दोस्तो, कैसे हैं आप सब! मैं राजेश आप सबके लिए आज अपनी ज़िंदगी में हुई एक ऐसी घटना लिख रहा हूँ, जिसके बाद मेरी लाइफ बदल गयी थी.
ये घटना, जिसमें एक भाई ने बहन को चोदा, आज से करीब 6 साल पहले की है.
मेरे पिता जी का देहांत हो गया था, उनकी मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार के बाद सभी विधियां चल रही थीं.
उसी काम में हम सब व्यस्त थे.
जब मैं घर से किसी काम से बाजार गया, तब मुझे माया दीदी मिल गईं.
माया दीदी मेरी मौसी की लड़की हैं और वो अपने पति और बच्चों के साथ मेरे ही घर जा रही थीं.
मैं उन सभी से मिला और पहले मैंने उनको घर तक छोड़ा और वापस बाजार चला गया.
मेरी मौसेरी बहन 40 साल की थी. उनकी शारीरिक बनावट और फिगर तो सामान्य ही थी मगर वो खुद भी बहुत ही साधारण किस्म की थीं.
उन्हें खुद को सजा-संवार कर रखने का मन नहीं होता था. शायद इसी वजह से जीजा जी दारू पीने लगे थे.
मैंने अपनी मां से सुना था कि दीदी की इसी कमी के कारण जीजा जी और उसके बीच अक्सर झगड़ा हुआ करते थे
फिर जीजा जी ने भी दारू पीना शुरू कर दिया था तो उससे मामला और भी बिगड़ने लगा था.
ये सुनकर मुझे अपनी बहन पर दया आती थी.
हालांकि वो मुझसे उम्र में बड़ी थीं.
खैर … अब वापस कहानी में आते हैं.
हुआ यूं कि जब सब कार्यक्रम निपट गए तो अब महिलाओं को खाना खिलाने की बारी थी.
मैंने सबको बिठा कर खाना परोसना शुरू किया.
खाने के बाद माया दीदी ने मेरी ओर देखा और बोलीं- राजू तुम तो काफी बड़े हो गए हो.
मैंने कहा- दीदी, बस आपका आशीर्वाद है.
माया- वो तो हमेशा तुम्हारे साथ है … मेरे प्यारे भाई.
फिर हम दोनों इधर उधर की बातें की.
उसके बाद मैंने दीदी जीजा और बच्चों को रहने की व्यवस्था की और अपने कमरे में सोने चला गया.
रात को करीब 2 बजे किसी ने मेरे कमरे का दरवाजा खटखटाया.
मैं सोचने लगा कि इस वक्त कौन आया होगा.
पर आवाज जीजा जी की आयी, तो मैंने दरवाजा खोल दिया.
जीजा जी मुझसे बोले- राजू मैं शराब की बोतल लेकर आया हूँ … अगर तुमको परेशानी ना हो तो मैं इस कमरे में पी सकता हूँ?
मैं- हां जीजा जी, क्यों नहीं, आइए ना.
दोस्तो, मैंने आज तक शराब को हाथ तक नहीं लगाया था पर जीजा जी की जिद के कारण मुझे पीना पड़ा.
चूंकि ये मेरा पहली बार था इसलिए कम शराब में ही मुझे नशा ज़्यादा हो गया.
लेकिन जीजा जी फुल मस्ती और नशे में आ गए थे, वो इतने ज्यादा टुन्न हो गए थे कि उनसे चला भी नहीं जा रहा था.
मैं उनको उनके कमरे के गेट तक ले गया जहां पर माया दीदी पहले से ही काफी गुस्से में खड़ी थीं पर मुझे देख कर वो कुछ नहीं बोलीं.
मैं जीजा जी को अन्दर बिस्तर पर लिटा कर वापस जाने लगा तो माया दीदी को मुझ पर भी कुछ शक हुआ.
वो मुझसे बोलीं- अपने जीजा जी के साथ तुमने भी शराब पी है क्या?
मैं- हां दीदी थोड़ी सी पी ली.
माया- नहीं पीनी चाहिए थी. तुम अपने जीजा जी के जैसे मत बनो, इन्होंने शराब पी पीकर अपना शरीर खराब कर लिया है.
मैं- सॉरी दीदी आगे से ऐसा नहीं करूंगा.
माया- कोई बात नहीं आगे से ख्याल रखना. खैर … ये सब छोड़ो, अब तुम जाओ और आराम करो. तुमने आज बहुत मेहनत की है.
मैं- ठीक है दीदी.
दोस्तो, मैं वहां से अपने कमरे की तरफ चल दिया लेकिन मैं भूल से मैं अपना फोन वहीं भूल गया.
