दोस्तो, मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ. मैं हमेशा सोचता था कि कभी अपनी भी सेक्स स्टोरी आप लोगों के साथ शेयर करूंगा. लेकिन संकोच के चलते कभी कर ही नहीं पाया था.
आज मैं हिम्मत करके अपनी पहली सेक्स स्टोरी आप लोगों से शेयर कर रहा हूँ. मैं आशा करता हूँ कि आप लोगों को ये सेक्स कहानी बहुत पसंद आएगी.
मेरा नाम आरव है और मेरी उम्र 21 साल है. मैं दिखने में बहुत हैंडसम हूँ और मेरी हाइट 5 फुट 8 इंच है. मैं एक हट्टा-कट्टा नौजवान हूँ. मेरा लंड साइज 7 इंच लम्बा और काफी मोटा है.
ये बात आज से लगभग 2 साल पहले की है. मैं अपने कॉलेज के लिए रांची में रहने आ गया था. वहां मैंने एक घर में किराये पर रूम ले लिया था. मेरी अपने मकान मालिक और मालकिन से खूब बनती थी. मेरे मकान मालिक करीब 38 साल के खूबसूरत और बलिष्ठ मर्द थे और मालकिन 33 साल की बहुत ही सुंदर और सेक्सी भाभी थीं. उनका फिगर 38-28-34 का था.
धीरे धीरे मैं उनसे इतना अधिक घुल मिल गया कि अब मैं बेरोकरटोक उनके घर आने-जाने लगा था. भाबी और भैया दोनों से मेरी खूब अच्छे से बात होती थी.
फिर मैंने धीरे धीरे गौर किया कि मेरे मकान मालिक मुझे छुप छुप कर देखा करते हैं. पहले तो मुझे कुछ ख़ास समझ में नहीं आया. बाद में मैं भी धीरे धीरे उनकी और आकर्षित होने लगा.
अब उनकी हिम्मत और बढ़ गयी और अब वो मुझे जब देखते, तो जानबूझ कर अपने पैंट को सहलाते और ऐसा शो करते कि उन्होंने मुझे देखा ही नहीं है. लेकिन जब वो ऐसा करते, तो उनकी पैंट के अन्दर मुझे उनका मूसल जैसा हथियार साफ साफ प्रतीत होता.
अब मैं भी उन्हें लालसा भरी निगाहों से देखने लगा था. ये बात वो भी समझने लगे थे कि मैं उन्हें पसंदगी की दृष्टि से देखने लगा हूँ.
इसके बाद से जब भी वो मुझे देख कर अपने लंड को सहलाते, तो मेरी आँख उनसे मिल जाती और मैं मुस्कुरा देता. इससे उनकी हिम्मत और बढ़ गयी.
एक दिन जब मैं कॉलेज के लिए निकल रहा था तो उन्होंने कहा- आरव, आज तुम्हारी भाबी ने तुम्हारे लिए कुछ खास प्रोग्राम बनाया है, तुम्हारा रात का डिनर आज हमारे यहां ही होगा.
मैंने भाबी की ओर देखा. आज वो रेड साड़ी में बहुत मस्त माल लग रही थीं. मैंने उन्हें थैंक्यू कहा और कहा- मैं शाम को जल्दी आ जाऊंगा.
भाभी ने कहा- मैं इंतजार करूंगी देवर जी.
शाम को मैं जल्दी घर वापस आ गया और नहा धोकर तैयार होकर भाबी के यहां चला गया. उस वक्त करीब 8 बज रहे होंगे.
मैंने भाभी के घर के मुख्य दरवाजे की घंटी बजाई. घंटी की आवाज सुनकर भाबी अन्दर से निकलीं. वो आज बला की खूबसूरत लग रही थीं. उन्होंने ब्लैक कलर की साड़ी पहनी थी. स्लीवलैस ब्लाउज … वो भी एकदम गहरे गले वाला था, जिसमें से उनकी रेड ब्रा की स्ट्रिप मुझे साफ नजर आ रही थी.
