भाभी ने चुदवा के अपनी सहेली की चूत भी दिलवाई

हमारी गारमेंट्स की दूकान पर बहुत भाभियाँ आती है. एक भाभी रास्ते में मिली तो वो मुझे अपने घर ले गयी. भाभी की चुदाई कैसे हुई और फिर उनकी सहेली को मैंने कैसे चोदा?

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम विकास कुमार है, मैं अहमदाबाद से हूँ. मेरे जीवन की यह पहली कहानी लिख रहा हूँ मैं . … तो अगर कोई गलती होती है तो छोटा भाई समझ कर माफ कर देना.

मैं जिस भाभी की बात कर रहा हूँ. उनका नाम कुछ प्राइवेसी की वजह से दूसरा बता रहा हूँ. उनका काल्पनिक नाम श्रुति भाभी है.

वैसे तो मैं एक मिडल क्लास परिवार से हूँ. मेरे पिताजी की एक दूकान है गारमेंट्स की तो मैं पिताजी की हेल्प करने जाता रहता हूँ.

उसी दौरान हमारे वहाँ पर एक भाभी अक्सर आती थी कपड़े ख़रीदने के लिए.

एक बार हमारे पिताजी मार्किट गए हुये थे. उस टाइम पर वो भाभी जी आयी और हम से कुछ सामान लेकर दाम में डिस्काउंट भी मांगने लगी.
फिर बोली- दे दो ना! और कभी आ जाना घर पर चाय पानी पीने!

उस टाइम पर मैं कुछ समझा नहीं और वो मुस्कुराती हुई चली गयी.

फिर एक बार मैं ट्यूशन खत्म कर के हमारे घर की तरफ जा रहा था तो वो भाभी रास्ते में मुझे मिल गयी और मुझे देख कर स्माइल करने लगी.
मुझे उन्होंने अपने पास बुलाया तो मैं उनसे मिलने उनके पास गया.

उन्होंने मुझे बोला- यहाँ पर कैसे?

मैंने बोला- ट्यूशन से आ रहा हूँ.

वो भाभी बोली- मेरे घर चलो, यहीं पर है मेरा घर!

मैं उनके घर पर गया, तब पता चला कि उनका एक पांच साल का छोटा बच्चा भी है.

उन्होंने मुझे बोला- आते रहा करो ना . … काफी मन करता है तुमसे मिलने को!

तो मैंने पूछा- मुझसे मिलने का मन क्यों करता है?

वो बोली- बस ऐसे ही!

फिर मैंने सोचा कि होगा कुछ!

तो मैं घर चला गया.

फिर एक दिन व्हाट्सएप पर अनजान नम्बर से मैसेज आया. फिर मैंने उनसे पूछा तब पता चला की ये तो वो ही वाली भाभी है.

हमारी धीरे धीरे बात चालू हुई. मैं उनसे बात करने लगा. फिर एक बार उन्होंने मुझे पूछा- तुम तो कॉलेज जाते हो तो तुम्हारी कोई गर्लफ्रैंड तो होगी?

मैंने बोला- है तो सही!

वो भाभी पूछने लगी- कैसे चल रहा है उसके साथ?

मैं बोला- चलता है ठीक ठीक!

फिर एक बार ठंड का मौसम चल रहा था तो वो अपने बेटे के लिए स्कूल का स्वेटर लेने हमारी दूकान पर आयी. पापा वैसे ही स्वेटर लेने मार्किट गए हुए थे.

तो मैंने बोला- मैं आपके घर पर ही स्वेटर लेकर आ जाऊँगा थोड़ी देर बाद!

उन्होंने बोला- ठीक है!

फिर जब पापा जब मार्किट से आ गये तब पापा से उनके लड़के का स्वेटर ले कर उनके घर पर चला गया.

उस वक्त दुपहर के 2 बजे थे. जब मैंने उनके घर जाकर बैल बजाई तो घर से भाभी जी ने दरवाजा खोला. उन्होंने मुझे अंदर आने को बोला.

मैं जब घर में जाकर सोफे पर बैठ गया तो भाभी जी ने पूछा- पानी पिओगे?

तो मैंने बोला- नहीं अभी पानी नहीं पीना . … ठंड का मौसम है, कुछ गर्म ही दे दो.