मैं फोन लेने वापस गया तो मुझे कुछ आवाज सुनाई पड़ी.
मुझे लगा जीजा दीदी को चोद रहे हैं, पर जब वहां जाकर देखा नज़ारा कुछ और ही था.
जीजा जी सो रहे थे और दीदी अपनी साड़ी कमर तक ऊपर करके अपने एक हाथ की उंगली से अपनी चूत में अन्दर बाहर करके मजा ले रही थीं.
उस समय उनके ब्लाउज से उनका एक दूध बाहर निकला हुआ था.
इतना सुंदर दृश्य देख कर मेरे अन्दर वासना जग गयी.
मेरा मन किया कि कमरे में जाकर अपनी बहन चोद दूँ.
लेकिन मैंने खुद को संभाला और दरवाजे पर धीरे से ठोका.
दीदी दरवाजे पर किसी दस्तक सुन कर घबरा गईं और जल्दी-जल्दी साड़ी नीचे करके दरवाजा खोलने आ गईं.
माया- क्या हुआ?
मैं- दीदी, मैं जीजा जी के पास अपना मोबाइल भूल गया था.
माया- अच्छा ठीक है, ले लो.
मैंने रूम के अन्दर आकर अपना मोबाइल लिया और वापस जाने लगा.
मैंने ध्यान दिया कि दीदी जल्दी जल्दी में ब्लाउज में से निकल रहे अपने दूध को अन्दर करना भूल गयी थीं.
मैं उनके ब्लाउज तरफ देख कर मुस्करा दिया.
जिस पर दीदी ने अपने ब्लाउज को देखा … फिर जल्दी से सही कर लिया.
दीदी शर्माती हुई बोलीं- वो कभी कभी सोते समय खुल जाता है.
मैं- कोई बात नहीं दीदी वैसे भी जब कमरे से बाहर था, तो बहुत प्यार करने जैसी आवाजें आ रही थीं.
माया हंस कर बोलीं- चल भाग बदमाश … तू सही में बड़ा हो गया है. चल अब जा और सो जा!
मैं हंसते हुए अपने कमरे में चला गया और कमरे में आकर कब सो गया, पता ही नहीं चला.
सुबह मेरी नींद देर से खुली तो पता चला कि दीदी और जीजा जी बच्चों के साथ अपने घर चले गए.
उनके ऐसे जाने से मैं काफी हैरान था.
फिर मुझे पता चला कि उनके परिवार में किसी की तबियत खराब थी … इसलिए उन्हें जाना पड़ा.
ऐसे ही समय बीतता चला गया.
मैंने एक सोशल साइट जॉइन की थी.
उसमें बहुत सारे ग्रुप थे, मैं उधर आई हुई पोस्ट के कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करता था.
ऐसी एक पोस्ट पर मुझे एक लड़की अनीता मिली.
मैं उससे बातें करने लगा.
मैंने पहले पोस्ट पर कमेंट किया, उसका जवाब आया तो हम दोनों इनबॉक्स में आकर बातें करने लगे.
धीरे धीरे हम दोनों एक दूसरे से काफी देर देर तक बातें करने लगे.
पहले जो बात 1-2 मिनट की बात हुआ करती थी, अब वो घंटों तक होने लगी.
एक रात उससे बात करते हुए मैंने उसको प्रपोज़ कर दिया.
वो उस रात बिना जवाब दिए ऑफलाइन हो गयी.
मुझे लगा कि शायद उसे बुरा लगा है और वो मुझसे बात करना छोड़ देगी.
पर तकदीर को कुछ और ही मंजूर था.
उसने मुझसे 2 हफ्ते बात नहीं की थी.
मैं यहां परेशान था कि उससे बात क्यों नहीं हो रही है.
फिर एक दिन जीजा जी का फ़ोन आया कि दीदी हमारे घर मिलने आ रही हैं.
दीदी के आने की सुनकर मेरे मन में उस रात का दृश्य याद आने लगा था कि कैसे दीदी का ब्लाउज खुला हुआ था.
पर उस बात को बहुत समय हो चुका था, इसलिए मैं भूल गया था.
दीदी घर आईं … उन्होंने कुछ देर आराम किया और शाम को छत पर आ गईं.
मैं भी छत पर था तो दीदी मुझसे बात करने लगीं.
माया- राजू, मेरा एक काम कर देगा?
मैं- हां दीदी बोलिए ना.
माया- मेरा मोबाइल खराब हो गया है, तू उसको ठीक करवा देगा?
मैं- हां ठीक है दीदी, आप मोबाइल दे दो.
मैं माया दीदी से मोबाइल लेकर बाजार चला गया.