उनके गोरे गोरे मम्मों की क्लीवेज देख कर मेरा लंड खुद ब खुद खड़ा होने लगा था.
उन्होंने मुझे देखते ही मुस्कुरा कर कहा- अरे आरव, आओ आओ अन्दर आ जाओ.
मैं अन्दर आ गया.
उन्होंने मुझे बैठाया और मेरे लिए कोल्डड्रिंक और समोसे ले आईं.
आज मैं उनके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान देख रहा था. वो जानबूझ कर झुक झुक कर मुझे अपनी चुचियों की झलक दिखा रही थीं, जिससे मैं और गर्म होता जा रहा था.
मैंने भाभी के मम्मों की घाटी को निहारते हुए पूछा- भैया कहां हैं?
उन्होंने बोला- बस वो कुछ सामान लेने गए हैं … आते ही होंगे.
फिर हम दोनों ने बात करनी शुरू की. बात करते करते वो मुझसे काफी फ्रैंक हो गईं.
अचानक से भाबी ने मुझसे पूछा- आरव तुम्हारी कोई जीएफ नहीं है?
मैंने बोला- भाबी अभी तो इस शहर में मैं खुद नया हूँ … इसलिए अभी तक कोई नहीं बन सकी है.
इस पर उन्होंने बोला- अच्छा … इसलिए तुम मुझे घूरते रहते हो.
मैं ये सुन कर सन्न रह गया. मैंने सिर झुका लिया और कुछ न बोला.
फिर उन्होंने कहा- लगता है, मैं तुम्हें अच्छी नहीं लगती हूँ.
मैंने झट से बोला- नहीं भाबी … आप तो बला की खूबसूरत हो. भगवान ने आपको फुरसत से बनाया है.
उन्होंने बोला- अच्छा!
यह कह कर भाभी मुस्कुरा दीं.
इतने में उनके पति भी आ गए. वे हाथ में दारू की बोतल लिए हुए थे. अन्दर आते ही भाईसाब ने मुझे देखा और उनकी आंखें ख़ुशी से चमक उठीं.
उन्होंने भाभी से कहा- रिया … जाओ यार गिलास लेकर आओ.
भाबी अन्दर गईं और तीन गिलास और बर्फ व पानी नमकीन आदि लेकर आ गईं.
मैं भाभी के हाथ में तीन गिलास देख कर चौंक गया. मगर मैंने कुछ नहीं कहा.
फिर भैया ने तीन पैग बनाये.
मैं सोच ही रहा था कि ये तीसरा पैग कौन पिएगा. तब तक भाबी ने अपना पैग उठाया और मेरी तरफ जाम उठाते हुए बोलीं- चियर्स.
मैं देखता ही रह गया और उन्होंने एक ही झटके में अपना पहला पैग खत्म कर लिया.
फिर दूसरा …
फिर तीसरा …
मैं भी दारू खींचने लगा. अब तक हम तीनों को चढ़ने लगी थी.
अचानक से भाबी ने कहा- आरव, जब ये अपनी पैंट को सहलाते हैं, तब तू इतनी गौर से क्या देखता है?
मैंने बोला- कुछ भी तो नहीं. मैं कहां कुछ देखता हूं.
उन्होंने बोला- झूठ मत बोल … मैंने खुद कई बार तुझे ऐसा देखते हुए देखा है. बोल ना क्या देखता है तू?
मैं- कुछ भी तो नहीं भाबी. मैं क्या देखूँगा?
भाबी ने अचानक से उन्होंने भैया के पेंट की जिप खोली और उनका लंड हाथ से बाहर निकाल कर बोलीं- साले बहनचोद … तू ये देखता है न!
मैं हैरानी से उनको देखने लगा कि वो ये क्या कर रही हैं. मैं भाभी की तरफ देखते हुए छुप-छुप कर भैया के लंड को भी देखने लगा … क्योंकि भैया का लंड लगभग 8 इंच का था और बहुत मोटा भी था.
