मेरा नाम सचिन है, मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 24 साल की है. य्ह कहानी शिवानी नाम की लड़की की है, जिसकी उम्र 18 साल की है और इस साल वो इंटरमीडियट में है.
मेरे लंड का साइज़ काफी लम्बा और मोटा है और मुझे आंटी और लड़कियों को चोदने का बहुत शौक है.
बात तब की है.. जब मेरे ही शहर में मेरी बुआ जी के यहाँ पर दावत थी. मैं अपनी बुआ जी के यहाँ एक दिन पहले पहुँच गया था.
वहाँ पर मेरी बहन की सहेली शिवानी आई हुई थी. जब मैंने उसको नजर भर कर देखा तो उसने भी मुझे हसीन निगाहों से देखा.
अब तो हम लोग की आँखों ही आँखों में एक-दूसरे को देखने लगे.
दो दिन यूं ही बीत गए.. बस हम दोनों एक-दूसरे को देखने के अलावा और कुछ भी न कर सके.
यह बात मैंने अपने बुआ जी के बेटे को बताई, तो उसने मुझसे बोला- मैं कुछ सोचता हूँ और कुछ करता हूँ.
मैं इसके बाद अपने घर आ गया.
कुछ दिन बीत गए तो मैंने अपने भाई से कहा- शिवानी को मेरा नंबर दे दो.
उसने शिवानी को नंबर दे दिया.
अगले ही दिन शिवानी के नंबर से मेरे फोन पर कॉल आई.. तो मैं चौक गया कि शिवानी ने फोन किया.
अब शिवानी से ही मुझे पता चला कि वो मुझे पहले दिन से ही चाहने लगी थी. मैं बहुत खुश था. ऐसे ही कुछ ही दिनों में हम एक-दूसरे से फोन पर खुल कर बातें करने लगे और हमारी बातें फ़ोन सेक्स में बदल गईं.
अब बेचैनी बढ़ गई और हम दोनों अकेले में मिलने का मौका खोजने लगे.
कहते हैं कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं.. और मौक़ा मिल ही गया.
एक दिन मेरे घर कोई नहीं था. पापा ऑफिस गए हुए थे और मम्मी भी दवा लेने गई थीं.
मैंने शिवानी को कॉल करके अपने घर पर बुला लिया.
मैं शिवानी की यादों में खोया हुआ था कि थोड़ी ही देर बाद शिवानी ने मेरे घर का दरवाजा खटखटाया और जल्दी से जाकर मैंने दरवाजे को खोला.
सामने शिवानी खड़ी थी.. वो सलवार सूट में मेरे सामने खड़ी थी.
मैं उसको देखता ही रह गया.. उसने मुझे हिलाया, तब जाकर मैं अपने होश में आया. मैं उसको अपने कमरे में ले गया. सीधे कमरे में ले जाकर मैं उससे चिपक गया और उसके रसीले होंठों को जोर-जोर से चूसने लगा.
वो भी मुझसे जोर से चिपक गई और मेरी पीठ को जकड़ने लगी.
मैंने धीरे-धीरे उसके बदन से एक-एक करके सलवार कुर्ती को उसके शरीर से अलग कर दिया. अब वो सिर्फ ब्रा और पैन्टी में मेरे सामने खड़ी थी. मैं उसको पूरा ऊपर से नीचे तक निहारने लगा.
उत्तेजना के कारण मुझे नशा सा होने लगा था. शिवानी ने अपने चेहरे को अपने हाथों से छुपा रखा था और वो शरमा रही थी.
मैंने उसको अपने बदन से चिपका लिया और शिवानी की ब्रा खोल दी.
उसके चूचे एकदम खड़े थे.
जैसे ही मैंने उसके एक निप्पल को छुआ वो सिहर उठी और कंपकंपाने लगी.
उसके निप्पल देखकर मुझसे रहा नहीं गया.
मैंने उसके निप्पल को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा.
इस सबसे शिवानी तड़पने लगी और मेरे लंड को हाथ में लेकर मसलने लगी.
मुझे भी जोश और चढ़ने लगा और मैंने शिवानी की पैन्टी के अन्दर हाथ डाल दिया.
इस से शिवानी मचलने लगी और उसने मेरा हाथ पकड़ लिया.
अब वो मादक सीत्कार भरने लगी ‘सी.. आह.. सचिन.. मेरे निप्पल चूसो.. आह्ह.. और तेजी से चूसो.. मैं तड़प रही हूँ.’
मैंने झट से शिवानी की पैन्टी को निकाल दिया.
जैसे ही मैंने उसकी पैन्टी को निकाला.. मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं. उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था और जैसे ही मैंने शिवानी की चूत को छुआ.. एकदम भट्टी की तरह दहक रही थी.
