. दाग रहित.. उस पर पिंक ब्रा.. ना चाहते हुए भी मेरी आंखें बड़ी हो गईं.. मुँह खुला का खुला रह गया।
मेरे चेहरे के भाव देख कर पायल के गोरे गाल गुलाबी हो गए और शरमा कर उसने दोनों हाथों से अपना चेहरा ढक लिया।
मौका देख कर मैंने अपना पैन्ट उतार दिया। मैंने फिर से उसके दोनों हाथों को उसके चेहरे से हटाया और उसका एक हाथ अपने लण्ड के ऊपर रख दिया और उसका हाथ दबा दिया।
‘अआह्ह्ह.. ओह्ह्ह.. नहीं राहुल प्लीज.. रुक जाओ।’
राहुल तो उसके हुस्न पर दीवाना हो गया था। राहुल ने अपना चेहरा उसकी गर्दन पर रख कर अपने भीगे होंठों को उसकी गर्दन पर रगड़ना शुरू कर दिया।
‘राहुल रुक जाओ प्लीजज्ज.. रुक जाओ।’ हम दोनों के वस्त्रविहीन शरीर के ऊपरी भाग एक-दूसरे से रगड़ने लगे थे। उसकी चूचियां मेरी विशाल छाती पर मसली जा रही थीं। मेरे पैरों की उंगलियां उसके पैरों को सहला रही थीं।
‘ओह्ह्ह्ह.. राहुल.. ये क्या कर रहे हो.. प्लीज मान जाओ.. मत करो ना.. मुझे कुछ फिर से हो रहा है।’
मैंने उसके कान में धीरे से कहा- पायल मेरी जॉकी के अन्दर हाथ डाल कर सहलाओ ना।
पायल- नहीं.. मुझे शर्म आती है।
मैंने उसका हाथ अपनी जॉकी में डाल दिया। मेरा लम्बा लण्ड लोहे की रॉड के माफिक पूरी तरह से खड़ा था।
मैंने फिर से पायल से बोला- मेरी गर्लफ्रेंड.. प्लीज़ सहलाओ ना।
पायल के ब्रा के ऊपरी हिस्से को मैं लगातार किस कर रहा था या ये कहो कि मैं चूस रहा था। उसके गोरे बदन पर जहाँ मैं चूमता.. वहाँ का हिस्सा लाल हो जाता था।
शायद उत्तेजना में या फिर मेरी बात मान कर वो पहली बार मेरा लण्ड अपने हाथों में ले कर सहलाने लगी।
ओह माय गॉड.. क्या फीलिंग थी.. क्या तरंग सी मेरे जिस्म में दौड़ गई।
‘ओह्ह्ह्ह पायल.. आई लव यू.. हाँ ऐसे ही सहलाओ.. अच्छा लग रहा है।’
मेरी उत्तेजना चरम पर थी.. कभी भी मैं ब्लास्ट हो सकता था।
मैंने उसकी ट्रैक पैन्ट को नीचे सरकना शुरू किया।
उत्तेजना का आलम ये था कि पायल ने खुद ही अपने हिप्स उठा कर सहयोग कर दिया।
अब वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी।
जस्ट लाइक अ हॉर्स बॉटल.. उसके पूरे बदन पर एक भी दाग नहीं था। निर्मल सी काया.. पतली कमर.. चौड़े कूल्हे मांसल भरी हुई जाँघें.. वाओ क्या हुस्न था पायल का.. मेरी उम्मीद से कहीं ज्यादा निर्मल पवित्र, निश्छल.. चिकना.. सॉफ्ट एंड सिल्की.. बाल रहित यौवन.. उसकी देह पर एक भी बाल नहीं.. एक भी दाग नहीं था।
उसकी पैंटी उसके रस से पूरी भीगी थी बड़ा सा गीलापन का धब्बा साफ महसूस हो रहा था।
पायल पूरी तरह से उत्तेजना में थी। उसका एक हाथ मेरे लण्ड को सहला रहा था.. तो दूसरा हाथ कभी मेरे बालों पर.. तो कभी मेरी पीठ पर घूम रहा था।
मैंने भी अपना जॉकी उतार दिया, मैं पूर्ण रूप से नग्न था, उसकी ब्रा को ऊपर उठा कर मैं उसके एक चूचे को मुँह में भर कर चूसने लगा।
‘ओह्ह राहुल.. अह.. आअह्ह.. अच्छा लग रहा है.. आआआह्ह ह्ह्ह्ह..’
