दोस्तो, मेरा नाम प्रदीप है. मैं राजस्थान के श्री गंगानगर जिले के छोटे से गांव का रहने वाला हूँ.
इस सेक्स कहानी में मैं आपको बता रहा हूँ कि कैसे मैंने अपनी बहन की शादी में आई अपनी X X सेक्स बहन के साथ किया.
यह सेक्स कहानी कुछ महीने पहले की ही है.
मेरी बहन की शादी 15 तारीख को थी तो मैं अपने गांव के लिए 5 तारीख को ही निकल गया.
वहां मेरी मौसी की लड़की साक्षी पहले से ही वहां आई हुई थी.
साक्षी को मैंने काफी दिनों बाद देखा था, वो काफी भर गई थी और एक कांटा माल बन गई थी.
चूंकि साक्षी मुझसे एक साल ही छोटी थी तो पहले से ही हम दोनों की व्हाट्सैप पर खूब चैट होती थी.
हालांकि मेरी उससे जो भी चैट होती थी वो एक फैमिली ग्रुप पर होती थी.
उस दिन दोपहर में बस के सफर से मैं काफी थक गया था तो घर आकर पहले आराम करने लगा.
शाम को सभी ने साथ में इंजॉय किया और साक्षी के साथ मेरी खुल कर बातचीत हुई.
वो मुझसे मेरी गर्लफ्रेंड को लेकर बात करने लगी.
मैंने उससे कहा कि मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है. मैं इन सब चक्करों में नहीं पड़ता हूँ.
वो हंसी मजाक करती रही.
कुछ ही देर में वो मेरे साथ काफी सहज हो गई थी और मुझे भी उसका बातचीत करने का अंदाज काफी फ्रेंडली लगने लगा था.
वो मुझे बातचीत के दौरान कुछ ऐसा करने लगी थी, जो मुझे गर्म करने लगा था.
मैंने एक बार उससे कहा भी कि जरा दूर रह … मुझे कुछ हो जाएगा, तो तू झेल नहीं पाएगी.
वो हंसने लगी और बोली- क्यों तेरे में कांटे लगे हैं क्या, जो मैं झेल नहीं पाऊंगी.
मैंने उसकी ये बात सुनी तो उससे कहा- तू जानती भी है कि तू क्या बोल रही है?
वो हंसने लगी और बोली- साले, तू कुछ ज्यादा ही उड़ रहा है. मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा, जो मुझे दोबारा से याद करना पड़े.
मैंने कहा- अच्छा एक बार फिर से वही बोल कर देख?
वो बोली- क्या बोल कर देखूँ?
मैंने कहा- वो ही जो तूने अभी झेलने वाली बात को लेकर कहा था.
वो बोली- हां हां, मैंने उसमें क्या गलत कहा था. लो फिर से बोल देती हूँ.
मैंने कहा- हां बोलो.
वो बोली- तुझमें कौन से कांटे लगे हैं जो मैं तुझे झेल नहीं पाऊंगी.
मैंने कहा- तूने ये नहीं कहा था बेबी.
वो बोली- फिर क्या कहा था, तू बोल?
मैंने कहा- तूने कहा था कि तेरे में कौन से कांटे लगे हैं, जो मैं तुझे झेल नहीं पाऊंगी.
उसने मेरी बात को सुना और मुँह पर हाथ रख कर शर्माने लगी.
फिर बोली- साले तू बड़ा कमीना है … मुझे ही बातों में फंसा रहा है.
मैंने कहा- फंस तो नहीं गई, जरा ठीक से देख ले.
वो मेरी तरफ मुक्का मारने को दौड़ी.
इसी तरह की बातचीत से हम दोनों एक दूसरे से काफी फ्रेंक हो गए थे.
अब रात गहरा गई थी तो सभी सोने की तैयारी करने लगे.
हम सभी ने नीचे ही बिस्तर लगा लिए और सभी नीचे ही सोने लगे.
मैं जिद करने लगा कि मुझे कूलर के आगे सोना है तो मैं और साक्षी दोनों पास पास में ही सो गए.
रात के करीब 12.30 बजे के आस पास मुझे लगा कि वो सो गई है, तो मैं उसके साथ सेक्स वाली हरकतें करने लगा.
मैं उसके कुर्ते के ऊपर से ही उसके बूब्स को दबाने लगा.
मुझे डर थोड़ा कम लग रहा था क्योंकि मेरे और साक्षी के बीच काफी खुली खुली बातें हो चुकी थीं तो ये तो तय था कि साक्षी शोर नहीं मचाएगी.
मैं उसके बूब्स को मसलता रहा.
मैंने दो तीन बार उसको आवाज दी, पर जब वह कुछ नहीं बोली तो मैं आराम से उसके मम्मों को मसलता रहा.
थोड़ी देर उसके बूब्स मसलने के बाद उसने मुझसे धीमी आवाज में कहा- क्यों बे नींद नहीं आ रही है क्या?
