नमस्ते मित्रों, आप सबका अन्तर्वासना में स्वागत है. आज में आपको अपनी एक और सच्ची कहानी से अवगत कराने जा रहा हूँ.
मेरी कहानी चंडीगढ़ में देसी फुद्दी आप सबने पढ़ी. आप सभी की बहुत सारी मेल भी आईं. इनमें कुछ लड़कियों और आंटियों की भी मेल आई थीं.
आज मैं आपसे अपनी एक और सच्ची सेक्स कहानी शेयर करने जा रहा हूं.
यह कहानी मेरी पहली कहानी ‘चंडीगढ़ में देसी फुद्दी’ से काफी पहले की है.
यह बात तब की है, जब मैं स्कूल में पढ़ाता था. मेरे स्कूल में एक लड़की थी, जिसका नाम सोनी था. वैसे तो उसका नाम कुछ और था. पर जब मेरा उसके साथ टांका भिड़ा, तो मैंने उसका नाम सोनी रख दिया.
सोनी एक 5 फुट 6 इंच कद की गोरी चिट्टी लौंडिया थी. उसके 34 इंच के मम्मे थे, 36 की बुंड यानि गांड और 30 इंच की कमर थी. वो सच में एक बड़ी ही मस्त माल थी. साथ ही सोनी पढ़ने में काफी होशियार भी थी.
जब मैं पहली बार स्कूल गया, तो उसे देखकर मेरा लंड खड़ा होने लगा. मैंने अपने आपको किसी तरह संभाला.
उसे रोज़ रोज़ देखने और मिलने से मेरा हाल और भी बुरा होने लगा. मेरा बहुत दिल करता था कि उसे अपने दिल की बात कह दूं. मगर इतनी हिम्मत ना कर सका.
फिर एक दिन रात को एक अनजान नंबर से मैसेज आया.
मैंने पूछा- कौन?
तो सामने से मैसेज आया ‘सोनी’
यह पढ़ कर मेरी खुशी का कोई ठिकाना ना रहा. अब हम दोनों की रोज़ बात होने लगी. धीरे धीरे ये बातें पढ़ाई से चल कर दोस्ती में बदल गई और फिर पता ही नहीं चला कि कब हम एक-दूसरे से प्यार करने लगे.
हम दोनों में मुहब्बत की पींगें बढ़ने लगीं. एक दूसरे से नजदीकियां बढ़ गई थीं. बस फिर क्या था, हम दोनों मिलने का मौके ढूंढने लगे. हम दोनों को जब भी मौका मिलता, हम शुरू हो जाते.
स्कूल की ऊपरी बिल्डिंग में एक कंप्यूटर रूम था, जहां पर स्कूल के काम के लिए मुझे जाना पड़ता था. सोनी भी किसी बहाने से मेरे पास आ जाती थी. वहां पर चुम्मियां, चिपका चिपकी और मम्मों का मज़ा तो हम दोनों रोज़ ही लेने लगे थे.
उसकी एक सहेली प्रीत, जो हमेशा उसके साथ रहती थी. वो हमारा साथ देती थी. कोई ऊपर आ ना जाए, वो इस बात का ख्याल रखती थी.
इस थोड़ी सी देर के मिलन ने हम दोनों के जिस्मों की आग भड़का दी थी. अब हमें थोड़ा और अधिक समय और मौका चाहिए था … ताकि हम आगे बढ़ सकें. लेकिन वो मौका मिलना मुश्किल लग रहा था.
धीरे धीरे समय बीतता गया. एग्जाम हुए. मेरी सोनी अच्छे अंकों से पास हो गई. वो आगे बी कॉम की पढ़ाई करना चाहती थी. इसलिए उसने शहर में दाखिला लिया. शहर तक रोज़ आने जाने के झंझट से छुटकारा पाने के लिए उसने उधर ही एक रूम किराए पर ले लिया और वहां रहने लगी. प्रीत भी उसके साथ रहने लगी.
उसके शहर में रहने के कारण मेरी सोनी से फोन पर काफी देर देर तक बातें होने लगीं. अब उसका भी दिल अपनी सील तुड़वाने को करने लगा था. हम दोनों बस मौके की तलाश में थे.
फिर एक दिन सोनी की कॉल आई. उसने कहा कि उनके मकान मालिक कहीं जा रहे हैं. वो अगले दिन शाम को लौटने वाले हैं. इसलिए अगर मैं आ सकता हूं, तो आ जाऊं.
मेरे मन में लड्डू फ़ूटने लगे. मैं फटाफट तैयार होकर शहर पहुंच गया. हम लोगों ने काफी देर इधर उधर की बातें कीं. रात का खाना खाकर हम लोग मेरे मोबाइल में फनी वीडियो देखने लगे. मैं सीधा लेटा था और मेरे पेट पर सोनी और प्रीत ने सर रखे हुए थे.
