चूत चुदाई की कहानी के शौक़ीन दोस्तों को नमस्कार! मेरा नाम राहुल है और मैं गया बिहार से एक 25 साल का तंदुरुस्त लड़का हूँ। इस चुदाई की कहानी पर मैं आपके कमेन्ट जरूर पाना चाहता हूँ।
एक बार मेरे घर में एक लोकल मैरिज का कार्ड आया और तय डेट को मुझे शादी अटेंड करने जाना पड़ा। शादी में खाने में काफ़ी भीड़ हो रही थी, सो सब एक-दूसरे से टकरा रहे थे। मेरे सामने एक आंटी लो-कट ब्लाउज पहने बार-बार मेरे लंड से चिपक रही थीं। आंटी ज़्यादा उम्र की नहीं लग रही थीं.. यही कोई 36 साल के आस-पास की रही होंगी। उनकी गांड इतनी टाइट महसूस हो रही थी कि उनके टकराने से मेरा लंड खड़ा हो रहा था। लेकिन भीड़ बहुत ज़्यादा थी सो मैं कुछ कर नहीं पा रहा था।
मैंने हिम्मत करके आंटी से बोला- आंटी आपके लिए खाना मैं ले लेता हूँ, आपको दिक्कत हो रही है।
वो बोलीं- ठीक है.. तुम खाना ले लो जब तक मैं हम दोनों के लिए चेयर रखती हूँ।
काफ़ी भीड़ होने के कारण उन्हें सिर्फ़ एक ही चेयर मिली।
मैं खाना ले कर आया तो वो बोलीं- हम दोनों ही इस चेयर को शेयर कर लेते हैं। मुझे चेयर की जरूरत नहीं थी, तब भी आंटी से चिपकने का मोह था तो मैंने कुछ नहीं कहते हुए मुंडी हिला दी।
हम दोनों खाना खाने लगे।
खाना खाते-खाते बातचीत में पता चला कि वो लोकल ही हैं और हमारे घर के पीछे ही रहती हैं। वो शादीशुदा थीं, लेकिन अंकल शादी अटेंड नहीं करने आए थे। यह भी पता चला कि आंटी पूरी शादी अटेंड करके ही जाएगी।
मैंने बोला- हाँ मुझे भी आखिर तक रहना है।
इस बीच मेरी नजर आंटी की चुची पर दो-चार बार चली गई। शायद उन्होंने मुझे चुची देखते हुए देख भी लिया था लेकिन वे कुछ नहीं बोलीं।
खाने के बाद हम दोनों बात करने लगे, मैंने आंटी से कहा- आपके बच्चे नहीं हैं?
तो वो बोलीं- है न.. एक लड़का है, वो घर में है।
वो बोलीं- चलो दुल्हन वाले कमरे में चलते हैं।
मैं बोला- मैं तो किसी को पहचानता नहीं हूँ, कोई पूछेगा तो?
वो बोलीं- मैं बोल दूँगी कि तुम मेरे साथ हो।
हम दोनों अन्दर गए.. वहाँ दुल्हन के पास कुछ लड़कियाँ थीं। आंटी दुल्हन के पास गईं और उससे कुछ कहा। शायद उनकी बात पर ही सब हंसने लगी थीं और दुल्हन का चेहरा लाल हो गया। फिर हम दोनों ने अपना-अपना गिफ्ट दिया और बाहर आ गए।
बाहर आकर मैंने आंटी से पूछा- आपने उससे क्या कहा था.. क्या कोई जोक सुनाया था कि सब हँसने लगे।
तो आंटी ने मुझे हँसते हुए देखा और कहा- ये सब लड़कियों की बात है।
मैं चुप रहा।
थोड़ी देर बाद आंटी ने कहा- मुझे खाने के बाद थोड़ा चलने का आदत है.. तुम मुझे कंपनी दे दो।
फिर हम दोनों पंडाल के बाहर गार्डन की तरफ अंधेरे में आ गए। थोड़ी दूर जाने के बाद मुझे टॉयलेट महसूस हुई, मैंने आंटी से कहा- हम वापस चलते हैं.. मुझे पेशाब लगी है।
तो आंटी ने कहा- यहीं कर लो.. वापस क्यों जाना है?
मैंने थोड़ी दूर जाकर अपना पेंट की ज़िप खोली और लंड निकाल कर मूतने को तैयार हुआ, तभी मैंने देखा कि आंटी मेरे बगल में आकर मूतने बैठ गईं। उनका चेहरा मेरे लंड के नजदीक था।
अँधेरा था तो मैंने बोला- आंटी आप मेरे सामने आ गई हैं।
तो वो हाथ उठा कर चैक करने लगीं और उनका हाथ मेरे लंड से टकरा गया। वो चौंक गईं और बोलीं- ये क्या है?
