दोस्तो, मेरा नाम राज है. मेरी उम्र इस समय पच्चीस साल है.
आज जो हॉट भाभी देवर Xxx चुदाई कहानी मैं आपको बताने जा रहा हूं, वो उस समय की है जब मैं 22 साल का था.
मैं अपने रिलेशन में एक चचेरे भाई की शादी में गया था.
शादी में जब मैंने पहली बार नई भाभी को देखा तो देखता ही रह गया.
सच में मेरी भाभी बला की खूबसूरत हसीना थी.
शादी के बाद जब पहली बार भाभी अपनी ससुराल आईं तो उस समय उनसे मेरी ज्यादा पहचान ना हो पाई.
उस समय इतने लोग थे कि नई भाभी के लिए किसी के बारे में एकदम से सब कुछ जान पाना मुश्किल था.
मैंने महसूस किया कि नई भाभी कुछ चालू टाइप की हैं.
मगर उस समय उनके चालू होने की तसदीक कर पाना भी असंभव था.
शादी के बाद मैं वापस भोपाल आ गया.
चूंकि मैं उनका सबसे बड़ा देवर था. इसलिए मैंने उन्हें फोन लगाना शुरू कर दिया.
उन्होंने भी मुझसे बात की और कहा- आपसे बात करके अच्छा लगा, प्लीज़ फोन पर बातचीत करते रहें.
अब मेरी उनकी मेरी हमेशा बातचीत होती रहती थी और हंसी मजाक भी चलता रहता था.
धीरे धीरे हम दोनों में खुलापन आया और अब कभी कभी हम दोनों अडल्ट मजाक भी कर लेते थे.
मुझे भाभी से रूबरू मिलने का समय नहीं मिला इसलिए हम दोनों कभी मिल नहीं पा रहे थे.
डेढ़ साल बाद भैया के घर जाने का मेरा प्लान बना.
मैं सुबह नौ बजे उनके घर आ पहुंचा. भैया अपनी नाइट ड्यूटी से आकर सोए हुए थे तो भाभी ने ही मेरा स्वागत किया.
जब मैंने इस बार भाभी को देखा तो उनके फिगर में काफी बदलाव आ गया था.
वो उस समय सलवार कुर्ते में थीं और कुर्ता थोड़ा टाइट था इसलिए उनका फिगर साफ समझ आ रहा था.
भाभी का 36-30-38 का फिगर रहा होगा. उन्होंने अपने बालों की चोटी बना रखी थी जो कमर तक आ रही थी.
उनके बूब्स तो मानो बाहर आने तो मचल रहे थे.
मेरी नजरें उनके हुस्न को आंखों से चोदने में ही लग गई थीं.
शायद हॉट भाभी ने भी इस बात को समझ लिया था.
फिर मैंने चाय नाश्ता किया और भाभी से उस दौरान बहुत सारी बातचीत, हंसी मजाक हुआ.
फिर भाभी ने कहा- आप थक गए होंगे, आराम कर लीजिए.
मैंने गेस्ट रूम में जाकर आराम किया.
करीब बारह बजे भैया उठे तो मैं उनसे मिला.
कुछ देर बाद उनका एक फोन आ गया और वो अपने मित्र के आमंत्रण पर उसके घर खाना खाने चले गए.
मैं और भाभी घर पर अकेले रह गए थे.
भाभी ने मुझे किचन से आवाज़ लगाई.
मैं गया तो भाभी बोलीं- राज वो ऊपर रखा डिब्बा निकाल दो.
मैंने निकालने की कोशिश की लेकिन मेरा हाथ वहां तक नहीं पहुंच रहा था.
इस पर भाभी बोलीं- बस इतना ही दम था.
मैंने पलट कर उन्हें तिरछी नजर से देखा.
जिस पर वह मुस्कुरा दीं.
मैंने कहा- अकेले तो नहीं, पर आपका साथ मिले, तो डिब्बा एक मिनट में निकाल सकता हूं.
भाभी बोलीं- वो कैसे?
मैंने कहा- मैं आपको उठा लेता हूँ, आपको मेरी दम का अंदाजा भी हो जाएगा और आपका काम भी हो जाएगा.
भाभी बुदबुदाईं ‘मेरा काम भी हो जाएगा … हम्म.’
मैंने फिर से भाभी से कहा- आइए मैं आपको पकड़कर उठाता हूं, आपसे आसानी से डिब्बा निकल आएगा.
भाभी ने एक पल कुछ सोचा और मुस्कुरा कर आगे को आ गईं.