ऊपर से मैं उन दोनों के गोरे गोरे मम्मों को देखकर मस्त हो रहा था. मेरा लंड टाइट हो रहा था. प्रीत मेरी तरफ थी. उसके छोटे छोटे गोरे गोरे मम्मे मुझे ज्यादा आकर्षित कर रहे थे.
खैर … सोने का टाइम हुआ. प्रीत अलग सो गई और मैं और सोनी इकठ्ठे सो गए. रात को काफी देर तक हम एक दूसरे को चूमते चाटते रहे. लेकिन उस रात मैं उसकी फुद्दी ना ले सका. तब भी इस रात में मैंने उसके अन्दर की वासना को जगा दिया. उसके अन्दर भी अपनी फुद्दी के अन्दर मेरा लंड लेने की आग लग चुकी थी.
अगले दिन सुबह मैं वापस आ गया. मेरे अन्दर आग लगी थी कि पूरी रात सोनी के साथ सोकर भी उसकी फुद्दी का स्वाद नहीं चख सका. मुझे लगा कि शायद ही इसके बाद कभी मौका मिलेगा.
अब हमारी जब भी बात होती, तो मैं उससे इसी बात को लेकर बात करता था. उसकी बातों से उसकी बेबसी का पता चलता था. उसकी फुद्दी को भी मेरा लंड लेने की बहुत जल्दी थी.
फिर एक दिन सोनी ने फोन किया और बोली कि उसने अपनी मकान मालकिन को मना लिया है.
अगले दिन सुबह उसने मुझे 9 बजे के बाद आने को बोला. क्योंकि तब तक मकान मालकिन का पति काम पर चला जाता था.
उसके मुँह से ये सुनकर मेरी खुशी का कोई ठिकाना ना रहा. मुझे खुशी के मारे रात को नींद भी नहीं आई.
अगले दिन सुबह आठ बजे मैं शहर पहुंच गया. वो मई का महीना था. बहुत गर्मी थी. मैंने सोनी को कॉल किया.
उसने कहा- थोड़ा इंतजार करो.
नौ बज कर पांच मिनट पर सोनी ने काल किया कि आ जाओ.
मुझे रास्ते में दस मिनट लगे. मैंने कुछ खाने पीने का सामान लिया और मेरी जान के पास पहुंच गया.
मेरे जाते ही सोनी ने दरवाजा बंद कर दिया. वो मुझसे लिपट गई और कसके जफ्फी डाल ली. मैंने भी उसे कस के जकड़ लिया. लगभग पांच मिनट तक हम ऐसे ही एक-दूसरे से लिपट कर किस करते रहे. मैं उसे किस करते हुए उसकी पीठ पर हाथ फेर रहा था. फिर हम एक-दूसरे से अलग हुए.
सोनी ने हंसते हुए कहा- आज तो लगता है कुछ बड़ा करने वाले हो.
मैंने कहा- देखती जा मेरी जान, आज तेरे साथ क्या क्या करता हूं. आज तो तेरा छेद ही बड़ा हो जाएगा.
सोनी ने बड़ी कातिल अदा से मेरी तरफ देखा और बोली- मैं तो कब से इस दिन का इंतजार कर रही थी.
मैंने बोला- कुछ खा लेते हैं.
सोनी मेरे लाए हुए सामान में से कुछ चिप्स और कोल्डड्रिंक ले आई. हम दोनों ने चिप्स खाए और कोल्डड्रिंक पी. फिर कुछ देर रोमांटिक बातें कीं. इतने में मेरा लंड तो लोहे की रॉड सा सख्त हो चुका था. मैंने सोनी को जफ्फी डाल ली. उसके होंठों का रस चूसने लगा.
आज उसने सलवार कमीज़ पहनी थी और नीचे ब्रा पहनी थी. मैं उसकी कमीज़ के अन्दर हाथ डाल कर उसके मुम्मों से खेल रहा था. उसका हाथ भी जाने अंजाने मेरे लंड पर आ रहा था.
मैंने सोनी को खड़ा किया. मैंने उसकी कमीज़ उतार दी. काले रंग की ब्रा में से उसके गोरे गोरे मुम्मे ऐसे लग रहे थे, जैसे कोयले की खान से हीरे निकल रहे हों.
मैंने सोनी की ब्रा को भी एक झटके से निकाल दिया. ये नजारा देखने के लिए मैंने कितना इंतजार किया था. मैं सोनी के दोनों मम्मों अपने हाथों में लेकर मसलने लगा. नर्म नर्म मुलायम मुलायम मम्मों को हाथों में लेकर बहुत ज्यादा मजा आ रहा था.
