मेरा नाम राजू है. मेरी उम्र 24 साल है और मैं एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत हूं. मैं एक साधारण परिवार से हूं. मैंने अपनी पढ़ाई बैंक लोन लेकर की है. मैं एक साधारण दिखने वाला लड़का हूं और मेरी हाईट 5.5 फीट है. मेरा लिंग साधारण आकार का है.
यह कहानी बताएगी कि मेरा पहला सेक्स कैसे हुआ? कहानी मेरे और एक भाभी के बीच की है.
मेरा प्लेसमेंट कॉलेज से ही हो गया था इसलिए ज्वाइनिंग में ज्यादा समय नहीं मिला.
मैंने जल्दी ही कंपनी को ज्वाइन कर लिया.
फिर मैंने वहां कुछ लोकल वर्कर से किराये का रूम पूछा तो उन्होंने मेरी मदद की और पास के ही गांव में मुझे एक आदमी के मकान के बारे में बताया.
वो आदमी भी पहले से ही उसी कंपनी में काम करता था जिसमें मैंने ज्वॉइन किया था.
उसके घर में कुल 4 रूम थे तो उसने मुझे एक रूम किराये पर दे दिया.
उस आदमी घर में उसकी पत्नी और उसकी मां रहते थे. उसका एक बच्चा भी था जो बस 1 महीने का था.
भाभी की उम्र करीब 30 साल थी और भैया की करीब 33 साल थी. भाभी एक सामान्य दिखने वाली औरत थी लेकिन बूब्स काफी बड़े थे.
उनकी मां की करीब 55 साल की उम्र थी. कुछ दिन पहले पैर का ऑपरेशन होने की वजह से वो ज्यादा चलती नहीं थी.
शुरू में कंपनी में मुझे बस ट्रेनिंग करवायी जा रही थी तो मैं भी काफी फ्री रहता था.
भैया ने बच्चे के कारण छुट्टी ले रखी थी तो शाम में हम दोनों में बातें होती थीं.
फिर धीरे धीरे हम एक दूसरे से हंसी मजाक भी करने लग गए मगर मैंने कभी भी भाभी से ज्यादा बात नहीं की.
क्योंकि शुरू से मैंने ब्वायज स्कूल में पढ़ाई की. फिर कॉलेज में भी लड़कों के बीच ही रहा था. किसी लड़की से मेरा कभी नाता नहीं रहा इसलिए मैं लड़कियों से बात करने में डरता था.
एक दिन बातों ही बातों में भैया ने मुझे बताया कि उनकी विदेश जाने के लिए बात चल रही है और जैसे ही उनका वीजा लगेगा वो चले जाएंगे.
करीब 15 दिन बाद उनका वीजा लग भी गया और वो नवंबर महीने में चले गए.
तब तक मुझे वहां 3 महीने हो गए थे रहते हुए!
अब कंपनी में काम का प्रेशर धीरे धीरे आने लगा था.
अभी भी मेरी भाभी से बहुत कम बात होती थी.
या यूं कहें कि होती ही नहीं थी.
उनका छोटा बच्चा था और उनकी सास ज्यादा चल नहीं सकती थी तो कोई काम होता था तो वो मुझे बोल देती थी.
टाइम बीता और अब जनवरी शुरू हो गई थी तो शनिवार और रविवार को मैं छत पर धूप लेने के लिए चला जाता था.
वहां पर भाभी और उनकी सास भी होती थी.
मुझे वहां जाने में काफी संकोच होता था क्योंकि भाभी अपने बच्चे को दूध पिलाया करती थी.
मैं चुपचाप घूमता रहता.
अभी तक मैंने भाभी के बारे में गलत नहीं सोचा था और ना ही कभी ऐसा कोई ख्याल आया था क्योंकि मैं कंपनी से थक कर आता और खाना बनाकर-खाकर जल्दी से सो जाता या फिर मोबाइल में बिजी हो जाता.
कभी कभी घर पर भाभी की सहेली आया करती थी जिसका नाम पिंकी था.
वो गोरी सुंदर और सामान्य शरीर की थी.
उनके पति भी विदेश रहते थे और उन्होंने ही भैया का वीजा लगवाया था.
मेरे रूम का एक दरवाजा बाहर था और दूसरा सीधे घर की तरफ था.
तो जब वो आती तो उन लोगों की बातें मुझे साफ़ सुनाई देतीं जिससे मुझे पता चला कि भाभी काफी खुले विचारों की है.
धीरे धीरे समय बीतता गया और कोराना वायरस फैलता गया.
अब मार्च का समय आ गया था तो कंपनी में काफी सावधानी चल रही थी.
