मैंने मुस्कुरा कर हामी भर दी; नया माल जो मिलने वाला था. मैं पंजाब पहुँचा जहाँ अजय मेरा पहले से ही इंतजार कर रहा था!
अजय अपनी कार से मुझे अपने घर ले गया. वहां मेरी मीना से मुलाकात हुई. मीना भरा भरा जिस्म मुझे बहुत पसंद आया क्योंकि वैजयन्ती माला, हेमा मालिनी, ममता कुलकर्णी, सोनाक्षी सिन्हा जैसा भरा पूरा बदन जो मेरी कमजोरी रहा है!
वो गोरी नहीं थी सांवली थी लेकिन नयन नक्श ऐसे कंटीले कि उसे देखते ही हो जाये सबके ढीले हथियार खड़े होकर फिर कच्छे में पानी छोड़ कर ढीले हो जाएँ!
खैर … मीना मुझे देख कर थोड़ा नर्वस भी फील कर रही थी और मैं भी उसे देख कर थोड़ा नर्वस था जो कि लाजमी था हम दोनों के लिए!
अजय ने मेरे हाथ में तौलिया देते हुए कहा- आप जाकर फ्रेश हो जाइये, थकान कम महसूस होगी अभी! और भी काम करना है आपको!
और इतना कहते ही उसने आँख मार दी!
मैंने भी उसकी इस हरकत का जवाब मुस्कुरा कर दिया और बाथरूम में घुस गया. जब बाहर आया तो अजय चाय लेकर मेरे सामने खड़ा था. ठंडी का मौसम उस पर गर्म चाय और पकौड़े मन प्रसन्न करने के लिए और क्या चाहिये.
चाय पीते वक्त मैंने अजय से पूछ लिया कि उसने मुझे घर पर क्यों बुलाया वो होटल भी कर सकता था.
तो अजय ने बताया कि उन दोनों ये पहले कभी नहीं किया, उनका पहली बार है, होटल में मीना उतना सुरक्षित नहीं महसूस करती जितना घर पर होगी. और उन्हें मुझ पर भी विश्वास है कि मेरे साथ ये सब करने में उन्हें किसी तरह का कोई भय नहीं होगा.
यह सुनकर मुझे भी बड़ी प्रसन्नता हुई कि मेरे पाठक मुझे पढ़ने के साथ साथ मेरे साथ खुद को सुरक्षित भी महसूस करते हैं. और मित्रो, होना भी यही चाहिए; कोई आपको अपनी जीवनसाथी के साथ यौन के आनन्द का भोग लगाने के लिए तैयार है तो उसे आपसे बस यही एक उम्मीद होती है कि आप उसकी वाइफ के साथ जो पल बितायें, उन्हें हसीन यादगार बना दें ना कि सेक्स के बाद उसे या उसकी वाइफ को ब्लैकमेल करें. यह गलत भावना मन में नहीं होनी चाहिए.
खैर चाय खत्म हुई, अजय ने मीना को आवाज दी, मीना अंदर आयी. उसके जिस्म पर टाइट लोवर और टीशर्ट उसके बदन का बाहरी प्रदर्शन कर रहे थे, उसके स्तन और भरी भरी गांड मेरे मन में लालच और काम वासना को जगा रहे थे, मैं उसके जिस्म को अंदर से देखने की कल्पना में खोया हुआ था कि तभी अजय ने आवाज दी- राज राज … कहाँ खो गये?
मैंने हड़बड़ाते हुए जवाब दिया- कुछ नहीं … कुछ नहीं! हाँ बोलो क्या हुआ?
तब तक मीना वहां से चली गयी.
अजय मुस्कुराते हुए बोला- अब आगे का क्या प्लान है?
मैंने अजय को बोला- प्लान क्या होगा, जब वो राजी है.
तो अजय ने मुझे बताया- उसने हामी भरी थी लेकिन मैंने उसे ये नहीं बताया है कि हम अपना पहला सेक्स तुम्हारे साथ करने वाले हैं.
मुझे थोड़ी हैरानी हुई कि ‘जिस मीना के जिस्म का भोग मैं आसानी से कर लूंगा’ की उम्मीद कर रहा था वो इतना आसान भी नहीं था.
मैंने अजय को बोला- शाम को देखते हैं, तुम ड्रिंक्स का और म्यूजिक का इंतजाम करो.
शाम हुई, मैं और अजय टेबल पर बैठ गये, रम की बोटल सामने थी, साथ में था तन्दूरी चिकन … मतलब शराब थी, कवाब था; बस शवाब की कमी थी. तो अजय ने मीना को भी साथ में बुला लिया.
