नमस्ते दोस्तों! मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ और मैंने इस साइट पर बहुत सी कहानियाँ पढ़ी हैं. कहानियों को पढ़कर मैंने खूब आनंद लिया है. इसलिए सोचा कि क्यों न मैं भी आपको अपने जीवन की एक ऐसी ही घटना से रूबरू करवाऊं. आज जो मैं कहानी आप लोगों को बताने जा रहा हूँ वह मेरे जीवन की पहली चुदाई की घटना है. मैं आशा करता हूं कि यह कहानी आप सभी को पसंद आएगी. अंतर्वासना की दुनिया एक ऐसी दुनिया है कि यहां बूढ़े भी अपना मनोरंजन कर सकते हैं. तो चलिए फिर हम अपनी कहानी की शुरूआत करते हैं.
मगर उससे पहले मैं अपना परिचय आपको दे देता हूँ. मेरा नाम रोहन (बदला हुआ) है. मैं मध्य प्रदेश में रहता हूँ. मेरी उम्र 22 साल है और मेरे लंड की लंबाई 8 इंच है. मेरा लंड जिस किसी की भी चूत में जाता है उसे चीखने पर मजबूर कर देता है.
यह कहानी मेरे पड़ोस में रहने वाली बेजन्ता आंटी की है. आंटी के बारे में आपको क्या बताऊं दोस्तो … जो भी एक बार उसे देख लेता है वह खुद को कंट्रोल नहीं कर पाता है। क्या सेक्सी लेडी है वो! उसके बड़े-बड़े बूब्स तथा मटकती हुई गांड हर किसी को बेताब कर देती है। जब चलती है तो उसकी चूचियां उछलती हैं। मैं अक्सर उनके घर जाया करता था.
कई बार काम करते हुए जब वह झुकती थी तो उसके बूब्स बाहर आ जाते थे जिनको चोरी छिपे मैं देखा करता था। उसके चूचों को देख कर मन करता था उनको अभी बाहर निकाल लूँ और अपने हाथों में लेकर जोर से दबाऊं और फिर उनको इतनी जोर से चूसूं कि उनमें से दूध निकल आये.
हालांकि बेजन्ता आंटी शायद मेरे बारे में ऐसा नहीं सोचती थी पर मैं तो रोज उसे सपनों में चोदता था. मैं कैसे भी करके उसे चोदने का प्लान बना रहा था. उसके घर में वह और उसकी छोटी बेटी रहती थी. उसके पति बिजनेस के सिलसिले में अक्सर बाहर रहते थे. उसका पति महीने में दो या चार बार आता था. आंटी भी शायद चुदने को तरसती थी।
ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि इतने दिनों के बाद जब पति घर आये तो वह भला कैसे अपनी चूत को लंड के बिना शांत रखती होगी. उसकी चूत भी प्यासी रहती होगी शायद। हम दोनों अक्सर खुल कर बातें किया करते थे. मैं घर पर अकेला ही रहता था इसलिए अधिकतर समय मैं आंटी के वहां बिताया करता था क्योंकि गर्मी का टाइम था और घर पर पड़े-पड़े मैं भी बोर हो जाता था.
एक दिन मैं आंटी के घर पर गया और आंटी खाना बना रही थी उसके बाल खुले हुए थे. उसने सफेद रंग का गाउन पहन रखा था जिसके अंदर से उसकी लाल ब्रा और काली पेंटी दिखाई दे रही थी. उन्हें देखकर अचानक से मेरा मौसम बिगड़ गया और मेरा लंड खड़ा हो गया. गर्मी के कारण मैंने हल्के कपड़े की लोअर डाली हुई थी इसलिए लंड की बैंगन जैसी शेप मेरी लोअर में उभर आई थी.
