यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
अभी तक आपने पढ़ा कि मैंने अपनी बहन की चुदाई के कारण हुई थकान के चलते उसकी मालिश की. उसी मालिश के दौरान एक बार मैंने उसकी फड़फड़ाती चूत को चूस कर झाड़ दिया था और उसका रस चाट लिया था.
अब आगे:
शाम को जब मैं वापस आया तो किचन में गया. मेरी दीदी खाना बना रही थी. मैं उसे दरवाजे पे खड़ा उसे निहार रहा था. उसने लाल रंग की एक टी-शर्ट पहन रखी थी. टी-शर्ट मुश्किल से उसके थलथलाते हुए मम्मों को ढक पा रही थी. उसके तने हुए मम्मे टी-शर्ट के ऊपर साफ नजर आ रहे थे. उसकी नंगी चिकनी टांगों की तरफ निगाह गई … तो उसने नीचे मिनी स्कर्ट पहन रखी थी. जो काफी छोटी थी. इससे उसकी उभरी हुई गांड मुझे साफ नजर आ रही थी.
उसका प्यारा सा चेहरा, उन पे बिखरे हुए बाल … आह … उसे देखते हुए मैं सोच रहा था. क्या माल है यार मेरी बहन. उसकी सुंदरता कमाल की थी. मैं उसे निहारते हुए ही गर्म हो चुका था.
मैं बनावटी गुस्से में किचन में घुसा.
“ये क्या है?” मैंने गैस ऑफ करते हुए पूछा.
वो चौकी, पीछे मुड़ी- क्या?
“ये क्या है, तुमने कपड़े पहन रखे हैं?”
वो सोचने लगी.
“मास्टर ने क्या कहा था? भूल गयी?”
“क्या कहा था मास्टर ने?” वो मुस्कुराते हुए मेरी तरफ आते हुए बोली.
“नो क्लोथ्स, रिमेम्बर.” (कोई कपड़े नहीं … याद करो) मैंने उसे नाराजगी दिखाते हुए बोला.
आप को याद होगा सुबह मैंने उसे क्या कहा था. मेरी कहानी का पिछला भाग पढ़ें.
“अच्छा जी.”
“हां और तुमने मास्टर को फॉलो नहीं किया, इस लिए तुम्हें पनिश (दण्डित) किया जाएगा.”
“तू मुझे पनिश करेगा?” वो रंडियों की तरह मुस्कुराते हुए बोली.
“हम्म..”
“तो आ … कर ना..” वो मेरा कॉलर पकड़ के खींचते हुए बोली.
मैं- दीदी क्या कर रही हो, मैं कैरेक्टर में हूँ.
वो बोली- और मैं रियलिटी (वास्तविकता) में हूँ. तू मुझे बिना कपड़ों के देखना चाहता है न?
उसने मेरे गर्दन में अपने बांहें पिरोते हुए मुझे अपनी बांहों में कसा.
मैंने हां में सर हिलाया.
“तो अपने अंदाज में निकाल दे न मेरे कपड़े…”
वो मुस्कुराती हुई बोली. मैंने उसे कमर से खींच के खुद से चिपका लिया और उसके होंठों पे होंठों जड़ दिए. उसके रसीले होंठों का रसपान करने लगा. कुछ देर बाद एक दूसरे में खोये रहने के बाद. उसने आंखें खोलीं. हम दोनों की आंखें मिलीं. मैं उसकी आंखों में प्यार समर्पण और अटूट विश्वास देखा.
वो मेरे से गले लगी हुई थी. मैंने हाथ पीछे उसके पीठ पे ले गया. उसकी टी-शर्ट पकड़ी और एक झटके में फाड़ दी, उसके बदन से अलग कर दी. वो सर झुकाए दोनों हाथों से अपने उरोजों को छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी.
मैंने उसके हाथों को पकड़ के हटाया और ऊपर कर दिए. उसने शर्माने की एक्टिंग करते हुए आसानी से हाथ ऊपर कर लिए.
उसकी लाल रंग की ब्रा में उसके फूले हुए मम्मे मेरे सामने थे. मैंने उसे ध्यान से देखा. उसके मम्मे पहले से काफी बढ़ गए थे. उसकी यह पुरानी ब्रा अब उसमें टाइट होने लगी थी. ब्रा उसके चूचों से ऐसे चिपकी थी, जैसे अब फटे तब फटे.
मैंने उसकी चूचियों पे हाथ फेरा. उसकी चूचियों की गोलाई का जायजा लिया. आगे निप्पल के पास से दोनों कोने पकड़ कर एक झटके में उसकी ब्रा फाड़ दी.
