यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम रूपिंदर कौर है और मैं पंजाब की रहने वाली हूँ। मैं अन्तर्वासना पर नयी हूँ और यह मेरी पहली कहानी है। मेरा कद 5’2″ इंच है और रंग गोरा है। शादी से पहले मैं बहुत जिम जाती थी क्योंकि मेरे मम्मे तो बहुत बढ़ गये थे लेकिन मेरा पिछवाड़ा थोड़ा कम बाहर निकला था। इसलिए मैंने वहां पिछवाड़े को बढ़ाने और ठीक शेप में लाने के लिए बहुत मेहनत की और लगातार करती चली गई। खैर अब मेरा फ़िगर 36-32-38 है। हां मैं अब मैं थोड़े भरे बदन की हूँ लेकिन मेरी कमर अब भी पतली है। जब चलती हूँ सब आगे पीछे से स्कैन करते है।
मैं पंजाब के एक बड़े शहर से हूँ और मेरी बी ए तक की पढ़ाई भी वहीं की है। मेरे पिता जी की मौत बहुत पहले हो चुकी है। जिसकी वजह से घर में मेरी मां और मेरा छोटा भाई ही रहते थे। पिता जी की मौत जल्दी होने के कारण मेरी मां के दो एक अफेयर हैं लेकिन उन्होंने अपनी हद पार नहीं की और उनसे ही सन्तुष्ट है।
पर मुझे सेक्स की ललक किशोरावस्था में लग गई थी जब मुझे हमारे नौकर ने भगा भगा के चोदा था। उसके बाद में 15-20 अलग अलग लड़कों से सैकड़ों बार चुदी पर संतुष्ट नहीं हुई।
इसका कारण यह है कि जब भी किसी औरत को अलग अलग लौड़े लेने की आदत पड़ जाए तो फिर वो नहीं रुकती।
लौड़े तो मैंने बहुत लिए लेकिन मैंने अपने आपको नई उम्र के लड़कों तक ही सीमित रखा क्योंकि मुझे अपनी चूत ज़्यादा नहीं खुलवानी थी और कुछ अपने पति के लिए भी बचा कर रखना था।
खैर शुरू में तो मेरी माँ ने मुझे कुछ नहीं कहा लेकिन जब मैं ज़्यादा ही खुल गयी थी तो उन्होंने मेरी शादी कर दी। उन्होंने मुझे फिर प्यार से समझाया कि अब बहुत हो चुका है और अपने पति की ही बन के रहना।
शादी धूमधाम से हुई और मेरा मेरा पति भी लंबा और गठीले बदन का था। पहले 2 साल उसने मेरी बहुत टिका टिका के मारी। अफीम खाने का शौकीन था और आधा आधा घंटा चढ़ा रहता था, जिसके कारण मुझे किसी नए लौड़े की ज़रूरत महसूस नहीं हुई।
उसका लंड तो ठीक साइज़ का था पर एक ही लौड़े से चुदते चुदते अब मैं बोर हो चुकी थी। लेकिन अब मुझे फिर अपने पुराने किस्से याद आने लगे, अब मुझे एक नया लण्ड चाहिए था। घर में काफी पाबंदी थी तो मैंने फेसबुक पर ही एक नया मर्द ढूंढ लिया। उसका पूरा नाम तो नहीं बताऊँगी, लेकिन उसका सरनेम ढिल्लों था.