भाभी बोली- दूध नहीं है. और गर्म चाहिए तो मैं हूँ बहुत ही गर्म!

तो मैं उनके पास गया. उन्होंने ढीली वाली नाइटी पहनी हुई थी. भाभी ने मेरे हाथ पकड़ लिए और अपनी बूब्स पर रख दिए. अभी आगे कुछ बात करने की जरूरत ही नहीं पड़ी और मैं उनके मुंह को चूमने लगा. वो भी पूरा मेरा साथ देने लगी.

तभी भाभी ने मुझे दूर किया और जाकर गेट बंद करके वापिस आयी. फिर वापिस मैं उनको पकड़ कर उनके बेडरूम में लेकर गया. वहाँ पर मैं बुरी तरह से भाभी को चूमने लगा.

फिर उन्होंने अपने कपड़े उतार दिए और भाभी पूरी नंगी मेरे सामने खड़ी हो गयी.

मैं भाभी की चूची एक हाथ से दबा रहा था और दूसरी को मुंह में लेकर चूस रहा था. उनकी आंखें बंद थी और वो पूरा आनंद ले रही थी.

फिर वो मुझे चूमने लगी और मेरे कपड़े उतार दिए. मुझे नंगा देखकर वे मुझसे बोली- कितने मस्त और चिकने हो तुम!

तो मैं बोला- मैं कोइ चिकना नहीं हूँ.

भाभी बोली- तुम्हारे जैसे लड़के को हमारी जैसी भाभियाँ चिकना ही बोलती हैं.

फिर भाभी ने मेरे पूरे नंगे जिस्म को अपनी जीभ से चाटने लगी. और नीछ आते आते आखिर में भाभी ने मेरे लंड को पूरा मुंह में ले लिया और उस पर जीभ घुमाने लगी.

मुझे बहुत आनंद आने लगा.

फिर वो मेरे लंड के ऊपर और नीचे, मेरी जाँघों में हाथ फिराने लगी.

इसके बाद हम लोग बेड पर आ गये. मैं भाभी को फिर चूमने लगा और फिर मैं भाभी की चूत तक पहुँच गया.

जैसा मैंने सुना हुआ है कि चूत चाटने का मजा ही कुछ और ही है. तो मैं तो बस भाभी की चूत को चाटता ही गया. कुछ देर बाद भाभी की चूत में से कुछ नमकीन पानी छुटा और वो भाभी एकदम निढाल हो गई.

कुछ पल बाद भाभी बोली- कहाँ से सीखा ये सब तुमने?

मैंने बताया- सब पॉर्न विडियो देख कर सीखा!

तो भाभी बोली- तुम बहुत भोले हो, सब कुछ कर देते हो.

फिर वो मेरे ऊपर आ गई और मैं नीचे था. भाभी ने मेरे लंड को पकड़ा और अपने हाथों से उनकी चूत पर सेट कर के ऊपर नीचे होने लगी.
मुझे भी मजा आने लगा.

थोड़ी देर के बाद वो बोली- मैं थक गयीं . … तुम ऊपर आ जाओ!

फिर मैं नंगी भाभी के ऊपर आ गया और भाभी बिस्तर पर लेटी थी. मैंने भाभी की चूत पर अपने लंड को सेट कर दिया और धक्का लगाने लगा. मगर मेरा लंड भाभी की चूत पर से फिसल गया. भाभी की चूत काफी चिकनी हो चुकी थी. फिर भी मैंने लंड पर थोड़ी सी क्रीम लगाई और दोबारा से भाभी की चूत पर लंड सेट कर दिया.

भाभी ने मेरे लंड को पकड़ कर खुद अपनी चूत के छेद पर सेट करवा लिया. अब मैंने अपने चूतड़ उचका कर जोर से एक धक्का दिया तो फिसल कर आधा लंड भाभी की चूत में उतर गया.

चूत में लंड जाते ही भाभी बोली- धीरे से करो, मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ. आराम से!

तो मैं बोला- भाभी पहली बार है ना . … तो मैंने सोचा कि जल्दी जल्दी करना होता है.

भाभी बताने लगी- नहीं, ऐसा नहीं होता. चूत को पूरा आराम से मारो. और फिर तेजी से इंजन चलाओ, तब मजा आता है.

