इन्सेस्ट सेक्स में कजिन चुदाई स्टोरी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपने चचाजान की जवान कुंवारी बेटी की कुंवारी बुर को फाड़ा. चाचा की जवान बेटी की जवानी से मेरे लंड में पानी आ गया.
असलम वालेकुम, सब खैरियत से तो हो दोस्तों? मैं आपका फैजल, अभी मैं 32 साल का हूं. मेरी हाइट 5 फीट 10 इंच है और मेरे लन्ड का साइज़ 7 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा है.
दिखने में मैं ठीक ही हूं मगर शरीर से अच्छा हूं. मैं एक शर्मीले किस्म का इन्सान हूं.
मैं एक बिजनेसमैन हूं और मेरी शादी हो चुकी है। मैं अपनी फैमिली के साथ रहता हूं।
अब मैं आपको अपने जीवन की सच्ची देसी कजिन सेक्स स्टोरी बताता हूं.
उस वक्त मेरी शादी हुए तीन साल हो गये थे और मैं एक बेटे का बाप भी बन चुका था.
एक दिन मैं काम से बाहर गया हुआ था. वापस लौटते वक्त मैं अपने दूर के चाचाजान के घर चला गया.
वहां पर मैं पानी पीकर थोड़ी देर बैठा तो मेरे चाचा की लड़की आयी. उसका नाम सोफिया (बदला हुआ) था.
मैंने उसको इससे पहले जब देखा था तब वो स्कूल में पढ़ती थी. उसके बाद मेरा इनके घर कभी आना नहीं हुआ और अब उन बातों को 8 साल बीत गये थे.
चाचा की बेटी को देखा तो मैं देखता ही रह गया. वो बच्ची अब कली बन गयी थी और खिलने की तैयारी कर रही थी. वो 19 साल की कमसिन जवानी की मालकिन हो चुकी थी.
आप तो जानते ही हैं कि जब 18 साल के बाद की जवानी उभरकर आती है तो चेहरे पर अलग ही नूर होता है.
सोफिया के चेहरे पर भी गजब का नूर था. उसके गाल बिल्कुल लाल थे.
रंग केसर की तरह सुनहरा जो हल्की लाली लिये हुए था. पतले पतले सुर्ख लाल होंठ और गजब के तीखे नैन नक्श.
वो बहुत ही ज्यादा सुंदर हो गयी थी. लग रहा था कि जैसे किसी फिल्म की हिरोईन हो.
उसकी नीली आंखें, काले, घने और लंबे बाल, उसका फिगर … सब कुछ बहुत कमाल का था.
उसको देखते ही मुझे उससे प्यार हो गया. फिर वहां से मैं घर पर वापस चला आया.
मगर सोफिया का चेहरा मेरे सपनों में आने लगा.
मैंने मन बना लिया कि इसको मैं अपने दिल की बात बता कर ही रहूंगा.
मैं एक मौके की तलाश में था और वो मौका जल्दी ही आया.
मुझे फिर से काम से जाना पड़ा या यूं कहें कि वो बस एक बहाना था चाचा के घर जाने का.
मैं फिर से उनके घर गया और अबकी बार मैं दो दिन उनके यहां रुका.
इन दो दिनों में मैंने सोफिया से दोस्ती कर ली. वो अब मुझसे मजाक भी करने लगी थी.
मैं बस तरस रहा था उसकी जवानी के लिए. किसी तरह उसको अपने दिल की बात कहना चाहता था.
वहां दो दिन रुकने के बाद मैं घर वापस आ गया. आते समय मैं चुपके से उसको अपना नम्बर दे आया था.
मुझे यकीन था कि सोफिया भी मुझे जरूर कॉल करेगी.
घर आने के बाद मैं उसके कॉल का इंतजार करता रहा.
दो दिन बाद दोपहर को उसकी कॉल आयी. फिर हमने काफी देर तक बातें कीं. वो भी बहुत खुश हुई बात करके.
उसकी आवाज सुनकर ही मेरे लंड से पानी रिसने लगा. मैं उससे बातें करते हुए लंड को सहलाने लगा. लग रहा था कि वो मेरे सामने ही बैठी है और उसकी गुड़ जैसी मीठी बातें मैं सामने से सुन रहा हूं.
फिर उस दिन के बाद से हमारी रात में भी बात होने लगी. रात को फोन पर बात कम और चैट ज्यादा होती थी.
धीरे धीरे हम चैट पर थोड़े खुलने लगे. मैं उससे उसकी पसंद नापसंद भी पूछने लगा.