मैं हाथ पीछे ले गया और ब्रा का हुक खोल दिया और उसको बाहर निकाल दिया। अह्ह्ह.. पिंक निप्पल.. एक रुपये के पुराने सिक्के के बराबर निप्पल के चारों तरफ हल्का ब्राउन ऐरोला… माशाअल्लाह.. उसकी 32B की चूचियाँ क्या मस्त थीं।
मेरे भीगे होंठों ने खुदबखुद झुक कर उसके पिंक निप्पल को मुँह में भर लिया और चूसने लगा।
पायल का बदन मचल गया.. उसके मुँह से सिसकारी और कराहट का शोर निकलने लगा ‘अह्ह्ह.. ओह्ह्हउ.. उह.. राहुल अच्छा लग रहा है.. ओह्ह धीरे से.. न काटो नहीं.. दर्द होता है..’
वो ये कह कर मेरे सर को चूची पर दबाने लगी, मैं और जोर से चूसने लगता.. कभी काट भी लेता।
पायल की उत्तेजना का आलम यह था कि मैंने चूची चूसते हुए उसकी पैंटी को भी निकाल दिया। अब पायल और मेरा जिस्म पूरा ही नग्न था।
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‘आअह्ह्ह ऊऊह्ह्ह्ह्ह..’ वो उत्तेजना से कांपने लगी।
कभी मैं उसके निप्पल पर अपनी जीभ घुमाता तो कभी उसको काट लेता।
‘आउच आह राहुल.. धीरे ना.. दर्द होता है.. मत करो ओह्ह धीरे से करो ना..’ उसका एक हाथ लगातार मेरे जिस्म पर घूम रहा था। वो लण्ड को कभी सहलाती तो कभी दबा देती।
हर बार मेरे मुँह से उत्तेजक आवाज़ निकल जाती ‘आउच आह आह.. ह्हआ’
मेरा हाथ उसकी चूत में था और उसकी चूत पर हल्के सुनहरे रोएँ जैसे बाल थे।
उसकी चूत के कटाव पर मेरी उंगली ने सहलाया, पूरी गीली चूत मेरी इस हरकत पर पायल उछल सी गई, उसने अपनी पूरी कमर उठा दी।
उसने मेरे लण्ड को जोर से दबा दिया, दर्द की लहर जिस्म में दौड़ गई.. पर कुछ दर्द अच्छे लगते हैं।
उसके छोटे से छेद के पास मेरी उंगलियाँ इधर-उधर हो रही थीं। चूत से नदी के बहाव की तरह रस बह रहा था।
उसने मेरा सर पकड़ कर अपनी चूची की तरफ कर दिया, मैं बच्चों की माफिक चूसने लगा.. चाटने लगा.. काटने लगा।
‘आअहहा हहुउऊउ.. आअहहुउ ओह्ह्ह राहुल्ल.. कुछ निकलने वाला है.. ओह्ह। उसके हाथ में लण्ड आगे-पीछे हो रहा था।
हम दोनों ही उत्तेजना के चरम स्तर पर थे और जोर की आवाज़ के साथ उसने मेरे लण्ड को जोर से दबा दिया और अपने पैरों को मेरी कमर में बांध कर जकड़ लिया।
मैं भी उसके लण्ड के दबाने के साथ अपना सारा माल उसकी हथेली पर गिराने लगा, मेरा रस कुछ उसके जिस्म पर.. कुछ बिस्तर पर गिर रहा था।
इतना रस तो मेरे लण्ड से कभी नहीं निकला था।
पायल भी दोबारा झड़ गई थी।
कमरे में सिर्फ और सिर्फ हम दोनों की सांसों का शोर था। दोनों ने एक-दूसरे के नग्न जिस्म को जकड़ रखा था। उसकी फूल सी काया मेरे जिस्म के बोझ तले दबी थी।
काफी देर तक हम दोनों कुछ पता नहीं था और कब दोनों नींद के आगोश में चले गए.. पता ही नहीं चला।
तकरीबन एक घंटे के बाद पायल की आँख खुली। मेरा जिस्म अभी भी आधा उसके ऊपर था। पायल धीरे-धीरे मेरे बालों को सहला रही थी।
तभी मेरी आँख खुली.. उसके होंठों पर प्यारा सा हल्का चुम्बन किया।
मैंने उसकी आँखों में देखा.. वो शरमा कर दूसरी तरफ देखने लगी।
हम दोनों अभी भी नग्न अवस्था में थे, दोनों के जिस्म पर मेरे रस के निशान थे, उसके जिस्म में जगह-जगह लाल-लाल निशान थे.. जो हम दोनों के प्यार की कहानी को बयान कर रहे थे।
मैं धीरे से उठा और खड़ा होकर उसको गौर से देखने लगा।
पायल ने शर्म से अपने ऊपर चादर को खींच लिया.. पर मैंने चादर हटा कर उसको बाँहों में उठा लिया।
आज ऊपरी तौर पर मैंने पायल के साथ सब कुछ कर लिया था और वो मेरे साथ सब कुछ अपनी ख़ुशी से कर रही थी।
अब देखना यह था कि कि वो मुझसे चुदती कब है।
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कहानी जारी है।
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