मेरे प्यारे दोस्तो, मेरा नाम नीरज है, मैं मध्य प्रदेश में एक छोटे से गांव का रहने वाला हूँ. ये मेरी पहली हिंदी पोर्न कहानी है और पहला सेक्स का अनुभव है.
मेरे स्कूल के एग्जाम खत्म हो गए थे तो छुट्टियों में घर के बाहर के काम किया करता था और टाइम पास करता रहता था.
इन दिनों मैं अपने पिता के चचेरे भाई यानि चाचा के घर में ज़्यादा रहा करता था क्योंकि वहां मेरा मन ज़्यादा लगता था, पता नहीं क्यों.. मगर मैं दिन भर वहां ही ज़्यादा रहता था.
छुट्टियों में मेरी बुआ भी आ जाया करती थीं. वैसे तो उनकी उम्र 35-36 साल थी मगर वो बहुत खूबसूरत और पूरी हट्टी कट्टी भरी हुई दिखती थीं. उस समय मेरी भी बॉडी और हाईट से पता नहीं चलता था कि मेरी उम्र क्या है, मैं पूरा 22 साल का बांका मर्द लगता था.
वैसे मेरे मन में बुआ के लिए ऐसे कोई विचार नहीं थे लेकिन उम्र के साथ साथ वो विचार भी आने लगे थे.
मेरे चाचा का घर पुराने टाइप का बना हुआ था और बड़ी जगह भी थीं. उनके घर में ऐसे कोने नुमा जगहें बहुत बनी हुई थीं कि कहीं भी छुप जाओ तो दिख नहीं सकते थे.
एक दिन ऐसे ही बुआ एक कोने में गईं और मैं भी पीछे पीछे चला गया. देखा तो ब्लैक कलर की पैन्टी पहने हुए बुआ मूतने के लिए झुक रही थीं.
उनकी नज़र मेरी तरफ चली गई और उन्होंने अपनी साड़ी झट से नीचे करके कहा- तू यहां क्या कर रहा है?
तो मैंने बोल दिया- मुझे लगा आप कुछ काम कर रही हो तो मदद करने आ गया था.
फिर उन्होंने हल्की स्माइल दी और वहां से चली गईं.
मुझे तब कुछ बैचेनी सी होने लगी. मैं अपने घर चला गया और रात को नींद में सपने में बुआ का वो नज़ारा फिर से दिखा.
सुबह मैंने देखा तो मेरी चड्डी गीली हो चुकी थी. फिर मैं नहा धोकर खाना आदि ख़ाकर फिर से चाचा के यहां चला गया. दोपहर को चाचा के घर में कोई नहीं आता जाता था.
मैं गया तो देखा कि बुआ आज फिर कल की जगह ही खड़ी थीं. मैं उन्हें देख कर सोचने लगा कि आज फिर उसी जगह.. मामला क्या है. मगर आज मैं उनके पास जाने से डर रहा था.
तभी उन्होंने मुझे आवाज़ देकर बुलाया और कहने लगीं- मेरी मदद करो.
मैं बोला- क्या करूँ?
तो वो बोलीं- मैं इस कोने में कुछ खाली बोतल गिर गई हैं, मैं वो निकालने की कोशिश रही हूँ, लेकिन बाहर निकालने में दिक्कत हो रही है. यहाँ गहराई सी है अगर तुम मुझे पीछे से खींचोगे तो मैं फसूंगी नहीं.
मैंने भी “हां” कर दी और बुआ कोने में घुसने लगीं. मैं भी उनके पीछे पीछे आ गया. बुआ कुतिया सी बन कर जब बोतल उठाने झुकीं तो उनकी इतनी मोटी गांड देख कर मैं हैरान हो गया कि इतनी बड़ी गांड भी हो सकती है क्या.
फिर उन्होंने बोला- हाँ अब मुझे पीछे से खींचो.. मुझसे इतनी सी जगह में उठा नहीं जाएगा.
फिर मैं बोला- कैसे खींचू?
तो बोली- पीछे से और कहां से..?
फिर मैंने झट से पीछे से उनकी कमर पकड़ी और उनको उठाया. उन्होंने एक बोतल मुझे दी और बोलीं- अभी और भी हैं.. ऐसे निकालने में मदद करनी पड़ेगी.
मैं बोला- ठीक है कोई बात नहीं.. चलो निकालते हैं.
वैसे ही हम बोतल निकालने लगे मगर मेरी नज़र उनकी बड़ी गांड से हट ही नहीं रही थी, मेरा जी करने लगा कि उनकी साड़ी उठा कर उनकी गांड को चूम लूँ.
