नमस्कार मित्रों, मेरा नाम राज है. मैं रोहतक के पास गाँव में रहता हूँ. हम गांव से बाहर नया घर बना रहे थे तो वहीं नये घर के पास एक देसी भाभी पट गई तो मैंने उसे रात भर चोदा।
अब उसके बाद अब हमने पुराने घर से सामान लाकर वहीं नये घर के पास एक खाली घर में रख लिया था और हम घर बनने तक उस घर में रहने लगे।
अब मैं मौका देखकर भाभी के घर जाता और उसे चोदता कभी उससे लंड चुसवाता.
ऐसे चलते चलते सर्दी आ गई, दिसम्बर का महीना था, भाभी को मैंने दिन में कहा- भाई नहीं आए तो रात को मेरे कमरे में आ जाना कमरा खुला रखूँगा।
मैंने रात को खाना खाया और ऊपर अपने कमरे में चला गया, भाभी की चुदाई के बारे में सोचने लगा और भगवान् से प्रार्थना करने लगा कि भाई न आए।
रात के दस बज गये और मुझे नींद आने लगी।
थोड़ी देर बाद महसूस हुआ कि कोई मुझे हिला रहा है देखा तो भाभी थी और यह पहली बार था कि भाभी मेरे कमरे में आई, और आज बहुत दिनों बाद रात भर चुदाई की रात होगी।
मैंने उठ कर भाभी को गले लगा लिया और उनके होंठों को चूसने लगा, भाभी भी पूरा साथ दे रही थी.
दोस्तो, जितनी होट भाभी है, शायद ही कोई औरत हो!
फिर मैंने भाभी के कपड़े उतार दिये और खुद भी नंगा हो गया और मैंने नीचे बैठ कर भाभी की चुत को मुंह लगा दिया. भाभी ने टांग चौड़ी कर ली और मेरे सिर पर हाथ फिराने लगी।
उनकी सांसें तेज हो रही थी.
थोड़ी देर बाद मैं खड़ा हो गया और भाभी को लंड चूसने का इशारा किया.
कहने की देर थी कि भाभी रंडियों की तरह लंड चूसने लगी, मैं उसके मुंह में घचके मारने लगा।
फिर मैंने भाभी को लंड चूसने से मना किया, हम बिल्कुल इशारों में और धीरे-धीरे बात कर रहे थे क्योंकि नीचे मेरी मां सो रही थी।
मैंने भाभी को दीवार की तरफ मुंह करने को कहा ताकि मैं भाभी के पीछे से उनकी गांड देख सकूं.
भाभी ने उस तरफ मुंह किया, मैं उनकी बाहर निकली हुई गांड देखकर पागल हो गया, मैं उनके पीछे जाकर उनकी गांड से लंड रगड़ने लगा.
भाभी थोड़ी पीछे हुई और चूतड़ हिलाते हुए मेरे हाथ पकड़ कर अपने चुचों पर रख दिये।
मैं उनके चुचे दबाते हुए उनके गालों को चूमने लगा. भाभी भी मेरे लंड को अपने चूतड़ों में दबा रही थी।
भाभी बोली- राज, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ!
और मेरे होंठ चूम लिये.
मैंने भी भाभी को ‘आई लव यू’ कहा।
फिर मैंने भाभी को खाट पर लिटा दिया, मैं उनके ऊपर लेट गया और भाभी ने हाथ से लंड पकड़ कर अपनी चुत पर लगाया और धीरे से कहा- घुसा दे!
मैंने धक्का लगाया और भाभी ने उम्म्ह… अहह… हय… याह… की आवाज की, मैं उनके होंठों को चूमता हुआ धक्का लगा रहा था पर खाट बहुत आवाज कर रही थी जैसे किसी को आवाज सुनेगी तो सोचेगा भोसडी़ का खाट चोद रहा है।
मैंने भाभी को कहा- खाट पर नहीं, नीचे ये काम करेंगे!
मैं खड़ा हो गया, भाभी भी उठ गई, मैंने खाट से दरी उठाई और नीचे बिछा ली और भाभी को घोड़ी बनने को कहा।
भाभी घोड़ी बन गई और मैंने लंड लगाया और चोदने लगा. भाभी भी पूरी मस्ती में आह आह कर रही थी.
लंड का पानी निकलने को होता तो मैं वहीं रुक जाता!
