नमस्कार दोस्तों. मैं आपकी दोस्त शिखा हूँ. अभी बस जवानी की दहलीज पर मैंने कदम रखा ही है. मैं एकदम भरपूर हुस्न की मालकिन हूँ! मेरा रंग हल्का सांवला है, फिगर 36-27-38 है।
मेरे परिवार में हम 4 लोग हैं, पापा, माँ, बड़ा भाई (पंकज) और मैं!
मैं कॉलेज में Ist ईयर में पढ़ती हूँ।
मैं आज पहली बार इस साईट पर मेरी सेक्स स्टोरी लिख रही हूँ, बहुत हिम्मत करके अपने जीवन का सच लिखने जा रही हूँ।
हमारे मोहल्ले के लड़के मुझे देखकर अपने लंड पर हाथ फेरने लगते हैं।
मैंने पहले अपने बॉयफ्रेंड के साथ सेक्स के खूब मज़े लिए है लेकिन फिर वो पढ़ाई करने के लिए बाहर चला गया और अब मैं यहाँ अकेली रह गई हूँ।
यह स्टोरी मेरी और मेरे भाई के बीच की है।
मेरा बड़ा भाई उम्र 21 साल है और वो 3rd ईयर का स्टूडेंट है, वो दिखने में एकदम मस्त है और अच्छी बॉडी है, उसकी हाईट 5’6″ है।
हम दोनों का कॉमन रूम है, हम आपस में बहुत लड़ाई करते रहते हैं और एक दूसरे को चिढ़ाते रहते हैं।
माँ भी हमें डांटती रहती है।
एक दिन में कॉलेज से लेट हो गई और जब घर आई तो भाई पूछने लगा कि कहाँ गई थी?
तो मैंने कहा कि सहेलियों के साथ थी।
वो लड़ने लगा तो मैं भी चिल्ला पड़ी तो उसने मुझ पर हमला सा कर दिया और मुझको पकड़कर नीचे गिरा दिया।
फिर मैंने भी उल्टा जवाब दिया और उसे गिरा दिया और उसके पेट के ऊपर बैठ गई, उस टाईम शायद उसका लंड खड़ा हो गया था और मेरी गांड की दरार में चुभने लगा था।
मैं समझ गई थी लेकिन मेरा हटने का मन नहीं कर रहा था और यह बात शायद भाई भी समझ गया था।
उसने मुझे धक्का दिया तो मैं नीचे गिर गई और वो मेरे ऊपर आ गया, मेरे पैर खुले होने की वजह से उसका लंड मुझे सीधा चूत पर महसूस होने लगा, तो मैं झट से उसे धकेलकर वहाँ से जाने लगी।
जब मैंने पीछे मुड़कर देखा तो भाई की पैंट में बहुत मोटा सा हिस्सा उभरा हुआ था, मैं सोच में पड़ गई कि भाई का लंड कितना बड़ा होगा?
उस दिन मैंने बाथरूम में जाकर अपनी पेंटी उतारी तो मेरी चूत में से ढेर सारा पानी निकला।
मैं सोच में पड़ गई कि अपने सगे भाई को टच करते ही मुझे आज क्या हो गया है?
और मुझे खुद पर शर्म भी आ रही थी और वो पल याद करके मज़ा भी आ रहा था।
उस दिन मुझे बहुत खुजली हुई, लेकिन मैंने उस खुजली को अपनी चूत में उंगली से शांत कर लिया।
फिर मैंने सोच लिया कि मैं भाई को गर्म करके देखूँगी, अगर हो गया तो घर की बात घर में रहेगी और खुजली भी मिट जायेगी।
अब मैं भाई के सामने छोटे-छोटे कपड़े पहनने लगी और उसे अपने 36 साईज़ के बूब्स भी दिखाने लग गई।
वो भी मुझे गौर से देखता था लेकिन ऐसे बर्ताव करता था जैसे उसने कुछ ना देखा हो!
