यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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हैलो दोस्तो, मैं राकेश एक बार फिर से आप सबका स्वागत करता हूं बाप और बेटी की इस कहानी में। इस कहानी के पिछले भाग में मैंने बताया था कि रमेश अपने ऑफिस की सेक्रेटरी को होटल में ले गया और वहां पर उसने अपनी सेक्सी सेक्रेटरी की चूत जमकर चोदी.
अब आगे:
अगले दिन सुबह रमेश और रिया दोनों ही घर पहुंचे.
रमेश ने रिया को गले लगाते हुए कहा- आ गयी मेरी बिजनेसवूमेन बेटी! बता कल रात का तेरा इवेंट कैसा रहा? आगे से चला या पीछे से?
रिया- बहुत ही तगड़ा इवेंट था डैड. दोनों ही तरफ से लिया उन्होंने. ख़ासकर पीछे से।
रमेश- अरे बेटी, ऐसे इवेंट्स में आजकल पीछे वाला ही अच्छा चलता है।
रिया- हाँ डैड, समय बदल गया है अब तो मुझे भी पीछे में ही ज्यादा मजा आता है।
तभी रति बोली- पीछे मतलब! कहीं तू भी शराब तो नहीं पीने लगी?
रिया- क्या बोलती हो मां? पीछे मजा मतलब ज्यादा पैसा। कुछ भी सोचती हो आप!
रमेश-अरे इसे क्या पता बिजनेस क्या होता है? यह तो बस सास-बहू की सीरियल ही जानती है।
रमेश और रिया दोनों इस बात पर ठहाका मार कर हंसने लगे.
रति चिढ़ते हुए बोली- हाँ हाँ … मुझे नहीं मालूम बिजनेस क्या होता है, अब जाओ और जाकर दोनों फ्रेश हो जाओ।
थोड़ी देर बाद सभी फ्रेश होकर नाश्ता करने बैठ गये.
तीनों आपस में बातें कर रहे थे कि तभी रिया का फोन बज उठा.
फोन उठाकर रिया ने जवाब दिया- हाँ बोलो रत्न?
रत्न उधर से कुछ बोला।
रिया- क्या संडे? अच्छा परसों … चलो, ठीक है।
रत्न ने फिर से कुछ कहा।
रिया- क्या? दो पार्टी हैं एक साथ।
रत्न ने कुछ बोला।
रिया- दोनों बुड्ढे हैं! अम्म … हां, चलो कोई बात नहीं. हाँ कर दो तुम।
रत्न ने फिर कुछ कहा।
रिया- तुम तो जानते हो मेरा रेट, फिर भी बार-बार पूछते हो? तीस हजार।
रत्न ने कुछ जवाब दिया.
रिया- हाँ मगर अकेले आगे और पीछे का बीस हज़ार है. यहाँ दो पार्टी हैं, मेहनत भी डबल होगी।
रत्न फिर कुछ बोला.
रिया- अरे रत्न लाल कितना खाओगे! हम जैसों की खाओगे तो भगवान भी तुम्हें माफ़ नहीं करेगा।
रत्न ने उधर से कुछ कहा और रिया हंसते हुए बोली- हाहा, करने दे. बुड्ढे हैं तो क्या हुआ. तो ठीक है डन रहा, संडे रात 8 बजे के बाद और पूरे तीस हजार। बॉय।
इतना बोल कर रिया ने फोन रख दिया.
रमेश- बेटा यह रत्न कौन है?
रिया- एजेंट है डैड, कस्टमर पकड़ कर लाता है।
रति- लेकिन बेटी एक साथ दो पार्टी? तू मैनेज कैसे करेगी?
रिया- कर लूँगी मां, आखिर बेटी किसकी हूँ? और वैसे भी बूढों की ही तो पार्टी है।
रति- यह तो बहुत अच्छा काम कर रही है तू बेटी। बूढे लोगों को भी खुश कर रही है. भगवान तुझे तेरे काम में तरक़्क़ी दे।
रिया- आप दोनों का आशीर्वाद है मॉम।
रमेश- अरे तेरा भी इवेंट संडे को है।
रिया- हाँ, पर क्या हुआ?
रमेश- संडे को मेरा एक दोस्त दिल्ली से यहाँ आ रहा है मुझे भी उस दिन उसके साथ रहना पडे़गा।
रति- बस यही तो है आप दोनों बाप-बेटी का! फिर मुझे अकेले छोड़ दोगे।
रमेश- अरे तुम ग़ुस्सा क्यों होती हो? तुम तो मेरी जान हो।
रति- रहने दो, बातें मत बनाओ।
रमेश- ठीक है आज रात यह आपका गुलाम आपके कदमों में होगा।
रति-हुहं।
तीनों ने नाश्ता किया और उसके बाद रिया और रमेश दोनों निकल गये.
