दोस्तो, मेरा नाम प्रथम है. यह मेरा बदला हुआ नाम है. मेरी इस Xxx कहानी में बहुत सारे किरदार हैं, पर जिनकी ये कहानी है, वे तीन ही हैं.
मैं, पल्लवी और ऋतु.
यह हॉट बेब सेक्स कहानी मेरी ज़िन्दगी की सच्ची घटना है और मैं वैसे ही बिना मिर्च मसाला के लिखूंगा, जैसे यह घटी.
मैं पंजाब का रहने वाला हूं. यह बात 2004 की है. मैं जी एन डी यूनिवर्सिटी में पढ़ता था.
गर्मी की छुट्टियां शुरू हो गयी थीं.
मेरे कजिन का साला जिसका नाम मोंटू है, वह और उसकी बहन मीनाक्षी हमारे घर आए और डलहौज़ी घूमने चलने को कहने लगे.
मैंने अपने घर में पूछा और परमिशन मिल गयी.
डलहौज़ी जाने के लिए हम पांच लोग तैयार थे. मैं, मोंटू, मोंटू की सबसे बड़ी बहन मीनाक्षी, मोंटू की दूसरी बहन ऋतु और उनकी भतीजी पल्लवी.
पल्लवी के साथ चलने की बात सुन कर मैं बहुत खुश हो गया क्योंकि मैं उसको बहुत पसंद करता था.
वह करीब 19 साल की होगी. उसका फिगर 32-28-34 का था. मस्त भरा हुआ शरीर था उसका और चेहरा बहुत ही क्यूट था.
डलहौज़ी में हम उनके किसी रिश्तेदार के पास रुकने वाले थे जो कि एक विधवा आंटी थीं और उनका कोई बच्चा भी नहीं था.
हम सब डलहौज़ी पहुंच गए.
मैं वहां पहुंच कर फ्रेश हुआ और पल्लवी के साथ मार्किट घूमने चला गया.
रास्ते में मैंने उसे प्रपोज़ कर दिया.
उसने बोला- मुझे सोचने के लिए टाइम चाहिए.
मैंने भी कहा- ठीक है.
ऐसे ही दिन निकल गया.
रात का खाना खाकर हम लोग सोने के लिए बिस्तर लगा रहे थे.
आंटी के घर में दो ही कमरे थे. एक ग्राउंड फ्लोर पर … और एक पहली फ्लोर पर.
मैं, ऋतु, पल्लवी और मीनाक्षी बेड पर सो गए.
आंटी हमारे बगल में फोल्डिंग बेड बिछा कर सो गईं.
मोंटू को नींद नहीं आ रही थी तो वह ऊपर वाले कमरे में टीवी देखने लगा.
मुझे और ऋतु को कम्बल शेयर करना था और दूसरा कम्बल पल्लवी और मीनाक्षी को.
हम कुछ इस तरह से सो रहे थे. एक किनारे पर मीनाक्षी, फिर पल्लवी, फिर मैं और मेरे आगे ऋतु.
अभी तक ऋतु को लेकर मेरे मन में कोई गलत बात नहीं थी. एक तो वो मेरे से उम्र में 6 साल बड़ी थी, दूसरा मैं पल्लवी को लाइक करता था.
ऋतु बहुत ओपन माइंडेड खुले विचारों वाली और मुँह फट लौंडिया थी. मेरे साथ उसकी खूब जमती थी क्यूंकि हम दोनों का स्वभाव एक जैसा था.
ऐसे ही घूमते फिरते दो दिन निकल गए पर अभी तक पल्लवी का कोई जवाब नहीं आया.
ऋतु को मैंने बता रखा था कि मैं पल्लवी को लाइक करता हूं और उसको प्रपोज़ भी किया है. पर अभी तक भी कोई जवाब नहीं मिला था.
फिर मुझे ऋतु ने कहा- एक बार फिर पूछ.
मैंने पल्लवी से फिर पूछा तो उसने बड़ा डिप्लोमेटिक जवाब दिया- मैं गर्ल हूं तुम मेरे फ़्रेंड, तो मैं तुम्हारी जीएफ ही हुई.