पहले पहले मीना ने मना किया लेकिन बाद में वो मान गयी, एक पेग लेकर मीना बोली- अभी आती हूँ.
और किचन में चली गई!
तब तक मैं और अजय बातें करते रहे. अजय बोला- बस राज भाई, आज मेरा सपना साकार कर दो, बहुत तमन्ना है मेरी अपनी बीवी को किसी और से चुदवाते हुए देखने की! उसकी मस्त सिसकारियाँ सुनते हुए अपना लंड हिलाने का मेरा सपना आज पूरा कर दो.
उसकी बातों से मैं रोमांचित हो उठा था, मन में मीना को भोगने की इच्छा और तेज हो उठी थी!
मैं मीना को जबरदस्ती जाकर भी चोद देता तो भी अजय मना नहीं करता. लेकिन कुछ भी हो, मीना एक स्त्री है उसका सम्मान हर हाल में होना चाहिए, उसकी इच्छा के विरुद्ध उसके साथ संभोग करना उचित नहीं था.
लिहाजा मैंने अजय के कान में कुछ कह दिया जिसे सुनकर अजय के चेहरे पर मुस्कान आ गयी!
अजय ने तभी मीना को आवाज दी, मीना आयी, उसके चेहरे पर शराब का असर था जो उसकी आँखें भी बयाँ कर रही थी.
तभी अजय ने उसे पास में बैठा कर एक हेवी पेग और पकड़ा दिया. अब मीना थोड़ी खुल भी गयी थी और शराब का असर भी उसे एक और लेने को मना नहीं कर पाया. लिहाजा उसने एक ही बार में पूरा पेग खत्म कर दिया और तन्दूरी मुर्गे के टांग को मुँह में डालकर काटने लगी!
उस समय मेरे मन में यही ख्याल आ रहा था कि ‘मीना, तुम अभी मुर्गे की टांग खाओ, बाद में मैं तुम्हारी जाँघों को भी ऐसे ही चाट चाट कर खाऊंगा.’
तभी मेरा ख्याल टूटा और मैंने अपने मन में कहा कि सच में हवस में इंसान जानवर बन जाता है!
अजय ने लाइट को कम कर दिया और म्यूजिक चालू कर दिया. मीना को उठाते हुए अजय मीना के साथ डांस करने लगा. डांस करते करते वो मीना के गालों में और कान में भी किस कर रहा था. मीना दोतरफे नशे में मस्त हुई जा रही थी. एक शराब का जो उसे अजय ने पिला रहा था, दूसरा वासना का जो अजय उसे उसके कोमल अंगों पर किस कर कर के जगा रहा था!
तभी अजय ने मुझे आवाज दी- राज आओ, तुम भी डांस करो न!
मैं उठ खड़ा हुआ और मीना का हाथ पकड़ते हुए बोला- भाभी, क्या आप मेरे साथ डांस करोगी?
मीना हिचकिचाई, वो मेरे साथ में असहज हो रही थी!
तभी अजय ने बोला- हाँ हाँ क्यों नहीं!
और उसने मीना को मुझे सौंप दिया.
मैंने मीना की कमर को पकड़ा और दूसरे हाथ से उसके हाथ को पकड़ कर डांस करने लगा. अजय ने मीना का एक एक पेग और बनाकर खुद ही उसके मुंह में गिलास लगाकर उसे पिला दी. साथ के साथ हम दोनों एक दूसरे को पकड़े डांस कर रहे थे!
शराब अब मीना को अपना असली रंग दिखाने लगी. मीना की आँखें और नशीली हो चली थी.
तभी अजय बोला- यार, बोतल खत्म हो गई है, मैं बाहर से एक हाफ़ और लेकर आता हूँ.
और वो बाहर चला गया.
मैं एक टक मीना को देख रहा था और उसके साथ डांस कर रहा था!
मीना बोली- ऐसे क्या देख रहे हो आप?
“आप बहुत खूबसूरत हो मीना जी!” इतना कहते ही मैंने उसकी गर्दन पर चूम लिया.
मीना एकदम चौंक सी गयी- ये क्या कर रहे हो आप?
मैं- वही जो तुम्हें देखकर कोई भी कोई भी पागल होकर कर जायेगा.
और इतना कहते ही उसके कान की लट को चूसने लगा.
मीना मचल पड़ी और बोली- अजय देखेगा तो क्या बोलेगा? ऐसा मत करो!
मैं मीना की बात को अनसुनी करते हुए उसके चेहरे पर किस पर किस करने लगा!