वो मुझसे मेरी पसंद के बारे में पूछा करती थी. मैं अपनी बेग़म से नजर बचाकर उससे चैट किया करता था. बेग़म की चुदाई का तो अब मुझे ख्याल ही नहीं रहा था.
जब सोफिया से बात करके मेरा लंड उफान पर हो आता तो मैं अपनी बीवी की चुदाई जोर से करता.
मगर बीवी की चूत खुली हुई थी इसलिए सोफिया की कुंवारी चूत वाला मजा कल्पना में भी नहीं मिल पा रहा था.
धीरे धीरे फिर मैं उसको सेक्स की बातों पर ले आया. एक दिन मैंने उसको बातों ही बातों में गर्म कर दिया और उसी वक्त मैंने उसको दिल की बात बताने की ठान ली.
मैंने उससे अपने प्यार का इजहार कर दिया. उसने पहले तो सोचा मगर फिर मेरे दोबारा पूछने पर उसने मेरे प्यार को कुबूल कर लिया.
उसके बाद तो जैसे मुझे जन्नत मिल गयी.
उस दिन के बाद से मेरी बेचैनी बढ़ने लगी. मैं दिन रात उसी के बारे में ही सोचता रहा.
अब हम थोड़ी सेक्सी चैट भी करने लगे थे. मैं अपने लेटे हुए की फोटो जानबूझकर उसको भेजता था.
उस वक्त मेरा लंड पैंट में तना होता था और मैं जानबूझकर वो फोटो भेजा करता था ताकि उसको भी लंड देखने और उसको पकड़ने का मन करे.
मैंने कई बार उसको उसकी फोटो भेजने को कहा लेकिन वो हर बार मना कर देती थी.
इस तरह से कुछ दिन तक मैं चैट के द्वारा ही मुठ मारकर काम चलाता रहा.
फिर मैंने उसके साथ खुली सेक्स चैट करना शुरू कर दिया. सेक्स चैट में वो काफी गर्म हो जाती थी.
एक दिन उसने अपनी नाइटी के ऊपर से अपनी आधी चूचियों की फोटो मुझे भेज दी.
उस दिन तो मेरा बुरा हाल हो गया. वो फोटो देखकर मैंने दो बार मुठ मार डाली.
फिर तीन चार दिन के बाद मेरी बीवी अपने घर चली गयी. मैं अब रात भर सोफिया के साथ चैट पर लगा रहता.
अब तो मैंने अंडरवियर में भी उसको अपनी फोटो भेज दी.
वो मेरे उठे हुए अंडरवियर को देखकर शर्मा जाती थी. मैं उसकी चुदाई के लिए अब बुरी तरह से तड़प गया था.
एक दिन मेरी किस्मत खुल गयी. सोफिया ने रात के 12 बजे बताया कि कल उसके पापा घर में नहीं रहेंगे.
मैं ये सुनकर खुशी से झूम उठा.
अगले ही दिन मैं उसके घर पहुंच गया. रास्ते में जाते हुए मैंने कॉन्डम का एक पैकेट भी ले लिया.
कुंवारी चूत थी इसलिए सावधानी जरूरी थी. मैंने जाकर बेल बजाई तो उसी ने दरवाजा खोला.
उस वक्त उसके घर में कोई नहीं था. सोफिया के उस रूप को देखकर मैं तो जैसे खो ही गया.
वो उस दिन बहुत ही सेक्सी लग रही थी. उसके टॉप में उसके चूचे एकदम से उठे हुए थे. उसकी टाइट जीन्स में उसकी गांड बिल्कुल कसी हुई थी.
मेरा तो लंड वहीं पर खड़ा होने लगा.
फिर हम लोग अंदर चले गये और एक साथ बैठकर बातें करने लगे. वो शर्मा भी रही थी और हंस हंसकर बातें भी कर रही थी. उसका चेहरा लाल हुआ जा रहा था.
वो सच में बहुत हॉट थी.
उसके बूब्स भी बड़े बड़े थे, पतली कमर और बड़ी गांड देख कर मुझसे तो कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था.
मेरा लन्ड टाईट हो चुका था और दर्द करने लगा था.
मैं लंड को अपनी पैंट से आजाद करना चाह रहा था. अब मैंने उसके कंधे पर हाथ रख दिया और उसने नजर नीचे कर ली.
मुझे उस पर बहुत प्यार आ रहा था.
फिर हम दोनों एक तरफ बैठ गए और मैंने अपना सिर उसकी गोद में रख दिया. वो मेरे बालों को अपने हाथों से सहलाने लगी. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.
फिर मैं उठा और उसको अपनी बांहों में भर लिया. उसके बूब्स मेरे सीने से आ सटे. मैंने बूब्स को हल्के हाथों से दबा दिया.