वो थोड़ी सी कसमसाई. लेकिन हिली नहीं. उसने एक अच्छी स्लट की तरह हाथ ऊपर करके अपनी पूरी जवानी को मुझे परोस रखी थी. मैंने उसके बाल पकड़ के खींचे और पकड़ के स्लैब के सहारे झुक दिया. मैंने उसके मम्मों को दबोच लिया. उसके निपल्स को उंगलियों के बीच दबा दिया.
वो दर्द से बिलबिला उठी- आहह आहह आहह!
मैंने उसके कानों में कहा- व्हाट आई सेड?? (मैंने क्या कहा था?)
“आहह आहहह सीईईई … नो … उम्म्मम क्लोथ्स मास्टर..!” (कपड़े नहीं पहनना है)
“यस.”
मैंने उसके बालों को सही किया और उसके कान के पीछे सरका दिया.
मैं नीचे बढ़ा, मैंने उसके चूतड़ों पे हाथ फेरा. मैंने उसकी स्कर्ट खींची. वो एक झटके में अलग हो गयी. जैसे उसने स्कर्ट को अटका रखा हो बस. उसने पैंटी नहीं पहनी थी. चुदाई की पूरी तैयारी थी उसकी. मेरे सामने उसके नंगे गदराए हुए चूतड़ थे. मैंने उसके चूतड़ों पे एक जोरदार चपत लगाई. वो थोड़ी सी कसमसाई, लेकिन सामान्य रही.
अब शायद उसे स्पैकिंग (झापड़) की आदत हो गयी थी. अब वो इसका आनन्द उठाती थी. मैंने लगातार 5-7 चपत लगाये. वो बस दांत भींचे मजे लेती रही. उसकी “हम्म आआहहह हम्मम..” की आवाजें निकलती रहीं.
अब मैंने एक मोटा खीरा उठाया और पीछे से उसकी चुत में घुसाने लगा. ये खीरा मेरे लौड़े से भी मोटा था. मैंने धीरे धीरे सरकाते हुए पूरा खीरा उसकी चुत में घुसा दिया. वो दर्द से बिलबिला उठी. दर्द होगा ही, खीरा मेरे लौड़े से भी मोटा था ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
वो टांगें चौड़ी करके गांड उचकाए स्लैब के सहारे झुकी थी. वो इस हालत में थी कि हिल डुल भी नहीं सकती थी. हिलने डुलने पे उसे असहनीय पीड़ा होती. मैंने आगे जाके उसके चूचुकों को फिर से भींच लिया. वो फिर से दर्द से चिल्ला उठी, उसने “आहह आह आह..” करके दांत भींच लिए. उसकी आंखों में आंसू आ गए.
“विल डू ईट अगेन स्लट.” (ऐसा दोबारा करोगी).
उसने बस न में सर हिलाया
मैंने उसके कंधों पे किस किया. उसके मम्मे मसलते हुए बड़े ही कामुक अंदाज में मैं उसकी गर्दन पे हर जगह किस करता … तो वो वासना से तिलमिला उठती. मैंने उसके बाल पकड़ के ऊपर कर दिए. उसकी गर्दन पे बाल के नीचे किस किया. उसकी गर्दन पे जीभ फेरा, वो सिहर उठी और उसे बड़ा मजा आया.
मैं उसकी कंधों से गर्दन पे होते हुए गालों तक किस करता गया. वो गर्म हो रही थी. मैं उसके सर को वैसे ही बाल पकड़े हुए हल्का सा घुमा के होंठों का रसपान करने लगा. वो मेरा पूरा साथ देती रही.
मैं चाहे जब भी उसे किस करता. वो पूरे शिद्दत से मेरा साथ देती थी. ऐसा लड़की तभी करती है, जब वो आप से बहुत ज्यादा प्यार करती हो.
मैं उसकी नंगी पीठ पे किस करता हुआ नीचे आने लगा. उसकी नंगी पीठ एकदम गोरी और चिकनी थी. उसके जिस्म पे मेरे लबों का स्पर्श मात्र से ही वो सिहर उठ जाती. उसकी नंगी पीठ मेरी कमजोरी थी. मैं खुद को उसे चूमने से रोक नहीं पाता था. मैं जीभ उसकी नंगी पीठ पे फेर रहा था. वो आहह उम्म्मम हम्म की आवाजें निकाल रही थी.
उसके गदराए चूतड़ों को चाटते हुए मैंने चुत से खीरा निकाला, वो उसके रस से भीग चुका था. मैं वो खीरा उसके मुँह में देने लगा. बड़ी मुश्किल से वो उसे मुँह में ले पा रही थी. उससे टपकते अपने ही रस को चूस रही थी. मैं भी चूस रहा था.