काफी बड़े घर का था और चूतों का शौकीन था, उससे मिलने के लिए ही मैंने एक महीने के अंदर अंदर चंडीगढ़ में सेक्टर 14 में पंजाब यूनिवर्सिटी में एम ए डिस्टेंट में एडमिशन ले ली।
छुप छुप कर ढिल्लों से फोन पर बातें करती रहती और उसको अपने पुराने किस्से भी सुनाये। मेरी बातों से उसे पता चल चुका था कि इसकी सर्विस बहुत ज़ोरदार होनी चाहिए। मैंने भी जल्दी नहीं कि क्योंकि मैं उसे इतना तड़पाना चाहती थी कि जब भी मिले तो मेरे जिस्म और चूत की चूलें हिला के रख दे … क्योंकि अब मुझे मेरे पति से भी तगड़ा मर्द चाहिये था।
इसी कारण इस बार मैंने बदमाश और हैवी लड़के को चुना था।
पेपर आये तो मैंने यूनिवर्सिटी में एक सहेली बना ली, प्रीति नाम था उसका … और अपने पति से कहा- रात को मैं उसके साथ ही रहा करूँगी।
मेरा पति कमीना था इसलिए वो हर पेपर से एक दिन पहले मुझे उस लड़की के यहाँ छोड़ देता था और अगले दिन घर ले जाता था। तो मेरे पास एक रात ही बचती थी। इसलिए ढिल्लों को मैंने यह बात बता दी कि तेरे पास एक ही रात है फिलहाल।
“कोई बात नहीं!” कहकर वो मान गया और जनवरी की एक रात मुक्करर हो गयी।
ढिल्लों मुझसे बोलता था कि पटाका बन के आना जब भी आना। लेकिन मैं ज़्यादा सज संवर कर नहीं आई क्योंकि मेरे पति को शक हो सकता था।
पैसे की कोई कमी नहीं थी मेरे पास … गई तो वहाँ बिना सजे संवरे ही … लेकिन जाते ही मार्किट से एक बेहद तंग, लाल कुर्ती पजामी खरीद ली जिसे पहनने और फिर उतारने में भी मुझे 20 मिनटो की मशक्कत करनी पड़ी। पहली बार थी ढिल्लों के साथ इसलिए मैंने ये किया ताकि वो मुझसे नाराज़ न हो।
मार्किट से मैंने तेज़ लाल रंग की लिपस्टिक भी ले ली और बेहद छोटी हरे रंग की ब्रा और पैंटी भी। हरा रंग इसलिए के अब मैं चूत को एक बार फिर ग्रीन सिग्नल दे चुकी थी।
12 बजे मेरा अफीमची पति मुझे होस्टल छोड़ गया और दो बजे तक मैं मार्किट से फारिग होकर प्रीति के रूम में आ गयी थी। आते आते मैने एक बेहतरीन रेजर और वीट ले ली क्योंकि ढिल्लों को सारा जिस्म वैक्सिंग वाला और चूत बिल्कुल क्लीन शेवड चाहिए थी। वैक्सिंग तो मैंने दो दिन पहले ही करा ली थी। वैसे तो मेरे पति को भी रोज़ शेवड ही मिलती है पर ढिल्लों के लिए में मक्खन चूत बनाना चाहती थी। इसलिए मैं आते ही बाथरूम घुस गई और तीन बार अपनी चूत और गांड को क्रीम लगा के शेव किया और चौथी पांचवी बार वीट लगा कर चूत ऐसी बना ली कि कोई मक्खी भी बैठ जाये तो फिसल जाए।
45 मिनट के बाद बाहर आई और ढिल्लों को फोन लगा कर बताया कि अब रास्ता हर तरफ से साफ है।
मैं पहले ढिल्लों को बता चुकी थी कि मेरा पति अफीम खा कर चढ़ता है, तेरी तरफ से मुझे दुगना समय चाहिए तो उसने मुझसे कहा कि वो भी पक्का अफीमची है।
फोन पर उसने मुझे बताया कि उसे किसी काम के कारण 1 घंटा लगेगा।
खैर मैंने फोन काटा और तैयार होने लगी … मतलब पटाका बनने लगी। हरी ब्रा और पैंटी पहन ली, तेज़ लाल बेहद तंग कुर्ती पजामी पहन के तेज़ लाल लिपस्टिक भर भर के लगा ली। सारे गहने उतार के बैग में डाल लिए क्योंकि उसे मेरे जिस्म पर कुछ नहीं चाहिए था। बाल स्ट्रेट करके खुले छोड़ दिये।
