मेरा नाम विकास है, ये नाम बदला हुआ है. मैं बंगलोर का रहने वाला हूँ.
मैं आज आपको अपने किरायेदार की उन्नीस साल की बेटी रेखा के साथ हुई अपनी चुदाई की कहानी सुना रहा हूँ.
रेखा उन्नीस साल की उम्र में एकदम पक गई थी. उसकी कमनीय काया का माप 30-28-32 का था.
मैंने रेखा की चूत की सील कैसे तोड़ी, आप इस सत्य यंग गर्ल Xxx स्टोरी का आनन्द लें.
रेखा के माँ बाप मेरे घर में किरायेदार थे लम्बे समय से! रेखा उन दोनों की इकलौती संतान थी.
मैं भी अपने घर में अकेला ही था. असल में मैंने शादी नहीं की थी और मेरे पास खूब संपत्ति थी पुश्तैनी.
तो मैं किराए और ब्याज की आमदनी पर मौज कर रहा था.
एक एक बढ़ के एक काल गर्ल और पैसे उधार लेने आयी भाभियाँ लड़कियां मेरे लंड के नीचे आती रहती थी. चूत की कोई कमी नहीं थी मुझे!
मैंने अपना एक ऑफिस भी बनाया हुआ था. दिन का समय मैं वहीँ पर बिताता था.
आज से चार साल पहले रेखा की मां का एक्सीडेंट में देहांत हो गया था. उसके बाद उसके पिता भूषण ने ही उसे बड़े लाड़ प्यार से रेखा को पाला.
रेखा की माँ के जाने के बाद मैं, भूषण और रेखा एक परिवार की तरह रहने लगे थे.
हमने एक कामवाली रखी हुई थी, जो समय पर आकर सारे काम कर जाती थी.
अभी पिछले महीने में ही रेखा का जन्मदिन था. अब वो पूर्ण जवान हो गई थी. रेखा दिखने में बहुत सुंदर है. उसके मदमस्त हुस्न को देख कर तो कोई बुड्डा भी जवान हो जाए.
ये बात तब की है जब रेखा के पिता एक महीने की ट्रेनिंग पर गए हुए थे.
मैं और रेखा अकेले घर में रह रहे थे.
मैं हमेशा की तरह ऑफिस से घर लौटा था. उस दिन मुझे काफी देर हो चुकी थी.
रेखा खाना खाकर सो चुकी थी.
मैं फ्रेश होने के लिए बाथरूम की तरफ जाने लगा.
मैंने देखा कि रेखा अपने बेडरूम का दरवाजा लगाना भूल गयी थी.
मैं कमरे की ओर बढ़ने लगा तो मैंने देखा कि रेखा बिना कपड़ों के नंगी सोई हुयी थी.
उसके बगल में उसके लैपटॉप पर ब्लूफिल्म चल रही थी.
मैं ये सीन देख कर पूरी तरह से हैरान हो गया था.
शायद ब्लूफिल्म देखते देखते रेखा को नींद लग गई थी.
मैंने लैपटॉप बंद कर दिया.
अब मेरी बेटी समान रेखा मेरे सामने पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी. उसकी गोरी चूत और उसकी कसी हुई चूचियां मुझे उसकी मां की याद दिला रही थीं. उसकी माँ भी बहुत खूबसूरत थी.
मेरे मन में ख्याल आया कि मैं अपनी बेटी जैसी लड़की के बारे में बुरे ख्याल कैसे ला सकता हूँ.
फिर भी मेरा मन नहीं मान रहा था.
मैंने झट से अपनी पैंट उतारी और उसकी तरफ मुठ मारते मारते आगे बढ़ने लगा.
थोड़ी देर के बाद मैंने सारा पानी रेखा के मुँह पर गिरा दिया.
वीर्य की पिचकारी जोर से उसके मुँह पर गिरने से उसकी नींद खुल गयी.
