सलहज की चुदाई कहानी में पढ़ें कि मेरी शादी के बाद बीवी के मायके से मैं उसे लिवाने गया तो मैंने रात में अपने कमरे में बुलाया. लेकिन हुआ क्या?
मेरा नाम आलोक है, मैं जयपुर राजस्थान से हूँ. मैं महिलाओं के शरीर की मसाज करता हूँ. मैं फ्री सेक्स कहानी का नियमित पाठक हूँ.
अभी मेरी उम्र 27 साल है. वैसे तो मेरे जीवन में बहुत घटनाएं हुई हैं जिन्हें मैं आप लोगों को एक एक करके बताता रहूँगा.
ये सलहज की चुदाई कहानी अभी कुछ दिन पहले की है.
मेरी शादी को तीन महीने ही हुए थे. एक दिन बीवी ने मायके जाने की जिद की.
नई शादी हुई थी, उसे भेजने का मेरा मन तो नहीं था … मगर मैंने उसकी खुशी के लिए हां कर दिया था.
अगले दिन उसका बड़ा भाई उसे लेने के लिए आ गया.
उसके भाई की उम्र 38 साल की रही होगी. उनकी चार साल पहले शादी हुई थी. देर से शादी होने का कारण ये था कि बहुत मुश्किल से उनके लिए कोई पसंद की लड़की मिली थी.
पत्नी के मायके चले जाने के बाद मैं रात की भी बुकिंग लेने लग गया. लंड को रोज नई नई चूत चोदने को मिल रही थी, तो मुझे बीवी की कमी महसूस नहीं हुई.
लेकिन दस दिन बाद एक महामारी ने पूरे देश को घेर लिया. कोरोना महामारी के चलते मेरा काम भी बंद हो गया.
अब मैं चुत के लिए तरसने लगा. बीवी भी लॉकडाउन की वजह से नहीं आ सकती थी. मेरा बुरा हाल हो रहा था.
ऐसे ही चुत के बिना चालीस दिन निकल गए थे. अब लंड को किसी भी तरह चूत चाहिए थी.
मैंने बीवी को फोन करके बोला- मैं रात को बाईक से तुझे लेने आ रहा हूँ.
उसने कहा- ठीक है, मगर ध्यान से आना.
मैं घर से बीवी को लेने ससुराल रात को 3 बजे निकल गया. सुबह 7 बजे ससुराल पहुंचा, तो मेरा खूब स्वागत हुआ.
मेरी ससुराल में मम्मी पापा भाई और भाभी थे.
भाभी की उम्र 26 साल थी. वो बहुत सुन्दर मगर शर्मीले स्वभाव की थीं.
जैसा कि मैंने ऊपर लिखा था कि उनकी शादी को चार साल हो गए थे. पर उन्हें कोई संतान नहीं थी.
दिन भर सबसे बातें हुईं.
मैंने अपनी पत्नी को बोला कि रात को मेरे साथ ही सोना.
पत्नी- ये नहीं हो सकता … घर चल कर कर लेना, यहां ये सब नहीं हो पाएगा.
मेरे लौड़े में आग लगी थी. मैंने कहा- मुझे नहीं पता, बस तुम रात को कुछ भी करके मेरे कमरे में आ जाना.
वो भी शायद वासना की आग में जल रही थी तो वो बोली- ठीक है मैं दूध देने के बहाने से आ जाऊंगी.
रात हुई तो मैं अपने कमरे मैं आकर लाईट बंद करके लेट गया.
मैं पिछली पूरी रात का जगा था, तो जल्दी ही मेरी आंख लग गई.
एक घंटे बाद किसी के आने की आहट हुई. मेरी नींद खुल गई और मुझे लगा कि मेरी बीवी चुदने के लिए आ गई है.
चुत मिलने की आशा से मेरा लंड खड़ा हो गया.
मैंने अंधेरे में ही उसको बेड पर खींच लिया.
