भाभी की चुदाई स्टोरी में पढ़ें कि मैं भाभी के घर गया. भाभी नंगी बाथरूम में नहा रही थी. मुझे भाभी के रूम में सेक्स कहानियों की किताब मिली. फिर क्या हुआ?
दोस्तो, मेरा नाम अंकित है. यह मेरी सच्ची चुदासी पड़ोसन भाभी चुदाई स्टोरी है जो मैं आपके लिए लेकर आया हूं.
मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सारी कहानियां पढ़ी हैं लेकिन उनमें से ज्यादातर मुझे काल्पनिक लगती हैं, मगर कुछ कहानियां रियल भी होती हैं.
मैं आपको अपने साथ हुई वास्तविक घटना बताऊंगा.
बात दो साल पहले की है जब मैं अपनी फैमली के साथ एक अपार्टमेंट में रहता था. हमारे पड़ोस में एक भाभी रहती थी जिनका नाम वैशाली (बदला हुआ नाम) था.
उनके फिगर की बात करूं तो कुछ खास नहीं था.
पर उनकी गांड बहुत मस्त थी जिसे देखकर मैंने कई बार मुठ्ठी मारी थी.
मेरे परिवार के साथ उनकी अच्छी बातचीत होती थी. उनके घर में जाने में मुझे कोई संकोच नहीं होता था. मैं कई बार बिना बोले भी चला जाया करता था.
ऐेसे ही एक दिन मैं भाभी के यहां कुछ सामान लेने के लिए गया था.
मुझे बाहर कोई नहीं दिखा तो मैं सीधा अंदर ही चला गया.
अंदर जाकर मैंने भाभी को ढूंढते हुए आवाज लगाई.
भाभी ने अंदर से आवाज दी- हां अंकित, मैं नहा रही हूं. तुम बैठ जाओ जाकर, मैं थोड़ी देर में आती हूं.
उन्होंने मुझे बैठने को तो कह दिया लेकिन भाभी के नंगे जिस्म के बारे में सोचकर मेरा लंड उठ गया था.
अब सेक्सी भाभी बाथरूम में नहा रही हो और मैं आराम से बैठ जाऊं? ऐसा नहीं हो सकता था.
कामवासना के वशीभूत होकर मैंने अंदर झांकने की ठान ली.
मैं धीरे से बाथरूम के दरवाजे के पास गया और अंदर झांकने की कोशिश करने लगा.
छेद से मैंने देखा कि भाभी बाथ टब पर बैठ कर हंड शॉवर को अपनी चूत पर रगड़ रही थी और अपनी आंखें बंद किए अपने बूब्स मसल रही थी.
ये नजारा इतना कामुक था कि बता नहीं सकता.
मैंने अन्दर देखते हुए अपनी जिप खोली और अपना लन्ड मसलने लगा.
भाभी के चेहरे पर कामवासना तैरती हुई साफ नजर आ रही थी.
ऐसा लग रहा था जैसे वो लंड से चुदकर मजा ले रही हो.
मैं भी जोर से अपने लंड की मुठ मारने में लगा हुआ था.
देखते देखते भाभी थोड़ा अकड़ने लगी. उसके बदन में झटके से लगे और वो फिर बिल्कुल रुक गयी.
शायद वो झड़ चुकी थी.
फिर उठकर वो अपने आपको साफ करने लगी.
उसकी नंगी गांड को देख कर मन कर रहा था कि दरवाजा खोल सीधा अंदर घुसूं और उसको वहीं पर झुका कर घोड़ी बना लूं और बाथरूम में ही गांड चुदाई कर डालूं उसकी.
मगर फिर भाभी जल्दी से अपने बदन को पौंछने लगी.
मैंने वहां खड़ा रहना ठीक न समझा और अपने तने हुए लंड को जिप के अंदर ही ठूंस लिया.
फिर मैं उसको टीशर्ट के नीचे दबाकर वहां से चला गया और बेड पर जा लेटा.
अचानक मेरा हाथ भाभी की साड़ी पर लगा.