मैं अपनी मोटी गांड मटकाती थी और उसके सामने जानबूझ कर ऐसे चलती थी।
एक दिन माँ पापा एक हफ्ते के लिए छुट्टी मनाने शिमला चले गये और हम दोनों कॉलेज में टैस्ट की वजह से घर में ही रह गये।
यह मेरे लिए एक गोल्डन चान्स था, मैंने इसके लिए एक प्लान बनाया और उसी के मुताबिक रात को छत से आते वक्त मैं सीढ़ियों से फिसल गई और ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला कर रोने लगी।
पंकज दौड़ता हुआ आया और मुझे उठाकर पूछने लगा कि कही चोट तो नहीं लगी।
तो मैंने बताया कि घुटने और कमर में मोच आ गई है, तो वो डॉक्टर के पास जाने के लिए कहने लगा, लेकिन मैंने कहा कि ऐसे ही ठीक हो जायेगा।
उसने मुझे दर्द की गोली दी और मुझे लिटा दिया, लेकिन रात को 10 बजे मैंने भाई को बुलाया और उसे मालिश करने के लिए कहा तो उसने हाँ कर दिया और किचन में तेल लेने चला गया।
मैंने उस दिन सूट और खुली वाली सलवार पहन रखी थी।
मैंने कहा कि मेरे घुटने और कमर की मालिश कर दे!
वो आकर मेरे पास बैठ गया, मैंने अपनी सलवार को घुटने के ऊपर तक उठा लिया और भाई मालिश करने लगा तो मुझे बहुत मज़ा आने लगा।
फिर मैंने कहा- भाई, थोड़ा और ऊपर तक कर!
वो अपना हाथ मेरी जाँघ तक लाकर मालिश करने लगा।
मैंने जब तिरछी नज़रो से देखा तो वो मेरी गांड को घूर रहा था और उसके पजामे में बहुत मोटा टेंट बना हुआ था।
मेरी तो चूत टपकने लगी थी।
फिर मैं ऊपर कमर करके लेट गई और उसे कमर की मसाज करने के लिए कहा तो वो तुरंत बोल पड़ा कि उसके कपड़े गंदे हो जायेंगे। तो मैंने कहा कि भाई शर्ट पजामे को उतार दे और फिर मालिश कर!
तो उसने सुनते ही अपना पजामा हटा दिया और मेरे पास आ गया।
मैंने अपना शर्ट और ब्रा स्ट्रिप्स तक हटा लिया और उसे इशारा किया, वो तो जैसे इस पल के लिए तड़प रहा था, अपने हाथ में तेल लेकर मेरी कमर पर मलने लगा तो मेरे मुँह से आह्ह्ह निकल गई।
उसने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- आराम मिल रहा है, भाई ऐसे ही कर!
फिर वो अपना हाथ मेरी ब्रा तक लाने लगा और कहने लगा- शिखा तेरी ये अटक रही है!
मैं- क्या भाई?
पंकज- ये बनियान!
मैं- इसे बनियान नहीं कहते हैं।
पंकज- तो क्या कहते हैं?
मैं- भाई, इसे ब्रा कहते हैं।
पंकज- तो ये मालिश करने में अटक रही है।
फिर मैंने अपनी ब्रा का हुक खोल कर उसे हटा दिया और उसे लगातार मालिश करने का इशारा किया।
वो मेरे कूल्हों को टच करने लग गया और ऊपर मेरे बूब्स पर उंगलियां लगाने लगा।
मैं- भाई, थोड़ा बीच में कमर पर करो, आराम मिल रहा है।
पंकज- मुझसे ऐसे नहीं हो रहा, उसके लिए तेरी कमर के दोनों तरफ पैर रखने पड़ेंगे।
मैं कुछ सोचते हुए- तो रख लो!
उसने अपने दोनों पैर मेरी कमर के दोनों तरफ रख लिए और मालिश करने लगा।
‘आआहह… बहुत आराम मिल रहा है भाई ऐसे ही करो!’
