यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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अंकित की शरारतों से उसका सारा शरीर वासना की आग में जलने लगा. उसकी छूट से दहकता हुआ लावा निकल रहा था. वो बस अंकित को अपने अन्दर महसूस करना चाहती थी. वो अब और इंतज़ार नहीं कर सकती थी.
उसने अपने आपको अलग किया और अंकित ने उसको ऐसे देखा जैसे उसकी दावत छिन गयी हो. उसने उसकी पैंट को पकड़ कर और उसकी बेल्ट को खोलना शुरू कर दिया. उसने जैसे बेल्ट को तोड़ते हुए पैंट के बटन और ज़िप को खोला और उसके लंड को निकल कर भूखी नज़रों से उसको देखने लगी.
हालाँकि अंकित को किसी निर्देश की जरूरत नहीं थी लेकिन उसने फिर भी कहा- इसको निकालो! और बर्दाश्त नहीं होता अब. बाकी चीजें हम बाद में करेंगे. उसके लिए हमारे पास बहुत वक़्त है. लेकिन सबसे पहले मैं तुम्हें अन्दर महसूस करना चाहती हूँ.
ये सब कहते हुए उसने उसकी पैंट और अंडरवियर को एक ही झटके में निकाल दिया.
अंकित की मांसल टांगें और जांघें शबनम की आँखों के सामने थी. शबनम की आँखें उसकी टांगों के बीच के अंग से अलग ही नहीं हट रही थी. अंकित ने अपने कपड़े नीचे फर्श पर फ़ेंक दिए. शबनम के दिमाग में ये भी चल रहा था की अगर कोई आ गया तो क्या होगा. इसलिए वो सब कुछ जल्द से जल्द जल्द करना चाहती थी.
वह उसके सामने नंगा खड़ा था. शबनम ने उसकी तरफ प्यासी निगाहों से देखा. उसकी सारी कल्पनायें सच हो रही थी. अंकित का लंड शबनम के चेहरे से कुछ इंच की दूसरी पर ही गर्व से खड़ा था.
उसने अपना हाथ उसके लंड पर रख दिया और उसकी उभरी हुई नसों को अपनी उँगलियों के पोरों से महसूस करने लगी. उसको जी भरकर देखने के बाद उसने उसको धीरे से चूमा और फिर लंड के अगले हिस्से को अपनी जबान निकल कर चाट लिया.
इसके स्वाद को महसूस करने के बाद उसके दिमाग में यही ख्याल आ रहे थे कि ये उसके मुंह और चूत में कैसा लगेगा. शबनम ने अंकित की तरफ मुस्कराते हुए देख कर यही सोचा. उसने अपना हाथ उसके पूरे लंड पर फिराते हुए धीरे से अपने मुंह के अन्दर ले लिया.
उसको हल्के से चाटने के बाद उसने बाहर निकाला और उसकी तरफ देख कर कहा- अंकित! अब और इंतज़ार नहीं होता बेटा.
उसको यह चिंता हो रही थी कि अगर कोई आ गया तो क्या होगा. उसके दिमाग में एक चीज़ के सिवाए और कुछ भी नहीं था.
शबनम ने अंकित के हाथों को अपने हाथ में लेकर अपनी टांगों के बीच में रख दिया. उसने अपना सर उठा कर शबनम की तरफ देखा.
वो धीरे से फुसफुसाई- खोलो इसको.
उन दोनों के हाथ सलवार के नाड़े तक गए और आखिरी गांठों को खोल दिया. उसने अपनी टांगों से ही सलवार को दूर फ़ेंक दिया. अब वो केवल अपनी पूरी तरह से भीगी हुई अंडरवियर में थी. बिना एक भी सेकंड गंवाए उसकी उँगलियाँ इलास्टिक को नीचे खिसका रही थी.
पूरी तरह से पैंटी को निकालने से पहले अंकित अपने चेहरे को नीचे ले गया और एक लम्बी सांस ली. वो इस खुशबू से पागल हो गया. ये कुछ ऐसा था जो उसने पूरी ज़िन्दगी में पहले कभी नहीं महसूस नहीं किया था.
उसने अपनी जीभ से एक बार में उसकी पूरी चूत को चाटा और ना चाहते हुए भी शबनम के मुंह से एक लम्बी आह निकल गयी- आह!
शबनम के मुंह से एक चीख सी निकली.
