अनजान औरत की टाइट चूत की मस्ती

हैलो दोस्तों, आपको मेरा नमस्कार. मेरा नाम जय है. मैं उज्जैन का रहने वाला हूं और एक टेलीकॉम कम्पनी में सेल्स ऑफिसर हूँ.

मेरा चुत चुदाई का पहला अनुभव एक स्कूल टीचर के साथ हुआ था.
इसी अनुभव को आज एक स्कूल टीचर सेक्स कहानी के रूप में लिख रहा हूँ.

अपने काम के सिलसिले से मुझे रतलाम जाना पड़ा. ये कहानी रतलाम शहर की है.

एक दिन में अपने काम से किसी दुकान पर गया, वहीं मेरी मुलाकात एक स्कूल टीचर से हुई. वो बहुत ही सेक्सी औरत थी.
उसको अपने लैपटॉप में कुछ काम था, जिसके लिए उसने सेल्स ऑफिसर का नम्बर उस दुकानदार से लिया.

पर उसे ये नहीं पता था कि वो जिसका नम्बर दुकानदार से ले रही है, मैं वही हूँ. वो दुकानदार से नम्बर लेकर चली गई.

कुछ दिनों के बाद उसने उस दुकानदार से लिए हुए नम्बर पर कॉल किया, जो कि मेरा नम्बर था.

उसने अपना नाम बताया. उसने कहा- हैलो मेरा नाम विनीता है, मैं रतलाम से बात कर रही हूँ.
उसकी इतनी मधुर आवाज सुनकर मैं मस्त हो गया. मैंने मंत्रमुग्ध होते हुए पूछा- जी, बताइए मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ.

वो- मेरी कुछ प्रॉब्लम है … क्या आप उसे ठीक कर सकते हैं.
मैंने हां कह दिया.

उसने कहा- मेरा इंटरनेट पिछले 5 दिनों से नहीं चल पा रहा है. मैंने आपकी कंपनी में शिकायत भी दर्ज की, पर कोई फायदा नहीं हुआ. क्या आप सही कर देंगे.
मैंने कहा- हां मेम मैं ठीक कर दूंगा. मैं अपने काम से फ्री होने के बाद आपको कॉल करता हूं.

अगली दोपहर को लगभग 2 बजे मैंने उस नम्बर पर कॉल किया और उससे पूछा कि मैं फ्री हूँ, तो आपकी प्रॉब्लम सही करने अभी आ जाऊं क्या?
उसने हां कह दिया.

मैं अपनी गाड़ी उठाकर उसके बताए पते पर पहुंच गया.
मैंने उसके फ्लैट की बेल को बजाई, तो मैडम ने गेट खोला.

उसे मैं देखता ही रह गया.
घर में नाईट सूट में क्या क़यामत ढा रही थी वो … उसके मम्मों की साइज भी अभी बहुत अच्छी दिख रही थी.
उसे देखने से ऐसा लग रहा था कि अभी पकड़ कर चोद दूं.

उसने मुझे घर के अन्दर आने को कहा. मैं घर पर जाकर सोफे पर बैठ गया.

वो मेरे लिए पानी लेकर आई. मैं पानी पीते पीते उसके मम्मों को ही देखे जा रहा था.

फिर मैंने उससे पूछा- क्या प्रॉब्लम है बताइए.

वो वहां से उठकर लैपटॉप लेने गई.
लैपटॉप लाने के लिए वो जैसे ही पलटी, मेरी नजर उसकी मचलती गांड पर पड़ी, क्या मस्त माल थी वो.

वो लैपटॉप लेकर आई और मुझे देकर बोली- इसमें 5 दिन से इंटरनेट नहीं चल रहा है.

मैंने उसके हाथ से लैपटॉप ले लिया और उसे ऑन करने लगा.

उसने कहा- आप क्या लेंगे जूस या कॉफी!
मैंने उसको थैंक्स कहते हुए बोला- बस मुझे कुछ नहीं चाहिए.

