अन्तर्वासना कहानी के सभी चाहने वालों को प्रणाम! मेरी यह कहानी कुछ पुरानी है. मैं उस वक्त छोटा था। सेक्स भला कौन सी बला का नाम है.. मुझे इसके बारे में थोड़ी ही जानकारी थी। लेकिन किसी के कहने पर मुझे अरेबियन नाईटस पढ़ने का मौका मिला था.. जिसने मुझे काफी उकसाया था।
हम लोग एक बार छुट्टी में अहमदाबाद से बस से अंबाजी के दर्शन को जा रहे थे। उसी वक्त मेरी भेंट इस जोड़े के साथ हुई थी। वे दोनों बिंदास बस में ही रोमांस कर रहे थे। पति अपनी पत्नी को बार-बार अपनी बांहों में जकड़ लेता था। उसके गालों पर चुम्मा ले लेता था, पत्नी के मम्मों को सहला लिया करता था।
सफर के दौरान मेरे माता-पिता और उनके बीच बातचीत का सिलसिला जारी हो चुका था। चूँकि देवी दर्शन के एक दिन का ही मामला था, इसलिए हम सभी ने आपसी समझ से एक ही रूम बुक करवा लिया था।
चाय पानी पीने के बाद टॉयलेट जाने के लिए मैं नीचे गया था। उस वक्त वो आंटी छोटे तैयार किए गए बाथरुम में सिर्फ ब्रा और चड्डी में स्नान कर रही थीं। उनकी ब्रा के अन्दर दो काले धब्बे दिख रहे थे। वह क्या होगा.. मुझे इस बात को जानने की बड़ी उत्सुकता हो रही थी। उनके उरोज इस वक्त ऐसे लग रहे थे मानो बाहर आने को तरस रहे हों।
उसी वक्त मुझे याद आया। बस में बार-बार अंकल उनके इन्हीं हिस्सों को सहलाए जा रहे थे। उनके इसी अंग को कुचले जा रहे थे। आंटी सारे बदन पर साबुन लगा रही थीं। लेकिन कपड़ों की वजह से वो कुछ दिक्कत महसूस कर रही थीं। उन्हें शायद इस वक्त किसी की सहायता की आवश्यकता थी। मैं भी उन्हें मदद करना चाहता था। मैं आंटी को बिना कपड़ों के देखना चाहता था। मैं आंटी का सब कुछ देखना चाहता था इसके लिए उनका पूरी नंगी होना निहायती जरूरी था।
मुझे देख कर भी आंटी ने खुद को छुपाने की कोशिश नहीं की, तो मैंने सहज भाव से आंटी से सवाल किया- आप इस तरह कपड़े पहने कैसे नहा सकती हैं? मैं तो हमेशा कपड़े निकाल कर ही नहाता हूं। मेरे माता-पिता ने भी मुझे यही समझाया है। क्या आपको किसी ने नहीं बताया?
‘मैं भी ऐसा ही करती हूं.. लेकिन घर के बाथरूम में.. इस तरह बाहर कहीं नहीं करती हूँ।’ आंटी ने अपने मम्मे रगड़ते हुए मुझे जबाब दिया।
‘कम से कम दो मिनट के लिए तो आप कपड़े उतार ही सकती हो। न जाने क्यों मैं आपकी ब्रा के अन्दर क्या है, उसे देखना चाहता हूँ.. अंकल भी बस में उसी को दबा-दबा कर अहमियत सी दे रहे थे। बस मुझे एक बार देखने की चाहत है। बदले में आप मुझसे कुछ भी वसूल कर सकती हैं।’
‘तुम क्या कीमत चुकाओगे?’ आंटी ने अब अपनी चुत को मसलते हुए कहा।
‘आपके मम्मे, चूत, गांड और पीठ पर अच्छी तरह से साबुन लगाकर आपको नहला सकता हूं, मतलब सब कुछ कर सकता हूं।’
इतना कहते हुए मेरी गांड फटने के साथ साथ मेरा लंड भी तन गया था।
मेरी आशा के विपरीत आंटी ने फौरन ब्रा और पेन्टी को निकाल दिया। उनको नंगा देखकर मेरा लौड़ा काफी बड़ा हो गया। मेरे लंड को यूं तन्नाया हुआ देख कर देखकर आंटी चकित रह गईं।
‘तुम्हारी उम्र कितनी है?’
