हाई दोस्तों, मेरा नाम सुनीता है. आज आपके लिए में एक नई कहानी लेकर आयी हूँ. दरअसल बात यह है कि मैं एक बहुत ही बड़े घर से ताल्लुक रखती हूँ।
बहुत बड़े क्षत्रिय घराने से, ससुराल में हमारा बिज़नस बहुत है, तो मायके में सब राजनीति में हैं। इसलिए मैं अपना नाम पता आपको कुछ भी नहीं बता सकती, नाम भी नकली है।
मगर अब जब इतने बड़े घर से हूँ, तो मायके में भी और ससुराल में भी पैसे की या किसी भी और चीज़ की कोई तंगी मुझे कभी भी महसूस नहीं हुई, बल्कि ज़रूरत से ज़्यादा हो तो इंसान जल्दी बिगड़ जाता है।
मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही था, मैं भी अपने स्कूल के समय से सब पर धौंस जमाती थी, कॉलेज में भी, यूनिवर्सिटी में भी। पढ़ाई में भी होशियार, और बाकी सब कामों में भी। स्कूल कॉलेज में ही मैं पहली बार किसी की लुल्ली से खेली थी और पहली बार चुदवा कर देख लिया था।
उसके बाद तो मैंने खूब सेक्स किया। बड़े घर की बेटी, बड़े घर की ही बहू बनी। बेशक सुहागरात को ही पति का बड़े आराम से घुस गया, मगर पति कौन सा कुँवारा था, उसका भी टोपे का टांका टूटा हुआ था। तो ना वो बोले, न मैं बोली।
शादीशुदा ज़िंदगी बड़े मज़े से चलने लगी, बच्चे भी हो गए। पति ने भी अपने बिज़नस में खूब तरक्की करी। मेरे पति के बिज़नस पार्टनर की बीवी कविता भी मेरी दोस्त बन गई, अक्सर मिलना, घर आना जाना, एक साथ घूमना फिरना, और किट्टी पार्टी, और न जाने कितने मौकों पर मिलना होता रहता था।
धीरे धीरे हम दोनों पक्की सहेलियां बन गई। कई बार हम दोनों अपने पति और परिवार के साथ देश विदेश के दौरों पर घूमने जाते। बाहर जाते सब अपने अपने हिसाब से मज़े करते, हम दोनों ने भी खूब मज़े किए, पहली बार जब हम लोग यूरोप घूमने गए, तब मैंने और कविता ने पहली बार किसी अंग्रेज़ से सेक्स करके देखा।
अब पति लोग तो गए थे अपने बिज़नस के चक्कर में और हम दोनों होटल के रूम में शाम तक अकेली थी, तो हमने अपने होटल का ही एक अंग्रेज़ वेटर पटा लिया, उससे पैसे की बात की और वो लड़का मान गया।
उस दिन पहली बार हम दोनों सहेलियों ने एक दूसरी के सामने किसी गैर मर्द से अपनी फुद्दी मरवाई. दोनों सहेलियों ने किसी गैर मर्द का लंड चूसा. और सिर्फ इतना ही नहीं, पहले हमने एक दूसरी को किस किया, होंठ चूसे, एक दूसरी की जीभ चूसी, एक दूसरी के मम्मे दबाये, चूसे भी, और अगल बगल लेट कर हमने उस अंग्रेज़ लड़के से चुदवाया।
सच में ये बहुत ही मज़ेदार एक्सपीरिएन्स रहा।
मगर उसके बाद हम दोनों आपस में बहुत ज़्यादा खुल गई, एक दूसरी को कुत्ती, कामिनी, रंडी, गश्ती, मादरचोद, बहनचोद तो यूं ही मज़ाक में कह दिया करती थी। कभी हमें एक दूसरी की किसी भी बात पर गुस्सा आता ही नहीं था।
यूरोप से भारत वापिस आई, तो उसके बाद तो हम दोनों सहेलियों ने और भी बहुत से लोगों से चुदवाया, साथ में भी अलग अलग भी।