वहां दुकानदार ने बोला कि वो मोबाइल कुछ मिनट में ठीक कर देगा … उसका चार्जिंग शॉकिट खराब हुआ है.
जैसे ही मोबाइल ठीक हुआ, मैंने घर आकर दीदी को मोबाइल दे दिया और अपने कमरे में चला गया.
रात के समय खाना खाने के बाद मैंने सोशल साइट चैक की, तो देखा कि अनीता ने मेरे प्रपोजल के जवाब में हां लिखा था.
उसने ये भी लिखा था कि रात को जल्दी मत सोना, मैं 11 बजे तुम्हें मैसेज करूंगी.
मैंने ओके लिख दिया.
मुझे अनीता से फिर से बात करने की बड़ी ख़ुशी थी.
मैं रात के 11 बजने का इंतज़ार करने लगा था.
रात को 11 बजे उसका मैसेज आया लेकिन दीदी मेरे रूम में आकर बैठ गयी थीं.
माया- क्या कर रहा है?
मैं- मैं कुछ नहीं.
माया- कुछ तो कर रहा है, चल अपना मोबाइल दिखा.
मैं- नहीं, ये अभी डिस्चार्ज है.
माया- मोबाइल डिस्चार्ज है या अनीता के मैसेज का इंतजार है.
दीदी ने हंसते हुए ऐसा बोला तो मैं सनाका खा गया.
उनकी इस बात से मैं बड़ा हैरान था क्योंकि मेरे और अनीता के बारे में कोई नहीं जानता था.
फिर उन्होंने अपना फोन उठाया और कुछ लिखा.
तभी मेरे फ़ोन में अनीता का मैसेज आ गया.
अनीता- क्यों रह गए न हैरान?
दोस्तो, मुझे समझते देर नहीं लगी अनीता और कोई नहीं, माया दीदी ही हैं.
इधर माया दीदी मुझे देख कर फिर से हंस दीं.
माया दीदी- क्यों मेरे मासूम राजू … अपनी अनीता के पति बनोगे?
मैं लजा गया और मैंने अपना सर झुका लिया.
फिर दीदी शांत होकर बोलीं- कोई बात नहीं राजू, इस उम्र में ऐसा हो जाता है. फिर तुमने अपनी प्रोफाइल में अपनी फोटो भी लगा रखी थी.
ये सुनकर मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ और मैं खुद को कोसने लगा.
दीदी- क्या हुआ … चुप क्यों हो गया?
मैं- पर दीदी आपने ऐसा क्यों किया और फेक नाम से एकाउंट क्यों बनाया?
माया- मैंने तो टाइम पास के लिए बनाया था, पर तुम मिल गए तो सोचा तुम्हारे साथ मस्ती कर लूं.
मैं- पर दीदी आपने आपने तो मेरा प्रपोजल स्वीकार भी किया, उसका क्या?
माया- हां, मैंने तुम्हें मना नहीं किया है. तुम मेरे बॉयफ्रेंड नहीं हो, बस सबके सामने बहन हूँ, अकेले में मैं तुम्हारी अनीता हूँ. मुझे प्यार करोगे न?
ये कह कर दीदी ने आंख दबा दी.
उनकी इस बात को सुनते ही और उनकी दबी हुई आंख का इशारा समझते ही मैंने उन्हें अपनी बांहों में खींच लिया.
माया दीदी- पागल, अभी नहीं … मैं एक घंटे बाद आती हूँ … फिर तुम अपनी प्रेमिका से जितना चाहे प्यार कर लेना.
ये बोलकर वो कमरे से बाहर चली गईं.
मैंने एक घंटे तक दीदी के आने का इंतजार किया.
पर वो नहीं आईं.
मैंने उनको मैसेज किया तो बोलीं- अरे यार तेरे जीजा जी की कॉल आ गयी थी. उनसे बात करने लगी थी. मैं बस आ रही हूँ.
अब मैं दीदी के आने के इंतजार में था.
मैं अपने कमरे में ही था तो बेड से उठकर कुर्सी पर बैठ गया.
कुछ समय बाद दीदी दरवाजे पर आकर खड़ी हो गईं.
कमरे का दरवाजा खुला हुआ था और मैं दीदी के आने का इन्तजार कर रहा था.
माया दीदी मुस्कुराती हुई बोलीं- लो आ गयी तुम्हारी प्रेमिका … अब करो प्यार!
मैं अपनी कुर्सी से उठा और दीदी के सर के पिछले हिस्से पर हाथ रखते हुए उनके माथे पर किस करते हुए होंठों को चूमने लगा.
