नमस्कार दोस्तों! कैसे हो आप सब.. आज मैं फिर हाज़िर हूँ सेक्सी आंटी की चुदाई की कहानी के साथ। मेरी पिछली कहानी को पढ़ने का बहुत बहुत धन्यवाद, बस मेरी कहानियों को यूं ही पढ़ते रहिए और मुझे मेल करते रहिए ताकि मैं और मनमोहक कहानियां लिख सकूं।
मैं आज जो किस्सा आप लोगों को सुनाने जा रहा हूँ, वो मेरा और मेरे दोस्त की मम्मी का है। ये बात तब की है जब मैं 12वीं क्लास में था।
ऋषि मेरा सबसे पक्का दोस्त था, तब हम जवान हो चुके थे और चूंकि नई-नई जवानी चढ़ी थी तो मेरे लंड में चुल्ल होने लगी थी।
मैं जब स्कूल जाता था तो ऋषि का घर रास्ते में ही पड़ता था.. इसलिए मैं पहले उसके घर जाता था, फिर हम दोनों स्कूल जाते थे।
ऋषि की मम्मी और मेरी मम्मी भी आपस में काफ़ी अच्छी सहेलियां थीं। ऋषि की मम्मी काफ़ी सुंदर और मॉडर्न टाइप की थीं। वो ऋषि को खुद ही टयूशन देती थीं.. तो उन्होंने मुझसे कहा कि दोपहर को मैं भी पढ़ने आ जाया करूँ.. वो ऋषि के साथ-साथ मुझे भी पढ़ा देंगी।
मैंने ‘हाँ’ कर दी।
फिर मैं डेली ऋषि के घर पर दोपहर में 2 घंटे के लिए जाता था, उसकी मम्मी रोज कुछ ना कुछ अच्छा खाना बना कर रखती थीं। पहले हम लंच करते थे फिर पढ़ाई। ऐसे ही सिलसिला रोज चलने लगा।
एक दिन ऋषि की तबीयत खराब थी तो वो स्कूल नहीं आना चाहता था। जब सुबह मैं उसके घर गया तो उसकी मम्मी ने कहा कि उनकी तबियत ज़्यादा खराब है.. आज ऋषि स्कूल नहीं आ पाएगा अंकित.. तुम्हें अकेले ही जाना पड़ेगा।
मैंने कहा- फिर आज की टयूशन का क्या रहेगा?
वो बोलीं- तुम आ सकते हो.. मैं तुझे पढ़ा दूँगी.. अगर ऋषि की तबीयत में सुधार हुआ तो दोनों को पढ़ा दूँगी.. नहीं तो अकेले तुम्हें ही पढ़ा दूँगी।
मैंने कहा- ठीक है आंटी जी।
फिर मैं दोपहर को स्कूल से सीधा उनके घर चला गया, मैंने गेट नॉक किया काफ़ी देर तक किसी ने नहीं खोला।
फिर आंटी ने गेट 5 मिनट बाद गेट खोला।
मैंने कहा- क्या हुआ आंटी आप सो रही थीं क्या?
वो बोलीं- नहीं मैं नहा रही थी।
मैंने पूछा- ऋषि की तबियत कैसी है अब?
वो बोलीं- वो सो रहा है.. डॉक्टर ने बेड रेस्ट करने को कहा है।
मैंने कुछ नहीं कहा।
फिर वो बोलीं- आज स्कूल से सीधे ही आ गए क्या?