मुझे महसूस हुआ कि नीचे कुछ बुक सी रखी हुई थी. मैंने साड़ी उठाकर देखी तो सच में नीचे एक बुक रखी हुई थी.
वो किताब कोई साधारण किताब नहीं थी बल्कि सेक्स कहानियों की किताब थी.
मैं किताब को खोलकर देखने लगा तो उसमें विदेशी लौड़े गोरी चूतों में घुसे हुए थे और साथ में सेक्सी कहानियां भी लिखी हुई थीं.
किताब देखने में मैं जैसे खो ही गया.
कुछ तो मैं थोड़ी देर पहले नंगी भाभी देखकर आया था और लंड पहले से ही तना हुआ था.
किताब में नंगी लड़कियों की फोटो देखकर मैंने फिर से लंड को सहलाना शुरू कर दिया.
लंड को सहलाते हुए जैसे मैं भूल ही गया था कि मैं भाभी के रूम में हूं.
फिर अचानक से भाभी आ धमकी और उन्होंने मुझे किताब देखकर लंड सहलाते हुए देख लिया.
वो झट से मेरे करीब आई और बोली- अंकित, क्या देख रहा है, इधर दे इसे!
इतना कहकर भाभी ने मेरे हाथ से किताब ले ली और उनका चेहरा शर्म से लाल हुआ जा रहा था.
किताब को लेकर वो एक ओर रखने के लिए जाने लगी तो मैंने कहा- वाह भाभी … बहुत ही रोचक किताबें पढ़ते हो?
वो थोड़ी हड़बड़ाते हुए बोली- क्यूं? तुम नहीं पढ़ते हो क्या?
मैं बोला- हां पढ़ता हूं भाभी! मैं तो अन्तर्वासना पर मजेदार ऑनलाइन हिन्दी सेक्स कहानियां भी पढ़ता हूं. मगर आज तो मेरा मन कर रहा है कि आपके साथ ही पढूं.
भाभी- बताऊं क्या? थप्पड़ पड़ेगा. चल अभी, मुझे कपड़े पहनने दे.
मैं बोला- भाभी थोड़ी देर दो ना किताब, आप कपड़े पहन लो तब तक!
भाभी- नहीं, चल बाहर निकल तू रूम से.
मैं- नहीं भाभी, किताब दो मुझे.
इतना बोलकर मैं भाभी से किताब छीनने की कोशिश करने लगा.
छीना झपटी में भाभी के बदन पर लिपटा हुआ तौलिया खुल गया और भाभी मेरे सामने ब्रा पैंटी में खड़ी रह गयी.
उन्होंने अपने हाथों से अपनी चूत को छुपा लिया.
एक हाथ सीने पर रखकर मेरी ओर गुस्से से देखकर बोली- तू बहुत बिगड़ गया है अंकित, तेरी शिकायत करूंगी मैं तेरी मां से! पकड़ ये किताब!
इतना बोलकर वो टावल उठाने लगी.
मैं भाभी के स्तनों को घूर रहा था. भाभी के स्तन उसकी ब्रा से बाहर छलकने को हो रहे थे.
वो टावल उठाते हुए बोली- ऐसे क्या देख रहा है, कभी लड़की नहीं देखी क्या?
मैं बोला- देखी है भाभी, लेकिन आप जैसी नहीं.
वो बोली- क्यूं, मेरे में ऐसा क्या है, तूने क्या देख लिया ऐसा?
मैं बोला- अभी अभी बाथरूम में देखा है.
वो मेरी ओर हैरानी से देखकर बोली- क्या??? हरामी … क्या देखा है तूने? सच बता मुझे?
मैं बोला- जो देखने लायक होता है औरत में, वो सब देख लिया.
भाभी खिसियाकर मेरी ओर भागी और मैं उसके आगे आगे भागने लगा.
मैं हॉल में चला गया और भाभी अपने तौलिया को लपेटने की कोशिश करते हुए अपने उछलते चूचों के साथ मेरा पीछा कर रही थी.
