मेरा नाम रोशन है, मैं 21 साल का हो गया हूँ. आज मैं अपने घर की सच्ची कहानी बताने जा रहा हूं.
मेरे घर में मेरी मॉम मीना देवी, मेरी 23 साल की सुमन दीदी, छोटी बहन 19 साल की चांदनी है और पापा हैं, जो अक्सर बिजनेस के सिलसिले में बाहर रहते हैं.
एक दिन की बात है. रात लगभग 12:30 बजे मेरी नींद खुली. मैं पानी पीने के लिए रसोई की ओर गया गया, तो देखा मॉम के कमरे में लाइट जल रही थी. जब मैंने खिड़की से झांक कर देखा, तो अन्दर का नजारा देखकर मैं दंग रह गया.
ये नजारा देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं अपने लंड को सहलाने लगा. मैं समझ गया कि पापा को बाहर गए हुए 2 महीना से अधिक हो गए हैं, इसलिए मॉम का यह हाल है.
लंड सहलाते सहलाते मैं यह भूल गया कि मैं मॉम के कमरे के बाहर खड़ा हूं और वो कभी भी मुझे देख सकती हैं. मैंने खिड़की के बाहर लंड का पानी निकाल दिया. झड़ने के बाद मुझे होश आया, तो मैंने देखा मॉम खिड़की से मुझे देख रही थीं. हम दोनों की नजरें मिलीं, फिर मैं वहां से भाग कर अपने रूम में चला गया.
पहले तो मुझे डर लग रहा था; लेकिन फिर दिमाग में आया कि अगर मॉम ने मुझसे कुछ पूछा, तो मैं भी बोल दूंगा कि आप क्या कर रही थीं.
यही सोचते-सोचते मुझे नींद आ गई.
जब मैं सुबह उठा और अपने कमरे से बाहर आया, तो मॉम रसोई में खाना बना रही थीं. सुमन दीदी मॉम के काम में साथ दे रही थीं और चांदनी अपने रूम में पढ़ाई कर रही थी.
मॉम ने मेरी तरफ देखा और हल्की सी मुस्कान दी. आज मॉम मुझे कुछ ज्यादा ही सेक्सी लग रही थीं. मैं रसोई में पानी लेने के लिए गया और दीदी से नजर बचाकर मॉम की कमर पर मैंने एक च्यूंटी काट ली.
मॉम ने कुछ नहीं कहा.
मैं समझ गया कि अगर मैं मॉम को कुछ करूं, तो वह गुस्सा नहीं होगीं, भले ही वह करने नहीं दें.
फिर मैं अपने रोज का काम में लग गया. थोड़ी देर बाद दीदी कॉलेज चली गईं और चांदनी ने भी अपने स्कूल चली गई. आज मैं घर पर ही रुक गया.
मॉम घर का काम खत्म खत्म करके नहाने चली गईं, बाथरूम से निकल कर जब वो अपने रूम में जा रही थीं, तो मैं भी पीछे पीछे उनके रूम में चला गया.
मैंने मॉम को पीछे से पकड़ लिया. उस समय मॉम ने साड़ी पहनी हुई थी और मेरा हाथ मॉम की नंगी कमर पर था.
इससे पहले कि मॉम कुछ बोलतीं, मैं अपना हाथ उनके मम्मों की ओर बढ़ाने लगा.
मॉम ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोलीं- क्या कर रहे हो … यह गलत है.
लेकिन वे मुझे छूटने की कोशिश नहीं कर रही थीं जिससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई, मैंने कहा- मॉम इसमें गलत क्या है? मैं तो इससे बचपन में पहले भी खेल चुका हूं.
मॉम ने कहा- बेटा वो बचपन की बातें थीं, अब तुम बड़े हो गए हो.
मैंने कहा- तो क्या हुआ … हूँ तो मैं तुम्हारा ही बेटा ना.
मेरा हाथ अभी भी मॉम की चूची पर जमा हुआ था और मैं उसे दबा भी रहा था.
