कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मेरी बड़ी दीदी हेतल ने मेरी छोटी बहन मानसी के सामने मेरी जवानी करतूतों की सारी पोथी खोल कर रख दी थी. मगर मुझे अब किसी बात का डर नहीं था क्योंकि मानसी और मैं तो अब चुदाई करने लगे थे.
फिर एक दिन हेतल अपने पति रितेश के साथ हमारे यहाँ आ धमकी. मैं समझ गया कि अब मानसी की चूत के लिए राज के लंड की बारी आ गयी है. रितेश जीजू और हेतल दीदी की जोड़ी कमाल की लगती थी. ऐसा लगता था कि दोनों एक-दूसरे के लिए बने हैं. मेरी दीदी हेतल एक गोरे रंग वाली, 5.6 फीट लम्बी और 34-32-36 के साइज वाली लड़की थी. उसका ये फीगर शादी के बाद का बता रहा हूँ मैं. रितेश जीजू ने चोद-चोद कर उसकी कमसिन जवानी को फूल की तरह खिला दिया था.
जब वो दोनों हमारे घर आये तो हमारा घर जैसे खुशियों से भर गया. अभी तक हेतल दीदी और रितेश जीजू ने कोई बच्चा पैदा नहीं किया था. वो शायद अपनी जवानी के मजे अभी ज्यादा वक्त तक लेना चाहते थे इसलिए फैमिली प्लानिंग के बारे में सोच-समझकर आगे बढ़ रहे थे.
रितेश जीजू के बारे में भी जितनी तारीफ करूं शायद कम ही होगी. मेरी दीदी हेतल ने रितेश जीजू को अपने लिए खुद ही चुना था. उन दोनों की लव मैरिज हुई थी. उनकी जोड़ी को देख कर हर कोई कह सकता था कि ये दोनों तो एक दूसरे के लिए ही बने हैं. रितेश जीजू एक 6 फीट लम्बे और मजबूत कद-काठी के मर्द थे. दीदी से दो साल ही बड़े थे. मुझे नहीं पता दीदी ने उनको कहां से ढूंढा था लेकिन उनको देख कर मुझे ऐसा लगने लगता था कि काश मैं भी इनके जितना ही चार्मिंग होता.
उनका रंग गोरा और शरीर भरा हुआ था. लाल होंठ और काली नशीली आंखें थीं. जब हंसते थे तो किसी हीरो से कम नहीं लगते थे. उनकी बॉडी एकदम परफेक्ट थी उनकी हाइट के हिसाब से. कहीं से भी शरीर पर अतिरिक्त चर्बी नहीं दिखाई देती थी बल्कि उनको देख कर लगता था कि जैसे वो कोई मॉडल ही हों. मैं हेतल दीदी की पसंद को मान गया था जब पहली बार मैंने जीजू को देखा था.
उनको देख कर तो किसी अप्सरा की चूत में भी आग लग सकती थी. फिर हेतल दीदी तो बहुत ही चालू थी. उसने पता नहीं कैसे उनको पटा लिया था. जबकि हेतल दीदी जीजू के सामने उन्नीस ही लगती थीं. मगर शादी के बाद दीदी की जवानी पर अलग ही निखार आ गया था. अब दोनों की जोड़ी बहुत ही खूबसूरत लगती थी.
घर आने के बाद माहौल में गहमागहमी रहने लगी थी. जीजू के साथ मेरा अच्छा टाइम पास होने लगा था जबकि मानसी भी हेतल के आने के बाद ज्यादा ही खुश रहने लगी थी. उन दोनों के बीच में अब कुछ भी छिपा न रह गया था लेकिन हेतल को नहीं पता था कि मैं भी हेतल की बातें सुन चुका हूं और जानता हूं कि हेतल ने किस तरह मेरे लंड को छुआ था.
रात को हेतल और मानसी एक कमरे में ही सोते थे. रितेश जीजू कभी मेरे साथ मेरे रूम में सो जाते थे तो कभी हॉल में सो जाते थे. वो लोग वैसे तो यहां पर तीन-चार दिन के लिए ही आये थे लेकिन फिर उनका भी मन लग गया और उन्होंने ज्यादा दिन तक हमारे साथ रुकने का प्लान बना लिया. इसकी एक वजह शायद मानसी की राज का लंड लेने की चाहत भी थी.
मैं जानता था कि जब तक मानसी मामा के लड़के राज का लंड अपनी चूत में नहीं लेगी वो हेतल को यहां से नहीं जाने देगी. जब कई दिन मानसी की गांड मारे हुए हो गये तो मैंने उसको एक रात चुपके से अपने कमरे में बुलाया और दरवाजा बंद करके उसकी गांड की चुदाई कर डाली. तब जाकर मेरे लंड को कहीं चैन मिला. उस रात को जीजू हॉल में सो रहे थे.
