एक दिन मैं कंपनी से अपने रूम आ रहा था तो मेरे पड़ोस में रहने वाली एक आंटी मुझे देखकर मुस्कुराने लगीं.
वो लगभग 42-44 साल की थीं.
मुझे देख कर आंटी बोलीं- राज क्या बात है, आजकल तुम बहुत बिजी रहते हो?
मैंने कहा- हां आंटी, वो कंपनी में काम ज्यादा रहने लगा है.
वो हंसने लगीं और बोलीं- हां डबल शिफ्ट में काम जो करते हो.
मैंने कहा- नहीं आंटी, मैं डबल शिफ्ट नहीं करता.
वो हंसने लगीं और बोलीं- अरे मुझे सब पता है. आजकल तुम डबल शिफ्ट कर रहे हो और बहुत मेहनत कर रहे हो, मैं सब जानती हूं.
ये कह कर उन्होंने एक आंख दबा दी.
उनकी बात से और दबती हुई आंख से मुझे कुछ कुछ समझ आने लगा था और मेरे चेहरे का रंग उड़ने लगा था.
मैं बोला- आप क्या बोल रही हैं आंटी?
वो हंसती हुई बोलीं- बेटा मैं सब जानती हूं. मैंने ऐसे ही उम्र नहीं निकाल दी है. तेरी कोई बात मुझसे छिपी नहीं है.
मैंने कहा- आप सब … मतलब क्या जानती हैं?
वो बोलीं कि वही, जो सच है.
मैंने कहा- क्या सच है?
वो बोलीं- ललिता जी का.
मेरे चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी थीं. तब भी मैंने कहा- क्या ललिता जी का?
वो बोलीं- मुझे सब पता है कि ललिता रात को तेरे रूम में आती है और फिर क्या क्या होता है.
अब मेरे चेहरे का रंग उतर गया.
मैंने दबी हुई आवाज में कहा- ऐसा कुछ नहीं है आंटी. वो तो बस मेरे साथ कभी कभी बातचीत करने आ जाती हैं.
आंटी बोलीं- हां मैंने देखा भी कि वो कितनी खुल कर बातचीत करती है.
मैं समझ गया कि आंटी ने हम दोनों की चुदाई देख ली है.
मुझे चुप देख कर वो आगे बोलीं- मैं अगर सबको बता दूं या अम्मा जी को पता चला तो क्या होगा, मालूम है?
मैंने कहा- नहीं आंटी प्लीज़. आप ऐसा नहीं कीजिएगा.
वो बोलीं- ओके अगर मैं नहीं बताऊं तो मुझे क्या फायदा मिलेगा?
मैंने कहा- आप जो बोलोगी, मैं करूंगा. पर प्लीज़ आप किसी को मत बोलना.
वो हंसने लगीं और बोलीं- सोच ले?
मैंने कहा- हां सोच लिया, आप जो बोलोगी करूंगा.
वो बोलीं- ठीक है, अब अभी तो तू आराम कर ले.
मैं अपने रूम में आ गया और लेट गया.
मुझे डर था कि आंटी ने कहीं किसी को बता दिया तो क्या होगा?
मैंने सोचा कि ये बात ललिता को भी बता दूं, फिर सोचा बात बड़ी, तो कुछ हंगामा न हो जाए.
रात के 9:30 बजे आंटी ने दरवाजा खटखटाया.
मैंने दरवाजा खोला, तो आंटी बोलीं- राज मेरे रूम में आओ, तुमसे काम है.
मैं चुपचाप उनके रूम में चला गया.
वो रूम में अकेली थीं.
उन्होंने मुझे बिस्तर पर बिठाया और बोलीं- तूने क्या सोचा?
मैंने कहा- वही … जो आप बोलोगी मैं करूंगा, बस आप किसी को मत बताना.
वो बोलीं- तेरे पास एक रास्ता है.
मैंने कहा- क्या रास्ता है?
वो बोलीं- अगर तू मुझे खुश कर देगा तो मैं वादा करती हूं कि किसी से कुछ नहीं बोलूंगी.
मैं चुपचाप बैठा था.
वो बोलने लगीं- ज्यादा मत सोच, मेरी बात मान जा.
मरता क्या न करता, मेरे पास उनकी बात मानने के अलावा कोई रास्ता नहीं था.
मैंने कहा- ठीक है लेकिन अंकल आ गए तो?
वो बोलीं- अंकल 2 दिन के लिए बाहर गए हैं.
