यह घटना एक साल पहले की है जब मेरे घर के बगल वाले घर में एक शादीशुदा पति-पत्नी किराये पे रहने के लिए आए थे. उनको मैं भाभी कह कर बुलाता था. उनके पति मार्केटिंग सेक्टर में जॉब करते थे इसलिए ज़्यादातर वो शहर से बाहर ही रहते थे. हफ्ते में 2 दिन ही वो पति पत्नी साथ में रहते थे. भाभी को कभी कुछ बाजार से मंगाना होता, तो वो मुझ से ही मंगा लेती थीं. इसी बहाने मैं जब चाहता, उनके घर आ जा सकता था. मैं थोड़ी बहुत तफरीह मज़ाक भी करता रहता था.
असली बात उस दिन शुरू हुई जब एक दिन मैं उनके घर गया और उस दिन उनके पति भी आए हुए थे. मैं उनके घर गया तो दरवाज़ा बंद था मैंने भी नॉक नहीं किया. दोपहर का टाइम था तो मैंने सोचा कि भाभी शायद सो रही होंगी.
मैंने सोचा क्यों न खिड़की से देख लूँ कि क्या हो रहा है. मैंने जैसे ही खिड़की को हल्का सा खोल कर देखा तो सामने का नज़ारा देख कर मेरे तो होश ही उड़ गए.
भाभी बिल्कुल नंगी बेड पर लेटी थी, अपने नंगे पति के नीचे थीं और उनके पति उनकी दोनों टांगों के बीच में थे, उनको चोद रहे थे. चुदाई के झटकों से भाभी की चूचियां झूल रही थी.
मेरा लंड सख्त होने लगा और मैं कुछ पल भाभी की चूत चुदाई होते देखता रहा.
जैसा कि भाभी नीचे थीं तो उन्होंने मुझे खिड़की से देखते देख लिया. मैंने तुरंत ही खिड़की बंद की और भाग गया.
फिर मेरी हिम्मत न हुई भाभी के पास जाने की. मैं यही सोच-सोच कर परेशान हो रहा था कि भाभी कहीं गुस्सा न करें; मेरी हरकत के बारे में सबको बता न दें.
ऐसे ही एक हफ्ता निकल गया. फिर एक हफ्ते बाद मैं बाहर खड़ा था तो भाभी ने मुझे आवाज़ दी तो मैं डरते डरते भाभी के गया, वे मुझसे कहने लगीं- तुम्हे क्या हुआ है… तुम आते क्यों नहीं हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं भाभी, बस ऐसे ही.
तो कहने लगीं- अच्छा बिना किसी वजह से आना बंद कर दिया?
मैं कुछ नहीं बोला.
फिर भाभी ने किसी चीज का नाम बता कर कहा- अच्छा मेरा यह सामान ले आओ.
मैं बाजार चला गया और वो सामान ला कर भाभी को दे दिया. फिर भाभी ने कहा- बैठो मेरे पास… तुम से कुछ बात करनी है.
मैं डर गया मगर क्या करता, डरते डरते उनके पास बैठ गया.
भाभी ने मुझ से पूछा- उस दिन तुमने क्या क्या देखा था?
मैं भाभी का सवाल सुनते ही हक्का बक्का रह गया और हकलाते हुए कहा- कुछ नहीं भाभी!
तो भाभी बोलीं- अच्छा, मैंने तो तुमको देख लिया था.
फिर मैंने हकलाते हुए भाभी को पूरी बात बताई कि कैसे क्या हुआ कि मैंने देख लिया.
भाभी ने मुझ से कहा- जो देख लिया तो देख लिया मगर अब यह बात किसी और को मत बोलना.
मैंने भी हाँ कर दी, मगर तब तक मेरे मन में भी भाभी को चोदने की बात घूमने लगी, मगर हिम्मत न हुई.
मगर मेरी किस्मत.. भाभी ने मुझसे कहा- वो हफ्ते में 2 दिन के लिए ही तो आते हैं, तो इन दो दिनों में ही हम दोनों प्यार कर लेते हैं, इससे ज्यादा मौक़ा हमें मिलता ही नहीं!