मैंने उसकी टांगें चौड़ी करके स्लैब पे बैठा दिया. उसकी टांगें खुली हुई थीं. गोरी मस्त चिकनी जाघें देख कर मैं मस्त हो गया. मैं उसकी मखमली जांघों पे किस करता हुआ चुत के पास पहुंचा. वो बस स्लैब पर गांड टिकाये खड़ी थी और मजे ले रही थी. उसकी चुत के बहती रस की खुशबू, जिसे मैंने एक लंबी सांस के साथ अन्दर उतार लिया. मैंने हल्की सी जीभ फेरी, वो वासना से सिहर गयी. मैं उसकी चुत चाटने लगा. वो मेरे बाल नोंच-नोंच के अपनी चुत में घुसा रही थी. मैं उसे झड़ने देना नहीं चाहता था … मुझे तो उसे तड़पाना था.
मैं कुछ देर चुत चाटने के बाद ऊपर आया. उसकी आंखें अभी तक बंद थीं. मैंने हाथ उसके बालों को कान के पीछे किया … तो उसने आंखें खोलीं. उसके आंखों में प्यार चेहरे पे वासना थी. मैंने उसके होंठों पे बड़े प्यार से किस किया. वो तो मेरे होंठों को चबा रही थी. वो हांफ रही थी. उसकी वासना चरम सीमा पे थी.
मैंने उसे चूतड़ों से पकड़ कर गोद में उठा लिया. मेरी गर्दन में बांहें डाले वो मेरे सीने से चिपक गयी. हम दोनों के होंठ भी चिपके हुए थे और हम जोर से किस कर रहे थे. उसे वैसे ही उठाए हुए मैं हॉल में ले आया और डाइनिंग टेबल पे लिटा दिया. इसके बाद मैंने चुम्बनों की बारिश कर दी. मैं उसके रसीले होंठों का रसपान कर रहा था. वो मेरे होंठों को चूमते हुए जल्दी जल्दी मेरे शर्ट का बटन खोलने लगी थी. हम दोनों अपनी मस्ती में मदहोश हो चुके थे.
तभी डोर बेल बजी … हम दोनों एकदम से हड़बड़ा गए. बाद में देखा कि हमारा आर्डर किया हुआ डिनर आ गया था.
मेरी बहन जल्दी से बाथरूम में घुसने को हुई. इधर मैंने अपने कपड़े सही किए और हजार का नोट दीदी के मुँह में ठूंसते हुए उसे डिनर का पैकेट लाने को बोल दिया. वो समझ गई कि क्या करना है. वो मुस्कुराते हुए कपड़े पहनने को चल दी.
मैंने उसे चेताया- नो क्लोथ्स … (कोई कपड़े नहीं)
मेरा आवाज सुन कर वो रुकी. वो सोच में पड़ गयी. ये बात सोचने वाली भी थी मैं उसको डिलीवरी बॉय के सामने नंगी ही जाने को कह रहा था.
कुछ सोच कर वो दरवाजे की तरफ मुड़ी. और हल्की डरी हुई नंगी ही गेट की तरफ चलने लगी … उसकी चाल में लड़खड़ाहट थी. वो हिम्मत करके आगे बढ़ रही थी.
मैंने उसे आवाज दी- स्टॉप.
वो रुकी, मैंने टॉवल उसके मुँह पे फेंका. उसने मुस्कुराते हुए टॉवल उठा कर झट से लपेट लिया और दरवाजा खोलने चली गयी.
प्रीति के शब्द:
मैं तो सुन्न पड़ गई थी, जब भाई ने मुझे नंगी ही डिलीवरी बॉय के सामने जाने को कहा. लेकिन मैं उसके लिए समर्पित थी. मैं तन मन से उसे खुद को सौंप दिया था. मेरे जिस्म पे उसका अधिकार था … वो जो कहेगा, मैं करने को राजी थी. वो मुझसे जहां कहेगा, मैं नंगी हो जाऊंगी. वो जिससे चुदने को कहेगा, उससे चुद जाऊंगी. बस मुझे अपने भाई से ज्यादा कुछ नहीं दिखता. मैं उसकी दीवानी हो गई थी.
जब मैंने दरवाजा खोला. एक अधेड़ उम्र का आदमी था, जो पैकेट लिए खड़ा था. मैंने भी बस टॉवल लपेटा हुआ था, जो बस मेरे मम्मों के निपल्स को छुपा पा रहा था. ये तौलिया भी मेरे चूतड़ों को आधा छुपा पा रहा था. बाकी मेरा पूरा जिस्म नंगा था.