अब मुझे मेरे व्यक्तित्व के कारण और पारिवारिक प्रष्ठभूमि के कारण बार बार राजनीति में आने का दबाव बन रहा था, तो मैंने सोचा, सब कह रहे हैं, तो राजनीति में आ ही जाते हैं।
सबसे पहले मुझे अपनी ही पार्टी की महिला विंग की प्रधान बना दिया गया, उसके बाद मैं पार्षद का चुनाव जीता, और फिर अगली बार मैंने विधायक के चुनाव में खड़े होने की सोची। मगर जितना मैंने सोचा था, उस से कहीं मुश्किल लगा मुझे विधायक का चुनाव जीतना।
इतनी भाग दौड़, इतना शोरोगुल, इतनी मानसिक और शारीरिक थकावट।
जब मैं चुनाव जीत गई तो मैंने कविता से कहा- यार, इस चुनाव ने तो साली मेरी गांड फाड़ कर रख दी, बहुत थक गई हूँ, क्यों न कुछ दिन के लिए रेस्ट मारा जाए और कुछ एंजॉय किया जाए। कविता बोली- साली मादरचोद की गांड फटी पड़ी है, फिर लौड़े लेने की सोच रही है।
मैंने हंस कर कहा- अरे कुतिया, मेरी फटी और तरह से पड़ी है, लौड़े लेने का क्या है, वो तो फुद्दी में लेने हैं। और तू मेरे साथ जाएगी, तू क्या नहीं लेगी, मुझसे पहले तो तेरी चूत खड़ी हो जाती है।
हम दोनों हंस पड़ी और सोचा के कुछ ऐसा किया जाए कि बस मज़ा आ जाए।
तो मैंने अपने एक अमेरीकन दोस्त से बात की, उसने मुझे एक नई स्कीम बताई। तो उसकी सलाह पर मैं और कविता दोनों 15 दिन के लिए अमेरिका चली गई।
अमेरिका में हमें प्रवीण खुद एअरपोर्ट पर लेने आया, प्रवीण ही हम दोनों का दोस्त, और राज़दार था। हमें होटल में छोड़ कर वो चला गया।
हमारा मस्ती टाइम शुरू हो चुका था.
तो सबसे पहले हमने अपने लिए शराब, सिगरेट, नॉनवेज वगैरह ऑर्डर किया क्योंकि अपने देश में तो हम ये सब सबके सामने नहीं खा पी सकती थी। भारत में तो हमारी इमेज एक बहुत ही सीधी सादी घरेलू औरत की इमेज थी।
जब दो दो पेग हमने चढ़ा लिए, 4-5 सिगरेटें भी फूँक दी, मांस मछली भी खा लिया तो फिर हमने अपने अपने कपड़े उतारे और बिल्कुल नंगी हो गई।
उसके बाद हमने और भी बहुत कुछ ऑर्डर किया और हर बार जो भी वेटर हमें हमारा ऑर्डर देने आता, हम उसके सामने नंगी ही जाती और उन लोगों से खूब छेड़खानी करती।
हमारा पूरा मूड था कि होटल के दो चार बैरे हमें चोद दें. यहाँ तक कि हमने उनको ऑफर भी कर दी कि अगर आप हमारे साथ सेक्स करोगे, तो हम आपको पैसे भी देंगी. मगर वो साले बड़े प्रोफेशनल थे, साले सब के सब ‘सॉरी मैम … सॉरी मैम!’ करके निकल जाते। किसी मादरचोद ने हमारी फुद्दी नहीं मारी।
जब कोई जुगाड़ नहीं बना और हम दोनों को नशा भी बहुत चढ़ गया तो हम दोनों एक दूसरी को ही अपनी बांहों में भर कर बेड पर लेट गई। पहले तो एक दूसरी को देखा, और फिर कविता ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये. मैं भी तैयार थी कि चलो अगर लंड नहीं मिलता तो आज फुद्दी से फुद्दी मरवा के देख लेते हैं।
मगर कुछ देर एक दूसरी की बांहों में बांहें डाले लेटे लेटे, एक दूसरी को चूमते हुये कब हमें नींद आ गई, पता ही नहीं चला।
सुबह काफी लेट उठी हम!