तो मैंने भी कहा- आपके पति हैं, आप दोनों प्यार कर सकते हैं, इसमें गलत क्या है?
भाभी ने कहा- लेकिन मेरा मन तो रोज़ प्यार करने का करता है.
मैंने कहा- तो अपने पति से कहिये कि आपको ज़्यादा टाइम दिया करें.
वहीं मैं मन में सोच रहा था कि मैं किस दिन काम आऊंगा, भाभी कभी अपने देवर से भी प्यार कर लो… मगर कहने की हिम्मत न हुई.
अब भाभी कहने लगीं- वो तो ऑफिस की वजह से मजबूर हैं, मैं क्या करूँ?
मेरे मुँह से निकल गया- तो भाभी, मैं हूँ ना.
इतना सुनते ही भाभी मेरी तरफ देखने लगीं और डर के मारे मेरी हालत ख़राब होने लगी. मैंने नज़रे नीचे कर लीं.
तो भाभी बोलीं- सच में..!
मैंने सर नीचे ही रखा और हाँ में सर हिला दिया.
फिर भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया, उस टाइम मानो मेरे पूरे बदन में करंट लग गया हो.
भाभी बोलने लगीं- क्या हुआ?
मैंने कुछ नहीं बोला तो बोलीं- शर्मा रहे हो क्या?
मैंने कहा- हाँ, मैंने आज तक किसी लड़की को हाथ तक नहीं लगाया है.
तो वो बोलीं- अच्छा!
मैंने कहा- हाँ.
फिर भाभी ने मुझे अपनी बाहों में ले कर हग कर लिया, भाभी की चूचियां मेरी छाती पर दब गई, मेरे तो रोंगटे ही खड़े हो गए और मन ही मन में ख़ुशी भी हो रही थी कि आज मैं भाभी की चुदाई करूंगा.
फिर मैंने भी भाभी को हग करते हुए कस के पकड़ लिया और मैंने हिम्मत करके भाभी के गोर चिकने गाल पे किस कर लिया. भाभी ने हल्की सी स्माइल की और मेरे होंठों पर किस कर लिया. उस वक्त तो मानो मुझे जन्नत मिल गई हो.
अब भाभी मेरे होंठों को कस-कस के अपने होंठों से चूसने लगीं. मैं भी भाभी के होंठों को चूसने लगा साथ ही ऊपर से भाभी के मम्मों को भी दबाने लगा. भाभी को और मज़ा आने लगा और मुझे तो बहुत मज़ा आ ही रहा था. बस यूं ही किस करते करते हम दोनों एक-दूसरे को कस के दबाते और टाइट हग भी करते रहे. करीब 5 मिनट के बाद मैंने भाभी के कपड़े उतार दिए.
जब पूरे कपड़े उतार दिए तो मेरी आँखों के सामने भाभी का नंगा बदन था, नंगी भाभी को देख कर मेरा लंड एकदम से टाइट हो गया. मैंने जल्दी से अपने कपड़े भी उतार दिए और सिर्फ अंडरवियर में खड़ा हो गया था. भाभी भी सिर्फ लाल कलर ब्रा और काले कलर की पैंटी में बड़ी गज़ब की माल लग रही थीं.
फिर मैं भाभी को बिस्तर पर लिटा कर किस करने लगा. उनके पूरे शरीर पर किस करता जा रहा था और भाभी की कामुक सिसकारियां धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थीं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
मैं भाभी की पैंटी के ऊपर से ही चूत पे किस करने लगा तो भाभी आहें भरने लगीं और मेरा सर पकड़ कर कसके अपनी चूत में दबाने लगीं. मैंने जल्दी से भाभी की पैंटी उतार दी और भाभी की चूत देख कर मेरे तो होश उड़ गए. एकदम क्लीन और लाल कलर की फूली सी चुत, मानो अभी-अभी झांटें साफ़ की हों.
मैं भाभी की चूत चाटने लगा तो भाभी के मुँह से ‘आअह आअह आआह आह आआआह..’ की आवाजें निकलने लगीं.
मैंने भाभी से कहा- प्लीज भाभी मेरा लंड भी चूसो ना आप…
तो भाभी ने मना कर दिया, कहने लगीं- अब नहीं, फिर कभी..