दिन बीत गया.
रात में रिया और रति दोनों बैठ कर टीवी देख रही थीं कि अचानक से डोरबेल बजी.
रिया ने दरवाजा खोला तो सामने रमेश था.
रमेश- तेरी मां कहाँ है?
रिया- डैड, आज मॉम बहुत गुस्से में है, जरा बच के!
रमेश अंदर आया और रति के बगल में आकर बैठ गया.
रमेश- क्या बात है, नाराज़ हो मुझसे?
रति ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया.
रमेश- सॉरी डार्लिंग, मुझे संडे को तो जाना ही पड़ेगा. मगर आज मैंने अपना वादा निभा दिया. देखो तुम्हारे पास बैठा हूँ।
रति उठ कर जाने को हुई तो रमेश ने उसका हाथ पकड़ लिया. रति ने अपना हाथ झटक कर छुड़ा लिया और बोली- जाकर मुंह हाथ धो लो. मैं खाना लगा देती हूं.
थोड़ी देर में उसने खाना खा लिया मगर रति का गुस्सा अभी भी वैसा ही था. वो खाने के बर्तन समेटने लगी तो रमेश ने उसका हाथ पकड़ लिया.
रमेश- रति… रति क्या हुआ? तुम ग़ुस्सा क्यों हो?
रति- जाओ, जाकर अपना बिजनेस देखो. जब देखो तुम्हें बिजनेस की पड़ी रहती है या फिर अपने दोस्तों की। पत्नी घर में अकेली पड़ी रहे उससे तुम्हें क्या!
रमेश- सॉरी जानू … आज तो तुम्हारे पास हूँ. कम से कम आज तो ग़ुस्सा मत हो?
उसकी बात का रति ने कुछ जवाब नहीं दिया.
रमेश- चलो ना डार्लिंग, आज बहुत मूड हो रहा है।
रति फिर भी कुछ नहीं बोली।
रमेश- तुम ऐसे नहीं मानोगी, लगता है तुम्हें मनाने का मेरा पुराना आईडिया ही लगाना पडे़गा।
रमेश ने उठ कर झट से रति को अपनी गोद में उठा लिया.
रति का गुस्सा फुर्र हो गया और बोली- क्या कर रहे हो! उतारो मुझे. बेटी देख रही है. क्या समझेगी वो?
रमेश- समझना क्या है, यही कि आज भी उसके मां और डैड में कितना प्यार है।
इस बात पर रिया हँस दी और रति ने शरमा कर अपना सिर रमेश के सीने में छुपा लिया. रमेश रति को लेकर रूम में चला गया और रिया मन ही मन में सोचने लगी- सचमुच, आज भी मॉम और डैड में कितना प्यार है!
अंदर जाकर रमेश ने अपनी बीवी को बेड पर उतारा.
रति- क्या बात है? आज बड़ा प्यार आ रहा है?
रमेश- जिसकी बीवी इतनी सुन्दर हो, उस पति को अपनी बीवी पर प्यार तो आना ही है।
रति- अच्छा अब क्या रखा है इस उम्र में मुझ में?
रमेश- हाय ज़ालिम, ऐसा ना बोलो. तुममें तो आज भी वह बात है जो किसी और में नहीं।
रमेश ने रति का चेहरा अपने हाथ में लिया और उसके होंठों से अपने होंठों को मिलाते हुए उसे किस करने लगा. दोनों एक दूसरे का साथ देने लगे. रमेश उसके होंठों को चूमता हुआ लेटता गया और रति को भी अपने साथ गिरा लिया.
अब वो रति की गर्दन पर टूट पड़ा और उसको बेतहाशा चूमने लगा. उसने अपनी बीवी की साड़ी के पल्लू को उसके बूब्स पर से हटा दिया और उसके सीने में मुंह देकर चूमने लगा.
फिर रमेश ने रति के ब्लाउज और उसकी ब्रा को भी खोल दिया. रति के बड़े बड़े बूब्स आजाद हो गये. रमेश ने अपनी बीवी की मोटी मोटी चूचियों को हाथ में भर लिया और उनको बारी बारी से चूसने लगा- चप्प … चपपह … हम्म … आह्ह … चत … ऊंम्म … आह्हह … चप … हह करते हुए वो उसकी चूचियों को पीता रहा.
रति भी गर्म होकर रमेश के सिर को अपने बूब्स पर दबा रही थी.
फिर रमेश धीरे-धीरे रति के बूब्स से होता हुआ उसके पेट को चूमते हुए उसकी नाभि को चूमने लगा.
फिर रमेश ने रति को बेड से नीचे खड़ी कर दिया. उसकी साड़ी को खोल कर उसके पेटीकोट समेत सब नीचे करते हुए उसने रति को नंगी कर दिया. फिर उसे बेड पर चढ़ा कर कुतिया बना दिया.