फिर मैं बेड पर बैठ गया और सोनी खड़ी थी. इसलिए मेरा चेहरा उसके मम्मों के सामने था. मैंने उसके मम्मे चूसने शुरू किए. दिल कर रहा था कि एक ही बार में पूरा मम्मा मुँह में डाल लूं. लेकिन बड़े होने की वजह से ऐसा हो न सका. फिर भी जितना हो सकता था, मैंने उन्हें चूसने की कोशिश की.
फिर मैं खड़ा हो गया और अपनी शर्ट और बनियान निकाल दी. मुझे बहुत मज़ा आता है, जब लड़की के नंगे चूचे मेरी नंगी छाती पर टच करते हैं. मैं सोनी के होंठों और गालों पर किस कर रहा था. सोनी की आहें अब तेज़ हो रही थीं.
मैंने उसकी सलवार में हाथ डाला. उसकी फुद्दी एकदम गीली हो चुकी थी. मैंने सोनी को दूसरी तरफ घुमाया और पीछे से जफ्फी डाल ली. अब मैं एक हाथ से उसके मम्मे मसल रहा था और दूसरे हाथ से उसकी सलवार के अन्दर उसकी फुद्दी का दाना मसल रहा था.
सोनी बस ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ किए जा रही थी. उसकी ऐसी आवाजें मुझे उत्तेजित कर रही थीं.
मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया. उसकी सलवार उसके पैरों में आ गिरी. मैंने उसके पैर नीचे करके उसे बेड पर बिठाया और पैरों में से उसकी सलवार निकाल दी.
अब मैंने सोनी को लेटने को बोला. वो लेट गई. उसके पैर उठाकर मैंने बेड पर रख दिए. मैंने उसकी टांगें खोल दीं.
वाह क्या नज़ारा था … गुलाबी गुलाबी फुद्दी … एकदम चिकनी … उस पर एक भी बाल नहीं था. शायद उसने आज ही अपनी झांटों को साफ़ किया था.
मुझसे रहा नहीं गया. मैंने अपने होंठों को उसकी फुद्दी के होंठों पर लगा दिए. मैं सोनी की फुद्दी को ऐसे चूस रहा था, जैसे किसी कुल्फी को चूस रहा हूं. मेरे हर चुप्पे पर सोनी ‘ऊऊहह … अअम्म … आआहह..’ की आवाजें निकाल रही थी.
फिर सोनी ने मेरे सर को अपनी फुद्दी पर कसके दबा लिया. मुझे पता चल गया कि सोनी का रस छूट गया है. अब वो थोड़ी सुस्त हो गई.
मैंने बाथरूम में जाकर अपना मुँह धोया. अपनी पैंट उतार कर मैंने वहां टांग दी. अपने लंड को अच्छी तरह धोकर मैं सोनी के पास आ गया. मेरी बड़ी इच्छा थी कि मैं अपना लंड सोनी के मुँह में डालूं और मज़े लूं. मगर मैंने कुछ नहीं बोला.
सोनी खुद कहने लगी- अब मेरी बारी है.
जब मैंने अपना लंड उसके मुँह के पास किया तो वो पीछे हट गई. वो बोली- इसको मेरी फुद्दी में मत डालना. ये तो बहुत मोटा और लम्बा है. मेरी फुद्दी का छेद तो बहुत छोटा है. अगर यह लंड मेरे उस छोटे से छेद में गया, तो मेरी तो फट जाएगी.
मैंने उसे हौसला दिया- ऐसा कुछ नहीं होगा. मुझ पर यकीन कर.
वो मान गई. बड़े इत्मीनान से उसने मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ा और अपने मुँह डाल लिया. वो मेरे लंड को धीरे धीरे अन्दर-बाहर करने लगी. वो मेरे लंड को अन्दर तक लेकर जा रही थी. वो एक सधी हुई गश्ती की तरह मेरा लंड चूस रही थी.
अब मेरा लंड उसकी फुद्दी में जाने को उतावला हो गया था. इसलिए मैंने उसके मुँह से अपना लंड निकाल लिया.
मैंने सोनी से पूछा- इतना अच्छा लंड चूसना कहां से सीखा?
वो शरमाते हुए बोली कि हम कभी कभी पोर्न वीडियो देखती हैं, वहीं से ये सब सीखा.
फिर मैंने उसे बेड पर सीधा लिटा दिया. बड़े प्यार से मैंने उसकी टांगों को खोला. मैंने जब उसकी फुद्दी में उंगली डाली, तो मुझे पता चल गया था कि उसकी फुद्दी बहुत टाईट है. इसलिए अपना लंड डालने से पहले मैंने अपने जीभ पर बहुत सारा थूक लगाया और उसकी फुद्दी को अन्दर तक गीला कर दिया.