मैंने कहा- हाँ मुझे ऋषि की चिंता हो रही थी इसलिए।
वो बोलीं- अच्छा किया.. तुम जाकर मेरे रूम में बैठो.. मैं लंच ले कर आती हूँ। फिर हम दोनों पढ़ाई स्टार्ट कर देंगे।
मैंने कहा- ठीक है।
मैं आंटी के रूम में जाकर बैठ गया। आंटी थोड़ी ही देर में आ गईं और कहने लगीं- अंकित तुम पहले नहा लो.. यह स्कूल की यूनिफॉर्म अजीब सी लगती है।
मैंने कहा- मेरे पास और कोई कपड़े नहीं हैं।
तो वो बोलीं- ऋषि के कपड़े पहन लेना।
यह कहकर वो ऋषि की एक ड्रेस निकाल लाईं। तब मेरा साइज़ ऋषि से थोड़ा ज़्यादा था.. पर थोड़े टाइट होने के बाद उसके कपड़े लगभग मुझे आ ही जाते थे।
मैं नहाने चला गया, जब मैं बाथरूम में गया तो देखा कि आंटी के कपड़े नीचे ही पड़े हुए थे। मैंने उन कपड़ों को जैसे ही साइड में रखने के लिए उठाया.. तो उन कपड़ों में से आंटी की पैंटी नीचे गिर गई। मैंने कपड़ों को साइड में रख दिया और फिर उनकी पैंटी को जैसे ही उठाया.. तो मुझे अजीब सी फीलिंग आई।
आप सब तो जानते ही हैं कि अभी-अभी उतरी हुई पैंटी को देखकर थोड़ी बहुत वासना तो आ ही जाती है। मैंने देखा कि आंटी की पैंटी में से कुछ चिपचिपा सा मेरे हाथ में लग गया है। मैंने पैंटी को देखा तो उसमे कुछ वाइट-वाइट चिपचिपा सा लिक्विड लगा हुआ था। मैंने पैंटी को एक कोने में कपड़ों के साथ फेंक दिया और मैं नहाने लगा।
फिर मैं नहा कर तौलिया लपेट कर बाहर आ गया तो आंटी बेड पर बैठ कर लंच कर रही थीं।
चूंकि बाथरूम तो रूम से ही अटैच था.. इसलिए मुझे आंटी के सामने तौलिया लपेट कर आना पड़ा।
आंटी मुझे यूं देख कर स्माइल करने लगीं और उठकर मुझे ऋषि का लोवर और टी-शर्ट दी।
मैंने पूछा- आंटी अंडरगार्मेंट्स?
तो वो बोलीं- ऋषि के अंडरगार्मेंट्स गंदे पड़े हुए हैं.. तुमको बिना उनके ही काम चलाना पड़ेगा।
फिर मैंने टी-शर्ट पहनी और फिर तौलिया के ऊपर से ही लोवर पहनने लगा। इतने में ग़लती से मेरा तौलिया खुल गया और आंटी के सामने ही नीचे गिर गया। मैंने फटाफट से लोवर को पकड़ कर खुद को छुपा लिया और आंटी यह देखकर हंसने लगीं।
मैंने कहा- आंटी हंस क्यों रही हो.. यह तो किसी के साथ भी हो सकता है। अब आप आँखें बंद करो और मुझे लोवर पहनने दो।
वो बोलीं- मैं तेरे खड़े होने के स्टाइल को देख कर हंस रही हूँ.. कैसे बंदर की तरह हाथों में लोवर पकड़े अपनी इज़्ज़त छुपा रहा है हाहहहाहा..
मैंने कहा- हाँ हंस लो आप.. अब मुझे यह पहनने तो दो।
तो वो बोलीं- पहन ले.. मैंने कब मना किया है।
मैंने कहा- आप अपनी आँखें बंद करो।
वो कहने लगीं- क्यों करूँ.. मेरे सामने ही पहन ले.. कोई दिक्कत नहीं।
मैंने कहा- पर मुझे दिक्कत है.. आप आँखें बंद करो।
वो बोलीं- ज़्यादा एक्टिंग ना कर.. जल्दी से पहन ले, नहीं तो तुझसे नहीं पहना जा रहा तो मैं पहनाऊं उठ कर?
और यह कहकर उन्होंने एकदम से बेड पर से उठ कर मेरे पास आकर मेरे हाथों से लोवर छीन लिया। मेरा लंड उनके सामने आ गया।
मैं अपने हाथों से अपना लंड छुपाने लगा तो वो बोलीं- यह हाथों में क्या छुपा रहा है.. दिखा?