उसकी चूत पानी छोड़ने लगी.
मैंने देर न करते हुए उसकी चूत पर अपना मुँह लगा दिया और चाटने लगा.
शिवानी- सी.. अहह.. हाय.. मैं म..मर गई.. और चूसो सचिन.. और कसके चूसो.. मैं मर जाऊँगी.. और कसके चूसो..
यह कहते-कहते वो मेरे सर के बालों को पकड़ कर नोंचने लगी.
इतने में मेरे लंड का भी बुरा हाल होता जा रहा था. मैं अपनी जीभ को शिवानी की चूत के अन्दर डाल ही रहा था कि शिवानी की चूत ने फिर से अपना सारा माल मेरी जीभ पर छोड़ दिया और जोश से कंपकंपाने लगी.
अब वो निढाल होकर हाँफने लगी. मैं उठा और अपना लंड को शिवानी के मुँह में दे दिया.
वो मना करती रही.. लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था. मैं उससे अपना लंड चुसवाने लगा.
कुछ देर बाद शिवानी को मज़ा आने लगा और वो ‘गपागप’ मेरा लंड अन्दर-बाहर करने लगी.
अब वो कहने लगी- अब नहीं रहा जाता सचिन.. अपना लंड मेरी चूत में अन्दर कर दो और मेरी प्यास बुझा दो.
मैंने भी देर न करते हुए शिवानी को लिटाया और उसके पैरों को अपने कंधे पर रखते हुए अपने लम्बे और मोटे लंड को शिवानी की चूत पर रगड़ने लगा.
वो तड़प रही थी और अपने चूतड़ उछालने लगी. मुझसे भी नहीं रहा गया और मैंने धीरे-धीरे लंड अन्दर करने लगा.
जैसे ही लंड का आगे का हिस्सा थोड़ा सा अन्दर गया, शिवानी मचलने लगी और तड़पने लगी.
उसकी चूत बहुत ही कसी हुई थी.
फिर मैंने एक जोर का झटका मारा और पूरा लंड शिवानी की चूत में पेल दिया. लंड चूत को फाड़ता हुआ अन्दर बच्चेदानी के मुँह पर जाकर टकरा गया.
शिवानी जोर से चिल्लाई- आई.. माँ.. मैं मर गई.. सचिन निकालो इसे.. जल्दी निकालो.. नहीं तो मैं मर जाऊँगी.
लेकिन मैंने उसकी एक न सुनी और झटके लगाने लगा.
उसकी चूत की झिल्ली फट गई और खून निकलने लगा.
वो रोने लगी पर मैं अपने लंड को तेज़ी के साथ अन्दर-बाहर करने लगा.
कुछ देर बाद शिवानी को बहुत अच्छा लगने लगा और अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर मेरा लंड अन्दर-बाहर लेने लगी.
फिर मैंने अपना लंड को बाहर निकाला तो देखा कि उस पर खून और चूत का पानी लगा हुआ था.
खून को देखकर शिवानी डर गई.
उसके बाद मैंने शिवानी को अपने ऊपर बुलाया और शिवानी ने अपनी चूत को अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को खोला और मेरे लंड पर बैठ गई.
लौड़ा चूत में फिट होते ही वो जोर-जोर से उछलने लगी. मुझे तो ऐसा लगा जैसे कि मैं सातवें आसमान पर होऊँ.
शिवानी की कूदने की स्पीड तेज़ होती जा रही थी.. जिसकी वजह से मेरे लंड में दर्द होने लगा था. वो झड़ने के करीब थी और मैं भी. मैं उसके उछलते हुए मम्मों को पकड़ कर दबा रहा था.
शिवानी की स्पीड और तेज़ हो रही थी और वो मुझसे कह रही थी- सचिन चोदो मुझे.. और जोर से चोदो.. मज़ा आ रहा है.. मुझे और तेज़ी से चोदो.. आह.. इस्स.. मैं आ रही हूँ.. हाँआअ.. और जोर से सचिन.. आह.. सचिन्क्क.. मैं गई..
ये कहते हुए वो झड़ गई और उसको देखते हुए मैं भी जोश में आ गया और मैं भी उसकी बुर के अन्दर झड़ गया.
मैंने अपना सारा वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया और हम दोनों हाँफने लगे.. और शिथिल हो गए.
थोड़ी देर बाद जब हम लोग सयंत हुए तब हम दोनों ने अपने-अपने कपड़े पहने और वो अपने घर चली गई.
बाद में मैंने खून से सनी चादर को धोया.
दोस्तो, यह थी मेरी और शिवानी की चुदाई.