‘अभी छोटा हूँ पर सब काम कर सकता हूँ।’
‘तुम्हारा लंड काफी बड़ा हो गया है।’
‘उसके पीछे आपकी खूबसूरती का बहुत बड़ा हिस्सा है। इतने बड़े उरोज को देखकर कौन भला अपना ईमान संभाल सकता है। आपके एक बार छूने से तो शायद वह एक घोड़े के लंड को भी पीछे छोड़ सकता है। आप इसे पकड़कर इस बात को आसानी से चैक भी कर सकती हो।’
उन्होंने मुझे इशारे से अपने करीब आने को कहा।
मैंने साबुन लेकर उनके दोनों उरोजों को मसलना शुरू कर दिया। मेरी इस हरकत से वह भी उत्तेजित महसूस कर रही थीं।
जब आंटी गरमा गईं तो मैंने उनकी चूत और गांड पर भी बारी-बारी से साबुन लगाया।
फिर धीरे से उनकी चूत पर मुँह रख कर अभी चुत को चूसने का इरादा बना ही रहा था। उसी वक्त उनके पति के आवाज आने से मेरी इच्छा मन में ही रह गई। मैं कम समय में पूरा भोजन तो नहीं पाया था। लेकिन मुझे ब्रेकफास्ट का मजा जरूर मिल गया था।
मैं इसे ही अपना भाग्य मान गया था। उन्होंने मुझे जो कुछ दिया था.. उससे मैं बड़ा खुश था।
फिर बाथरूम में जाकर देखा तो मैं चकित सा रह गया। मेरी पतलून लंड के माल से पूरी तरह से भीग गई थी। आंटी के साथ जो कुछ किया था.. उसकी वजह से मैं काफी उत्तेजित हो चुका था। शायद मैंने पतलून में ही माल छोड़ दिया था।
दोपहर को खाना खाने के बाद हम लोग आराम फरमा रहे थे। हम लोग बाहर के कमरे में सोए हुए थे और आंटी और उनके पति अन्दर सोए हुए थे। वह कमरा अन्दर से बंद था। मुझे पेशाब करने जाना था। अन्दर क्या हो रहा था.. इस बात से अंजान मैंने दरवाजा खटखटाया दिया लेकिन उन्होंने दरवाजा खोला नहीं।
उस हालत में मैं लंबा फासला तय करके पीछे से बाथरूम तक पहुँच गया। बीच में हमारे कमरों का पिछला दरवाजा पड़ता था, वह भी बंद था। उसके बाद एक खिड़की थी, जो बिल्कुल खुली थी। मैं वहाँ से गुजर रहा था। उसी वक्त मेरी नजर अन्दर पड़ी तो मेरा लंड यकायक कड़क हो गया।
आंटी बिल्कुल नंगी हालत में अपने पति के शरीर पर चढ़कर एक बच्चे की तरह अपनी चूचियां उनके मुँह में देकर स्तन पान करा रही थीं। उनके पति का आठ इंच का खड़ा लंड देखकर मैं बेहाल हो गया था। अपने पति को दूध पिलाते हुए यकायक आंटी की नजर मेरे पर पड़ी। उन्होंने हल्की सी मुस्कान बिखेरकर मुझे रुकने का संकेत दिया और उन्होंने अपनी दिन में रचाई जा रही सुहागरात का लाईव टेलिकास्ट देखने का मानो मुझे न्यौता दे दिया।
आंटी अपनी चूत में अपने पति का लौड़ा घुसवाने की कोशिश में व्यस्त थी।
मैं सन्न सा रह गया। मेरे पैर मानो जमीन पर गड़ गए थे। मैं चल नहीं पा रहा था। कोई भला ऐसा खूबसूरत नजारा कैसे छोड़ सकता है। उसी वक्त फिर एक बार मेरी पतलून भीग गई। मैंने एक ही दिन में दूसरी बार मेरी पतलून को माल से गंदा कर दिया था।
उसी वक्त आंटी अपने पति का माल पी रही थीं। यह देखकर मैंने महसूस किया कि आंटी मानो मेरा सारा माल पी रही हों।
तभी आंटी ने मुझे कुछ इशारा किया था, जिसे मैं समझ नहीं पाया था, लेकिन रुका रहा। कुछ देर बाद उन दोनों की चुदाई खत्म हो गई और अंकल बाहर निकल गए।
अब केवल हम दोनों मौजूद थे। बाकी सब बाहर बैठकर बातें कर रहे थे। आंटी मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अन्दर रूम में ले गईं। उन्होंने अपने हाथों से मेरी पतलून को निकाल दिया और बड़ी बेसब्री से मेरा लंड उम्म्ह… अहह… हय… याह… मुंह में लेकर मेरा लंड चूसने लगीं।
मैं उनके दूध पीना चाहता था। लेकिन मुझे लंड चुसवाने में मजा आ रहा था तो अभी इसी मजे को मैंने लेना मंजूर किया।
रात को हम लोग वापस लौट रहे थे, तो आंटी ने मुझे अपनी बाजू में बिठाया हुआ था। कुछ देर बाद जब उनके पति सो गए तो आंटी ने अपना ब्लाउज ऊपर करके अपने दूध पिलाना शुरू कर दिया।
मैं अपने अनुभव को याद करके आज भी इतना ही उत्तेजित हो जाता हूं।
सेक्स की यही तो खूबी है। उसकी यादें आदमी को सदैव ताजा-तरीन रखती हैं। बेहद आनन्द प्रदान करती हैं, जो और कहीं से नहीं मिल पाता है।
मुझे अपनी इस लाइव पोर्न मूवी की स्टोरी के लिए आपके मेल का इन्तजार रहेगा।
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