मेरा नाम सुमित है, मैं एक कंपनी में पिछले 4 सालों से नौकरी कर रहा हूं लेकिन सच बताऊं तो मुझे नौकरी करने का कभी मन ही नहीं था. मैं जानता हूं कि नौकरी इंसान को नौकर ही बनाती है कभी मालिक नहीं बना पाती इसलिए मैं हमेशा अपना बिजनेस खोलना चाहता था लेकिन मौका ही नहीं बन रहा था. मैं एक कंपनी में 40 हजार की नौकरी करता हूं लेकिन इन 40 हजार के बदले मैनें अपनी सेहत, अपनी प्राइवेट लाइफ दांव पर लगाई हुई है लेकिन पिछले साल जब मैं अपने 5 साल पूरे कर रहा था तो मैनें अचानक इस्तीफा दे दिया और सीधा अपने गांव चला आया.
मेरा गांव मेरठ में है और हमारे गन्ने के खेत हैं जहाँ मेरे पिता दिन-रात मेहनत करते हैं.
मैं घर आ गया और माँ-बाप से कहा कि मुझे 1 साल चाहिए, यहीं रहकर धंधा जमा लूंगा और आपके साथ ही रहूंगा. मेरी उम्र 28 हो गई थी, घरवाले तो मेरी शादी की बात करने वाले थे लेकिन मैनें रोका और कहा बस 1 साल दे दो, उसके बाद जो आप बोलो. ये कहकर मैं अपने काम में लग गया और पूरे जी-जान से काम करने लगा. लेकिन पेट की अपनी भूख है और शरीर की अपनी भूख. 28 साल की भरी जवानी को मैं जैसे-तैसे दिन में तो रोक लेता था लेकिन रात में जब लेटता तो मुझे चूत मारने की तलब होती. मैं किसी लड़की की चूत का पानी निकालने को बेताब हो जाता.
हर रोज़ मुठ मारता और रोज़ किसी न किसी नई लड़की के नाम की मुठ मारने में मज़ा तो आता
लेकिन अब मुठ भी कितना मारा जा सकता है. जो मज़ा चूत मारने में है वो मुठ मारने में कभी आ ही नहीं सकता. मैं दिनभर अपना बिजनेस जमाने में लगा रहता था लेकिन मैं एक खूबसूरत लड़की की तलाश भी कर रहा था जो मेरी रातों को रंगीन कर दे और अपनी चूत का सारा पानी मरे लंड पर बहा दे. लेकिन काम के चलते मुझे वक्त ही नहीं मिल पा रहा था. मेरा लंड बहुत गरम और गीला रहने लगा था, वो दिनभर या तो खड़ा रहने लगा या गीला और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं. घरवालों को शादी के लिए बोल नहीं सकता था क्योंकि मैं उसके लिए अभी तैयार नहीं था.
फिर मैनें इंटरनेट की मदद ली.
एक रात मैं बहुत गरम हो गया और बिस्तर से उठकर मैं बाहर छत पर चला गया. रात के कुछ 11 बज गए थे और मैं टहलने लगा. हल्की-हल्की ठंडी हवा चल रही थी जो मेरी जवानी की चिंगारी को और भड़का रही थी तभी मैनें देखा मेरी साथ वाली छत पर एक भाभी आई और कपड़े उतारने लगी. भाभी ने पीले रंग की साड़ी पहनी हुई थी, बाल खुले हुए, मांग में सिंदुर और भाभी की गोरी-गोरी नाभी मुझे बैचेन कर रही थी. भाभी का गला और भाभी की कमर मुझे रात में भी साफ दिखाई दे रही थी. मैं बनियान में था तो भाभी को इंप्रेस करने के लिए मैनें बाहें चढ़ाई और हाथ दाएं-बाएं हिलाने लगा. पहले तो भाभी कपड़े उतारती रही लेकिन जब कपड़े उतार लिए तो मुझे देखा.
भाभी का चेहरा मुझे साफ दिख रहा था और भाभी को देखकर मेरे लंड की गरमी और बढ़ गई थी.