इससे मॉम की अन्दर की आग धधक उठी थी. मॉम थोड़ी देर चुप रहीं, फिर बोलीं- मुझे भूख लगी है, चलो पहले चलो खाना खाते हैं.
मैं समझ गया कि मॉम को सोचने के लिए थोड़ा सा वक्त चाहिए. लेकिन मुझे यकीन था कि अगर मॉम मना भी करेंगी, तब मैं उन्हें मना लूंगा.
फिर हम दोनों खाना खाने चले गए. खाना खाने के बाद मॉम अपने रूम में गईं और मैं भी पीछे पीछे उनके रूम में आ गया.
मैंने पूछा- तो मॉम, क्या सोचा है?
तो मॉम ने हल्की सी मुस्कान दी और बोलीं- तो तुम मानोगे नहीं.
मैंने ना में सर हिलाया, तो मॉम ने कहा कर लो बेटा, जो करना है, लेकिन आज भर ही बस … ये सब रोज रोज नहीं होगा.
मॉम का उत्तर सुनते ही मैंने मॉम को जकड़ लिया और उनके होंठों पर जोर से किस करने लगा. मॉम भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं. मेरा एक हाथ मॉम की चूची पर था और दूसरा हाथ उनकी कमर को सहला रहा था.
दस मिनट बाद हम दोनों की चूमाचाटी खत्म हो गई. मैंने मॉम को बेड पर लिटा दिया और गर्दन को चूमते हुए उनकी भरी हुई चूचियों पर आ गया. मैं ब्लाउज के ऊपर से ही उनकी चूची को काटने लगा. मॉम की आंखें बंद थीं और होंठ थोड़े से खुले हुए थे. वह मस्ती में पूरा मजा ले रही थीं.
मॉम के ब्लाउज के बटन मैंने खोल दिए. उन्होंने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थीं. उनकी पहाड़ जैसी बड़ी बड़ी चूचियां मेरे सामने नंगी थीं, जिन्हें देखकर मैं पागल हो रहा था.
मैंने कहा- आपकी चूचियां तो बहुत बड़ी और भारी हैं … इसे कैसे छोटे पिंजरे में बंद करके रखती हो.
मॉम- क्या करूं बेटा … अगर इनको खुला छोड़ दूँ, तो सारा मोहल्ले के लौंडे इनका दूध पीने चले आएंगे.
उनकी इस बात पर हम दोनों हंसने लगे.
फिर मैं मॉम की चुचियों को ऐसे चूसने लगा जैसे कोई छोटा बच्चा दूध पीता है. कभी एक चूची को पीता, तो दूसरी को मसलता और जब दूसरी को पीता, तो पहली को खींचता.
मॉम मेरे सर पर हाथ फेर रही थीं और अपने चूची की ओर मेरे सर को दबा रही थीं. मॉम बोल रही थीं- आह पी जा मेरा सारा का सारा दूध … आह पी जा.
मैं भी जोश में आकर जोर जोर से उनकी चूचियों को चूस रहा था. अब मैं अपना एक हाथ नीचे ले गया और उनकी साड़ी को कमर तक उठा दिया.
मैंने देखा कि मॉम ने तो आज पेंटी भी नहीं पहनी थी.
मैंने पूछा- मॉम आप पेंटी नहीं पहनती हो?
तो मॉम बोलीं- मैं उसी वक्त समझ गई थी कि यह सब होने वाला है, जब तुम बहाना करके कॉलेज नहीं गए थे.
मैंने कहा- तो आप शुरू में मना क्यों कर रही थीं.
उन्होंने जवाब दिया- बेटा एक औरत को मनाने के लिए तुम्हें थोड़ी तो मेहनत करनी ही पड़ेगी, भले हो वो तुम्हारी मॉम ही क्यों ना हो.
मॉम की चूत पर बड़े बड़े बाल थे. मैंने कहा- मॉम आप अपनी बुर को साफ नहीं करती हो क्या?
तो मॉम ने कहा- हां करती हूं, पर अभी कुछ दिनों से नहीं की है.
