लॉकडाउन में भतीजी को चोदा-2

मैंने अपनी भतीजी के नंगे बदन को देख कर मुट्ठ मारने में ही अपना फायदा सोचा।

और जब मुट्ठ मारने के बाद मेरे पानी छूटा तो मैंने वो सारा माल अपने दूसरे हाथ में ले लिया और लवी के पाजामे के ऊपर टपका दिया. इस सोच से कि चलो मेरा लंड न सही, मेरा वीर्य तो लवी की चूत को छू गया।
उसके बाद मैं जाकर सो गया।< सुबह उठा तो सब नॉर्मल था। लवी रोज़ की तरह ही दिखी. मुझे संतुष्टि हुई कि चलो इसे पता नहीं चला कि रात मैंने इसके साथ क्या हरकत की है। अगली रात मैं फिर इसी उम्मीद के साथ उठ कर उसके बिस्तर पर गया। मगर आज लगता है है लवी ने अभी अभी अपने बेटे को दूध पिलाया था. तो उसकी टी शर्ट पहले से ही ऊपर उठी हुई थी. उसके दोनों मम्मे उसकी टी शर्ट से बाहर थे। मैंने देखा बच्चे के मुंह एक दो बूंदें दूध की लगी थी। अब मैं लवी का मम्मा तो चूस नहीं सकता था. तो मैंने उसके बेटे के मुंह पर लगी दूध बूंद उठा ली और उसको चाट गया। एक बूंद से तो न तो मुझे कोई स्वाद आया, न कोई मज़ा आया. बस एक संतुष्टि सी हुई कि जो दूध मेरी भतीजी के मम्मे से निकला था, मैंने उसे पी लिया। मगर इतने से मन में लगी आग कहाँ शांत होती है, तो मैंने कुछ और सोचा मैंने एक हाथ में अपना लंड निकाल कर पकड़ा और दूसरे हाथ की उंगली से लवी के निप्पल को छुआ, मगर छूकर छोड़ा नहीं, नहीं बल्कि अपनी उंगली उसके निप्पल से लगी रहने दी, और दूसरे हाथ से अपनी मुट्ठ मारने लगा। ऐसा लग रहा था जैसे उसके निप्पल से होकर कोई ऊर्जा मेरे सारे बदन में से गुज़र का मेरे लंड तक जा रही हो। दिल तो बहुत कर रहा था कि साली का मम्मा ही पकड़ कर दबा, चूस लूँ, दूध पी लूँ इसका! मगर मैं बहुत मजबूर था. ऐसा किसी भी हाल में नहीं कर सकता था। तो बस थोड़ा सा छू कर ही मन को बहला रहा था। और फिर जब मेरे लंड ने पिचकारी मार मार कर गरम वीर्य उगला. तो मैंने अपने वीर्य की कुछ बूंदें शुकराने के तौर पर लवी के मम्मे पर भी गिरा दी कि ले, तेरे एक बूंद दूध के बदले मेरे वीर्य की चार बूंदें तेरे लिए। उसके बाद मैं आकर अपने बिस्तर पर सो गया। अब तो ये जैसे रोज़ की ही बात हो रही थी. रोज़ रात को उल्लू की तरह मैं उठ बैठता. किसी न किसी बहाने मैं लवी के बिस्तर के पास जा खड़ा होता, उसके कभी आधे, कभी पूरे नंगे स्तनों को देखता और मुट्ठ मारता। मगर हर दिन के साथ मेरी हिम्मत बढ़ती जा रही थी. अब तो मैं लवी के मम्मे को पूरी तरह से अपने हाथ में पकड़ लेता था. मगर चूसने की हिम्मत अभी तक नहीं कर पाया था। फिर एक दिन मैंने चोरी से लवी की अपने पति के साथ हुई व्हाट्सप्प चैट को चोरी से पढ़ा. लवी ने उसमें साफ साफ अपने पति से कहा कि अब उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा है. वो किसी भी तरह से आकर उसे ले जाए. नहीं तो वो किसी से भी चुदवा लेगी. अब उंगली कर करके वो पागल हो चुकी है. उसकी प्यास अब उंगली से नहीं बुझती। मैं तो उसकी चैट पढ़ कर निहाल हो गया. मतलब लवी तो चुदवाने के लिए मरी जा रही है. अगर मैं कोशिश करूँ, तो हो सकता है मुझसे भी सेक्स कर ले। मगर दिक्कत ये थी कि मैं कैसे हिम्मत करूँ? कैसे उसे कहूँ कि लवी आ जा मुझसे चुदवा ले. मैं तेरी चूत की आग को ठंडा कर दूँगा। फिर मैंने सोचा कि अगर ये इतनी जल रही है, और इतनी चुदासी हो रही है. अगर मैं कुछ ऐसा करूँ के इसे पता चल जाए कि मैं इसे चोदना चाहता हूँ. तो क्या पता मेरी बात बन जाए। मगर इसके लिए बहुत हिम्मत