यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
← बीबी की चूत-गांड में मजे की उलझन-7
दोस्तों अब मेरी कहानी का आखिरी सोपान आ गया है. उस सुबह चौधरी को कुछ काम था, मैं सो के उठी तो वो जा चुका था।
मैंने और चौधराइन ने फ्रेश हो के नहा धो के नाश्ता किया।
मैं जाने लगी, तो पहली बार चौधराईन ने मुझे बांहों में भरा, मेरे होंठ चूमे- तू अच्छी है, बहुत मज़ा दिया … आती रहा कर!
मैं उससे चिपकी हुई खड़ी रही।
“क्या बात छोरी, कोई परेशानी है? या कुछ चाहिए?”
“जी!”
“क्या चाहिए, बोल?”
मैंने धीरे से उसके कान में फुसफुसा के कहा- जी आज जाने से पहले एक बार और आपके चूतड़ों को चूमना चाहती हूँ और …
“बोल बोल … खुल के बोल?”
“और एक बार आपकी चूत की सुनहरी धार से तृप्त होना चाहती हूँ.”
“हाय हाय तू बड़ी प्यारी है कामिनी … आज पहले पीछे!”
और उसने अपना लहंगा कमर तक उठा दिया।
उसके नीचे शायद वो कभी कुछ नहीं पहनती थी। मैंने जी भर कर उसके चूतड़ों को प्यार किया, गांड को चूसा चाटा।
फिर उसने मुझे आगे आने को कहा और बोली- छोरी अच्छे से मुंह लगा ले … मैं धीरे धीरे करूँगी, बाहर नहीं गिरना चाहिए.
“नहीं गिरेगा!”
मैंने अपने होंठ चूत से जोड़ दिए, बांहें चूतड़ों पे कस गयीं और फिर आहिस्ता आहिस्ता चौधराइन का सुनहरी जल मेरे मुंह में आने लगा। वो मूतती रही और उसका पेशाब मेरे गले को तर करता रहा।
फिर मैंने प्यार से उसकी चूत को चाटा।
मैं खड़ी हुई और उसने प्यार से मुझे अपने सीने से लगा लिया- तू बहुत प्यारी है! कभी कोई काम हो तो बताना। एक मिनट रुक!
वो अंदर गयी और बाहर आकर नोटों की एक गड्डी मेरी ब्रा में डाल दी।
मैंने निकाल के वापस कर दी- माफ कीजिये … पर मैं पैसे नहीं लूंगी। आपका प्यार मिलता रहे बस!
उसने पैसे तो ले लिए लेकिन अपने गले से चेन निकाल के मेरे में गले में डाल दी- अब ये वापस नहीं लूंगी.
मैं मुस्कुरा दी।
हम दोनों ने होंठों का एक चुम्बन लिया और फिर मैं वहां से चल पड़ी।
मैं मम्मी के घर से वापस आ गयी थी और अपने दोनों पतियों के साथ रहने लगी थी, खुशी खुशी।
एक दिन:
उपिन्दर आया हुआ था। हम तीनों शाम को चाय पी रहे थे। तब मैंने दोनों को बताया कि शैली की शादी की तारीख पास आ गयी है।
अंजू बोली- हाँ …
उपिन्दर ने कहा- मज़ा तो तब है जब शादी के बाद सुहागरात से पहले शैली मेरे नीचे आये!
अंजू ने कुछ सोचा और फिर एक हाथ मेरी बगल में डाला और मेरी चुचियाँ दबाने लगी। मैं समझ गयी कि इसके अंदर कुछ खुराफात चल रही है।
मैंने पूछा- क्या इरादा है पतिदेव?
बोली- सोच कितना मज़ा आएगा। फेरों के बाद तेरी बहन लाल जोड़े में हमारे पास आये। तेरे पहले पति की चूत को प्यार करे और तेरे दूसरे पति और बॉय फ्रेंड से चुदवाये। सुहागरात की पूरी रिहर्सल हो जाएगी.
उपिन्दर बोला- मेरा तो सोच सोच के ही खड़ा हो रहा है.
