हाई फ्रेंड्स! पायल जैन की सेक्स स्टोरी में आपका स्वागत है। अन्तर्वासना पर भेजी गई एवं प्रकाशित होने वाली यह मेरी तीसरी स्टोरी है और मैं उम्मीद करती हूँ कि यह आप सभी को बहुत पसंद आएगी।
यह कहानी सच्ची है या काल्पनिक यह आप लोगों की समझ पर निर्भर करती है. लेकिन मैं आपको यह भी कहना चाहूँगी कि पिछली स्टोरी की तरह आप आपने अमूल्य ईमेल भेजें लेकिन किसी भी प्रकार से सैक्स की मांग न करें क्योंकि मैं अपने शादीशुदा जीवन में आग नहीं लगाना चाहती, ना ही रंडी बनना चाहती हूँ।
तो अब पिछली कहानी के आगे की कहानी का मजा लें!
मैं अपनी ननद प्रीति जैन के साथ रोज लेस्बियन सेक्स का मजा लेती थी. कुछ दिनों के बाद प्रीति अपने कॉलेज वापस चली गई एवं मैं अकेली रह गई फिर से अपने घर में। कुछ महीनों बाद मेरे पति आये और हम दोनों ने, जब तक वो मेरे पास रहे, हमारी जिन्दगी का बहुत सुख लिया. जिसमें कई बार तो हमने दिन में और सुबह सुबह ही प्यार किया लेकिन कभी कभी यह प्यार अधूरा रहा क्योंकि अंतिम समय में कोई ना कोई आ जाता था इसलिए।
मेरे पति के वापस जाने के बाद अकेली होने के कारण मैं वापस अपनी पढ़ाई पीएचडी की तैयार में लग गई। दीपावली की छुटियों में मेरी ननद प्रीति जैन फिर आई। इस बार वो बहुत चहकी चहकी लग रही थी एवं और बहुत खुश भी लग रही थी. मैं उसकी इस खुशी का असली कारण नहीं जान पाई, मैंने तो यही समझा कि शायद छुट्टियां हैं इसलिए वो इतनी खुश लग रही है।
लेकिन उसकी खुशी का राज मुझे कुछ दिनों बात ही पता चला गया जिस दिन हम दोनों हमारी पुरानी रंगत में आ गयी। मेरी ननद के मेरी ही हम उम्र यानि करीब 19-20 साल की होने के कारण हम दोनों ननद भोजाई कम, हम बहन जैसी सहेलियाँ ज्यादा बन गई. हम एक दूसरी को दिल की बातें भी बताने लगी और हमारा विश्वास एक दूसरे पर एक भी गहरा हो गया जिस कारण हम एक दूसरी में बहुत जल्दी घुल-मिल गई।
हमारा घूमना-फिरना शुरू हुआ, मौज-मजा मस्ती बहुत करने लगी। लेकिन हमने यह बात कभी अन्तर्वासना सेक्स स्टोरी साईट के अलावा किसी को भी जाहिर नहीं होने दी कि वो और मैं लेस्बियन हैं।
प्रीति के आने के बाद मैं एक तरह से पहले से भी ज्यादा घर में लापरवाह हो गई थी क्योंकि मुझमें और प्रीति में अब कोई किसी तरह की शर्म नहीं बची थी। मतलब आप इतना समझ लीजिये हम जब हम दोनों घर में होती तो आपस में किसी तरह का पर्दा नहीं था यहा तक बाथरूम में सुबह दैनिक क्रियाओं से निपटने के समय ही दरवाजा बंद होता. बाकी किसी भी समय कुछ भी नहीं, सब कुछ खुला था।
कई बार कभी वो तो कभी मैं दरवाजा खुला रख कर ही बिना कपड़ों के नहा लेती थी। प्रीति काफी बार मेरे जिम्म को देखकर कहती- वाह भाभी, कितना भरा बदन है तुम्हारा!
तो मैं भी हंस कर उसको बोल देती- जब तुम्हारी भी शादी होगी तो तुम्हारा भी बदन भर जायेगा और साथ में और कुछ भी भर जायेगा!
तो वो शर्मा कर अपनी नजरें नीची कर हंस कर अपने कमरे में भाग जाती.