अंकित ने शबनम की पैंटी को बिना कोई वक़्त गँवाए निकाल दिया और उसकी टांगों के बीच बसे उस गीले गर्म स्वर्ग को देखने लगा जिसमें वो कुछ ही देर में डुबकी लगाने वाला था.
शबनम ने अंकित के भेड़िये जैसी भूखी शक्ल को देखा. वो पूरी तरह से अंकित के प्यार में थी. वो अब अगर चाहती भी तब भी खुद को रोक नहीं सकती थी. ना ही अब और ना कभी और.
वो बेड पर थोड़ा पीछे खिसकी और अपनी उँगलियों से अपनी चूत के होंठों को खोलते हुए अंकित से कहा- आओ बेटा! डाल दो अब इसको अन्दर! और इंतज़ार नहीं होता! अपने बेस्ट फ्रेंड की माँ की चुदाई करना चाहते थे ना. आओ करो. ये सोच कर करो जैसे ये तुम्हारी ही माँ हों. डालो अन्दर इससे पहले की और देर हो जाए.
अचानक वह उलझन में पड़ गया कि क्या करना है और क्या नहीं. उसे नहीं पता था कि उससे क्या उम्मीद की जा रही थी. उसकी झिझक को भांपते हुए उन्होंने कहा- घबराओ मत … बस मेरे पास आओ. बाकी सब मैं सिखा दूंगी.
वह जानती थी कि उसे बहुत कुछ सिखाना है लेकिन अभी उसको उस लंड की उसके अन्दर जरूरत थी, वो और ज्यादा इंतजार नहीं कर सकती थी।
अंकित से जैसा कहा गया उसने वैसा ही किया। अंकित ने अपने शरीर को नीचे सरका लिया। शबनम ने उसे अपने पैरों के बीच खींच लिया जहाँ उसकी फूली और गीली चूत उसका बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी।
शबनम ने अंकित के दोनों होंठों को अपने मुँह में लिया और चूसते हुए उसके लंड को अपने हाथ में लिया और उसे ऊपर- नीचे अपनी चूत पर रगड़ने लगी. हर बार जब लंड उसकी चूत के दाने पर रगड़ रही थी उसकी सांस जैसे रुक सी जा रही थी. शबनम का सारा शरीर जैसे ऐंठ रहा था. पूरे शरीर में एक बिजली सी दौड़ती हुई महसूस हो रही थी शबनम को.
अंकित के लंड ने उसके पूरे शरीर में आग लगा रखी थी. अंकित के लंड के आगे का हिस्सा शबनम की चूत के इतना ज्यादा नज़दीक था कि वो अब उसकी उँगलियों की पकड़ में नहीं आ रहा था. इंतज़ार हद से ज्यादा बढ़ रहा था. शबनम ने और वक़्त ना लगाते हुए अंकित के लंड के सुपारे को अपनी चूत पर रखा और बोला- अब अन्दर धक्का दो बेटा!
शबनम ने अपनी उँगलियों से ही लंड को थोड़ा सा अन्दर धक्का दिया और जवाब में अंकित ने एक तेज़ झटका दिया और उसका पूरा लंड शबनम की गीली चूत के अन्दर समा गया जैसे एक गर्म चाकू मक्खन को काट रहा हो. उत्तेजना में शबनम इतनी ज्यादा गीली थी की अंकित का लंड बिना किसी परेशानी के पूरा का पूरा अन्दर उतर गया.
अंकित ने नीचे झाँक कर देखा तो तो उसका पूरा का पूरा लंड शबनम की चूत के अन्दर था और चूत के मुहाने पर केवल उसकी गेंदें दिख रही थी. उसका लंड लोहे जैसा कड़ा और मजबूत था. शबनम को महसूस हो रहा था जैसे कि उसकी चूत ने और ज्यादा फ़ैल कर इस लंड को अन्दर लिया था.
उसको याद नहीं था कि कब उसकी चूत ने इस तरह से महसूस किया था. दर्द और आनन्द से उसके मुंह से एक लम्बी आह निकल गयी- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
एक लम्बी चीख शबनम के मुंह से निकली. आज तक उसने ऐसा कभी महसूस नहीं किया था.
“आप ठीक हैं आंटी?” अंकित की आवाज़ में शबनम के लिए चिंता थी.