मीना फिर बोली- राज प्लीज़ मुझे बहकाओ मत, छोड़ो मुझे!
लेकिन मुझे आभास हो चुका था कि उसकी ‘ना’ बस जज्बाती है, अंदर से तो वो भी तैयार हो गयी है.
मैंने उसके होंठ पर होंठ रख दिये और प्यार से उन्हें चूसने लगा. होंठ … ये वही एक चीज़ है जिसे औरत जब बोलना शुरू कर दे तो उसके चुप करवाना मुश्किल हो जाता है और यदि इन्हीं होंठों को प्यार से चूसना शुरू कर दे तो भड़की हुई नारी भी वासना की आग में जलने लगती है.
लिहाजा मैंने भी उसके होंठों को चूसना जारी रखा. देखते ही देखते मेरे हाथ उसके स्तनों पर चले गये और उनका मर्दन करने लगे.
मेरे सभी पुरुष और महिला पाठक, आप महसूस कीजिये कि जब आपने पहली बार ये सब किया होगा या किसी महिला पुरुष के साथ इस स्थिति में रहे होंगे कि वो पुरुष आपके होंठों को चूम रहा है और उसका हाथ आपके स्तनों पर आ गया है तो क्या स्थिति होती है. यह एक कामुक नारी ही और उसे कामुक बनाने वाला वह पुरुष ही जानता है. यह स्थिति आग में घी का काम करती है कुछ ऐसा ही हाल था!
मैंने धीरे से मीना का हुड और टीशर्ट उतार दी. अब वो मेरे सामने ब्रा में थी. मैंने वक्त जाया न करते हुए उसके जिस्म को चूमना शुरू कर दिया, कभी उसके कंधे पर काट लेता तो कभी उसकी कमर को नोच लेता. कभी उसके गालों को तो कभी स्तनों को जोर जोर से चूसना शुरू कर देता.
वो पागल होती जा रही थी.
अब उसने भी मुझे अपनी बांहों में कसना शुरू कर दिया. मैंने मौके का फायदा उठाया और उसके लोवर को झटके से नीचे कर दिया. वो इस स्थिति में नहीं थी कि लोवर ऊपर कर पाती.
तभी मैंने उसे बिस्तर में धकेल दिया और अपने भी कपड़े उतार दिए.
बिस्तर में जाते ही उसने खुद को समेट सा लिया मानो अभी भी उसके अंदर की पतिव्रता नारी ने हार न मानी हो!
मैंने फिर से उसके चेहरे को चूमना चालू कर दिया. उसने दोनों टांगें कस कर भींच रखी थी; इतनी टाइट कि हवा भी न दोनों टांगों के बीच से निकल पाए! मैं उसके साथ जबरदस्ती भी नहीं करना चाहता था तो मैंने मौके की नजाकत को समझते हुए उसका लोवर ऊपर कर दिया! और फिर से उसके पेट स्तन को चाटने लगा. इसका लाभ यह हुआ कि वो फिर से दोनों टांगें सीधी करके लेट गयी और मेरा साथ देने लगी!
मैंने उसको पलट दिया अब उसकी पीठ मेरी तरफ थी. मैंने उसके कानों में किस करना फिर से चालू कर दिया. अब वो एक हाथ पीछे करके मेरे सर पर रख सहलाने लगी. मैंने भी उसके कंधे पर चाटते हुए उसकी टांगों के बीच अपनी दोनों टांगें डाल दी और उसके जिस्म से खुद को चिपका लिया. मेरा एक हाथ उसके स्तनों को दबा रहा था, दूसरा हाथ उसके पेट पर और उसके गालों को सहला रहा था.
तभी मैंने अपना दांव खेल दिया. मैंने अपनी एक टांग से उसकी नीचे वाली टांग को दबा दिया और दूसरी टांग से उसकी दूसरी टांग को दबा दिया. वो कुछ समझ पाती, इससे पहले ही मेरा हाथ उसके लोअर के अंदर डाल दिया!
उसने अपनी चूत को किसी दूसरे मर्द से न छूने देने की एक कोशिश फिर से की किन्तु इस बार मेरा दांव अनुभव से किया गया था. वो न अपनी टांगों को भींच पाई, न अपने आप को पीछे कर सिकुड़ने की कोशिश कर पायी. उसने छटपटाहट जारी रखी किन्तु तब तक मेरी उंगली उसकी योनि के ऊपरी भाग से होते हुए उसकी योनि की दरार में जा पहुँची.
वो ‘राज नहीं … राज नहीं …’ करती रही लेकिन इस ‘ना ना’ को मैंने अनसुना कर उंगली उसकी चूत में डाल कर उसे और उत्तेजित करना चालू कर दिया.