एक तरफ तो लंड मुझे उत्तेजित कर रहा था और दूसरी तरफ मुझे डर था कि कहीं आंटी देख न ले. इसलिए मैं बाथरूम में पेशाब करने के बहाने से चला गया. अंदर जाकर मैंने वहां देखा कि आंटी की सफेद ब्रा और काली पेंटी पड़ी थी। क्या सेक्सी ब्रा-पेंटी थी! मैं तो देखता रह गया।
उनको देखकर तो मेरा लण्ड पूरा का पूरा 8 इंच का हो गया। मैंने ब्रा को हाथ में लेकर सूंघा और पेंटी को भी नाक से लगाकर उसकी खुशबू लेने लगा.
मेरे लंड ने उछाला दे दिया उसकी चूत की खुशबू को सूंघते ही। क्या मस्त महक आ रही थी आंटी की चूत और बूबे की उस ब्रा और पेंटी में से। मेरा लौड़ा पूरा का पूरा तन गया और लोअर में कौतूहल मचाने लगा. मन कर रहा था कि यहीं आंटी के नाम की मुट्ठ मार लूं लेकिन डर भी रहा था कि कहीं अगर बीच में आंटी आ गई और उनको पता लग गया कि मैं उनकी ब्रा और पेंटी को छेड़ कर देख रहा हूँ शायद बात उल्टी पड़ जाये.
मगर लंड फिर भी तन कर झटके देता रहा. मैंने एक दो बार अपने लंड को लोअर के ऊपर से सहला कर उसको शांत करने की कोशिश भी की लेकिन वो और ज्यादा तनाव में आता गया. मैंने अपनी लोअर के अंदर हाथ डाल दिया और लंड को हाथ में लेकर मुट्ठ मारने लगा. आह्ह … बेजन्ता आंटी की चूत … आह्ह … आंटी के चूचे … ऐसी कल्पनाओं के साथ मैं लंड को लोअर के अंदर ही हिलाने लगा.
हवस की एक विशेषता यह होती है कि उसको जितना शांत करने की कोशिश करो, वो और बढ़ती जाती है. मेरे लंड ने भी मेरा यही हाल कर दिया था. मैंने लंड को अपनी लोअर से बाहर निकाल लिया और फिर से हिलाने लगा. तेजी से मेरा हाथ लंड की मुट्ठ मार रहा था और दूसरे हाथ में आंटी की पेंटी पकड़े हुए उसको मैंने नाक से लगाया हुआ था.
फिर मेरी लोअर सरक कर नीचे जाने लगी तो हवस और बढ़ गई. मैंने और तेजी के साथ लंड को रगड़ना शुरू कर दिया. पांच मिनट के अंदर ही मेरा वीर्य निकलने को हो गया. बिना सोचे-समझे मैंने आंटी की पेंटी को लंड के नीचे करके उसी पर अपना वीर्य गिरा दिया. वीर्य से आंटी की पूरी पेंटी गीली हो गई. मैं तो शांत हो गया. मगर पेंटी सन गई.
मुट्ठ मारने के बाद मैंने पेंटी को वहीं गिरा दिया और फिर बाहर आ गया. बाहर आया तो आंटी ने खाना बना लिया था और वह खाना खा रही थी.
आंटी बोली- रोहन, खाना खा लो.
मैं बोला- आंटी मैंने खाना खा लिया था घर में ही.
फिर मैं चुपचाप बैठ गया. मेरे अंदर कामवासना जाग रही थी. मेरा दिल बेचैन हो रहा था.
आंटी बोली- रोहन क्या हुआ? आज तुम चुपचाप हो!
मैं बोला- आंटी कुछ नहीं, बस ऐसे ही कुछ सोच रहा था.
उसके बाद मैं बैठ कर आराम से टीवी देखने लगा. आंटी बाथरूम में अपने कपड़े धोने चली गई. मेरे मन में चोर था कि कहीं आंटी ने मेरे वीर्य से सनी हुई पेंटी को देख लिया और उनको पता लग गया कि मैंने बाथरूम में आकर कुछ गड़बड़ की है तो पता नहीं क्या होगा.