रमेश ने झुक कर अपनी बीवी की चूत से लेकर उसकी गांड तक को नीचे से ऊपर चाटना शुरू कर दिया.
रति- छीः कितनी बार कहा है, गाँड मत चाटिये. वह गन्दी जगह है।
मगर रमेश ने रति की बात पर ध्यान नहीं दिया और उसकी गाँड को मज़े से चाटता रहा.
रति को भी अपनी गाँड चटवाने में मजा आने लगा था और वो गर्म गर्म आवाजें करने लगी थी.
रमेश अब खड़ा हो गया और उसने अपने सारे कपड़े उतार दिये और बिल्कुल नंगा हो गया. उसने अपने तने हुए लंड को रति के मुंह के सामने कर दिया.
रति ने पहले रमेश के लंड को देखा और फिर मुस्कराते हुए बोली- मानना पड़ेगा, इस उम्र में भी आपका जोश देखने लायक है. आज भी कितना तना हुआ है आपका लंड!
रमेश हंसते हुए बोला- डार्लिंग तुम्हारी चूत भी तो कम नहीं है. आज भी वही टेस्ट है इसमें।
अब रति ने रमेश का लंड अपने हाथों में ले लिया और धीरे-धीरे करके उसे अपने मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया.
और लंड चूसने की आवाजें बाहर आने लगीं- उम्म … चप … चप … आह्ह … ऊंम्म … अह्ह … मच … मच … करते हुए वो लंड को पूरे से मजे से चूसने लगी.
कुछ देर लंड चुसवाने का मजा लेकर रमेश ने रति को अलग किया और बेड पर लिटा दिया. रति की दोनों टांगें फैला कर वो उनके बीच में बैठ गया और अपना लंड उसकी चूत पर सेट कर दिया.
रमेश ने हल्का धक्का लगाया और आधा लंड उसकी बीवी की चूत के अंदर घुस गया. फिर एक जोरदार धक्के के साथ रमेश ने पूरा लंड अपनी बीवी की चूत में घुसा दिया.
उसके बाद रमेश ने रति की दोनों टांगों को हवा में उठा दिया और चूत को चोदने लगा. रति के मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं- आआ आआ … जानू जोर से चोदो मुझे … बहुत दिनों के बाद चुद रही हूं तुम्हारे लंड से मेरे राजा, मेरी चूत का बाजा बजा दो … फाड़ दो मेरी चूत को … आह्ह।
रमेश धक्के पर धक्के लगाये जा रहा था. कुछ देर इसी जोश के साथ चोदने के बाद उसने लंड को रति की चूत से बाहर निकाल लिया. रति झट से उठ कर कुतिया बन गयी और उसके लंड को मुंह में भर कर चूसने लगी.
कुछ देर बाद रमेश ने लंड को उसके मुंह से छुड़ाया और उसकी गांड को घुमाकर अपनी तरफ कर लिया. उसने ढेर सारा थूक अपने लंड पर लगाया और फिर अपने लौड़े को बीवी की गांड पर सेट कर दिया.
रति बोली- नहीं …नहीं … गांड नहीं रमेश।
रमेश- करने दो ना डार्लिंग? कब से तुम्हारी यह गाँड मारने की इच्छा है मेरी लेकिन तुम हो कि अब तक इस छेद को तुमने कुंवारा ही रखा हुआ है. एक बार चोदने दो इसे प्लीज। बहुत ही प्यार से चोदूंगा.
वो बोली- नहीं नहीं, वहां बहुत दर्द होगा.
रमेश- कुछ नहीं होगा, बहुत प्यार से डालकर चोदूंगा.
रति- नहीं मतलब नहीं। मेरी चूत ही चोदो।
निराश होकर रमेश ने अपना लंड रति की चूत में घुसा दिया और चोदते हुए सिसकारियां लेने लगा- ऊंहह … आह्ह … ले साली रंडी … तेरी चूत को फाड़ देता हूं. आह्ह … आज भी कितनी टाइट है तेरी चूत, आह्ह … इसको चोद चोद कर इसकी प्यास बुझा दूंगा.
रति भी ऐसे ही सिसकारते हुए चुदने लगी और दोनों की सिसकारियों से पूरा कमरा गूंज उठा. कुछ देर तक इसी स्पीड से चुदाई करने के बाद रमेश झड़ने लगा- आह्ह … आहाह आआ … मैं गया … आआह … ओहह … यस्स… करते हुए रमेश ने अपनी बीवी की चूत में अपना माल भर दिया.
दोनों शांत होकर बेड पर पड़ गये.
रमेश- होह … उफ्फ … थका दिया तुमने।
रति- अच्छा? सब कुछ शुरू किया तुमने और इल्ज़ाम मुझ पर लगा रहे हो?