मैंने उन्हें पीछे से घुटनों के थोड़ा ऊपर पकड़ा और उठा दिया.
भाभी ने झट से डिब्बा पकड़ लिया.
उस समय भाभी की गांड और कमर के बीच में मेरा मुँह लगा था. मैं उनके जिस्म की खुशबू को महसूस कर रहा था.
फिर मैंने भाभी को धीरे-धीरे नीचे किया.
उस दौरान उनकी कमर से उनकी पीठ, फिर उनकी गर्दन उनके बाल सब पर मेरा मुँह लगा.
जब भाभी की गर्दन के पास मेरा मुँह आया तो मैंने अपने होंठों से उनकी गर्दन को हल्का सा छू लिया.
जिस पर भाभी नीचे उतरने के बाद मुझे तिरछी नजरों से देखने लगीं और मैं हंसते हुए बाहर चला गया.
भाभी बोलीं- काम के बहाने तुमने अच्छा चांस मार लिया.
मैं बोला- अरे कहां भाभी … आपने तो मुझे कुछ पकड़ने ही नहीं दिया.
कुछ देर बाद भाभी बाहर सोफे पर मेरे साथ आकर बैठ गईं और बातचीत करने लगीं.
बातचीत करते करते मैंने अपना हाथ उनके कंधे पर रख दिया.
इस पर एक क्षण के लिए उन्होंने मेरी तरफ देखा मगर वो शांत रहीं.
मैंने हाथ नहीं हटाया.
भाभी मुझसे बातें करने लगीं.
मैं उनके कंधे को सहलाने लगा.
भाभी मेरी ओर ललचाई नजरों से देखने लगीं.
फिर कुछ समय बाद भैया की स्कूटर रुकने की आवाज आई तो मैंने अपना हाथ हटा लिया और हम लोग बात करने लगे.
भैया अन्दर आए और शाम को उन्हें नाइट ड्यूटी पर जाना था तो वे उस वक्त आराम करने बेडरूम में चले गए.
मैं भी गेस्ट रूम में आराम करने आ गया.
भाभी उनके बेडरूम में जाने लगीं.
जब वह दरवाजा बंद कर रही थीं तब मेरी और उनकी नजर आपस में टकरा गईं.
भाभी ने एक कातिल मुस्कान के साथ मेरी ओर देखा तो मैंने भी इशारे में कहा- यहीं आकर आराम कर लो.
इस पर भाभी ने मुझे जीभ चिढ़ाते हुए दरवाजा बंद कर लिया.
मैं भी लेट गया और हम सभी ने आराम किया.
शाम के वक्त भैया और मैंने साथ में चाय पी.
उसके बाद भैया ने मुझे बताया कि रात को हम सबको एक रिसेप्शन पार्टी में चलना है. उधर से ही वो अपनी ड्यूटी पर निकल जाएंगे.
करीब 7:00 बजे हम सब लोग पार्टी में जाने के लिए तैयार होने लगे.
मैं और भैया तैयार हो चुके थे.
भाभी जब तैयार होकर बाहर निकलीं तो मैं उन्हें देखता ही रह गया.
उन्होंने गोल्डन कलर की साड़ी, ब्लैक स्ट्रिप वाले गोल्डन ब्लाउज को पहना था.
उनका ब्लाउज बैकलेस था और सामने से यू शेप में गहरे गले का था.
हाथों में कंगन खनखना रहे थे.
भाभी ने अपने बाल खुले रखे थे.
उनके बूब्स उनके ब्लाउज में एकदम टाइट फंसे थे, जिस वजह से उनकी क्लीवेज साफ़ दिख रही थी.
भाभी का रंग तो गोरा था ही, उस पर गोल्डन कलर की साड़ी उनकी खूबसूरती पर चार चांद लगा रही थी. भाभी ने पिंक कलर की लिपस्टिक लगाई थी, जो उन्हें कातिल रूप दे रही थी.
उनको देखकर उन पर कोई भी फ़िदा हो सकता था.
फिर मैं भैया और भाभी पार्टी की ओर ऑटो से निकल चले.
वहां पहुंचकर भाभी अपने सहेलियों के साथ घुल-मिल गईं और मैं और भैया उनके दोस्तों के साथ खड़े रहकर बातचीत करने लगे.
कुछ देर बाद हमने खाना खाया, खाना खाने के बाद करीब 9:30 बजे भैया और मैं भाभी के पास गए.
भैया ने उनसे कहा- मुझे ड्यूटी जाना है, सो मैं यहीं से निकल रहा हूँ. तुम अपने देवर के साथ घर चली जाना.