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं क्योंकि ऐसे गरम बदन की औरत पूरे गांव में नहीं थी और मैनें भी ऐसे जिस्म वाली औरत पहले कभी नहीं देखी थी. मैनें भाभी की तरफ हाथ हिला दिया और मुस्कुराया. भाभी ने मुझे देखा और देखकर चली गई. मुझे इस बात का डर भी नहीं था कि अगर उन्होंने कुछ बोल दिया तो क्या होगा. मेरे अंदर जो आग लगी हुई थी वो मैं ही जानता था. भाभी इतनी गोरी थी कि रात में भी उनका चेहरा साफ साफ दिख रहा था. मेरा लंड ये सोच-सोचकर गीला हो रहा था कि जिसकी चमड़ी इतनी गोरी है उसके चूचे के निप्पल और उसकी चूत कितनी पिंक होगी. मैं भाभी को याद कर -करके लंड हिलाने लगा.
भाभी नज़रें फेरकर जा चूकी थी लेकिन मेरी नज़र में
वो उनका करारा जिस्म बस गया था, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं. मैं वापस अपने बिस्तर पर गया और भाभी के बदन को सोचकर लंड हिलाने लगा. भाभी को लेकर मेरी दिवानगी इतनी बढ़ गई की 10 सेकेंड के अंदर मेरा लंड झड़ गया और बहुत झड़ा. मुझे ऐसा सूकून पहले कभी नहीं आया था. अब मेरे अंदर भाभी की चूत मारने की तलब और बढ़ गई थी. मैं सुबह होते ही छत पर गया और भाभी का इंतज़ार करने लगा. अब भाभी के बारे में जानने का वक्त था. मुझे पूरा यकीन था कि मैं भाभी को अपनी जवानी से मदहोश कर दूंगा. भाभी सुबह छत पर नाहकर आई.
भाभी ने नीली साड़ी पहनी हुई थी और भाभी के बाल पूरी तरह गीले थे और वो तौलिए से उन बालों को झटकने लगी.
भाभी जैसे ही झुकी भाभी के ब्लाउज के अंदर से उनके कसे हुए चूचे बाहर लटक गए और भाभी के आधे लटकते हुए चूचों ने मेरा तापमान बढ़ा दिया. मन तो किया अभी लपक कर भाभी के पास चला जाऊं, साड़ी उतारूं, पूरे जिस्म को चूमता हुआ चूचों को चाटूं, निप्पल को चूसूं लेकिन मैं मजबूर था. भाभी ने अपना पल्लू संभाला और मेरी तरफ शक की नज़रों से देखने लगी. भाभी को मालूम चल गया था कि मैं उन्हें किस नज़र से देख रहा था लेकिन भाभी आज भी चुपचाप वहां से चली गई और कुछ नहीं बोली. भाभी से इसी तरह सुबह और शाम छत पर मुलाकात हो जाती थी.
लेकिन मैं अपने प्यासे लंड का क्या करूं जो गरमी मिटाने के लिए एक जवान चूत की तलाश में था.
एक दिन मैं छत पर बैठा हुआ फोन चला रहा था तभी भाभी छत पर आ गई. भाभी ने आज गुलाबी रंग का ब्लाउज पहना हुआ था लेकिन आज भाभी ने साड़ी नहीं बल्कि पेटिकोट ही पहना हुआ था. भाभी की आंखों में शरारत थी और भाभी के होंट कपकपा रहे थे. भाभी के चेहरे से हवस टपक रही थी. मेरा काम बन चुका था, मेरा अंदाज़ा सही निकला, या तो भाभी का पति उसकी प्यास नहीं बुझा पा रहा था या फिर वो ऐसा कर नहीं सकता था. भाभी की छत पर बहुत आम लटके हुए थे.
भाभी ने एक बड़ा हरा आम तोड़ लिया और उसपर पैन से कुछ लिखने लगी.
फिर भाभी ने इधर-उधर देखा और वो आम मेरी छत पर फेंका. आम जैसे ही छत पर गिरा उसमें दरार आ गई वो फट गया लेकिन मेरा लंड पूरी तरह खड़ा हो गया. भाभी ने अपना नंबर उसमें लिखकर दिया. फिर भाभी शरारती आंखे दिखाकर अंदर चली गई और मैं भी अपने बिस्तर पर लेट गया. मैनें भाभी के नंबर पर मैसेज किया – थैंक यू. भाभी ने लिखा – बस देखते ही रहोगे या कुछ करोगे भी मैनें भाभी को जवाब दिया – करने पर आऊं तो वो कर दूंगा जो तुमने सोचा भी नहीं होगा. मेरे लंड की गरमी और तड़प झेल नहीं पाओगी.
