नमस्कार मित्रो, मैं आपको ऐसी मस्त सेक्स कहानी सुनाने वाला हूँ, जिसे आप सुनकर काफी आनंदित हो जाएंगे. यह कहानी काफी मजेदार है, साथ ही रोमांचक भी है. आप भी काफी सावधानी से ऐसा करके किसी के साथ इस प्रकार का सेक्स कर सकते हैं.
मेरा काफी दिनों से किसी को चोदने का मन कर रहा था लेकिन कोई माल मेरी नज़र में नहीं आ रहा था. इसलिए बस विवश होकर मैं मुठ मार लिया करता था. फिर मैंने ऐसा सेक्स किया कि वह सेक्स मेरी अच्छी पहचान हो गया. मैंने भांग को दूध में मिलाकर उसे कामवाली नौकरानी को पिला दिया और उसके साथ रात भर सेक्स किया. उसकी चूत का खूब मजा लिया.
हुआ यूं कि मेरे घर में एक काम करने वाली काम करने के लिए आती है. वह चार बच्चों की माँ है. उसके शौहर की दुर्घटना में मृत्यु हो चुकी थी. वह घरों में काम करके अपने बच्चों को पालन पोषण किया करती थी. उस कामवाली की उम्र लगभग 42 वर्ष के आस पास होगी. वह दिखने में काफी मस्त और शांत स्वभाव की दिखती है. इतना ही नहीं, हम उसे प्यार से आपा भी कहते हैं. वह देखने में काफी सुन्दर और अच्छे दिल की है. उसकी छाती का आकार यही कोई 34 इंच का होगा. कमर के नीचे का हिस्सा 40 इंच का रहा होगा.
हम सब उससे जो कहते हैं, वह सोच समझकर करती है.
मेरे अब्बू, अम्मी और बहन, सब मेरी ममेरी बहन के शादी में गए थे, मेरा बीए के तीसरे साल की परीक्षा होने के कारण मैं उस शादी में नहीं जा सका. मेरा खाना पीना कैसे होगा, इसको लेकर अम्मी के लिए ये काफी चिंता का विषय बन गया था. मैंने अपनी अम्मी को उस कामवाली की याद दिलाई, जो कि हमारे घर काम करती थी.
तब अम्मी ने उस कामवाली से बात की और कामवाली को मना लिया. अम्मी ने उससे कहा कि आप सुबह शाम को आकर बशीर के लिए खाना बना दीजियेगा. वो मान गईं.
उनसे इतना कह कर अम्मी अब्बू लोग अगले दिन नानी के घर के लिए निकल गए.
उसने पहले दिन आकर सुबह शाम को खाना बना दिया. साथ ही घर का सारा काम करके वह करीब 08:00 बजे वह अपने घर वापस चली गई.
दूसरे दिन की बात है. शाम को वह करीब 08:00 बजे आई और उसे वापस जाने में रात के 10:30 बज गए. वह अकेली ही आती जाती थी. मेरे घर से उसका घर तीन किलोमीटर के आस पास होगा.
तो मैंने इसी मौके का फ़ायदा उठा लिया. घर में अकेले रहने के कारण मैं काफी गर्म हो गया था और मुझे मेरे लंड के लिए कोई चूत की तलाश थी. मेरे मन में उसको ही चोदने की भावना जाग गई.
मैंने उस कामवाली बाई से कहा- आपा … इतनी रात को घर जा रही हो क्या?
वह बोली- हां बशीर, अब मुझे निकलना चाहिए.
मैंने गुस्सा होकर कहा- इतनी रात को आप घर नहीं जाइएगा, चोर बदमाश सब घूमते हैं. आज का जमाना वैसा नहीं है. जमाना ख़राब है, कहीं कोई ने कुछ कर दिया तो आप क्या कीजिएगा?
वह कुछ देर चुप रही और बोली- तुम ठीक बोलते हो, लेकिन घर पर फोन तो कर ही देते हैं.