जब आंटी कपड़े धोकर बाहर निकली तो मैं उनसे नजरें चुरा रहा था. फिर वह बाहर आकर मेरी तरफ मुस्कराकर देखने लगी. मैं भी मुस्कराया. मगर मन में घबराहट थी. फिर मैं अपने घर चला गया. दो दिन बीत गये. आंटी को कुछ पता नहीं चला. फिर एक दिन शाम के समय आंटी बोली कि मेरे साथ बाजार चलना, मुझे कुछ सामान खरीदना है. तुम मेरे साथ ही रहना शॉपिंग करते समय.
मैं भी तैयार हो गया. जब शाम हुई तो आंटी ने मुझे बुलाया. मैं अपनी बाइक लेकर आंटी के घर के सामने खड़ा हो गया. आंटी ने लाल कलर की सलवार व कुर्ती पहन रखी थी. वो उसमें गजब लग रही थी. मैं तो बस देखता रह गया। बेजन्ता आंटी मेरे पीछे चिपक कर बैठ गई और हम बाजार की तरफ चल पड़े।
रास्ते में जब-जब मैं ब्रेक लगाता तो उसके मुलायम बूब्स मेरे पीठ के पीछे टच हो रहे थे। ऐसा एक दो बार हो जाने के बाद फिर मैं जान-बूझकर ब्रेक मार रहा था। बड़ा आनंद आ रहा था।
शायद यह बात आंटी को भी पता चल गई थी कि मैं ब्रेक क्यों मार रहा हूं, आंटी बोली- रोहन क्या कर रहे हो? बाइक धीरे चलाओ.
मैं मुस्कुराया और फिर से बाइक दौड़ा दी.
हम बाजार पहुंच गए. आंटी ने अपना सामान खरीदा और हमने बाजार में साथ में बैठकर चाय पी और हम वापस घर आ गए. मैं अपने घर चला गया. चूंकि आज आंटी के चूचे मेरी पीठ पर टच हो गये थे इसलिए लंड बार-बार उनके बारे में अहसास करके खड़ा हो रहा था. उत्तेजना में आकर मैंने आंटी के नाम की मुट्ठ मार डाली। कुछ दिनों तक यही सिलसिला चलता रहा.
फिर कई दिन के बाद जब मैं आंटी के घर गया तो उसके कमरे का दरवाजा खुला था. वह अपने कमरे में कपड़े बदल रही थी. पहले उसने अपना गाउन उतारा. गाउन के नीचे उसने सफेद ब्रा पहन रखी थी. वह मेरे सामने ब्रा और पैंटी में खड़ी थी. उसके बदन पर वो बहुत मस्त लग रही थी. मैं दरवाजे में छिप कर सब देख रहा था.
अचानक आंटी पीछे घूम गई और उसने मुझे देख लिया. डर के मारे मेरे दिल की धड़कन रुक गई.
वह बोली- क्या देख रहे हो?
मैं बोला- कुछ नहीं.
मैंने घबराते हुए जवाब दिया.
आंटी बोली- आज मैं तुम्हारी शिकायत करूंगी.
मैं डर गया और बोला- आंटी मैंने कुछ नहीं देखा. मैं तो अभी आया था. सच में मैंने कुछ नहीं देखा.
डर के मारे मेरी आंखों में से आंसू निकलने लगे.
आंटी मुस्कुराई और कहने लगी- अरे रोहन, मैं तो मजाक कर रही थी.
जब आंटी ने मजाक की बात की तब जाकर मुझे तसल्ली मिली.
वह बोली- चलो बेडरूम में बैठो. मैं चाय बना कर लाती हूं।
मैं अंदर बेडरूम में बैठ गया. आंटी चाय लेकर आई। उसने सफ़ेद कुर्ती और सलवार पहन रखी थी। आंटी को देख कर मेरा लण्ड टाइट हो गया और मैं उसे अपने हाथों से छुपाने की कोशिश करने लगा. मगर मेरी इस कोशिश को शायद आंटी ने भी देख लिया था।
हमने चाय पी और हम बैठकर इधर-उधर की बातें करने लगे.
बातों-बातों में आंटी ने मुझसे पूछा कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैंने बोला- नहीं, मेरी अभी तक कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.