फिर मैं बुआ के और करीब जाकर खड़ा रहने लगा ताकि वो जब खींचने की कहें और जैसे ही उठें तो उनकी गांड मेरे लंड को टच हो जाए.
मैं वैसे ही होने लगा और उनको भी मेरा लंड महसूस होने लगा. बुआ को मेरे लंड से अपनी गांड रगड़वाने में मजा आने लगा. मेरा लंड पहले से ही काफ़ी बड़ा और लंबा था. उनकी गांड से रगड़ने से वो और फूल गया.
ऐसे हमने बोतल तो निकालीं लेकिन बुआ ने भी नोटिस कर लिया कि मैं तैयार हूँ.
दूसरे दिन भी मैं चाचा के यहां गया, तब बुआ वहां नहीं दिखीं. मैं उन्हें उसी जगह देखने लगा. वो चुपके से मेरी हरकत देख रही थीं. फिर वो सामने आईं और हल्के से हंस के बोलीं- आज कोई बोतल नहीं है.
मैंने कहा- अच्छा है क्या आज कोई दूसरा काम है?
बुआ बोलीं- हां है.
मैं झट से बोला- क्या काम है?
वो बोलीं- कुछ नहीं आज आज मेरी पीठ दुख रही है.. कल ज़्यादा ही झुकी थी, तो बहुत दर्द हो रहा है.
मैं बोला- मैं आपका दर्द ठीक कर दूँगा.
वो मेरी आँखों में वासना से देखते हुए बोलीं- कैसे? कोई जादू है क्या?
मैं गरम होकर बोला- वैसा ही कुछ है.
फिर बुआ मुझे एक खाली कमरे में ले गईं. वहां खेती का सामान रखा था. इस कमरे में जब किसी को कोई काम हो, तभी कोई आता था. मुझे मालूम था कि इस वक्त इधर कोई आने वाला नहीं था.
बुआ वहां बोलीं- चलो करो शुरू काम.
मैं बोला- मुझे तो पीठ पीछे से मसलनी आती है.
“वो कैसे?”
मैंने बुआ को चैक करने के लिए कहा- जैसे ब्वॉयफ्रेंड पीछे से रगड़ता है.
फिर वो मस्त होकर बोलीं- कैसे भी हो… मगर जल्दी करो.
मैंने उनको पीछे से पकड़ लिया और उनको उठाने लगा, पीछे से मेरा लंड टाइट हो गया था, पैन्ट से बाहर निकलने को कर रहा था और बुआ को गांड में रगड़ रहा था.
तभी बुआ बोली- मैं किसी से भी ऐसे वैसे ना उठ सकती.
मैं पूरी गर्मी में आ गया था.. बोला कि मैं भी ऐसे वैसे आपको छोड़ नहीं सकता.
अब मैं उनको उठाने की बजाये जोर जोर से उनको पीछे से लंड लगाने लगा.
बुआ भी गरम हो गई थीं, बुआ झट से बोलीं- पहले दरवाजा बंद कर दो, आते जाते किसकी नज़र पड़ गई तो गलत लगेगा.
फिर मैंने भी दरवाजा बंद कर दिया और बुआ के पास आ गया. बुआ ने मुझे अपने करीब खींचा और मेरा लंड पकड़ कर पैन्ट खोल दी.
बुआ बोलीं- मुझे पता था कि तेरे पास उतना बड़ा औजार ही है, जितना मैंने सोचा था.
तभी मैं बोला- औजार माने क्या?
तो बुआ हंसकर बोलीं- लंड और क्या.. अब तुझे क्या करना है मालूम है?
मुझे समझ नहीं आया तो मैं बोला- क्या करना है.
बुआ और जोर से हंस पड़ीं और बोलीं- तेरा पहली बार है इसलिए आधी बातें जानता है.. सब मुझे ही करना पड़ेगा.
मैं उन्हें देखने लगा.
बुआ बोलीं- पिछवाड़ा मारोगे कि सामने की लोगे?
मैं बोला- आपको क्या पसंद है?
तो बोलीं- दोनों तरफ से लेना पसंद है.. मगर आज एक तरफ से ही मरवाना चाहती हूँ. मेरी गांड बहुत ही बड़ी हो गई है.. मुझे आज गांड ही मरवानी है मगर तेरा लंड जोश में मेरी गांड फाड़ ने दे इसलिए चुत को ही और चौड़ी कर दे.
मैं भी बोला कि मगर बुआ मुझे भी आपकी गांड मस्त लगती है.
बुआ बोलीं- आज नहीं.. कल मार लेना लेकिन तू पीछे से भी लंड डाल कर मेरी चुत चोदेगा तो गांड का भी मजा मिल जाएगा और तेरा लंड भी चुत में आराम से चला जाएगा.