उसने मुझे देख लिया और गुस्से में कहा- ये आप क्या कर रहे हो अंकल?
ये कह कर उसने कंबल से अपना नंगा बदन ढक लिया.
मैंने कहा- तुम्हें ऐसा देखकर मैं खुद को रोक नहीं पाया सॉरी बेटी. मुझसे गलती हो गयी.
फिर मैं उसके सामने सर झुकाकर खड़ा रहा.
अगले कुछ पलों तक नीरवता छाई रही.
फिर उसने कहा- मैं आपकी तकलीफ समझ सकती हूँ. अगर आज आपकी बीवी होतीं तो आप ऐसी हरकत नहीं करते.
मैंने भी सिर हिलाकर हां में जवाब दिया.
तभी उसकी नजर मेरे हथियार (लंड) पर पड़ी और वो कहने लगी- अंकल, यह तो काफी लंबा और मोटा है.
मेरा लंड सात इंच लंबा और दो इंच मोटे पाइप के जैसा है.
वो लंड देखते हुए आगे कहने लगी- ऐसा तो मैंने सिर्फ ब्लूफिल्मों में देखा है.
उसकी आंखें ये बता रही थीं कि उसे मेरा हथियार (लंड) बहुत पसंद आया था.
मैंने सर हिला कर हां में जवाब दिया.
फिर उसने कहा- आप शादी करते तो आपकी बीवी खूब मजे लेती इससे!
मैंने भी हिम्म्त जुटाकर उससे पूछ लिया- तुम्हें अच्छा लगा क्या?
उसने भी शर्मा कर हां कह दिया.
अब मेरा डर खत्म हो गया था.
उसने भी अपना कंबल हटा दिया था. वो एक बार फिर से मेरे सामने नंगी थी.
मैंने रेखा को नंगी देख कर फिर से अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया था.
उतने में उसने कहा- आगे आओ अंकल … मैं आपकी हेल्प कर देती हूँ.
ये सुनकर मेरी खुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा.
मैं झट से उसकी तरफ चला गया और अपना लंड उसके हाथ में दे दिया.
अब वो भी प्यार से मेरे लंड को सहला रही थी.
क्या बताऊं दोस्तो, मुझे कितना मजा आ रहा था. मेरी अपनी बेटी जैसी लड़की मेरा लंड हिला रही थी. ऊपर से उसका नंगा बदन मुझे उसे चोदने के लिए मजबूर कर रहा था.
मेरा लंड पूरा खड़ा होने बाद वो हैरान हो गयी कि और बोली- आज मेरी चूत का क्या हश्र होगा, मुझे पता नहीं.
मैंने भी कहा- हां बेटी, आज तो तुम्हें मैं जन्नत की सैर करवाऊंगा.
वो भी प्यार से मुस्कुराने लगी.
मैंने अब अपनी शर्ट पैंट दोनों उतार दीं और रेखा को बेड में एक तरफ धकेल दिया.
अब हम दोनों नंगे थे.
उसे बाजू में करने के बाद मैं उसके ऊपर चढ़ गया और अपना लंड उसके मुँह में घुसेड़ना शुरू कर दिया.
उसका मुँह छोटा होने कारण पूरा लंड अन्दर जा नहीं पा रहा था.
वो गों गों करके लंड मुँह से हटाने की कोशिश कर रही थी.
मगर मैं अब कौन सा कुछ सुनने वालों में से था … मैंने भी पूरा जोर लगा दिया.
एक जोरदार झटके में अपना पूरा लंबा लंड उसके गले तक डाल दिया और झटके देने लगा.
रेखा की तो हालत इतने में ही खराब हो चुकी थी.
मगर उसे मजा भी आ रहा था.
मैं एक बार झड़ चुका था तो अगले दस मिनट तक मैं उसके मुँह को ही चोदता रहा.
फिर आखिर में जोरदार एक झटका मार कर मैंने सारा पानी उसके गले में छोड़ दिया.