भाभी ने मुस्कुरा कर हामी भर दी और कहा- हम लोग कुछ देर पार्टी एन्जॉय करेंगे. फिर घर चले जाएंगे.
भैया ओके कह कर ड्यूटी निकल गए.
करीब आधे घंटे बाद भाभी भी मेरे पास आईं और बोलीं- राज चलो घर चलते हैं.
भाभी और मैं भी वहां से एक ऑटो पकड़ कर घर की ओर आ गए.
भाभी ने गेट खोला.
हम दोनों घर के अन्दर आ गए.
भाभी ने गेट को अन्दर से बंद कर लिया.
मुझे भाभी काफी सुंदर लग रही थीं और उस समय घर में हम दोनों अकेले थे.
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था.
मैंने सोचा यही समय है जब भाभी से कुछ स्टार्ट करता हूँ.
अगर भाभी बुरा मानती हैं तो मजाक की बात कह दूंगा.
जब भाभी दरवाजा बंद कर रही थीं, तो मैं भाभी के पीछे चला गया.
भाभी दरवाजा बंद करके जैसे ही पलटीं तो मैं उनके सामने खड़ा हो गया.
वह हंसते हुए बोलीं- जाने भी दो देवर जी … कोई देख लेगा.
मैंने भी कहा- हां आपके घर की दीवारें हमें देख सकती हैं.
इस पर भाभी हंसी और मेरे साइड से जाने लगीं.
मैंने भाभी का हाथ पकड़ लिया.
भाभी बोलीं- अब छोड़ो भी देवर जी, बहुत हो गया.
मैंने कहा- छोड़ने के लिए तो हाथ नहीं पकड़ा है.
मैं भाभी के पीछे जाकर एकदम उनसे चिपक गया.
भाभी कुछ नहीं बोल रही थीं.
मैंने अपना एक हाथ भाभी के कंधे पर रख दिया और उनके कंधे पर हल्का सा दबाव दिया तो भाभी हल्का आगे को हो गईं.
मैंने मौका देखा और भाभी को दीवार की तरफ ले जाकर दीवार से चिपका दिया.
भाभी के पूरे बूब्स दीवार पर दब रहे थे. भाभी की साड़ी का पल्लू मैंने उनके सर से खींच लिया और भाभी के लंबे बालों को अपने एक हाथ से साइड में करके उनकी पीठ पर एक किस कर ली.
भाभी की सांसें बढ़ने लगीं.
मैंने अब भाभी के दोनों हाथ पकड़ कर दीवार पर ऊपर को कर दिए और बालों को आगे की ओर कर दिया.
अब मैं भाभी की गर्दन के पास आया और मैंने कहा- मैं आपको अच्छा लगता हूं?
भाभी ने तुरंत कहा- बिल्कुल नहीं … भला कोई देवर अपनी भाभी के साथ ऐसा करता है.
मैंने कहा- यह देवर तो ऐसा ही करेगा.
यह कहकर मैंने भाभी के गर्दन पर अपने होंठ रख दिए और हल्के हल्के से चूमने लगा.
भाभी ने कुछ नहीं कहा तो मैं उनकी पीठ की ओर बढ़ने लगा.
मेरा दबाव भाभी पर बढ़ता जा रहा था और मैं उन्हें दीवार पर पुश कर रहा था.
मेरा लंड हल्के हल्के से साड़ी के ऊपर से ही भाभी की गांड की दरार में सैट हो रहा था.
शायद अब भाभी से सहा नहीं जा रहा था और उन्होंने धीमी आवाज में कहा- राज बस करो.
फिर वो पीछे को धक्का देती हुई वहां से बेडरूम की ओर चली गईं.
कमरे में जाते जाते भाभी ने मेरी ओर देखा और एक कातिल मुस्कान के साथ होंठों को दांत से दबा दिया.
मैं भाभी के पीछे उनके बेडरूम की ओर आ गया और दरवाजे पर खड़े होकर उन्हें देखने लगा.
भाभी शीशे के सामने खड़ी थीं.
उन्होंने शीशे में से ही मेरी ओर देखकर कहा- अब खड़े क्या हो … इधर आओ और मेरा नेकलेस उतारने में मेरी मदद करो न.
मैं तुरंत गया और भाभी के नेकलेस की डोरी खोल कर उसे उतार कर शेल्फ पर रख दिया.
इसके बाद उन्होंने अपने कान के झुमके उतारे.
मैं वहीं खड़ा भाभी को आईने में देख रहा था और भाभी भी मुस्कुरा रही थीं.
भाभी बोलीं- ऐसे क्या देख रहे हो?