मैंने कहा- वो मेरा प्राइवेट पार्ट है।
वो बोलीं- मुझे भी दिखा ना तेरा प्राइवेट पार्ट कैसा है.. मैंने नहीं देखा प्राइवेट पार्ट कैसा होता है?
तो मैंने कहा- आंटी क्यों झूठ बोल रही हो.. ऋषि क्या ऐसे ही हो गया फिर??
वो बोलीं- बहुत शरारती है तू तो.. चल अब हाथ तो हटा.. मैं भी देखूँ कि तेरा लंड कितना बड़ा है।
यह सुनकर मेरा लंड खड़ा होने लगा और मामला हाथों से बाहर आने लगा। उन्होंने मेरे हाथों को पकड़ा और साइड में कर दिया।
अब उनके सामने मेरा लंड था, वो मेरे लंड को देख कर बोलीं- अभी से इतना बड़ा कर लिया तूने?
मैंने कहा- किया क्या.. ये तो अपने आप ही हो गया है आंटी।
वो बोलीं- इसे तो फिर इनाम मिलना चाहिए।
मैंने कहा- कैसा इनाम?
वो बोलीं- आजा बताती हूँ कैसा इनाम.. मेरे साथ में आ जा ऐसे ही।
मैं उनके पीछे-पीछे गया।
वो मुझे बाथरूम में ले गईं और बाथरूम बंद करके अपने कपड़े उतारने लगीं।
मैंने कहा- आंटी जी यह आप क्या कर रही हो?
वो बोलीं- मुँह बंद कर और जैसे-जैसे कह रही हूँ.. बस करता जा और फिर भूल जाईयो कि क्या हुआ था।
मैं चुपचाप खड़ा रहा।
फिर उन्होंने कहा- तू मेरी सलवार का नाड़ा खोल।
मैंने खोल दिया और फिर उन्होंने कहा- मेरी कुरती को भी उतार और ब्रा का हुक खोल दे।
मैंने उनकी कुरती उतार दी और फिर जैसे ही पीछे की साइड से ब्रा का हुक खोलने लगा.. मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो कर उनकी गांड को टच करने लगा।
वो अचानक घूमी और मेरे लंड को अपने में लेकर चूसने लगीं। मेरा लंड उनके गले तक जा रहा था। उन्होंने और भी झपटते हुए मेरे पूरे लंड को अपने गले तक उतार लिया और फिर चूसने लगीं।
ओए होए.. क्या बताऊं कितना मज़ा आ रहा था।
कुछ मिनट बाद मैं उनके मुँह में झड़ गया और वो मेरा सारा माल पी गईं।
फिर उन्होंने लंड चाटते हुए कहा- अब मेरी चुत चाट.. और ज़ोर-ज़ोर से चूस ले।
वो बाथरूम के फर्श पर लेट गईं और अपनी दोनों टांगों को ऊपर करके अपने हाथों से पकड़ लिया, जिससे उनकी चुत मेरे सामने आ गई।
उन्होंने पैंटी पहनी हुई थी.. तो वो बोलीं- पहले पैंटी के ऊपर से ही चाट।
मैं चाटने लगा और थोड़ी ही देर में उनकी पैंटी पूरी गीली हो गई.. वो सिसकारियां लेने लगीं।
अब मेरे अन्दर का शैतान भी जाग गया था और मैं भूल गया कि वो कौन हैं और क्या हैं, मैंने आंटी की पैंटी को अपने हाथों से पकड़ा और फाड़ दिया, फिर उनकी चुत को ज़ोर-ज़ोर की चूसने लगा। कुछ देर बाद झड़ गईं.. मैं उनका सारा पानी पी गया।
फिर अपने लंड को उनकी चुत की फांकों पर लगाकर उसे रगड़ने लगा.. जिससे उनको बहुत मज़ा आ रहा था। वो लेटे-लेटे ही अपनी गांड को उछालने लगीं। जैसे कि उन्हें इससे चुत पर गुदगुदी हो रही हो।
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वो वासना से तड़पने लगीं और बोलीं- बस अंकित अब इसे चुत में डाल दे बेटा.. और बर्दाश्त नहीं हो रहा तेरी आंटी से.. चोद दे जल्दी से अब।