थोड़ी देर में भाभी धीरे से बोली- और तेज कर… तेज कर…
और उनकी चुत ने लंड को जकड़ लिया. भाभी ने पानी छोड़ दिया. मैंने भी चोदने की स्पीड बढ़ा दी और जब मेरा निकलने लगा तो मैंने पूरे जोर से धक्का लगाया और लंड भाभी की चुत में पानी की बौछार करने लगा।
फिर मैंने भाभी की चुत से लंड निकाला भाभी सीधी होकर लेट गई मैं भी उनके पास लेट गया. भाभी ने मेरी छाती पर हाथ फेरा, ‘आई लव यू’ कहा और मेरे लंड को सहलाने लगी।
मैं भाभी जी की गांड में उंगली डालने लगा.
भाभी बोली- क्या कर रहे हो?
मैं बोला- अपनी भाभी की गांड मारनी है मुझे!
बोली बोली- दर्द होगा… पर तुम्हारे लिए सब हाजिर है!
और मेरे गाल को चूम लिया।
अब मेरे लंड ने अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी. तभी मुझे ध्यान आया कि मैं ऊपर आते समय तेल नहीं लाया था. मैंने भाभी को कहा- मैं अभी आया!
और मैं धीरे से नीचे गया, नीचे रखा सरसों के तेल का दिया(दीपक) ले आया।
दिया देखकर भाभी बोली- आज कर के ही मानेगा अपनी तमन्ना पूरी!
मैं बोला- जान मर्जी तुम्हारी!
भाभी बोली- ठीक है, इस छेद को भी खोल ले!
मैंने भाभी को कहा- पेट के बल लेट जा और गांड ढीली छोड़ दे!
भाभी पेट के बल लेट गई और गांड ढीली छोड़ दी।
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अब मैंने भाभी की गांड के सुराख को थोड़ा खोला और दिये से तेल डालने लगा, भाभी को कहा- गांड को खोल बंद करो!
भाभी के ऐसा करने से तेल भाभी की गांड के अन्दर चला गया।
ऐसा दो बार करके भाभी की गांड को तेल से लबालब कर दिया और मैं उंगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगा अब उंगली अच्छे से अन्दर बाहर हो रही थी।
फिर मैंने लंड को खूब तेल लगाया और भाभी को खड़ी होने को कहा.
भाभी खड़ी हुई, मैंने उन्हें झुक कर खाट पकड़ने को कहा, भाभी झुकी और एक हाथ से मेरी शर्ट मुंह में ठूँस ली।
ये देखकर मुझे भाभी पर बहुत प्यार आ रहा था, मन कर रहा था कि गांड ना मारूं!
फिर भाभी ने इशारा किया- डाल!
मैंने कहा- भाभी, गांड ढीली छोड़ दो।
भाभी ने गांड ढीली छोड़ दी, मैंने लंड गांड पर लगाया पर लंड अन्दर नहीं जा रहा था. मैं फिर गांड में तेल की उंगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगा।
अब मैंने कहा- जान, तैयार हो जा, अब डाल रहा हूँ!
भाभी ने गर्दन हिला कर हाँ का इशारा दिया. अब मैंने दोबारा भाभी की गांड पर लंड का दबाव बढ़ाया तो लंड का बस अगला हिस्सा ही अन्दर गया, भाभी ने अपने शरीर को थोड़ा अकडा़ लिया।
मैंने कहा- भाभी थोड़ा ढीला छोडो और खुद को सम्भालना!
भाभी ने शरीर ढीला छोड़ा, मैंने फिर दबाव बनाया, लंड और थोड़ा अन्दर गया, मैं रुका और भाभी की चुची दबाने लगा।
भाभी अब अपने चूतड़ों को हिलाने लगी.
मैंने और दबाव बनाया, ऐसा करते करते मैंने पूरा लंड भाभी की गांड में पेल दिया।
मैं धीरे धीरे धक्के लगाने लगा और भाभी की चुचियों की घुंडी भी मसलने लगा। भाभी ने अब मेरी शर्ट मुंह से निकाल दी.
अब मैं झटके तेज करने लगा, भाभी भी मस्त हो गई सारा दर्द भूल कर!
मैंने लगभग 10 मिनट भाभी की गांड चोदी और सारा माल उनकी गांड में ही छोड़ दिया मैंने!
लंड निकालते ही भाभी खाट पर लेट गई।
भाभी थोड़ी देर बाद बोली- पीछे बहुत दर्द हो रहा है, अब और नहीं करेंगे.
मैंने कहा- ठीक है जान, कल करते हैं.
मैंने सहारा देकर भाभी को उठाया, भाभी अपने घर चली गई।
उस दिन के बाद तो मैंने उस देसी भाभी को इतना चोदा, शायद ही उसके पति ने चोदा होगा।
दोस्तो, एक बात मुझसे मेरे गांव का नाम और भाभी से दोस्ती के विषय में मेल ना करें।
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