भाबी नशीली आंखों से भैया का लंड हिलाते हुए बोलीं- शर्मा क्या रहा है? अब देखता है, तो बोल न कि देखता हूं … इसमें बुराई क्या है.
मैं- मैं … वो … भाबी..
भाबी- मैं वो क्या?
ये कहते कहते उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर भैया के लौड़े पर रख दिया. भैया का लौड़ा एक गर्म रॉड की तरह था. एकदम मूसल सा सख्त था.
भाबी- अरे शर्माओ मत देवर जी. आज तो हम तीनों ऐसी मस्ती करेंगे कि तुम भी जिंदगी भर याद रखोगे.
ये कहते कहते उन्होंने मेरा एक हाथ अपने मम्मों पर रखा और मेरे हाथों के ऊपर अपना हाथ रखकर अपने मम्मों को जोर से दबा दिया.
अब मैं भी समझ गया था कि सच में मस्ती का खेल शुरू हो गया है. मैं भी एक हाथ से भाभी के मम्मों को दबाने लगा और दूसरे हाथ से भैया का लौड़ा सहलाने लगा.
भैया- रिया मेरी रंडी … लगता है अब ये मादरचोद पूरी तरह तैयार है.
मुझे भी उनकी गाली बुरी नहीं … बल्कि अच्छी लग रही थी.
भाबी- हां मेरे दल्ले … ये मादरचोद तो अब पूरी तरह तैयार है.
मैं भाभी की एक चुची के निप्पल को मींजने लगा.
भाबी- अरे गांडू … साले सिर्फ सहलाएगा या चूसेगा भी?
ये कहते हुए उन्होंने मेरे गाल एक हल्का सा थप्पड़ भी रसीद कर दिया और मेरा सिर पकड़ कर जबरदस्ती अपनी पति के लंड पर दबाने लगीं. मैं भी पूरे जोश में आ चुका था. मैंने भी झट से अपना मुँह खोला और भैया का 8 इंच का मोटा लम्बा लंड चूसने लगा.
उधर भैया भी भाबी की साड़ी उतार चुके थे, वो सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थीं. वो भी मेरे साथ भैया के लंड पर टूट पड़ी थीं. मैं और वो दोनों मिल कर भैया के लंड को ऐसे चूस रहे थे, जैसे वो लंड नहीं, एक लॉलीपॉप हो.
भैया ने धीरे से भाबी के पेटीकोट को उठाया और पेंटी को नीचे करके उनकी बिना झांटों वाली चिकनी बुर को सहलाने लगे.
इसके बाद भैया ने मेरी जीन्स को भी उतार दिया और मेरी चड्डी को फाड़कर फेंक दिया.
हम दोनों नीचे से पूरे नंगे थे. वो हम दोनों की गांड और बुर को सहला रहे थे. मैं और भाबी उनका लंड चूसे जा रहे थे.
अचानक से उन्होंने मेरा मुँह अपने लंड पर जोर से दबाया और पूरा माल मेरे मुँह में ही झाड़ दिया. मैंने इससे पहले कभी किसी लंड का माल नहीं पिया था. लेकिन उन्होंने मेरी नाक को बंद कर दिया और मुँह में लंड पेले रहे, जिससे मुझे न चाहते हुए भी उनका सारा माल पीना पड़ा.
कुछ देर बाद उन्होंने अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकला और भाबी को बोला- चल साली रांड … अब इसे चाट कर दिखा कि कैसे माल का मजा लिया जाता है.
भाबी मजे से लंड में लगे पूरे माल को चाट चाट कर खाने लगीं. ये देख कर मैं भी मस्त होने लगा.
अब हम तीनों एक दूसरे को किस कर रहे थे, एक दूसरे को सहला रहे थे.