आधे कर्मचारियों को एक दिन बुलाया जा रहा था और बाकी आधे दूसरे दिन.
अब मेरा काम भी बढ़ गया था.
मैं कभी कभी 12 घण्टे की ड्यूटी भी करता था.
फिर होते होते कोरोना के कारण लॉकडाउन लग गया और मैं वहीं फंसकर रह गया.
लॉकडॉउन में मैं दिनभर घर में ही रहता क्योंकि मैं वहां किसी और को नहीं जानता था.
मैं ऊपर छत पर छांव देख कर बैठता था और बस बोर होता था या अपना कुछ पढ़ भी लेता था.
अभी तक मैंने बहुत कम पोर्न वीडियो देखे थे मगर खाली समय में मैंने पोर्न देखना भी शुरू कर दिया और अन्तर्वासना पर सेक्स कहानियां पढ़ना भी शुरू कर दिया.
अब मेरे अंदर काफी सेक्स जागने लगा था और मैं काफी उत्तेजित महसूस करता था.
धीरे धीरे हस्तमैथुन की आदत होने लगी.
मैं रोज सेक्स कहानियां पढ़ने लगा और मुठ मारने लगा.
बस अब ऐसे ही मेरे दिन कटने लगे.
एक दिन भाभी ने मेरे से अपनी सास की कुछ दवा लाने के लिए कहा और एक पर्ची मुझे दे दी.
उस वक्त रात हो चुकी थी तो मैंने सुबह जाने का फैसला किया.
मैं लेट गया. मैं उस पर्ची को देखने लगा.
उस पर जो दवाई लिखी थी उसको पढ़कर सोचा कि पता किया जाए किस चीज की दवाई है.
जब मैंने इंटरनेट पर सर्च किया तो पता चला कि वो औरत का दूध कम करने की दवाई थी.
अगले दिन सुबह मैं दवाई लाने गया.
मैंने भाभी को दवा लाकर दे दी.
अब से मेरी नजर उनके दूधों पर ही रहने लगी.
मैं अक्सर उनके ब्लाउज को निप्पलों पर से गीला पाता था.
कुछ दिन बाद भाभी ने फिर से वो दवा मंगवाई.
मैंने केमिस्ट से उसका साइड इफेक्ट पूछा तो पता चला कि उसके खाने से बूब्स में गांठ बन जाती है और फिर वही बाद में कैंसर बन जाता है.
मैं ये सोचकर परेशान हो गया.
फिर ऐसे ही दिन बीतने लगे.
एक दिन मैं छत पर बैठा हुआ पतंग देख रहा था और कुछ दूर एक छत पर एक लड़की थी उसे भी देख रहा था.
तभी भाभी छत पर आई और उनके साथ उनका बच्चा भी था.
उन्होंने अपने बच्चे की मालिश की और दूध पिलाकर सुला दिया.
फिर मेरे से भाभी की ऐसे ही बात होने लग गई.
कभी लाकडाउन तो कभी पॉलिटिक्स, बातों बातों में भाभी मेरे से मेरी लाइफ के बारे में पूछने लग गई.
भाभी- और बताइए … कितनी गर्लफ्रेंड हैं आपकी?
मैं- अरे भाभी, मैं कभी लड़कियों के संपर्क में नहीं रहा. मेरी नहीं बनी एक भी!
भाभी मुस्काते हुए बोली- ऐसा भी है क्या?
मैं- अरे भाभी अब और बेइज्जती मत कीजिए मेरी!
भाभी- अच्छा तभी तुम वो दूर की लड़की के चक्कर में रोज छत पर आते हो, क्यों?
मैं- अरे नहीं भाभी, वो रूम में अकेले बोर हो जाता हूं, इसलिए छत पर आ जाता हूं.
भाभी- अरे मैं सब समझती हूं.
तभी भाभी का बच्चा उठ गया और रोने लगा.
भाभी फिर से उसे सुलाने लगी और मैं धीरे से नीचे आ गया.
फिर पानी पीकर फिर छत पर आ गया.
चूंकि गांव में घर काफी बड़े होते हैं और अलग बगल काफी जगह भी होती है दो घरों के बीच में तो हमारी बात कोई सुन नहीं सकता था.
तो मैंने देखा कि जब उनका बच्चा सो गया तब मैंने उनसे बात की.
मैं- भाभी एक बात पूछूं?
भाभी- हां पूछो.
मैं- भाभी जो आपने मुझसे दवा लाने के लिए बोला था वो किसकी दवा थी?
भाभी- वो मां की थी. मेरा मतलब मेरी सास की दवा थी.