वो चिल्लाती, उससे पहले ही मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूसने लगा.
पर मेरी पत्नी मेरा साथ नहीं दे रही थी, वो तो बस मुझसे छूटने की कोशिश में लगी हुई थी.
मुझे गुस्सा आ गया.
मैंने कहा- इतने दिन से बिना तेरी चूत के लंड में आग लगी हुई है … और तुम हो कि चुदना नहीं चाह रही हो.
ये कहते हुए मैंने उसका हाथ मेरे लम्बे और काफी मोटे लंड पर रखते हुए बोला- देख, कैसे खड़ा है ये … बस एक बार चोद लेने दे … फिर चली जाना. अंधेरे में किसे पता चल रहा है कि हम चुदाई कर रहे हैं. तेरी चूत भी तो प्यासी है लंड के लिए, तो मना मत कर यार.
वो कुछ नहीं बोली, पर खड़े लंड को छूकर थोड़ी ढीली जरूर पड़ गई.
फिर मैंने उसके मुँह में अपनी जीभ घुसा दी और उसकी जीभ को चूसने लगा.
मुझे बहुत मजा आ रहा था. इतने दिन बाद जीभ का रस पी रहा था.
फिर मैंने उसकी गर्दन पर पागलों की तरह चूमना चाटना शुरू कर दिया.
मेरी पत्नी की मादक सिसकारियां निकलने लगीं. वो मजे में ऐसे गोते लगा रही थी जैसे मैं उसके साथ पहली बार चुसाई कर रहा हूँ.
फिर मैंने उसका ब्लाउज निकाल दिया. कमरे में अंधेरा था, सो कुछ दिखाई तो नहीं दिया … मगर उसके बोबे कुछ ज्यादा ही बड़े लग रहे थे. शायद 38 इंच के रहे होंगे.
मैंने सोचा मेरी वाईफ के तो इतने बड़े नहीं है, ये तो दोनों हाथों में ही नहीं आ रहे हैं.
एक बार को मैंने सोचा कि मैं किसी और को तो नहीं चोद रहा हूँ. मगर लंड में आग लगी थी तो मैंने पहले लौड़े को ठंडा करना ज्यादा ठीक समझा.
मगर एक बार दूसरी लुगाई का अंदेशा हो गया था, तो मैं उसकी हर चीज टटोलने लगा. कुछ ही देर में मैं सब समझ गया था कि ये तो भाभी है.
उनको लग रहा है मैं उन्हें अपनी पत्नी समझ कर चोदने जा रहा हूँ.
भाभी बहुत ज्यादा शर्मीले स्वाभाव की हैं … शायद इसलिए नहीं बोल पा रही थीं कि मैं आपकी भाभी हूँ बीवी नहीं.
ये भी हो सकता था कि भाभी इस भूल का फायदा उठा रही हों. वो अनजान बन कर ही मेरे मोटे लंड से चुदना चाह रही हों.
उनकी शादी को चार साल हो गए थे कोई बच्चा भी नहीं हुआ था, दूसरे मर्द से चुदने की एक वजह ये भी हो सकती थी.
शायद मेरे साले की उम्र 38 साल की होने की वजह से वो 26 साल की यौवना को तृप्ति नहीं दे पा रहा हो. इसलिए भाभी आज मुझसे चुदना चाह रही थीं.
कारण जो भी हो, मुझे तो नई चूत चोदने मिल रही थी. मैंने भी ठान लिया था कि आज भाभी को अपने अनुभव का पूरा मजा देना है.
ये सोच कर मैंने भाभी का ब्लाउज निकाल दिया और ब्रा भी खोल दी. मैं अपने दोनों हाथों से उनके बोबे दबाने लगा.
भाभी के बोबे बहुत मोटे थे.
मैं अंधेरे की वजह से भाभी के दूध देख तो नहीं पा रहा था. मगर उनकी मांसलता को बड़ी मस्ती से भंभोड़ रहा था.