वो सिसकार उठी. अब दोनों वासना की ओर जा रहे थे.
मैं उसके गालों और गर्दन पर हाथ फिराने लगा. वो भी मेरी जांघ और पीठ को सहलाने लगी.
अब मैंने अपने होंठों को उसके होंठों पर रख दिया.
हम दोनों किस करने लगे.
वो शर्मा रही थी. उसको तो पहली बार ही ये अनुभव मिल रहा था.
मैं तो बीवी की चुदाई करके पूरा एक्सपीरियंस ले चुका था.
मगर किसी दूसरी लड़की के साथ मेरा भी ये पहला सेक्स था इसलिए थोड़ी हिचकिचाहट तो मेरे अंदर भी थी.
दोस्तो, उसके लब बहुत ही रसीले थे. उसके होंठों को छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था.
मैं चाह रहा था कि दिन भर इसके होंठों को ही चूसता रहूं.
उसके होंठ चूमते चूमते 10 मिनट निकल गये; वो अब गर्म हो गई थी. वो एकदम से मुझसे लिपट गयी.
हम दोनों एक दूसरे को बांहों में कसने लगे.
फिर मैं उसके कपड़े उतारने लगा. पहले उसके टॉप को उतारा. उसने नीचे से ब्रा पहनी हुई थी जो काले रंग की थी.
उसकी काली ब्रा में कैद उसकी कसी हुई चूचियां बहुत ही मस्त लग रही थीं.
मैं उसको घूरने लगा तो वो शर्मा गयी. वो मुझसे लिपट गयी और मैंने उसको फिर से पीछे किया.
अब मैंने उसको घुमाया और उसकी पीठ को अपनी ओर करके उसकी ब्रा को खोलने लगा. ब्रा खोलकर मैंने पीछे से उसकी नर्म नर्म चूची पकड़ लीं और फिर उनको हल्के हल्के दबाने लगा. वो कसमसाने लगी.
फिर मैंने उसकी पैंट का बटन खोला और नीचे सरका दी. उसने काले रंग की ही पैंटी पहनी थी. उसके चूतड़ों पर मैंने पीछे किस कर दिया और नीचे बैठते हुए उसकी पैंट को उसकी टांगों से निकलवा दिया.
अब मैंने उसको अपनी ओर घुमाया और उसने नजर नीचे कर ली.
मैं उसकी चूचियों को पीने लगा. वो मेरी पीठ पर हाथ से फिराने लगी. फिर मेरे बालों को सहलाने लगी.
उसकी चूची बहुत नर्म थीं एकदम रूई के जैसी.
फिर मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को सहला दिया. फिर उसकी पैंटी में हाथ देकर उसकी चूत को छेड़ने लगा. उसकी छोटी सी चूत से कामरस निकल रहा था.
उसके बाद मैं उसकी चूत के सामने घुटनों पर बैठ गया. उसकी पैंटी को धीरे से उतारने लगा तो उसने मेरे हाथों को पकड़ लिया.
वो मेरी तरफ देख भी नहीं रही थी.
मैंने उसकी झांटों वाली जगह पर हल्की सी किस कर दी तो वो सिसकार उठी.
फिर मैं उसकी नाभि को चूमने लगा.
वो मदहोश सी होने लगी. मेरे सिर को पकड़ कर सहलाने लगी.
अब मेरे पास मौका था और मैंने एकदम से उसकी पैंटी खींच दी.
उसने अपनी चूत के सामने हाथों को लगा दिया.
फिर मैं उठा और उसकी गर्दन को चूमते हुए बोला- दिखा दो जान … क्यों तरसा रही हो?
मेरे कहने पर उसने अपनी चूत से हाथ हटा दिये.
मैंने उसकी चूत को देखा.
फिर मैं उसकी चूत पर जीभ से चाटने लगा तो उसकी आह्ह … निकल गयी.
मैंने जल्दी से अपने कपड़े भी उतार फेंके. अब मैं ज्यादा नहीं रुक सकता था.
मैं भी पूरा नंगा हो गया और उसको बेड पर ले गया. मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसकी चूत को चाटने लगा.
वो मदहोश होने लगी. अपनी चूत को हाथ से सहलाने लगी. उसकी हालत बहुत खराब हो गयी थी.
जब उससे रहा न गया तो बोली- जल्दी करो फैजल, मुझे कुछ हो रहा है. कुछ करो प्लीज … रुका नहीं जा रहा. मुझे शांत करो.
मैं सोफिया के ऊपर चढ़ गया और उसके ऊपर लेटते हुए उसको किस करने लगा और मेरे लन्ड को उसकी चूत पर ठहरा दिया.