दीदी कमरे के अन्दर आ गईं और मैंने दरवाजे को लॉक कर दिया.
मैंने दीदी को अपने बिस्तर पर लिटा दिया और बिना रुके उनके शरीर के हर हिस्से को चूमने लगा.
दीदी भी मस्ती में थीं और वो मेरा साथ दे रही थीं.
मैंने दीदी के ब्लाउज का हुक खोल दिया और उनके एक स्तन के निप्पल को अपनी जीभ से कुरेद कर अपने होंठों में दबाकर चूसने लगा.
साथ ही दीदी के दूसरे स्तन को अपने हाथ से मसलने लगा.
मेरे इसे प्रहार से माया दीदी की सिसकारियां तेज हो गईं.
उनके आनन्द भरे स्वरों की तीव्रता से उनकी मस्ती की जानकारी साफ़ समझ आ रही था.
दीदी की प्यास उनकी मीठी आहों और कराहों से उजागर होने लगी थी.
मैं ऐसे ही 5 मिनट तक दीदी के दोनों स्तनों को बारी बारी से चूसता मसलता रहा.
अब बारी थी दीदी की चूत का मजा लेने की.
मैं उनके पैरों के बीच में आ गया और उनकी नाभि को अपनी जीभ से चाटते हुए नीचे आने लगा. मैं दीदी की एक जांघ पर आ गया था.
दीदी की हालत खराब हो रही थी.
वो उत्तेजित अवस्था में मुझे बार बार बोल रही थीं- राजू मत तड़पा मुझे.
मैंने धीरे से दीदी की चिकनी चूत पर अपनी जीभ से छुआ तो वो एकदम से तड़प उठीं और उसी पल उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
मैंने बहुत प्यार से दीदी की चूत को चूसते हुए सारा रस चाट लिया.
दीदी की चूत का रस नमकीन था और मुझे वासना के नशे में वो अमृत सा लग रहा था.
मैं दीदी की चूत को पूरी तन्मयता से चाट रहा था.
दीदी की चूत से सारा रस चाट लेने के बाद भी मैं दीदी की चूत को चूसता रहा था.
चूत चटवाने में दीदी को भी मजा आ रहा था और वो अपने हाथ को मेरे सर पर रख कर मेरा साथ दे रही थीं.
मेरी बहन की चूत फिर से गर्म हो गई थी और अब वो अब मेरे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए तैयार थीं.
उन्होंने कहा- राजू अब क्या चाट चाट कर ही मजा लोगे … या मुझे चोदोगे भी?
ये सुनकर मैंने दीदी के दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिए और उनकी चूत पर अपने लंड को रगड़ने लगा.
मेरे लंड को रगड़ने से वो और तड़फ उठीं और गांड उठाने लगीं.
मैंने उसके ऊपर पोजीशन बनाई और एक करारा झटका दे मारा.
मेरा लंड चूत के चिथड़े उड़ाता हुआ अन्दर घुस गया.
दीदी चीख पड़ीं और उन्होंने अपने दोनों हाथों से मुझे रोकने का प्रयास किया पर मैंने फिर से एक जोरदार झटका मार दिया.
इस बार उन्होंने मुझे छोड़ कर तकिया को पकड़ लिया और अपने दांत भींच कर मेरे लंड को सहन करने लगीं.
मैंने पूरा लंड चूत के अन्दर तक पेला और एक पल रुक कर दीदी की चूत चुदाई की स्पीड बढ़ा दी.
इससे उनको भी मजा आने लगा और वो मेरे 8-9 झटकों में ही झड़ने को हो गईं.
उनकी अकड़न इस बात का मुजाहिरा कर रही थी कि दीदी की चूत फिर से रस छोड़ने की कगार पर थी.
वो झड़ गईं तो चूत रसीली हो गई.
अब मेरा लंड सटासट अन्दर बाहर होने लगा था.
मैं दीदी की चूत में लंड आगे पीछे करता हुआ अपने होंठों से कभी उनके होंठों को चूमता, तो कभी निप्पल पकड़ कर खींच लेता.
इस तरह की चुदाई से दीदी फिर से गर्मा उठीं और इससे उनको सेक्स का मजा दुगना मिलने लगा.
अब वो नीचे से अपनी गांड उठाकर मेरा साथ दे रही थीं.
कुछ झटकों के बाद मैंने उन्हें अपनी गोदी में ले लिया.
इस तरह से चुदाई में दीदी का मुँह मेरे सामने था.
मैं उनके नितम्बों को अपनी हथेलियों से उठाता हुआ चूत में लंड चलाने लगा और होंठों को चूसने लगा.