अपनी सहेली को मैंने सब बताकर और कुछ पैसे देकर उसकी किसी सहेली के पास भेज दिए थे।
एक घंटा बीत गया तो फोन किया मगर उसने कहा कि एक घंटा और लगेगा। क्या करती, रूम में देखा तो नेल पॉलिश, मेहंदी और मेहंदी डिज़ाइनर और इन सब चीजों को रिमूव करने वाली चीजें भी पड़ी थी।
मन में आया कि रिमूव तो हो ही जाएंगी तो फिर ढिल्लों को तो हिला दूं।
सोचते ही कपड़ों से कबड्डी खेल और फिर हल्फ नंगी होकर मेहंदी लगाने लगी। आप सोच रहे होगे कि मेहंदी लगाने के लिए हल्फ नंगी होने की क्या ज़रूरत है। वो इसलिए दोस्तो … कि मैंने अपने पैरों से लेकर ऊपर पूरी जांघों तक मेहंदी लगानी थी।
डिज़ाइन बनाने की तो ज़रूरत नहीं थी क्योंकि ठप्पे लगाने वाला मेहंदी डिज़ाइनर पड़ा था। तो लगाने लगी ठप्पे और पैरों से लेकर चूत के पास तक डिज़ाइन बना लिए और फिर अपने नेल्स पर वही तेज़ लाल रंग की नेलपॉलिश भी लगा ली।
तो अब तो मैं तूफान बन चुकी थी।
अब फिर उसे फोन लगाया तो उसने लोकेशन भेजने के लिए कहा। मैंने तुरन्त लोकेशन भेज दी और अगले ही कुछ मिनटों में वो मेरे दरवाजे पर था।
दरवाज़ा खोला और उसे देखा, वो लंबा नहीं जनाब बहुत बहुत लंबा था। बड़ी बड़ी लाल आंखें और होंठ। वज़नदार और मजबूत। हाथों पैरों का खुला। लेकिन रंग उसका सांवला काला था। इतना मजबूत मर्द देख कर मुँह खुला का खुला ही रह गया। मर्द नहीं सांड था। हाँ फेसबुक पर मैंने उसकी तस्वीरें देखी थीं, पर उनमें वो मुझे इतना वज़नी नहीं लगा था, शायद वो उसकी पुरानी तस्वीरें थीं।
हाल तो उसका भी मुझे देख कर बिगड़ गया था, लेकिन उसने मेरे जैसी कइयों को चोदा था। दरवाज़ा खोला और उसे देख कर में चाहते हुए भी कुछ ना बोल पायी और ना ही जो उसने कहा मैं सुन ना पायी।
पहली बात जो उसकी सुनी वो यह थी कि ‘चल पीछे जाकर चल के मेरे पास आ … देखूँ तो सही क्या चीज़ है तू!’
हक्की बक्की मैं पीछे मुड़ी और और फिर कमरे के उस कोने से चल के उसके पास आई। आते वक्त उसने मेरी कई तस्वीरें खीँच लीं। मैं उसे बांहों में लेना चाहती थी लेकिन ये क्या … उसने मुझे एक बच्चे की तरह अपने कंधों पर उठाया और आराम से चलते चलते बेड पे पटक दिया।
मेरा भार 72 किलो है जनाब और उसने मुझे ऐसे उठाया जैसे मैं 30 किलो की हूँ।
उठा कर चलते हुए उसने कहा- तेरी सर्विसिंग तो ज़बरदस्त तरीके से करनी पड़ेगी, बहुत चूपा गया आम है तू, पर तेरा रस कम नहीं हुआ बल्कि बढ़ता गया है। तेरे जैसी औरतें बहुत कम मिलती हैं। तुझे सेक्स का नशा नहीं है, भूख है। वो तो तेरा पति ही इतना मजबूत है कि 2 साल उसने किसी की ज़रूरत नहीं पड़ने दी। वर्ना तू एक लंड पर टिकने वाली जिंस नहीं है।
उसकी 101% सच्ची बातें सुन कर मेरे होश उड़ गए और मुंह अभी भी खुला का खुला था।
यह कह के वो मेरे ऊपर आ गया और उसने अपना लंबा बड़ा हाथ पजामी और पैंटी के अंदर ले जाने की कोशिश की, लेकिन पजामी इतनी तंग थी कि बहुत ज़ोर लगाने के बाद भी हाथ नहीं घुसा और नाड़े के कारण मुझे दर्द होने लगा।