अंजू ने कहा- मेरी भी चूत में पानी आ रहा है। पर ये होगा कैसे?
“एक तरीका बन सकता है.” मैंने कहा।
“कैसे?”
“देखो, मेरी मम्मी तुम दोनों की क्या लगती है ये तो हमें पता ही है.”
अंजू बोली- कामिनी, तू कहने में शरमा क्यों रही है? तेरी माँ हमारी रखैल है, माल है हमारा। पर हम ये बात उससे कहेंगे तो वो थोड़े ही मानेगी.
“हाँ, ऐसे तो शायद न माने, लेकिन जो मैं सोच रही हूँ वो ये कि … देखो तुम्हारे ख्याल से मम्मी सिर्फ उपिन्दर के नीचे लेटती है?”
“अरे नहीं अपने शहर में भी कइयों के बिस्तर गरम करती होगी.”
“सही है, लेकिन उसे सबसे ज्यादा पसन्द है उपिन्दर, इसका मस्त लण्ड, इसके धक्के! मेरा आईडिया ये है कि मम्मी को यहाँ बुलाएं और उसके बाद उपिन्दर उसे एक दो दिन खूब प्यार करे!”
“मतलब तबियत से रगड़े, पेले”
“हाँ अंजू, जब मम्मी खुश हो जाएगी तो मैं उसे मना लूँगी। प्रोग्राम कैसे हो ये मम्मी जुगाड़ लगा लेगी और फिर शैली को मौका मिल जाएगा तो वो तो खुशी खुशी सुहागरात की रिहर्सल करेगी.”
“ठीक है।”
उपिन्दर ने फोन लगाया, स्पीकर ऑन किया:
“हैल्लो उपिन्दर, कैसे हो?”
“वैसे तो ठीक हूँ, पर आज रानी तेरी बड़ी याद आ रही है.”
“अच्छा जी, कितनी याद आ रही है?”
“अंडरवियर फटने को है.”
“लगता है अंजू या कामिनी कोई तुम्हारे पास सब खोल के बैठी है.”
“अरे नहीं मालिनी मेरी जान, मैं अपने घर में हूँ, अकेला!”
अंजू ने मेरी चुचियाँ दबाईं और मुस्कुराई।
“जल्दी से सब कुछ खोल कर आजा मेरी बांहों में!”
“ठीक है मैं कल शाम तक कामिनी के घर पहुंच जाऊंगी!”
अंजू बोली- आ तो रही है, अब कल का क्या प्रोग्राम है।
मैंने दोनों को समझा दिया।
अगले दिन शाम को मम्मी आयी।
“अरे मम्मी आप? कोई खबर नहीं की?”
मम्मी बस मुस्कुरा दी।
मैं अंजू और मम्मी चाय पी रहे थे। मम्मी कुछ बेचैन लग रही थीं।
अंजू ने पूछ ही लिया- कुछ परेशान लग रही हैं?
“वो असल में उपिन्दर ने बड़ा ज़ोर दे कर बुलाया था, मैं सोच रही थी कि वो यहीं होगा.”
हम दोनों खिलखिला के हंस पड़े।
“तुम दोनों को पता है?”
अंजू ने मम्मी का पल्लू गिराया, दोनों चुचियाँ दबाईं- हाँ उसे और उसके लण्ड को आपकी याद आ रही थी। आज स्पेशल प्रोग्राम होगा.
“उसमें स्पेशल क्या?”
“आज उपिन्दर आपके साथ सुहागरात मनाएगा.”
“अरे मतलब मेरी लेगा न?”
“मतलब ये कि अभी आप नई नवेली दुल्हन की तरह सजेंगी, वो आएगा, आपको अपने घर ले जाएगा और फुल सुहागरात होगी.”
मम्मी शरमा गयी।
फिर मम्मी ने लाल जोड़ा पहना, लिपस्टिक, बिंदी, नई चूड़ियां, पूरी सज के तैयार हो गयीं।
उपिन्दर आया, बड़े प्यार से मम्मी का हाथ पकड़ा और गाड़ी में बिठा लिया।
“अरे कामिनी, अंजू तुम लोग नहीं चलोगे?”