शबनम को लगा कि अंकित सच में उससे प्यार करता है और उसकी परवाह करता है. वो केवल उसके शरीर के लिए उसके साथ नहीं है. उसे अपने ऊपर थोड़ा ग्लानि भी हुई. उसका दिल प्यार से भर गया. लेकिन उसने खुद को सँभालते हुए अंकित के होंठों पर एक गहरा चुम्बन देते हुए कहा- मैं बिलकुल ठीक हूँ बेटा.
उसने मुस्कराते हुए जवाब दिया.
शबनम की सांसें काबू से बाहर थी- अब इसको बाहर निकालो और फिर अन्दर डालो. ऐसे ही धक्के मारो बेटा.
शबनम ने अंकित को समझाते हुए कहा.
अंकित ने अपना लंड पीछे खींचा और फिर एक ही धक्के में फिर से अन्दर डाल दिया. एक बार फिर शबनम के मुंह से चीख निकल गयी- आह बेटा. कितना बड़ा है तुम्हारा. बहुत अच्छा लग रहा है.
जवान लड़के ने पहले धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किये लेकिन कुछ ही वक़्त में उसने रफ़्तार पकड़ ली. शबनम के हाथ अंकित के पीछे थे और वो लगातार उसी से अंकित को काबू में रखने की असफल कोशिश कर रही थी.
वो बहुत तेज़ी से अपने लंड को अन्दर बाहर कर रहा था. शबनम को लगा कि अगर वो इतनी तेज़ी से करता रहा तो थोड़ी ही देर में काम तमाम हो जायेगा. शबनम ने अंकित के पिछवाड़े हाथ रखा और उसको अपने शरीर की तरफ खींचा. उसके होंठों पर एक गहरा चुम्बन देकर थोड़ा शांत किया.
इस तरह से धीमे धीमे करने पर वो दोनों ज्यादा देर एक दूसरे का आनंद ले पाएंगे. अंकित के दिमाग में इस समय केवल शबनम को खुश करने का ख्याल था.
अंकित कुछ ही देर में जीरो से सौ की स्पीड पर पहुँच गया था. हर बार जब अंकित धक्का मारता था जवाब में शबनम नीचे से अपने कूल्हों को उछाल कर उसका साथ दे रही थी. उन दोनों के पेट आपस में हर बार लड़ रहे थे और अंकित के गोले शबनम की जांघों पर चोट कर रहे थे.
“ओह हाँ बेटा. ऐसे ही करते रहो. कितना बड़ा है तुम्हारा.” शबनम के स्तन हर धक्के के साथ उछल रहे थे. हर धक्के के साथ वो जोर से कराह रही थी.
शबनम ने अपनी टांगों को और फैला लिया और अंकित की पीठ पर उसको रख दिया. शबनम ने अंकित को पकड़ कर और ज्यादा अपने अन्दर खींच लिया. अंकित का लंड अन्दर बाहर आ जा रहा था और उसकी निगाहें शबनम के उछलते हुए स्तनों पर थी.
अंकित के कूल्हे पूरी ताक़त के साथ आगे पीछे हो रहे थे. वो शबनम के अन्दर की पूरी गहराई नाप रहा था और शबनम उसको वहां तक पहुँचने दे रही थी जहाँ तक आज तक कोई भी नहीं पहुंचा था.
वो दोनों एक दूसरे को गहन वासना के साथ चोद रहे थे. कुछ ही धक्कों के बाद शबनम का पानी निकलने वाला था- ओह हां!
जोर से कराहते हुए शबनम ने अपने कूल्हों को आगे की तरफ धकेला और अंकित के कूल्हों को पकड़ कर वहीं का वहीं रोक दिया.
“आंटी मुझे अहसास नहीं था कि ये ऐसा होगा. मैंने जितना सोचा था, आपकी चूत उससे भी कहीं ज्यादा गर्म है.” अंकित को अहसास भी नहीं था कि उसने अभी अभी शबनम को क्या सुख दिया है. उन दोनों के बीच जितनी भी जगह बची थी, अंकित उसी में धक्के लगाये जा रहा था.