तो मैंने कहा- आप मेरी सूसू के सामने बैठ गई हैं।
वो फिर से हाथ लगा कर चैक करने लगीं। उनके कोमल-कोमल हाथ लगने से मेरा लंड तनने लगा।
मैंने बोला- आंटी मुझे पेशाब करना है।
तो उन्होंने मेरे लंड को एक हाथ से पकड़ कर दूसरी तरफ मोड़ दिया और कहा- अब मूतो।
मैं उसी पोज़िशन में पेशाब करने लगा और आंटी भी आवाज के साथ मूतने लगीं। जब मेरा हो गया तो मैं अपने लंड को वापस पैंट में डालने लगा। वो मेरे लंड को बैठे-बैठे ही निकाल कर ऊपर-नीचे करने लगीं।
मैं बोला- आंटी ये क्या कर रही हैं?
तो वो बोलीं- तुम्हारा तो बहुत मोटा है और लम्बा भी है.. कितना लंबा है?
तो मैंने शरमाते हुए कहा- यही कोई 7 इंच का है।
वो बोलीं- हाँ रे.. ये तो मोटा भी बहुत है।
वो बार-बार एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ने की कोशिश कर रही थीं।
मैंने कहा- पूरे 4 इंच गोलाई में मोटा है आंटी।
वो बोलीं- ये लंड है या लोहा.. इतना बड़ा किसी का कैसे हो सकता है?
मैंने पूछा- क्यूँ कितना होता है?
तो वो बोलीं- मेरे हज़्बेंड का तो 4 इंच लम्बा है और 1.5 इंच पतला ही है और ना ही उनका लंड इतना स्ट्रॉंग है।
मैं मस्ती में आ गया था, बोला- फिर आंटी सेक्स की इच्छा कैसे पूरी होती है आपकी?
आंटी बोलीं- सेक्स अब कहाँ.. अब तो उनका लंड खड़ा ही नहीं होता है ढंग से… पिछले 6 महीनों से तो मैं बस उंगली से काम चला रही हूँ।
मैंने आंटी को उठाया और उन्हें अपनी बांहों में भर कर किस किया।
उफ़.. क्या रसीले होंठ थे उनके.. मैंने अपनी जीभ उनके मुँह में अन्दर तक डाल दी और वो मुझे पागलों की तरह चूसे जा रही थीं। इसी बीच मैंने एक हाथ से आंटी की साड़ी को गांड के ऊपर किया और पैंटी के ऊपर से उनके चूतड़ों को सहलाने लगा। आंटी की गांड इतनी टाइट थी कि लग रहा था कि वो वर्जिन लौंडिया हैं।
फिर मैंने हाथ उनकी चुत के ऊपर डाला। उनकी चुत ने पानी छोड़ दिया था और उनकी जांघों तक पानी आ गया था। जैसे ही मैंने हाथ उनकी चुत पर रखा, आंटी सेक्स के वशीभूत होकर मुझे दाँतों से काटने लगीं और मुझे जोर से जकड़ लिया। उनकी चुत ने कुछ ही पलों में फिर से पानी छोड़ दिया। फिर मैंने उन्हें नीचे झुकाया और अपना लंड उनके मुँह में देने लगा।
वो बोलीं- मैं लंड मुँह में नहीं लेती।
तो मैंने कहा- आंटी प्लीज़ चूस लो ना.. मज़ा आएगा, आजकल तो ऐसा चलता है।
फिर मैंने उनके मुँह में जबरदस्ती अपना लंड पेल दिया और मुँह चोदने लगा। मेरा लंड ज़्यादा मोटा होने के वजह से उनके मुँह में दर्द होने लगा। फिर मैंने उन्हें खड़ा किया और कहा- आंटी सेक्स करने मतलब चुदने का इरादा है या नहीं?
तो वो बोली- राहुल इरादा तो है.. लेकिन प्रॉमिस मी कि तुम्हें थोड़ा आराम से चोदना होगा।
मैं आंटी से बोला- आंटी सेक्स तो मैं आराम से ही करूंगा, प्यार से चोदूंगा आपको.. वैसे भी ये गार्डन है इधर बिस्तर की व्यवस्था नहीं है.. घास में ही चुदाई करना होगी।
आंटी बोलीं- ओके..
