सभी अन्तर्वासना फैंस को मेरा प्रणाम। मैं यश उन और मैं रांची का रहने वाला हूँ. अभी में बी. ए. फाइनल ईयर में हूँ. यह मेरी पहली कहानी है. अगर मुझसे कोई ग़लती हो जाए, तो प्लीज़ मुझे माफ़ करना.
अब मैं आपको कहानी की नायिका से मिलवा देता हूँ. उनका नाम अर्चना है और वो हमारे घर के नीचे वाले हिस्से में अपने पति के साथ किराए पर रहती हैं. उनका फिगर 34-26-36 का है. उनको देखते ही जैसे मन करता था कि उनको अभी अपनी बांहों में लेकर भींच लूँ और चोद दूँ.
आंटी का सांवला रंग उनकी खूबसूरती में और चार चाँद लगा देता था. आंटी अभी दो महीने पहले ही हमारे घर में आई थीं और उनको देखते ही मैंने उन्हें चोदने का प्लान बना लिया था. पर मेरी मम्मी के शक करने की आदत के कारण मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी.
जब भी आंटी छत पर होतीं, तो मैं उनको देखने के लिए कोई ना कोई बहाना बना कर छत पर उनको ताड़ने के लिए पहुंच जाता. वो भी मुझे देख कर मुस्कुरा देती थीं.
कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा और मैं रोज उनके नाम की मुठ मारकर सो जाता.
मैं जब भी उनसे बात करने की कोशिश करता, तब कुछ ना कुछ उल्टा हो जाता था. पर मैं भी हार मानने वालों में से नहीं था. मैं लगातार कोशिश करता रहा.
एक रात मैं बाज़ार से आ रहा था, तभी मैंने देखा कि अर्चना आंटी बहुत भारी सामान उठा कर पैदल चली जा रही थीं. मैं स्कूटर पर था, तो मैंने तुरंत मौके का फ़ायदा उठाने का तय कर लिया.
मैं उनके पास गया और उन्हें अपनी स्कूटर पर बैठने को बोला. पहले तो वो थोड़ा हिचकिचाईं, पर भारी सामान होने के कारण स्कूटर पर बैठ गईं. मैं यह हाथ आया मौका गंवाना नहीं चाहता था. मैं उनसे उनके बारे में पूछने लगा. उन्होंने मुझे बताया कि वो पहली बार राँची आई हैं … और उन्हें यहां का मौसम बहुत अच्छा लगा.
इसी तरह बातें करते करते हम घर पहुंच गए.
आंटी स्कूटर से उतरीं और अपने सामान को उठाने की कोशिश करने लगीं. मैं झट से उनके हाथों से उनका सामान लेकर उन्हें आगे आगे चलने को कहा.
यह देखकर वो मुस्कुरा दीं और आगे आगे चलने लगीं. जब हम उनके कमरे के पास पहुंचे, तो उन्होंने मुझे अन्दर आकर बैठने को कहा.
मैं मम्मी के डर से नहीं जाना चाहता था, पर आंटी के साथ बात करने की लालच में मैं अन्दर जाकर बैठ गया.
मुझे उनसे बात करके ऐसा लगा कि वो बहुत ही सीधी साधी आंटी हैं. उनकी मासूमियत भरी मुस्कराहट से मेरा मन उन्हें पकड़ कर किस करने का हो रहा था. फिर भी मैंने उनसे थोड़ी देर बातें की. फिर मैं अपने घर जा कर अपना लंड सहला कर सो गया.
इसके बाद से आंटी मेरे से खुल कर बातें करने लगी थीं. मैं अब छत पर जब भी उनसे मिलता, तो उनसे ये जरूर कह देता कि कोई काम हो, तो मुझसे बोलें.
वे भी मेरे इस रवैये से बड़ी खुश थीं. ऐसा करके मैं धीरे धीरे उनके करीब आने की कोशिश करने लगा. इसी दौरान मैं उनसे हँसी मज़ाक भी करने लगा. वो भी मुझसे एकदम दोस्तों जैसा बर्ताव करने लगी थीं. हम दोनों में एक दूसरे को टच करते हुए भी हंसी मजाक होने लगा था. कभी कभी तो मैं मज़ाक करते करते उन्हें गुदगुदी कर देता जिससे वो थोड़ा शर्मा जाती थीं. अब मुझसे और रहा नहीं जा रहा था, पर मौका ही नहीं मिल रहा था कि मैं आगे बढ़ूँ तो कैसे बढ़ूँ.