“आह बेटा! कितना मजा आ रहा है.” शबनम ने अंकित को थोड़ा सा आज़ाद करते हुए बोला. वो नहीं चाहती थी कि अंकित रुके. वो चाहती थी कि अंकित इसी तरह करता रहे. शबनम की भावनाएं अपने चरम स्तर पर थी. शबनम ने जितनी कल्पना करी थी, अंकित उससे कहीं बढ़ कर था. शबनम को बिलकुल भी आश्चर्य नहीं हुआ कि उसका पानी पहले निकल गया. हालाँकि इससे पहले वो कभी भी इतनी जल्दी नहीं झड़ी थी.
“आह अंकित! मुझे याद भी नहीं की आखिरी बार मुझे कब ऐसा महसूस हुआ था.” अंकित के धक्कों के बीच किसी तरह वो ये कह पायी.
उसके मासूम चेहरे की तरफ देखते हुए शबनम ने कहा- इतना बड़ा है तुम्हारा. मुझे विश्वास भी नहीं हो रहा कि तुम मेरे कितना अन्दर तक जा रहे हो.
“ये सब आपका है आंटी.” अंकित ने शबनम के कान में फुसफुसाते हुए उसके कान को अपने मुंह में रख कर चूस लिया.
शबनम को लगा कि वो अपने आप को ज्यादा देर रोक नहीं पायेगी. अगर इसी तरह होता रहा तो ज्यादा देर नहीं जब उसकी चूत एक बार और पानी छोड़ देगी.
अंकित ने अपने लंड को शबनम की चूत के अन्दर हिलाते हुए धक्के मारने चालू रखे. शबनम ने अपनी चूत को अंकित के लंड के इर्द-गिर्द थोड़ा अलग तरीके से हिलाते हुए कुछ ऐसा किया कि अंकित को लगा कि जैसे उसके लंड को चूसा जा रहा है.
“और ये तुम्हारे लिए है बेटा!” शबनम ने अपना अनुभव दिखाते हुए अंकित को हैरत में डाल दिया था.
“आज तक किसी ने मुझे ऐसा नहीं महसूस कराया बेटा!” शबनम ने अंकित की आँखों में देखते हुए उसको एक गहरा चुम्बन देते हुए कहा. शबनम को खुद पर हैरत हो रही थी कि वो अपने बेटे की उम्र के लड़के के साथ कैसा व्यवहार कर रही थी.
हो सकता है कि ये अंकित है जिसकी वजह से वो उसके साथ इस तरह से पेश आ रही है.
“हाँ बेटा! और जोर से धक्के मारो. ऐसे ही करते रहो.” वो अब जैसे चिल्ला रही थी.
“कैसा लग रहा है आंटी आपको?” अंकित ने शबनम के कान में फुसफुसाते हुए कहा और शबनम की गर्दन पर गर्म गर्म सांसें छोड़ते हुए चूमने लगा.
“उम्म!! मुझे ऐसा लग रहा है जैसे ज़िन्दगी में पहली बार किसी असली मर्द के साथ हूँ मैं बेटा.” शबनम ने किसी तरह फुसफुसाते हुए कहा. शबनम के कूल्हे लगातार अंकित के धक्कों का साथ दे रहे थे.
शबनम ने अंकित के बाल पकड़ कर उसको अपने स्तनों की तरफ धकेल दिया. अंकित ने अपने होंठ खोल कर निप्पल को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगा. अंकित ने जैसे ही शबनम के निप्पल को काटा, उसको लगा जैसे उसके शरीर में एक सनसनी सी दौड़ गयी हो.
शबनम पूरी तरह से अंकित के कब्जे में थी. वो अंकित के धक्कों के जवाब में लगातार अपने कूल्हों को उछाल उछाल कर किसी तरह उसका साथ दे रही थी. वो लगातार आवाजें निकाल रही थी और अंकित उसके होंठों को चूस कर किसी तरह रोकने की कोशिश कर रहा था.
उनके धक्कों से पूरा बेड हिल रहा था. अंकित किसी जानवर की तरह शबनम को चोदे जा रहा था और शबनम को उससे कोई भी शिकायत नहीं थी. शबनम को लग रहा था जैसे वो फिर से जवान हो गयी हो.
शबनम ने अंकित के कूल्हों पर अपनी उँगलियाँ चुभा दी और अपनी टांगों से अंकित को और पास खींच लिया. वो चाहती थी कि वो पिघल कर उसके अन्दर समा जाए. वो अंकित का हिस्सा बन जाना चाहती थी या उसको अपना हिस्सा बना लेना चाहती थी.