वो मेरे कूल्हों पर बैठ गया और उसका लंड मेरी मोटी गांड में अटकने लगा, मैं तो जैसे मर रही थी, मेरा मन कर रहा था कि वो अभी अपना लंड मेरी चूत में पेल दे और खूब चोदे, लेकिन ऐसा नहीं हो सकता था।
वो अपना हाथ ऊपर से लेकर नीचे मेरी गांड तक लाता था और जब हाथ ऊपर जाता तो उसका लंड मेरी सलवार में से अंदर घुसा जा रहा था।
उसने अपने लंड को शायद मेरी गांड के छेद पर सेट कर दिया था और हल्का-हल्का पुश करने लगा था।
फिर मैंने अपनी गांड को थोड़ा और ऊपर उठा लिया तो भाई का लंड मेरी सलवार के ऊपर से चूत को टच होने लगा और आआहह के साथ में झड़ गई।
मेरी चूत फड़कने लगी थी और पंकज के लंड को भी गीलेपन का एहसास होने लगा था।
फिर मेरी आँखें थोड़ी देर के लिए बंद हो गई और मैं सो गई, फिर मुझे सोती देख भाई भी चला गया।
अगले दिन भाई मेरे लिए चाय लेकर आया और मुझे देखकर मुस्कुराने लगा, वो चाय देकर कॉलेज चला गया और दोपहर को घर आया तो वो होटल से खाना लाया था।
उसने मुझे उठाकर खाना खिलाया और पूछा कि अब दर्द कैसा है?
मैंने कहा- कल की मालिश से बहुत आराम मिला है।
पंकज- ठीक है, मैं आज भी मालिश कर दूँगा और सारा दर्द ठीक हो जायेगा।
मैं- ठीक है भाई!
फिर रात हुई और मैंने जानबूझ कर आज घुटनों तक की लम्बाई की स्कर्ट पहनी और ऊपर टॉप पहना और अंदर मैंने ब्रा और पेंटी नहीं पहनी।
वो रात को दस बजे रूम में आया, तो मैंने दर्द का नाटक किया और उसे मालिश करने के लिए कहा तो वो तुरंत कटोरी में तेल ले आया।
आज उसने शॉर्ट और ऊपर बनियान पहन रखी थी, उसका लंड आज अलग ही शेप में दिख रहा था, शायद उसने भी आज अन्दर अंडरवियर नहीं पहना था।
वो मेरे घुटने की मालिश करने लगा और मैं पेट के बल लेट गई और वो मेरी स्कर्ट को धीरे-धीरे ऊपर करने लगा और मालिश करने लगा।
मैं फिर से तड़पने लगी। अब मेरी मोटी गांड का उभार दिखना शुरू हो गया था। मैंने जब उसकी तरफ देखा तो वो मेरी गांड को ललचाई नज़रों से देख रहा था।
मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और हल्के-हल्के से कराहने लगी, अब उसकी उंगलियाँ मेरे कूल्हों की लाईन को छूने लगी थी। उसे पता चल गया था कि मैंने पेंटी नहीं पहनी है।
अब फिर मैंने उसे अपनी कमर की मालिश करने को कहा तो उसने मेरा टॉप ऊपर कर दिया, वो भी मेरी गर्दन तक और अब टॉप सिर्फ़ मेरे बूब्स में अटका हुआ था।
फिर भाई पूरी कमर पर हाथ फेरने लगा और नीचे मेरी स्कर्ट को भी नीचे सरका कर गांड को छूने लगा।
अचानक से लाईट चली गई और पूरे कमरे में अंधेरा हो गया।
पंकज- मोमबत्ती जला दूँ क्या?
मैं- नहीं रहने दो भाई, वैसे भी मालिश ही तो करनी है तो ऐसे ही कर दो!
अब वो मेरी कमर के दोनों तरफ पैर रखकर बैठ गया और पूरी कमर को अपने हाथों से मालिश करने लगा।
वो आज मेरे कूल्हों के थोड़ा नीचे बैठ गया और धीरे-धीरे ऊपर होने लगा, उसका लंड अब मेरी स्कर्ट के ऊपर से सीधा मेरी चूत को खटखटाने लगा।
फिर मैंने अपने कूल्हों को थोड़ा ऊपर की तरफ उछाल दिया और मज़े लेने लगी, भाई के बार-बार ऊपर नीचे होने से मेरी स्कर्ट ऊपर होने लगी और मेरी पूरी गांड नंगी हो गई।
अब तो मुझसे सहन करना मुश्किल हो रहा था और शायद भाई से भी सहन करना मुश्किल हो गया था, फिर उसके मुँह से भी एक हल्की सी आहह निकली।
मैंने महसूस किया कि अब वो एक हाथ से मेरी चूचियों को छू रहा है।
मैं सोच में पड़ गई कि इसका दूसरा हाथ कहाँ है।
अचानक ही मुझे कुछ गर्म हार्ड और मोटा सा अपनी गांड पर महसूस हुआ मेरे तो तोते उड़ गये थे।
मुझे समझने में देर नहीं लगी कि पंकज का दूसरा हाथ कहाँ था और मेरी गांड पर क्या टच हो रहा है?
उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया था जो मेरे चूतड़ों पर लग रहा था।
मेरी तो कंपकपी छूट गई थी, लेकिन बहुत ज्यादा आनन्द भी आ रहा था।
अंधेरे में कुछ दिख तो नहीं रहा था, लेकिन टच होने से पता चल रहा था कि उसका लंड बहुत ताकतवर और लंबा मोटा है।
खैर मैं ऐसे ही लेटी रही और उसका लंड अब मेरी गांड के छेद को टच कर रहा था और ऐसा लग रहा था जैसे अभी अंदर घुस कर मेरी गांड ही फाड़ देगा।
मैंने अपनी गांड को थोड़ा ऊपर किया तो उसका लंड चूत के छेद पर टच होने लगा और हम दोनों के अंग आपस में मिल गये।
‘आआआअहह…’ वो क्या अहसास था?
जैसे ही उसका लंड मेरी चूत पर टच हुआ, उसने वही सेट कर दिया और अब सिर्फ़ उसका ऊपर का हिस्सा उड़ रहा था और नीचे का एक जगह ही था।
फिर मैंने कहा- भाई, थोड़ा ऊपर कंधों तक मालिश करो तो अब जब वो अपने हाथों को ऊपर तक लाया तो उसके लंड का प्रेशर मेरी चूत पर बढ़ने लगा और हल्का सा पुश होने लगा।
जैसे ही उसने दोबारा ऊपर की तरफ हाथ किए तो उसका लंड फिर आगे की तरफ हुआ और तभी मैंने भी अपनी गांड को नीचे की तरफ धक्का दिया।
‘आहमम्म…’ मेरी सिसकारी निकल गई, उसका मोटा सुपाड़ा आधा मेरे अंदर जा चुका था।
अब हम दोनों ही ऐसे बर्ताव कर रहे थे जैसे किसी को कुछ नहीं पता हो. तीसरी बार फिर ऐसा ही हुआ और मुझसे रुका नहीं गया और इस बार थोड़ा ज़ोर से गांड को उसके लंड पर पटक दिया और एकदम से उसका लंड चिकनाई की वजह से 3 इंच अन्दर चला गया।
अब भी हम दोनों हल्की-हल्की सिसकारियाँ ले रहे थे।
ऐसे ही धीरे-धीरे उसका 7 इंच का पूरा लंड मेरी चूत में समा गया।
फिर मैंने अपनी गांड को हवा में उठा लिया और वो अब धीरे-धीरे अन्दर बाहर करने लग गया।
‘आआहह ऊऊओ मआअ म्म्म्मम मम्म आआअहह ओ ह्म्म्म्मम म्म्मह…’ मेरे मुँह से आवाज़े आने लगी तो भाई समझ गया कि मुझे मज़ा आने लग़ा है।
अब उसने धक्कों की स्पीड तेज़ कर दी और मेरी गांड पर ठप ठप ठप की आवाज़ आने लगी और अंधेरे में रूम में गूंजने लगी।
मैं अब तेज़-तेज़ सीत्कारें भरने लगी थी- आअहअहह एम्म्म ऊओ और तेज़्ज़्ज़्ज़ यययई यआआ…
फिर मैंने अपने हाथ पीछे ले जाकर भाई के कूल्हों पर रख दिए और अपनी तरफ पुश करने लगी- म्म्म्ममम!
वो भी ताबडतोड़ धक्के लगाने लगा- म्म्म्मआआहह!
और फिर हम दोनों ने पानी छोड़ दिया, इतना मज़ा मुझे आज तक नहीं आया।
अब हम रोजाना सेक्स करके मजे लेते हैं।
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