मेरा नाम रचना है. लखनऊ में बक्शी का तालाब में मेरा घर पड़ता है. मैं 30 साल की जवान और खूबसूरत औरत हूँ. मुझे सेक्स और चुत चुदाई बेहद पसंद है. मेरा रंग दूध जैसा गोरा है. मुझे सिर्फ सुंदर और साफ़ रंग के लोग ही पसंद है. काले कलूटे लोगों से मैं बात नहीं करती हूँ. मेरे पति मयूर हर रात मुझे नंगी करके चोदते है. उनका लंड 7″ लम्बा और 2.5″ मोटा है. जब मेरी रसीली चूत में डालकर कुटाई करते हैं, तो मैं जन्नत की सैर करने लग जाती हूँ.
जब पति घर पर नहीं होते हैं, तो अपनी चूत में बैंगन, गाजर और मूली डाल कर खुद को शांत कर लेती हूँ और चूत का पानी निकाल देती हूँ. ऐसी कोई रात नहीं जाती, जब मैं चुदाई का मजा नहीं लेती हूँ.
मेरा फिगर 34-28-32 का है. मैं घर में अक्सर मैक्सी और गाउन में रहती हूँ. रात में नाईट सूट पहनती हूँ. उसमें मैं सनी लिओन जैसी सेक्सी माल दिखती हूँ.
मेरे पति मयूर लेखपाल हैं. वो सरकारी कर्मचारी हैं. वो कानूनगो के नीचे काम करते हैं. कानूनगो साहब ही उनके बॉस हैं. साहब बड़े मिलनसार आदमी हैं. हमारे घर अक्सर ही आते रहते हैं.
कानूनगो साहब कहते हैं- मयूर, तुम्हारी बीवी बहुत टेस्टी खाना बनाती है. इसे पाकर तुम्हारी किस्मत खुल गई. ये लड़की नहीं, देवी है देवी…!
उनको मेरे हाथ का खाना बहुत पसंद आता है. जब भी आते हैं, खूब हंस हंस कर बात करते हैं. हम दोनों को उनसे बहुत फायदा होता है. कानूनगो साहब सीधे रिश्वत नहीं लेते हैं. मेरे पति से लेने को कहते हैं, फिर बाद में मयूर को उनका हिस्सा दे देते हैं. जब जब मेरे घर आते हैं, कभी खाली हाथ नहीं आते. महंगे महंगे सोने के गहने और साड़ियाँ लेकर आते हैं. करीब 2-3 लाख रुपये तो वो हर महीना घूस में पा जाते हैं इसलिए अनाप शनाप पैसा खर्च करते हैं. कौन सा उनका पैसा मेहनत का होता है. सब हराम का होता है, इसलिए उनको कोई दर्द नहीं होता.
कानूनगो साहब की बीवी खत्म हो चुकी है. इसलिए चूत का भी उनके पास कोई जुगाड़ नहीं था. उनका लंड चूत चोदने को परेशान रहता था. मयूर से रोज ही कहते थे कि भाई… कहीं चूत दिला दो.
मयूर इस बात पर हँसने लग जाता था.
कभी कभी मयूर अपनी शादी से पहले की गर्लफ्रेंड्स को कानूनगो साहब से चुदने के लिए भेज देता था. मयूर कानूनगो साहब का बांया हाथ और चमचा भी था. कोई भी सरकारी कागज, जो मयूर उनके पास लेकर जाता था, उसे बिना पढ़े साइन कर देते थे… वो मेरे पति पर बड़ा भरोसा करते थे.
अब तो कानूनगो साहब से जान पहचान हुए 6 साल हो गए थे. वो मेरी चूत चोदना चाहते थे. कई बार मयूर से कहते थे- यार अगर रचना की चूत दिला दो तो तुम्हारा तुरंत ही प्रमोशन कर दूँ.
पर मयूर मना कर देता था.
मुझे यानि अपनी बीवी को वो किसी गैर मर्द से चुदवाना नहीं चाहता था. उसे डर था कि कहीं मैं कानूनगो साहब से पट जा जाऊं और उसे कहीं छोड़कर कानूनगो साहब से शादी न बना लूँ. इसी वजह से वो मुझे अपने बॉस से नहीं चुदवा रहा था.