ढिल्लों ने कहा- ओहो, इतनी टाइट पजामी, तूने तो दिल जीत लिया, लेकिन अब साली उतारनी भी तो है।
यह कहकर उसने मेरा नाड़ा खोलने की कोशिश की लेकिन उसकी गाँठ पिचक गयी थी; 1-2 मिनट की कसरत करने के बाद भी जब नाड़ा न खुला तो उसने दोनों हाथों से ऊपर से नाड़ा पकड़ के दांत भींच के ज़ोर लगाया और नाड़ा टक करके टूट गया।
मैं जब भी थोड़ा होश में आती तो उसकी ताकत कुछ ऐसा कर देती कि मेरे होश फिर उड़ जाते। अभी तक मैं एक लफ्ज़ भी नहीं बोल पायी थी और हैरानी के खंडहर में अकेली घूम रही थी। जनाब वो नाड़ा इतना मोटा और मजबूत था कि बुलेट मोटरसाइकिल को भी उससे खींच जा सकता था।
पजामियों के नाड़े ऐसे टूटने लगें तो बाजार में रोज़ आधी औरतें नंगी हो जाया करें। लेकिन वो था क्या, थोड़े से दांत भींचे और तड़ाक।
मैं हैरान-परेशान ये सब देख रही थी कि वो अपना लंबा मोटा हाथ नीचे ले गया और चूत और गांड पर पूरा हाथ फेरा। बिल्कुल मक्खन जैसी चूत और गांड देख कर उसने कहा- ओह, वाह … मज़ा आ गया छम्मक-छल्लो! मुझे तुझसे यही उम्मीद थी, ऐसा लगता है जैसे तेरे बाल आते ही ना हों।
यह कहकर उसने अपने मोटे होंठ, मेरे लबों पे रख दिये और चूसने लगा।
किस तो मुझे पहले भी आशिक़ों ने किए थे लेकिन यह कुछ और था … ज़बरदस्त। मेरी मुँह में मुंह डाल कर वो किस नहीं कर रहा था बल्कि मुझे घूंटें भर के पी रहा था। नीचे से उसने अपनी एक उंगली जब मेरी भीगी चूत में डाली तो मैं हिल गयी। उसकी उंगली की मोटाई का सही अंदाज़ा मुझे अब लगा था। अभी तक उसने अपनी बीच वाली लंबी उंगली का तीसरा भाग ही अंदर डाला था।
मुझे एकदम बहुत तेज़ दर्द हुआ लेकिन अगले ही पल मैं कबूतर की तरह फड़फड़ाने लगी और उससे चिपट गयी। यह देखकर उसने अपनी उंगली का अगला हिस्सा चूत में घुसा दिया। होंठ अभी होंठों में थे और वो उसी तरह मुझे पी रहा था।
इन 5-7 मिनटों में ही काम के समुन्दर की जिन गहराइयों में वो मुझे ले गया था, मैं वहाँ तक पहले कभी नहीं गयी थी। बहुत लड़कों ने हाथों से मेरी चूत मसली थी और दो-दो उंगलियां भी घुसाई थी, पर ऐसी उंगली कभी मेरी चूत में नहीं गयी थी।
मैंने बड़ी मुश्किल से आंखें खोल कर ध्यान से उसके हाथों को देखा, उसकी हरेक उंगली मेरे पति के लौड़े जितनी मोटी थी। जब उसने उंगली का बाकी तीसरा हिस्सा भी अंदर सरका दिया तो उसके रूखेपन ने मेरी जान ही निकल दी। मज़ा एक बार फिर तेज़ दर्द की एक लहर में बदल गया।
फिर अचानक उसने सारी उंगली, जो मेरे रस से तर-बतर थी, बाहर निकाल ली और गांड के द्वार को अच्छी तरह मेरे ही रस से गीला कर दिया।
मैं बड़ी मुश्किल से अपना मुंह उसके मुंह से हटा के यह कहने ही लगी थी कि ‘यहां नहीं …’ उसने अपनी आधी उंगली मेरी गांड में डाल दी।
कहानी जारी रहेगी.
दोस्तो, आपको मेरी चूत की हवस की स्टोरी कैसी लगी? मेरी इमेल आईडी पर मेल करके बताएं!
आपकी रूपिंदर कौर
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