मैंने उसको अपना मोबाइल दिया और बात करके खबर दे दी.
कुछ देर बाद वो मुझसे आकर बोली- खाना तो केवल आपके लिए ही बनाया था, ये कम पड़ रहा है.
मैंने कहा- हां तो अपने लिए और रोटियां बना लीजिये न.
उसने बनाई और हम दोनों ने खाया.
मैं रसोई में जाकर दूध पीने लगा. फिर मैं अपने कमरे में आया, तो वो मुझसे बोली- मैं कहां सोऊंगी?
मैंने उससे कहा- इसी बिस्तर पर.
वह बोली- इसी बिस्तर पर?
मैंने कहा कि क्या हुआ.. कोई बात है क्या?
वह रूककर बोली- आपका बिस्तर गन्दा नहीं होगा?
मैंने कहा- एक दिन में गन्दा थोड़े होता है.
वह मान गयी.
बस क्या था. मैंने मच्छरदानी को लगाया.
फिर मैंने उससे पूछा- दूध पीयोगी?
पहले वह ना बोली, फिर अपने आप बोल दी- थोड़ा सा ले लूंगी
वो किचन में जाने लगी तो मैंने कहा- आप रुको, मैं ला देता हूँ.
मैंने उस समय दूध को रसोईघर से हटाकर स्टोर रूम में रख दिया था. किचन का 1/3 भाग सामान स्टोर रूम में ही रहता है. उस स्टोर रूम में सिर्फ अम्मी एवं अन्य घर के सदस्य को छोड़कर कोई नहीं जाता है. मैं हर समय स्टोर रूम में भांग का गोला जरूर रखता था.
मैंने उस दूध में भांग और ठंडाई को मिलाया और उसे पिला दिया.
वो बोली कि इसका स्वाद कुछ अलग है.
मैंने कहा- ठंडाई डाली है.
मैं आप लोग को बता दूं कि अधिक भांग भी खाने में पहले तीखा लगता है.
फिर काम वाली बोली- रात बहुत हो चुकी है, अब हम लोगों को सोना चाहिए.
मैंने कहा- ठीक है.
उसने अपनी साड़ी उतारी और सिर्फ ब्लाउज पेटीकोट में होकर मेरे साथ बिस्तर पर आ गई.
उसकी चूचियां देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया. खुले गेल के ब्लाउज से उसकी आधे से ज्यादा चूचियां साफ़ दिख रही थीं. उसका ये रूप देख कर अब मुझे नींद कहां आने वाली थी. मैं तो पहले से ठरकी हुआ पड़ा था. अब तो बस आज उसे पेल कर चोदने का मन पक्का बन गया था.
वो मेरे साथ बिस्तर पर मुँह फेर कर सो गई. उसकी उभरी ही गांड मुझे और भी कामुक बना रही थी. आधा घंटे बीतने के बाद मैंने उसके शरीर पर चुटकी से काटा और उसके पेट पर हाथ रखकर चैक किया कि वह मेरा हाथ हटाती भी है या नहीं.
लेकिन उसने हाथ नहीं हटाया. इससे पता चल गया कि इसको भांग का नशा जल्दी चढ़ गया. मैंने उसकी छाती पर हाथ से सहलाया, फिर भी उसने कोई विरोध नहीं किया.
अब मुझे पूरा यकीन हो गया था कि इसके साथ कुछ भी करने से इस पर कोई नहीं प्रभाव नहीं पड़ेगा. मैं सब चीज टेस्ट करके उसे चोदने के लिए तैयारी में जुट गया.
मैंने पहले उसे सीधा किया, फिर उसका ब्लाउज खोला. वह बीच बीच में करवट बदलती, तो मैं उसे फिर से चित कर देता था. क्योंकि मुझे उसके पूरे शरीर पर सरसों का तेल लगाना था.
पता नहीं मुझे औरत के शरीर पर सरसों के तेल लगाने की क्या सनक थी. शायद ये मेरी फैंटेसी थी.