रमेश- अरे जिसकी तुम्हारी जैसी बीवी हो, वह भला खुद को रोके भी तो कैसे?
रति- अच्छा, इस उम्र में भी इतनी रोमांटिक बातें।
वो बोला- भाई अभी हमारी उम्र ही कहाँ हुई है, हम तो आज भी जवान हैं, कहो तो एक राउंड और हो जाए?
रति- अच्छा?
दोनों ठहाका लगा कर हंसने लगे.
संडे का दिन आ गया और सब लोग नाश्ता कर रहे थे.
रिया- मां अब मैं चलती हूं. मुझे बहुत देर हो रही है. अभी बहुत सी तैयारी करनी बाकी है आज के इवेंट के लिए। बाय डैड।
रमेश- बाय बेटी। ठीक से अपना काम करना।
रति- बाय बेटा … अपना ध्यान रखना।
रिया के निकलने के बाद रति बोली- आपके दोस्त भी तो आने वाले हैं आज?
रमेश- हाँ, आज रवि आने वाला है।
रति- आप उन्हें कभी अपने घर पर क्यों नहीं बुलाते?
रमेश- अरे वह बहुत ही बिजी पर्सन है. उसे अपने काम से फुर्सत ही नहीं मिलती।
रति- फिर भी कभी कोशिश करके उन्हें घर भी लाइए. हम भी तो मिलें आपके दोस्त से।
बीवी की ख्वाहिश पर रमेश बोला- ठीक है, कोशिश करुँगा. अब मैं भी चलता हूँ. मुझे आज ऑफिस में बहुत काम है अब कल सुबह ही लौटूंगा। बाय।
रति- बाय। अपना ख्याल रखियेगा।
रमेश सीधे ऑफिस पहुँचकर अपने केबिन में चला गया.
रीता उसके केबिन में गयी तो उसके घुसते ही रमेश बोला- पता है आज कौन आने वाला है?
रीता- कौन?
रमेश- गेस्स करो।
रीता- जरूर रवि सर आ रहे होंगे।
रमेश- अरे यार, तुम्हें कैसे पता चल जाता है!
रीता- आज आपकी एक्साईटमेंट देख कर पता चल रहा है।
रमेश- आज तैयार रहना, दो-दो लंड एक साथ लेने के लिये।
रीता- आप फिक्र क्यों करते हैं सर, भगवान ने यह दो छेद दिए किसलिए हैं? आज आप दोनों के पसीने छुड़ा दूंगी.
दोनों जोर से हंसने लगे और तभी रमेश का फोन बज पड़ा.
रमेश- हाँ रवि बोल, कहाँ है तू?
रवि- अरे वहीं, अपने पुराने अड्डे पर, होटल मूनलाइट में।
रमेश- सफर कैसा रहा?
रवि- बिल्कुल ठीक रहा, अब यह सब छोड़ और यह बता तू कब आ रहा है?
रमेश- मैं शाम को 7 बजे तक आ जाऊँगा. हमारी रांड भी तैयार है।
रवि- अरे नहीं, उसे मत लेकर आना।
रमेश- मगर क्यों?
रवि- तू भी क्या यार … एक ही रंडी के पीछे पड़ा है।
रमेश- मतलब?
रवि- अरे मैंने यहाँ एक कॉलेज गर्ल सेट कर रखी है. आज रात उसके साथ ही मज़े करेंगे।
रमेश- साले, तू हरामी का हरामी ही रहेगा. जहाँ जाता है वहां सेटिंग कर लेता है। ठीक है रीता को नहीं लाऊंगा आज रात।
रवि- मगर तू कोशिश करके जल्दी आना. तुझसे कुछ काम की बातें भी करनी हैं. फिर 8 बजे हमारी रांड भी आ जाएगी।
रमेश- ठीक है, मैं जल्दी आने की कोशिश करूंगा. बाय।
रवि- बाय।
रमेश ने फोन रख दिया.
उन दोनों की बातें सुन कर रीता गुस्सा हो गयी.
रमेश- सॉरी जानेमन. उसने पहले ही कहीं सेटिंग कर ली है. तुम्हारी बारी अगली बार आएगी और फिर रगड़ कर तुम्हें चोदेंगे.
रीता- कोई जरूरत नहीं है. जहां चाहो वहां मुंह मारो, मुझसे पूछने की क्या जरूरत है?
रीता पैर पटकते हुए गुस्से में केबिन से बाहर निकल गयी.
शाम 6.30 बजे रमेश अपने केबिन से निकला और रीता से बोला- मैं जा रहा हूं. तुम सारा काम देख लेना.
रीता- हां, देख लूंगी.
फिर रमेश ऑफिस से होटल मूनलाइट के लिए निकल गया.
कहानी अगले भाग में जारी रहेगी.
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