मैंने कहा- नींद ही आती तो तुझसे क्यों पंगे लेता.
यह कहने के बाद मैंने उसका कुर्ता ऊपर उठाया और उसके रसभरे मम्मों को जोर जोर से मसलने लगा.
इस कारण उसकी सांसें तेज हो गईं.
थोड़ी देर बूब्स मसलने के बाद में उसके ऊपर चढ़ गया और एक दूध को पीने लगा.
वो भी मस्ती से मुझे दूध पीने दे रही थी.
थोड़ी देर बाद मैं साक्षी की सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा जिसका उसने कोई विरोध नहीं किया.
मैं खुश हो गया कि आज काम बन जाएगा.
फिर मैं उसकी सलवार का नाड़ा खोलने लगा तो उसने रोक दिया.
वो बोली- ये किसी और की अमानत है.
मैं भी रुक गया.
मुझे लगा ही नहीं था कि ये साली अभी कुंवारी सी चूत लेकर ही घूम रही होगी.
उसकी बात का मतलब मैंने यही लगाया था कि ये अभी चुदी नहीं है.
यही सोच कर मैंने उसकी सलवार नहीं उतारी और मैं मुठ मारने लगा.
मुठ मार कर मैंने अपना माल साक्षी के पेट पर ही गिरा दिया और मैं उसको किस करने लगा.
मैंने उसके गालों पर खूब चुम्बन किए.
करीब 5 मिनट उसके गालों पर किस करने के बाद मैं उसके गले को किस करने लगा, फिर माथे पर और धीरे धीरे मैं उसके मम्मों पर वापिस आ गया.
अब मैं उसके मम्मों किसी भूखे बच्चे की तरह पीने लगा.
दूध चूसने के साथ ही में मैंने उसके निप्पल को एक दो बार काट भी लिया जिस पर उसकी धीमी आवाज में चीख निकल गई.
मैंने कहा- साली मरवाएगी क्या … आवाज न कर … कोई जाग जाएगा.
वो चुप हो गई.
अपनी बहन के मम्मों को पीने के बाद में उसके ऊपर ही लेट गया और सोने लगा.
लगभग 10 मिनट बाद उसने कहा- प्लीज प्रदीप, अब रहा नहीं जाता … तू अन्दर ही डाल दे.
मैंने कहा- नहीं यार … तू अभी वर्जिन है, तू रोने लग जाएगी और तेरी चीखें निकलेंगी.
उसने कहा- कुछ नहीं होगा, मैं पहले भी चुद चुकी हूँ.
मैं ये सुन कर हैरान हो गया.
उसने कहा- मैंने कहा था कि मैं किसी की अमानत हूँ. इसका मतलब ये कि मेरा ब्वॉयफ्रेंड है.
मैंने पूछा- तू उसके साथ कितनी बार कर चुकी है?
वो बोली- अभी सिर्फ एक ही बार अन्दर लिया है.
मैंने कहा- मेरे में कांटे लगे हैं. झेल नहीं पाएगी.
वो हंसने लगी और बोली- पेल कर देख ले.
अब मैंने अपनी पैंट उतार कर अलग रख दी और अंडरवियर में ही रह गया.
उसके बाद मैंने उससे फिर से कहा- एक बार फिर से सोच ले, तू रोने न लग जाना. मैं तेरे छेद को पेलूंगा तो तेरी चिल्लपौं शुरू हो जाएगी.
उसने कहा- मैं ऐसे नहीं रोने वाली, तू पेल तो सही.
मैंने कहा- लगी शर्त!
उसने कहा- ओके लगी.
मैंने कहा- उतार सलवार.
उसने कहा- तू अपने आप आप उतार दे.
मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला और उसकी सलवार को उसके घुटनों से नीचे कर दिया.
अब वो मेरे सामने सिर्फ पैंटी में रह गई थी.
मैंने देखा कि मस्त माल मेरे सामने खुला पड़ा था.
मेरे मुँह से हल्के स्वर में निकला- ओए होए … तू तो बड़ी गजब की माल़ है यार!
इस पर वो शर्मा गई और अपने चेहरे को अपने दोनों हाथों से ढकने लगी.
मैं उसकी पैंटी के ऊपर अपने मुँह को ले गया और किसी पागल कुत्ते की तरह उसकी बुर को चड्डी के ऊपर से ही सूंघने और चाटने लगा.
उसकी कामुक सिसकारियां मेरे कानों में सुनाई देनी चालू हो गईं.
उसके बाद मैंने उसकी पैंटी को खींच कर फाड़ दिया तो उसने कहा- साले इसे फाड़ा क्यों …. उतार नहीं सकता था क्या?
मैं कुछ नहीं बोला. मैंने उसकी पैंटी को साइड में रखा और उसकी नंगी हो चुकी चूत को चाटने लगा.
उसने अपने पैरों में चूत छुपा ली और चूत चाटने से मना कर दिया.
मैंने बहुत मनाया, पर वह नहीं मानी.