आंटी ने उठकर दरवाजा बंद कर दिया और अपनी साड़ी उतार दी.
अब वो मेरे सामने पेटीकोट ब्लाउज में थीं.
आंटी की उम्र 44 के आस-पास रही होगी, मगर वो कांटा माल लगती थीं.
उनकी बड़ी-बड़ी चूचियां 36 इंच की ही होंगी, गांड बाहर को निकली हुई थी और एकदम गोल गोल थी.
आंटी का रंग गोरा था. काले ब्लाउज और काले पेटीकोट में वो कयामत लग रही थीं.
आंटी ने मेरा हाथ अपनी चूचियों पर रख दिया और बोलीं- राज, अब शुरू हो जाओ.
मैं भी आंटी को देखकर गर्म होने लगा और ऊपर से चूचियों को मसलने लगा.
मैंने ब्लाउज उतार दिया और चूचियों को दबाने लगा.
आंटी की कामुक सिसकारियां निकलने लगीं.
मैंने आंटी को बिस्तर पर लिटा दिया और पेटीकोट उतार दिया.
आंटी की चूत में एक भी बाल नहीं था और ऊपर का भाग हल्का काला काला दिख रहा था.
मैंने जैसे ही आंटी की चूत में हाथ लगाया, वो सिहर उठीं और आह आह आहह करने लगीं.
मैं समझ गया कि ये बहुत दिनों से चुदी नहीं है.
मैंने धीरे से चूत की फांकों को खोल दिया और दाने पर उंगली फेरने लगा.
आंटी ‘ऊईईई ऊईईई आह आहहह …’ करके पैर पटकने लगीं और छटपटाने लगीं.
मैंने एक उंगली चूत में डाल दी.
वो एकदम से चिहुंक गईं और ‘ऊई मां मर गई …’ करने लगीं.
मैंने आंटी की एक चूची को दबाना शुरू कर दिया और धीरे धीरे चूत में उंगली अन्दर बाहर करने लगा.
आंटी की चूत पनिया चुकी थी और वो तेज स्वर में आहहह आह करने लगी थीं.
फिर मैंने दो उंगलियां चुत में डाल दीं और अन्दर-बाहर करने लगा.
वो और तेज स्वर में ‘आंह ऊईईई …’ करती हुई झड़ गईं.
अब मैंने अपने कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया.
आंटी मेरे लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगीं.
धीरे धीरे मेरा लंड 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा हो गया.
ये देख कर आंटी बोलीं- अरे बाप रे.
मैंने कहा- क्या हुआ?
वो बोलीं- तेरा लंड तो बहुत बड़ा है.
मैंने कहा- बड़ा है तो मजा भी तो ज्यादा देगा.
मैं आंटी की दोनों चूचियों को मसलने लगा और चूसने लगा. उनकी चूचियों के दोनों निप्पलों को चूस चूस कर मैंने लाल कर दिया और निप्पल एकदम टाइट हो गए.
मैंने आंटी से लंड चूसने को कहा.
वो बोलीं- नहीं, मैं लंड नहीं चूसूंगी.
मैंने कहा- ठीक है.
मैं आंटी की चूत में उंगली अन्दर बाहर करने लगा और वो फिर से ‘आह आह ऊईई …’ करके चिल्लाने लगीं.
वो बोलने लगीं- अब उंगली से नहीं, अपना लंड डालो.
मैं चुपचाप दो उंगलियां अन्दर बाहर करने लगा.
वो उंगली से चुदाई करने को मना भी कर रही थीं और गांड उठा कर मजा भी ले रही थीं.
वो ‘ऊईई ऊई लंड पेल ना आहहह …’ चिल्ला रही थीं.
मैं उंगली से ही आंटी की चूत चोदने में लगा था.
मैंने कहा- पहले मेरा लंड चूसो, फिर चोदूंगा.
अब आंटी फंस गई थीं.
वो कुछ नहीं बोलीं, तो मैंने उनके मुँह में लौड़ा घुसा दिया और झटके लगाने लगा.
धीरे धीरे आंटी अब लंड को चूसने लगीं. मैंने झटके लगाने बंद कर दिए.
अब आंटी ‘चप चप …’ करके लंड को चूसने लगी थीं.
वो मेरे लंड को प्यार से ऐसे चूस रही थीं जैसे लंड चुसाई में उन्होंने डिप्लोमा ले रखा हो.
कुछ देर बाद मैंने आंटी को बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और ऊपर आकर चूत में लंड रगड़ने लगा.