अंकित उसको कुछ ऐसा दे रहा था जो आज तक उसको किसी ने नहीं दिया था.
शबनम के चूत से लगातार पानी निकल रहा था और जिससे अंकित का लंड और आसानी से अन्दर बाहर हो रहा था. अंकित के हर धक्के शबनम को और जोर से चीखने के लिए मजबूर कर रहे थे- ओह अंकित!! आह बेटा!! ऐसे ही. रुकना मत बेटा. अपनी आंटी को सब कुछ दे दो.
और फिर वो चीखने लगी- चोदो बेटा! और जोर से चोदो! सोचो जैसे तुम्हारी खुद की अम्मी यहाँ लेटी हुई है. सोचो की जैसे तुम सुमन(अंकित की माँ) की टांगों के बीच हो. सोचो कि तुम सुमन की गीली गर्म चूत में अपना लंड अन्दर बाहर कर रहे हो. और जोर से चोदो बेटा अपनी माँ को. मादरचोद!! और जोर से चोद अपनी माँ को.
अंकित शबनम के शब्दों और व्यवहार पर हैरान था. हालाँकि वह उसको गालियां दे रही थी और उसकी माँ के बारे में बोल रही थी जिसके बारे में उसने कभी सोचा भी नहीं था. लेकिन शबनम की बातें उसको और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी और जैसे उसका लंड शबनम की बातों से चूत के अन्दर ही बढ़ रहा था.
शबनम के शब्दों ने अंकित की उत्तेजना को कई गुना बढ़ा दिया था. उसने शबनम के कूल्हों को जोर से पकड़ा और और उसकी चूत पर लंड को रगड़ते हुए और जोर से धक्के मारने शुरू कर दिए.
शबनम ने ध्यान दिया कि उसके शब्दों ने अंकित पर जादू कर दिया है, उसके दिमाग में अब शरारत सूझ रही थी, उसने मुस्कुराते हुए कहा- आह! तो तुम अपनी माँ के साथ भी ये करना चाहते हो. मैंने सुमन का नाम लिया तो तुम्हारा लंड और ज्यादा कड़ा हो गया ना. तुम केवल मुझसे संतुष्ट नहीं होगे ना मेरी जान.
यह कहकर शबनम ने अंकित के सर को पकड़ और उसके होंठों को लगभग चबाते हुए चूसने लगी.
ये सारी बातें अंकित को और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी- आंटी, मेरे अन्दर कुछ हो रहा है. मुझे लग रहा है मैं खुद को और नहीं रोक पाऊँगा. क्या करूँ मैं?
“आह अंकित! रुकना मत बेटा. ऐसे ही करते रहो. अपनी आंटी की प्यासी चूत में सारा रस डाल दो. आंटी की चूत बहुत प्यासी है बेटा.” वह कामुक आवाज़ में बोलते हुए अपने कूल्हों से और जोर से धक्के मारने लगी.
वह कोशिश कर रही थी कि उसकी चूत का दाना अंकित के लंड के ऊपर के हिस्से से रगड़ता रहे. ये सब कुछ उसे किसी और ही दुनिया में भेज रहा था. अंकित अपने लंड को और ज्यादा से ज्यादा अन्दर डालने की कोशिश कर रहा था. वो लगातार अपने कूल्हों की सारी ताक़त लगाकर अन्दर धक्के मार रहा था.
शबनम को लगा कि जैसे अंकित के साथ आज इतनी बार उसका पानी निकला है जितना पिछले 20 सालों में उसके शौहर के साथ नहीं निकला.
अंकित ने शबनम के कूल्हों को पकड़ा और एक जोर का धक्का दिया- आह आंटी!
उसके मुँह से एक अजीब सी आवाज़ आई और इसके साथ ही उसने अपने वीर्य की धार शबनम की चूत के अन्दर छोड़नी शुरू कर दी.
जब शबनम को महसूस हुआ कि अंकित का वीर्य उसकी चूत के अन्दर गिर रहा है तो उसने अपनी तरफ से और धक्का देकर लंड को अपने ले लिया. अंकित कराहने की आवाज़ के साथ धीरे से शबनम के स्तनों की तरफ बढ़ गया और उसके निप्पल को चूसने लगा.