फिर मैं बीस मिनट तक भाभी की चूत में धक्का मारता रहा और उसके बाद मैंने अपना सफ़ेद पानी भाभी की चूत में छोड़ दिया. मुझसे रहा नहीं गया कण्ट्रोल ही नहीं हुआ.

मैं थोड़ी देर निढाल होकर वहीं सो गया. उतनी देर में भाभी कपड़े पहनकर तैयार हो गई और बोली- तुम जाओ और ये स्वेटर को यहीं छोड़ दो. मैं दुकान पर आकर पैसे दे दूँगी.

लेकिन मैं बोला- ठीक है . … पर मुझे एक बार और करना है. देखो मेरा वापिस तन गया.

तो वो बोली- मुझे मेरे बेटे को स्कूल लेने जाना है, तुम बाद में आ जाना. अब तो जब मैं बोलूंगी तब तुम्हें आना पड़ेगा.

फिर मैंने अपने कपड़े पहन कर उनको एक किस किया और घर की ओर निकल गया.

दूसरे दिन भाभी ने दुकान पर आकर पिताजी को स्वेटर के पैसे दिये.

फिर मुझे नीची आवाज़ में बोली- मेरे जानू, जब भी मुझे टाइम मिलेगा तो मैं तुम्हें कॉल कर दूँगी. तो आ जाना.

उसके बाद तो मैं बहुत बार उनके घर जाकर भाभी की चूत को बजा कर आया. और सच बोलूं तो मुझे चूत की चुदाई करना भाभी ने ही सिखाया था.

फिर तो भाभी ने अपनी कई सहेलियों को भी मुझसे मिलवाया. मैंने भाभी की कई सहेलियों की चूत मारी. भाभी की सहेलियां मुझे फोन करके बुला लिया करती थीं.

मैं एक प्लेब्वॉय बन गया था.

अब तो दुकान से टाइम भी बहुत मुश्किल से मिलता था फिर भी चूत का जो मजा है वो किसी भी चीज़ में नहीं है.

अपने फर्स्ट टाइम सेक्स की भाभी की चुदाई की यह मजेदार कहानी यही ख़त्म करता हूँ.

मेरी अगली कहानी गुजराती भाभी की है! अहमदाबाद में जो मजा मुझे मिला है, उसका तो मुकाबला ही नहीं हो सकता.

गुजराती भाभी का नाम वैशाली था और वो एकदम भरे हुए बदन की मालकिन थी. जैसा मैंने बताया कि श्रुति भाभी ने मुझसे उनकी सहेलियों से मिलवाया था, उनमें से ही ये एक है.

तो वैशाली भाभी भी हमारी शॉप पर शॉपिंग करने आती थी. पर मुझे नहीं पता था कि इस वाली भाभी को भी चूत मरवानी है. श्रुति भाभी ने मुझे वैशाली भाभी से हमारी ही दूकान में मिलवाया और कहा कि यहाँ खुल कर बात नहीं हो सकती तो मैं घर से फोन पर तुम दोनों की बात करवा दूंगी.

फिर श्रुति ने अपने घर वैशाली को बुला कर मेरी बात उनसे फोन पर करवायी. हमने आपस में खुल कर सेक्स पर बात की और वैशाली ने मुझे अपना फोन नम्बर दे दिया.

उसके बाद मैं और वैशाली अक्सर फोन पर सेक्स की बातें कररने लगे लेकिन अभी तक वैशाली ने चुदाई के लिए नहीं बुलाया था.

एक दिन श्रुति भाभी ने बताया कि वैशाली दो दिन घर में अकेली रहेगी और वो तुम्हें अपने घर बुलायेगी.
मैं खुश हो गया कि अब मुझे वैशाली की चूत चोदने को मिलेगी.

एक दिन वैशाली ने मुझे फोन करके अपने घर का पता बता कर कुछ कपड़े मंगवाये कि इस बहाने मैं उनका घर देख लूं.

मैं भाभी का घर ढूँढ कर उनके घर पहुँच गया. उस वक्त उनका बेटा भी घर में था. लेकिन भाभी ने बहाने से मुझे उनका पूरा घर दिखा दिया.

फिर भाभी ने कहा- मेरे पति गांव में किसी की शादी में मेरे बेटे को लेकर जाने वाले हैं. वो दो दिन तक वापिस नहीं आने वाले! तो तुम आ जाओगे ना?