रेखा की आंखों में आंसू आ गए थे.
मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और रेखा ने लंड को पूरा चाट कर उसे साफ कर दिया.
मैं बहुत खुश था, पर रेखा थोड़ी सहमी हुई थी.
मैंने पूछा- क्या हुआ रेखा?
उसने कहा- अंकल, आपका लंड बहुत बड़ा है. पता नहीं मैं झेल भी पाऊंगी या नहीं?
मैंने भी मुस्कुरा कर कहा- अपने अंकल के लंड को झेल लो बेटी … वरना जन्नत की सवारी कैसे कर पाओगी. मैं बहुत प्यार से तुम्हें चोदूंगा बेटी. बस शुरू में थोड़ा सा दर्द होगा. तुम्हें तो आज मैं जमकर चोदूंगा.
रेखा- सच में ना अंकल … मुझे ज्यादा दर्द नहीं होगा ना?
मैंने कहा- ज्यादा नहीं होगा बेटी, मैंने कहा ना कि मैं तुम्हें बड़े प्यार से चोदूंगा.
रेखा- ओके अंकल!
मैं उठकर खड़ा हुआ और फिर से अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया ताकि लंड फिर से मजबूत और सख्त हो जाए.
वो भी मेरा लंड बड़े मजे से चूस रही थी.
लंड खड़ा होने के बाद मैंने उसे बेड पर चित लिटा दिया.
इतनी चिकनी चूत मैंने पहले कभी देखी ही नहीं थी.
फिर मैंने उसकी टांगों को फैला दिया और उसकी चूत चाटने लगा.
उसे भी अपनी चूत चटवाने में मजा आ रहा था- आहहह … अंकल … आंह बहुत मजा आ रहा है. आज मुझे अपनी रंडी बना लो अंकल … अहहह हहह.
मैं पूरी ताकत से अपनी जुबान उसकी चूत में डाल रहा था.
रेखा- आहह … और जोर से चाटो … आह मुझे मजा आ रहा है.
मैं- हां साली रंडी … ले चूत चुसा ले अपनी … आंह!
मैंने उसकी चूत को ऊपर से नीचे तक चाटता रहा और उसके दाने को अपने होंठों में दबा कर खींच देता, जिससे रेखा अपनी गांड उठ कर मेरे मुँह पर अपनी चूत लगा देती.
थोड़ी देर बाद उसकी चूत से पानी निकल गया और मैंने पूरा पानी पी लिया.
फिर अपनी जुबान से रेखा की पूरी चूत साफ कर दी.
रेखा- आहह अंकल … अब मुझसे रहा नहीं जाता. जल्दी से अब अपना फौलादी लंड मेरी इस कुंवारी चूत में डाल दो. बना दो मुझे औरत … आह … मैं बस आपकी रंडी बनना चाहती हूँ .. चोद दो आप मुझे … मुझे आज आपकी रंडी बनना है.
मैं- हां बेटी, आज से तू ही मेरी रंडी है. आज तुझे लड़की से औरत बना कर ही दम लूंगा.
फिर मैंने अपना मूसल लंड उसकी कुंवारी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया.
वो भी कामुक सिस्कारियां भर रही थी.
मेरे अन्दर का जानवर भी जाग चुका था. उसकी गुलाबी चूत मुझे पागल कर रही थी.
फिर मैंने उसकी चूत पर दो उंगलियों से फांकों को जरा फैला दिया और अपना लंड का सुपारा घुसा कर ठेल दिया.
रेखा- अअह हह अंकल … बहुत दर्द हो रहा है … आप बाहर निकाल लो लंड!
वो रोते हुए चिल्लाने लगी थी.
मैं- रंडी, अभी तो अन्दर भी नहीं गया और निकालने की बात कर रही है.
मैंने और जोर लगाते हुए उसी चूत में लंड और अन्दर पेला.