मैंने अपने लंड को पानी से गीला किया और उस पर थोड़ा सा शैम्पू लगाया ताकि खूशबू आ जाए और वो चिकना भी हो जाए। इसके बाद मैंने उनकी चुत पर 1-2 मिनट किस किया और फिर अपना लंड उनकी चुत पर रख दिया।
अब मैं लंड को आंटी की चुत पर ऊपर-नीचे घिसने लगा.. वो फिर उछलने लगीं। तभी उन्होंने मेरा लंड एकदम से झटके से पकड़ा और अपनी चुत की फांकों के बीच में रख कर मुझसे कहा- अब शुरू हो जा यार.. प्लीज़ तेरी आंटी की चुत सूखी पड़ी हुई है.. इसे गीला कर दे अन्दर तक।
मुझसे भी कंट्रोल नहीं हो रहा था, मैंने उनको घोड़ी बनाया और खुद घुटनों के बल खड़ा होकर अपने लंड को उनकी गांड पर रख दिया।
तो उन्होंने लंड को वहाँ से हटा दिया और चुत पर रख दिया और बोलीं- पहले आगे की चोद..
मैंने धीरे-धीरे से लंड पर ज़ोर लगाया और उनकी चुत में अपने लंड का टोपा घुसा दिया और फिर धीरे-धीरे धक्कों को तेज करता गया। फिर पूरा लंड उनकी चुत में पेल दिया, वो चिल्लाने लगीं और उनकी चीखें पूरे बाथरूम में गूंजने लगीं।
पर उनके चिल्लाने में भी एक अजीब सा प्यार आ रहा था.. जैसे उन्हें बहुत मज़ा आ रहा हो। फिर मैंने स्पीड बढ़ा दी और उनको दबादब ठोकने लगा।
वो तेज स्वर में चिल्लाने लगीं- आअहह उम्म्ह… अहह… हय… याह… आअहह धीरे थोड़ा धीरे कर बेटा.. एक ही चुत है जिंदगी भर चलानी है.. क्यों फाड़ रहा है।
फिर थोड़ी देर बाद उन्हें मज़ा आने लगा और मैंने भी स्पीड बढ़ा दी। पूरे बाथरूम में हमारी चुदाई वाली आवाजें ऐसे आने लगीं.. जैसे हंटर चल रहे हों ‘पच पच्छ पच्छ पाच..’
और इतने में आंटी झड़ गई।
आंटी झड़ते ही एकदम से लंड से अलग हो गईं और लंड को मुँह में डाल कर चूसने लगीं।
थोड़ी देर में मैंने आंटी को कहा- मैं झड़ने वाला हूँ।
तो उन्होंने मेरे लंड को अपने मोटे-मोटे चूचों पर रगड़ना स्टार्ट कर दिया और अपने निपल्स से मेरे लंड के टोपे को रगड़ते हुए मुठ मारने लगीं।
उसी वक्त मैंने उनके चूचों पर ही सारा स्पर्म झाड़ दिया।
फिर हम दोनों वहीं एक-दूसरे को गले लगाकर लेट गए और स्मूच करने लगे।
थोड़ी देर बाद आंटी जैसे ही खड़ी हुईं मेरी नज़र उनकी गांड पर गई.. जो अभी भी गीली और चिकनी हो रही थी।
मैंने आंटी की एक टाँग पकड़कर उठा दी और वो गांड के बल ज़मीन पर गिर गईं और उनकी गांड में दर्द होने लगा।
मैंने कहा- आंटी लाओ आपकी गांड की मालिश कर दूँ, फिर साथ में नहाएँगे।
मैं इतनी जल्दी शांत कहाँ होने वाला था.. मुझे तो आंटी की गांड भी मारनी थी। आंटी बाथरूम के फर्श पर लेट गईं और मैंने तेल लेकर हाथों से उनकी गांड को रगड़ने लगा और धीरे-धीरे हाथों की जगह अपने लंड को रख कर रगड़ने लगा।
वो समझ गईं और बोलीं- साले हरामी मैं जानती थी.. तू मेरी गांड भी मारेगा।
मैंने कहा- फिर चुपचाप मरवाई क्यों नहीं?