मैंने कहा- मॉम मैं साफ कर दूँ?
मॉम बोलीं- बेटा आज ऐसे ही कर ले, बुर साफ करने लगेगा … तो देरी होगी और सुमन, चांदनी आ जाएंगी.
फिर मैं अपने काम में लग गया. मैं मॉम की चूची को चूसने लगा और हाथ से उनकी बुर को सहलाने लगा.
मॉम की कामुक सिसकारियां निकलने लगी थीं. मॉम अपनी आंखें बंद किए हुए पड़ी थीं और ‘आह आह …’ कर रही थीं.
थोड़ी देर बाद मैं थोड़ा रुक गया.
मॉम बोलीं- क्या हुआ बेटा … रुक क्यों गया?
मैंने कहा- मॉम … अब तुम नंगी हो ही गई हो … तो शरीर पर पड़े बेकार के कपड़ों को पूरी तरह से हटा दो.
मॉम ने उठकर अपने सारे कपड़े हटा दिए और बिल्कुल नंगी होकर बेड पर लेट गईं.
उन्हें नंगी अवस्था में देख कर मुझे ऐसा लग रहा था मानो कोई जन्नत की परी मेरे सामने लेटी हो.
फिर मैं उनके दोनों टांगों के बीच में आ गया और उनकी चुत को पीने लगा.
मॉम बोलीं- बेटा, सारा मजा तुम ही करोगे कि मुझे भी कुछ करने दोगे.
मैंने कहा- मैंने कब मना किया है.
ये सुनकर मॉम उठ कर बैठ गईं और मुझे अपने पास बुलाया. मैं उनके पास गया, तो उन्होंने मेरे सारे कपड़े खोल कर मुझे नंगा कर दिया. मेरा मोटा लंबा लंड मॉम के सामने खड़ा था.
मॉम ने पहले मेरे लंड को हिलाया, फिर उसे मुँह में लेकर ऐसे चूसने लगीं, जैसे कोई लॉलीपॉप हो.
लंड चूसने के मजे से मेरे आनन्द का कोई ठिकाना नहीं था. मैं जन्नत की सैर कर रहा था. फिर हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए. अब मॉम मेरे लंड को चूस रही थीं और मैं मॉम की बुर को जीभ से चाट रहा था.
थोड़ी देर की चुसाई चटाई के बाद हम दोनों झड़ने वाले थे. पहले मैंने मॉम के मुँह में अपना सारा रस निकाल दिया. मॉम सारा का सारा वीर्य की गईं. फिर मॉम ने भी अपना अमृत रस छोड़ दिया. जिसे मैंने भी बेकार नहीं जाने दिया.
हम दोनों थोड़ी देर के लिए शांत हो गए. फिर मैं उठकर मॉम की बुर को चाटने लगा. जीभ उनकी बुर के अन्दर करने लगा, दाने को काटने लगा. मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था और मॉम भी जोश में आ गई थीं.
वह मेरे सर पकड़ कर अपनी प्यासी बुर में दबा रही थीं और बोल रही थीं- खा जा इसे …
मैं भी जोश में आकर जोर जोर से चुत चाट रहा था. थोड़ी देर बाद मॉम बोलीं- बेटा, अब नहीं रहा जा रहा है … अब तू मुझे चोद डाल दे … अपना लंड मॉम की चुत में पेल दे … और ना तड़पा.
मैं रुक गया और बोला- मॉम पहले एक वादा करो, तुम रोज़ मुझसे चुदवाओगी.
मैं जानता था कि मॉम इस वक्त किसी चीज के लिए मना नहीं करेंगी.
मॉम ने कहा- हां बेटा मैं तुझसे ही चुदवाऊंगी … जब तुम्हारे पापा नहीं रहेंगे, तो मैं तुम्हारी रंडी बनकर रहूंगी. तुम रोज चोदना मुझे.
मैंने मॉम की दोनों टांगों को फैलाकर उनके बीच में आ गया और लंड को उनकी बुर पर सैट कर दिया. फिर एक जोरदार झटका मार दिया, जिससे मेरा आधा लंड मॉम की बुर में चला गया.