फिर मैं उसकी टांगों को ऊपर उठाकर अपने लंड को उसकी फुद्दी पर सैट करने लगा. मैंने अपने लंड को उसकी फुद्दी के छोटे से छेद पर सैट किया. ऊपर ऊपर से थोड़ा सा रगड़ने के बाद मैंने लंड को अन्दर डालने की कोशिश की. उसकी फुद्दी बहुत टाईट थी. इसलिए मुझे मज़ा भी उतना ज्यादा आने वाला था. धीरे धीरे करके मैंने अपने लंड का अगला हिस्सा उसकी फुद्दी में डाल दिया.
मैंने सोनी के चहरे को देखा. दर्द को उसके चेहरे पर साफ देखा जा सकता था. मगर उसने चीख नहीं मारी. मैं उसकी टांगों और जांघों को चूम रहा था. धीरे धीरे वो नार्मल हुई. मैंने बड़े प्यार से धीरे धीरे अपना लंड फुद्दी में डालता गया. वो भी धीरे धीरे दर्द सहते गई.
धीरे धीरे करके मेरा पूरा लंड उसकी फुद्दी में जा चुका था. ऐसा लग रहा था जैसे मेरे लंड को किसी ने जोर से दबा रखा हो. सोनी की फुद्दी बड़ी टाईट थी. सोनी के नार्मल होने पर मैं धीरे धीरे लंड को फुद्दी के अन्दर बाहर करने लगा. जैसे मेरा लंड अन्दर बाहर आ जा रहा था, तो उसके साथ ही उसकी सील टूटने की वजह से खून निकल रहा था.
इतनी टाईट फुद्दी थी और इतना मज़ा आ रहा था कि क्या बताऊं.
थोड़ी देर बाद सोनी को भी मज़ा आने लगा. वो मस्त होकर ‘ऊऊम्म आहहहह हम्म’ कर रही थी. मैं घस्से पे घस्सा मारे जा रहा था. हम दोनों चुदाई के आनन्द में डूबे जा रहे थे.
तभी सोनी ने एकदम से मुझे नीच बेड पर गिरा दिया और मेरे ऊपर आ गई. मेरे लंड को अपनी फुद्दी पर सैट करके उसके ऊपर बैठ गई. अब उसकी फुद्दी गीली हो चुकी थी, तो लंड को अन्दर जाने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई.
सोनी अपनी फुद्दी और मेरे लंड पर लगा खून देखकर बिल्कुल भी नहीं घबराई. सोनी मेरे लंड पर बैठ कर ऊपर नीचे होने लगी. मैं भी थोड़ा सा ऊपर आकर उसके मम्मों को चूसने लगा. मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा था. सोनी की बॉडी लेंग्वेज से पता चल रहा था कि वो भी स्वर्ग की सैर कर रही थी.
थोड़ी देर बाद मैंने उसे घोड़ी बना दिया. कमर से पकड़ कर मैंने अपना पूरा लंड उसकी फुद्दी में डाल दिया. फिर उसकी कमर से पकड़ कर घस्से मारने लगा. इतने में सोनी ने मेरी कमर से पकड़ कर मुझे अपने से चिपका लिया. उसका पानी छूट गया था.
थोड़ी देर वैसे ही रहने के बाद मैंने उसे सीधा लिटा दिया और खुद उसके ऊपर आ गया. मैंने फिर से अपना लंड उसकी फुद्दी में डाल दिया. बुर गीली होने की वजह से मुझे अन्दर डालने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई. मैंने फिर से घस्से मारने शुरू कर दिए. जैसे जैसे मैं घस्से मार रहा था, वैसे वैसे सोनी के मम्मे आगे पीछे हो रहे थे. उन्हें देखकर मैं और जोश से घस्से मार रहा था.
पांच मिनट बाद मेरा भी छूटने वाला हो गया था. मैंने 8-10 बड़े शॉट मारे और इसके साथ ही मैं छूट गया. मेरे वीर्य की काफी सारी पिचकारियां सोनी की फुद्दी में निकल गईं.
मैं सोनी के ऊपर ही लेट गया और उसकी गर्दन होंठों और गालों को चूमने लगा.
करीब दस मिनट बाद मैं उसके ऊपर से हटा. सोनी के चहरे पर एक विनिंग स्माइल थी. हम दोनों ने अपने आपको साफ किया और कपड़े पहन लिए.
कुछ देर तक मैं वहां रुका और फिर वापस आ गया.
इसके बाद एक बार फिर मुझे सोनी की फुद्दी मारने का मौका उस वक्त मिला, जब उसने मेरे साथ ब्रेकअप किया. लेकिन वो कहानी किसी और दिन सुनाऊंगा.
दोस्तो, मेरी ये सेक्स कहानी कैसी लगी. मुझे जरूर मेल कीजिएगा.
धन्यवाद.
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