इस बीच हम रोजाना तो नहीं लेकिन कभी कभी थोड़ी मस्ती आपस में कर लेती थी।
एक दिन हमने रात को फिर मस्ती करने का प्लॉन बनाया। बहुत दिन से पति से दूर होने के कारण मैंने भी उसको हां बोल दिया लेकिन उस रात उसने कुछ नहीं किया बस घूम फिर कर आने के बाद चुपचाप ही सो गई. मैं भी थक गई तो मैं भी सो गई.
अगले दिन मैंने उसको पूछा तो वो कुछ नहीं बोली. फिर दोपहर को मैंने पूछा तो वो बोली- जाने दो भाभी, आप नहीं करोगी!
तो मैंने कहा- मैं तुमको बहुत प्यार करती हूँ.
तो वो बोली- नहीं, मैं जो प्यार करना चाहती हूँ, वो आप नहीं करोगी.
तो मैंने कहा- पक्का मैं करूँगी.
तो उसने कहा- प्रोमिस करो!
मैंने प्रोमिस कर दिया तो उसने कहा- मैं जो करूँगी, उसके बाद आपको बहुत बहुत गुस्सा आयेगा. और हो सकता है कि आपको थोड़ा दर्द हो या आपको थोड़ी इगो हर्ट हो. इसलिए आप पहले ही मुझे चार पांच थप्पड़ मार दो.
तो मैंने उसको गले लगाकर कहा- अगर सच में मुझे ऐसा लगा तो मारूँगी लेकिन वो सब सब कुछ होने के बाद।
मैंने उसको पूछा- कहीं तुम गलत जगह तो सैक्स नहीं चाहती हो?
तो उसने मुझे साफ कहा- देखो भाभी, जो मुझे भी पंसद नहीं है, वो मैं आपके लिए कैसे पसंद करूँगी?
मुझे उसके ऊपर विश्वास हो गया हौ गया और मैंने उसको प्रोमिस कर दिया।
प्रीति ने मुझे कहा- भाभी, यह सब हम उसी कमरे में करेंगे जिस कमरे में आपने पहली बार भईया के साथ सुहागरात मनायी थी.
मैंने कहा- क्या?
तो वो बोली- आपने वादा किया है कि आप कुछ नहीं बोलोगी. आप तो बस आज रात को 11 बजे दुल्हन की वो ड्रेस जो आपनी सुहागरात पर पहनी थी, वो पहन कर आ जाना।
इसके बाद मैं भी चली गई और प्रीति उस कमरे को सजाने लगी. वहां जो बिस्तर था, वो मध्यम आकार का था. उस पर उसने गद्दे पर पहले तो बहुत मोटा प्लॉस्टिक का कवर बिछाया, उसके ऊपर उसने सफेद रंग की चदर लगा कर उस पर बहुत सारी गुलाब की पत्तियाँ डाल दी।
उसने कम्पयूटर से कुछ प्रिन्ट भी निकाले थे लेकिन वो मुझे पता नहीं जब मैं रात को कमरे में गई तो मुझे पता लगा कि उसने क्या किया था.
रात को मैं उस कमरे में पहुंची. कमरे में अंधेरा था उस समय. उसने अंधेरे में ही मुझे एक ग्लास थमाया और बोली- भाभी यह दूध पी लो!
मैंने उस समय आधा दूध पिया और आधा बचा हुआ मेरा झूठा दूध प्रीति ने पी लिया।
उसके बाद प्रीति ने कहा- भाभी, मैं कमरे की लाईट जला रही हूँ आप अपना दिल मजबूत रखना और अपना इगो हट मत करना.
मैंने कहा- मैं कोशिश करूँगी.
जब उसने कमरे की लाईट जलाई तो मैं दंग रह गई, दीवारों पर जगह जगह गंदे गंदे शब्दों के प्रिन्ट और बहुत सारी उसकी और हमारी कम्पयूटर से एडिट की गई नग्न फोटो लगी थी.
यह देखकर एक बार मेरा दिमाग खराब हो गया और मैंने चीख कर उसको एक थप्पड़ लगा दिया तो वो बोली- सॉरी भाभी … आपका इगो बहुत ज्यादा हट हो गया. मैं माफी मांगती हूँ.