भाभी ने लिखा – मेरी चूत की सुलगती आग को तेरा लंड क्या शांत करेगा, 24 घंटे गीली रहती है.
मैनें सीधा लिखा – तो कब ?भाभी ने लिखा – सुबह 7 बजे अपने गन्ने के खेत के बीचों बीच आ जाना. ऐसा कहकर भाभी ने मैसेज बंद कर दिए. मेरी तो जैसे नींद ही उड़ गई. जिस औरत के नाम की मुठ मारकर मैं अपने लंड को शांत कर रहा था आज उसी चूत को मारने का मौका मिला है. मुझे पूरी रात नींद ही नहीं आई और सुबह 7 बजे मैं गन्ने के खेत की तरफ चला. जब बीच में पहुंचा तो देखा गद्दा लगा हुआ है और वहां भाभी पेटिकोट और ब्लाउज में लेटी हुई है.
मैं जैसे ही वहां पहुंचा भाभी ने कहा – जो भी करना है आधे घंटों में करलो, वो मज़ा दूंगी तो तुमने पहले कभी महसूस नहीं किया होगा. भाभी ने मेरे होठों पर अपने लाल-लाल होठों का चुंबन दिया और थोड़ी देर में मेरे होठों को चूसने लगी, मेरे होठों को चाटने लगे. ऐसा लग रहा था जैसे मुझसे ज्यादा उतावली भाभी थी. भाभी ने फौरने मेरी पेंट की चेन खोली और लंड को अंदर ही अंदर सहलाने लगी. मेरा लंड पूरी तरह टाइट था और गीला भी हो रहा था.
मेरे लंड का पानी मेरी पेंट के बाहर आ गया.
भाभी बोली – मुझे लंड देखना है और मुंह में लेना है, चूसना है अभी, प्लीज लंड निकालो, मैं बेचैन हो रही हूं. भाभी का उतावलापन देखकर मैं भी पागल हो रहा था. मेरी पैंट के बटन खोलते हुए मेरे आंखों में आँखे डाल कर शरारत भरे अंदाज में वो मुझे देख रही थी और मेरे होठों को चूमने लगी. आह….आह….उ…उ…. सुमित बहुत तड़प रही हूं मैं, मुझे और बेचैन मत करो. अपना लंड देकर मेरी चूत की आग शांत करो प्लीज. मैंने बोला – क्यों तुम्हारा पति तुम्हें शांत नहीं कर पता क्या. वो बोली – वह तो चूतिया है साला, अपनी प्यास भुजाता है और सो जाता है, उसके बस का कुछ भी नहीं.
अब तुम मुझे मिल गए हो ना जान, उसने मेरा कच्छा नीचे किया और लंड देख कर
वो खुशी से मदहोश हो गई और उसके चेहरे की हवस उसकी जीब में आ गई. मेरा लंड देखते ही बोली – इतना मोटा है तुम्हारा. हाय दइया यह तो मेरी चुत को फाड़ देगा, बहुत लम्बा भी है. सुमित मुझे इसे चूसै बिना चैन नहीं मिलेगा, भाभी घुटनों के बल बैठी और मेरे लंड को चूमने लगी. उसके होंठ जैसे ही मेरे लंड के टोपे पे पढ़े मेरी आंखे बंद हो गयी और मैं उस पल में डूब गया. अपने आप मेरे दोनों हाथो ने उसके सर को पकड़ लिया और अपने लंड से उसके मुंह के अन्दर झटके मार ने लगा. भाभी मेरे लंड पे अपनी जीब फेर रही थी मैं बता नहीं सकता कि मुझे कितना सूकून महूसस हो रहा था, ऐसा मुझे आज तक नहीं हुआ था.
मैं अपने उन पलों को देख कर यक़ीन नहीं कर पारा था.