“मम्मी हमारा वहां क्या काम?”
वे दोनों चले गए।
हम दोनों बैठ गए, बोतल खुल गयी, पेग शुरू हो गए।
अंजू ने कहा- अब तक तो सब ठीक हो रहा है.
“हाँ मम्मी बहुत खुश लग रही थीं। वहां बिस्तर पे फूल बिछे हुए हैं। बढ़िया शराब और उपिन्दर का हथियार। सुबह तक मम्मी मस्त हो जाएंगी और कल हमारा काम हो जाएगा.”
ऐसी ही बातें करते हुए हम बेड पे आ गए।
चुम्मियां शुरू हो गयी, कपड़े उतर गए।
वो मेरी चुचियाँ दबा रही थी, अचानक बोली- कामिनी, उपिन्दर को फोन करते हैं, पूछते हैं क्या हो रहा है.
“अंजू पूछना क्या, पता तो हमें है ही कि क्या हो रहा होगा। दोनों शराब के नशे में होंगे। बिस्तर पे फूल मसले जा रहे होंगे, उपिन्दर का लण्ड मस्त खड़ा होगा। मेरी माँ नंगी या तो टांगें चौड़ी कर के लेटी होगी, या घोड़ी बनी होगी। लौड़ा उसकी भोसड़ी में होगा, उपिन्दर पेल रहा होगा, मेरी माँ चुद रही होगी। कमरे में फचाक फचाक की आवाज़ आ रही होगी.”
“हाय रानी क्या बयान किया है, आ जा मेरी जांघों के बीच!”
मैंने मुंह लगा दिया। मेरे होंठ चिपक गए अंजू की खूबसूरत चूत पे। जीभ फिसलने लगी, कभी चूत की फांकों पर, कभी गहराई के अंदर।
फिर वो पलट के मेरे ऊपर आ गयी। वो मेरे ऊपर लेटी हुई थी। जांघों के बीच में मेरा मुंह और उसके चूतड़ों पर लिपटे हुई मेरी बांहें। मैं अपने पति की चूत के स्वाद और सुगन्ध की मस्ती में थी। कभी कभी उसकी कमर हिलने लगती थी, जैसे कोई मर्द औरत का मुंह चोद रहा हो। फिर उसकी चूत का पानी झड़ के मेरे अंदर आ गया। हम एक दूसरे से लिपट गए।
“दूसरे छेद का स्वाद लेगी?”
“ये भी कोई पूछने की बात है? तुम मेरे चेहरे पे बैठोगी?”
“नहीं.” कह के वो उल्टी लेट गयी और मैं प्यार करने लगी।
मैंने उसके चूतड़ों पे चुम्बनों की झड़ी लगा दी। फिर उन्हें चौड़ा किया और चूसने चाटने लगी भूरे छेद को। बहुत देर तक चाटा मैंने … दोनों मस्त हो चुके थे।
“कामिनी अब सोएं?”
मैं बस मुस्कुरा दी।
“समझ गयी मैं, यहीं पे?”
“नहीं बाथरूम में चलते हैं.”
“चल!”
उसने मेरी नंगी कमर में हाथ डाला और हम चलने लगे।
“कामिनी वो दोनों सो गए होंगे?”
“क्या पता, उपिन्दर भी मम्मी को ऐसे ही बाथरूम में ले जा रहा हो सोने से पहले सुनहरी जल पिलाने!”
“हाँ शायद!” वो मुस्कुराई.
बाथरूम में मैं सीट पे बैठ गयी, वो सामने खड़ी थी लेकिन आज उसने चूत मेरे होंठों से नहीं जोड़ी। थोड़ा दूर से ही चमकती हुई धार शुरू हो गयी। मेरा चेहरा भीगने लगा और कुछ खुले होंठों से अंदर मेरे गले को तर करने लगा।
उसके बाद हम सो गए।
सुबह देर से उठे, आराम से नहा धो के नाश्ता किया। फिर सोचा पता करें कि वहां क्या हुआ।
मैंने मम्मी को फोन किया, फोन उपिन्दर ने उठाया।
“मम्मी कहाँ है?”
“वो नहा रही है.”