अब उसका छटपटाना समाप्त हो गया था, अब वो कमर ऊपर को उठा रही थी मानो मेरी उंगली को अंदर तक जाने देने के लिये आतुर हो! मैंने उसे धीरे से उसकी दोनों टांगों को अपनी दोनों टांगों से मुक्त कर दिया. मैं देखना चाहता था कि मीना अब भी खुद को बचाना चाहेगी?
मगर मीना अब खुद को समर्पित कर देने की अवस्था में आ चुकी थी तो उसने किसी प्रकार की कोई गतिविधि नहीं की. अब मैंने उसकी चूत में उंगली करते हुए उसे कमर के बल सीधा लेटा दिया अब उसके तने हुए स्तन मेरे सामने थे. मैं उन्हें चूसते हुए उसकी चूत और जाँघों में सहलाते हुए उसकी लोवर को नीचे खिसकाता जा रहा था और आगे होने वाले कार्यक्रम के लिए जगह बना रहा था.
मैंने उसके निप्पल्स चूसते हुए धीरे धीरे उसके पेट में चूमना चालू किया और फिर धीरे से जीभ को उसकी नाभि से रगड़ता हुए उसकी चूत तक जा पहुँचा. उस वक्त तक मीना ने लोवर नहीं उतारा था. मैंने थोड़ी सी कोशिश कर उसकी चूत तक जीभ पहुँचा ही दी और फिर जैसे ही जीभ उसकी चूत के अंदर जाने लगी, मीना की सिसकारियाँ बढ़ने लगी.
अब अलाम ये था कि उसने खुद ही अपने लोवर को उतार फेंका. अब उसकी गोरी गोरी जाँघों में उसकी पैंटी ही बची थी जो मैंने अपने चिपरिचित अंदाज में उतार दी. मतलब कि अपने दांतों से उसकी पैंटी को पकड़ कर नीचे उतार दिया और भूखे शेर के जैसे उसकी चूत पर टूट पड़ा.
वो मस्त हुई जा रही थी. इसका अभास मुझे तब हुआ जब मैं उसकी चूत में जीभ डाल कर जीभ को घुमा रहा था. तब मीना की ओर देखा तो वो मदहोशी में कभी अपने होंठों को काट रही थी, कभी अपने स्तनों को जोर जोर से नोंच रही थी. तो कभी अपने बालों को खींचती, मानो उसके बर्दाश्त के बाहर हो रहा था!
वो ना चाहते हुए भी सब कुछ चाह रही थी कि उसकी चूत में जल रही वासना की भट्टी में मैं अपने लंड को डाल कर वीर्य की बौछार से उसकी जलती हुई भट्टी को शांत कर दूं.
तभी मैंने अपने नीचे कुछ हलचल महसूस की. ये कुछ और नहीं मीना के पैर थे जो मेरे लंड (चूत का वैद्य) को खोज रहे थे मानो (महारानी) चूत ने (सेनापति) टांग को आदेश दिया हो कि जाओ उस लंड वैद्य को ढूंढ कर लाओ जो महारानी चूत की बेचैनी का इलाज कर सके!
कुछ ही क्षण बाद मीना ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे कानों में कहने लगी- कितना तड़पाओगे राज? अब नहीं रहा जाता. मुझमें समा जाओ!
मीना के हाथ मेरे अंडरवियर के अंदर जाने में समय नहीं लगा और उसने मुझे नग्न करने के लिए मेरे अंडरवीयर को नीचे कर दिया. अब मेरा लंड भी मीना की चूत के ऊपर था और कड़क हो चुका था!
मैंने अपना अंडरवीयर उतार दिया और अब मैं और मीना एक दूसरे के जिस्म से चिपके हुए सम्भोग से पहले की कामक्रिया का आनंद ले रहे थे.
तभी मेरी नज़र एक छाया पर पड़ी. मुझे समझने में देर नहीं लगी कि ये कोई और नहीं, अजय है.
लेकिन मैंने उसे छिपे रहने का ही इशारा दिया. मैं नहीं चाहता था कि अजय मीना के सामने आये और अजय को देख मीना बिना चुदे ही चली जाए. पहली बार उसका शर्माना भी लाजमी था!
अजय मेरे इशारे को समझ गया और छिप कर सब देखता रहा.