मैं 69 में उल्टा होके भाभी की चूत चाटने लगा.
भाभी ने हाथ से मेरा लंड पकड़ लिया और बोलीं- तुम्हारा लंड तो काफी बड़ा और मोटा है.. आज तो मज़ा आएगा.
मैं भाभी की चूत चाट रहा था, जिससे भाभी की चूत बहुत गीली हो चुकी थी, ऐसा लग रहा था मानो भाभी झड़ने वाली हों. उनके मुँह से ‘उम्म उन्ह आआहह..’ की आवाजें निकल रही थीं और भाभी मेरा लंड दबा रही थीं.
करीब 5 मिनट चूत चाटने के बाद मैं सीधे होकर मैंने अपना लंड भाभी की चूत पर रख दिया और रगड़ने लगा. भाभी की कामुक सिसकारियां और बढ़ गईं और वो अपने पैरों के बीच में मुझे कसके दबाने लगीं.
मैंने कस के झटका दिया मगर लंड अन्दर नहीं गया. तो भाभी मुस्कुरा बोली- बड़ी जल्दी हो रही है देवर जी को भाभी की चुदाई की?
भाभी ने मेरा लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर रख कर कहा- अब धीरे धीरे से अन्दर करो.
मैंने जोश में था तो थोड़ा कस के धक्का मारा और आधा लंड भाभी की चूत में घुसेड़ दिया. भाभी की चीख निकल गई, मैं तो डर गया और मैंने कसके भाभी की मुँह को हाथ से दबा दिया कर उन्हें किस करने लगा. इसके बाद दोबारा के झटके में मेरा पूरा लंड भाभी की चूत के अन्दर हो गया. मानो उस टाइम मैं जन्नत में पहुंच गया होऊं.
फिर मैंने अपने लंड को अन्दर बाहर करना शुरू किया, तो भाभी को मज़ा आने लगा और वो अपनी कमर हिला कर साथ देने लगीं. ‘आअहह.. आआअह्ह्ह.. उउउइइ..’ की आवाजें निकलती जा रही थीं और पूरे कमरे में ‘फक्क फच्च्च्क..’ की आवाजें गूंज रही थीं.
करीब दस मिनट तक भाभी की चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था. मैं जोश में था और मैंने जोश में भाभी की चूत में ही लंड को झाड़ दिया. भाभी भी तब तक शांत हो चुकी थीं.
जब मैं झड़ गया तो भाभी बोलीं- तुमने अन्दर ही निकाल दिया?
मैंने हां बोला तो वो हंसने लगीं और मुझे कस के हग कर लिया. हम दोनों एक-दूसरे से लिपट कर लेट गए. उस दिन हमने 3 बार सेक्स किया.
फिर मैं रोज़ उनके घर दोपहर के टाइम जाने लगा और हम दोनों रोज़ सेक्स करने लगे. इस बीच मैंने कई बार भाभी को मेरा लंड चूसने को कहा लेकिन हर बार भाभी मना कर देती थी. शायद भाभी को लंड चूसने में घिन आती थी.
हफ्ते के 2 दिन भाभी के पति भाभी के साथ सेक्स करते, बाकी दिन मैं भाभी की चुत चुदाई करता.
मैंने भाभी की झांटें भी कई बार साफ़ की क्रीम लगा कर! जब भाभी का मासिक धर्म हो रहा होता तो भी भाभी मुझे प्यार करती थी, अपने हाथ से मेरी मुठ मार कर मुझे मजा देती थी.
भाभी इसी बीच प्रेग्नेंट भी हो गईं जो कि उन्होंने बताया कि ये मेरा बच्चा था और उनके पति को लगा कि उनका है.
कुछ दिनों के बाद उनके पति का ट्रांसफर हो गया और वो सिटी से बाहर चली गईं और तब से मैं नई भाभी की तलाश में हूँ.
आप लोगों को मेरी चुदाई की मस्त सेक्सी कहानी कैसी लगी, मुझे ज़रूर मेल करके बताएं. मैं आगे भी और कहानियां लाता रहूंगा.