उसने क्लियर कुछ नहीं कहा. मैं इतने में ही ख़ुश हो गया.
रात को सोने के टाइम हम बहुत बातें करते थे.
मैंने सबसे नज़र चुरा कर पल्लवी के कम्बल में हाथ घुसा दिया और उसकी टांग पर फेरने लगा.
उफ्फ … क्या चिकनी मांसल टांग थी उसकी … मज़ा आ गया.
मेरा 7.5 इंच का लंड पूरे जोश में खड़ा हो गया.
ऋतु जो मेरे पीछे लेटी हुई थी, उसको कुछ शक हुआ तो उसने मुझे पीछे से हग किया.
मैंने झट से अपना हाथ अपने कम्बल में वापस खींचा, इतने ऋतु की बांह मेरे लंड से टच हो गयी और वह शर्मा कर फिर से मेरी ओर पीठ करके सो गयी.
उसने मेरे खड़े लंड पर हथौड़ा मार दिया था.
मैं जो थोड़े बहुत मजे पल्लवी के साथ ले रहा था, वह भी गया क्यूंकि अब वह कम्बल दबा कर लेट चुकी थी.
अगले दिन मैं और मोंटू डलहौज़ी घूम रहे थे.
जब शाम को वापिस आए तो पता चला कि घर पर एक और बंदा आया है. मुझे उसका असली नाम तो याद नहीं है पर उससे बिट्टू कह रहे थे.
वो उन आंटी का भांजा था. वह भी कुछ दिनों के लिए डलहौज़ी घूमने आया था.
उस रात मैं, मोंटू और बिट्टू हम तीनों ऊपर के कमरे में सो गए.
अगले दिन हम सब खजियार घूमने गए.
बहुत ही सुन्दर जगह थी.
हल्का ठंडा मौसम और वादियां तो एकदम स्विट्ज़रलंड जैसी थीं.
मैं देख रहा था कि बिट्टू पल्लवी के साथ कुछ ज़्यादा ही मस्ती कर रहा था और पल्लवी भी आज बहुत खुश थी.
ऐसे लग रहा था जैसे यह दोनों एक दूसरे को पहले से जानते हैं और हमारे सामने नाटक कर रहे हैं, जैसे पहली बार मिले हैं.
मेरे मन में शक पैदा हो गया था.
मेरा सारा ध्यान इन दोनों पर ही था और ऋतु मुझे नोटिस कर रही थी.
जो कि मुझे नहीं पता था.
फिर कुछ देर बाद पल्लवी और बिट्टू बड़े बड़े देवदार के पेड़ों में कहीं बैठ गए.
जब मेरी नज़र पड़ी, तो बिट्टू पल्लवी को स्मूच कर रहा था और उसका हाथ उसके टॉप के अन्दर उसके मम्मे मसल रहा था.
यह देख मैं वापिस आ गया और पता नहीं क्यूं मेरी आंखों से पानी निकलने लगा.
जब ऋतु मेरे पास आयी.
उसने मुझे रोते देखा तो झट से गले से लगा लिया.
मैं और फफ़क़ कर रोने लगा.
जब उसने मुझसे पूछा- क्यूं रो रहे हो?
तो मैंने पूरी बात बताई.
उसने बोला- तू टेंशन ना ले और बहुत लड़कियां हैं. तेरे में कोई कमी नहीं है. अगर तू मुझसे इतना छोटा ना होता, तो मैं ही तेरी जीएफ बन जाती.
यह कह कर उसने मेरा मूड ठीक किया.
मैं भी एक दिखावा करके हंस दिया और हम वापिस डलहौज़ी आ गए.
रात को भी मेरा मूड ठीक नहीं था और मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे मैंने कोई बहुत प्यारी चीज खो दी है; मुझे अब कभी नहीं मिलेगी शायद.
मैं पल्लवी से सच्चा प्यार करने लगा था पर वह नहीं करती थी.
ऋतु ने पल्लवी को सब बता दिया तो पल्लवी ने दो टूक कह दिया- मैं क्या करूं किसी को बुरा लगे या अच्छा … मुझे फर्क नहीं पड़ता.