हेतल तो जानती थी कि मेरे और मानसी के बीच चुदाई का खेल काफी दिन से चल रहा है लेकिन रितेश जीजू को अभी इस बारे में कुछ भी नहीं पता था. फिर एक दिन जोर की बारिश आने लगी और पावर कट हो गया. दोपहर से गई हुई लाइट शाम तक नहीं आई. हम लोग उस दिन घर पूरा दिन बोर होते रहे इसलिए शाम को मैं और जीजू घूमने के लिए निकल गये.
वापस आकर देखा तो तब भी लाइट नहीं आई थी. उस दिन तो बड़ी मुश्किल हो गई थी. फिर हमने इमरजेंसी लाइट के लिए भी जुगाड़ किया लेकिन वो बैटरी वाली लाइट भी ज्यादा देर नहीं चली. वैसे मौसम तो ठंडा था लेकिन घर में पूरा अंधेरा हो गया था. उस दिन हम लोग सब अपने-अपने रूम में ही सो रहे थे. जीजू बाहर हॉल में सो रहे थे. मानसी अपने रूम में और हेतल अपने रूम में सो रही थी.
उस दिन मौसम को देख कर मेरा मन मानसी की चुदाई करने के लिए मचल रहा था. मैंने सोचा कि एक बार जीजू और हेतल सो गये तो मैं मानसी के रूम में जाकर ही उसको चोद कर आ जाऊंगा.
मैंने मानसी के फोन पर मैसेज छोड़ दिया कि मैं रात 11 बजे के बाद उसके रूम में आऊंगा और वो दरवाजा खुला ही रखे.
उसने मैसेज में रिप्लाई किया- ठीक है, लेकिन आराम से करना, कहीं रितेश जीजू को पता न लग जाये. अगर उनको पता चल गया कि हम भाई-बहन में चुदाई चल रही है तो वो हमारे बारे में पता नहीं क्या सोचेंगे.
मैंने कहा- ठीक है, मैं चुपचाप आऊंगा और तुम भी चुप ही रहना. मैं चुपके से तुम्हारी चुदाई करके वापस चला जाऊंगा.
मानसी और मैंने चुदाई का प्लान फिक्स कर लिया था. मैं देर रात होने का इंतजार करने लगा. जब ग्यारह बज गये तो मैंने सोचा कि अब तक जीजू और हेतल दोनों सो चुके होंगे. हेतल से तो मुझे कोई डर नहीं था लेकिन जीजू को अभी इन सब घटनाओं के बारे में कुछ नहीं पता था.
मैं चुपके से मानसी के कमरे की ओर चला. हॉल में देखा तो जीजू वहां पर सो रहे थे और उनके खर्राटों की आवाज जोर से सुनाई दे रही थी. मैंने सोचा कि काम और आसान हो गया है. रितेश जीजू और हेतल दीदी अभी गहरी नींद में होंगे. मैंने सोचा कि मानसी की गांड और चूत चोदने का यह अच्छा मौका है. मैं जल्दी से मानसी के कमरे में चला गया.
वो बेड पर सो रही थी. बाहर खिड़की से अंदर आ रही चांद की हल्की सी रोशनी में ज्यादा कुछ नहीं दिखाई दे रहा था मगर इतना जरूर पता लग रहा था कि बेड पर वो सोई हुई है. मैं जाकर पीछे से उससे लिपट गया. मेरे हाथ सीधे ही उसके चूचों पर पहुंच गये और मैंने उसके चूचों को जोर से दबाते हुए अपना लंड उसकी गांड पर रगड़ना शुरू कर दिया.
अगले दो मिनट में ही मैंने उसके बदन से नाइट ड्रेस उतार कर उसको नंगी कर दिया था. मैंने उसकी गांड पर लंड को रगड़ना शुरू किया तो उसने मुझे पकड़ कर आगे की तरफ खींचने की कोशिश की. जब मैं आगे की तरफ नहीं हो पाया तो वो पलट कर सीधी हो गई और मैं उसके ऊपर आ गया. उसके मोटे चूचों में उसने मेरा मुंह लगवा दिया और मेरी कमर पर हाथ फिराने लगी.
मैं उसके चूचों को चूसने लगा. उसकी चूत पर हाथ फिराते हुए उसकी चूत को सहलाने लगा. मैंने जल्दी से अपने अंडरवियर को नीचे किया और उसकी चूत पर लंड लगाकर उस पर पूरी तरह से लेटते हुए उसके होंठों को चूसने लगा.