एक दिन मैं घर आया, तो मम्मी ने मुझे बताया कि पापा और उन्हें दिल्ली जाना पड़ेगा. क्योंकि मामाजी की तबीयत खराब है.
मेरी परीक्षाएं आने वाली थीं, इसीलिए मम्मी मुझे अकेले छोड़ कर जा रही थीं. उन्होंने कहा कि अगले दिन उन्हें निकलना है. ये कह कर वो अपनी तैयारियों में लग गईं. मैं अन्दर ही अन्दर खुश था और मेरी खुशी तब दोगुनी हो गयी, जब मम्मी ने आंटी को हमारे घर बुला कर कहा कि अगर उन्हें दिक्कत न हो, तो मेरे लिए यहां आकर खाना बना देंवे.
आंटी ने झट से हां कर दी.
अब तो मैं बस मम्मी के जाने का इंतज़ार करने लगा. जिस दिन मम्मी गईं, उस दिन मैंने ढेर सारी ब्लू फिल्म डाउनलोड करके अपने लैपटॉप में रख लीं. मम्मी के जाने के बाद मैंने लगातार आंटी के बारे में सोच कर दो बार मुठ मारी.
शाम को आंटी खाना लेकर आईं और जाते वक्त उन्होंने कहा कि कल सुबह का खाना अंकल के जाने के बाद मैं यहीं आक़र बना दूंगी.
मैं उनकी बात सुनकर बहुत खुश हो गया और अगले दिन का बेसब्री से इंतज़ार करने लगा. उस रात मुझे जरा सी भी नींद नहीं आ रही थी.
आखिर सुबह हुई और अंकल के जाने के बाद आंटी हमारे घर पर आ गईं. आंटी उस दिन नीले रंग की साड़ी पहने हुई थीं. उनको देखकर लग रहा था कि जैसे आसमान से कोई परी आ गयी हो. लेकिन उस परी को ये नहीं पता था कि उसकी चूत में आज एक नए लंड का आक्रमण होने वाला है.
अन्दर आते ही आंटी सीधे रसोई में चली गईं. मैं भी उनके पीछे पीछे चल दिया. वो रोटी बना रही थीं और मैं उनसे वैसे ही कुछ कुछ मज़ाक कर रहा था.
मज़ाक करते करते मैं आदतनुसार उनको गुदगुदी करने लगा, जिससे उनके हाथ की एक उंगली जल गयी. मैं जल्दी से उनकी उंगली अपने मुँह में लेकर चूसने लगा जिसे देखकर वो और ज़ोर से हँसने लगीं.
मैंने मौका देखकर उनका सर पकड़ कर उन्हें किस कर दिया. उन्होंने मुझे पीछे धकेला और एक ज़ोर से थप्पड़ जड़ दिया. मैं झट से अपने घुटनों के बल आकर उनसे माफी माँगने लगा. कुछ देर के बाद जाकर उनका गुस्सा शांत हुआ और वो अपने घर जाने लगीं.
मैंने पीछे से चिल्लाते हुए कहा- मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ.
वे मेरी तेज आवाज को सुनकर जैसे ही मुड़ीं, मैंने उनका हाथ पकड़कर उन्हें ज़ोर से अपने ओर खींच लिया और आंटी को अपनी मजबूत बांहों में जकड़ लिया.
कुछ देर तक ऐसे ही खड़े रहने के बाद वो बोलीं- ये बहुत ग़लत है.
इस पर मैंने कहा- मुझे एक मौका तो दे कर देखो.
इस पर उन्होंने कहा- अगर ये बात तुम्हारे अंकल को पता चल जाएगी, तो वो मुझे मेरे गांव छोड़ आएंगे.
अपनी बात बनती देख मैंने कहा- ना अंकल को पता चलेगा … और ना ही किसी और को … क्योंकि ये बात हम दोनों ही किसी को नहीं बताएंगे.
इस पर वो चुपचाप वापस रसोई में चली गईं. मुझे तो जैसे हरी झंडी दिख गई थी. मैंने झट से जाकर उन्हें पीछे से पकड़ लिया और उनके कानों के नीचे किस करने लगा. साथ ही मैं आंटी के मम्मों को दबाने लगा.