इतना सब होने और सुनने के बाद मैं अब पल्लवी से नफरत करने लगा और ऋतु के करीब आने लगा.
अब हमें यहां पर आए 7 दिन हो चुके थे, पर कोई वापिस नहीं जाना चाहता था.
हमने अपने अपने घर फ़ोन करके बता दिया कि अभी हम एक हफ्ता और रुकेंगे.
कॉलेज से सबको छुट्टियां थीं, तो घर वालों को भी कोई प्रॉब्लम नहीं थी.
उस रात मैं और ऋतु अपने कम्बल में लेट कर धीरे धीरे बातें कर रहे थे.
मैंने ऋतु से पूछा- क्या तुम सच में मेरी जीएफ बन जाती?
उसने कहा- हां क्यूं नहीं बनती. तुम स्मार्ट हो फैमिली अच्छी है तुम्हारी … और लड़की को क्या चाहिए. बस प्रॉब्लम सिर्फ यह है कि तुम मुझसे उम्र में बहुत छोटे हो.
मैंने उसको बोला- तो फिर पल्लवी ने क्यों हां नहीं बोला.
ये कह कर मेरी आंखें फिर से भर आईं.
यह देख ऋतु को बहुत गुस्सा आया और उसने मुझसे कहा- तेरी सुई अभी तक पल्लवी पर ही क्यों अटकी है?
यह कहते हुए उसने मेरे होंठ अपने मुँह में ले लिए.
मैं उसके इस एक्शन के लिए तैयार नहीं था. मैं भी एकदम से चौंक गया कि ये क्या हुआ?
फिर कुछ 10 सेकंड के बाद उसने मेरे होंठ छोड़े और मेरे माथे पर एक किस करके मुझे हग करके लेट गयी.
अब तक रात के एक बज चुका था. सब सो चुके थे पर बिट्टू की उस हरकत ने मेरे अन्दर तूफ़ान ला दिया था.
मैंने ऋतु को गले लगा लिया और फिर से उसे किस करने लगा.
उसने मुझे नहीं रोका और मेरा साथ देने लगी.
मैं उसके होंठ चूसता ही जा रहा था और वह भी.
फिर मैंने धीरे धीरे उसके गाल और गर्दन पर किस करना शुरू किया.
उसकी सिसकारियां निकलने लगी थीं और वो सिर्फ स्स्स्स स्स्स्स करके रह जा रही थी.
उसने मेरे कान में कहा- अभी सो जाओ, मैं तुम्हारी ही हूं. अगर कोई जाग गया तो मुसीबत हो जाएगी.
मैं भी समझ गया कि समय और जगह ठीक नहीं है और आंटी अभी बिल्कुल पास में सोई थीं. बेकार में बदनाम क्यों होना.
मैंने ऋतु को ज़ोर से हग किया और हम दोनों सो गए.
अगले दिन सबने चम्बा जाने का प्लान बनाया पर मैंने मना कर दिया.
ऋतु ने भी तबियत खराब का बहाना लगा कर मना कर दिया.
हम दोनों घर पर ही रह गए बाकी सब चम्बा घूमने के लिए चले गए.
सुबह के दस बज चुके थे.
आंटी ने ब्रेकफ़ास्ट बना कर खिलाया और खुद अपनी लाइब्रेरी चली गईं.
अब घर पर मैंने और ऋतु ही थे.
मैंने ऋतु को रूम में जाकर पीछे से हग किया और उसके कान और गले पर किस करने लगा.
ऋतु भी स्स्श्स स्स्स्स करके सिसकार रही थी.
उसने मुझे रोका और बोली- दस मिनट में ऊपर वाले कमरे में आना.
मैंने ओके बोला.
वह ऊपर चली गयी.
दस मिनट के बाद मैं ऊपर गया तो वह बेड पर कम्बल के अन्दर लेटी हुई थी.
उसने मुझे दरवाजा लॉक करने को कहा.
मैं दरवाज़ा लॉक करने के बाद बेड पर उसके पास जाकर लेट गया और उसे किस करने लगा.
आज ऋतु कुछ अलग ही मूड में थी.
उसने मुझे मेरे बालों से पकड़ा और हम स्मूच करने लगे.