वो बोली- आप मेरे काम के लिए अपना काम छोड़कर आए हैं, तो आपको कुछ तो लेना ही होगा.

मैंने मन में सोचा कि हां लेनी तो आपकी चुत है मगर कैसे कहूँ.
मगर सामने से मैंने कहा- ठीक है कॉफी चल जाएगी.

उसने कहा- ओके आप लैपटॉप देखिए, मैं आपके लिए कॉफ़ी लेकर आती हूँ.
मैं अपने काम में व्यस्त हो गया.

वो कॉफी लेकर आई और मुझे कॉफी का मग पकड़ा कर सामने बैठ गई. उसने भी कॉफी का एक मग लिया हुआ था.

मैं कॉफी पीते पीते ही काम करने लगा.
तो वो बोल पड़ी- पहले आप कॉफ़ी पी लीजिये … काम तो होता रहेगा.

वो कुछ बातचीत करने में कुछ ज्यादा ही रूचि दिखा रही थी.
तो मैंने भी लैपटॉप एक तरफ रखा और कॉफ़ी पीते हुए उससे बात करना शुरू कर दी.

बात बात में मैंने उससे उसके परिवार के बारे में पूछा, तो उसने बताया कि मेरा एक बेटा है और एक बेटी. मेरे ससुरजी भी हैं.

इतना सुनकर मैंने उससे पूछा- और आपके हजबैंड!
तो वो कहने लगी कि मेरे हस्बैंड भी हैं.. पर वो केवल बेड पर ही रहते हैं.

मैंने पूछ लिया- क्यों!
तो उसने बताया कि एक बार वो मुझे गाड़ी से लेने मेरे स्कूल आ रहे थे तो उनकी गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया था. तभी से वो कोमा में हैं. चार साल से वो कोमा में ही हैं.

इतना कह कर वो रोने लगी.

उसको ढांढस बंधाते हुए मैंने चुप कराया और दो चार औपचारिक बातें की कि सब कुछ ठीक हो जाएगा.

मैंने उसको चुप करवाया, तो वो उठकर दूसरे रूम में चली गई.

फिर मैंने अपना काम करके उसको आवाज़ दी, पर उसने कोई जवाब नहीं दिया.
मैंने रूम के दरवाजे पर दस्तक देकर पूछा- मेम आपका सिस्टम रेडी हो गया है.

तब जाकर उसने जवाब दिया.
उसने मेरे करीब आकर पूछा- अब कोई प्रॉब्लम तो नहीं है.
मैंने कहा- नहीं अब सब ठीक है, आप उपयोग में लीजिये और बताना.
उसने कुछ नहीं कहा.

चूंकि लैपटॉप गारंटी पीरियड में था तो मैंने उससे एक कागज पर साइन करवाए और मैं वहां से अपने ऑफिस चल दिया.

कुछ दिनों के बाद मेरे मोबाइल किसी का मैसेज आया.

मैंने पूछ लिया- आप कौन?
उसने कहा- शायद आप मुझे भूल गए हैं.
मैंने कहा- हां मैं नहीं पहचान पाया.

फिर उसने अपना नाम बताया कि मैं विनीता बोल रही हूँ.
मैंने भी कहा- अच्छा मेम आप हैं. कहिये अब क्या प्रॉब्लम हो गई आपके लैपटॉप में!

उसने हंस कर कहा- अभी तक कोई प्रॉब्लम नहीं आई … लैपटॉप अच्छा चल रहा है.

ऐसे ही उससे बात चलती रही.
फिर मैंने उससे कहा कि मैं थोड़ा बिजी हूँ … आपसे बाद में बात करूं!
वो बोली- हां हां प्लीज़.

मैंने फोन काटा और अपना काम करने लगा.

फिर उसी रात में तकरीबन 11 बजे में सोने ही जा रहा था, तब उसका मैसेज आया- हैलो!
मैंने भी कहा- हैलो मैडम जी, कहिये क्या बात है?