उधर मीना जल बिन मछली सी तड़प रही थी, उसे अब भोग चाहिए था, संभोग का भोग! लिहाजा उसने मुझे फिर से अपने ऊपर खींच लिया और अपनी टांगों को फैला दिया जिससे मेरा लन्ड उसकी चूत में जल्दी से जा सके. मैंने भी ज्यादा देर न करते हुए अपने लन्ड को उसकी चूत के बाहर रगड़ना चालू कर दिया और एक ही झटके में लन्ड मीना की चूत में घुसेड़ देने के लिये पूरा दम लगाया.
एक जोर की चीख सुनाई दी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… अअअ अऊऊ ऊऊच रुको राज! नहीं!
लेकिन तब तक पूरा जा चुका था!
मैं साधारण सा दिखने वाला युवक हूं लेकिन जिस तरह किसी सुंदरी को आने हुस्न पर नाज होता है ऐसा ही नाज मुझे भी है अपने लन्ड पर की जिसकी चूत में जायेगा निश्चित ही उसे आनन्द के सागर में गोते लगाने का पूर्ण मज़ा देगा!
वही हाल मीना की चूत में जाने पर अब उसका हो रहा था, उसे लंड का अनुमान अब भीतर जाने पर हुआ कि उसने बिना देखे ही क्या डलवा दिया अपनी चूत में! अब मैंने मीना के दोनों हाथों को उसके सर के पास ही अपने दोनों हाथों से कस के पकड़ लिया और उसके गाल, कान की लट को बारी बारी से चूसने लगा. मीना की सिसकारियाँ मुझे पागल किये जा रही थी!
एक कामुक नारी की सिसकारियों में इतना दम होता है को वो अपनी मादक सिसकियों से ही किसी भी मर्द के लन्ड का पानी निकल सकती है, तभी अजय भी नग्न हालात में मीना के मुख के सामने ही खड़ा हो गया मीना थोड़ी हैरान थी कि वो अपने पति के सामने ही किसी पराये मर्द के नीछे लेटी थी, वो भी नग्न हालात में!
वो कुछ बोल पाती, उसी समय अजय ने अपना लन्ड उसके हाथ में दे दिया और उसके होंठों का रसपान करने लगा!
कुछ ही समय में मीना सहज हो गयी. अब मैं उसकी चूत पर अपने लन्ड से तेजी से धकाधक प्रहार कर रहा था और मीना मस्ती में अजय का लन्ड मसलती जा रही थी अजय उसे घूर घूर कर मुझसे चुदते हुए देख रोमांचित हो रहा था तीनों को आनंद की प्राप्ति हो रही थी.
मुझे किसी और की स्त्री को भोगने के आनंद …
मीना को पराये मर्द के लन्ड का आनंद
और अजय को अपनी बीवी को किसी गैर पुरुष से सम्भोग करते देखने का सुख मिल रहा था.
अब मीना ने अपनी कमर को तेजी से ऊपर उठना शुरू कर दिया, शायद अब वो झड़ने वाली थी!
उसकी बढ़ती ही सिसकारियाँ मुझे और अजय दोनों को बेचैन कर रही थी, उसकी साँसें जितनी तेजी से अंदर बाहर हो रही थी, उतनी ही तेजी से उसके स्तन भी गतिमान हो ऊपर नीचे हो रहे थे! तभी मीना ने अजय के लन्ड को छोड़कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे कान गर्दन पर काटने लगी. उसके नाखून मेरी पीठ में घुसने लगे लेकिन मैंने अपने चोदने की गति को बनाये रखा और उसके बाद मीना मुझे कुछ इस प्रकार जकड़ लिया मानो कोई बेल किसी वृक्ष पर लिपट गयी हो!
उसकी मादक सिसकारियाँ निकली ‘आहहहह हम्म्म्म ऊफफ …’ करते हुए वो झड़ने लगी और मेरी गर्दन पर चाटते हुए मेरे कूल्हों को दोनों हाथों से जोर जोर से धकेलने लगी. तभी मेरा भी वीर्य उसकी चूत में छूट गया. मीना और मैं इसी तरह एक दूसरे को जकड़े हुए कुछ देर लेटे रहे और फिर हांफते हुए अलग हुए.
अब मीना की कामेच्छा शांत हो गयी थी और नशे में ये सब होने के कारण वो नंगी ही बिस्तर में सो गई.
तभी अजय भी बिस्तर में आया और हमारे साथ ही सो गया!
सुबह जब मेरी नींद खुली तो मैंने देखा मीना शांत पड़ी जाग रही थी उसके चेहरे पर मायूसी थी! उसने खुद को कम्बल से लपेट रखा था.
मेरी सेक्स कहानी पर मुझे आप सभी के मेल का इंतजार रहेगा.
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