उठ कर देखा तो सारा सूइट बिल्कुल साफ सुथरा था, मतलब हाउस कीपिंग वाले अपना काम कर गए थे, और शायद हम दोनों को नंगी सोते हुये भी देख गए थे।
चलो कोई परवाह नहीं।
हमने उठ कर नहा धो कर रेडी हो कर पहले कॉफी पी, फिर प्रवीण को फोन किया, वो हमारे पास एक घंटे बाद आया।
“हैलो माई ब्यूटीफुल लेडीज़, कहिए मैं आपकी क्या सेवा करूँ?”
मैंने कहा- यार पिछले दो महीने से बहुत बिज़ी रहे, साला ढंग से सेक्स भी नहीं कर पाई हम दोनों, सो हमारा मूड है कि कुछ ऐसा इंतजाम करो कि हमारी फुद्दियाँ मर्दों के गाढ़े लेस से भर जाएँ। इतना चुदें, इतना चुदें के साली दो महीने की प्यास बुझ जाए।
तो प्रवीण बोला- यहाँ पास में ही एक क्लब है, मैंने वहाँ बात की है, आपकी पहचान किसी को पता नहीं चलेगी, सिर्फ आपका नीचे का आधा बदन उनको दिखेगा। अलग अलग मर्द आएंगे और क्लब वालों को पैसे देकर आपसे सेक्स करेंगे। आपको पता नहीं कौन आया था, काला था गोरा था. उसको कोई पता नहीं के कमर के ऊपर ये औरत कैसी दिखती है। सिर्फ आपका नीचे के आधा बदन ही इस्तेमाल होगा। हो सकता है, एक दिन में आप एक से भी न चुदें, और हो सकता है, एक घंटे में ही आपको 6 लोग चोद दें। पर एक बार आप अंदर चली गई तो चार घंटे से पहले आप बाहर नहीं आ सकती, और आप फुद्दी और गांड दोनों मरवा लेती हो, आपको कोई सेक्सुयल बीमारी नहीं, आपको ये क्लब को लिखित में देना होगा।
हम दोनों तैयार थी तो हम प्रवीण के साथ चल पड़ी।
जब हम क्लब के मैनेजर से मिले तो उसने हमें पहले सारा प्रोसैस समझाया, और दिखाया भी! इसे आम भाषा में Glory Hole ग्लोरी होल कहते हैं.
कुछ औरतें तो आराम से चुद रही थी, मगर कुछ बहुत शोर मचा रही थी। तरह तरह के लंड देख कर तो हम दोनों की फुद्दियाँ गीली हो गई। जैसे ही दो लेडीज़ की शिफ्ट खत्म हुई, तो हम दोनों को उनकी जगह लेटा दिया गया।
मैं अपनी ही बगल में लेटी कविता को देख रही थी, तभी किसी ने मेरी जांघों पर हाथ फेरा। मुझे लगा के अब कोई लंड मेरी फुद्दी में घुसेगा, मगर तभी साथ लेटी कविता ने सिसकी ली। मतलब मेरी जांघें सहला कर वो आदमी कविता की भोंसड़ी मारने चला गया।
मगर तभी किसी ने अपना कड़क लंड मेरी फुद्दी पर भी रखा और बिना कोई थूक लगाए, या किसी आराम से उसने बस अपना लंड धकेल कर मेरी फुद्दी में डाल दिया और लगा मुझे पेलने! बड़ा दर्द देकर उसका लंड मेरी फुद्दी में घुसा. और ऊपर से सूखी फुद्दी को उसने रगड़ना शुरू कर दिया।
तब मुझे एहसास हुआ के जो औरतें किसी वजह से इस तरह जिस्मफ़रोशी के धंधे में उतरती हैं, उन्हें कितनी ज़िल्लत और दर्द सहना पड़ता होगा।