मैंने उसके गाल से पेट तक सरसों का तेल लगाया. फिर उसके दोनों स्तनों पर तेल लगा कर मालिश की. उसके मम्मों की मालिश करने के दौरान ही मेरे अन्दर काफी सेक्स करने की उत्तेजना बढ़ने लगी थी.
ये सब काम करके मैंने भी अपने पूरे कपड़े निकाल दिए. मैंने अपने लंड में भी तेल लगाया और अपने लंड को एकदम खड़ा कर लिया.
फिर मैंने उस कामवाली के पेटीकोट का नाड़ा ढीला किया. चूंकि उसने रात को सोने के समय साड़ी खोलकर निकाल दी थी.. मैंने पहले भी लिखा है कि वो सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज ही पहनकर मेरे साथ सोने आ गई थी और जब वो अपनी साड़ी उतार कर सिर्फ ब्लाउज पेटीकोट में मेरे बाजू में लेटने लगी थी. उसी समय उसकी इस आदत ने मुझको गरमा दिया था और उसके साथ सेक्स करने को उत्तेजित कर दिया था.
मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा ढीला करके उसके पेटीकोट को नीचे करके घुटनों में फंसा दिया. कमरे में अंधेरा होने के कारण मुझे उसके साथ चुदाई करने में काफी दिक्कत हो रही थी. उस वक्त मैंने अपने मोबाइल की टॉर्च का सहारा लिया.
मैंने टॉर्च की रोशनी में उसकी चूत को देख कर अपने आपको गर्म किया. फिर नग्न अवस्था में उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया. इस क्रिया के दौरान मुझे खूब मजा आ रहा था. वो भांग के नशे में एकदम बेसुध सोयी हुई थी. इसलिए कभी मैं उसके शरीर पर चढ़ कर अपने शरीर उसके जिस्म से रगड़ कर अपनी उत्तेजना को बढ़ा रहा था. इससे मुझे काफी मजा आ रहा था. मेरे लंड को उसके नंगे बदन से रगड़ने में बड़ा सुख मिल रहा था.
इस वक्त मुझे ऐसा लग रहा था कि मानो कि पूरा दुनिया की ख़ुशी मुझको मिल गई है. उसकी बुर चाटने से मेरी चुदास काफी बढ़ती ही जा रही थी.
तब भी मैं जल्दी से सेक्स करके इस मजे को ख़त्म नहीं करना चाहता था. मुझे पूरा भरोसा था कि इसके ऊपर से भांग का नशा जल्दी नहीं उतरने वाला हैं. पहली बार भांग पीने से इसका असर कई घंटे तक रहता है. जबकि अभी मुझे उसके साथ मात्र एक ही घंटा हुआ था.
बस फिर क्या था, मैं बेख़ौफ़ होकर धीरे धीरे सेक्स का मजा ले रहा था. मैं बड़े मजे उस कामवाली की चूत को पूरा खोल कर उसका रस चूस रहा था. शायद उसके शौहर ने उसकी चूत के रस को अच्छी तरह से नहीं चूसा था. उसका शौहर इस जन्नत के छेद को बीच में ही छोड़ कर इस दुनिया से चला गया था.
उस कामवाली के साथ खूब नग्नअवस्था में कई फोटो अपने मोबाइल से खींच लिए. मैंने उसके खून स्तनों को दबाया और चूसा. उसके निप्पलों के साथ खूब खेल किया.
उसके शरीर पर चढ़ने से उसके शरीर से जो गर्मी निकलती थी, उसमें काफी आनन्द आ रहा था. इतना ही नहीं मैं उसकी नाभि में भी अपने लंड को घुसेड़ और निकाल रहा था. इसमें मुझे और भी ज्यादा मजा आ रहा था.
उस मस्त कामवाली के इतना करने के बाद मैं उसके साथ चिपक गया और उससे कसकर लिपटकर बिस्तर पर रोल करने लगा.