दीदी ने अपनी जीभ मेरे मुँह में दे दी थी … इससे लंड एकदम से खौल उठा और मुझे चुदाई की इस विधि से भरपूर मजा आने लगा.
कुछ ही देर में हमारी चुदाई चरम पर आ गयी थी.
मेरा पानी निकलने वाला था.
मैंने मुँह से मुँह हटाया और दीदी से पूछा- रस कहां निकालूं?
उन्होंने कहा- अन्दर ही निकाल दो.
मैंने 5-6 झटकों में अपना सारा माल दीदी की चूत में निकाल दिया.
वो झड़ कर मेरी बांहों में ही झूल गईं और मैं उन्हें अपने आगोश में लिए लंड खाली करता रहा.
कुछ पल बाद मैं उन्हें बिस्तर पर गिरा दिया और उनकी चूत से लंड निकाल कर उनके बगल में लेट गया.
मैं दीदी के बालों को सहला रहा था.
एक मिनट बाद दीदी मेरी बांहों में आकर मुझे चूमने लगीं.
दोस्तो, मैंने इससे पहले भी कई बार लड़कियां चोदी थीं, पर जो मज़ा माया दीदी के साथ सेक्स करने में आया था, वो कभी किसी के साथ नहीं आया था.
माया दीदी के चुंबनों से मेरे लंड में फिर से जान आने लगी और वो फिर से खड़ा हो उठा.
दीदी ने मेरे लंड को खड़े होते देखा तो वो मेरे साथ फिर से चुदने के लिए तैयार हो गईं.
मैंने इस बार उन्हें सीधा लिटा दिया और उनकी चूत पर अपनी जीभ फेरने लगा.
दीदी की चूत के दाने से जब मेरी जीभ छूटी, तो जो सिसकारियां उनके मुँह से निकल रही थीं, वो मेरे अन्दर एक नया जोश पैदा कर रही थीं.
मैंने उन्हें अपने ऊपर खींचा तो उन्होंने समझ लिया कि मेरा क्या मन है.
वो भी मेरे लंड को पकड़ कर उसे अपनी चूत में सैट करने लगीं.
मैं अपनी दीदी को अपने लंड पर बिठा कर उन्हें खड़े लंड की सवारी करवाने लगा.
वो मेरे लंड पर चूत फंसाए थिरक रही थीं और नीचे से लंड के धक्के खा रही थीं.
दीदी के दोनों स्तन हवा में उछल रहे थे.
अपनी बहन को अपने लंड पर बिठा कर चुदाई का अहसास और हवा में झूमते हुए उनके मम्मे मुझे मस्त कर रहे थे.
ऐसा मनमोहक दृश्य कोई देखता, तो पक्का मुठ मार लेता.
पर आज मेरी बहन मेरे लंड पर बैठकर मुझे परम सुख प्राप्त करवा रही थी.
मैंने कुछ धक्के लगा कर उन्हें वापस बिस्तर पर लिटा दिया और उनके ऊपर चढ़ गया.
वो मेरे हर धक्के में साथ जरूर दे रही थीं पर उनका चेहरा बता रहा था कि अब वो थक चुकी हैं.
मैंने घड़ी की तरफ देखा तो सुबह के 3 :40 हो गए थे.
अब मैंने देर ना करते हुए अपने झटके तेज कर दिए.
इस बार हम दोनों एक साथ डिस्चार्ज हुए.
माया दीदी के चेहरे पर एक अलग खुशी दिख रही थी.
वो बिस्तर से उठीं, पर वो इतना थक चुकी थीं कि ठीक से खड़ी भी नहीं हो पा रही थीं.
मैंने उनको दर्द की गोली दी और कपड़े पहनाए.
वो मेरे कमरे से निकल कर अपने कमरे चली गईं.
शाम को मैंने उन्हें फिर से अपने कमरे में आने का कहा.
मैं- अब कैसी है तबियत आपकी?
माया दीदी हंसती हुई बोलीं- चलने लायक छोड़ा नहीं … और अब पूछ रहा है कि कैसी तबियत है … वो छोड़ और ये पूछ कि मजा आया या नहीं?
मैंने पूछा- तो चलो यही बता दो कि आपको मजा आया या नहीं?
वो आंख दबाती हुई बोलीं- जिन्दगी में पहली बार इतना मजा आया.
मैं उन्हें अपनी बांहों में खींच कर किस करने लगा.
दीदी भी मेरा साथ देने लगीं, पर दीदी की चूत में दर्द था.
मैंने सिर्फ किस किया और दीदी के दोनों स्तन चूसे.
फिर उन्हें अपनी बांहों में समेट लिया.
इस तरह से एक भाई ने बहन को चोदा.