वो बोली- रुक तू … मैं बताती हूं तुझे. बहुत बदमाश हो गया है.
मैंने कहा- कहां बताओगी? अंदर बाथरूम में?
इतना बोलकर मैं जोर जोर से हंसता हुआ भाग रहा था.
फिर भाभी थक गयी और हम वापस रूम में हांफते हुए आ गये.
मौका देखकर मैंने बोला- भाभी मजाक बहुत हो गया. अब थोड़ी देर साथ में बैठकर पढ़ते हैं.
भाभी जान गयी कि ये नहीं मानने वाला.
वो बोली- चल ठीक है, पढ़ ले.
फिर वो तौलिया लपेट कर मेरे साथ बेड पर बैठ गयी.
हम दोनों हिन्दी सेक्स कहानियों की किताब पढ़ने लगे.
किताब में भाभी देवर की चुदाई चल रही थी. पढ़ते पढ़ते मेरा लंड खड़ा होने लगा.
भाभी तिरछी नज़र से मेरा लन्ड देख रही थी.
मैं भी जान गया था कि भाभी मेरे लंड पर नजर बनाये हुए है.
ये देखकर मेरा लंड और ज्यादा तनाव में आ गया और पूरा आकार ले लिया.
मेरा लंड मेरी पैंट में उछलने लगा था.
जब भाभी से रहा न गया तो वो बोली- अंकित … तेरा कितना बड़ा है रे!
मैं बोला- आप खुद ही देखकर पता कर लो ना भाभी … मैंने तो कभी नापा नहीं है.
वो बोली- हट … बदमाश।!
भाभी बात पलटने लगी तो मैंने धीरे से अपना एक हाथ भाभी के बूब्स पर रख दिया और धीरे से दबा कर कहा- देख कर बताओ ना भाभी … मुझे भी तो पता चले कि मेरा कितना बड़ा है.
तो भाभी ने धीरे से हाथ मेरे लौड़े पर रखा तो लौड़ा पूरे जोश में उछल गया.
मैंने भाभी के हाथ को अपने लौड़े पर दबा दिया.
वो एकदम से सिहर सी गयी.
मैंने मौका पाया और उसी वक्त उसका टावल खींच दिया.
फिर मैंने ब्रा के ऊपर से उसके बूब्स मसल दिए और उन्होंने कसमसाकर मुझे पकड़ लिया.
भाभी ने मेरे लौड़े को अब कसकर दबा दिया और उसको भींच लिया अपनी मुठ्ठी में.
जोश अब मुझे भी चढ़ गया था और मैं हवस में चूर होकर बोला- हाय … भाभी … ऊपर से ही दबाओगी या बाहर भी निकालोगी इसे?
कहते हुए मैंने भाभी की चूची को निप्पल के पास से कसकर भींच दिया.
भाभी को भी लंड देखने की आग लगी हुई थी.
उसने मेरी लोअर को खींच दिया और मेरे अंडरवियर का तंबू उसके सामने था.
भाभी की नजरें हैरानी से भर गयीं.
मैंने भाभी का हाथ पकड़ा और अपने कच्छे में अंदर घुसाकर उसके हाथ में लंड पकड़ा दिया.
भाभी एकदम से सकपका गयी. मेरा लौड़ा एकदम से गर्म होकर जैसे तप रहा था. भाभी की आहें निकलने लगीं. वो मेरे लंड की मुट्ठ मारने लगी.
फिर मैंने कच्छे को पूरा ही निकाल दिया और अब मेरा लंड बाहर आकर भाभी के हाथ में था. उसका सुपारा एकदम से लाल हो गया था और छोटी गेंद जैसा आकार ले चुका था.
वो बोली- हाय बाप रे … इतना बड़ा? तेरा तो बहुत बड़ा है अंकित।
मैं बोला- नहीं वैशाली भाभी. ये मेरा नहीं है, ये तो अब आपका है.
वो मेरी बात सुनकर मुस्करा दी.