वो आदमी मुझे ऐसे घूर रहा था … जैसे उसने नंगी औरत पहली बार देखी हो. उसकी नजर मेरे अधनंगे मम्मों पे गड़ी हुई थी. मैंने उसे तिरछी नजर से देखा. मेरे माथे पे पसीना देख कर वो सब कुछ समझ चुका था.
उसने मुझसे धीरे से पूछा- रेट क्या है?
वो मुझे कोई रंडी समझ रहा था. मैंने उसे इग्नोर किया. मैंने उससे पैकट लिया और जाने लगी.
वो मुझे अपना कार्ड देने लगा और बोला- मेरे पास भी मालदार पार्टी है.
“व्हाट द फक?” (क्या बकवास है)
मैंने पैसे उसे दिए और बोला- गेट लॉस्ट. (दफ़ा हो जाओ.)
वो- सॉरी मैडम, आप तो नाराज हो गईं.
“आई सेड … गेट लॉस्ट.” (मैंने कहा कि दफा हो जाओ.)
वो “सॉरी मैडम,..’ बोल के चला गया
विशाल के शब्द:
“क्या हुआ जान?”
मैंने उसे मुस्कुराते हुए पूछा. उसने खाना टेबल पे रखा और बोली- साला कुत्ता! कमीना..!
वो झल्लाते हुए बोली थी.
मैंने उसके हाथ पकड़ कर उसे अपने गोद में बिठा लिया. मैंने उसके गाल पे किस करते हुए पूछा- क्या बोला उसने?
वो नाराजगी में बोली- वो मुझे कोई कॉलगर्ल समझ रहा था.
मैंने उसके गालों पे किस करते हुए और उसे छेड़ते हुए पूछा- कॉलगर्ल मतलब क्या?
उसने मेरी तरफ गुस्से से देखा, मैं उसे देख के मुस्कुरा रहा था.
“रंडी.” उसने गुस्से में बोला.
कुछ भी हो लड़कियां गुस्से में और भी प्यारी हो जाती हैं.
“तो तुम नहीं हो?”
उसने दोबारा गुस्से से मेरी तरफ देखा.
“मेरी भी नहीं?”
मेरी इस बात पर वो हंस पड़ी और उसने मेरे सीने में मुक्का दे मारा.
“स्टुपिड.” (बेवकूफ)
मैंने उसके होंठों को चूम लिया.
उसने मुस्कुराते हुए कहा- चलो पहले डिनर कर लें, खाना ठंडा हो जाएगा.
वो मेरे गले में बांहें डाले मेरी गोद बैठी थी. मैं रोटियों का निवाला बना कर उसे खिलाता. इस वक्त वो मुझे बिल्कुल किसी छोटे बच्चे की तरह लग रही थी. जब मैं उसे खाना खिला रहा था.
हम दोनों एक दूसरे के नंगे जिस्म से चिपक कर हमने खाना खाया. मैंने उसे पानी भी पिलाया. मैंने ही उसके मुँह भी पौंछा. वो बस मेरी गर्दन में बांहें डाले गोद में बैठी रही थी.
खाना खत्म करते ही उसने मेरे होंठों पे होंठों जड़ दिए और किस करने लगी. मेरा लौड़ा भी खड़ा हो चुका था. बस 5 मिनट किस करने के बाद वो रुकी और मेरे आंखों में आंखें डाल के बोली- पैसे दिए हैं … तो चोदेगा भी या बस खिलायेगा ही!
(आपको याद होगा टेबल का वो दृश्य, जब मैंने उसके मुँह में नोट ठूँसा था.)
वो पक्की रंडी की तरह बर्ताव कर रही थी. यह सब वो मुझे उत्तेजित करने के लिए कर रही थी.
“आजा मेरे राजा.” एक पेशेवर रंडी की तरह कह कर वो खड़ी हुई. उसने बड़े कामुक अंदाज में हाथ ऊपर करके पोज दिया. उसने मुझे आंख मारते हुए ऐसे दोनों हाथ ऊपर करके अंगड़ाई ली कि उसका सीना फूल गया. उसके चुचों पे अटकी उसकी टॉवल खुल के नीचे गिर गयी. वो फिर से नंगी हो गयी.
अब मैं उठा और उसकी कमर पे दोनों हाथों को रख दिया. फिर हाथ सरकाते हुए ऊपर की तरफ ले जाने लगा. मैं उसके बदन पे हाथ फेरते हुए ऊपर आ रहा था. मेरे स्पर्श से उसके बदन में झुरझुरी सी आ गयी. वो हाथ के स्पर्श से उम्म्म हम्मम करके सिहरे जा रही थी. वो कांप जा रही थी.