फिर मैंने उनकी साड़ी को ऊपर किया और पैंटी नीचे कर दी। उनकी चुत में बाल थे लेकिन शायद उन्होंने हाल में ही शेव की थी।
मैंने उनको घास में लेटा दिया और उनके ब्लाउज का बटन खोल कर उनके बड़े-बड़े चूचों को पागलों की तरह चूसने लगा। उनके निप्पल काफ़ी बड़े थे और काफ़ी सेक्सी भी थे। उन्हें चूसते-चूसते ही मैंने अपना लंड उनकी चुत में डालने की कोशिश की.. लेकिन मेरा हब्शी लंड उनकी चुत में जा नहीं रहा था। फिर मैंने उनके चुत के ऊपर अपनी जीभ को लगाया और चूत चाटने लगा।
साथ ही मैंने अपनी दो उंगलियां एक साथ आंटी की चूत में अन्दर तक घुसा दीं। वो चीख उठीं और बोलीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… आराम से राहुल..
मैं रुका नहीं और उनकी कमर को पकड़ कर उंगली से चुदाई चालू रखी। वो कमर उठा कर चुद रही थीं और कुछ ही पलों में चूत में फिर से रस आ गया।
मैंने उनके होंठों पर किस किया और लंड उनकी चिकनी चुत में पेल दिया। अभी थोड़ा सा लंड ही अन्दर गया था कि आंटी बोलीं- मुझे बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने उनके हाथ से अपना लंड पकड़वाया और कहा- अभी तो बस टोपा अन्दर गया है.. आप अभी से चीख रही हैं।
अब मैंने आंटी की पेंटी उनके मुँह में घुसेड़ दी, उनका मुँह बंद किया और एक हाथ ऊपर रख कर हल्का झटका दे दिया, इससे मेरा आधा लंड अन्दर चला गया।
वो दर्द से रोने लगीं.. लेकिन मैं हटा नहीं।
कुछ मिनट रुक करके फिर से मैंने एक जोर का झटका दे दिया। वो तड़पने लगीं और उन्होंने अपने नाख़ून मेरी पीठ में चुभो दिए।
अब मैंने उनका मुँह खोल दिया और अंडरवियर भी निकाल लिया, वो बोलने लगीं- तूने मेरी चुत फाड़ दी, इतना दर्द तो मुझे पहली बार में भी नहीं हुआ था, जितना आज हो रहा है।
थोड़ी देर बाद जब वो नॉर्मल हुईं तो मैंने स्ट्रोक्स की स्पीड बढ़ा दी। धकापेल चुदाई होने लगी। मेरे लंड के अन्दर रहते हुए ही वो 4 बार पानी छोड़ चुकी थीं।
आंटी सेक्स की मस्ती में जोर जोर से ‘आआहाआह उफ्फ़.. नहीं ईई.. और नहीं ईई साले फाड़ दी उफफफ्फ़ हइईए आआअहह..’ करने लगीं।
फिर मैंने उन्हें घोड़ी जैसा खड़ा किया और उन्हें खड़े-खड़े आराम से चोदने लगा। फिर जैसे ही उनका पानी छूटा.. मैंने लंड उनके मुँह में डाल दिया और वो लंड चूसने लगीं। फिर मैंने उनके सारे कपड़े खोल कर एक झुके हुए पेड़ से उन्हें टिका दिया और पीछे से उनके चुत में लंड डालने लगा। वो फिर से चिल्लाने लगीं.. तो मैंने एक थप्पड़ उनकी गांड में दे मारा और लंड चुत में घुसेड़ दिया।
‘हइईईई मर गइईईई उफफ्फ़ आआहह..’ उस पोज़िशन में मैंने उन्हें लगातार कई मिनट तक चोदा।
वो काफ़ी थक गई थीं।
मैंने उनसे पूछा- स्पर्म कहाँ निकालूं?
तो वो बोलीं- चुत में ही डाल दो.. मैं दवाई ले लूँगी।
कुछ मिनट बाद मैं और वो एक साथ रिलीज हुए। मेरा स्पर्म इतना ज़्यादा था कि वो उनकी चुत में भरने के बाद भी निकल रहा था।
उसके बाद मैं भी थक कर गिर गया।
आंटी ने मोबाइल की लाइट से अपनी चुत को चैक किया तो वहाँ काफ़ी खून था।
मैंने आंटी से कहा- शादी का असली मज़ा तो आपको मिल गया।
वो मुस्कुरा उठीं और शादी पहनने लगीं। लेकिन वो ठीक से चल नहीं पा रही थीं। किसी तरह मैंने उन्हें मदद की और फिर हम वापस पंडाल की तरफ जाने लगे।
अब तक दो बज चुके थे, मैंने आंटी से कहा- रात में सोने का कहाँ है?
