मेरा नाम समर्थ सिंह है और मैं भारतीय स्टेट बैंक में काम करता हूँ
मेरी उम्र 28 साल है. मेरा 5 फुट 5 इंच का कद है और रंग गेहुंआ है.
मेरा शरीर काफी आकर्षक है क्योंकि मैं जिम और अपने खाने पीने पर काफी ध्यान रखता हूँ.
दो साल पहले मेरे शादी हुई थी लेकिन बैंक की उच्च पद की नौकरी के कारण मेरा तबादला कुछ ही समय में हो जाता था.
जिस वजह से मैं अपनी बीवी को साथ नहीं रख पा रहा था.
लेडी फक़ हिंदी कहानी नवम्बर महीने की है. मेरा तबादला नए विभाग में हो गया था और मुझे अब मुद्रा और ऑडिट का काम देखना था.
मैंने पहले सप्ताह में ही कई पेंडिंग फाइलें खत्म कर दीं और कुछ ऐसी फाइलें भी निकालीं जो सीरियस ऑब्जेक्शन के कारण पेंडिंग थीं.
ऐसी ही एक फाइल एक नामी कंपनी की भी थी.
इस फाइल में बहुत सारी कमियां थीं.
मैंने फाइल को रिजेक्ट करके दुबारा सारी कागज कार्यवाही करने का लिख दिया था.
इसी बीच मेरे पास कंपनी के मैनेजर मेरे ऑफिस में मिलने आए.
उनका नाम जोरावर था.
उन्होंने मुझे फाइल को पास करने के लिए दो लाख की रिश्वत ऑफर की लेकिन मैंने इंकार कर दिया.
मैंने उन्हें ये कह कर वापिस भेज दिया- आप कागज पूरे कीजिए, मुझे सरकार इतनी सैलरी देती है कि मैं अपनी जिंदगी ऐश से जी सकता हूँ.
दो दिन बाद उस कंपनी की मालकिन मुझसे मेरे ऑफिस में मिलने आई.
मालकिन का नाम अनीशा था (ये नाम बदला हुआ है) वो एक 5 फुट 7 इंच लम्बी और भरे बदन की औरत थी.
उसके पति ऑस्ट्रेलिया में थे और उनकी कंपनी, भारत से युवाओं को वर्क वीसा और टूरिस्ट वीसा पर ऑस्ट्रेलिया भेजती थी.
अनीशा ने हरे रंग का टॉप और नीली जींस पहनी थी और काले रंग के बूट पहने हुए थे.
वो देखने में बहुत ही आकर्षक महिला थी.
मुझसे उन्होंने बात की और फाइल रिजेक्ट करने के कारण पूछा तो मैंने उन्हें कुछ कारण बताए.
उन्होंने मुझसे कहा- मैं एक सप्ताह के अन्दर फाइल में जरूरी कागजों पूरा करके दुबारा से अप्लाई करूंगी.
मैंने उन्हें आश्वासन दिया कि अगर सब कुछ ठीक रहा, तो मैं तुरंत ही फाइल पास करके लोन मंजूर कर दूंगा.
वो ऑफिस से बाहर निकलती हुई बोलने लगी- सर मैंने तो सोचा था कि कोई 45-50 वर्ष के आस पास का कोई अफसर होगा, लेकिन आप तो अभी 30 के भी नहीं लगते.
मैंने भी उनकी बात पर हाजिर जवाब दिखाते हुए कहा- मैडम आप भी 40 की नहीं लगती हैं. आप तो अभी भी 28 की लगती हैं.
वो हंस दी और मुझसे हाथ मिला कर चली गई.
उसके जाने के बाद मेरे सेक्रटरी ने मुझे बताया- सर ये महिला बड़ी तेज है. यहां से युवाओं को विदेश भेजने के मोटा पैसा लेती है.
मुझे कुछ अजीब सा महसूस हुआ कि ये तो नाजायज फायदा उठा रही है.
मैंने सोचा कि मैं भी इसके कई चक्कर कटवाऊंगा.
एक सप्ताह बाद जब फाइल दुबारा से आई तो मैंने उस पर पर्सनल इंस्पेक्शन का नोट लगा कर पेंडिंग फाइल्स में रख दी.
दो दिन बाद जब अनीशा का मैनेजर आया तो मेरे सेक्रटरी ने उन्हें कहा- सर आपका ऑफिस विजिट करेंगे और आपके सारे कागजात खुद चैक करेंगे.