मैं उसके ऊपर आ गया और कहा- अब सलवार को नीचे सरका कर टांगें खोल दे.
वो बोली- नहीं कोई जाग जाएगा, उसे ऐसी ही रहने दे.
मैंने कहा- ठीक है सही कहा तूने!
अब मैं उसकी सलवार को नीचे एक पैर में डाल कर उसके ऊपर चुदाई की पोजीशन में आ गया और उसकी चूत पर लंड को रगड़ने लगा.
वो गर्मा गई थी और उसे चुदास चढ़ गई थी.
लंड का सुपारा चूत पर महसूस करते ही वो आंह करती हुई बोली- साले, जल्दी से अन्दर पेल दे … भैनचोद अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है.
मैंने कहा- एक बार फिर से सोच ले.
तो उसने कहा- भोसड़ी के ज्ञान न पेल … लंड पेल माँ के लौड़े. तू बस जल्दी से लंड अन्दर डाल दे, जो होगा देखा जाएगा.
मैं लंड को उसकी चूत में डालने लगा, तो लंड चूत के बाजू में फिसल गया.
अब उसने मेरा 6.5 इंच का लंड अपने हाथ में लिया.
लंड हाथ में लेते ही वो बोली- साले तेरा तो बहुत बड़ा है!
मैंने कहा- हां और इसमें कांटे भी लगे हैं. पर तुझे कुछ नहीं होगा.
वो मेरे सीने पर मुक्का मारने लगी- अब पेल भी दे साले. चाहे फट ही क्यों न जाए, अब तो पूरा खाकर ही रहूँगी.
मैंने कहा- अरे कुछ नहीं होगा मेरी जान, तू चूत में सेट कर दे बस.
उसने अपनी चूत पर लंड लगाया.
लंड चूत की दरार में लगते ही मैंने धक्का दे मारा.
वो अपने होंठ भींच कर दर्द सहने लगी और नीचे से गांड हिलाने लगी.
उसकी कोशिश लंड निकालने की थी.
मगर मैंने उसकी कमर को कस कर पकड़ लिया जिस कारण वह हिल भी नहीं पाई और रोने लगी.
मैं वहीं पर रुक गया.
थोड़ी देर बाद जब वो नॉर्मल हुई तो और नीचे से कमर को थोड़ा ऊपर नीचे करने लगी.
मैंने एक और जोर का धक्का दे मारा जिस कारण मेरा 5.5 इंच लंड उसकी चूत में चला गया.
उसको दर्द हुआ और वो चिल्लाने की कोशिश करने लगी पर चिल्ला नहीं पाई क्योंकि मेरा हाथ उसके मुँह पर लगा था.
थोड़ी देर बाद मैं पूरे लंड को अन्दर बाहर करने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी.
बस फिर क्या था … हमारा X X सेक्स शुरू हो गया.
अब मैं उसे चोदता हुआ गालियां देने लगा- भैन की लौड़ी … साली रांड … आज तो तेरी चूत को फाड़ ही दूंगा तेरी चूत का भोसड़ा बना दूंगा.
वो भी मस्ती में बोली- हां चोद दे साले प्रदीप … और तेज चोद अपनी इस भैन की लौड़ी को … आज इसको अपनी रांड बना ले और मेरी चूत का भोसड़ा बना दे.
मैं अपने लंड को सुपारे तक पूरा बाहर निकाल कर अन्दर डालने लगा.
जिस पर उसकी मादक सिसकारियां निकलने लगीं- आह आह आह … मां मर गई रे कहां फंस गई भैन के लंड चूत की मां चोद दी तूने तो.’
मैं बोला- नहीं, तेरे छेद को कुछ नहीं होगा रानी … जरा और रुक जा बस काम तमाम होने वाला ही है.
बस मैं उसको चोदता रहा.
लगभग 15 मिनट के बाद वो झड़ गई और निढाल हो गई.
पर मेरा लंड अभी बाकी था तो मैं उसको ताबड़तोड़ चोदता रहा.
उसके झड़ जाने के 5 मिनट बाद मैंने भी अपना माल उसके पेट पर निकाल दिया और हम दोनों संतुष्ट हो गए.
फिर कुछ देर बाद दोनों अपने अपने कपड़े पहनकर सो गए.
अगले दिन मैंने फिर से उसको चोदा और उसकी चूत भी चाटी.
उसकी चूत को जैसे ही मैंने चाटना शुरू किया, वो मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगी.
मैंने लगभग दस मिनट तक बहन की चूत चाटी और उसका सारा पानी पी गया.
ऐसे ही मैं जब तक गांव में रहा और जब तक वो अपने घर नहीं चली गई, मैं उसे हर रात चोदने लगा था.
मैंने उसे हर स्टाईल में चोदा.
बेडरूम में लिटा कर, सोफे पर डॉगी स्टाइल में, कोने में एक टांग उठा कर … मतलब हर तरह से उसकी चूत चुदाई का मजा लिया.