वह बोली- क्यों?
मैं बोला- अभी तक कोई मिली ही नहीं.
फिर आंटी यह सुनकर मुस्कुराने लगी. उसने अपने कंधे से दुपट्टा नीचे डाल दिया. उसके बड़े-बड़े बूब्स ब्रा के ऊपर से बाहर आ रहे थे. मैं उन्हें तिरछी नजर से देख रहा था.
आंटी बोली- तुम बहुत बदमाश हो गए हो।
मैं बोला- क्यों?
वह बोली- मैं सब जानती हूं तुम कैसी नजर से मुझे देखते हो!
आंटी के मुंह से यह सुनकर मेरा भी हौसला बढ़ गया, मैं बोला- आप हो ही इतनी नमकीन जिसका मजा हर कोई लेना चाहता है।
आंटी ने पूछा- आज तक तुमने कभी किसी के साथ सेक्स नहीं किया?
मैं बोला- नहीं … मुझे इस बात का नॉलेज भी नहीं है. आप दे दो वो ज्ञान.
वह हंसने लगी और बोली- भाग यहां से!
मैंने अंगड़ाई सी लेकर आंटी के सीने पर हाथ रख दिया और सीधे ही अपने होंठ उसके होंठों पर रख कर चूसने लगा.
आंटी बोली- छोड़ो मुझे, यह क्या कर रहे हो?
मैं बोला- मैं तो आपके साथ बहुत दिन से ऐसा करना चाहता था.
वह बोली- बहुत बिगड़ गए हो तुम।
मैं बोला- मुझे तुम्हारी ही अदाओं ने बिगाड़ा है।
वह हंसने लगी और उसने एकदम मेरे पास आकर मेरी शर्ट को खोलना शुरू कर दिया.
मेरे अंदर की हवस जाग गई. लंड एकदम से ज्वालामुखी की तरह उबलने लगा. मैंने आंटी की कमीज खोल दी। उसने मेरी पैंट खोल को दिया। अब मैं उसके सामने चड्डी में खड़ा था. आंटी भी मेरे सामने ब्रा और पेंटी में खड़ी थी।
मैं बोला- आंटी आप ब्रा और पेंटी में बड़ी अच्छी लगती हो मुझे. आपको देखते ही चोदने का मन करने लगता है मेरा.
वो बोली- अच्छा, तो बात यहां तक आ गई है!
कहकर उसने मेरी चड्डी खोल दी और मेरा लण्ड हाथ में पकड़ लिया. एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर वो उसे हिलाने लगी. मैं ब्रा के ऊपर से उसके बोबे दबा रहा था. मेरा एक हाथ उसकी पेंटी में था. मैं उसकी चूत में उंगली घुसाने की कोशिश कर रहा था और मेरी उंगली अंदर उसकी चूत में चली गई.
उसकी चूत में उंगली को फिराने लगा तो वह चुदासी हो गई और बोली- मेरी ब्रा को भी खोल दो रोहन.
मैंने उसकी ब्रा में हाथ डाल दिया.
वो बोली- खोल दो इसे. नहीं तो ये फट जायेगी.
उसके कहने के बाद भी मैंने हाथ नहीं निकाला और उसके चूचों को दबाते और भींचते हुए उसकी ब्रा के हुक टूट गये.
वह बोली- यह क्या किया? तुमने तो मेरी ब्रा फाड़ दी।
मैं बोला- कोई बात नहीं आंटी मैं नई लाकर दे दूंगा।
फिर मैंने उसकी पैंटी खोल दी. वह मेरे सामने नंगी खड़ी थी.