इसके बाद भैया ने भाबी को पूरा नंगा कर दिया. भाबी ने मुझे … और मैंने भैया को नंगा कर दिया. हम तीनों नंगे हो चुके थे. हम तीनों ही एक दूसरे के बदन से खेल रहे थे.
भाबी इतनी मस्त लग रही थीं कि क्या बताऊं. वो बिल्कुल एक अप्सरा लग रही थीं.
मैं खुश था कि आज इस अप्सरा को हम दोनों मिल कर चोद चोद कर अधमरा कर देंगे. लेकिन मुझे क्या पता था कि मेरे साथ आगे क्या होने वाला है.
भैया- बहनचोद अब चल अपनी बहन की बुर चाट कर इसे गर्म कर.
मैं- ठीक है भैया …
ये कह कर मैंने भाबी के पैरों को फैलाया और उनकी बुर की फांकों में अपना मुँह लगा कर लपर-लपर चाटने लगा. भैया पीछे से आए और मेरा लंड सहलाने लगे. अब मुझे अच्छा लगने लगा था. मुझे लग रहा था कि भैया मेरे लंड को गर्म करके भाभी की चुत में मेरे लंड को मजा दिलवाएंगे.
इधर भाबी भी अपने बुर पर मेरा सिर दबाए जा रही थीं और मस्त कामुक आवाजें निकाले रही थीं- आह … बहनचोद चल … अपनी दीदी की बुर को अच्छे से चाट … वरना तेरी माँ की बुर अपने पति के लौड़े से फड़वा दूंगी.
मैं- आह रंडी … क्या मस्त चुत है तेरी … मजा आ रहा है चाटने में … साली पहले बुला लिया होता, तो रोज सुबह शाम तेरी बुर चाटता और चोदता.
इधर भैया मेरे लंड को छोड़कर अब मेरी गांड को सहलाने लगे थे. उसे मसलने लगे थे. वे मेरी गांड के छेद को भी सहला रहे थे.
वो बार बार बोल रहे थे कि वाह इसकी क्या मस्त गांड है. भाभी मेरे सर को अपनी चुत से हटने ही नहीं दे रही थीं.
भैया- रिया … इसकी गांड तो तेरे से भी मस्त है रे.
भाबी ने ऊपर देखा और एक कुटिल मुस्कान दे दी.
भैया पीछे से अपना लंड मेरी गांड में सटाने लगे.
मैंने अपनी गांड पर भैया का लंड महसूस किया तो मैं घबरा गया- आ … आप ये क्या कर रहे हैं भैया?
भैया- अरे कुछ नहीं रे … बस देख रहा हूँ कि तुझ गांडू की गांड ज्यादा प्यारी है या इस टके टके पर बिकने वाली रंडी की.
भाबी- हा हा … अब तो इसकी ही गांड प्यारी लगेगी तुम्हें … मेरी गांड से तो बोर ही चुके हो न.
भैया- अरे नहीं रे रंडी. … तेरी गांड भी बहुत मस्त है रे.
भाबी- अच्छा … सच में?
मैं- हां भाबी सच में आपका हर छेद मस्त है.
भाबी- अरे भड़वे … तू लगा रह मेरी बुर में … बोल मत तू … और आज मैं तेरी दीदी हूँ … न कि भाबी हूँ … आज तू बहन का लौड़ा है.
अचानक से भाबी ने अपनी बुर में मेरा सिर जोर से दबा लिया. मुझे लगा कि वो ज्यादा गर्म हो गई हैं. तभी अचानक से भैया ने मेरी गांड के छेद में लंड रखकर एक जोर का धक्का दे मारा. मैं दर्द से छटपटाने लगा. लेकिन भैया ने मेरे दोनों हाथ पकड़ रखे थे और भाबी ने मेरा सिर अपनी बुर में घुसाया हुआ था.
भैया का आधा लंड मेरी गांड में समा गया. मुझे बहुत दर्द हो रहा था, तो भाबी मेरी चूचियों को सहलाने लगीं.