विनीता ने कहा- आपने खाना खा लिया!
मैंने कहा- हां, अभी थोड़ी देर पहले ही खा कर बेड पर लेटा हूँ.

मैंने भी उनसे पूछ लिया- आपने खाना खा लिया!
तो वो भी हां कहने लगी.

बस हमारी इधर-उधर की बात होने लगी.
मैं समझ गया कि इस औरत को बात करने की कुछ ज्यादा ही आदत है.

फिर उसने मुझसे पूछा- क्या आपकी शादी हो गई?
मैंने भी उसको लाइन मारते हुए कह दिया- आपके जैसी कोई मिली नहीं अभी तक.

मेरी इस बात पर वो हंसने लगी और बोली- ढूंढो मिल जाएगी.
मैंने भी कह दिया- अरे साब, हमारे ऐसे नसीब कहां हैं.

वो कहने लगी- आपको मुझमें क्या ख़ास दिखा?
मैंने कह दिया- एक मस्त सी कशिश है जो मैं शब्दों में नहीं बता सकता हूँ.
वो हंसने लगी और बोली- मुझे आपकी आंखों से पता चल जाता है कि वो कशिश किधर है.

मैं समझ गया कि ये अपने मम्मों को घूरने को ताड़ गई है.

उस दिन मेरी उससे रात को 3 बजे तक ऐसे ही बातें होती रहीं. फिर हम लोग सो गए.

ये सिलसिला लगभग 20 दिन ऐसे ही चलता रहा.

अब हमारी बातें काफी खुली खुली होने लगी थीं. हम दोनों आप की जगह तुम कह कर बात करने लगे थे.

एक दिन विनीता ने पूछा- क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?
मैंने मजाक में हां कह दिया.

मेरी हां सुनकर वो थोड़ी देर तक तो कुछ नहीं बोली.
मैंने कहा- क्या हुआ तुम चुप क्यों हो गईं!
वो बोली- कुछ नहीं.

मैंने विनीता से कहा- सॉरी, मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.
इस पर वो हंस दी.

फिर मैंने पूछा- मगर तुमने ऐसा क्यों पूछा?
विनीता बोली- बस ऐसे ही.

ऐसी ही बात निकली, तो मैंने पूछ लिया कि तुम ऐसे ही अकेली बोर नहीं होती हैं.
वो कहने लगी- होती हूँ … पर क्या करूं.

मैंने विनीता को आई लव यू का मैसेज भेज दिया.
तो कहने लगी कि ऐसा क्यों कहा तुमने!
मैंने कोई जवाब नहीं दिया और मैंने गुड नाईट कह कर फ़ोन रख दिया.

अगले दिन सुबह विनीता ने मैसेज में कहा- तुमने ऐसा क्यों कहा!
मैंने कह दिया- ऐसे ही.

विनीता ने मुझसे कहा कि मैं आज स्कूल नहीं जा रही हूँ. मुझे घर पर कुछ काम है.
मैंने कहा- ठीक है. मुझे तो ऑफिस जाना है.

इतना कहकर मैं नहाने चला गया और चाय पीकर ऑफिस के लिए निकल गया.

दिन में मैं अपना लंच करने बैठा ही था कि विनीता का मैसेज आया- तुम बुरा ना मानो, तो क्या आज का लंच हम साथ में कर सकते हैं!
मैंने थोड़ा सोचा, फिर हां कह दिया.
वो बोली- ठीक है, तुम दो बजे तक मेरे घर आ जाना.

मैं 2 बजे उसके घर पहुंच गया.
आज विनीता ब्लू और रेड साड़ी में मस्त लग रही थी.
उसने मुझे बैठने को कहा और बोली- मैं खाना लगाती हूँ.