अंजू बोली- तो तुम बाहर क्यों हो। तुम्हें भी बाथरूम में होना चाहिए.
“अभी बाहर आया हूँ.”
“क्या किया रात भर?”
“अरे मालिनी एकदम मस्त हो गयी है। रात को दो राउंड चोदा, एक बार लिटा के ऊपर चढ़ा और एक बार घोड़ी बना के पेला। फिर सो गए। मेरी 5 बजे नींद खुली। वो भी बगल में नंगी ही थी। थोड़ा हाथ फेरा, दबाया, गर्म हो गयी। उसका पिछवाड़ा ठोका, फिर सो गए। अभी उठे, फ्रेश हुए। उसके बाद जब हमारी रखैल नहाने गयी तो मैं साथ में गया। शावर के नीचे लौड़ा चुसवाया। अभी बाहर आया हूँ।”
“अब क्या प्रोग्राम है?”
“नाश्ते के लिए तो बहुत देर हो गयी है। खाना मंगवा लिया है। दो तीन पेग, छोले भटूरे, एक राउंड चुदाई, थोड़ा आराम, शायद एक नींद बस फिर शाम को ले आऊंगा.”
“बढ़िया!”
शाम हुई, दोनों आये। उपिन्दर पैंट शर्ट में और मम्मी नई जीन्स और टॉप में!
दोनों कपड़े एकदम टाइट … और टॉप तो बस ब्रा से थोड़ा ही बड़ा था। कमर, नाभि और पीठ का नीचे का हिस्सा नंगा और सारे उभार चमकते हुए।
आते ही मम्मी बोली- सच मज़ा आ गया कल रात और आज दिन भर और फिर ये शॉपिंग। मुझे लग रहा है मैं एकदम जवान हो गयी हूँ.
अंजू ने कहा- मालिनी तू तो है ही पटाखा, आज इन कपड़ों में तो माल लग रही है। कोई नौजवान देख ले तो अभी शादी कर ले!
“हाँ मम्मी, आप ऐसे ही कपड़े पहना करो। बल्कि टॉप थोड़ा और छोटा होना चाहिए और कभी जीन्स की जगह एकदम कूल्हों और जांघों से चिपकी हुई शॉर्ट्स पहनना, और ज्यादा सेक्सी दिखोगी।”
मम्मी शर्मा गयी और बोली- अब क्या प्रोग्राम है?
“ये भी कोई पूछने की बात है। कल आपकी सुहागरात हुई है, तो आज भी वही प्रोग्राम आगे चलेगा। पहले चार चार पेग फिर उसके बाद आपकी सुहाग रात का पार्ट 2 लेकिन आज हमारे सामने होगा.”
उपिन्दर बोला- कामिनी 4 पेग की कोई खास वजह?
“हाँ, आज तुम और मम्मी हीरो हीरोइन हो और मैं और अंजू दर्शक। तो हर पेग के बाद हीरो हीरोइन एक दूसरे का एक एक कपड़ा उतारेंगे। कपड़े 4 तो पेग भी 4”
“वाह कामिनी मस्त आईडिया है.” कह के अंजू ने मेरे होंठ चूस लिए।
शराब शुरू हो गयी। एक पेग खत्म हुआ तो मम्मी ने उपिन्दर की पैंट उतार दी।
“मालिनी, जब पर्दा खोला है तो अंडरवियर पे एक चुम्मी तो बनती है.”
“ज़रूर!” मम्मी ने होंठ लगाए और उपिन्दर ने उसका सिर थोड़ी देर वहीं दबा के रखा।
फिर उपिन्दर ने मम्मी का टॉप उतार दिया और पीछे से जकड़ के ब्रा के कप में छुपे हुए उभार दबाए- दिल तो कर रहा है कि अभी नंगी करके नीचे लिटा लूँ.
दूसरे पेग के बाद मम्मी ने उसकी बनियान और उपिन्दर ने मम्मी की जीन्स उतार दी।
नई ब्रा और नई स्ट्रिंग पैंटी सफेद रंग की और एकदम महीन कपड़ा। मतलब कपड़े में से चूत का हर कटाव दिख रहा था और पीछे तो कूल्हों के बीच में बस एक डोरी थी, चूतड़ नंगे।
“उपिन्दर, मेरे से ये नज़ारा देख के रहा नहीं जा रहा, एक चुम्मी ले लूँ?”
