मेरा नाम जय है, मैं नागपुर का रहने वाला हूँ. मेरे लंड का आकार 7 इन्च का है. मैं सांवला और शरीर से हष्ट-पुष्ट और हैंडसम हूँ.
मैं नागपुर में एक अकाउंट ऑफिस में काम करता हूँ, मेरे बॉस का ऑफिस उनके घर के बाहरी तरफ़ है और अन्दर उनका घर है. वहाँ उनकी बीवी अकेले रहती हैं उनका नाम नीता है.
ऑफिस बन्द करके चाभी अन्दर मैं ही देने जाता हूँ.. मैं चाभी उनकी बीवी को देता था. मैं उनकी बीवी को भाभी कह कर बुलाता हूँ.. वो बहुत ही सुन्दर और मस्त लगती हैं. उनका शरीर 38-30-36 का है. उनका नशीला शरीर कोई भी देखे तो उनको चोदने की सोचने लगे. हालांकि मैं कभी उनके बारे कुछ गलत नहीं सोचता था.
कुछ दिनों के बाद भाभी और मैं एक-दूसरे से काफ़ी बातें करने लगे.
चूंकि ऑफिस के काम से सर को काफ़ी बाहर ही रहना पड़ता था. वो घर पर अकेले बोर हो जाती थीं. इसलिए जब भी मैं अन्दर जाता तो मुझसे काफ़ी देर तक बात किया करती थीं.
धीरे-धीरे मुझे भी उनसे बात करने में अच्छा लगने लगा.
तब एक दिन ऐसा आया कि वो मुझसे बहुत हँस-हँस कर बात करने लगीं.. और अब मेरी उनके लिए सोच बदलने लगी. मैं उनको चोदने के लिए सोचने लगा और मुझे भी लगता था कि मन ही मन वो भी मुझसे चुदवाना चाहती थीं.
एक दिन सर एक दिन के लिए बाहर गए तो उन्होंने मुझे रात में उनके घर पर रुकने को बोला और कहा कि सवेरे 8 बजे अपने घर चले जाना.
मैं राजी हो गया.. मैं भी भाभी को चोदने के लिए ऐसे दिन का इन्तजार कर रहा था. भाभी घर पर बिल्कुल अकेले टीवी देख रही थीं.
ऑफिस बन्द करने के बाद मैं अन्दर चाभी देने गया तो उन्होंने लाल कलर की साड़ी पहन रखी थी. मेरा मन कर रहा था उनको इसी वक्त चोद डालूँ.
उन्होंने मुझे बैठ कर टीवी देखने को बोला, मैं टीवी देखते हुए उनसे बात भी किए जा रहा था.
मैंने उनसे पूछा- जब सर इतना बाहर जाते हैं तो आपको अकेले रहने में बहुत खराब लगता होगा?
उन्होंने कहा- हाँ लगता तो है.. पर अब तुम थोड़ी देर मुझसे बात कर लेते हो तो मेरा मन खुश हो जाता है.
मैं मन ही मन उनको चोदने की सोच रहा था, तभी टीवी पर चल रही मूवी में एक किसिंग सीन आने लगा. मैं और भाभी दोनों लोग उस सीन को देखे जा रहे थे. हम दोनों के अन्दर एक गर्मी सी पैदा हो रही थी, पर एक-दूसरे पर जाहिर नहीं होने दे रहे थे.
वो भी मुझसे चुदने को बेताब थीं, पर कुछ कह नहीं रही थीं. मैं भी उनको कसकर चोदना चाहता था.
मैंने भाभी से कहा- मैं अभी बाथरूम होकर आया भाभी, जब तक आप फिल्म देखो.
वहीं सामने ही बाथरूम था.. मैंने जानबूझ कर दरवाजा खुला छोड़ दिया और मैं अन्दर उनके नाम की मुठ मारने लगा. बाथरूम में मैं बहुत देर तक उनको चोदने के बारे में सोच कर मुठ मारता रहा.
जब काफी देर तक मुझे अपने प्लान से कोई रिस्पोंस नहीं मिला.. तो मुझे लगा कि शायद मुझे भाभी को चोदने को नहीं मिलेगा. दूसरी तरफ मुझे पक्का यकीन भी था कि वो भी मुझसे चुदना चाह रही थीं.
अचानक भाभी ने बाथरूम का दरवाजा खोल दिया.. मेरा लंड मेरे हाथ में ही था.
भाभी ने पूछा- जय ये इसको हाथ में लेकर क्या कर रहे हो?
मैं सकपकाने का नाटक करते हुए और उनकी तरफ को घूम कर खड़ा लंड उन्हें दिखाने लगा.
भाभी ने मेरे लंड को देखकर कहा- अरे वाह, तुम्हारा तो तुम्हारे सर से भी बड़ा है.