मैं बोला- मैं उस हसीना को देख रहा हूँ, जिसने मेरे दिल पर कब्ज़ा कर लिया है.
भाभी ने हंस कर कहा- एक और काम था लेकिन कोई शरारत नहीं करने का वादा करो, तो बताऊं.
मैंने दिल पर हाथ रख कर कहा- जितने चाहे खंजर चला लीजिएगा, ये मंजनू उफ़ तक नहीं करेगा.
भाभी जोर से हंसी और बोलीं- डियर मंजनू जी … क्या आप पीछे से मेरे ब्लाउज के हुक खोल देंगे?
अब मैं समझ गया था कि यह मेरे लिए खुला निमंत्रण है.
मैंने तुरंत आगे बढ़ कर भाभी के ब्लाउज के दो हुक खोल दिए और पीछे से उनकी पीठ को अपने हाथों से सहलाने लगा.
भाभी कुछ बोलतीं या समझतीं, इससे पहले मैंने भाभी को कमर के बल उठाकर बेड पर गिरा दिया और मैं भी भाभी के ऊपर आ गया.
उनका पिछवाड़ा मेरे नीचे था.
उनके ब्लाउज के हुक तो खुले ही थे. अब मैं भाभी के बाल, जो बिखरे थे, उन्हें एक साइड में करके भाभी की पीठ पर सहलाने लगा और हल्की हल्की किस लेने लगा.
फिर मैंने भाभी के ब्लाउज को पीछे से हटा दिया और उनकी पीठ और कमर पर बहुत सारी चुम्मियां करते हुए नीचे आता गया.
भाभी कुछ नहीं कह रही थीं तो मैंने भाभी की साड़ी को उनके पैरों से ऊपर करना शुरू कर दिया.
अब भाभी ने अपने आपको पलटा लिया और चित लेट गईं.
इस पोजीशन में भाभी का सामना मेरी ओर आ गया था और मैं बैठकर उनके चेहरे को देख रहा था.
मैंने अपनी शर्ट और बनियान दोनों निकाल दिए.
उसी समय भाभी ने मुझे अपनी बांहों में लेने के लिए अपने दोनों हाथ फैला दिए.
मैं भी तुरंत सामने से उनके ऊपर आ गया और उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
फिर हमारे बीच वो लंबा किस चला जिसमें भाभी और मैंने एक दूसरे के होंठों को खूब चूसा.
इस लम्बे चुम्बन से मेरे अन्दर बिजली सी दौड़ गई थी.
मेरा हाथ आगे की ओर आ गया. भाभी के ब्लाउज के ऊपर से उनके बूब्स अभी भी अधखुले ब्लाउज में कैद से थे.
मैंने भाभी के ब्लाउज के ऊपर से ही उनके मम्मों को दबाना आरम्भ कर दिया.
भाभी के बूब्स काफ़ी बड़े थे जो मुझे और भी मजा दे रहे थे.
मैंने कुछ देर बाद भाभी के ब्लाउज को निकाल दिया.
अब भाभी के 38 साइज के बूब्स मेरे सामने थे जिस पर मैंने अपना मुँह रख दिया और चूसने लगा.
मैंने भाभी के दोनों मम्मों को बहुत चूसा.
भाभी भी मेरे सर पर दबाव डालते हुए अपने बूब्स चुसवा रही थीं और बोल रही थीं- बहुत बढ़िया राज … तुम तो बहुत पक्के खिलाड़ी निकले … आंह और चूसो राज!
मैंने भाभी की साड़ी की ओर हाथ किया और उनकी साड़ी और पेटीकोट को कमर तक खींच लिया.
फिर उनके मम्मों को चूसते हुए मैंने उनकी चुत पर हाथ फेर दिया.
भाभी ने धीमे से कहा- अपने कपड़े उतार दो.
मैं उठा और मैंने अपनी पैंट और चड्डी निकाल दी.
शर्ट पहले ही हट चुकी थी.
मैं भाभी के ऊपर चढ़ गया और भाभी के होंठों पर अपने होंठ लगा दिए.
हम दोनों एक दूसरे को खूब चूस रहे थे, चुम्मा चाटी कर रहे थे.
कुछ देर बाद मैंने भाभी के दोनों पैरों के बीच आकर मेरे लंड को उनकी चुत पर सैट कर दिया.
भाभी लंड की गर्मी पाते ही मचल उठीं और उन्होंने अपनी टांगें फैला दीं.
मैं उनकी चुत पर लंड रगड़ने लगा.