शबनम पहले से ही मुहाने पर थी और इस हरकत ने सारे बाँध तोड़ दिए. शबनम की चूत ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया और इसी के साथ उसने अंकित के लंड से उसके वीर्य को निचोड़ना शुरू कर दिया. वो चाहती थी कि वो अंकित को इसी जगह कैद कर ले और ये वक़्त यहीं पर थम जाए.
जब अंकित का सारा वीर्य निकल गया तो वो थक कर शबनम के स्तनों पर हांफता हुआ गिर गया. उसका लंड अभी भी शबनम की चूत के अन्दर था.
शबनम ने अंकित को गले लगा लिया और अपने हाथ से उसकी पीठ को सहलाने लगी. शबनम ने प्यार से अंकित की आँखों में गहराई से देखा और प्यार के साथ उसके दोनों गालों को चूमने लगी.
अंकित को ऐसा लग रहा था जैसे उसके अन्दर कोई ताक़त ही नहीं बची है.
शबनम ने खुद को धीरे से अलग करते हुए अंकित को हल्का सा धक्का देते हुए अपने बगल में गिरा दिया. उसके बाद उसने अंकित के चेहरे को पकड़ कर एक लम्बा गहरा चुम्बन उसके होंठों पर दे दिया.
वो दोनों एक दूसरे की तरफ मुँह कर के लेटे हुए थे. शबनम ने अपनी एक टांग उठा कर अंकित के ऊपर रख दी और उसके और पास खिसक कर अपनी चूत को हल्के हल्के रगड़ने लगी. इसके साथ ही वो अंकित को लगातार चूमे जा रही थी.
कुछ देर बाद जब उनकी सांसें काबू में आयी तो उसने कहा- ओह बेटा! क्या हो तुम … आज तक मैंने ऐसा महसूस नहीं किया किसी के साथ. आई लव यू सो मच. काश हम बहुत पहले ये कर लेते.
“तो क्या आप बहुत दिनों से ये चाहती थी?”
अंकित के सवाल पर शबनम थोड़ा शर्मा गयी और हल्की हंसी के साथ बोला- जिस दिन से मैंने तुम्हें बाथरूम में मास्टरबेट करते देखा था जब तुम आतिफ का इंतज़ार कर रहे थे.
“सच में?” अंकित ने आश्चर्य के साथ शबनम की तरफ देखा.
“हाँ … उस दिन के बाद से मैं तुम्हारे बारे में सोचना बंद ही नहीं कर पायी. लेकिन तुमने ही इतने दिन लगा दिए.”
“तो आपने खुद ही मुझसे क्यूँ नहीं पूछा या कोई कदम नहीं उठाये?” अंकित ने हँसते हुए पूछा.
“मुझमे शायद इतनी हिम्मत नहीं था. और मुझे लगा कि अगर तुम मना कर दोगे तो तुम्हारे मन में मेरे लिए जो इज्ज़त है वो भी ख़त्म हो जाएगी.”
“काश आपने कर लिया होता.”
“हाँ! तो ये वक़्त बर्बाद ना होता.” शबनम ने एक कामुक मुस्कान के साथ अंकित की तरफ देखते हुए कहा.
“हाँ वो तो है.” अंकित ने एक अंगड़ाई के साथ कहा और शबनम को अपनी तरफ खींचते हुए उसके होंठों को देर तक चूमता रहा.
“हायल्लाह! ये तो फिर से खड़ा हो गया.” शबनम ने हँसते हुए अंकित के लंड पर हाथ फेरते हुए बोला.
अंकित पूरी तरह से शर्म के मारे लाल हो गया- क्या करूँ आंटी. आप हैं ही इतनी खूबसूरत. मुझसे रुका ही नहीं गया.
“सच में?” शबनम ख़ुशी और शर्म के मिले-जुले स्वर में बोली.
अंकित के चुम्बनों का जवाब देते हुए वो बोली- लेकिन अब मेरे अन्दर हिम्मत नहीं बची बेटा. तुमने मुझे पूरी तरह से सुजा दिया है नीचे. मैं चाहूँ तब भी नहीं कर पाऊँगी.
“लेकिन अपने प्यारे बेटे को निराश तो नहीं कर सकती ना मैं!”
“तब फिर हम किस चीज़ का इंतज़ार कर रहे हैं आंटी.”
अपने सुझाव, शिकायतें, समस्याएं आप मुझे लिख कर भेज सकते हैं. इंतज़ार रहेगा.
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