मैं- अरे जो आपने अलग से लिखकर दिया था वो?
भाभी- अच्छा, वो तो मेरी थी, क्यों क्या हुआ?
मैं- जब मैं मेडिकल स्टोर पर गया था तो वो मेरे से बोले कि इसका प्रिस्क्रिप्शन नहीं है क्या? तो मैंने बोल दिया कि वो लॉकडाउन की वजह से पर्चा कहीं और रह गया है, तो उसने मुझसे बोला कि उसको ओवरडोज मत लेना. फिर मैंने बोल दिया कि नहीं … डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन है, तब वो कुछ नहीं बोला.
यह बात मैंने भाभी से झूठ बोली, क्योंकि मैं भाभी से सीधे नहीं पूछ सकता था उस दवा के बारे में!
भाभी- अरे वो मेरी सहेली ने बताया था इस दवा के बारे में, वो मेरा दूध ज्यादा होता है तो उसी को कम करने की दवाई है.
अब भाभी थोड़ी घबराई हुई सी लगने लगी.
मैं- भाभी, मैंने भी इसके बारे से सर्च किया है, और मुझे भी इसके साइडइफेक्ट्स के बारे में पता चला है, तभी आप से पूछा है.
भाभी- कैसा साइडइफेक्ट?
मैं- भाभी अगर आप इसे ओवरडोज में लेती हैं तो ऐसा मत करना. आपके स्तनों में दूध जम जाएगा और फिर वहां गांठ हो जाएगी. ऐसे ही ब्रेस्ट कैंसर हो जाता है.
भाभी- ओके, मैं आज से ही इसे बंद कर दूंगी, और थैंक्यू … मुझे बताने के लिए.
मैं- अगर आपको दूध ज्यादा हो रहा है तो आप ब्रेस्ट मिल्क पंप मंगवा लीजिए, उससे कोई साइडइफेक्ट नहीं होगा.
भाभी- कहां मिलेगा ये?
मैं- ऑनलाइन मिल जाएगा.
भाभी- ओके, एक मंगवा देना, मैं पैसे दे दूंगी.
मैं- ओके भाभी.
भाभी- मगर प्लीज इस बारे में किसी और से मत कहना.
मैं- अरे नहीं भाभी.
मैंने ऑनलाइन ऑर्डर कर दिया और ये 15 दिन में पंप आ गया, तो मैंने भाभी को वो दे दिया.
कुछ दिन बाद जब भाभी की सास कहीं गई हुई थी तब भाभी ने मुझसे बोला- राजू ये तो सही से काम ही नहीं कर रहा और कभी कभी दर्द भी होता है.
दोस्तो, अब चूंकि मैंने पहले इसे केवल यूट्यूब पर ही देखा था, तो मैंने बोला कि भाभी आप यूट्यूब पर देख लीजिए, सब पता चल जायगा कि कैसे इस्तेमाल करते हैं.
भाभी बोली- ठीक है, मैं देखकर इस्तेमाल करती हूं और फिर तुम्हें बताऊंगी.
थोड़ी देर में भाभी आई और बोली- राजू ये फिर भी सही से काम नहीं कर रहा, कहीं हमें खराब पीस तो नहीं दे दिया?
मैंने बोला- भाभी, हम इसे रिटर्न नहीं कर सकते क्योंकि कोरोना वायरस की वजह से सभी ऑनलाइन साइट वालों ने रिटर्न पॉलिसी को बदल दिया है.
भाभी बोली- कोई बात नहीं, रहने देते हैं फिर!
तब मैंने बोला- भाभी मैं एक बार चेक कर सकता हूं क्या, अगर आप को कोई प्रॉब्लम ना हो तो?
वो थोड़ा गुस्सा हो गयी और बोली- आप ये क्या बोल रहे हैं, आप जानते हैं न?
इतना बोलकर वो अंदर चली गई.
मैं सोचने लगा कि कहीं भाभी बुरा न मान गई हो और अपनी सास से मेरी शिकायत कर दे. मुझे तो ये घर से निकाल देंगे.
मगर कुछ देर के बाद भाभी मेरे कमरे में आ गई और बोली- ठीक है, तुम मेरे रूम में आकर चेक करके देख लो, नहीं तो मुझे परेशानी हो जाएगी रात को, और ये बात किसी से कहना नहीं.
मैं भाभी के रूम में गया.
वहां पंप रखा था तो मैंने पंप लिया और भाभी से उनके बूब्स बाहर करने को बोला.
भाभी ने अपने बूब्स बाहर किए और उनके बूब्स देखकर मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं.