मैं बोला- नेकी और पूछ पूछ? ऐसा नहीं हो सकता कि मैं ना आऊँ. पर मुझे रात में ही टाइम मिलेगा, दुकान पर से नहीं आ सकता, पापा नहीं आने देंगे. वैसे मुझे श्रुति भाभी ने पहले ही बता दिया था कि आप मुझे बुलाने वाली हो!

भाभी बोली- कोई बात नहीं!

और भाभी ने मुझे तारीख बतायी कि किस दिन आना है.

उन्होंने कहा- पर आने से पहले मुझे कॉल कर देना.

मैंने कहा- ठीक है. मैं रात को आपकी गली में आकर कॉल करता हूँ.

फिर वो चली गयी.

वैसे दोस्तो, मैं बता देता हूँ कि हमारी कपड़ों की बड़ी दुकान है तो उसमें मैं ऊपर वाले फ्लोर पर बैठता हूँ.

फिर मैंने पापा को बोला- मुझे शाम को मूवी देखने दोस्तों के साथ जाना है, तो मैं जल्दी चला जाऊंगा.

रात को नौ बजकर तीस मिनट पर घर बाइक लेकर निकल गया. फिर बाथरूम में जाकर फ्रेश होकर बॉडी स्प्रे लगा कर मम्मी को बोला- मैं बाहर ही खाना खा लूंगा दोस्तों के साथ!

मैं फिर घर से निकल गया और गुजराती वैशाली भाभी की घर की गली के पास जाकर उनको कॉल किया तो उन्होंने बोला- इतनी देर?

मैंने बताया- मैं अभी ही फ्री हुआ हूँ शॉप पर से!

तो बोली- ठीक है, दस मिनट के बाद मैं ऊपर वाले रूम में आ जाना.

मैंने भाभी को बताया- मुझे खाना भी खाना है, मैं तो घर से भूखा ही आया हूँ.

तो उन्होंने बोला- आ जाओ . … मैं हूँ. मुझे आज तो पूरी खा जाना!

मैं बोला- मैं सच में भूखा हूँ.

तो भाभी बोली- आ जाओ, मैं खाना ऊपर लेकर आती हूँ.

मैंने बाइक को उनके घर से थोड़ा दूर खड़ी कर दी और उनके घर पर ऊपर वाले कमरे में चला गया.

वैशाली भाभी वहीं एक झीना सा नाईट सूट पहन कर बेड पर बैठी हुई थीं और पास में टेबल पर खाना रखा हुआ था.

मैं दरवाजा बंद करके उनके पास जाकर बैठ गया. भाभी ने आंख दबाते हुए अपनी चूचियां आगे कर दीं, तो मैंने उनके दोनों मम्मों को पकड़ लिया और उनको चूमने लगा.

भाभी ने बोला- कॉलबॉय ऐसे नहीं करता … वो तो सामने वाले की फरमाइश पूरी करता है.

मैंने बोला- भाभी मैं कॉलबॉय नहीं हूँ … वैसे कहिए आपकी क्या फरमाइश है?

भाभी बोलीं- पहले खाना खा लो, मुझे भी खाना है.

उन्होंने मुझे ठीक से बिठा कर अपने हाथों से खाना खिलाया. मैंने उनको खिलाया.

उसके बाद उन्होंने एक डिब्बे में से ढोकला निकाला और बोला कि ये भी ले लो … यदि और खाना हो तो.

मैंने बोला कि इसको तो आपकी चूत पर रख कर खाऊंगा.

भाभी हंस दीं.

उन्होंने ढोकला का डिब्बा एक तरफ रख दिया और दूध का गिलास मेरे होंठों से लगा कर दूध पिलाया. इसके बाद सब झूठे बर्तनों को लेकर पीछे वाले कमरे में रख कर आ गईं.

फिर वापस अन्दर आकर भाभी बोलीं- मेरी बहुत सारी सहेलियां कॉलबॉय की सर्विस लेती हैं, अगर तुम चाहो तो तुमको भी कॉलबॉय बना सकती हूँ.

मैंने पूछा- उसमें मुझे करना क्या होगा?