विनीता ने टेबल पर खाना लगाकर मुझे बुलाया.
आज विनीता ने मेरे मनपसंद दाल बाफले बनाये थे.
मैंने पूछा- आज ऐसा क्या ख़ास है, जो तुमने दाल बाफले बनाये.

वो कहने लगी- दाल बाफले मेरे भी मनपसंद हैं. शायद तुमको भी दाल बाफले पसंद हैं?
मैंने कहा- हां मुझे भी बहुत पसंद हैं.

फिर मैंने पूछा- तुम्हारे बच्चे कहां हैं?
वो बोली कि वो आज उनके नानाजी के यहां गांव गए हैं. उनकी 5 दिनों की छुट्टियां हो गई थीं, तो वो लोग घूमने चले गए.

फिर हम दोनों खाना खाने लग गए.

मैंने विनीता से कहा- दाल बाफले खाने के बाद मुझे नींद आ जाती है.
वो बोली- कोई बात नहीं थोड़ी देर आराम कर लीजियेगा.

खाना खाने के बाद विनीता बोली- तुम थोड़ी देर आराम कर लो.

मैं आराम करने के लिए रूम में जाकर सो गया. इतनी गहरी नींद लग गई कि पता ही नहीं चला.

फिर मैं उठा, तो विनीता मेरे पास आई और बोली- हाथ मुँह धो लो, मैं तुम्हारे लिए चाय बनाकर लाती हूँ.

चाय पीते पीते विनीता बोली- तुमने रात में आई लव यू क्यों कहा था.
मैं कुछ नहीं बोला.

विनीता ने कहा- क्या मैं एक बात पूछ सकती हूँ … तुम बुरा तो नहीं मानोगे?
मैंने भी कह दिया- पूछो … मैं बुरा नहीं मानूंगा.

वो बोली- तुमने कभी किसी के साथ सेक्स किया है क्या?
मैंने उसकी आंखों में आंखें डालकर कहा- नहीं … आज तक नहीं किया है. क्या तुम्हारा मन है?

वो कुछ नहीं बोली और मेरे पास आकर बैठ गई.
धीरे से वो मेरी जांघ पर अपने हाथ फेरने लगी.

मैं समझ गया कि स्कूल टीचर सेक्स के लिए तैयार है. इससे मुझे कुछ लगने लगा. मेरा लंड पैंट में से ही खड़ा होने लगा.

उसने खड़ा होता लंड देख लिया और बोली- तुम्हारा तो ये तो काफी बड़ा लगता है.
मैंने भी कह दिया कि लेकर देख लो.

वो झट से उठी और मेरे लंड को पैंट में से आजाद करके अपने मुलायम हाथों से सहलाने में लग गई.
मैंने कहा- विनीता इसको मुँह में लेकर चूसो.
वो कहने लगी- नहीं यार, ये सब मुझे गंदा लगता है.

मेरे बार बार कहने के बाद विनीता मेरे लंड को अपने गुलाबी होंठों के बीच में लेकर चूसने लगी.

मैं सोचने लगा कि कहां तो लंड चूसने से मना कर रही थी और कहां रंडी के जैसे चूस रही है.

कुछ देर बाद मैंने कहा कि मेरा निकलने वाला है.
वो रंडी की तरह वासना से बोली कि मेरे मुँह में ही छोड़ दो. मुझे इसका रस पीना है.

मैंने आह करते हुए लंड का सारा वीर्य विनीता के मुँह में डाल दिया.
वो झट से पी गई.

अब मैंने उसके मम्मों को ब्लाउज़ के ऊपर से ही दबाया … तो वो ‘हम्म्म्म हहहहह ..’ करने लगी.

मैंने उसकी साड़ी उतार दी.
वो केवल अब ब्रा और पेंटी में ही मेरे सामने थी.

उसने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए. उसने जैसे ही मेरा अंडरवियर उतारा, तो मेरा तना हुआ लंड सीधा उसके होंठों पर जाकर टकरा गया.