मैं पहली बार सामने से असली बूब्स देख रहा था.
गोरे और बड़े बूब्स देख कर मेरा लन्ड भी तुरंत खड़ा हो गया और मेरी धड़कनें भी तेज हो गईं, ये सब मेरे साथ पहली बार हो रहा था.
फिर मैंने पंप लिया और भाभी का निप्पल पकड़ कर पंप के सक्शन के बीच में रख दिया और पंप को दबाना शुरू किया.
मगर मैं भी सही से नहीं कर पा रहा था.
भाभी बोली- देखा … ये सही से काम नहीं कर कर रहा है.
मैंने भाभी से बोला- अब तो हम कुछ नहीं कर सकते.
ये बोलकर मैं अपने रूम में आ गया.
रूम में आकर मैंने बाथरूम में जाकर हस्तमैथुन किया और अपना सारा वीर्य वहां निकाल दिया और छत पर चला गया.
तभी भाभी भी छत पर आ गई.
चूंकि मेरे साथ ये सब पहली बार था इसलिए मैं अभी भी बहुत बेचैन सा था.
वो बोलीं- तुम चिंता मत करो, मैं तुमसे इसके पैसे वापस नहीं मांगूंगी.
मैंने कहा- अरे नहीं भाभी, बस ऐसे ही आ गया मैं तो ऊपर!
भाभी- अरे यार, आज तो वो लड़की भी नहीं आई है.
यह भाभी ने मजाक में बोला!
मैं- अरे भाभी मैं उसके चक्कर में थोड़ी आता हूं यहां!
भाभी- ओह … मैं तो भूल ही गई थी.
तभी उनका बच्चा मेरी गोद में आने लगा और मैंने उसे पकड़ लिया.
मैं उसे लेकर घूमने लगा.
टहलते हुए मैंने पूछा- तो भाभी अब कैसे दूध निकालेंगी?
वो बोली- हाथ से ही करूंगी, मगर थोड़ी देर में हाथ भी दुखने लग जाता है.
मैं- एक बात बोलूं, आप बुरा तो नहीं मानेंगी?
भाभी- अरे नहीं, बोलिए क्या बात है?
मैं- क्यों न मैं ही आपका दूध पीकर निकाल लूं?
वो गुस्से से बोली- दिमाग खराब है आपका? ऐसी उम्मीद नहीं थी आपसे!
वो बच्चे को लेकर नीचे चली गयीं.
उनके ये शब्द सुनकर मैं डर गया और मुझे लगने लगा कि आज मेरा अंतिम दिन न हो इस घर में. अगर इन्होंने यहां से निकाला तो इस लॉकडाउन में कहां जाऊंगा?
बस गलत ही ख्याल आ रहे थे उसके बाद!
रात को मैं बिना खाना खाए ही सो गया और सुबह देर से उठा.
उस दिन मैं छत पर नहीं गया.
अगले दिन भी मैं छत पर नहीं गया.
उस रात को भाभी की सास मेरे रूम में आईं और बोलीं कि बेटा कल कुछ सामान लेते आना और लिस्ट देकर चली गईं.
अगले दिन मैं सामान लेकर आया तो मैंने भाभी को सब सामान दे दिया लेकिन भाभी मेरे साथ बिल्कुल नॉर्मल थीं.
ऐसा लग रहा था जैसे कुछ हुआ ही न हो.
अगले दिन मैं छत पर गया तो वहां भाभी और उनकी सास भी थीं और सब सामान्य था.
मैंने अपने मन में कहा कि चलो सब नॉर्मल हो गया, अब आगे से ऐसा कुछ नहीं करूंगा जिससे कोई मुसीबत खड़ी हो जाए.
कुछ दिन बाद भाभी और उनकी सास, अपनी सहेली के घर उनके लड़के के जन्मदिन पर गए.
लड़का एक साल का हुआ था.
वो लोग सुबह ही निकल गए.
फिर मुझे भाभी का कॉल आया कि राजू हम आज नहीं आयेंगे तो गेट बंद कर लेना.
मैं रात को गेट बंद करके सो गया.
सुबह भाभी आईं और मुझसे बोली- तुम ये कुछ कपड़े पिंकी के घर दे देना!
मैंने कपड़े लिए और बाइक से देकर आ गया.
फिर शाम को मैं छत पर बैठा था तो भाभी ने नीचे से आवाज लगाई- राजू, जरा नीचे आना.
मैं तुरंत नीचे गया.
भाभी सोफे पर बैठी थी और रेड कलर की साड़ी पहनी थी.
मैंने ध्यान से देखा तो उनका ब्लाउज निप्पल की साइड से भीगा था.