कुछ महीनों बाद एक बड़ा बवाल हो गया. सरकार ने गरीब लोगों के लिए मकान देने की योजना बनाई थी. सभी लोग अपने अपने फॉर्म लाकर मयूर के पास आये क्यूंकि वही लेखपाल था.
मयूर ने बिना ज्यादा जांच किए ही सब कागज पर साइन कर दिए, फिर कानूनगो साहब से भी साइन करवा लिया. बाद में पता चला कि मयूर से जिन 50 लोगों को सरकारी मकान दिए थे, वो सब असल में अमीर थे. उन्होंने फर्जी कागज बनवाकर मकान हासिल कर लिया था.
मीडिया वाले और पत्रकार वाले इसे स्कैंडल कहने लगे और सबका जिम्मेदार कानूनगो साहब को माना गया.
क्यूंकि वो भी बड़े बॉस थे. उसके साइन सभी 50 लोगों के फॉर्म पर थे. इसलिए मीडिया वाले कहने लगे कि कानूनगो ने मोटी घूस लेकर गरीब लोगों के हिस्से वाले मकान अमीर लोगों को बाँट दिए.
इस मामले की जांच शुरू हो गई और कानूनगो साहब सस्पेंड हो गए. रोज अख़बार में उनके बारे में छपने लगा. उनको एक घूसखोर और भ्रष्ट अधिकारी सब कह रहे थे. उनकी नौकरी अब खतरे में आ गई. फिर मयूर भी निलम्बित हो गया क्यूंकि फॉर्म उसने ही फॉरवर्ड किया था.
दोनों लोग 6-6 महीने के लिए निलम्बित हो गए. सरकारी जांच शुरू हो गई.
अब मुकदमा शुरू हो गया. मेरे पति की नौकरी अब खतरे में आ गई थी. पेशी पर पेशी होने लगी. अंत में जज से कहा कि कानूनगो साहब अगर मयूर के पक्ष में बयान दे देंगे, तो उसकी नौकरी बच जाएगी.
मयूर उसी रात कानूनगो साहब के घर गया.
वो बोला- सर… मैं आपका वफादार आदमी रहा हूँ. प्लीज आप मेरे पक्ष में ब्यान दे दीजिये.
ये सब मयूर हाथ जोड़कर कहने लगा और बॉस के पैरों में गिर गया.
वो बड़े गम्भीर मुद्रा में थे… वो समझ नहीं पा रहे थे. अगर मयूर के पक्ष में वो ब्यान देते तो मीडिया वाले कहते कि बॉस और चेले दोनों ने मिलकर मोटी रिश्वत ली होगी और गरीब लोगों के हक के मकान अमीरों को बांट दिए. कानूनगो साहब भी आज बड़े परेशान थे. मयूर तो रो रहा था. अगर नौकरी चली गई तो करेंगे क्या… और खाएंगे क्या??
“उठो मयूर… तुम मेरे दोस्त जैसे हो. मैं तुम्हारे पक्ष में बयान दे दूंगा मगर…!”
इतना बोलकर कानूनगो साहब चुप हो गए.
“मगर क्या सर??” मयूर ने पूछा.
“मैं तुम्हारी नौकरी बचा लूँगा. पर एक रात के लिए अपनी बीवी रचना को मेरे पास भेज दो. तुमको बचाने में मेरी बहुत बेइज्जती होगी. तुम समझ रहे हो ना… अखबार में मेरे बारे में तरह तरह से गलत बात लिखी जाएगी. पर मैं सब बेइज्जती बर्दाश्त कर लूँगा सिर्फ और सिर्फ रचना के लिए…”
वो इतना बोले और दूसरी तरह मुड़ गए.
मयूर भारी मन से घर लौट आया. मुझे पूरी बात बताई. दो रातें हम मियाँ बीवी सो नहीं सके. मैंने ही उसे मना लिया. मैं साहब से चुदने को राजी थी. फिर मयूर शनिवार की रात मुझे अपनी बाइक पर बिठा लाया और कानूनगो साहब के बंगले पर छोड़कर वो चला गया.
“आओ जाओ जान… देखो तुम्हारे लिए मैं पूरे जमाने से बेइज्जती ले रहा हूँ. आओ मुझे खुश करो.” कानूनगो साहब बोले.