चाहिए थे। तो उस रात मैंने चोरी से अपने एक दोस्त की मदद से दो पेग लगाए. और मैं चुपचाप एक अच्छे बच्चे की तरह घर आकर सो गया। दरअसल मैं सोया नहीं था, रात के गहराने का इंतज़ार कर रहा था। मेरा तो तन बदन जल रहा था। जैसे ही आधी रात के बाद मेरी आँख खुली मैं उठकर पहले बाथरूम में गया. मूत कर, अपना लंड अच्छे से धो कर आया। अंदर आकर देखा, लवी बिस्तर पर सीधी सो रही थी. उसकी कमीज़ पूरी ऊपर उठी हुई थी और दोनों मम्मे बाहर थे। भाभी दूसरी तरफ मुंह करके सो रही थी। मैं जाकर लवी के पास खड़ा हो गया और उसे देखने लगा। मैंने सोचा आज जो हो जाए, सो हो जाए, मगर आज इसका दूध ज़रूर पीना है। यही सोच कर मैंने अपनी निकर में से अपना लंड बाहर निकाला और अपने हाथ में पकड़ लिया और बड़े आराम से लवी के पास बैठ गया. पहले तो उसके मम्मे देख देख कर लंड हिलाता रहा. मगर कब तक … जब लंड पूर अकड़ गया तो मैंने बड़े आराम से लवी के मम्मे पर हाथ रखा. और उस पर हल्का सा दबाव बनाया। जिस लड़की को मैंने गोद में खिलाया, जिसके साथ बचपन में खेला, आज मैं उसका नर्म मम्मा अपने हाथ में पकड़े मुट्ठ मार रहा था। मगर ज़्यादा दबा नहीं सकता था तो मैंने अपनी सारी हिम्मत इकट्ठी करी और आगे को झुक कर लवी का निप्पल अपने मुंह में ले लिया। निप्पल तो मुंह में ले लिया. मगर अब यह दिक्कत कि अगर चूसूँगा तो ज़ोर लगाना पड़ेगा. और अगर ज़ोर से चूसा तो कहीं ये जाग न जाए। मगर फिर दिमाग में ये ख्याल आया कि वैसे भी तो ये किसी से भी चुदवाने को तैयार थी. तो अगर जाग गई तो क्या पता मेरी किस्मत ही ही खुल जाए। बस यही सोच कर मैंने हल्के से चूसा. मगर कोई दूध नहीं आया. फिर चूसा. और जैसे जैसे चूसता गया, मैं ज़ोर बढ़ाता गया. और फिर मेरे मुंह में जैसे दूध का फव्वारा फूटा हो. कितना सारा दूध मेरे मुंह में आ गया. और फिर मैं सब कुछ जैसे भूल गया. एक के बाद एक मैंने बार बार चूसा और मुंह भर भर के उसका दूध पिया। दूसरे हाथ से मैं अपने लंड को फेंट रहा था। सच में बड़ा ही मज़ेदार काम था किसी सोई हुई लड़की का दूध पीते हुये, मुट्ठ मारना। मगर फिर एक हाथ ने मेरा हाथ पकड़ लिया, जिस हाथ से मैं मुट्ठ मार रहा था। मैं एकदम चौंका, मम्मा छोड़ कर देखा, लवी ने मेरा हाथ पकड़ा हुआ था. मैंने लवी को देखा, उसने ना में सर हिलाया। मैं समझा नहीं, पीछे को हटा, डर गया कि यार ये तो जाग गई, इसको तो पता चल गया. अगर इसने शोर मचा दिया, तो हर तरफ से जूते पड़ेंगे, बदनामी होगी। मैं जैसे ही उठने को हुआ, लवी ने मुझे रोक लिया और वो खुद उठ कर मुझसे लिपट गई। बस एक क्षण में ही सारा डर, सारी चिंता, सब कुछ हवा में उड़ गया। मैंने भी कस कर लवी को गले लगाया। लवी में मेरे कान में हल्के से फुसफुसाई- चाचू, क्यों खुद को बर्बाद कर रहे हो? मैंने भी हल्के से उसके कान में कहा- यार डर लगता था, हिम्मत नहीं हो रही थी, तुमसे ये सब कहने की, करने की। वो बोली- अब डरो मत! कह कर वो मुझसे अलग हुई और फिर उसने अपनी चादर हटा कर दिखाया. चादर के नीचे वो बिल्कुल नंगी थी। फिर मेरे कान में बोली- तुम बिल्कुल पागल हो, पिछले एक हफ्ते से इंतज़ार कर रही थी कि मेरी चादर हटा कर देखो कि मैं तैयार पड़ी हूँ। मगर तुम तो बस आते थोड़ा छूते और हिला कर चले जाते। मैंने उसको अपने गले से लगा लिया और उसके कान में कहा- तो अब जब सब खुल ही गया है तो बुझा दो मेरी प्यास। वो मेरे कान में फुसफुसाई- मैंने कब मना किया। मैं ख्हुश हो