और रोती हुई बोली- मैं अभी ये फोटो हटा देती हूँ.
तो फिर उसने कुछ फोटो हटाई तो फिर पता नहीं मुझे क्या हुआ कि मैंने उसको ऐसा करने से मना कर दिया और बोली- नहीं हटाओ, रहने दो … अभी हम दोनों के सिवा कौन है यहाँ।
इसके बाद उसने मुझे बैड पर बिठाया और फ्रिज में से केक निकाल कर बाहर रखा और बोली- यह मेरे अच्छी दोस्त के लिए जो आज दुल्हन की तरह सजी है.
उसके बाद उसने एक एक करके मेरे सारे कपड़े उतारे और बोली- अब आप नंगी अच्छी नहीं लगती, आप यह गाउन पहन लो.
तो मैंने वो शार्ट गाउन पहन लिया लेकिन अंदर कुछ नहीं पहना.
इसके बाद हम दोनों ने एक दूसरे के साथ 69 लेस्बियन सेक्स किया, चूत चाटी और हम दोनों ननद भाभी अपनी चरमसीमा पर पहुँच कर स्खलित हो गयी.
इतना करने के बाद हम आराम करने लगी।
तभी मुझे नींद आ गई, रात के करीब 12 थे, मेरी आँख लग गई और मैं सो गई।
मैंने रात के दो बजे के करीब मेरे शरीर में कुछ हलचल महसूस की, मैं जाग गई तो देखा कि प्रीति मेरे गाउन के ऊपर से मेरे मम्मे दबा रही थी और एक चूस रही थी।
मैं चौंक गई और प्रीति को परे धकेल दिया, पर वो दोबारा से शुरू हुई और मेरे साथ जबरदस्ती करने लगी। मैंने उसे बहुत रोकने की कोशिश की पर कोई फायदा नहीं हुआ। उसने मेरे हाथों को ऊपर की ओर करके बाँध दिया। अब तो मैं पूरी बेबस हो गई।
फिर वो मेरे ऊपर आई और मेरे होंठों को चूमने लगी। उससे मेरे पूरे शरीर में करंट सा लगा, मेरी चूत में पानी आने लगा क्योंकि मुझे भी अब कुछ कुछ हो रहा था।
प्रीति मुझे चुम्बन करते-करते मेरे मम्मे भी दबाते जा रही थी, पर मैं क्या करती, मेरे हाथों को उसने बाँधा हुआ था। थोड़ी देर में मुझे भी अच्छा लगने लगा, तो मैं भी उसका साथ देने लगी।
उसे पता चल गया कि मुझे अब मजे आने लगे हैं तो उसने मेरे मेरे पतले से गाउन को जोर से खींचा तो वो ऊपर से बहुत ज्यादा फट गया जिसके कारण मेरे दोनों स्तन बाहर आ गये और वो मेरे दोनों चूचुकों को चूसने लगी।
अब मेरे होश तो ही उड़ने लगे और मेरी योनि और ज्यादा गीली हो गई और इधर प्रीति खुद पूरी नंगी हो गई, मेरे ऊपर आ गई और मेरे चूचुकों को चूसने लगी।
मुझे कुछ हो रहा था, वो मेरे चूचुकों को चूसे जा रही थी, मैं तो पागल सी हुई जा रही थी। चूचुकों को चूसते-चूसते वो नीचे की ओर चली गई और मेरी नाईटी को थोड़ा जोर लगा कर खींच कर फाड़ दी. मैं तो बहुत लाज महसूस कर रही थी कि मैं अब पूरी नंगी थी।
अब वो आगे बढ़ी और मेरी योनि चूत चूसने लगी, उसने थोड़ा सा चूसा और मैं झड़ गई।
मैं बहुत दिनों बाद इस तरह के झड़ने का आनन्द महसूस कर रही थी, मैं जैसे ही झड़ गई, तो मेरी पूरी ताकत खत्म हो गई और मैं बेड पर निढाल सी हो गई।
थोड़ी देर बाद उसने मेरे हाथों को खोल दिया तो मैं उससे चिपक गई और उसका आभार किया, तो वो भी मेरे मम्मों को जोर से दबा कर हँस पड़ी।
मेरे मम्मे और चूचुक दर्द कर रहे थे।
थोड़ा आराम करने के बाद वो मुझसे बोली- चलो, भाभी एक और बड़ी मस्ती दिखाती हूँ आपको!