भाभी ने बताया- मेरी तरह मेरी बहुत सारी सहेलियां हैं जो अपने पति से संतुष्ट नहीं होती हैं. वे अपनी सेक्स लाइफ से खुश नहीं हैं. तो वो लोग कॉलबॉय को बुलाती हैं. वो उनके साथ उसकी मर्जी से सेक्स करता है, उनको मजा देता है.

मैंने बोला- ठीक है, वो सब छोड़ो, अभी तो मुझे आपकी सेवा करने का मन है.

इतना कह कर मैं वैशाली भाभी के दोनों चूचों को अपने हाथों में लेकर दबाने लगा, उनके मुँह पर किस करने लगा.

वो भी थोड़ी सी गर्म होने लगी थीं. उन्होंने मुझे सर से पकड़ लिया और चूमने लगीं. हम एक दूसरे को चूमते हुए एक दूसरे के कपड़े उतारने लगे. दोनों इस समय बेड पर ही थे, तो मैं उनके चूचों को कुछ जोर से दबाने लगा.

वो मादक सिसकारियां भरने लगीं- आंह आऊं ऊहम … चूसो … जी भरके चूसो … अब ये तुम्हारे ही हैं.

मैं पूरी ताकत से मम्मों को आटे सा गूँथने लगा.

भाभी- आंह जरा धीरे से यार … तुम तो इनको उखाड़ ही लोगे.

मैंने भाभी के मम्मों को चूसते हुए ही अपना एक हाथ उनकी चूत की तरफ़ बढ़ा दिया. मैंने अपना हाथ उनकी पेंटी के अन्दर डाल दिया. मैंने देखा कि उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया था.

मैं भाभी को किस करते करते नीचे आ गया और अपना मुँह उनकी चूत पर लगा दिया.

इससे उनकी मादक सिसकारियां और ज़्यादा हो गईं- आह उओह ऊहम आऊं चीर दो … फाड़ दो … मैं कब से प्यासी हूँ … आज तुम मेरी चूत की प्यास बुझा दो.

मैंने भाभी की टांगों को फैला कर चुदाई की पोजीशन बनाई और उसी वक्त उसकी चूत पर लंड को लगा दिया और अन्दर धकेल दिया. मेरा मोटा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया.

वो उम्म्ह… अहह… हय… याह… करते हुए मुझसे लिपट गईं और मैं उनके होंठों को पीने लगा.

मेरा लंड भाभी की पानी छोड़ती चुत में बड़ी आसानी से अन्दर चला गया था. उनकी चूत ने काफी सारा पानी छोड़ा था, इसलिए लंड को हद से ज्यादा चिकनाई मिल गई थी. मैं उनकी चूत में सटासट धक्का लगाने लगा.

भाभी ने मेरी गांड पर हाथ रखा और बोलने लगीं- हां … आंह … ऐसे ही … और जोर से … मजा आ रहा है..

मैं उनको चूमते हुए गाली देने लगा.

तो वो गुजराती में गाली बोलने लगीं- जोर थीं … नाक जोर थीं नाख … बहुत मजा आवे छे … मजा पड़ी गई … तारा जेवो कोई लोड़ों मलयो नथी.
फिर मैं बोला- मैं हूँ ना … अब आपको किसी की जरूरत नहीं पड़ेगी. मैं अकेला ही काफी हूँ आपके लिए.

भाभी की चूत को चोदते हुए मुझे गजब का मजा आ रहा था. वो भी मेरे लंड को अपनी चूत में लेते हुए गांड को बार बार ऊपर उठा रही थीं.

तभी भाभी बोलने लगीं- विकास, तुम्हारी दुकान पर तो मैं कब से आती जाती रही हूँ … पर मैंने कभी सोचा ही नहीं था कि तुम इतने बड़े वाले चोदू हो … पहले मालूम होता तो न जाने अब तक कितनी बार चुत चुदवा चुकी होती.

मैं बिना कुछ बोले उनकी चूत में धक्का लगा रहा था.

फिर मैं थोड़ा थक गया तो वैशाली भाभी बोलीं- अब तुम नीचे आ जाओ मैं ऊपर आती हूँ.

मैंने हां करते हुए पोजीशन बदल ली. अब वो मेरे ऊपर आ गयी थीं. वो लंड चुत में लेकर ऊपर नीचे होने लगीं.