मैं- भाभी क्या हुआ? आप ने बुलाया?
भाभी- हां … लेकिन तुम मुझसे वादा करो कि ये किसी को नहीं बताओगे.
मैं- ओके भाभी, बोलो क्या हुआ?
भाभी- तुम बोल रहे थे ना कि तुम मेरा दूध पी सकते हो?
मैं- लेकिन भाभी …
भाभी रोते हुए- प्लीज …
मैं- भाभी लेकिन इसमें रोने की बात क्या है?
भाभी- हम लोग जब पिंकी के घर गए थे, तो पता चला कि पिंकी की दोस्त सुमन का बच्चा पैदा होते ही मर गया था. उसने भी इसी दवा को इस्तेमाल किया था.
मैं- तो इसमें क्या हुआ? आप रोना बंद कीजिए.
भाभी- तो सुमन को ब्रेस्ट कैंसर हो गया!!
भाभी ये कहते हुए और ज्यादा रोने लगी.
फिर मैंने पास में पड़ा रुमाल लेकर भाभी को दिया और उन्हें चुप होने के लिए बोला.
मैं- भाभी जो होना था, वो तो हो चुका है, अब क्या ही कर सकते हैं?
भाभी- प्लीज आप पियोगे ना?
मैं- ओके भाभी, लेकिन आपकी सास का क्या होगा?
भाभी- वो अगले 2 दिन के लिए वहीं रहेंगी और टाइम टाइम पर वो वहां जाती ही रहती है. बाकी का मैं देख लूंगी.
मैं- ओके भाभी, लेकिन आप किसी से इसके बारे में मत बताना.
भाभी- मैं पागल थोड़ी हूं जो बताऊंगी?
मैं- चलो ठीक है.
फिर मैं अपने रूम में आ गया और पोर्न वीडियो देखकर हिलाने लगा.
मैंने कई मिनट तक मुठ मारी और सारा वीर्य एक कागज पर गिराकर उसे डस्टबिन में फेंक दिया और आराम से सो गया.
फिर भाभी की आवाज से मेरी नींद खुली.
उस टाइम रात के 9 बज रहे थे.
मैं जल्दी से उठा और परेशान होने लगा क्योंकि मैंने कुछ खाना नहीं बनाया था.
उसके बाद मैं मुंह धोकर भाभी के पास गया और पूछा कि क्या हुआ?
भाभी- आज खाना नहीं बनाया है क्या?
मैं- नहीं आज सोता ही रह गया.
भाभी- कोई बात नहीं, परेशान मत हो. मैंने तुम्हारे लिए भी खाना बना लिया है.
मैं- ओह … थैंक्यू भाभी.
भाभी- चलो आ जाओ, खाना खा लो.
फिर मैंने खाना खाया और भाभी अपने रूम में अपने बच्चे को दूध पिलाने लगी.
जब मैं खाना खाकर उठा तब भाभी बोली- क्यों, तुम भी पियोगे?
मैंने बोला- क्या?
भाभी- दूध.
मैं- ओके भाभी, आता हूं.
भाभी- अब पैकेट का दूध लेना बंद कर दो.
मैं हंसकर बोला- ओके भाभी.
फिर मैं हाथ धोकर भाभी के रूम में गया.
तब तक भाभी का बच्चा भी सो गया था.
भाभी ने उसे साइड में सुला दिया और मुझे अपने बगल में बैठने को कहा.
उन्होंने अपने ब्लाउज को खोला और अपने बूब्स बाहर निकाल लिए. उन्होंने मुझे पीने का इशारा किया और मैंने उनके एक चूचे को मुंह में भर लिया.
उनके मोटे मोटे बूब्स मेरे हाथ में थे और मुलायम से निप्पल मेरे मुंह में थे, मैंने उसे चूसना चालू किया.
मेरे मुंह में भाभी का दूध जाने लगा.
धीरे धीरे भाभी हल्की हल्की सिसकारियां लेने लगी.
मेरा लंड पूरा खड़ा हो चुका था और मेरी पैंट में साफ पता चल रहा था.
मगर मैं कर भी क्या सकता था … ये तो खड़ा होना ही था.
दूध का टेस्ट नॉर्मल था. ना ज्यादा मीठा, ना नमक, ना पानी जैसा.
मैंने मजे से चूसा और बीच बीच में बस जीभ से उसे चाटता, जिससे भाभी सिसकारी ले उठती.
कुछ समय बाद भाभी ने अपना दूसरा स्तन मेरे सामने किया, उसको भी मैंने निचोड़ लिया.