मर्द के सख्त हाथों से मर्दन करवाने में भाभी को भी बहुत मजा आ रहा था.
अब उनके मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगी थीं. मैंने उनके एक दूध को मुँह में ले लिया और जीभ को निप्पल पर घुमा घुमा कर मजा लेने लगा.
भाभी मस्ताने लगी थीं और ‘आहह … उंह ..’ करके अपनी दबी हुई सिसकारियां निकाल रही थीं.
उनको डर था अगर मुझे पता लग गया कि वो मेरी बीवी नहीं है, तो मैं उनको बिना चोदे छोड़ दूंगा.
उनकी दबी हुई आवाजें इस बात को इशारा कर रही थीं कि आज भाभी अपनी सारी प्यास बुझाना चाह रही थीं.
अब मैंने भाभी के दूसरे बोबे को मुँह में ले लिया और मजे से चूसने लगा. दूसरे हाथ से मैं भाभी के बोबे को भी दबा रहा था.
फिर मैंने अपना एक हाथ भाभी की साड़ी में होते हुए पैंटी के अन्दर ले जाकर उनकी चूत पर रख दिया.
भाभी की चूत पर बहुत बाल थे.
मैं अपने हाथ की एक उंगली भाभी की चूत में घुसाने लगा. भाभी की चूत इतनी टाइट थी कि उंगली भी धीरे धीरे अन्दर हो रही थी.
भाभी ‘आआआआह ..’ करती हुई अपने हाथों से कभी बेडशीट को पकड़तीं … तो कभी तकिये को भींच लेतीं.
मैं आज उनको काम के सागर में डुबो देना चाहता था. मैं उंगली को चूत में घुसाते हुए ही अंगूठे से चूत के दाने को रगड़ने लगा.
इस समय भाभी के आनन्द की अनुभूति को वही महिला अनुभव कर सकती है, जिसने ये सब किया हो.
मेरी एक उंगली भाभी की चूत में और अंगूठा उनकी चूत के दाने पर था.
मस्ती को बढ़ाने के लिए मैंने अपने मुँह में भाभी के एक बोबे को लेकर चूसने लगा. खाली हाथ से उनके दूसरे बोबे को दबाने लगा.
अब सोचो चूत में उंगली, चूत के दाने पर अंगूठे की रगड़न के साथ बोबे का चूसन और मर्दन … किस औरत को भला मजा नहीं आएगा.
यही हुआ … भाभी जल बिन मछली की तरह तड़प रही थीं और अपनी कमर उछाल रही थीं. उनकी दबी हुई आवाज में मादक सिसकारियां उनके आनन्द की पराकाष्ठा को बयान कर रही थीं.
कुछ देर बाद मैंने अपनी जीभ को भाभी की नाभि में घुसा दी और उस मदमस्त छेद की गहराई में मैं जीभ को घुसा घुसा कर चाटने लगा.
भाभी की बढ़ती हुई सिसकारियां मुझमें जोश भर रही थीं.
अब मैंने समय की नजाकत को समझते हुए भाभी की साड़ी पेटीकोट को निकाल दिया और उनके पैरों के बीच में आ गया.
मैंने उनकी पेंटी निकाल दी.
मैं उनकी चूत को जैसे ही चूसने लगा, उनकी जोर से सीत्कार निकल गई. मैंने 69 में होकर उनके मुँह में मेरा लंड दे दिया और मैं अब उनकी चूत को जीभ से चाटने लगा.
भाभी भी मेरे लंड को आईसक्रीम की तरह ऐसे चूस रही थीं जैसे इसे वो आज खा जाएंगी या उनको बाद में लंड मिलेगा ही नहीं.
मैंने सोचा कि ज्यादा देर करना ठीक नहीं है … साले को या मेरी बीवी को पता लग सकता है. इसलिए इस शर्मीली भाभी को अब चोद ही देना चाहिए.
मैंने भाभी के दोनों पैर खोले और लंड को चूत पर रगड़ने लगा.