मेरा लंड मेरे लोअर में खड़ा हो चुका था. मुझे पता था कि आज चूत मिलने वाली है.
ऋतु मुझे स्मूच करती ही जा रही थी और हमारी चूमाचाटी की आवाजें तेज़ हो रही थीं.
जैसे ही मैंने कम्बल में हाथ डाला, मेरा हाथ सीधा ऋतु के नंगे मम्मों पर जा लगा.
मैंने झट से कम्बल हटा दिया.
ऋतु कम्बल में बिना कपड़ों के नंगी ही लेटी थी.
उसका फिगर एकदम मस्त था. भरे हुए 36 इंच के चूचे कमर 30 की और 34 की गांड थी.
उसका जिस्म एकदम गोरा रंग और मखमल जैसा मुलायम, मेरी तो लाटरी ही लग गयी थी.
मैंने उसे फिर चुम्बन करना शुरू कर दिया. उसके होंठों से होता हुआ गाल, फिर कान और उसकी सुराही जैसी गर्दन को चाटने लगा.
ऋतु सिर्फ ‘आअह आअ ओह प्रथम ओह्ह …’ कर रही थी.
उसकी सेक्सी आवाज़ से माहौल और गर्म हो गया था.
अब मैं उसकी गर्दन से होता हुआ उसके मम्मों तक आ गया था.
जैसे ही मैंने एक मम्मा पकड़ कर चूसा, उसकी मादक सिसकारी निकल गयी- आअ ह्ह्ह ऊऊह्ह उम्म!
मैं उसके मम्मे चूसता, कभी पेट पर किस करता, कभी उसके पेट की साइड पर … जिससे वह और मचल जाती और आहें भरने लगती.
अब मेरा ध्यान उसकी चूत पर था.
क्या मस्त चूत थी. एकदम गोरी क्लीन शेव और अन्दर से जैसे गुलाबी फूल हो.
मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर रख दी और उसके दाने को चाटने लगा.
ऋतु सिर्फ ‘आअ ह्ह्ह जान आअह्ह मज़ा आ रहा है … आआ आह … खा जाओ …’ कर रही थी.
उसकी चूत को चाट चाट कर मैंने उसको झड़ने के करीब ला दिया था और वह मेरे बाल पकड़ कर सर चूत में दबा कर चिल्ला रही थी.
अगले ही कुछ पलों में वो ‘अअआ ह्ह ओहह जाअन ओह …’ कहती हुई झड़ गयी.
उसका पूरा बदन कांप रहा था और उसके चेहरे पर हवस साफ दिख रही थी.
कुछ पल निढाल रहने के बाद अब वो हॉट बेब सेक्स के लिए तड़प रही थी, वह मेरे ऊपर आ गयी थी और पागलों की तरह किस कर रही थी.
उसने मेरा पूरा जिस्म चाट दिया.
मेरे मुँह से सिर्फ स्स्स्स स्स्श्स की आवाज़ ही निकल रही थी.
फिर उसने मेरा लोअर उतार दिया और लंड को अंडरवियर से ही चाटने लगी.
मेरी तो जान ही निकल रही थी.
जैसे ही उसने अंडरवियर उतारा, लंड देख कर बोली- उई रब्बा … यह तो बहुत बड़ा है.
वो लंड मुँह में लेकर चाटने और चूसने लगी. वह मेरे लंड पर जड़ से लेकर टोपे तक जीभ से चाट रही थी. फिर एकदम से मुँह भरके चूसने लगती.
आअह्ह सच में मैं तो स्वर्ग में था.
कुछ ही देर में उसकी चूत फिर से गीली होने लगी और वह लंड को चूत में लेने की कोशिश करने लगी.
लंड पर ऊपर से बैठने में उसको बहुत दर्द हो रहा था.
वह आह आह आह ह्म्म्म उम्म आहह हह करती हुई लंड लेने लगी.
अभी उसकी चूत में टोपा ही अन्दर गया था कि उसकी हालत खराब हो चुकी थी.
मैंने उसको नीचे लेटाया और उसकी चूत को चाट कर गीला किया. फिर अपना लम्बा और मोटा लंड उसकी चूत पर रखा और एक हल्का सा झटका दे मारा.