मेरी टीम दो दिन में उनके ऑफिस में पहुंची और हमने पूरी जांच पड़ताल की.
वहां आए हुए बच्चों और उनके अभिभावकों से भी पूछताछ की.
फिर मैंने मालिकन को बुलाया.
अनीशा ने काली साड़ी पहनी हुई थी.
उसने मुझसे कुछ खाने पीने के लिए पूछा तो मैंने कहा- अभी तो मैं सरकारी अफसर हूँ, फिर कभी आपकी मेहमाननवाजी का लुत्फ़ उठाऊंगा. अभी आप मुझे सभी ओरिजिनल कागज दिखाएं और दूतावास के कागज भी दे दीजिए.
मैडम ने जो कागजात दिखाए, उन कागजों से मैं पूरी तरह से संतुष्ट नहीं था.
मैंने अपनी टीम को सारे कागज संबंधित विभागों को जांच के लिए भेजने का आदेश दिया और अनीशा के ऑफिस से निकलने लगा.
अनीशा ने मुझे रोकते हुए पूछा- आज आप ऑफ टाइम के बाद क्या कर रहे हैं?
मैंने कहा- आज मुझे अपने घर जाना है. मेरी फैमिली मेरे साथ यहां नहीं रहती.
अनीशा ने मुझसे कहा- छह बजे आप मुझे ब्रांच की बाहर मिल सकते हैं तो मुझे बड़ी ख़ुशी होगी.
मैंने ओके कह दिया.
मैं शाम 6 बजे ऑफिस की पार्किंग में अपनी कार में अनीशा का इंतजार कर रहा था.
कुछ ही पलों बाद अनीशा अपनी कार में आई और बोली- आइए मैं आपको ड्राप कर दूंगी.
मैंने कहा- मेरे पास मेरे अपनी कार है.
अनीशा ने अपने ड्राइवर से कहा- साहब की कार इनके घर पहुंचा दो.
मैंने ड्राइवर को अपने लोकल घर का रास्ता बताया और मैं अनीशा के साथ उसकी कार में बैठ गया
अनीशा खुद कार ड्राइव कर रही थी.
रास्ते में अनीशा ने मुझसे कहा- अगर घर जाना जरूरी न हो, तो कहीं और चल सकते हैं.
मैंने कहा- आपका कहां चलने का इरादा है?
वो हंसी और बोली- आप मर्द होकर डर रहे हैं क्या?
मैंने भी हंसते हुए कहा- मुझे आपके इरादे मुझे कुछ नेक नहीं लग रहे हैं.
इस बात पर हम दोनों जोर से हंसने लगे.
अनीशा बोली- हम आगरा चल सकते हैं या फिर कहीं और … जहां मैं चाहूँ.
हम दोनों बातें करते करते दिल्ली एयरपोर्ट पहुंच गए.
मैंने अनीशा से पूछा- इरादा क्या है?
तो वो बोली- चलो चंडीगढ़ चलते हैं.
मैं समझ गया कि आज ये कुछ मजा देने के मूड में है.
मैंने भी उसका भोग करने का मन बना लिया था.
हमने एयरपोर्ट काउंटर से फ्लाईट की जानकारी ली और अनीशा ने दो टिकट ले लीं.
हम दोनों चंडीगढ़ की लिए फ्लाइट में जाने के लिए बोर्डिंग एरिया में बैठ गए.
दिल्ली एयरपोर्ट पर ही मैंने ऑनलाइन चंडीगढ़ एयरपोर्ट से कार बुक कर ली थी ताकि जब तक हम चंडीगढ़ पहुंचे, तो मुझे हमारे लिए कार तैयार मिले.
मैंने अनीशा को बताया कि मैं चंडीगढ़ में पहले रहा हूँ.
उसने मुझसे किसी अच्छे होटल के बारे में पूछा.
मैंने मैरियट होटल बताया तो उसने वहां रिजर्वेशन करवा लिया.
हम दोनों कुछ समय बाद चंडीगढ़ पहुंच गए और उधर कार से होटल पहुंच गए.
मेरे मन में इसलिए लड्डू फूट रहे थे कि आज पहली बार किसी दूसरी औरत की चूत मिलने वाली थी.
मुझे हैरानी जब हुई जब होटल के रजिस्टर में अनीशा ने मेरा और उसका रिश्ता पति और पत्नी लिखा.
हम दोनों एक ही रूम में रुके तो अनीशा ने मुझसे कहा- वो फाइल अप्रूव करवाने के लिए ये फाइल खुलना जरूरी है.