वो कहने लगीं- नहीं यार.. गांड में नहीं, तेरा वैसे ही ज़्यादा मोटा है.. मेरी गांड दर्द करेगी।
मैंने अपना मुँह उनके मुँह पर रख दिया और ज़ोर से चूमते हुए उनको अपनी गोद में बिठा लिया, फिर थोड़ा सा कमर से उठा कर उनकी गांड पर अपना लंड रख दिया और खुद भी ऊपर की तरफ झटके देने लगा।
पर आंटी की गांड सच में बहुत टाइट थी और कुछ मेरा लंड भी मोटा था.. तो गांड मारना मुश्किल हो रहा था। मैंने अपने लंड पर बहुत सारा तेल लगा लिया.. उसी तेल से मैं उनकी मालिश कर रहा था।
फिर 2-3 बारी लंड को गांड पर लगाया तो वो उछल कर चुत पर जा लगा, जिससे हम दोनों को गुदगुदी हुई और फिर काफ़ी झटकों के बाद मेरा आधा लंड आंटी की गांड में घुस गया।
लंड घुसते ही आंटी चिल्ला पड़ीं- आआईयईई.. उईई.. हरामी मार डाला.. निकाल इसे आआईईई..
मैंने उनके मुँह के अन्दर उनकी पेंटी घुसा दी और उनकी गांड में कई झटके मार कर पूरा लंड गांड के अन्दर घुसाते हुए आंटी के हाथ भी पकड़ लिए ताकि मेरे को सपोर्ट मिलता रहे और वो पेंटी ना निकाल सकें।
अब वो उमम्म अम्म्म उम्म्म चिल्लाए जा रही थीं और मैं उनकी गांड की चुदाई करने लगा। उनकी गांड मारने में भी बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था.. इतना अधिक मजा था कि चुत में भी उतना नहीं आ रहा था।
फिर दस मिनट बाद वो भी मेरा साथ देने लगीं और अपनी टांगों को उठाते हुए मजा लेने लगीं। आंटी मेरे हाथों से अपने हाथ छुड़ा कर अपने मुंह से पेंटी निकाल दी और अपने चूचों को मसलने लगीं और टांगों को उछालती रहीं।
अब वो भी मजे से चुदवाने लगीं।
कुछ देर तक मैंने उनकी गांड मारने के बाद गांड में ही माल झाड़ दिया। फिर वो उठीं और घोड़ी बन गईं तो उनकी गांड में से मेरा सारा माल बाहर निकल कर आने लगा और वो अपनी उंगली में लेकर उसे चाटने लगीं।
फिर हम दोनों साथ में नहाए और एक बार और चुदाई की।
अब जब भी ऋषि घर से बाहर होता है तो आंटी मुझे बुला कर खूब चुदवाती हैं और कभी-कभी खुद ऋषि को बाहर भेज कर मुझे बुला कर चुदवाती हैं।
तो दोस्तो कैसी लगी आपको मेरी चुदाई की कहानी.. मुझे जरूर मेल करके बताना ताकि आगे भी चुदाई की कहानी और भी मजेदार तरीके से लिख सकूँ।
मेरी पिछली चुदाई की कहानी दीदी की मालिश और चुदाई पर मुझे काफ़ी आप लोगों के काफी मेल आए।
आप लोगों को सेक्सी आंटी की सेक्स स्टोरी कैसी लगी..
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