बीच में ही मेरे लन्ड ने पानी निकाल दिया.
भाभी भी आंख बंद करके सिसकारियां भरे जा रही थी.
दोनों बूब्स चुसवाने के बाद भाभी ने अपनी ब्रा को बंद किया और ब्लाऊज को भी!
फिर मुझे बोली- आज मैं बहुत सुकून महसूस कर रही हूं और आज से तुम्हारे रूम का किराया माफ! मगर ये किसी को मत बताना.
दोस्तो, मैंने लोन लिया हुआ था और भाभी ने मेरा किराया माफ कर दिया इसलिए मैं बहुत खुश था.
मैं खुशी खुशी अपने रूम में चला गया.
मगर मुझे पूरी रात नीद नहीं आयी. मेरी आंखों के सामने बस भाभी के बूब्स और निप्पल थे.
उस रात मैंने 2 बार हस्तमैथुन किया, फिर जाकर सुबह 4 बजे सोया.
दोपहर को मेरी नींद खुली और मैं ब्रश करके बैठा था कि भाभी आकर बोली- खाना खा लेना, मैंने बना दिया है.
मैंने खाना खाया और अपने रूम में आकर गेम खेलने लगा.
मैं शाम को छत पर गया.
वहां भाभी पहले से थी.
मुझे देख कर भाभी बोली- और कैसा लगा अपनी भाभी का दूध?
मैं- भाभी, बहुत मस्त था.
भाभी- तुम भी बहुत शैतान हो, दूध पीने में भी भाभी से मजे कर रहे हो.
मैं- अरे भाभी, ये तो प्रकृति का नियम है, इसे कौन बदल सकता है.
भाभी- अच्छा … और तुम्हारी सही में अब तक कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी?
मैं- हां, मेरी अब तक कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.
भाभी- तभी तो … कल बस दूध पीते पीते ही चले गए.
मैं- कहां चले गए?
भाभी ने बात को टाल दिया और वो चली गयी.
कुछ देर के बाद वो फिर से आई.
मैंने पूछा- दादी कब आएंगी?
वो बोली- वो कल आएंगी, पिंकी के साथ. पिंकी सक्शन पंप लेकर जाएगी. उसको भी दिक्कत हो रही है क्योंकि उसका बच्चा बाहर का दूध ज्यादा पीता है.
तभी मेरा फोन आ गया और मैं बात करने लग गया और अपने रूम में आ गया.
फिर रात हुई और भाभी ने मुझे खाने के लिए बुलाया.
मैं गया और खाना खाया और भाभी के रूम में जाकर कल की तरह ही लेट गया.
भाभी ने आने के बाद अपने पूरे ब्लाऊज को खोल दिया और उन्होंने ब्रा भी नहीं पहनी थी.
मैं उनके बूब्स पर टूट पड़ा.
उनके बूब्स को भींच भींचकर दूध निकालने लगा.
कुछ ही देर में भाभी सिसकारने लगी.
भाभी ने बोला- बेटा अब तुम भी बड़े हो गए हो, दूध कम पी रहे हो और मजे ज्यादा कर रहे हो.
इस पर मैंने भाभी की ओर देखकर स्माइल किया.
भाभी ने भी स्माइल पास किया.
मैं समझ गया था कि भाभी अब पूरी तरह से गर्म हो गई है और अगर मैं इन्हें चोद भी दूं तो ये कुछ नहीं बोलेंगी.
मगर मैं रिस्क नहीं लेना चाहता था. मैं चाहता था कि भाभी खुद मेरे लन्ड को ले.
इसलिए मैं बूब्स मुंह में लेकर जीभ निप्पलों के चारों ओर घुमा रहा था और दूसरा बोबा हाथ में लेकर उसके निप्पल पर उंगली फेर रहा था.
ऐसा करने से उनके दूसरे बूब्स से भी दूध निकल जाता था.
इससे भाभी पूरी तरह हिल जाती थी. ऐसा करते हुए मेरा माल पहले ही निकल गया था और ये सब भाभी को पता चल गया था.
फिर जब पहले बूब्स का दूध खत्म हो गया तो मैं दूसरे पर टूट पड़ा और पहले को हाथ में लेकर उंगली फेरने लगा.
अब भाभी से रहा नहीं जा रहा था तो उन्होंने मेरे से बात करना शुरू कर दिया और बोली- बस इतनी जल्दी तुम्हारा निकल गया?
मैंने बोला- भाभी, मैंने इससे पहले ऐसा कभी नहीं किया इसलिए!