मैंने भी उनको बांहों में भर लिया और किस करने लगी. धीरे धीरे हम दोनों सोफे पर बैठकर मजे लेने लगे. वो मेरे लिए व्हिस्की लेकर आए. हम दोनों ने 3-3 पैग लगा लिए. कानूनगो साहब ने मुझे पकड़ लिया और होंठों पर चुम्मा देने लगे. मैंने काले रंग की नई साड़ी पहनी थी. मेरा गोरा दूधिया जिस्म मेरी साड़ी से साफ साफ दिख रहा था. वो मेरे ब्लाउज के ऊपर हाथ लगाने लगे और दूध को सहला सहलाकर दबाने लगे.
मैं “अहह ह्ह्ह स्सीईईई… अअअअ… आहा…” करने लगी. मुझे भी मजा आ रहा था. कुछ देर बाद ही उन्होंने मेरे काले ब्लाउज के बटन खोल कर उतार दिया. अन्दर मेरे कबूतर काली ब्रा में कैद थे. मेरे नुकीली नुकीली चूचियां देखकर साहब पागल हो गए और ऊपर से उसे हाथ से दबाने लगे… मसलने लगे. मुझे भी मजा आने लगा.
साहब अपना आपा खो बैठे और मुझे सोफे पर ही लिटा दिया, मेरे सर के नीचे चौकोर वाला तकिया लगा दिया.
“ओह्ह रचना… मैं बता नहीं सकता कि तुम्हारे रूप का रस पीने के लिए मैं कितना प्यासा था. ऐसी कोई रात नहीं होती थी, जब तुमको याद करके मुठ नहीं मारता था. तुम औरत नहीं माल हो माल… सेक्स और काम की असली हूर हो.” कानूनगो साहब बोले, फिर मेरी चूची को ब्रा के ऊपर से मसलने लगे. मुँह ऊपर से लगा कर चूसने लगे.
मैं तड़पने लगी- जान… ऐसे क्यों पी रहे हो… रुको, तुमको असली मजा देती हूँ.
मैंने कहा और अपने दोनों हाथ पीछे करके ब्रा खोल कर निकाल दी… फिर लेट गई.
मेरी नंगी, चिकनी चूचियां देख देखकर कानूनगो साहब अपनी आंखें सेंकने लगे. फिर हाथ लगाकर सहलाने लगे.
दोस्तो, मेरे दूध बहुत सेक्सी हैं… बड़े बड़े, गोल गोल, मुलायम और बेहद नर्म. साहब मेरे मम्मे दबा दबाकर मजा लूटने लगे. फिर मुँह में लेकर जल्दी जल्दी चूसने लगे.
मुझे भी मजा आने लगा. वो मर्दाना जिस्म के थे. पूरे 6 लम्बे और पहलवानी बॉडी वाले थे. मैं भी कई दिनों से उनका लंड खाना चाहती थी.
मैंने भी उनको दोनों हाथों से पकड़ लिया और दूध पिलाने लगी- पी लीजिये साहब… आप मेरे मस्त मस्त आम पी लो… पर मयूर के पक्ष में बयान देना कि गलती से ऐसा हो गया. उसकी नौकरी नहीं जानी चाहिए…
मैंने कहा.
कानूनगो साहब बोले- रचना मेरी जान… तुम फ़िक्र मत करो. अब मयूर की नौकरी बचाने के लिए मैं मुख्यमंत्री तक से जुगाड़ लगा दूंगा.
फिर जल्दी जल्दी मेरे कबूतर चूसने लगे.
मैं “अई… अई… अई… उम्म्ह… अहह… हय… याह… इसस्स…” करने लगी.
वो मुँह चला चला कर मेरे निपल्स को मुँह में अन्दर तक लेकर चूस रहे थे. मुझे हल्का हल्का दर्द भी हो रहा था पर मजा भी खूब आ रहा था. मेरा पति मयूर भी ऐसे ही मेरे दूध मुँह में लेकर चूसता था. मैंने साहब की तरफ नजर डाली तो आँख बंद करके मेरी बांई चूची जल्दी जल्दी किसी प्यासे बच्चे की तरह पी रहे थे.
फिर 10 मिनट बाद दूसरी वाली चूसने लगे. मुझे बड़ा मजा आया. मेरी चूत तो सब गीली गीली पानी पानी हो गई थी. चूत का रस बाहर निकल आया था. खूब चूसा साहब ने मुझे. धीरे धीरे मेरी साड़ी खोल दी. मेरे पेटीकोट का नाड़ा उन्होंने खोल दिया और उतार दिया. फिर काली पेंटी को अपने हाथ से नीचे खींच दिया और उतार दिया.