वो आह आह करके बोलने लगीं- अब चोदो मुझे प्लीज़ चोदो.
मैंने चूत में लंड को सैट करके धक्का लगा दिया.
मेरा आधा लंड अन्दर चला गया.
आंटी ‘ऊईई मर गई बचाओ आह मर गई …’ चिल्लाने लगीं.
मैंने अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए और चूसने लगा.
धीरे धीरे वो भी चूसने लगीं.
मैंने एक झटका और लगाया पूरा लौड़ा अन्दर चला गया.
आंटी छटपटाने लगी थीं और उनके बंद होंठों से घूघू घूघू की आवाज़ आ रही थी.
आंटी ने बहुत दिनों से नहीं चुदवाया था. उनकी चूत किसी नई लड़की की तरह चिपकी हुई टाइट थी.
मेरा लंड अन्दर बाहर अन्दर बाहर करके जगह बनाने लगा.
अब धीरे धीरे जैसे जैसे चूत खुलने लगी, तो लंड तेज़ी से अन्दर बाहर अन्दर बाहर होने लगा.
कुछ ही देर में आंटी का दर्द भी धीरे धीरे खत्म हो गया था और वो अपनी कमर चलाने लगी थीं.
मैंने उनके होंठों को आजाद कर दिया और वो आह आह करके कराहने लगीं.
आंटी बोलने लगीं- आह राज मजा आ रहा है … और तेज चोदो मुझे … मेरी चूत कब से लंड के लिए तरस रही थी … और इतना मस्त लंड मेरे इतने पास था. आज मुझे जमकर चोदो आहहह आहहह और तेज चोदो मुझे.
मैंने आंटी की चूचियों को दबाते हुए झटके लगाने शुरू कर दिए और सटा सट सटा सट अन्दर बाहर अन्दर बाहर करके चोदने लगा.
आंटी की चूत चोदते हुए मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे मैं किसी 18 साल की लड़की को चोद रहा हूं.
मैंने अपने लौड़े की रफ्तार बढ़ा दी और सटासट सटासट तेजी से चोदने लगा.
आंटी की चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया और फच्च फच्च फच्च की आवाज आने लगी.
अब मैंने आंटी को घोड़ी बनाया और कमर पकड़कर चूत में लंड घुसा दिया, पूरा लौड़ा पेल कर मैं चोदने लगा.
धीरे धीरे आंटी अपनी गांड आगे पीछे करने लगीं.
मैं अब तेज़ तेज़ झटके लगाने लगा और थप थप की आवाज़ आने लगी.
मैंने आंटी की बड़ी बड़ी कसी हुई चूचियां मसलते हुए झटके लगाने शुरू कर दिए और पूरी रफ्तार से चोदने लगा.
आंटी- ऊईई ऊईई आह आह चोद और चोद मुझे मेरी चूत फ़ाड़ दे … कब से मेरी चुत लंड की भूखी थी.
मैं भी आंटी की चूचियों को मसलने लगा और तेज तेज अन्दर बाहर अन्दर बाहर झटके लगाने लगा.
मैंने वापस आंटी को बिस्तर पर लिटा दिया और गांड के नीचे तकिया लगा दिया.
फिर चूत में लंड घुसा कर चोदने लगा, दोनों चूचियों को चूसने लगा और झटके लगाने लगा.
मेरा लंड अब आंटी की चूत की गहराई तक जाने लगा था और आंटी ऊईई ऊईई आहहह आह आहहह करके मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगी थीं.
मैं भी अपनी पूरी रफ्तार से चोदने लगा और मेरा लंड सटा सट अन्दर बाहर अन्दर बाहर किसी पिस्टन की तरह होने लगा था.
मैंने जोश में आकर आंटी की चूचियों को काटना शुरू कर दिया तो वो ऊई ऊई ऊई करके चिल्लाने लगीं.
मैं उन्हें किसी कसाई की तरह बेरहमी से चोदने लगा था.
ताबड़तोड़ चुदाई करते करते आंटी की आंखों से आंसू बहने लगे और मैं होंठों को चूमने लगा.
आंटी का शरीर अकड़ गया और उनकी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया.
गीला लंड फच्च फच्च फच्च करके सटासट अन्दर बाहर दौड़ने लगा.
मैं आंटी की चूचियों को मसलने लगा और चूसने लगा.
झटके लगाते लगाते मेरे लंड ने वीर्य की पिचकारी छोड़ दी.
आंटी की चूत भर गई और मैं उनके ऊपर गिर गया.