तो मैंने भी ‘हाँ’ कर दी.
और वो फ़िर से शुरू हुई, मुझे चुम्बन किया, मेरे चूचुकों को चूसा, मेरी चूत चूसने लगी और एक उंगली मेरी चूत में डालने लगी थी, मैं उसको मना करने लगी, पर वो कहाँ मानने वाली थी। वो जोर से उंगली करने लगी। मैं तड़फने लगी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ पर तब भी वो कहाँ रूकने वाली थी, उसने और एक उंगली अन्दर डाली, तो मैं और जोर से तड़फने लगी और एक हल्की सी चीख मार कर झड़ गई।
इसके बाद मैं मौका पाकर अचानक से उठी और उसके ऊपर आकर जोर से चुम्बन करने लगी और और चूचुकों को दांतों से चबाने लगी. प्रीति भी गर्म हो चुकी थी और वो भी मेरा साथ देने लगी। फिर मैंने उसकी योनि के नीचे चार तकिये लगा दिये जिसके कारण उसकी योनि बहुत ज्यादा ऊपर उठ गई और मैंने फ्रिज खोलकर उसमें से एक बाउल निकाल कर रसमलाई एवं स्पंज रसगुल्ले निकाल कर एक रसगुल्ले को योनि के ऊपर उसको निचोड़ दिया उसका ठंडा ठंडा रस जैसे ही उसकी योनि में गिरा उसका टांगें काम्प गई, मुख से हल्की सी चीख निकल गई.
फिर मैं कभी रसमलाई तो कभी रसगुल्ला उसकी योनि पर रखकर चाटती व चूसती रही. आखिर एक कुंवारी लड़की कब तक इतना सहन करती, वो भी दो तीन हल्की सी चीखें मार कर एवं अपनी कमर को झटके मार कर झड़ गई और हाम्फने लग गई और मुझे ‘आई लव यू भाभी …’ और ‘प्यारी दोस्त’ बोल कर गले से लगा लिया.
इसके बाद हम दोनों अलग हो गई और मुझे फिर से नींद आ गयी.
इसके बाद सुबह करीब 4 बजे मेरे शरीर में हलचल होने के कारण मेरे आंख खुली तो देखा तो कि मेरे दोनों हाथ फिर से बंधे हैं. और मैंने देखा कि प्रीति अपने बैग से कुछ निकाल रही है.
मैंने पूछा तो उसने कहा- रूको भाभी, बताती हूँ.
इसके बाद तो जो मैंने देखा तो मेरा हलक की सूख गया. सच कहूँ तो एक बार मैं बुरी तरह से डर गई एवं अनहोनी की आशंका से मेरा रोम रोम कांप उठा क्योंकि उसके हाथ में एक प्लॉस्टिक का डिल्डो था जो कि बिल्कुल इंसान के लंड जैसा था. या ऐसा कह सकती हू कि मेरे पति से थोड़ा सा मोटा और लम्बा था.
मैंने प्रीति को बोला- यह क्या कर रही हो? यह गलत है … इतनी हैवानियत मत करो, मेरे हाथ खोलो.
तो वो बोली- नहीं खोलूंगी. अब देखो मैं आपके साथ क्या करती हूँ.
इतना बोल कर उसने मेरे पैरों को फैला दिया और मेरे चूत को निशाना करके रूक गई और बोली- आज तो इस नई चीज से जन्नत की सैर करने के लिए तैयार हो जाओ मेरी प्यारी नंगी भाभी।
और उसने मेरी चूत को निशाना पर लिया और जोर लगाने लगी।
उसने धीरे धीरे करके आधे से ज्यादा डिल्डो मेरी बेचारी चूत में घुसा दिया. इतना मोटा डंडा मेरी चूत के अंदर जाने के बाद मैं दर्द से कराहने लगी तो उसने अपने होंठों से मेरे होंठों को दबा दिया और मेरी आवाज उसके मुंह में दब गई. मेरे हाथ बंधे होने के कारण मैं कुछ नहीं कर पाई, बस कसमसा कर एवं तड़प कर रह गई.