जब वो वापस थक गईं, तो मैंने बोला- भाभी अब मैं पीछे से करता हूँ.

वो बोलीं- न..नहीं पीछे नहीं करना है … उधर बहुत दर्द होता है.

मैंने बोला- नहीं यार, कुत्ता कुतिया स्टाइल में चुत में लंड पेलूंगा.

इस पर वो बोलीं- ठीक है.

वो बेड के किनारे पर आ गईं और मैं उनके पीछे खड़ा होकर उनकी चूत में लंड सैट करके दे दनादन धक्का लगाने लगा.

वैशाली भाभी अब तक दो बार अपना पानी छोड़ चुकी थीं.

थोड़ी देर बाद मैं भी भाभी की चुत में ही झड़ गया. मेरे लंड का पानी उनकी चूत में ही निकल गया.

वैशाली भाभी हांफते हुए बोलीं- आंह … सच में विकास … बहुत दिनों बाद ऐसा मजा आया है.

मैं भाभी के बगल में लेटा हुआ था. कुछ पल बाद वैशाली भाभी बोलीं- चलो बाथरूम में साफ़ करके आते हैं.

हम दोनों बाथरूम में आ गए. भाभी ने मुझे और मेरे लंड को साफ किया और मैं बेड पर वापस आकर लेट गया.

एक मिनट बाद वैशाली भाभी भी आ गईं. भाभी मेरे पास आकर मेरे लंड को देखने लगीं और उसको अपने हाथ से सहलाने लगीं. इससे मेरा लंड, जो कि एकदम ढीला सा था, वो हरकत करने लगा और वो वापिस एकदम खड़ा हो गया. वैशाली भाभी ने तुरंत नीचे जाकर लंड को अपने मुँह में ले लिया और अपनी जीभ से उसको चाटने लगी.

अब मैं बहुत आनन्द महसूस कर रहा था. फिर भाभी ने एक हाथ से अपनी चूत में उंगली डाली और लंड हिलाने लगीं. फिर चुत से उंगली निकाल कर लंड पर अपना मुँह लगा दिया. मैं समझ गया और 69 में हो गया.

भाभी ने मेरे सर को जोर से अपनी चुत पर दबा लिया. मैं भाभी की चुत के अन्दर तक जीभ चलाने लगा.

कुछ ही देर में मेरी और भाभी की चुदास भड़क गई और हम दोनों ने एक बार और चुदाई का मजा लिया.

फिर मैंने देखा कि टाइम काफी हो गया था. घड़ी में डेढ़ बज गए थे. मैंने बोला- भाभी अब मुझे जाना होगा.

भाभी बेमन से बोलीं- ठीक है.

मैंने अपने कपड़े पहने, तो भाभी बोलीं- फिर से भूख लग गयी होगी, कुछ खाते जाओ.

मैं मुस्कुरा दिया तो उन्होंने वो ढोकला वाला डब्बा खोल कर एक ढोकला का पीस निकाला और एक दूसरे के मुँह के पास लाकर आधा आधा दबाते हुए खाने लगे.

मैंने बोला कि भाभी अब टाइम काफी हो गया है … मुझे घर भी जाना है. यदि आप ऐसे ही करती रहीं, तो मुझे फिर से आपको चोदना पड़ेगा.

उन्होंने हंसते हुए बोला कि ओके … लेकिन एक बात सुनो, जैसी सेवा तुमने मेरी की है, अगर वैसी ही मेरी सहेलियों की भी करोगे … तो मोटा माल भी मिलेगा और मजा भी. वैसे भी तुम मारवाड़ी लोग होते बहुत ही पक्के हो. बोल क्या … करना है?

मैंने बोला- आप बोल देना, मैं देख लूँगा.

भाभी से विदा लेकर मैं उनके घर से निकल आया. अपनी बाइक लेकर घर आ गया. घर के मेन दरवाजे की चाभी मेरे पास थी, तो मैं सीधे अपने रूम में जाकर सो गया.

सुबह जब देर तक नहीं उठा, तो मम्मी मुझे उठाने के लिए आईं. मैंने उठ कर फिर से रात की चुदाई को याद किया और भाभी की सहेलियों की चुत चुदाई मिलने का इन्तजार करने लगा.