अब भाभी से कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था तो उन्होंने मुझे अपनी ओर खींचा लेकिन मैं अभी भी उन्हें तरसा रहा था.
कुछ देर बाद भाभी की चुत में मैंने अपने लंड का एक जोरदार धक्का मारा तो मेरा लंड उनकी चुत को चीरते हुए सीधा अन्दर चला गया.
भाभी थोड़ा सा उचकीं और आंह करती हुई बोलीं- आंह मर गई … धीरे करो ना.
मैं लेकिन कहां मानने वाला था … मैंने फिर से अपना लंड बाहर करके एक और जोरदार स्ट्रोक दे मारा.
मेरे कड़क झटकों के कारण भाभी को मजा आने लगा और वह मुझे किस करने लगीं.
मैंने अपनी चुदाई की रेलगाड़ी चालू कर दी.
करीब पन्द्रह मिनट तक मैंने भाभी की चुत में लंड जड़ तक डाल डाल कर उन्हें खूब चोदा.
भाभी भी अपनी दोनों टांगें हवा में करके मेरे लंड को पूरी तरह अन्दर तक ले रही थीं और आवाज करती हुई मजा ले रही थीं.
भाभी की चुत से पानी की धार बहने लगी थी.
शायद वो एक दो बार तो डिस्चार्ज हो ही गई थीं.
भाभी की कामुक आवाजें भी निकल रही थीं- आह आह … राज मजा आ गया. मैं फिर से जाने वाली हूँ.
मैंने भी कहा- हां मेरा भी निकलने वाला है.
इस पर भाभी बोलीं- तुम करते रहो.
मैं उनके मम्मों को दबाते हुए होंठों पर किस ले रहा था और अपने लंड को पूरी ताकत से उनकी चुत में डालता निकालता रहा.
फिर करीब दस झटकों के बाद मेरा वीर्य उनकी चुत में गिर गया और मैं उनके ऊपर ही ढह गया.
मैं उनके एक दूध को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा. वो भी मेरे बालों को सहला रही थीं.
हम लोग उसी पोजीशन में करीब पांच मिनट तक पड़े रहे.
उसके बाद भाभी ने मुझे धक्का देकर साइड में किया.
भाभी ने कहा- कर दिया ना अपनी भाभी को खराब … ले लिया मजा?
ये कह कर भाभी हंस दीं.
मैंने कहा- खराब नहीं, मेरी प्यारी भाभी मैंने आपको आबाद किया है.
फिर भाभी उठीं और उन्होंने अपने कपड़े चेंज किए. फिर किचन में जाकर हम दोनों के लिए कॉफी बना लाईं.
इस समय भाभी ने टू पीस गाउन पहना था जिसमें वह और भी हॉट लग रही थीं.
चाय पीने के बाद भाभी ने मुझसे कहा- सुबह होने से पहले गेस्ट रूम चले जाना.
मैंने ओके कहा और फिर से एक बार मैं भाभी से प्यार करने लगा.
उनके गालों पर किस करते हुए उनके गाउन की कोटी निकाल दी, उनके दूध दबाते हुए मैं भाभी के गाल पर किस करने लगा.
कुछ देर बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया लेकिन इस बार मैंने भाभी को पीछे घूमने को कहा.
जिस पर भाभी बोलीं- एक ही दिन में सब ले लोगे क्या?
मैं समझ गया कि भाभी मुझे धीरे-धीरे ही सब कुछ देंगी.
फिर से मैं भाभी के ऊपर चढ़ गया और उनका गाउन ऊपर करके अपना लंड उनकी चुत में डाल दिया.
मैं उन्हें किस करते हुए धक्के लगाने लगा, भाभी की चुत में अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा.
इस बार उनकी चुदाई का कार्यक्रम करीब बीस मिनट से ज्यादा चला होगा.
मैंने एक बार फिर से उनकी चुत में अपना वीर्य छोड़ दिया.
अब मैं और भाभी दोनों ही चिपक कर एक दूसरे को प्यार करने लगे. मैं उनके सारे शरीर को सहलाते हुए सो गया.
भाभी ने सुबह पांच बजे अलार्म लगाया था.
उस समय हम दोनों उठे और मैंने फिर से एक बार भाभी की धमाकेदार Xxx चुदाई की.
भाभी ने मुझसे कहा- काफी सालों बाद मैं एक रात में तीन बार चुदी हूं.
भाभी को काफी अच्छा लग रहा था और मजा भी आया था.
फिर मैं अपने कपड़े पहन कर गेस्ट रूम में चला गया.
सुबह 6:30 बजे जब भैया आए, तब मैं सोया हुआ था.