अब मेरे लंड का टोपा उसकी चूत पर लग रहा था.
वो भी चूत को जानबूझकर मेरे लंड पर रगड़वा रही थी.
अब मुझसे रुकना मुश्कल हो गया और मैंने उसकी चूत में एक धक्का मार दिया और मेरे लंड का सुपारा उसकी चूत में फंस गया.
उसको इस हमले की आशंका न थी और वो जोर से चिल्ला उठी- आह्ह … मर गयी …. फैजल … ये क्या किया तुमने … ईई … ऊऊऊ … अम्मी … ओह्ह … मर गयी.
मैं बोला- बस जान … एक बार दर्द होगा और फिर ऐसा मजा आयेगा कि तुम खुद लेने को बोलोगी.
वो कराहते हुए बोली- अगर कुछ हो गया तो?
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा. अगर तुम्हें भरोसा नहीं है तो मैं कॉन्डम लगा लेता हूं.
सोफिया की चूत से मैंने लंड बाहर निकाला और कॉन्डम खोलकर लंड पर चढ़ा दिया और फिर मैंने सोफिया की चूत में अपना लन्ड लगा दिया.
चूत में धक्का मारा तो 3 इंच लंड घुस गया.
वो फिर से चिल्लाई.
मैं उसके ऊपर लेट गया और मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से दबा लिया.
वो दर्द से छटपटा रही थी.
तब मैंने धीरे से लंड बाहर निकाला और पूरा जोर से धक्का देकर उसकी चूत में डाल दिया.
अबकी बार मैंने उसके होंठों पर हाथ रख लिया. उसकी आँखें जैसे बाहर आने को हो गयी. वो हूं … हूं … करके रोने लगी. मैं उसकी हालत नहीं देख पा रहा था लेकिन हवस ऐसी थी कि बस चोद देने का मन कर रहा था.
फिर मैं उसके ऊपर लेटा ही रहा.
दस मिनट तक लेटा रहा और जब वो शान्त हो गयी तो मैंने उसको प्यार से चूमा और धीरे धीरे लंड को चलाने लगा.
कुछ देर बाद उसको थोड़ा थोड़ा अच्छा लगने लगा.
फिर मैं चूत में लन्ड अन्दर बाहर करते करते उसके बूब्स को भी दबाने लगा.
अब उसको चुदाई का सही मजा आने लगा और वो मेरा साथ देने लगी. मगर लंड मैं पूरा नहीं ठोक रहा था.
थोड़ी देर चुदाई होने के बाद मैंने पूरा लंड जोर लगाकर धकेल दिया और उसकी चूत ने मेरा पूरा लंड ले लिया.
अब वो मुझसे लिपट गयी और अपनी चूत को मेरे लंड की ओर फेंकने लगी.
मैं उसको जोर जोर से चोदने लगा. दो मिनट के बाद ही उसकी चूत ने गर्म गर्म पानी छोड़ दिया.
मेरा लंड उसकी चूत को अंदर तक खोद रहा था. उसको चुदाई झेलने के लायक बना रहा था.
उसके बाद अब मैं जोर जोर से धक्के लगाने लगा और साथ में बूब्स को भी दोनों हाथों से पकड़ कर मसलने लगा.
पांच मिनट तक चोदने के बाद उसकी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया.
अब मेरा भी पानी निकलने को था. मैं धक्के लगाता हुआ उसके ऊपर ही निढाल हो गया. मेरा वीर्य निकल चुका था.
हम कुछ देर एक दूसरे से लिपटे रहे.
फिर मैंने लंड को बाहर निकाल लिया और कॉन्डम निकाल कर फेंक दिया.
उसने देखा तो उसकी चूत से खून निकल आया था. वो डर गयी और फिर मैंने उसको अच्छे तरीके से पहली चुदाई का अनुभव समझाया.
सोफिया की चूत मारकर मेरा मन खिल उठा था.
बहुत दिनों के बाद कुंवारी चूत मिली थी.
फिर मैंने उसको साफ किया और अपने लंड को भी साफ किया.
उसको दर्द की दवाई लाकर दी और उसके पास ही रहा.
शाम को जब उसे थोड़ा आराम हो गया तो मैं वहां से वापस आ गया.
उसकी कुंवारी चूत चोदकर मैं फिर खुशी से अपनी बीवी की चुदाई करने लगा.
दोस्तो, ये थी मेरी देसी कजिन सेक्स स्टोरी. आपको ये कहानी कैसी लगी मुझे आप मेरी ईमेल पर मैसेज करके जरूर बतायें.
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