लंड का टोपा चूत के अन्दर जा चुका था. उसकी आह निकली और वो लंड चूत में गड़प कर गई.
उसे दर्द हो रहा था. उसकी आवाजें बता रही थीं.
मैं ऋतु को किस कर रहा था और वो आहें भर रही थी.
मैं रुक गया था.
उसने कहा- अब दर्द की परवाह मत करना और पूरा अन्दर डाल कर ही रुकना.
मैंने उसके मुँह पर अपना मुँह रखा और पूरे प्रेशर से लंड को उसकी चूत में दबा दिया.
उसके मुँह से ‘ग्गूऊऊऊ गऊऊऊ ऊऊ आहह हह …’ की आवाज़ ही निकल पा रही थी.
उसने अपने नाख़ून मेरी पीठ में गड़ा दिए और अब मेरा लंड जड़ तक उसकी चूत में था.
एक मिनट बाद मैंने कमर हिलाना शुरू किया.
अब तक ऋतु का दर्द कम हो गया था और वह मज़े ले रही थी.
मैंने ज़ोर के पंजाबी झटके देने शुरू किए तो ‘पट्ट थप्प थप्प थप्प …’ की आवाज से कमरा गूंजने लगा.
ऋतु की ‘आअह्ह ओह्ह ह्ह और ज़ोररर से …’ की आवाजों से माहौल और गर्म होता चला गया.
कुछ देर बाद मैंने ऋतु को घोड़ी बनने को कहा तो वह झट से घोड़ी बन गई.
मैंने लंड उसकी चूत पर रखा और एक झटके में पूरा लंड डाल दिया.
ऋतु सिहर उठी और ‘आह आई मर गई …’ के साथ उसने चादर अपने मुँह में भर ली.
अब मेरे हर झटके के साथ उस हॉट बेब के 36 साइज के मम्मे झूल रहे थे, जो दिखने में बहुत कामुक लग रहे थे.
ऋतु सिर्फ ‘आअह्ह ऊऊ ह्ह्ह ओह्ह मर गई … आह मज़ा आ गया जान ओह्ह …’ कर रही थी.
कुछ ही देर में ऋतु अब झड़ने वाली थी, उसने कहा- मैं ऊपर आना चाहती हूँ.
मैंने ओके कहा.
वह मेरे ऊपर आ गयी और लंड चूत में लेकर घस्से मारने लगी.
मैंने भी बेड के साथ पीठ टिका ली और बैठ कर उसके मम्मे चूसने लगा.
ऋतु ने ‘आआह ओह्ह ह्ह प्रथआआआम …’ कह कर अपना पानी छोड़ दिया.
मेरा लम्बा और मोटा लंड अभी भी खड़ा था.
मैंने ऋतु को बेड कोने पर लेटाया और लंड उसकी चूत में डाल कर करारे झटके देने लगा.
हर झटके से ऋतु की जान निकल रही थी.
कुछ मिनट बाद ऋतु को दर्द होने लगा तो उसने अपनी चूत और मरवाने से मना कर दिया.
मैंने बोला- अभी मेरा नहीं हुआ है.
वह बोली- मुझे पता है जान … मैं तुम्हारा लंड चूस कर झाड़ देती हूं.
इतना कह कर उसने मेरा लंड मुँह में ले लिया.
करीब दस मिनट की चुसाई के बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया.
वीर्य का प्रेशर इतना ज्यादा था कि ऋतु को लंड मुँह से निकालने का मौका ही नहीं मिला, सारा पानी उसके गले में उतर गया.
वह ख़ुशी ख़ुशी मेरे लंड का पानी पी गई, उसने चाट कर लंड साफ कर दिया.
उस दिन मैंने ऋतु को 2 बार चोदा और हम दोनों एक दूसरे से नंगे ही चिपक कर लेट गए.
इसके बाद जब भी हम दोनों को मौका मिलता. मैं उसे चोद देता था.
अगली सेक्स कहानी में मैं आपको बताऊंगा कि कैसे मैंने पल्लवी को चोदा.