यह सब कुछ मेरे साथ पहली बार हो रहा था. मैंने डिल्डो के बारे में सुन तो रकः था, फोटो भी देख रखी थी मगर असली डिल्डो पहले कभी नहीं देखा था.
जब पूरा डिल्डो मेरी नन्ही सी चूत के अंदर गया तो मैं कांप उठी, मेरी चूत में जोर का दर्द हुआ क्योंकि मेरे पति का लंड इतना बड़ा नहीं था. दर्द के कारण पहली बार मेरी आँखों से आँसू आने लगे और मैं उसे निकालने को कहने लगी।
मेरा रोना देख कर वो थोड़ा रूक गई और मेरे चूचुकों को चूसने लगी।
उससे मैं थोड़ी उत्साहित हुई और मेरा दर्द कम हुआ, तो फ़िर से प्रीति ने धीरे धीरे उसको आगे पीछे करना शुरू कर दिया इस तरह धीरे धीरे चुम्बन करते करते उसने कब पूरा डिल्डो जो करीब नौ इंच का होगा, मेरी चूत में पेल दिया. मेरी चूत इतना लम्बा डिल्डो खा गयी, पता ही नहीं चला और चुम्बन करते-करते ही उसने डिल्डो को आगे पीछे करना शुरू किया।
जैसे-जैसे वह आगे पीछे होता तैसे-तैसे मुझे लगता जैसे मैं हवा में उड़ रही हूँ। अत्यधीक आनन्द के कारण मेरे मुख से मीठी मीठी सीत्कारें निकलने लगी.
इसके बाद जो प्रीति ने किया, मेरे तो रोंगटे खड़े हो गये जब प्रीति ने उस डिल्डो में वाईब्रेशन शुरू कर दिया. ओ माई गोड … मेरी तो हालत ही खराब हो गई. एकदम लोहे की रोड जैसा कड़क डिल्डो मेरी चूत के अंदर वाईब्रेट कर रहा था. आनन्द के मारे मेरी चीखें अब और तेज हो गई और एकदम से मेरा पहली बार इससे पानी निकल गया.
इसके बाद उसने वाईब्रेटर और तेज कर दिया मेरे ऊपर आकर मेरे दोनों निप्पलों को जोर जोर से दबाकर मेरे होंठ चूसने लगी. और इसके बाद मेरी प्यारी सेक्सी ननद एक अंगुली मेरे ऐस होल यानी मेरी गांड में लगाकर मेरी बगलों को चाटने लगी.
प्रीति के ऐसे नये आक्रमण के कारण मेरी योनि में भंयकर हलचल होने लगी और और मेरा जिस्म फिर से जोर से अकड़ा और निढाल हो गया.
लेकिन उसने वाईब्रेटर मेरी चूत में से निकालने की बजाय उसको फुल स्पीड पर कर कर दिया. अब यह मेरी सहन शक्ति के बाहर हो गया और मैं उसको मारे उत्तेजना एवं सहन नहीं होने के कारण ‘कुत्ती … कमीनी … हरामजादी … मां की लौड़ी … और पता नहीं न जाने क्या क्या बोल गई.
मेरे मुंह से ऐसा सुनकर वो उठी और तुरन्त मेरे मुख से अपनी योनि को लगा दिया और मैं भी अपने पति की बहन की चूत को चूसने लग गई.
ऐसे करते करते जब सहन शक्ति तीसरी बार पूरी हो गई एवं शरीर ने साथ छोड़ दिया तो मैंने मारे गुस्से के उसकी योनि को हल्का सा काट दिया. और इधर वाईब्रेशन ज्यादा होने के कारण मैंने जिदंगी में उस दिन पहली बार वहीं बिस्तर पर ही पेशाब कर दिया. पोली शीत बिछी होने के कारण मेरा पूरा बदन मेरे ही पेशाब से भर गया जिसके कारण मेरी चीखें निकलने लगी.