आंटी ने मेरी चड्डी खींच दी और मैं नंगा हो गया. मेरा लंड तड़प रहा था. मैंने आंटी से कहा कि आंटी प्लीज मेरा लंड चूस दो. पहले तो उसने मना किया फिर बहुत कहने पर उसने मेरे लंड को मुंह में ले लिया। मेरा मजा सातवें आसमान पर पहुंच गया था. क्या चूस रही थी आंटी मेरे लंड को बड़े ही मस्त तरीके से, जैसे ब्लू फिल्मों में चूसते हैं।
एकदम से रंडी की तरह चूस रही थी वो मेरे लौड़े को। उसके मुंह ने मेरे लंड की ऐसी चुसाई की कि दो-तीन मिनट में ही मैंने अपना सारा पानी उसके मुंह में छोड़ दिया. वह सारा पानी पी गई.
मैंने उसको बिस्तर पर लिटा दिया. हम 69 की मुद्रा में आ गए. मैं उसकी चूत को चाट रहा था जबकि वह मेरे लण्ड को मुंह में लेकर फिर से खड़ा करने की कोशिश कर रही थी. उसने पूरा लण्ड मुंह में लिया हुआ था. बिल्कुल रंडी की तरह मेरे मस्त लौड़े को चूस रही थी।
वह बोली- बहुत प्यासी हूं मैं. आज मेरी प्यास बुझा दो। मेरे पति तो नहीं बुझा सकते. उनका तो बहुत छोटा है. दो या तीन मिनट में ही उनका पानी निकल जाता है। मेरी शादी को 2 साल हो गए. मेरी चूत की प्यास आज तक नहीं बुझी है अच्छी तरह से। एक तुम ही हो जो मेरी प्यास बुझा सकते हो.
मैं बोला- मेरा 8 इंच का लण्ड आज आपकी प्यास बुझा देगा.
मेरा लण्ड फिर से टाइट हो गया। मैंने आंटी को डॉटेड कॉन्डम दिया. उसने अपने हाथों से मेरे लण्ड को कॉन्डम पहनाया।
वह बोली- यह कंडोम मत लगाओ। सिम्पल कंडोम लगा लो। इससे तो बहुत दर्द होगा।
मैं बोला- नहीं होगा. बहुत मजा आएगा।
मैंने बेजन्ता आंटी को सोफे पर बिठा दिया. उनकी एक टांग ऊंची कर दी. उनकी चूत पर लण्ड सेट किया. आंटी की चूत पूरी गीली हो चुकी थी. बहुत चिकनी थी. मैंने अपना लण्ड उनकी चूत पर सेट करके अंदर घुसाने की तैयार कर दी.
वह बोली- धीरे से डालना. बहुत दिनों के बाद इतना मोटा लण्ड अंदर जा रहा है, दर्द होगा।
मैं बोला- मेरी रंडी, टेंशन मत ले. बहुत आराम से चोदूंगा.
मैंने धीरे से झटका दिया और मेरा लण्ड फिसल कर बाहर आ गया. आंटी की चूत सच में बहुत टाइट थी. फिर मैंने एक बार और चूत पर लण्ड को सेट किया. धीरे से धक्का दिया तो अबकी बार मेरे लण्ड का सुपारा अंदर गया.
उसके मुंह से आह … आह … की आवाजें आने लगीं।
मैंने कहा- मेरी रंडी, अभी तो थोड़ा सा गया है. पूरा बाहर ही है अभी तो।
वह बोली- बाप रे बाप! तुम तो मेरी चूत फाड़ दोगे. मुझे नहीं पता था कि तुम्हारा लण्ड इतना बड़ा है वरना मैं नहीं चुदवाती तुमसे कभी भी।
मैं बोला- मेरी रंडी बहुत मजा आएगा. तुझे बहुत आराम-आराम से चोद दूंगा। विश्वास रख मुझ पर.
मैंने थोड़ा सा और धक्का दिया तो मेरा आधा लण्ड उसकी चूत में चला गया। वह चिल्लाने लगी तो मैं थोड़ा रुक गया. मैंने उसके होंठों पर मेरे होंठ रख दिए और एक हाथ से उसके बोबे दबाने लगा. थोड़ी देर में वह नॉर्मल हो गई. फिर मैंने एक जोर का झटका दिया. मेरा लण्ड उसकी चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया।
उसकी आंखों से आंसू निकल गए, वह बोली- आज तो तुमने मेरी चूत को फाड़ दिया.