थोड़ी देर ऐसे ही मैं आंटी के ऊपर लेटा रहा, फिर उठकर बगल में लेट गया.
हम दोनों बात करने लगे.
मैंने आंटी से ललिता की चुदाई को लेकर जानना चाहा कि उनको कैसे मालूम पड़ा था.
आंटी ने बताया कि उन्होंने ललिता जी को मेरे रूम में आता देख लिया था और उनको पता चल गया था कि मैं ललिता जी को चोदता हूं.
मैंने कहा- तो आपने कुछ कहा क्यों नहीं?
आंटी ने कहा- क्योंकि मुझे भी सुख लेना था. अंकल से तो कुछ बनता नहीं है.
ये सब बात होने लगी थीं और मैं समझ गया था कि आंटी की चूत प्यासी है.
आंटी मुझसे चुदवाने के मौके की तलाश में थीं और आज उनके पति नहीं थे इसलिए उन्होंने मुझे अपने साथ सेक्स करने के लिए राजी कर लिया.
अब एक बार आंटी को चोदने के बाद मैं भी खुल चुका था और मेरी नज़र आंटी की बाहर निकली गोल गांड पर अटक गई थी.
मैं धीरे धीरे अब आंटी की गांड में हाथ फेरने लगा और कूल्हे को दबाने लगा.
आंटी बोलीं- ये क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- आंटी आपकी गांड तो कमाल की है, लेने में मज़ा आ जाएगा.
आंटी बोलीं- नहीं, मैं गांड में नहीं डलवाऊंगी.
मैंने कहा- क्या दिक्कत है … प्लीज़ आंटी बहुत मज़ा आएगा, मान जाओ.
मैं आंटी की गांड को दबाने लगा.
वो साफ साफ मना करने लगीं और बोलीं- गांड में नहीं. आगे से ही मजा ले लो.
मैंने कहा- आगे से मजा आपको लेना था. मुझे तो पीछे से लेने में मजा आता है.
वो मना करती हुई कहने लगीं कि पीछे से ललिता की ही ले लेना. वो मान नहीं रही थीं.
तो मैंने अपना मोबाइल उठाया और उसमें एक सेक्सी मूवी चला दी.
मूवी में एक कम उम्र का लड़का एक बड़ी उम्र की औरत की गांड को चोद रहा था.
मूवी देखते देखते मैं आंटी की गांड और चूचियों को सहला रहा था और वो भी धीरे धीरे गर्म होने लगी थीं.
मूवी में वो लड़का औरत को जबरदस्त तरीके से चोद रहा था और औरत आहहह आहहह करके अपनी गांड आगे पीछे करके मस्ती से चुदवा रही थी.
मैंने कहा- आंटी देखो, कितना मज़ा ले रही.
वो बोलीं- लेकिन मैंने पहले कभी नहीं करवाया, मुझे बहुत दर्द होगा.
मैंने चूचियों को दबाते हुए कहा- नहीं होगा और बहुत मज़ा आएगा. ललिता जी को भी गांड मरवाने में बहुत मज़ा आता है. मैं जब उनकी गांड चोदता हूं, तो वो उछल उछल कर गांड में लेती हैं.
इससे धीरे धीरे आंटी का मन बदलने लगा.
मैं समझ गया और मैंने फोन बंद करके रख दिया.
अब आंटी मेरे लौड़े को सहलाने लगीं और मुँह में लेकर लंड को गपागप गपागप लॉलीपॉप की तरह जल्दी जल्दी चूसने लगीं.
इस बार आंटी बहुत मज़े लेकर लंड की चुसाई कर रही थीं और उनकी बड़ी बड़ी चूचियां आगे पीछे होकर झूल रही थीं.
आंटी ने मस्त चूस चूस कर लंड तैयार कर दिया.
मैंने उनसे तेल लाने को कहा, वो गांड मटकाती हुई सरसों का तेल लेकर आ गईं.
मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और गांड में तेल लगाकर धीरे धीरे मालिश करने लगा.
आंटी की गांड बहुत मस्त एकदम गोल सील पैक थी.
तेल लगाकर एक उंगली मैंने जैसे ही गांड में डाली, आंटी ‘ऊईई ऊईई …’ करके जोर जोर से चिल्लाने लगीं.
मैंने उंगली निकाल ली और थोड़ा सा तेल और गांड के सुराख पर गिरा दिया.
मैंने थोड़ा तेल लंड पर लगाया और गांड के सुराख पर लंड रगड़ने लगा.