मैं उनकी आँखों में वासना से देखने लगा तो भाभी ने मुझसे कहा- इधर दिखाओ जरा अपना लंड!
भाभी ने नीचे बैठे हुए मेरा लंड अपने हाथों में लेकर अपने मुँह में डाल लिया. अब वो कस-कस कर चूसने लगीं. दस मिनट तक बाथरूम में ही भाभी ने मेरे लंड को चूसा और लंड पकड़ कर मुझे अपने बेडरूम में ले गईं.
तब मैंने उनके रसीले होंठों को कस कर चूमा और चूसा, तो भाभी ने भी मुझे सहयोग किया. मुझे लगा मानो जैसे वो मुझे अमृतपान करा रही हों.
उसके बाद मैंने उनकी साड़ी उतार कर उनके शरीर से अलग कर दी. अभी वो लाल ब्लाउज और पेटीकोट में थीं और बहुत ही सेक्सी लग रही थीं. मन तो कर रहा था कि साली भाभी को तुरन्त नंगी करके चोद दूँ. पर मुझे तो पूरा-पूरा मजा लेना भी था और देना भी था. मैं उनको चूमता ही रहा.
फ़िर धीरे से मैंने उनके ब्लाउज और पेटीकोट उतार दिए. अब वो ब्रा और पेंटी में ही मेरे सामने थीं. मैं भाभी को किस करते-करते ब्रा के ऊपर से ही उनके मम्मों को दबाए जा रहा था. उनके मुँह से ‘ऊह उम्म्ह… अहह… हय… याह… सी..’ की आवाज आ रही थी.
भाभी की ब्रा भी मैंने कुछ देर में उनके मम्मों से अलग कर दी और उनके दोनों मम्मों को एक-एक करके चूसने लगा. इसी के साथ मैंने एक हाथ उनकी पेंटी में डाल दिया.. उनकी चूत बिल्कुल गीली हो गई थी. फ़िर उनकी चूत में अपनी उंगली डाल कर अन्दर-बाहर करता रहा.
भाभी अपनी मादक आवाजें ‘ऊह आह..’ निकाले जा रही थीं, जिससे मैं उनका दीवाना हुआ जा रहा था.
तभी भाभी बोलीं- जय अब मुझे और मत तड़पाओ.. चोद दो मुझे, मैं तुम्हारे लंड को अपनी चूत में लेकर चूत का भोसड़ा बनवाना चाहती हूँ.
मैंने कहा- भाभी अभी इतनी भी क्या जल्दी है.. मेरे लंड का पूरा मजा तो ले लो.
फ़िर मैंने उनकी चूत से उनकी पेंटी को भी आजाद कर दिया. भाभी अब मेरे सामने पूरी नंगी थीं, उनकी चूत से रस टपक रहा था.
मेरे सारे कपड़े उतार कर भाभी मेरे बदन को कस-कस कर चूमने लगीं. मैंने उनको गोद में उठा कर बेड पर लिटा दिया और उनकी चूत का रसपान करने लगा.
उनकी चूत एकदम चिकनी थी, जैसे मुझसे चुदवाने के लिए आज दिन में ही साफ़ की हो. मैं उनकी चूत रसमलाई की तरह चूसे जा रहा था. थोड़ी देर के बाद भाभी झड़ गईं और मैंने उनकी चूत का पूरा रस पी लिया.
भाभी ने कहा- अब मुझे भी तुम्हारा लंड चूसना है.
हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए, वो मेरा लंड और मैं उनकी चूत को कस-कस कर चूस रहा था.
भाभी अपना रस मेरे मुँह में छोड़ चुकी थीं. मैं अभी एक बार ही झड़ा और झड़ते ही मैंने अपने लंड का रस उनके मुँह में छोड़ दिया.
अब हम दोनों की चुदाई की चाह चरम सीमा पर थी, वो बार-बार मुझे चोदने के लिए बोल रही थीं. फ़िर जब मेरा लंड दोबारा खड़ा हुआ तो मैं भाभी की दोनों टांगें उठा कर अपने लंड को उनकी चूत पर रख कर रगड़ने लगा. भाभी ने लंड के सुपारे से गर्म होकर जैसे ही अपनी चूत खोली.. वैसे ही मैंने एक झटका देकर अपना लंड उनकी चूत में उतार दिया.
इस झटके में उनकी चूत में मेरा आधा ही लंड जा पाया.. क्योंकि उनकी चूत बहुत ही टाइट थी, मानो कभी ठीक से चुदी ही ना हो.
लंड घुसते ही भाभी तुरन्त ‘ऊई माँ ऊई माँ.. मेरी फ़ट गई..’ चिल्लाने लगीं.