मॉम मचल उठीं और उनकी हल्की सी चीख निकल गई उम्म्ह… अहह… हय… याह…
मैंने कहा- मॉम तुम तो इतनी बार चुदवा चुकी हो … फिर तुम्हें क्यों दर्द हो रहा है?
मॉम बोलीं- अभी दो-तीन महीने से नहीं चुदवाई हूं ना … इसलिए.
फिर मैंने दूसरा झटका दिया और मेरा पूरा लंड मॉम की बुर में चला गया.
दोस्तो, यह मेरी पहली चुदाई थी. मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि पहली बार में ही मैं अपनी मॉम को चोद दूंगा.
अब मैं तुझे झटके मारने लगा और मॉम भी नीचे से कमर हिला हिला कर मेरा पूरा साथ दे रही थीं. वे सेक्सी सिसकारियां ले रही थीं और धीमी आवाज में बोल रही थीं- चोद दे मादरचोद … अपनी मॉम को चोद दे … और जोर से चोद … साले रंडी बना कर चोद … आह अपनी मॉम की चूत को फाड़ दे … आह मेरी चूत को बना दे भोसड़ा.
मैं भी उन्हें मजे में चोद रहा था और बोल रहा था- हां मॉम … मेरी रंडी मॉम … मैं तुम्हें इसी तरह रोज चोदूंगा, तुझे अपनी रंडी बनाकर रखूंगा.
थोड़ी देर बाद मैं थक गया और मॉम को भी पता लग गया, तो मॉम ने मुझे रुकने का इशारा किया.
फिर मैं नीचे बेड पर लेट गया और मॉम मेरे ऊपर आ गईं, मॉम ने लंड को अपनी बुर में सैट किया और उस पर बैठकर चुदवाने लगीं.
मॉम मेरे लंड पर ऐसे कूद रही थीं, जैसे वह घोड़े की सवारी कर रही हों. इस घुड़सवारी से मुझे मॉम को घोड़ी बना कर चोदने का ख्याल आया. मैंने मॉम को रुकने के लिए कहा और उन्हें घोड़ी बना दिया. मैं उनके पीछे जाकर लंड को बुर में पेल कर चोदने लगा.
दस मिनट बाद मॉम का बदन अकड़ने लगा था. वह बोल रही थीं- आह और जोर से चोदो बेटा … और जोर से चोदो.
थोड़ी देर बाद मॉम ने अपना पानी छोड़ दिया. उनका शरीर ढीला पड़ गया और वो बेड पर लेट गईं.
मैंने मॉम को सीधा करके अपना काम जारी रखा. अब मेरा भी पानी निकलने वाला था, मैंने मॉम से बोला- रस कहां निकालूं?
तो मॉम ने कहा- बेटा अन्दर ही अपना पानी निकाल दो, मैं तुमको महसूस करना चाहती हूं.
थोड़ी देर बाद मैंने अपना सारा पानी मॉम की चुत में निकाल दिया. हम दोनों थोड़ी थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहे.
फिर मैं बोला- मॉम एक बार और हो जाए.
मॉम हंस कर झिड़की देकर बोलीं- पागल हो गए हो क्या … इतनी चुत चुदाई करने के बाद तुम्हारा मन नहीं भरा.
मैंने प्लीज़ बोला, तो मॉम बोलीं- बेटा तुम्हारी बहनों के आने का समय हो गया है … और मैं कौन सी भागी जा रही हूँ जब समय मिले, चोद लेना मुझे.
मैं मॉम की बात मान गया.
रात को मैंने मॉम के कमरे में जाकर उनकी चूत बजाई.
अब हर रोज तो कॉलेज नहीं छोड़ सकता था, फिर भी समय निकाल कर हम दोनों चुदाई कर लिया करते.
मेरी माँ के साथ सेक्स की कहानी आपको कैसी लगी, मुझे मेल करके जरूर बताइए.
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