वो हाथ ऊपर किये हुए खड़ी थी. मैंने हाथ पीछे ले जाके उसे अपनी तरफ खींचा. वो मेरे सीने से चिपक गयी. उसके हाथ अभी भी ऊपर थे. मैंने उसके होंठों पे होंठों जड़ दिए.
कुछ देर बाद मैं अलग हुआ.
किस करते हुए मैंने उसे घुमाया और डाइनिंग टेबल पे झुका दिया. वो टेबल पकड़ कर झुकी थी. मैंने एक झटके में लंड उसकी चुत में पेल दिया.
वो चिल्ला दी- आहह … मार डाला रे.
मैं रुक गया. मैंने उसके बाल एक तरफ किए … और उसकी नंगी पीठ पे चुम्बन करने लगा. मैंने दूसरा धक्का लगाया.
“उम्म्ह… अहह… हय… याह…”
मैं उसकी कमर पकड़ के धक्के लगाने लगा. मेरे हर धक्के के साथ उसकी कामुक आहहहह निकल जाती.
मैं लंड चूत से पूरा निकाल के फिर से पेल रहा था. हम दोनों पूरी तरह से गर्म थे. मैंने धक्के तेज कर दिए. उसके बाल पकड़ के टेबल पे दबा दिया और धकापेल चुदाई करने लगा. मैं फुल स्पीड में उसकी चुदाई कर रहा था. वो “आहह ओह … हम्मम..” की आवाजें निकाल रही थी. दस मिनट बाद मैंने उसे टेबल पे बिठा दिया. आगे से उसके चुचों को चूसते हुए लंड चुत में पेल दिया और चुदाई करने लगा.
मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा, उसकी आंखें तृप्त होने जैसी अवस्था में बंद थीं. वो बस मस्ती में “आहह ओह्ह..” की आवाजें निकाल रही थी. मैंने चोदने की स्पीड बढ़ा दी और बीसेक धाके के बाद उसकी चुत में ही झड़ गया.
झड़ने के बाद मैं उसके ऊपर गिर पड़ा, वो भी मेरे कमर से पैर लपेटे झड़ रही थी. मैंने उसके होंठों पे होंठों जड़ दिए. हमने गहरा चुम्बन किया.
सेक्स के बाद डीप लिप किस करना एक बहुत ही बढ़िया स्टेप है. इससे आपके पार्टनर को ये अहसास होता है कि आप उससे बहुत प्यार करते हो. वो आपके लिए कितना महत्व रखता है.
दीदी का महत्व मैं शब्दों में नहीं बयां कर सकता. इसी लिए जो होता है कर के दिखाता हूँ.
चुदने के बाद उसके चेहरे पे सन्तोष का भाव था … एक सुकून था. मैंने उसके माथे पे किस किया और उसे गोद में उठा लिया. वो मेरी आंखों में बड़े प्यार से देख रही थी. आज कुछ अलग था. जिसे मैं शब्दों में नहीं लिख पा रहा हूँ. मैंने फिर से उसके होंठों को चूमा. उसने आंखें बंद करके मेरा स्वागत किया.
मैं उसे गोद में उठाए अपने कमरे की तरफ बढ़ा. मैंने उसे बेड पे पटक दिया.
फिर क्या एक बार और चुदाई हुई दीदी की. उस रात मैंने दीदी को 4 बार चोदा.
प्रीति के शब्द:
तीन दिनों तक बस दिन रात हमने सेक्स ही किया. पापा के आने तक न उसने कोई कपड़ा पहना, न मैंने. हम दोनों नंगे ही रहते. जब मन करता, तब चुदाई कर लेते. उसने मुझे घर के हर कोने में चोदा, हर तरीके से चोदा. अगले तीन दिनों तक मैं उसकी रखैल बन के चुदती रही. अब तो मैं मन से खुद को उसकी सम्पति मान चुकी थी.
विशाल के शब्द:
मित्रो, मैंने अपनी बहन के साथ हजारों बार सेक्स किया, लेकिन उससे मेरा मन कभी नहीं भरा. मेरी बहन है ही इतनी हॉट … जब भी उसे चोदूँ, तो लगे कि पहली बार ही चोद रहा हूँ.
आप सभी का अनेकों धन्यवाद, दोस्तों कहानी का सिलसिला जारी रहेगा. आपसे फिर जल्दी ही मिलूंगा एक नयी कहानी के साथ. मुझे मेल करके जरूर बताएं कि मेरी दीदी के साथ मेरी चुदाई की कहानी आपको कैसी लगी.
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