कुछ देर बाद उन्हें मजा आने लगा और वो कहने लगीं- अह.. बहुत दर्द हो रहा है, मेरे पति से चुदने में मुझे मजा नहीं आता है.. आज तुमने सही मायने में मुझे चोदा है. जितना तुमसे चुदवाने में आ रहा है.. इतना कभी नहीं मिला.
मैं अपने लंड को धीरे-धीरे उनकी चूत में अन्दर-बाहर कर रहा था.
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कुछ देर के बाद भाभी को बहुत मजा आने लगा और उनके मुँह से कामुकता से भरी हुई आवाजें आने लगीं- ऊह ऊह आह आह मुझे चोद डालो मेरे राजा.. मैं सिर्फ़ तुमसे ही चुदवाऊँगी.. तुम मुझे रोज जमके चोदोगे ना.. अह!
मैंने कहा- हाँ.. मेरी जान मैं रोज जमकर चोदूँगा.
धीरे धीरे मैंने अपने लंड की स्पीड को बढ़ा दिया. अब मैं भाभी को कसके चोद रहा था, उनकी ‘ऊह आह..’ की चीखें और चूत की ‘फ़च फ़च..’ की आवाज पूरे कमरे में गूँज रही थी.
भाभी भी गांड उठा-उठा कर चुद रही थीं और चुदाई का पूरा मजा ले रही थीं. उनकी मस्ती देख कर लग रहा था, जैसे कई दिनों से लंड की भूखी हों.
मेरी जबरदस्त चुदाई से भाभी तीन बार झड़ चुकी थीं.. और अब मैं भी झड़ने वाला था.
मैंने भाभी से पूछा- लंड का रस कहाँ छोडूँ?
वो बोलीं- मेरी चूत में ही छोड़ दो.. मुझे तुमसे ही बच्चा चाहिए.
मैंने अपने लंड का सारा माल उनकी चूत में ही उड़ेल दिया. उस रात मैंने उनको कई आसनों में चोदा. वो मेरे लंड का रस एक बार अपनी मतवाली चूत में लेतीं और एक बार अपने मुँह में गटक लेतीं.
हम लोग पूरी रात नहीं सोए.. कभी मैं उनकी चूत को चूसता.. कभी वो मेरा लंड चूसतीं. सारी रात मैंने भाभी को खूब चोदा और वो भी मुझसे चुद कर मदहोश हुए जा रही थीं.
उनको चोदते-चोदते कब सुबह के 8:30 हो गए.. पता ही नहीं चला. सर को करीब 9 बजे आना था.. वो मुझे छोड़ना ही नहीं चाह रही थीं. वो मेरा लंड चूसती रहीं और मुझसे चुदवाती रहीं.
तभी सर गेट पर आकर बेल बजाने लगे, तो भाभी बोलीं- बेल बजने दो.. तुम पहले जल्दी से मेरी चूत बजाओ.
मैंने उनको चोदते हुए बोला- सर ने कहा था कि 8 बजे चले जाना.
भाभी बोलीं- तुम क्यों परेशान हो.. मैं हूँ ना!
उनके बेडरूम के पीछे एक बाहर जाने के लिए गेट था.. उन्होंने मुझे उस तरफ़ खड़ा कर दिया.
इसके बाद भाभी ने सर वाला गेट खोला.. तो वो जल्दी से कपड़े उतार कर सीधे बाथरूम में चले गए.
भाभी फ़िर मेरे पास आईं और मेरा लंड पेंट में से निकाल कर कस-कस कर चूसने लगीं, भाभी बोलीं- मुझे एक बार और चोद दो.
मैंने कहा- सर आ गए हैं.. उनको कहीं पता न चल जाए कि मैं अभी घर पर ही हूँ.
भाभी नहीं मानी बोलीं- उन्हें बाथरूम में देर लगती है.
मैंने उनकी साड़ी और पेटीकोट उठा कर अपना लंड भाभी की चूत में डाल दिया और भाभी को खड़े-खड़े ही चोद डाला और मैंने अपना लंड भाभी की चूत में ही झड़ा दिया.
भाभी ने भी मेरा लंड चूस कर साफ़ कर दिया और बोलीं- मैंने अपने पति का लंड कभी नहीं चूसा.. तुम्हारा लंड देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया था. तुम्हारे लंड को चूसकर और इसका रस पी कर मैं तुम्हारे लंड की बहुत ही मदहोश और दीवानी हो गई हूँ. आज से दिन में जितनी बार भी तुम अन्दर आना, बस मुझे इशारा कर देना.. मैं तुम्हारा लंड चूस लूँगी और जब चोदने का मौका मिले तो मुझे चोद भी देना. मैं रोज तुम्हारे लंड का इन्तजार करूँगी.
यह कह कर मुझे किस करके विदा कर दिया. उसके बाद मैं हर दिन अपना लंड भाभी को चुसवाता और जब मौका मिलता, तब उनको चोद भी देता.