मैंने कहा- मैंने अपनी बीवी और अपनी गर्ल फ्रेंड को छोड़ कर किसी और के साथ सेक्स नहीं किया है.
वो बोली- मैं भी शादीशुदा हूँ यार, आप डरो मत. मैंने भी अपने पति और बॉय फ्रेंड्स को छोड़ कर किसी से नहीं चुदवाया.
मैंने पूछा- आपको मेरे साथ सेक्स क्यों करना है?
उसने बताया- एक तो कई सालों से कोई ऐसा मर्द नहीं मिला, जो दिल को भाये. दूसरा शायद मेरी चूत का स्वाद तुम्हें अच्छा लगे और मेरी कम्पनी को लोन मिल जाए.
उसकी फाइल लगभग उस पोजीशन में थी कि कोई ख़ास ऑब्जेक्शन नहीं लगाया जा सकता था, तब भी मेरे साइन के बिना उसका लोन नहीं हो सकता था.
मैंने पहले बाथरूम में जाकर अपना लंड और जांघें धोईं ताकि पसीने के बदबू न रहे.
मेरे बाद अनीशा बाथरूम में अपनी चूत और जांघें धोने चली गई.
अनीशा बाथरूम से बाहर सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में निकली और सीधे मेरी गोद में बैठ कर मुझे चूमने लगी.
हम दोनों ने दो मिनट तक एक दूसरे के होंठों को चूसा और चूमा.
मैं इस चूमाचाटी में लगभग उसकी सारी लिपस्टिक खा गया था.
इसके बाद अनीशा ने मेरा लंड चूसना शुरू किया.
आह … जैसे ही उसने मेरा लंड चूसना शुरू किया … क्या बताऊं … वो बड़ी मस्ती से लंड चूस रही थी.
उसकी अदा देख कर ऐसा लगा कि मानो ये कोई पोर्नस्टार है, जो मुँह में मेरा लौड़ा ले रही है.
वो भी मेरे लंड की लम्बाई और मोटाई से बहुत खुश हुई और उसने पूछा- क्या हम बिना रबड़ लगाए सेक्स कर सकते हैं.
मैंने पूछा- अगर तुम प्रेग्नेंट हो गई तो?
उसने मुझे बताया- मैं कभी मां नहीं बन सकती क्योंकि मेरी बच्चेदानी निकली हुई है. कुछ साल पहले उसे एक दुर्घटना में चोट लग गई थी तो मुझे अपनी बच्चेदानी निकलवाना पड़ गई थी.
मैंने कोई आपत्ति नहीं दिखाई और मैं उसे बिना कंडोम के लेडी फक़ को तैयार हो गया.
पहले मैंने उसकी चूचियां पीना शुरू की.
उसकी चूचियों का साइज 34 डी का था. एकदम गोल और भरी हुई गोरी गोरी चुचियां थीं. उन पर गुलाबी निप्पल एकदम कड़क थे.
चूचियाँ पीने में और चूसने में मजा आ गया.
इसके बाद उसने अपनी पैंटी उतारी और मुझसे चूत चाटने को कहा.
मैं अनीशा की जांघों के बीच बैठ कर उसकी चूत चाटने लगा.
उसकी चूत को अपनी जीभ से चोद़ने लगा.
वो अपने दोनों हाथों से मेरा सर जोर जोर से अपनी चूत पर दबाने लगी और कामुक सिसकारियां भरने लगी.
थोड़ी देर बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत की फांकों में फंसाया और रगड़ने लगा.
वो कामुक हो उठी थी तो अपनी गांड उठाने लगी थी.
मैं भी थोड़ा थोड़ा करके लंड चूत में अन्दर डालने लगा.
उसने बहुत दिनों बाद सेक्स किया था तो उसकी चूत बहुत टाइट थी.
मुझे थोड़ा दम लगाना पड़ा और आखिरकार उसकी चूत में लंड घुस गया.
मैंने झटके देने शुरू कर दिए और वो आंह आंह करके चूत रगड़वाने का मजा लेने लगी.
धीरे धीरे मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई और धकापेल चोदने लगा.
जब मैं थक गया तो हमने पोजीशन बदल ली.
अब मैं नीचे आ गया और वो मेरे लंड को अपनी चूत में लेकर मेरे ऊपर बैठ गई.
वो बड़ी मस्ती से मेरे लंड की सवारी करने लगी.