तो आंटी ने कहा- मैं पता कर के बताती हूँ।
फिर जब तक हम पंडाल तक पहुँचे शादी के सारी रस्में पूरी हो चुकी थीं। आंटी ने कुछ औरतों से सोने का पूछा और हम एक कमरे में आ गए। उस कमरे में सारी लड़कियां ही थीं, जो सो चुकी थीं।
आंटी ने कहा- हमें यहीं अड्जस्ट होना पड़ेगा। फिर मैं आंटी के साइड में लेट गया।
कमरे की लाइट ऑफ थी, मैंने आंटी से पूछा- आंटी मजा आया?
तो वो कुछ नहीं बोलीं, मैं चुपचाप से एक हाथ से उनकी साड़ी के अन्दर डाल कर सहलाने लगा। तभी दो और आंटी रूम में आईं और उन्होंने लाईट को ऑन कर दिया। मैं आंटी से थोड़ा अलग हो गया और सोने का नाटक करने लगा। मेरे एक साइड दोनों आंटी आ कर सो गईं। मैंने कनखी से देखा कि दोनों 30 के आस-पास की होंगी लेकिन उनकी गांड का इलाका काफ़ी बड़ा था। वो मेरे साइड सोने लगीं।
मैंने रात को सोते हुए आंटी की गांड में हाथ रख दिया। जब मैंने देखा वो सो रही हैं तो मैंने हाथ उनकी साड़ी के अन्दर डाल कर सहलाने लगा। शायद आंटी जाग गई थीं और मेरे तरफ आकर थोड़ा चिपक गईं। मैंने धीरे-धीरे उनकी साड़ी को उठाया और पेंटी को नीचे कर दिया। आंटी ने भी पैर पसार दिए। फिर मैंने थोड़ा थूक हाथ में लगा कर उनकी गांड के छेद में उंगली घुसड़ने लगा। वो हिल नहीं रही थीं, मैंने थोड़ी देर के बाद दो उंगली डाल दीं।
वो बोलीं- धीरे करो.. कोई जाग जाएगा।
मेरी दो उंगलियां भी उनकी गांड में आराम से जाने लगी थीं।
मैंने उन्हें बोला- मैं आपकी गांड में पेल दूं?
वो बोलीं- यहाँ कैसे.. मेरे साथ बाथरूम में चलो।
वो मुझे लेकर टॉयलेट में ले आईं, वहाँ स्पेस कम था। वो मुझे चूमते हुए बोलीं- जल्दी जल्दी करना।
मैंने भी उन्हें अपना लंड बिना दिखाए उनकी पैंटी को उनके मुँह में घुसेड़ दिया और थोड़ा शैम्पू उनकी गांड के छेद में डाल दिया।
वो बोलीं- ये क्या कर रहे हो?
तो मैंने बोला- इससे लंड आराम से अन्दर घुस जाएगा।
वो बोलीं- मैं इतनी बार गांड मरवा चुकी हुई हूँ कि तेरा लंड तो ऐसे ही आराम से चला जाएगा।
फिर मैंने अपनी पेंट खोल दी और लंड उनकी गांड में टिका के जोर लगाया। वो ‘उफफ्फ़ आआहह..’ करके सीधा हो गईं। अभी मेरे लंड का टोपा उनकी गांड में गया ही था।
मैंने उन्हें बोला- अभी तो स्टार्ट हुआ है।
फिर मैंने थोड़ा और घुसा दिया तो वो बोलने लगीं- क्या है ये?
मैंने जबरदस्ती आधा लंड गांड में घुसा दिया और फिर भी उनकी गांड के छेद से ब्लड निकलने लगा। वो रोने लगीं.. लेकिन मैंने उतने ही लंड से उनकी गांड चोदी। वो मुझसे दया की भीख माँगने लगीं।
मैंने देर तक उनको गांड की चुदाई करने के बाद उन्हें कहा- चलो अब लंड चूस के मुझे ठंडा कर दो।
वो डर के मारे चुदना भूल गई थीं। उन्होंने अपने मुँह में मेरा लंड लेकर चूसना शुरू किया और मैंने अपना सारा स्पर्म उनके मुँह में ही निकाल दिया, वो भी लंड का रस पी गईं।
फिर मैंने उनसे कहा- अब फिर कब दुबारा?
तो वो बोलीं- कुछ दिन बाद.. जब मेरी गांड ठीक हो जाएगी तब!
मैंने उन्हें अपना नंबर दे दिया और फ़िर हम दोनों कमरे में आकर सो गए।
मगर जब मैं उनको अपना नंबर दे रहा था तो मुझे दरवाज़े के पास एक लड़की भी दिखी, जो मेरा नंबर सुन रही थी।
आंटी सेक्स की इस चुदाई की कहानी पर आपके कमेंट्स का इन्तजार रहेगा।
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