साहब बोले- अपने पैर खोलो रचना!
मैंने अपने सुंदर पैर खोल दिए. मेरे वो चिकने भोसड़े का दीदार करते रहे. मैंने आने से पहले अपनी चूत के बाल अच्छे से साफ़ कर लिए थे. बिल्कुल चिकनी मलाई जैसी चूत बना ली थी. अब वो चूत से रस सी भीग गई थी.
कानूनगो साहब हंसने लगे और बोले- अरे तुम तो पानी पानी हो गईं.
फिर लेट कर मेरी फुद्दी चाटने लगे.
वे सी सी सी सी करके चुत पी रहे थे. जीभ लगा लगाकर मेरी चूत की चटनी को जल्दी जल्दी चाट रहे थे. मैं अन्तर्वासना से “अई… अई… अई… अहह्ह्ह्हह… सी सी सी सी… हा हा हा…” करने लगी.
उन्होंने 5 मिनट में ही मेरी बुर को चाट चाटकर और गुलाबी कर दिया. वो बोले- चलो रचना… अब जल्दी से घोड़ी बन जाओ… इसी तरह मुझे औरतों को चोदना पसंद है.
मैं सोफे पर ही घोड़ी बन गई. अपने सिर और कंधे को नीचे सोफे पर रख दिया और अपने चूतड़ हवा में ऊपर खूब ऊंचा उठा दिए.
कानूनगो साहब ने अपनी शर्ट पेंट उतार दी. फिर बनियान और कच्छा उतार दिया. अपने लौड़े को जल्दी जल्दी हाथ से हिलाने लगे.
दोस्तो, आप लोग विश्वास नहीं करोगे कि उनका लौड़ा 8 इंच लम्बा और 3 मोटा था.
लम्बा लंड देखकर ही मेरी गांड फट गई. मैं तो घबरा ही गई- ना बाबा ना… मेरे को नहीं चुदाना इतने मोटे लंड से. मैं तो मर ही जाउंगी…
साहब बोले- अरे रचना जान… डरो मत. ये सिर्फ देखने में डरावना दिख रहा है. एक बार तुम्हारी चूत में घुस गया तो बार बार डालने को कहोगी.
किसी तरह मैं चुदने को राजी हो गई, फिर से घोड़ी बन गई.
कानूनगो साहब ने शराब की बोतल ली और उठाकर गिलास में उड़ेली. एक बड़ा पैग बनाया और फिर उसमें सोड़ा और बर्फ का टुकड़ा डाला. गिलास में गोल गोल हिलाते रहे. फिर एक बार में आधा गिलास शराब गटक गए. फिर मेरी तरफ गिलास बढ़ा कर बोले- लो पी लो… लंड लेने में आसानी रहेगी.
मैंने भी एक झटके में गिलास खत्म कर दिया. अब तक साहब ने एक सिगरेट सुलगा ली थी. उन्होंने एक कश खींचा और मेरी तरफ बढ़ाई. मुझे नीट शराब बड़ी कड़वी लग रही थी तो मैंने सिगरेट लेकर शराब की कड़वाहट खत्म करने की कोशिश की.
अब साहब ने मेरी चूत में पीछे से लंड डाल दिया और जल्दी जल्दी चोदने लगे. साहब का एक पैर सोफे पर था और दूसरा जमीन पर. मैं घोड़ी बनी हुई थी. जिस तरह कुत्ते कुतिया को चोदते हैं, ठीक उसी तरह से वो मुझे पकर पकर पेल रहे थे.
मैं “उंह उंह उंह हूँ… हूँ… हूँ… हमम मम अहह्ह्ह्हह… अई… अई… अई…” चिल्ला रही थी. मेरी चूत अब उनका लंड पूरा लीले जा रही थी. बड़ा रोमांटिक समा बन गया था. उन्होंने मुझे 15 मिनट दबा के चोदा. फिर हांफकर चूत के अन्दर ही झड़ गए.
दो घंटे बाद उन्होंने मेरी गांड मारी.
फिर अगली पेशी में उन्होंने मयूर को निर्दोष बता दिया और इस केस की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली. उन्होंने मीडिया वालों को मोटा पैसा खिला कर मामला दबा दिया. मेरे पति मयूर की नौकरी बच गई.