तब भाभी भी हंसने लगीं और बोलीं- मुझे दिखाओ, मैं इसका कुछ इलाज करती हूं. तुम मेरा इलाज करो और मैं तुम्हारा!
तो मैंने कहा- खुद ही देख लो.
फिर उन्होंने मेरी पैंट से मेरा लन्ड निकाल लिया.
वो पूरी तरह से तना हुआ था और उस पर वीर्य लगा हुआ था.
उन्होंने उसे हाथ में लिया और कहा- सही बना रखा है इसे!
मैं अब भी भाभी के दूध पी रहा था और मेरी सांसें बहुत तेज हो गई थीं.
भाभी बोली- रुको.
मैं रुका तो वो मेरा लन्ड मुंह में लेकर चूसने लगीं.
जैसे ही उन्होंने उसे चूसना शुरू किया तो मेरा पानी दोबारा से निकल गया.
इस पर भाभी हंसने लगी और बोली- बेटा, तुम शिलाजीत खाओ.
फिर बोली- मजाक कर रही हूं … पहली बार में सबके साथ होता है.
मैंने भाभी से पूछा- भाभी मेरा साइज छोटा है क्या?
तो उन्होंने बोला- नहीं तो, सबका साइज लगभग इतना ही होता है और सभी को लगता है कि वो छोटा है.
वैसे बता दूं कि मेरा लन्ड नॉर्मल साइज का है. 5-6 इंच के करीब और उसके अनुसार ही मोटा है.
भाभी मजे में लंड चूस रही थी.
मैंने भी देर न करते हुए भाभी की साड़ी को उठाया और उनकी पैंटी में हाथ दे दिया. उनकी पैन्टी पूरी तरह से गीली थी.
ये मेरा पहला अनुभव था तो मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं.
मैंने एक उंगली को उनकी चूत में घुसा दिया.
इस पर वो एकदम से हिल गई लेकिन कुछ नहीं बोलीं.
मैं समझ गया कि आज तो मेरे लन्ड की मौज है.
उंगली देने के कुछ टाइम में ही भाभी की चूत ने भी पानी छोड़ दिया.
उन्होंने मुझे कस कर भींच लिया.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- मेरा भी तो निकलता है, जैसे तुम्हारा निकला.
फिर उन्होंने मुझे एक गोली दी.
हमने एक दूसरे को पूरी तरह नंगा किया और एक दूसरे पर टूट पड़े.
अब हम 69 की पोजीशन में थे.
मैंने पहले ही भाभी को गर्म कर दिया था.
इससे उनकी चूत पूरी गीली हो गई थी.
भाभी ने अब मुझे अपनी चूत चाटने के लिए कहा.
पहले मुझे थोड़ा अजीब लगा और गंदा सा काम लगा लेकिन जब भाभी ने सिसकारियां लेना शुरू किया तो मैं भी तेजी से उनकी चूत को चाटने लगा.
दोनों को खूब मजे आ रहे थे.
फिर भाभी ने अंत में बोल ही दिया- अब और नहीं रहा जाता, प्लीज मुझे चोदो.
यह सुन कर मैं बहुत खुश हुआ और अपने लंड को भाभी की चूत के पास ले जाकर उस पर रगड़ने लगा.
तभी भाभी ने मुझे रोका और कॉन्डम निकाल कर मेरे लन्ड पर चढ़ा दिया.
मैंने फिर से रगड़ना चालू किया और चूत पर लन्ड रखकर एक धक्का लगाया.
मगर वो सरक गया.
फिर दूसरी बार भी सरक गया.
इस पर भाभी हंसने लगी और बोली- बेटा, तुमसे ना हो पाएगा.
फिर उन्होंने मेरा लन्ड पकड़कर अपनी चूत के मुंह पर रखा और उसे थोड़ा सा अन्दर करके बोली- अन्दर डालो.
मैंने भी एक धक्का लगाया तो लन्ड आधा अंदर चला गया और भाभी की चीख निकल गई.
उन्होंने मुझे रुकने को बोला.
मैंने बोला- भाभी, आपको तो बच्चा भी हो चुका है, फिर भी दर्द?
तो भाभी बोली- बच्चा ऑपरेशन से हुआ था और तब से मैंने सेक्स नहीं किया इसलिए चूत टाइट हो गई है.
बातों ही बातों में मैंने एक और धक्का दिया और पूरा लन्ड भाभी की चूत में दे दिया.
भाभी की चीख निकली, फिर भी उन्होंने बोला- अब शुरू हो जाओ, अब से तुम कुंवारे नहीं रहे.
मैंने धक्के पर धक्के मारना शुरू किया.
भाभी बड़े मज़े से सिसकारियां ले रही थी.