मैं उसके बड़े बड़े चूतड़ पकड़ कर अपनी कमर उठा उठा कर उसकी चूत में लंड अन्दर बाहर कर रहा था.
बीच बीच में वो अपनी गांड उठा उठा कर लंड अन्दर बाहर कर रही थी.
कुछ ही देर में उसके घुटने दुखने लगे थे, तो मैंने उसे घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत में लंड पेलने लगा था.
होटल के गद्दे इतने अच्छे थे कि सेक्स का मजा दोगुना हो गया था.
हमें चुदाई का मजा लेते हुए करीब आधा घंटा हो चुका था.
अनीशा बार बार मुझसे पूछ रही थी- तुम्हारा हो गया?
मैं उसे मना कर देता.
आखिर में वो हंसती हुई बोली- दूसरे राउंड में तो तुम सुबह कर दोगे यार … मुझे चडीगढ़ नहीं घूमना देना क्या?
मैंने उससे कहा- चलो अबकी बार पूरा करते हैं.
मैंने उसे अपनी तरफ मुँह करके सीधा लेटने को कहा और मैं उसकी एक टांग ऊपर उठा कर उसकी चूत में फिर से लंड पेल कर फकाफक चोदने लगा.
इस बार पांच मिनट बाद मैंने उसकी चूत में अपने लंड की पिचकारी मार दी और हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर लेट गए.
मेरा लंड शांत होकर अपने आप चूत से निकल आया.
मैं पूरी तरह थक गया था.
कुछ देर बाद हम दोनों उठे और गर्म पानी से नहाने लगे.
फिर हमने खाना आर्डर किया.
हल्की ड्रिंक के साथ खाना खाकर हम दोनों बैठे और अपनी फैमिली के बारे में एक दूसरे से बात करने लगे.
अब रात के 12 बज गए थे.
मैं और अनीशा एक दूसरे से बातें करते करते फिर से चार्ज हो गए. मैं उसकी चूचियों को दबा रहा था और वो मेरे लंड से खेल रही थी.
इस बार मैंने अनीशा से कहा- मुझे तुम्हारी गांड मारनी है क्योंकि मुझे तुम्हारी गांड पसंद आ गई है.
अनीशा बोली- अपनी बीवी की मारी है कभी?
मैंने कहा- मेरी बीवी मुझे गांड नहीं मारने देती.
तो अनीशा बोली- ऐसे इतना इतना टाइम लगा कर चोदोगे तो कोई भी औरत तुम्हें नहीं देगी.
मैंने कहा- इस बार टाइम नहीं लूंगा, पूरी फीलिंग से करूंगा.
अनीशा ने मेरा लंड चूसना शुरू किया.
थोड़ी देर बाद उसने अपने पर्स से एक तेल की शीशी निकाली और मेरे लंड को मसाज देना शुरू कर दिया.
उसे डर था कि कहीं मैंने अबकी बार फिर से 40 मिनट लिए तो उसकी हालत खराब हो जाएगी.
इस बार मैंने अनीशा को घोड़ी बनने को कहा और पहले उसकी गांड चाटनी शुरू की.
मैंने अपनी जीभ उसकी गांड मैं घुसा दी.
फिर पहले मैंने अनीशा की चूत में अपना लंड डाला और 5 मिनट बाद जब लंड चिकना हो गया तो मैंने लंड उसकी गांड में पेल दिया.
वो दर्द से कराही मगर लंड झेल गई.
फिर दस मिनट तक मैं जबरदस्त झटके मारता रहा और झड़ गया.
मैंने उसकी गांड में ही अपना सारा पानी भर दिया.
इसके बाद मैं और अनीशा साथ नहाने आ गए और बाथरूम में ही मैंने एक बार फिर से अनीशा की गांड मारी.
मैंने उसे बाथटब के किनारे से टिका कर घोड़ी बनाया और बहुत दमदार तरीके से पेला, उसके चूतड़ों पर थप्पड़ मार मार कर पिछवाड़ा लाल कर दिया.
हम नहा कर रात को एक बजे सोए.
अगले दिन हम दिल्ली आ गए और इसके बाद अनीशा को मैंने 3 बार चोदा.
अब जब भी कभी अनीशा को मेरी जरूरत होती है, तो आ जाती है.
कुछ दिन बाद उसने अपनी सहेलियों को भी मेरे पास भेजना शुरू कर दिया था.
बाद में मुझे मालूम चला कि वो उनसे भी पैसे लेती थी.