वो मुझसे बोलने लगीं- टेंशन न ले … अभी सब ठीक हो जाएगा बे. पहली पहली बार में मुझे भी गांड में लेने में ऐसी ही तकलीफ हुई थी.
एक मिनट तक भैया ने अपने लंड को शांत रखा. मुझे कुछ राहत सी महसूस होने लगी. भैया ने जैसे ही देखा कि मैं थोड़ा रिलैक्स हो गया हूं, तो उन्होंने एक और जोर का धक्का मारा और अपना पूरा लंड मेरी गांड में पेल दिया. मुझे दर्द होने लगा, पर वो रुके नहीं और धक्के पर धक्का मारते रहे.
धीरे धीरे मेरा दर्द भी मजे में बदलने लगा. अब मुझे भी मजा आने लगा.
भैया- देख रिया … अब इस साली को भी मजा आने लगा है. आज से ये तेरी बहन है. अब रोज तुम इसको तैयार करना और मैं रोज तुम दोनों की गांड मारूँगा.
भाबी- हां मेरे राजा … ये तो रंडी थी ही पहले से ही. इसे और इसकी मोटी गांड देखकर ही मैं समझ गयी थी कि खेला खाया माल है ये.
मैं- आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… इस्स ऊईई माँ … आह आह!
भाबी- भैन के लौड़े … बहुत याद कर रहा है अपनी माँ को … उसे भी बुला ले … उसकी गांड भी मार देगा ये.
मैं- मादरचोद … तेरी माँ का भोसड़ा … चुप कर … भैन की लौड़ी … आह आह आह ऊईई आईई अअअअअ आह.
भैया- आह … ले साली … और ले … चिल्ला साली और चिल्ला … बहन की लौड़ी.
वो मुझे कमसिन लौंडिया समझ कर चोद रहे थे. मुझे गरियाते और चोदते हुए उन्होंने और जोर जोर से मेरी गांड मारना शुरू कर दिया.
मेरी तो फट कर चौड़ी हो रही थी, लेकिन मुझे मजा भी बहुत आने लगा था. आज तक मैंने इतना बड़ा लंड नहीं लिया था.
अब मैं और जोश में आकर दीदी (भाबी) की बुर चाटने लगा. अचानक से भाबी ने मेरे ऊपर मूतना शुरू कर दिया. लेकिन मुझे उनकी गरमागरम पेशाब और अच्छी लग रही थी. सच में क्या गरम गरम धार थी. उनकी धार डायरेक्ट मेरे मुँह में आ रही थी.
भैया- पीकर देख … बहुत टेस्टी है … मैं रोज पीता हूँ. तेरी छिनाल दीदी बिना मूत पिलाए नहीं रहती है.
मैंने भी दीदी का मूत पीना शुरू कर दिया. सच में क्या मस्त टेस्ट था उनकी चुत का मूत … एकदम नमकीन रस था.
ऐसे मेरे मुँह में मूतते देखकर, अब भैया से भी नहीं रहा गया. उन्होंने भी मेरी गांड की ठुकाई और तेज कर दी.
कुछ देर तक मेरी गांड मारने के बाद भैया मेरी गांड में ही झड़ गए. उन्होंने अपना पूरा माल निकाल कर ही अपना लंड बाहर निकाला.
फिर भैया ने मेरे और दीदी के मुँह के सामने लंड रख दिया, जिसे हम दोनों ने बहुत प्यार से चाटकर साफ कर दिया.
इसके बाद भैया ने हम दोनों के ऊपर अपने मूत की बारिश कर दी और हम दोनों को अपने गर्म गर्म मूत से नहला दिया.
इसके बाद हम तीनों एक साथ नंगे ही जाकर बाथरूम में नहाये.
आगे क्या हुआ ये अगली गंदी कहानी में लिखूंगा. मैं आशा करता हूँ कि आप लोगों को मेरी ये सेक्स स्टोरी बहुत पसंद आयी होगी.
आप सब मुझे अपनी राय अवश्य दें. धन्यवाद.
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