भाभी मेरे लंड को चूसते हुए मेरी और देख रही और मुझे आंख मार रही थी और अपने पूरे गले तक मेरा लंड अपने मूह में ले रही थी. लंड चूसते हुए भाभी को पांच मिनट स ज़्यादा हो गये थे. उसने लंड को मुंह से बहार निकला और खड़ी हुई और मुझे एक जोरदार चूम्मा दिया. मैंने भी उसके होठों को पूरी तरह दबाया और अपनी जीब उसके मुंह में डाली और वो चूस गयी. मेरे मुंह को पकड़ कर बोलने लगी – आई लव यू सुमित. मैं भी जोश में बोला – आई लव यू बेबी. हम दोनों के चेहरे गर्मी से लाल हो गए थे.
वो लेट गई और बोली आ जाओ मेरे ऊपर.
उसे इस तरह लेटा देख मानो मेरी हवस की आग और बढ़ गई. भाभी की गोरी गोरी टांगे और फिर उसका ब्लाउज, नाभि और फिर उसका खूबसूरत चेहरा. मैं उसके ऊपर जा लेटा. भाभी ने मुझे बाँहों में कसा और मेरी ओर प्यार और हवस से देखने लगी. मैनें लेटे-लेटे ही अपना हाथ उसकी कमर पर रखा और दूसरा हाथ उसकी चूचियों पर रखकर हलके हाथ से उन्हे मसलने लगा और दबाने लगा. वो आह..आह….आह….. की सिसकियाँ भर रही थी और बोली आई दैय्या और अपने ब्लाउज के हुक खोल कर अपनी चुचों को बहार निकाला और बोली ये लो – चूसों इन्हें. ये बेचैन है किसी के चूसने से.
अपने दोनों दांतों से काटो इन्हें, चाटो इन्हें आह….आह…जल्दी चाटो.
मैंने अपने मुंह को नीचे ले गया और अपनी जीब बाहर निकाली और उसके पिंक निप्पल पर अपनी जीब लगाई और अपनी जीब को गोल गोल घुमाने लगा. मानो उसके बदन में जैसे को चिंगारी दौड़ गई हो. उसने मेरे सर को पकड़ा और अपने चुचों में मेरे मुँह को डालने लगी और बोली पी जाओ इनका सारा रस सुमित और मेरे सर को चूमने लगी.
मैं भी खूब ज़ोरों से चूसने लगा और वो बेचैन होकर तड़प रही थी. मैं चूचों को चूसते चूसते अब नीचे की और बढ़ा जिसकी प्यास मेरे अंदर सबसे ज्यादा थी. मैंने उसके पेट को चूमा और फिर उसकी नाभि को चूमा. उसके पेट को चूमते हुए जैसे ही उसकी चूत पर पहुंचा, मैंने धीरे से उसकी एक टांग को अपने कंधे पर रखा फिर दूसरी टांग को रखा उसकी गोरी और मोटी जांघें मुझे दिख रही थी.
मैं हवस में पागल हो गया और उसकी जांघों को चूमने लगा और अपनी जीब से चाटने लगा.
भाभी को गर्मी में अपनी मुठी बंध करके अपने जिस्म को इधर-उधर हिला रही थी. तड़प की प्यास में मैंने तभी उनका पेटीकोट ऊपर किया और उनकी पैंटी देखी. वो पूरी तरह गीली हो रखी थी. मैंने जैसे उसपर अपना हाथ रखा पैंटी पर वो उछल पढ़ी और बोली क्या कर रहे हो इतना मत तड़पाओ मुझे. लंड डाल दो मेरे अन्दर जल्दी, प्लीज. मैं बोला – रूक जा मेरी जान, मै भी तेरी चुत को देखना चाहता हूं.मैंने उसकी पैंटी उतरी वो थोड़ी शरमाने सी लगी और अपनी चुत को हाथों से ढखने लगी. मैंने उसके हाथ हटाए तो बोली मुझे शर्म आरी है प्लीज. मैंने बोला – शर्माओ मत अब तो हम दोनों एक हैं.
और मैनें उसके हाथों को हटाया.