“ज़रूर!” मैं सामने बैठ गयी और चूत पे खूब जीभ चलाई।
मम्मी गर्म हो गयी और पैंटी थोड़ी गीली हो गयी।
तीसरे पेग के बाद उपिन्दर सिर्फ कच्छे में आ गया और मम्मी की भी ब्रा उतर गयी।
और हम चारों नशे में।
अंजू मम्मी के पास गयी, प्यार से चुचियाँ दबाने लगी- सच मालिनी, आज तो ये बहुत खूबसूरत लग रही हैं.
और फिर थोड़ी देर दबाती रही।
चौथा पेग … मम्मी ने उपिन्दर का कच्छा उतारा और लण्ड पे चुम्मी ली। उपिन्दर ने मम्मी की कच्छी उतारी और- मालिनी अब तो अंदर घुसाना है, बता कहाँ?
“दोपहर तुमने मेरी चूत मारी थी, अब पीछे!”
उपिन्दर ने लौड़ा मेरी मम्मी की गांड में घुसाया और मम्मी को अपनी गोद में बिठा लिया और चुचियाँ दबाने लगा।
“मालिनी, शैली की शादी है न!”
“हाँ तुम सबको आना है!”
“वो तो आएंगे ही, पर मैं कुछ और सोच रहा था!”
“कुछ सोचो मत … और टेंशन भी मत लो। शादी के बाद भी वो यहां आती रहेगी.”
“हाँ मम्मी, वो तो आएगी ही। मुझे पता है उसे मेरे दोनों पतियों के साथ मज़ा आता है। हम कुछ और सोच रहे थे.”
उपिन्दर अब एक हाथ से चूची दबा रहा था दूसरे से चूत सहलाने लगा।
मम्मी पूरी गर्म- क्या सोच रहे थे?
“देखिए शादी देर रात को खत्म होगी फिर 3-4 घण्टे बाद विदाई और अगली रात को सुहागरात। ऐसा करते हैं … हम एक नई रस्म करते हैं.”
“कौन सी?”
“फेरों के बाद और विदाई से पहले शैली की सुहागरात की रिहर्सल हो। उपिन्दर, राजेश और अंजू के साथ। 2-3 घण्टे तो होते हैं, मज़ा आ जाएगा.”
“ज़रूर … उपिन्दर ने मुझे इतना मज़ा दिया है, ये ही जाएगा, पक्का!”
अंजू तुरन्त उठी, अपनी सलवार कच्छी उतारी, एक पैर सोफे पे रखा और मम्मी के होंठों पे अपनी चूत जोड़ दी।
फिर उपिन्दर बोला- आज तो मम्मी को धन्यवाद देना चाहिए। चलो बिस्तर पे!
मैं और अंजू भी नंगे हो गए। सब नशे में थे।
अंजू बोली- धन्यवाद कैसे दें?
“मैं बताती हूँ। उपिन्दर तुम कैसे गांड मारोगे?”
“जैसे मालिनी चाहे!”
“करवट लिटा के साइड से मार सकते हो?”
“बिल्कुल!”
मम्मी को करवट से लिटाया और पीछे से चूतड़ों के बीच के छेद में घुसा दिया। अंजू ने मम्मी का चेहरा अपनी जांघों में ले लिया और मैं अपनी माँ की भोसड़ी चूसने लगी।
उपिन्दर ठोकने लगा … उसने मस्त मेरी माँ की गांड मारी।
गांड मरवाने के बाद मम्मी सो गयी।
उपिन्दर ने प्यार से मुझे चूमा- तूने काम बना दिया, कल सुबह तुझे धन्यवाद दूंगा।
“मैं तो अभी दूंगी! आजा कामिनी!”
और फिर बैडरूम में मैं और अंजू और वो सब हुआ जो मुझे अच्छा लगता है.
कहानी जारी रहेगी.
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