भाभी अपने हाथ से लंड पकड़ कर चूत के चूत के छेद में दबाने लगीं. मैंने भी देर ना करते हुए आधा लंड उनकी चूत में उतार दिया.
उनके मुँह से ‘आहहहह … मर गई ..’ निकल गई थी. ये दर्द की वजह से तड़फ थी … या मीठे मजे की वजह से थी. ये बात मोटे लंड से चुदने वाली स्त्रियां ज्यादा ढंग से समझ सकती हैं.
मेरे लंड को ऐसा लग रहा था, जैसे वो किसी कुंवारी चुत को चोद रहा हो. सच में बहुत टाईटली चुत में जा रहा था.
कुछ देर बाद मैंने उनके दोनों पैर मेरे कंधों पर रख लिए और जोर जोर से लंड को अन्दर बाहर करने लगा.
भाभी भी असीम आनन्द में कमर झुलाते हुए चुदाई के आसमान में उड़ रही थीं.
सच बताऊं तो इतने दिन बाद चूत नसीब हुई थी … सलहज की चुदाई … वो भी इतनी टाइट कि लंड को बाहर निकाल कर अन्दर डालने में जो मजा आ रहा था, उसे मैं लिख ही नहीं सकता.
दोस्तो, अगर मैं चाहता तो मौके का फायदा उठाकर भाभी की गांड भी मार लेता और वो मना भी नहीं करतीं.
पर मैं उनको प्यार देना चाहता था … दर्द नहीं.
मैंने भाभी को बहुत देर तक चोदा और भाभी की चुत में ही अपना पानी निकाल दिया.
वो भी कपड़े उठा कर बाथरूम में चली गईं, फिर कपड़े पहन कर बाहर निकल गईं.
सुबह बीवी आई चाय लेकर आई. वो बोली- सॉरी जान … मैं नहीं आ पाई.
मैं बोला- कोई बात नहीं यार, मैं समझ सकता हूँ.
भाभी भी उस समय मेरे कमरे की तरफ आ रही थीं, तो मुझे लगा बोलने का यही सही समय है.
मैंने अपनी बीवी को हग करते हुए कहा- जान मुझे पता है तुमने मेरे पास आने की कोशिश की होगी … पर रात को नहीं आ पाई.
भाभी गेट पर खड़े होकर ये सब सुनने लगी थीं, ये मुझे पता था.
अब उनको भी पता था कि मैं जानता था कि रात को मेरे लंड के नीचे भाभी ही चुद रही थीं.
फिर भाभी ने अन्दर आकर मुझसे पूछा कि नाश्ते में क्या खाएंगे?
मैंने मुस्कुरा कर कहा- जो आप खिलाना चाहो.
भाभी मेरी मुस्कान से शर्मा गई थीं.
तभी मेरी बीवी बोली- आज का नाश्ता मैं बनाती हूँ.
वो दोनों कमरे से चली गईं.
मेरी भाभी से आंखें तो मिली थीं, पर रात को लेकर उनसे कोई बात ही नहीं हो सकी थी.
फिर शाम को मैं अपनी बीवी को लेकर वापस घर आ गया.
दस दिन बाद मेरी पत्नी ने बताया कि पीहर से फोन आया है कि मेरी भाभी को मासिक धर्म नहीं हुआ है. जांच किट से टेस्ट हुआ तो वो गर्भवती हो गई हैं. सब लोग बहुत खुश हैं.
मैंने भी सबसे बात की. भाभी को बधाई दी.
भाभी धीरे से बोलीं- आपको भी बधाई हो.
ये कह कर उन्होंने झट से फोन काट दिया.
मैं उनका मतलब समझ गया था कि वो मुझे बाप बनने की बधाई दे रही थीं. पर शर्म की वजह से बोल नहीं पाईं.
इस सलहज की चुदाई कहानी में आगे क्या हुआ, यदि आप जानना चाहते हैं, तो मुझे मेल कीजिए.
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