मैंने कुछ नहीं सोचा समझा.. बस सोचने लगा. बुआ ने मेरा लंड बाहर निकाल लिया, मैंने भी उनके कपड़े उतार दिए. बुआ के बड़े बड़े मम्मों को देख कर लंड हिलक गया.. और तुनकी मारने लगा.
बुआ ने मुझे अपने मम्मों से लगा दिया और एक निप्पल मेरे मुँह में लग कर बोलीं- मशीन गरम कर.. फिर देखती हूँ.
मैंने उनकी चूचियां चूसना शुरू कर दिया. कुछ देर बाद बुआ झुक गईं और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं. मुझे लंड चुसाई से मजा आ गया और मैं बुआ के मुँह को ही चोदने लगा.
बुआ ने लंड चूस कर चिकना कर दिया और पलट कर कुतिया बन गईं. मेरे सामने बुआ की गांड आ गई. मैं अपने लंड को उनकी गांड पर रगड़ने लगा और मज़े करने लगा. बुआ टांगें फैलाते हुए बोलीं- जल्दी से घुसा दो.. नहीं तो तेरा पूरा पानी यूं ही निकल जाएगा.
मैंने बुआ की चुत के अन्दर लंड डाल दिया और धक्के देने लगा. बुआ बीच बीच में “उम्म्म आआ..” करने लगीं.
मैंने स्पीड बढ़ाने की कोशिश की तो बुआ चिल्ला दीं और बोलीं- धीरे कर पागल.. तेरे लंड को झेलने की आदत तो पड़ जाने दे.. फिर चाहे जितना तेज चोद लेना..
मैं धीरे धीरे उनको चोदता रहा और गांड को हाथ से सहलाने लगा. बीस मिनट के बाद बुआ बोलीं- पानी कब गिराएगा?
मैं बोला- इतनी स्लो स्लो करवाओगी तो मेरा पानी नहीं गिरेगा.
वो मेरे लंड से छूट कर पलट गईं और मुझे खटिया पर बैठने को कहा. फिर वे मेरी तरफ गांड करके झुकी और बड़ी सी गांड हिलाने कर बोलीं- पहले तू मेरी छूट और गांड चूस.. फिर मैं दुबारा तेरा लंड लूँगी.
मुझसे और रहा नहीं गया, मैं गांड पर टूट पड़ा उनकी गांड में मुँह घुसा दिया. बुआ अपनी गांड मस्त हिलाने लगीं. थोड़ी देर बाद बुआ ने मेरा लंड हिलाया उसको और ज़्यादा कड़क कर दिया.
वो अपनी गांड हिला हिला के चुत में लंड डलवाने लगीं. अब ज़्यादा मज़ा आ रहा था. मैं बुआ को पूरा पकड़ सकता था और उनके बड़े बड़े मम्मे भी दबा सकता था. मैंने बुआ के मम्मों को पकड़ कर उन्हें चोदना शुरू कर दिया. बीच बीच में बुआ पीछे मुँह करके मेरा किस लेती रहीं.
थोड़ी देर बाद ही मैंने कहा कि पानी छोड़ना है.
तो बुआ बोलीं- रूको अन्दर मत डालो मेरी गांड पर ही बाहर ही डाल दो.
मैंने बुआ को खटिया पर औंधा लिटाया और उनकी गांड पर बैठ कर लंड हिला हिलाकर घिसा. मेरा सारा पानी गांड पर बरस गया.
कुछ देर बाद हम दोनों उठ गए.
बुआ बोलीं- तेरा पहली बार था.. लेकिन तूने मेरा पूरा साथ दिया.. बीच में ही अपने नल का पानी नहीं टपकाया.
मैं बोला- मुझे अभी पीछे वाले छेद में और करना है.
वे हंस कर बोलीं- कल तो घी लगा कर ही गांड मरवाऊंगी.
मैं भी बोल पड़ा कि कल ही क्यों.. आज ही करते हैं ना.
बुआ बोलीं- आज का दिन तो गया.
मैंने बोला- रात तो अभी बाकी है मेरी जान.. आज की रात तेरे गांड के ही नाम कर दूँगा.
बुआ बोलीं- ठीक है मैं तेरे घर बोलने आती हूँ कि तुझे हमारे यहां सोने भेज दो. हम दोनों ऊपर के कमरे में सोएंगे.
मैंने बुआ को प्यार से अपने सीने में भर लिया और चूमने लगा.
अगली कहानी में रात को बुआ के मम्मों को चूसना और उनकी बड़ी सी गांड मारने का खेल लिखूंगा.