आंटी बोलीं- राज, मैंने पहले कभी नहीं करवाया.
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा, आपको बहुत मजा आएगा.
फिर मैंने कमर पकड़कर जोर से धक्का लगा दिया.
मेरा आधा लंड गांड में चला गया और आंटी की मां चुद गई- ऊईई ऊईई ऊईई … मर गई बचाओ बचाओ … मर गई … राज बाहर निकाल … बहुत दर्द हो रहा है … मुझे नहीं करवाना.
आंटी की आंखों में आंसू निकल रहे थे और वो ऊईई ऊईई आह आहहह करके चिल्ला रही थीं.
मैं आंटी की दोनों चूचियों को सहलाने लगा, दबाने लगा और गर्दन को चूमने लगा.
फिर धीरे धीरे जैसे जैसे आंटी का दर्द कम होने लगा, आंटी की कमर हिलने लगी.
मैंने एक और जोर का धक्का लगाया, मेरा पूरा लंड सनसनाता हुआ गांड में समा गया.
आंटी ‘ऊईई ऊईई मर गई आह आह …’ करके चिल्ला रही थीं और उनकी आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी.
मैं जोर जोर से धक्का लगाने लगा और लंड तेज़ी से आंटी की गांड में अन्दर बाहर अन्दर बाहर करने लगा.
आंटी का बुरा हाल हो रहा था और वो बार बार बोल रही थीं- निकालो बाहर मुझे नहीं करवाना.
मैंने कहा- नहीं, आपको आपकी जवानी बहुत परेशान कर रही थी न … बहुत लंड चाहिए था … अब ले मेरा लौड़ा ले साली और ले मेरा लंड.
मैं जोर जोर से धक्का लगा रहा था और आंटी ऊईई ऊईई कर रही थीं.
मैं सटासट सटासट अपना लंड उनकी टाइट गोल गांड में अन्दर बाहर अन्दर बाहर करके चोद रहा था.
धीरे धीरे आंटी की गांड आगे पीछे होने लगी और वो आह आह करके सेक्सी मूवी वाली औरत की तरह चुदवाने लगीं.
ये देख कर मैंने आंटी की कमर से अपने हाथ उसकी चूचियों पर रख दिए और जोर से दबाने लगा.
अब थप थप की आवाज़ तेज होती जा रही थी.
कुछ देर बाद मैंने आंटी को बिस्तर पर उल्टा लिटा दिया और नीचे तकिया लगा दिया.
उनकी गांड उठ गई थी.
मैं ज़ोर ज़ोर से लंड को गांड में अन्दर बाहर अन्दर बाहर करने लगा.
मैं लंड पेल कर चोदने लगा. आंटी ‘आहहह आह आहहह मर गई मर गई …’ चिल्लाने लगीं.
आंटी की गांड पहले से काफी खुल चुकी थी और अब लंड जल्दी जल्दी अन्दर बाहर अन्दर बाहर हो रहा था.
मैंने आंटी को वापस घोड़ी बनाया, एक झटके में पूरा लंड सनसनाता हुआ अन्दर डाल दिया और झटके लगाने लगा.
आंटी आहह आहहह करके अपनी गांड आगे पीछे करने लगी थीं और मेरे हर झटके का जवाब देने लगी, Xxx गांड का मजा लेने लगी.
जैसे जैसे लंड गांड में अन्दर बाहर हो रहा था, थप थप थप की आवाज़ तेज तेज आने लगी थी.
आंटी किसी सेक्स मूवी की एक्ट्रेस की तरह आह आहह आह हह करके तेजी से अपनी गांड आगे पीछे कर रही थीं और मैं ताबड़तोड़ झटके लगा रहा था.
हर झटके के साथ दोनों की सिसकारियां तेज़ होने लगी थीं और मेरा लंड टाइट होने लगा था.
तभी लंड ने वीर्य की पिचकारी छोड़ दी और आंटी की गांड भर गई.
हम दोनों लेट गए और लंड गांड के अन्दर ही डला रहा.
दोनों अब बहुत थक चुके थे और आंटी की गांड लाल हो गई थी.
दोनों एक साथ बिस्तर पर सो गए.
सुबह जब दोनों की नींद खुली तो 6 बज चुके थे.
हम दोनों बिल्कुल नंगे एक साथ लेटे हुए थे.
आंटी बोलीं- राज एक बार और मुझे चोदो तुम … और मुझे ठंडी कर दो.
वो लंड को गपागप चूसने लगीं.