गया कि अब भाई की बेरी की चुदाई करने का रास्ता साफ़ हो गया है. मैं उठा और उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने बिस्तर पर ले गया। बिस्तर पर लेटते ही मैंने उसकी टी शर्ट फिर से ऊपर उठाई और इस बार तो बड़े अधिकार से उसके मम्मे पकड़े और दोनों खूब कस कस के दबाये भी और चूसे भी। उसने भी झट से मेरा लंड पकड़ा लिया, और खूब हिलाया। मैंने कहा- लवी, अब तो डलवा ले, अब सब्र नहीं होता। वो बोली- एक मिनट रुको चाचू, एक बार मुझे चूस लेने दो. मेरी भतीजी नीचे को सरकी और मेरी चादर के अंदर घुस कर मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया। अब कहाँ तो साली भोंसड़ी देखने को नहीं मिलती थी. और कहाँ अब मैं लंड चुसवाने के मज़े ले रहा था। साली ने बड़े मज़े मज़े ले ले कर लंड चूसा, ऐसा लग रहा था जैसे उसे खुद को लंड चूसने का शौक हो। जब वो चूस कर ऊपर को आई, मैंने पूछा- बहुत पसंद है लंड चूसना? वो बोली- अरे इसको चूसे बिना तो लगता ही नहीं कि सेक्स किया है। मैंने उसे नीचे लेटाकर खुद उसके ऊपर चढ़ गया. मेरी जवान भतीजी ने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर रखा. अगले ही पल चाचा के लंड का टोपा भतीजी की चूत को भेद कर अंदर घुस गया. और उसके बाद तो चल चला चल … सारे का सारा लंड उसकी चूत में घुसा दिया। अब बचपन से उसको अपने सामने जवान होते देखा था, तो मैं तो उसके चेहरे को, मम्मों को चाट चाट कर ही भिगो दिया। मेरी भतीजी सिर्फ टाँगें चौड़ी कर के नीचे लेटी थी और उसके दोनों हाथ मेरे चूतड़ों पर थे। मगर मैं तो उसके चेहरे के क्या उसके मुंह के अंदर तक जीभ डाल डाल कर उसो खा रहा था। मैंने पूछा- मज़ा आ रहा है मेरी मुनिया? वो बोली- अरे चाचू पूछो मत, आज तो मार दिया तुमने मुनिया को! बस लगे रहो, बड़े दिनो बाद ऐसा मज़ा आ रहा है। मैंने अपने बड़े भाई की बेटी को आराम से ही चोदा क्योंकि थोड़ी ही दूर भाभी सो रही थी. अगर हम दोनों में से कोई भी आवाज़ करता तो वो जाग जाती। इसलिए चुदाई बड़े आराम से बड़े धीरे धीरे, मगर लगातार चलती रही। मेरी भतीजी की प्यासी जवानी को लंड मिला तो बस 3 मिनट की चुदाई से ही वो झड़ गई, वो मुझसे लिपट गई। मैंने भी उसके होंठों को अपने होंठों में जकड़ लिया कि अगर स्खलन के दौरान उसकी मुंह से कोई सिसकारी निकल गई, तो किसी और को न सुन जाए। मगर लड़की भी सयानी थी, मुंह से तो नहीं मगर चूत से जब पानी निकला तो वहाँ से आने वाली फच्च फच्च को वो रोक नहीं पाई। मगर सब कुछ बड़े ही रात के अंधरे में, रात के सन्नाटे में दब कर रह गया। उसके बाद जब मेरा होने वाला था तो मैंने कहा- लवी मेरा भी होने वाला है। वो बोली- चाचू, वेस्ट मत करना, मैं पी लूँगी। मैं तो और भी खुश हो गया। मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाला और उसके मुंह में दे दिया। साली ने क्या चूसा, ऐसा चूसा के एक मिनट में ही मेरे लंड ने धार मार दी, और सारा माल साली के मुंह में गया, और वो ऐसे पी गई, जैसे शर्बत हो। संतुष्ट होकर मैं उसकी बगल में ही लेट गया। फिर वो उठ कर अपने बिस्तर पर चली गई। अगली सुबह जब वो मुझे चाय देने आई, तो उसके चेहरे पर बड़ी प्यारी सी मुस्कान थी। अब तो ये रोज़ की ही कहानी हो गई है। जब भी, जैसा भी मौका मिलता है, मैं उसको या वो मुझको चोदने लगते हैं। और उसके बेटे से ज़्यादा उसका दूध मैं पी रहा हूँ। भाई की बेटी की चुदाई कहानी आपको कैसी लगी? [email protected]