विनीता मेरा लम्बा लंड देखकर आश्चर्य चकित हो गई; कहने लगी- मेरे पति का लंड तुम्हारे लंड से छोटा भी है … और तुम्हारा ये मोटा भी कुछ ज्यादा है.

फिर हम दोनों बिस्तर पर एक दूसरे की बांहों में खोते चले गए.
बहुत देर तक मैंने उसके होंठों को चूसा.

मेरा एक हाथ उसके बोबे पर था और दूसरा हाथ उसकी चूत पर था.
होंठों को छोड़कर मैं उसकी ब्रा को खोलकर बोबे चूसने लगा.

वो थोड़ी देर बाद गर्म होने लगी और कहने लगी- ऐसे ही चूसते रहोगे या मुझे चोदोगे भी?

विनीता की चूत लंड लेने को बेकाबू हो रही थी.
मैंने उसकी पैंटी उतारी तो देखकर डर गया.

उसकी माहवारी चल रही थी. शायद माहवारी का पहला ही दिन था.

मैंने पूछ लिया- यहां तो तुमने नैपकिन लगा रखी है.
वो कहने लगी- हटा भी सकते हो.

मैंने देर ना करते हुए नैपकिन को निकालकर फेंक दिया.
उसकी बिना बालों की चूत देखकर मज़ा आ गया.

मैंने एक उंगली उसकी चूत में जैसे ही डाली … वो आंखें बंद करके मजे लेने लगी.

उसको मैंने अपना लंड चूस कर चिकना करने को कहा.
तो स्कूल टीचर झट से मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी.

जैसे ही मेरा लंड तना, मैं विनीता को बेड के एक कोने पर खींचकर उसकी दोनों टांगें चौड़ी करके उसकी चूत के ऊपर मेरे लंड को घिसने लगा.
वो बिन पानी की मछली की तरह मचल उठी.

मैंने बिना देर किए उसकी चूत में जैसे ही लंड डाला, वो ‘उम्म उम्म आह ..’ करने लगी.

मेरा लगभग आधा ही लंड गया था कि वो कराहते हुए कहने लगी- थोड़ा धीरे करो जान. बहुत दिनों से मैंने चुदाई नहीं करवाई … तो चूत में कसावट आ गई. तुम आज से मेरे पति हो.

कुछ ही देर में लंड चुत की कुश्ती होने लगी. पूरे कमरे में चुदाई की फच फच फच फच की आवाज़ गूँजने लगी.

लगभग बीस मिनट की चुदाई के दौरान वो 4 बार झड़ चुकी थी, पर मेरा नहीं हुआ था.

कमरे का एसी चालू होने के बाद भी हम दोनों पसीने में तर हो गए थे.

जब मेरा होने वाला था, तो मैंने विनीता से पूछा- मेरा होने वाला है, कहां निकलूं?
वो कहने लगी- मेरी चूत में ही छोड़ दो.

थोड़ी देर बाद मैंने मेरा बहुत सारा वीर्य उसकी चूत में भर दिया और बेड पर एक तरफ जाकर लेट गया.

हम थोड़ी देर बाद में उठे और फिर से चुदाई करना चालू कर दी.

उस रात मैं उसी के घर रुका रहा और सारी रात चुदाई का मजा लिया. उस रात को मैंने विनीता को 5 बार चोदा था.

सुबह विनीता को मैंने उठाया, तो हम दोनों ने एक बार फिर से चुदाई की.

वो उठकर बाथरूम जाने लगी, तो उससे चलते ही नहीं बन रहा था.

फिर मैं उसे सहारा देकर बाथरूम में ले गया. उसकी चूत की सिकाई बर्फ से की, तब जाकर उसको कुछ आराम हुआ.

इसके बाद हम हर दूसरे तीसरे दिन चुदाई कर लेते हैं.

आप सभी को मेरी स्कूल टीचर सेक्स कहानी कैसी लगी … जवाब जरूर दें.
आपका जय
धन्यवाद
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