आंटी अपने आप लंड को जमकर चूसने लगी थीं मैं ये देख कर खुश था.
सुबह के उजाले में आंटी का जिस्म चमकदार लग रहा था.
मैंने आंटी को लिटा दिया और उनकी चूचियों को चूसने लगा.
चूची के बाद मैं आंटी की चिकनी चूत की फांकों को खोलकर चूत का दाना सहलाने लगा और वो आह आह ऊईई करने लगीं.
अब आंटी बोलने लगीं- अपना लंड मेरी चूत में जल्दी से डालो.
मैं आंटी के ऊपर आ गया और लंड को चूत में रखकर जोर का धक्का लगा दिया.
पूरा लौड़ा सनसनाता हुआ अन्दर चला गया.
और मैं जोश में आकर जोर जोर से धक्का लगाकर लंड अन्दर बाहर अन्दर बाहर करने लगा.
आंटी की मस्त मादक आवाज में ‘आह आह आहहह …’ चिल्लाने लगीं.
कुछ ही देर में मेरा लंड आंटी की चूत की गहराई में उतरने लगा और सटासट सटासट अन्दर बाहर दौड़ने लगा.
आंटी आहहह आहहह करतीं, तो मैं उनकी चूचियों को दबाते हुए चूसने लगा.
कुछ देर बाद मैंने आंटी से कहा- अब घोड़ी बन जाओ.
वो झट से घोड़ी बन गईं.
मैंने उनकी गांड और अपने लौड़े पर थूक लगाया और गांड में लंड घुसा कर चोदने लगा.
वो आह आह करके अपनी गांड आगे पीछे करके मस्ती से आह आह करके चुदाई में भरपूर साथ देने लगीं.
मेरी जांघों की चोट पड़ने से गांड की थप थप की आवाज़ तेज होने लगी थी.
मैं आंटी की चूचियों को मसलने लगा और झटके पर झटका लगाने लगा था.
आंटी ‘आह आह …’ करके तेजी से अपनी गांड आगे पीछे कर रही थीं.
सुबह का उजाला हो गया था और थप थप थप की आवाज़ बढ़ती जा रही थी.
मैंने लंड निकाला और चूत में डाल दिया और आंटी की चोटी पकड़ कर चोदने लगा.
वो ‘ऊईई ऊईईई आह आह हह …’ चिल्लाने लगीं.
मैं अपनी पूरी रफ्तार से झटके लगाने लगा.
आंटी की चूत खुल गई थी और वो आह आह करके अपनी गांड आगे पीछे करके तेजी से चुदाई में भरपूर साथ देने लगी थीं.
मैं आंटी को घोड़ी की तरह जबरदस्त तरीके से चोद रहा था और उनकी चोटी खींच रहा था.
मैंने कुछ देर बाद उन्हें उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और उनके ऊपर चढ़कर चोदने लगा.
उनकी चूचियां मुँह में लेकर काटने लगा और वो ऊईई ऊईईई ऊईई करके चिल्ला रही थीं.
मैं अपने लंड को तेजी से अन्दर बाहर अन्दर बाहर करके चूत की गहराई तक उतारने लगा.
मेरा लंड सनसनाता हुआ अन्दर बच्चेदानी तक जाने लगा था.
उस समय मेरा लंड एक्सप्रेस ट्रेन की गति को आंटी की चूत में अन्दर बाहर अन्दर बाहर कर रहा था.
आंटी कामोत्तेजित अवस्था में अपने नाखून गड़ाने लगी थीं.
मैंने और जोर से धक्का लगाकर चोदना शुरू कर दिया था और उनकी चूचियों को मसल मसल कर उनका हलवा बनाने लगा था.
ताबड़तोड़ चुदाई करते करते आंटी की चूत ने पानी छोड़ दिया.
गीली चूत से फच्च फच्च करके लंड तेज़ी से अन्दर बाहर आने जाने लगा.
मैं चूचियों को पकड़ कर और तेज झटके लगाने लगा और तभी मेरे लौड़े ने वीर्य की पिचकारी चूत में छोड़ दी.
हम दोनों एक-दूसरे से चिपक कर लेट गए.
थोड़ी देर बाद दोनों अलग हुए और अपने कपड़े पहने.
फिर आंटी बाहर निकल कर देखने गईं, बाहर कोई नहीं था तो मैं चुपके से अपने रूम में आ गया.
इस तरह से उस आंटी ने मुझे फंसा कर मुझसे जमकर चुदाई करवाई.