जब मैं काफी गर्म हो गया तो अब मुझे उसकी चूत में लंड डालने का मन हो गया. मैंने उसे अच्छे से सीधा किया और उसकी चूत पर लंड का निशाना बनाते उसे उसके शरीर पर चढ़ गया. मैंने उसकी चूत में लंड के सुपारे को फंसाया और एक जोर का धक्का लगा दिया. उस वक्त भांग के नशे में होने पर भी उसकी एक बार ही आह्ह.. की आवाज़ निकली.
मैं इस आवाज को सुनकर पहले तो डर गया और मैंने उसके शरीर से उतर कर अपने शरीर पर चादर को ओढ़ लिया. फिर जब उसने कोई हरकत नहीं की, तो मैंने अपने लंड को फिर से गर्म किया. इस बार मैंने उसकी बुर में अपने लंड को बड़ी हिम्मत करके घुसाया और उसे चोदने लगा.
मेरा लंड उसकी कस चुकी चूत में बड़ा फंस फंस कर जा रहा था. मैंने कोई जल्दबाजी नहीं की और उसकी चूचियों को सहलाता हुआ मैं धीरे धीरे अपने लंड को उसकी चूत में पेलने लगा.
पूरा लंड घुसेड़ने के बाद मैंने खुद को सही से सैट किया और उसकी चूत चुदाई चालू कर दी. मैं कभी उसे धीरे धीरे चोदता, तो कभी जोर जोर से चोदने लगता.
लंड को चूत में जाने में आसानी हो गई थी और लंड धकापेल उसकी चूत के अन्दर बाहर होने लगा था. चुदाई में मजा आने लगा था. तभी मुझे वीडियो बनाने का मन हो गया. मैंने मोबाइल के कैमरे को ऑन किया. फिर उस कैमरा को मच्छरदानी के ऊपर फ़्लैश ऑन के मोड में रख दिया.
अब मैं उस कामवाली को चोदने लगा. करीब बीस मिनट तक कामवाली को चोदने के बाद मैं थकने लगा था. मुझे जोर जोर से चोद कर झड़ने का मन हो गया.
मेरी उत्तेजना अब चरम पर आ पहुंची थी. मैं अपनी उस मस्त कामवाली को और दो मिनट जोर जोर से चोदा और मैं उसकी चूत में ही झड़ गया. तभी मुझे उसके पेट से हो जाने का खतरा याद आया, तो मैंने अपना लंड बाहर खींच लिया.. और मैंने अपना लंड के बचे हुए माल को उसके स्तनों के ऊपर गिरा दिया.
फिर मैंने अपने लंड को एक कपड़े से पौंछ कर मैं उसके ऊपर से हट गया.
मैंने अपने सारे कपड़े पहन लिए और उस कामवाली को भी उसके सब कपड़े ठीक करते हुए पहना दिए.
वो चुदने से पूर्व जिस अवस्था में थी, उसे उसी अवस्था में कपड़े पहना दिए. मैंने ब्लाउज को बंद करने से पहले अच्छी तरीके से उसके स्तनों को देखा. फिर उसके स्तन पर गिरे माल को पानी से धोकर सुखा कपड़ा से पौंछ दिया. मैंने उसके ब्लाउज के हुक लगा दिए और पेटीकोट के डोरी को भी अच्छे से बांध दिया, जैसे कि पहले थी.
फिर सोने से पहले मैंने उसके होंठों को चूमा और उसके पेट को हाथ से कसकर पकड़कर सो गया.
सुबह होने पर उसके उठने के समय मैं उसके साथ चिपक कर सोया हुआ था. इस बारे में उसने मुझसे कोई बात नहीं बात की. उसको पता ही नहीं चला कि रात को उसके साथ अलग ही खेल हुआ था.
दोस्त उस कामवाली को भांग का नशा करवा कर चोदने में मजा आ गया था.
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