फिर हमने पोजीशन बदली और डॉगी स्टाइल में आ गए.
भाभी को इसमें बहुत मज़े आ रहे थे.
मुझे भाभी के लटकते बूब्स बहुत मस्त लग रहे थे जो आगे पीछे झूल रहे थे.
फिर कुछ ही देर में भाभी की चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया.
मगर मैं नहीं झड़ा था क्योंकि मैंने गोली खा रखी थी.
भाभी पूरी तरह से मजे ले रही थी. अब तक वो 2 बार झड़ चुकी थी.
फिर हम फ्रंट पोजिशन में आ गए. इसमें मुझे बहुत दिक्कत हो रही थी.
मेरा लन्ड पूरी तरह से टाईट था. भाभी ने मुझे गले से लगाया और अपने बूब्स को मेरे सीने से लगाया.
वो खुद ही धक्के देने लगी.
मुझे बहुत मजा आया.
मैंने उनके होंठों पर अपने होंठों को रखा और उसे चूसने लगा.
भाभी भी अब मेरे होंठ चूसने लगी थी.
बहुत मजा आ रहा था.
अब धीरे धीरे मैं थकने लगा था.
जब उसने देखा कि मैं थक रहा हूं तो बोली- तुम लेट जाओ, मैं करती हूं अब!
मैं लेट गया और भाभी मेरे ऊपर आ गई.
वो खुद ही लण्ड को चूत में लेकर हिलने लगीं और मैं उनके बूब्स पकड़ कर उनमें से दूध निचोड़ने लगा.
भाभी अब मस्त आह्ह … ओह्ह … आ्हह … की आवाज करते हुए चुद रही थी.
कुछ देर बाद मेरा भी निकलने को हो गया तो मैंने उनको बता दिया.
वो बोली- कोई बात नहीं, कंडोम लगा हुआ है, छूटने दो.
इतने में ही मेरा निकलने लगा.
मैंने भाभी को जोर से पकड़ा और सारा वीर्य निकाल दिया.
इसके बाद मेरा लन्ड ढीला पड़ने लग गया.
भाभी अब भी हिले जा रही थी क्योंकि वो भी अब डिस्चार्ज होने वाली थी लेकिन तब तक मेरा लन्ड ढीला हो गया था तो उन्होंने मुझे अपनी चूत चाटने को बोला.
मैंने चूत में दो उंगली डाल दी और चूत के ऊपर के भाग को चाटने लगा. दो मिनट बाद भाभी की चूत ने पानी छोड़ दिया.
हम दोनों चिपक कर लेटे रहे.
मुझे नींद आने लगी थी.
फिर मैंने उनको बगल में लेटाया और उनके बूब्स चूसने लगा. चूसकर मैंने उनको फिर से खाली किया और अपने रूम में जाने लगा.
भाभी ने मुझे वहीं सोने के लिए कहा.
मैं नंगा ही उनके बेड पर सो गया.
सुबह भाभी ने मुझे जगाया कि तुम अब अपने रूम में चले जाओ क्योंकि अब तुम्हारी दादी आने वाली है.
मैं जल्दी से उठा, कपड़े पहने और अपने रूम में चला गया.
जाते ही मैं सो गया और फिर दोपहर के 1 बजे उठा.
फिर उनकी सास और उनकी दोस्त पिंकी भाभी भी आ गयीं.
भाभी और उनकी सहेली खूब हंस कर बातें कर रही थीं.
कुछ समय बाद पिंकी चली गई और मिल्क सक्शन पंप भी ले गई.
शाम को जब मैं छत पर गया तब भाभी के ब्लाऊज पर मेरी नजर गई.
अब वो गीला नहीं था.
मैंने अकेले में भाभी से पूछा- अब गीले नहीं हो रहे हैं आपके बूब्स?
वो बोली- लगता है तुम बहुत दिनों से मेरे ब्लाउज को देख रहे थे. मुझे शक तो हुआ था लेकिन सोच रही थी कि मेरा वहम होगा इसलिए मैंने कुछ नहीं कहा.
इतना बोलकर वो मुस्कराते हुए वहां से चली गई.
अब जब भी उनकी सास कहीं जाती तो बस हमारा शुरू हो जाता था.
लॉकडाउन बढ़ता गया और हमारी मौज होती रही. मैंने न जाने कितनी बार भाभी की चुदाई की.
तो दोस्तो, ये थी साड़ी वाली भाभी की चुदाई की कहानी.
मैंने पिंकी भाभी की भी चुदाई की लेकिन उसकी कहानी आपको अगली कहानी में बताऊंगा.