हाथों को हटाते ही मैंने जब चूत देखी तो वो पूरी तरह गीली और टाइट थी मानो मैंने ऐसी किसी फिल्म में भी नहीं देखी थी. एक दम गुलाबी चूत थी और पूरी तरह गीली हो रखी थी. मैं उसे चाटे बिना नहीं रह सकता था, मैं जैसे ही चाटने के लिए आगे बढ़ा, उसने कहा – नहीं गंदी है. फिर कभी कर लेना अभी मत करो लेकिन मैं कहां सुनने वाला था. मैं घुस गया उसकी चुत में अपना मुँह लेकर और चाटने लगा.
मेरी जीभ लगते ही भाभी की आवाज़ निकली –
आ…आ………..आह… भाभी बोलने लगी और अपने बॉडी को ऊपर की तरफ उछालने लगी और मेरे सर को टांगों के बीच दबाने लगी. आह..आह…..आ…… और सिसकियों से खेत में अलग सा माहौल बन गया अब चुदाई का ये खेल मेरे कंट्रोल से बाहर हो रहा था. मैंने अपना लंड उसकी चुत में रखा.
वो मुझ देखकर शरमाने सी लगी और वो फिर मेरे होठों को चूमने लगी.
जैसी ही मैंने अपने लंड का एक दख्खा मारा और मेरा टोपा उसके अन्दर गया उसने अपनी आंखे बंद कर ली और मेरे सर को जोर से पकड़ा और मेरे होठों को चूसने लगी. फिर मैंने दूसरा झटका मारा तो लंड आधा अन्दर गया. उसकी आंखे दर्द से बड़ी हो गयी और वो बोली – नहीं नहीं बाहर निकालो आह…आह….बहुत दर्द हो रहा है मुझे. आह…आह…. मैं उसके होठों को चूसने लगा वो बोल रही थी, बहुत बड़ा है तुम्हारा. मेरी चूत नहीं झेल पायेगी इसे प्लीज निकालो ना.
मैं उसके होठों को चूमने लगा और मैंने कहा कुछ नहीं होगा, थोड़ी देर में ठीक हो जायेगा.
उसकी आँखों में हलके-हलके आंसू से आ गये थे. मैंने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किये और उसकी चीखें निकलने लगी. दर्द उसे हो रहा था लेकिन चुदने का मजा भी आ रहा था. भाभी को मानो चुदाई का नशा ऐसा चढ़ा की उसने मुझे पकड़ा और बोली सुमित आई लव यू जान, मुझे हमेशा ऐसे ही चोदोगे ना..जब भी मिलोगे तो इसी गरमी से चोदोगे न. मैने भी बोला – हाँ तुम्हें इस तरह ही चोदूंगा. आह…आ…आह., मेरी चुदाई लगातार चल रही थी.… उफ्फ्फ्फ्फ़ माँ….. उसकी सिसकिया और चेहरा देखकर बस मेरा माल निकलने ही वाला था. मैंने चुदाई की स्पीड तेज की और बोला – रेनू मेरा माल निकलने वाला है. hindi sex stories
वो बोली – निकालो मैं भी तुम्हारे साथ ही निकालूंगी अपना माल. मैंने अपने लंड से ज़ोर से तेज-तेज झटके मारने शुरू किए और मैंने कंधो से पकड़ लिया और तेज झटके मारे और अचानक मेरा माल निकला और पच-पच मेरा माल निकल गया. मैं धक्के मार ही रहा था कि भाभी का सारा पानी बहने लगा. भाभी ने मुझे कस के जकड़ लिया और उसने अपनी टांगो में मुझे दबा लिया और बोलने लगी – प्लीज मुझे इसी तरह चोदना जानू, आइ लव यू. तुम्हारा यह लंड मेरा है मैं तुम्हें बहुत प्यार दूंगी।
फिर हम दोनों एक दूसरे के ऊपर से हट गए और चूमते हुए कपडे पहने और निकल आए. उस दिन के बाद भाभी और मेरी चुदाई के सिलसिले ऐसे ही चलते रहे और और हमने छत पर भी चुदाई की. तब से लेकर आज तक हम-एक दूसरे की प्यास समय समय पर बुझाते हैं. आप को मेरी कहानी कैसी लगी कमेंट में बताओ और शेयर करो.