रेखा रोती हुई कहने लगी- आंह … मैं मर जाऊंगी … अअहह … आराम से घुसेड़ो न!
मैं- अरे ऐसे कैसे मरने दूंगा तुझे रंडी. अभी तो तुझे औरत बनाना है मेरी जान.
मैंने और जोर लगाते हुए आगे बढ़ा.
शायद अब सील फटने को आ गई थी.
रेखा बिलख उठी- अहह … अंकल फट गई मेरी … आंह फाड़ दी मेरी चुत.
मैं- हां बेटा … अब तेरी सील फट गई है … अब आज तो तेरी चूत का कीमा बना कर रख दूंगा. ले साली बहन की लौड़ी अपने अंकल का लंड खा साली रंडी.
मैंने दम लगाया और अपना पूरा लंड रेखा की चूत में घुसेड़ दिया. साथ ही मैंने अपने होंठों के ढक्कन से उस के मुँह को बंद कर दिया.
तभी मेरे लंड ने चूत से फूट पड़े खून की गर्मी का अहसास किया.
अअह हह … मुझे मजा आ गया और मन ही मन मैं खुश होने लगा कि मैंने कमसिन कुंवारी लड़की की चूत की सील फाड़ दी.
मैंने उसके मुँह से अपने होंठ हटा दिए.
रेखा- अम्म … अह …. आह जोर जोर से झटके शुरू करो अंकल.
उसे मजा आने लगा था.
ये देख कर मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी.
रेखा का बुरा हाल था पर वो भी बड़ी हिम्मत वाली लड़की थी. चूत फटने के दर्द से वो कराहती रही और लंड लेती रही.
मैंने भी उसकी कराहों पर ध्यान न दिया और उसे हचक कर चोदता रहा.
मैंने रेखा के चुचे दबा दबा कर लाल कर दिए थे.
ऐसे ही काफी देर तक मैं रेखा को पेलता रहा.
अब तो उसे भी मजे आ रहे थे. वो गांड उठा उठा कर अपने अंकल से लोहा ले रही थी.
रेखा- अम्म … आहह अंकल चोदो मुझे … और चोदो मुझे … आंह मेरी चूत फाड़ कर रख दो आज … आज ही आप अपनी बेटी की बुर का भोसड़ा बना दो … आह. साले … चोद भैन के लौड़े.
मैं- हां साली रंडी … तू अपनी ये चुदाई कभी भूल नहीं पाएगी, मैं आज तुझे ऐसे चोदूंगा.
इतनी देर तक की चुदाई में रेखा तीन बार झड़ चुकी थी.
अब मैं भी झड़ने वाला हो गया था- आंह रंडी … अब मेरा पानी निकलने वाला है.
मेरे आखिरी वाले जोरदार झटके चल रहे थे.
रेखा- आंह अंकल, मुझे आपका लंड का पानी मेरी इस कुंवारी चूत में चाहिए, जो कि अब आपने फाड़ दी है.
मैं- हां मेरी रंडी … ले अपनी बुर में अपने बाप के लौड़े का पानी ले.
मैंने आखिरी में एक दमदार और जोरदार झटका मारते हुए लंड का सारा पानी रेखा की चूत में डाल दिया.
रेखा- आह … आहह!
वो कंपकंपाती हुई आह भर रही थी और कह रही थी- अंकल, आपका पानी बहुत गर्म है. आज से मैं आपकी परमानेंट रंडी बन गयी हूँ.
मैं- आहह … हां बेटी … तुम ही मेरी रंडी हो!
कुछ पल बाद मैंने अपना लंड रेखा की चूत से बाहर निकाल कर उसके मुँह में डाल दिया.
वो भी मजे से मेरा लंड चूसने लगी और साफ करने लगी.
दोस्तो, मैं इसी तरह उसको रात भर चोदता रहा. अगले दिन से हम दोनों लगभग हर रात को चुदाई का जश्न मनाने लगे.