तभी मैंने सोचा कि अगर मुझे इस बार कोई मंत्री पद मिला तो मैं ऐसी दुखी औरतों के लिए ज़रूर कुछ करूंगी।
किसी ने सच ही कहा है, जब दूसरे की फटती है, तब मज़ा आता है, दर्द का एहसास तो तभी होता है, जब अपनी फटती है।
खैर अगले पाँच मिनट उस माँ के पूत ने मुझे जम के पेला, बेशक मैंने उसकी शक्ल नहीं देखी, न ही उसने मेरी शक्ल देखी, हाँ मेरी फुद्दी देखी, और बढ़िया पेली। जब तक पाँच में उसका पानी गिरा, तब तक उसने मुझे भी झाड़ दिया। पूरी गीली फुद्दी में फ़चाफ़च पेल कर उसने मुझे भी स्खलित किया, और खुद भी अपने माल से मेरी फुद्दी को भर गया।
अगले चार घंटे में मैं 12 बार चुदी, और कितनी बार स्खलित हुई, मैंने नहीं गिना। मगर उन लोगों ने मेरी खूब तसल्ली करवा दी।
जब मैं वहाँ से उठी, तो मेरा पेट, मेरी जांघें, सब मर्दाना वीर्य से भीगे पड़े थे।
उठ कर मैं सबसे पहले बाथरूम में गई, वहाँ जा कर नहाई, अच्छे से अपने जिस्म को धोया।
इतने में कविता भी आ गई। फ्रेश होने के बाद उन लोगों ने हमें विडियो पर दिखाया कि किन किन लोगों ने हमें चोदा था।
हम दोनों को इस काम के 1000 डॉलर, हरेक को मिले।
खैर पैसे की तो हमें ज़रूरत नहीं थी।
अगले दिन हम दोनों फिर वहाँ गई, और उसी जगह से कमाए हुये पैसे से ऐश करने।
इस बार हम दोनों जैंट्स ग्लोरी होल में गई। वहाँ बड़े बड़े लकड़ी के फट्टे लगे थे, जिन के पीछे मर्द खड़े थे, मगर फट्टे में एक सुराख से उन लोगों के कडक खड़े लंड बाहर को झांक
रहे थे। आप लंड पसंद करो, और उस से जो चाहो करो, चूसो, चूमो, चाटो, या चुदवाओ।
मैंने और कविता दोनों ने एक एक हबशी का लंड पसंद किया। यही कोई 10-11 इंच का लंड था, खूब मोटा और सख्त। इतना प्यारा लंड मैंने तो उसे पकड़ कर खूब सहलाया, उसे बहुत प्यार किया। हिंदुस्तानी मर्दों के लंड से तो ये दुगना था। और ऐसे शानदार लंड रोज़ रोज़ कहाँ देखने को मिलते हैं।
वो लंड मैंने खूब चूसा. और फिर अपनी स्कर्ट उतारी और चड्डी भी; आगे को झुक कर एक टेबल का सहारा लिया और अपनी फुद्दी उस लंड से लगाई. और जैसे ही पीछे को हुई, वो शानदार गधा लंड मेरी फुद्दी में घुसता चला गया।
बेशक सारा ज़ोर मैं ही लगा रही थी। मैंने अपनी ताकत से चुदवाया और ये पहली बार था मेरी ज़िंदगी में जब सारा खेल मैंने खेला। क्योंकि कल मैं वैसे ही बहुत चुद चुकी थी, इस लिए मेरा इतनी जल्दी पानी छूटने वाला नहीं था, तो मैं करीब 15 मिनट उस बड़े सारे गधे लंड से झगड़ती रही, तब कहीं जा कर मेरा पानी गिरा।
मगर वो लंड अभी भी कड़क था, वैसे ही तना हुआ। मैंने कविता की ओर देखा, उसकी आँखों में भी शरारत थी।
हम अपने होटल वापिस आ गई.
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