उसने अपनी कमर को ऊपर उठाकर मेरे लंड को चूत पर एडजस्ट करते हुए लंड को चूत में जाने का रास्ता दे दिया. चूत में लंड उतरते ही मेरी कमर ने ऊपर नीचे होते हुए खुद ही उसकी गर्म चूत की चुदाई शुरू कर दी. बहुत दिनों के बाद मेरे लंड को चूत नसीब हुई थी. मैं तेजी से उसकी चूत को चोदने लगा.
जब मेरे धक्के तेज होने लगे तो उसके मुंह से उम्म्ह… अहह… हय… याह… की आवाजें निकलने लगीं. मैंने उसके होंठों को चूस डाला ताकि आवाज जीजू और हेतल के रूम तक न पहुंच पाये. मगर जैसे ही मैंने होंठ हटाये तो वह फिर से सिसकारियां लेने लगी. मगर यह आवाज कुछ बदली-बदली सी लग रही थी.
मैंने सोचा कि मानसी आज कुछ ज्यादा ही चुदासी हो गई है इसलिए इसकी आवाज भी अलग रही है. मैंने उसकी टांगों को ऊपर उठाकर तेजी के साथ उसकी चूत को पेलना शुरू कर दिया. चूत से पच-पच की आवाज होने लगी.
इतने में ही लाइट आ गई और कमरे की बत्ती जल उठी. मैंने देखा तो हेतल मेरे लंड के नीचे पड़ी हुई पूरी तरह चुदासी होकर मेरा लंड अपनी चूत में ले रही थी.
मैंने एकदम से लंड को बाहर निकाल लिया और सहम सा गया. मगर हेतल ने दोबारा मुझे अपने ऊपर खींचने की कोशिश की. लेकिन मैं अभी यह नहीं समझ पा रहा था कि मानसी की जगह हेतल कैसे आ गई.
फिर उसने मुझे खुद ही धक्का देकर नीचे गिरा लिया और मेरे खड़े हुए लंड पर बैठ कर उछलने लगी. मेरे लंड पर उछलते हुए उसके चूचे भी ऊपर नीचे डोल रहे थे. वो किसी रंडी की तरह मेरे लंड पर बैठ कर उसको गपागप अंदर ले रही थी. मैंने हेतल को पहली बार इस रूप में देखा था और वो भी तब जब मेरा लंड उसकी चूत में गपागप अंदर-बाहर हो रहा था.
वो बार-बार अपने चूचों को दबाती हुई मेरे लंड की चुदाई का आनंद लूट रही थी. उसकी चूत बहुत ही ज्यादा गर्म थी. इसलिए मैं ज्यादा देर तक उसकी चूत के सामने टिक नहीं पाया और पांच-सात मिनट की चुदाई के अंदर ही मेरे लंड ने उसकी चूत में अपना माल उगल दिया. मैं ढीला पड़ने लगा था. फिर धीरे-धीरे मैं बिल्कुल ही ठहर गया.
हेतल ने मेरे लंड को अपनी चूत से निकाला तो वो सिकुड़ने की राह पर चल पड़ा था. उसके तनाव में तेजी के साथ कमी आनी शुरू हो गई थी. हेतल ने मेरी तरफ देख कर कहा- क्यूं रे, इतनी जल्दी? तू अपनी बीवी को कैसे खुश रख पायेगा. मैं तो मानसी से बड़ी तारीफ सुन रही थी तेरी?
मैंने कहा- मगर दीदी, आप यहां पर क्या कर रही हो?
हेतल बोली- अभी तक तुझे पता ही नहीं चला कि मैं यहां पर क्या कर रही हूं?
मैंने कहा- मगर ये तो मानसी का कमरा है.
वो बोली- हां, मैं भी तुझसे पूछ रही हूं कि ये मानसी का कमरा है. तू भी तो यहां पर नंगा पड़ा हुआ है.
वो मेरे चेहरे को देख कर हंसने लगी और बोली- मेरे चोदू भैया, तुझ पर तो मेरी नजर तब से थी जब तेरा ये लौड़ा खड़ा होना शुरू ही हुआ था.
मैंने कहा- मैं जानता हूं. मैंने मानसी और तुम्हारी बातें फोन पर सुन ली थीं.
वो बोली- तो फिर इतना भोला क्यों बन रहा है? अब मेरी चूत का क्या? इसका पानी निकलवा जल्दी से।
कहकर वो नीचे आकर मेरी बगल में लेट गई और मैंने हेतल के मोटे चूचों को मुंह में भर लिया. एक हाथ से उसकी चूत को सहलाने लगा और वो फिर से उसी तरह चुदासी हो गई जैसे वो मेरे लंड पर उछल कर हो रही थी. मैंने हेतल की चूत में उंगली डाल कर तेजी के साथ उसको अपनी उंगलियों से चोदना शुरू कर दिया.