अब मैं रुक नहीं सकता था और मैंने सीधे अपने होंठ भाभी के होंठों पर रख दिये और उसके सिर के पीछे हाथ ले जाकर उसको किस करने लगा.
वो मेरे लंड को सहलाते हुए मेरे होंठों को चूसने लगी.
दोनों ही सेक्स के लिए गर्म होने लगे.
अब मैं उसकी ब्रा का हुक खोलने लगा.
हुक खोलकर मैंने उसको उतार दिया और भाभी के गोल मोटे स्तन मेरे सामने झूल गये.
मैंने तुरंत भाभी के मुंह से जीभ निकाली और एक स्तन पर रख दी.
मैं एक चूचे को चूसने लगा और दूसरे को हाथ से दबाने लगा.
भाभी ने अपनी छाती और आगे कर दी और मुझे आगे होकर अपने बूब्स पिलाते हुए सिसकारने लगी- आह्ह … अंकित जोर से चूस … आह्ह … मेरे चूचे … पी जा इनको … इनका दूध निकाल ले चूस चूसकर!
काफी देर तक मैंने बूब्स को चूसा और वो मेरे लंड की मुट्ठ मारती रही.
फिर मैं बोला- भाभी इसको हाथ से हिलाती रहोगी या होंठों का प्यार भी दोगी?
वो समझ गयी और मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी.
मैं बोला- अपनी टांगें मेरी ओर करके चूसो.
भाभी और मैं लेट गये और भाभी की टांगें मेरी ओर आ गयीं.
उनकी पैंटी के बीच में गीला धब्बा हो गया था.
इतने में भाभी ने मेरे लंड को फिर से चूसना शुरू कर दिया.
अब मैंने उनकी पैंटी पर लगे रस को चाटा और फिर पैंटी को नीचे खींच दिया.
आह्ह … भाभी की लाल चूत मेरे सामने नंगी हो गयी.
मेरे तो मुंह में पानी आ गया और झट से मैंने भाभी की चूत में जीभ देकर उसे चूसना शुरू कर दिया.
हम दोनों 69 की पोजीशन में चुसाई का मजा लेने लगे.
मैं उनकी चूत चाटने लगा और साथ ही उनकी गांड में उंगली भी करने लगा.
दस मिनट चूसने और उंगली करने के बाद भाभी का बदन एकदम से अकड़ गया और उसकी चूत ने मेरे मुंह में पानी छोड़ दिया.
फिर मैंने उसको घोड़ी बना लिया और उसके सामने घुटनों पर आ गया.
मैं उसके मुंह में लंड देकर धक्के मारने लगा और उसके मुंह को चोदने लगा.
दो मिनट के बाद मेरा वीर्य भी भाभी के मुंह में निकल गया और वो उसको सारा का सारा अंदर ही पी गयी.
फिर हम कुछ देर शांत होकर लेटे रहे. उसके बाद भाभी फिर से मेरे लंड को सहलाने लगी.
मैंने उसके चेहरे को अपनी ओर किया और उसको किस करने लगा.
वो भी मेरा साथ देने लगी.
फिर मैं बोला- भाभी अब मुझे आपकी मारनी है, अब नहीं रुका जायेगा.
वो बोली- ठीक है. मार ले. पहले चूत मार ले और फिर गांड.
भाभी की गांड चुदाई का नाम सुनकर मैं तो हक्का बक्का रह गया.
मेरी खुशी का ठिकाना न रहा.
भाभी थोड़ी घबरा कर बोली- आराम से करना, तेरे लंड के हिसाब से मेरी चूत काफी छोटी है. एकदम से नहीं ले पाऊंगी.
मैं बोला- ठीक है जान … आराम से करूंगा … बहुत प्यार से।
मैंने भाभी को लिटाया और उनके ऊपर आ गया. मैं भाभी की चूत पर लंड को रखकर रगड़ने लगा.
वो मस्त हो गयी और सिसकारने लगी- आह्ह अंकित … ऐसे क्यूं आग लगा रहा है मेरी चूत में?