लेकिन प्रीति ने बड़ी ही बेशर्मी दिखाते हुए मेरे चेहरे के पास खड़ी होकर मेरे ऊपर ही सूसू कर दी। ऊपर से मेरे ऊपर प्रीति सूसू कर रही थी, दूसरी तरफ मेरे नीचे से मेरा मूत निकल रहा था। इसके बाद प्रीति ने मेरी चूत में से वो डिल्डो वाईबेटर निकाल दिया और मेरे हाथ खोल दिये.
उस समय मेरे हाथ पांव बुरी तरह से कांप रहे थे. मेरा पूरा बदन मेरे और प्रीति के पेशाब से सना हुआ था. अब मुझे इतना गुस्सा आया कि मैंने बिना कुछ सोचे समझे प्रीति को मां बहन की गालियाँ देते हुए उसको तीन चार जोर के थप्पड़ जमा दिये और खुद ही अपने ही पेशाब में नीचे गिर गई. वो उसी के पेशाब से सने मेरे चूचुकों को चूसने लगी।
उसके बाद तो मुझे कुछ होश ही नहीं रहा।
सुबह जब मैं उठी तो देखा कि प्रीति भी एकदम नंगी होकर मेरी तरह बेशर्मी से सो रही थी. जब मैंने उसको उठाया तो वो रोने लगी और मेरे पैरों में गिरकर माफी मांगने लगी और कहने लगी- भाभी, मुझे माफ कर दो. कल पता नहीं क्या हुआ मैंने जो आपके साथ किया, मेरी गलती थी।
तो मैं उसको बोली- कोई बात नहीं … लेकिन एक बात कहूँगी कि ऐसा मेरे साथ जीवन में पहली बार हुआ. कोई शिकवा नहीं तुमसे … तुम मेरी छोटी बहन जैसी हो.
तो वो मुस्कुरा दी और मुझे अपनी बांहों में भर लिया.
इसके बाद जैसे ही उसकी नजर सामने दीवार पर गई तो वह जल्दी से बिस्तर मे जाकर लेट गई और अपने ऊपर चादर डाल दी.
मैंने पूछा तो उसने कहा- देखो सामने भईया की तस्वीर है.
तो मैंने हंस कर कहा- तो क्या हुआ? तुम्हारे भाई ने मुझे इस कमरे में न्यूड किया और मैंने तुम्हें! चलो अब उठ जाओ, नहीं तो मैं नाराज हो जाऊँगी.
इस पर वह उठी तो मैंने उसको भाई की तरफ इशारा करके कहा- देखो जी, आज आपकी बहन और मेरी ननद भी इसी कमरे में न्यूड हो गई!
प्रीति यह सुनकर शर्मा कर चली गई।
उसके बाद हमने बाथरूम में जाकर एक दूसरे को साफ किया और फिर आराम करने चली गई।
इसके बाद मैंने और प्रीति ने कई बार और पूरी नंगी होकर प्यार किया और हमने कई बार बैंगन तथा गाजर एवं खीरे को एक दूसरे के लिए उपयोग में लेकर उसकी सब्जी बनाई एवं सलाद भी खाया।
इस तरह हम दोनों संस्कारी जैन लड़कियों ने बदतमीजी एवं गंदगी की शायद सभी हदें पार कर दी।
दीपावली की छुट्टियां खत्म होने के बाद वापस कॉलेज जाते समय मैंने प्रीति को उस वाईब्रेटर डिल्डो के कारण एक गिफ्ट दिया जिससे उसको मेरी याद आती रहे.
और वो गिफ्ट था मेरी यूज्ड पेन्टी जो पिछली बार पति से चुदते वक्त अंतिम समय पर किसी के आने जाने के कारण सीधे ही पहननी पड़ गयी थी, जिस पर मेरे पति का वीर्य और मेरी चूत का रस लगा था।
प्रीति ने मेरी पेंटी लेकर मुझे धन्यवाद कहा।
मैंने कहा- मेरी जान … अगली बार जब तुम आओगी तो इससे भी जोरदार गिफ्ट दूँगी।
मैं सोच रही हूँ कि क्या अब मुझे प्रीति को मेरे और मेरे पति का रोमांस का वीडियो दिखाना चाहिये? क्या एक संस्कारी औरत के लिए यह सही है? या गलत?
मुझे आपके जवाब की प्रतीक्षा रहेगी।
आपकी मित्र पायल जैन
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