वो फिर से तड़पने लगी और मेरे होंठों को चूसते हुए मेरे सोये हुए लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी. मगर लंड में इतनी जल्दी तनाव आना संभव नहीं था. इसलिए वो कभी मेरे टट्टों को सहला रही थी तो कभी लंड को.
मैंने और तेजी के साथ उसकी चूत में उंगली चलानी शुरू की तो उसकी आवाजें और थोड़ी बढ़ गईं- हां … आह्ह … हां मेरे भाई, अब मजा आ रहा है … तेजी से कर … आह्ह … चोद दे मेरी चूत को, इसका पानी निकाल कर पी जा … अम्म … अह्ह … उफ्फ … ओह् … करती हुई वो पूरी तरह से चुदासी हो चली थी.
तीन-चार मिनट की मशक्कत के बाद वो मेरे बदन से लिपटती चली गई और अपनी चूत को मेरे हाथ पर फेंकने लगी. उसकी चूत से निकलता हुआ गर्म-गर्म पानी मुझे अपनी उंगलियों पर से बहता हुआ महसूस हो रहा था. वो हांफती हुई एक तरफ लेट गई और उसके चूचे उसकी छाती पर ऊपर नीचे हो रहे थे.
मैंने उसके बदन को गौर से देखा. उसका नंगा बदन सच में कमाल का लग रहा था. हालांकि मानसी की चुदाई करके मैं कुंवारी चूत को भी भोग चुका था लेकिन हेतल की शादीशुदा चूत को चोद कर मुझे अलग ही अहसास हुआ. वो इतनी मस्ती से मेरे लंड को अपनी चूत में ले रही थी कि मैं जल्दी ही झड़ने पर मजबूर हो गया. अब मेरी समझ में आया कि उसने रितेश जीजू के साथ शादी क्यों की. उसकी प्यासी चूत को रितेश जीजू जैसा छैला मर्द ही बुझा सकता था.
मैंने हेतल से कहा- दीदी, अगर आप यहां हो तो फिर मानसी कहां पर है?
वो कुछ देर तो चुपचाप पड़ी रही. फिर उसने मेरी तरफ गर्दन घुमाई और फिर एकदम जोर से ठहाका मारकर हंस पड़ी.
मैं उसकी इस हंसी का मतलब नहीं समझ पाया. मैंने दोबारा पूछा तो उसने तब भी कुछ नहीं बताया.
फिर मैंने उसके तने हुए निप्पलों को अपने हाथ में लेकर कचोटते हुए जोर से मसल दिया और वो सिहर उठी.
वो बोली- रुक ना हरामी, बताती हूं.
उसके बाद वो फिर से हंसते हुए बोली- मानसी ने मुझे फोन पर पहले ही बता दिया था कि तू उसकी चूत को चोदने के लिए तड़प रहा है. मैंने मानसी से कहा कि खेल को थोड़ा रोचक बना देते है. फिर हमने ये प्लान बनाया कि पहले मैं तेरे लंड को अपनी चूत में लूंगी और वो भी तुझे बिना बताये हुए.
मानसी भी मेरी बात को झट से मान गयी. फिर मैं प्लान के मुताबिक चुपके से मानसी के कमरे में यहां आकर लेट गई और मानसी मेरे कमरे में जाकर लेट गई. अब अगर तेरा लंड तैयार हो गया हो तो ज़रा मानसी को जाकर भी देख ले. उसको लंड लेने का नया-नया शौक लगा है. वो बेचारी अपनी गर्म चूत के साथ परेशान हो रही होगी तेरे लिये.
मैंने कहा- तुम दोनों बहनों ने मिलकर तो मेरा पपलू बना दिया.
वो बोली- क्यों बे, तुझे मजा नहीं आया मेरी चूत चोदकर?
मैंने कहा- अगर जीजू को पता लग गया तो?
वो बोली- तेरे जीजू को कोई पता लगने देगा तब ना, वो तो हॉल में खर्रांटे ले रहे होंगे. अब तू मानसी के पास जा. वो बेचारी तेरे लंड का इंतजार कर रही होगी.
मैंने कहा- और आप?
हेतल बोली- मैं जरा तेरे जीजू की नींद खराब करके आती हूं.
इतनी बात होने के बाद हम दोनों मानसी के कमरे से बाहर निकलने लगे.
कहानी अगले भाग में जारी रहेगी. कहानी आपको कैसी लग रही है, आप कमेंट करके अपनी राय जरूर दें. मैंने अपनी मेल आई-डी नीचे दी हुई है.
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