हालांकि आंटी अब भी मेरा साथ नहीं दे रही थीं, मगर वे अब मुझे रोक भी नहीं रही थीं. मैंने उन्हें अपनी गोद में उठाया और उन्हें कमरे में ले जाकर बेड पे पटक दिया. उनकी साड़ी और पेटीकोट ब्लाउज निकाल दिए. इसके बाद मैंने आंटी की ब्रा पेंटी भी निकाल दी.
इसके बाद मैं उनकी टांगों के बीच घुस कर उनकी चूत चाटने लगा. जिससे वो एकदम मदहोश होने लगीं.
अब आंटी गर्म होने लगी थीं और मादक सिसकारियां भरते हुए कह रही थीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… ये…क्या क..कर … रहे हो.
उनकी कामुक कराहों से मुझे इस बात का अंदाज़ा हो गया कि अंकल जी ने आज तक आंटी की चूत नहीं चाटी थी.
थोड़ी देर बाद जब मैं आंटी की टांगों से बाहर आया, तो आंटी ने मुझे ज़ोर से जकड़ लिया और मुझे किस करने लगीं.
इस बात पर मैंने कहा- अगर मुझे पहले पता होता कि आपकी चूत चाटने से काम हो जाएगा, तो मैं पहली बार में ही होंठों की जगह चूत पर ही हमला करता.
इस बात पर आंटी ज़ोर से हंस दीं और मुझसे लिपट गईं.
अब मैंने आंटी को पकड़ कर उनके भूरे भूरे निप्पलों वाले चुचों पर निगाह डाली मैं आंटी के मस्त निप्पलों को देखकर मैं अपने आप पर संयम ही नहीं कर पाया और उनके मदभरे निप्पलों पर टूट पड़ा. मैं भूखे शेर की तरह उनके भूरे और मोटे निप्पलों को अपने होंठों में दबा कर चूस रहा था. आंटी मस्त सिसकारियां भर रही थीं.
कुछ देर के बाद ही मैंने आंटी को पूरी तरह से गर्म कर दिया और उनकी झांटों वाली चूत में उंगली करने लगा.
उसी समय यकायक मेरी निगाह मेरे फोन पर गई जो कि साइलेंट मोड पर था, उसकी लाइट जल बुझ रही थी. मैंने देखा कि मेरे फोन पे मम्मी का फोन आ रहा था. मैं मम्मी के फोन को नहीं उठाया और अपनी मस्ती में लगा रहा.
मम्मी के फोन से मुझे एक शरारत सूझी. मैंने अपने फोन को हाई वाइब्रेशन मोड पर सैट किया और आंटी के फोन से उस पर फोन करने लगा. अब जैसे ही फोन वाइब्रेट होता, तो मैं फोन को आंटी के चूत पर रख देता, जिससे आंटी एकदम सिहर उठतीं. धीरे धीरे मैंने अपना फोन आंटी की चूत में पूरा का पूरा डाल दिया इससे हुआ ये कि जब भी वाइब्रेशन होता, तो आंटी पूरा सिहर उठतीं और जैसे ही वाइब्रेशन रुकती, तो आंटी प्यासी नज़रों से मुझे देखने लगतीं.
थोड़ी देर की इस मस्ती के बाद आंटी की चूत में से पानी की एक तेज धार निकली और आंटी एकदम निढाल सी होकर तेज़ तेज़ सांसें लेने लगीं.
उसके बाद मैंने अपना लंड निकाल कर उनके हाथों में दे दिया, जिसे वो सहलाने लगीं. थोड़ी देर लंड सहलाने के कारण मैं भी झड़ गया.
उसके बाद मैंने आंटी की चूत को अपने लंड के निशाने पर लिया और एक ही झटके में लंड को आंटी के चूत में पेल दिया. आंटी की आह निकल गई. कुछ ही पलों बाद मेरा लंड फ्रंटियर मेल की तरह आंटी की चूत का बजा बजाने में लग गया. मेरे दोनों हाथों में आंटी के मस्त चूचे थे और उनकी चूत में लंड घुसा हुआ था.
दस मिनट की चुदाई में आंटी दो बार फिर से झड़ गई थीं. मैंने उस दिन आंटी को चार बार चोदा.
फ्रेंड्स … ये थी मेरी पहली चुदाई की कहानी पड़ोसन आंटी के साथ. फिलहाल मुझे इस वक्त रुका नहीं जा रहा है, मैं तो मुठ मारने जा रहा हूँ.
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