मैं धीरे-धीरे झटके दे रहा था. उसके मुंह दर्द भरी आवाजें निकलने के साथ ही उम्म्ह… अहह… हय… याह… आनंद की सीत्कारें भी आने लगीं जिनसे पूरा कमरा गूंज रहा था. थोड़ी देर में उसे भी मजा आने लगा. वह भी मेरा साथ देने लगी. पांच मिनट तक उसकी चुदाई करने के बाद फिर मैं भी थोड़ा थक गया. मैं सीधा लेट गया.
वह मेरे लण्ड पर बैठ गई और उछल-उछल कर मजा लेने लगी. फिर मैंने उसे सीधे लेटा कर दोबारा से मैं उसके ऊपर आ गया.
फिर वह बोली- मेरी चूत में जलन होने लगी है। यह कॉन्डम निकाल लो अपने मोटे लंड से बाहर। सिम्पल कंडोम लगा लो.
उसके कहने पर मैंने अपनी जेब से सिम्पल कंडोम निकाला और उसको दिया. उसने मेरे लौड़े पर कॉन्डम पहनाया. मैंने दोबारा से मेरा लौड़ा उसकी चूत में डाला। मैं झटके पर झटके दे रहा था. उसे भी मजा आ रहा था.
आंटी बोल रही थी- आज मेरे राजा ने मेरी प्यास बुझा दी। मुझे पता भी नहीं था कि इतने लंबे लण्ड का मालिक मेरे साथ रहता है. फाड़ डाल मेरी चूत को … आज मेरी चूत का भोसड़ा बना दे … और जोर से चोदो … और जोर से चोद।
बेजन्ता आंटी के भावों से मैं समझ गया कि वह झड़ने वाली है. मैंने अपने झटके तेज कर दिए.
थोड़ी देर में वह झड़ गई, वह बोली- बस, अब बाहर निकालो बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल कर कॉन्डम हटा लिया और लंड को उसके मुंह में डाल दिया. वह बहुत जोर-जोर से मेरे लण्ड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी. कुछ ही पल की चुसाई के बाद मैंने भी सारा पानी उसके मुंह में छोड़ दिया. थोड़ी देर तक मैं उसके ऊपर ऐसे ही नंगा पडा रहा.
थोड़ी देर में मेरा लण्ड फिर टाइट हो गया, मैं बोला- आंटी एक बार और चोदूंगा।
आंटी बोली- चोद दो.
मैंने आंटी को घोड़ी बनाया और पीछे से मैंने लण्ड उसकी चूत में डाल दिया.
वह बोली- रोहन धीरे से चोदो मेरे राजा … बहुत दर्द हो रहा है।
इस बार मैं आंटी को बिना कॉन्डम के ही पेल रहा था. थोड़ी देर में आंटी झड़ गई. मैंने भी अपना सारा पानी आंटी की चूत में छोड़ दिया। फिर मैं खड़ा होकर अपने कपड़े पहनने लगा.
आंटी बोली- बाथरूम में मेरी ब्रा भी पड़ी होगी. उसे भी ले आओ.
मैं जाकर आंटी की ब्रा ले आया और अपने हाथों से मैंने आंटी के चूचों पर ब्रा पहनायी. फिर उसको कपड़े पहनाये और अपने घर आ गया.
इस प्रकार मैंने आंटी की ब्रा को फाड़ते हुए उसकी प्यास बुझाई. मगर मैंने आंटी को एक नई ब्रा भी लाकर दे दी क्योंकि उनकी एक ब्रा तो मैंने ही फाड़ दी थी. उसके बाद मुझे जब भी मौका मिलता तो मैं आंटी की प्यास बुझाने लगा।
दोस्तो, आपको मेरी यह कहानी अगर पसंद आई हो तो कहानी पर नीचे कमेंट करके बताना जरूर ताकि मैं अगली बार भी आपके लिए ऐसी ही कोई गर्म कहानी लिख सकूं.
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