मैं बोला- भाभी जान … चूत में आग लगेगी तभी तो पानी डालने का मजा है.
भाभी- तो फिर डाल दे ना मेरी चूत में अपने लंड का पानी.
मैं- ये लो भाभी!
कहते हुए मैंने एक धक्का भाभी की चूत में लगा दिया.
मेरे धक्के के साथ भाभी की चूत में लंड का सुपारा घुस गया. उसकी चूत वाकई में ही टाइट लग रही थी.
उसकी आह्ह निकल गयी और मैंने तभी उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया और उसके तुरंत बाद एक और धक्का उसकी चूत में मार दिया.
वो छटपटाने लगी.
आधा लंड भाभी की चूत में घुस गया था.
वो मुझे धकेलने लगी लेकिन मैंने भाभी को कस कर जकड़ लिया और उसकी चूत में तीसरा धक्का भी दे मारा. वो तड़पने लगी और मेरे होंठों की पकड़ उसके लिप्स पर और ज्यादा कस गयी.
काफी देर तक लिप्स को चूसता रहा और फिर वो जाकर नॉर्मल हुई.
अब वो खुद ही मेरे होंठों को काट रही थी और मेरी पीठ पर नाखून गड़ा रही थी. शायद उसको लंड लेकर मजा आ गया था.
उसके बाद भाभी ने मेरी कमर में टांगें डाल दीं और मुझे कस कर अपने बदन से सटा लिया. मैं भाभी की चुदाई करने लगा.
वो भी अपनी गांड उचका कर चुदने लगी.
थोड़ी ही देर के बाद दोनों के मुंह से कामुकता भरे स्वर निकल रहे थे- आह्ह … ओह्ह … जान … यस … आह्ह … मजा आ रहा है … चोदो … और तेज अंकित … फाड़ दो.
मैं भी कुछ ऐसे ही बड़बड़ा रहा था- हाय मेरी रानी … तेरी चूत … आह्ह … कितनी गर्म है … बहुत मजा आ रहा है तेरी चूत चोदने में. आह्ह … चोद दूंगा तुझे … फाड़ दूंगा ये छेद।
इसी तरह 15 मिनट तक चोदने के बाद भाभी झड़ गयी.
मैं फिर भी उसकी चूत को पेलता रहा.
अब उसकी चूत में लंड बर्दाश्त नहीं हो रहा था उससे. वो दर्द से चिल्लाने लगी थी लेकिन मैं फिर भी उसको चोदता रहा.
उसके दस मिनट के बाद फिर मैंने पूरी स्पीड बढ़ा दी और उसकी चूत के चिथड़े होने लगे. पच … पच … फच … फच … की आवाज से कमरा गूंज उठा और एकाएक मेरे लंड से वीर्य निकल पड़ा. मैं हाँफता हुआ भाभी के बूब्स पर लेट गया.
मेरा सारा माल भाभी की चूत में खाली हो गया. उसके बाद हम लेटे रहे और फिर भाभी उठकर बाथरूम में चली गयी.
पीछे पीछे मैं भी गया और बोला- भाभी … अभी गांड चुदाई बाकी है.
वो बोली- नहीं, रात को तेरे भैया के साथ भी करना है. मैं और नहीं करवा पाऊंगी. तेरे लंड ने फाड़ कर रख दी मेरी चूत.
उसके बाद वो बाहर ही नहीं आई. मुझे देर हो रही थी इसलिए मैं मरे मन से वापस लौट आया और कपड़े पहन कर घर चला गया.
तो दोस्तो, उस रोज भाभी ने मुझे उनकी गांड चुदाई नहीं करने दी.
मगर मैं भी कहां मानने वाला था. मैं उसकी गांड को चोदकर ही रहा. कैसे? वो मैं आपको अपनी अगली चुदासी पड़ोसन भाभी चुदाई स्टोरी में बताऊंगा.
ये चुदासी पड़ोसन भाभी चुदाई स्टोरी कैसी लगी मुझे इसके बारे में मेल जरूर करें.
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